चुनाव मतगणना अपडेट, अपनी-अपनी सीट पर पिछड़े सचिन पायलट और रमन सिंह, बाबा बालकनाथ 5000 वोटों से आगे

मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के चुनावी परिणाम सामने आ रहे हैं। फिलहाल मध्य प्रदेश, राजस्थान में भाजपा ने बढ़त ले रखी है। वहीं तेलंगाना में कांग्रेस को बढ़त मिलती दिख रही है। हालांकि, मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ, राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह और सीएम भूपेश बघेल पीछे चल रहे हैं। हालांकि, छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टी एस सिंह देव ने बढ़त बना रखी है। 

इसके अलावा राजस्थान के झोटवाड़ा से भाजपा उम्मीदवार राज्यवर्धन सिंह राठौर पीछे चल रहे हैं। चुनाव आयोग के डेटा के हिसाब से छत्तीसगढ़ राज्य में भी भाजपा को बढ़त मिलती दिखाई दे रही है। यहां अब तक भाजपा ने 23 और कांग्रेस ने 18 पर बढ़त ले रखी है। वहीं, राजस्थान के तिजारा के पहले राउंड में भाजपा प्रत्याशी बालकनाथ 5000 मतों से आगे चल रहे हैं। बता दें कि, राजस्थान में हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन का जो चलन रहा है, वो इस बार भी जारी दिख रहा है। राजस्थान में इस बार भाजपा आगे चलती दिख रही है। 

मध्य प्रदेश में भाजपा की बढ़त के पीछे महिलाओं को अहम फैक्टर माना जा रहा है। लाड़ली लक्ष्मी योजना के चलते महिलाओं ने भाजपा को जमकर वोट किया है। माना जा रहा है, भाजपा को पुरुषों के मुकाबले 10 फीसदी अधिक महिलाओं ने वोट किया है।

चुनावी रुझानों के बीच कांग्रेस को आई INDIA गठबंधन के साथियों की याद, मल्लिकार्जुन खड़गे ने खुद TMC-DMK को लगाया फोन, बुलाई बैठक

आज रविवार (3 दिसंबर) को मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे सामने आ रहे हैं। मध्य प्रदेश और राजस्थान में भाजपा आसानी से सरकार बनाती हुई नज़र आ रही है। छत्तीसगढ़ में कांटे की टक्कर है। जबकि, तेलंगाना में कांग्रेस को बड़ी सफलता मिलती दिख रही है। 2014 में तेलंगाना की स्थापना होने के बाद से यहां के चंद्रशेखर राव (KCR) शासन कर रहे थे, अब पहली बार कांग्रेस यहाँ सरकार बनाती नज़र आ रही है। 

चुनावी नतीजों को बीच कांग्रेस को भाजपा को सत्ता से बेदकहल करने के लिए बनाए गए भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) की याद आई है। दरअसल, बीते 2-3 महीनों से विधानसभा चुनावों के प्रचार में लगी कांग्रेस एक तरह से INDIA गठबंधन को भूल ही चुकी थी, बिहार के सीएम नितीश कुमार ने भी सबसे पुरानी पार्टी पर यही आरोप लगाया था। उनका कहना था कि, कांग्रेस इस तरफ ध्यान ही नहीं दे रही है। वहीं, मध्य प्रदेश चुनावों में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव में जबरदस्त कहासुनी देखने को मिली थी, कमलनाथ ने सपा प्रमुख को अखिलेश-वखिलेश कह दिया था, जबकि दोनों पार्टियां INDIA गठबंधन की दोस्त पार्टियां थीं। लेकिन तब अतिआत्मविश्वास में कांग्रेस ने अपने साथियों का अपमान कर दिया था। वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) भी कांग्रेस से नाराज़ है और लोकसभा चुनावों में अकेले ताल ठोंकने का मन बना चुके हैं। अभी तक कांग्रेस इनकी तरफ ध्यान नहीं दे रही थी। शायद उसे लग रहा था कि, चुनावों में जीत दर्ज करने के बाद अन्य पार्टियां खुद ही उसके पास आ जाएंगी और वो गठबंधन में बिग ब्रदर बन जाएगी, लेकिन अब पास उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है और देश पर सबसे अधिक समय तक शासन करने वाली पार्टी को अब क्षेत्रिय पार्टियों के साथ सहयोग करके और उनको साथ लेकर चलने की जरुरत महसूस हो रही है। 

लेकिन, अब चुनावी रुझानों में कांग्रेस के हाथ से मध्य प्रदेश और राजस्थान खिसकता नज़र आ रहा है। छत्तीसगढ़ में भी मामला कांटे का है, तो कांग्रेस ने अब INDIA के अपने सहयोगियों को साधने की कवायद शुरू कर दी है। कांग्रेस ने बुधवार, 6 दिसंबर को नई दिल्ली में अगली भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) सहयोगियों की बैठक बुलाई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने खुद फोन करते हुए द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सहित अन्य गठबंधन सहयोगियों से बात की है और उन्हें बैठक की जानकारी दी है।

सिलक्यारा सुरंग हादसा के रेस्क्यू ऑपरेशन के नायक मुन्ना कुरैसी की कहानी भावुक कर देगी, अपने बच्चों से ज्यादा थी मजदूरों की जिंदगी की चिंता…

 28 नवंबर को सिलक्यारा सुरंग के आखिरी हिस्से की खोदाई कर जब रैट माइनर्स मुन्ना कुरैशी अंदर पहुंचा तो 17 दिन से जिंदगी की राह देख रहे श्रमिकों ने उसे गले लगाकर पलकों पर बैठा दिया। इतना स्नेह पाकर मुन्ना भावुक हो उठा। उसे अपने तीनों नन्हें बच्चों की याद आ गई, जिन्हें वह 22 नवंबर को दिल्ली में अपनी खाला (मौसी) के पास छोड़ आया था।

सिलक्यारा आते हुए मुन्ना ने सिर्फ अपने दस वर्षीय बेटे को बताया था कि वह दो दिन में काम खत्म कर लौट आएगा। लेकिन, निकास सुरंग में औगर मशीन का एक हिस्सा फंस जाने के कारण समय अधिक लग गया। मुन्ना कुरैशी ने मीडिया को बताया कि नियति उसकी हमेशा परीक्षा लेती रही है। उसका मूलगांव उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में पड़ता है। वहां किसी ने उनकी जमीन हड़प ली थी, इसलिए उसके पिता को दिल्ली आना पड़ा। बताया कि 12 वर्ष की उम्र में माता-पिता का साया उसके सिर से उठ गया था। तब चाचा व अन्य रिश्तेदारों ने उसे पाला। होश संभाला तो रोजगार के लिए भटकना पड़ा।

गर्भवती पत्नी की हो गई थी मौत

इसी बीच वह जोखिमपूर्ण कार्य करने वाले रैट माइनर्स के संपर्क में आया और दिल्ली के राजीव नगर स्थित खजूरीखास श्रीराम कालोनी में किराये का एक कमरा लेकर रहने लगा। मुन्ना ने बताया कि वर्ष 2021 में उसकी गर्भवती पत्नी की मृत्यु हो गई। घटना उसके लिए सिर पर पहाड़ टूटने जैसी थी। फिर भी जैसे-तैसे उसने स्वयं को संभाला। तब कोविड चल रहा था, इसलिए उसने मास्क भी बांटे। बताया कि उसका बेटा दस वर्ष का है और चौथी कक्षा में पढ़ता है, जबकि बड़ी बेटी आठ और छोटी पांच वर्ष की है।

 41 जिंदगियां बच गईं

मुन्ना ने बताया कि 22 नवंबर को जब वह उत्तराखंड के सिलक्यारा के लिए रवाना हुआ तो इस बावत उसने अपने चाचा को भी कुछ नहीं बताया। सिर्फ बेटे को बताकर ही चला आया। खैर! खुशी इस बात की है, सब-कुछ अच्छा हुआ और 41 जिंदगी बच गईं। बकौल मुन्ना, ‘मैंने सुरंग के अंदर का आखिरी पत्थर और मलबे का हिस्सा हटाया तो वहां कैद लोग मुझे देखकर खुशी से झूम उठे। फिर उन्होंने मुझे बारी-बारी से गले लगाया और चाकलेट व बादाम खिलाए। इससे मुझे बच्चों की याद आ गई। श्रमिकों तक पहुंचना मेरे जीवन का वह क्षण है, जिसे मैं धरोहर की तरह संजोकर रखूंगा।’ मुन्ना की सबसे बड़ी पीड़ा यह है कि उसे नियमित कार्य नहीं मिल पाता। कहता है, तीन हजार रुपये महीने का कमरा है। बस! किसी तरह जीवन की गाड़ी खींच रहा हूं।

19 दिन में 21 महत्वपूर्ण बिल और 15 बैठक..', संसद के शीतकालीन सत्र का कार्यक्रम जारी, 'हंगामा' नहीं हुआ तो होंगे बड़े काम !

संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान दो वित्तीय विधेयकों समेत कुल 21 विधेयक लाए जाने की संभावना है। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि, 'हम 19 विधेयक ला रहे हैं और दो वित्तीय आइटम हैं। कुल 21 आइटम हैं। तीनों बिल गृह मंत्रालय के हैं। उन्होंने कहा कि, केंद्रीय विश्वविद्यालय पर एक विधेयक है और संवैधानिक व्यवस्था पर एक बिल है। यह सूची उस दिन जारी की गई जब 4 दिसंबर को शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले 2 दिसंबर को सर्वदलीय बैठक हुई थी। 

बता दें कि, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम उन प्रमुख विधेयकों में से हैं जिन्हें इस सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। जिन अन्य विधेयकों पर विचार किया जाएगा उनमें निरसन और संशोधन विधेयक (लोकसभा द्वारा पारित), अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक (राज्यसभा द्वारा पारित) और प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक (राज्यसभा द्वारा पारित) शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री जोशी ने कहा कि शीतकालीन सत्र 4 दिसंबर को शुरू होगा और 22 दिसंबर को समाप्त होगा। 

उन्होंने कहा कि, ''19 दिनों की अवधि में 15 बैठकें होंगी।'' सर्वदलीय बैठक के बारे में बोलते हुए जोशी ने कहा, ''राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आज की सर्वदलीय बैठक में 23 पार्टियों के 30 नेता मौजूद थे। हमें कई सुझाव मिले हैं।” उन्होंने बताया कि, संविधान (जम्मू और कश्मीर) अनुसूचित जाति आदेश (संशोधन) विधेयक, संविधान (जम्मू और कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक, जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक भी होंगे। इसके अलावा, डाकघर विधेयक और मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक भी कार्ड में हैं।

बॉयलर विधेयक, करों का अनंतिम संग्रह विधेयक, केंद्रीय माल और सेवा कर (दूसरा संशोधन) विधेयक, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) दूसरा (संशोधन) विधेयक और केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023 पर भी विचार किया जा सकता है। वित्तीय व्यवसाय के बीच, वर्ष 2023-24 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों के पहले बैच पर एक प्रस्तुति, चर्चा और मतदान होगा और संबंधित विनियोग विधेयक की शुरूआत, विचार और पारित किया जाएगा। वर्ष 2020-21 के लिए अतिरिक्त अनुदान की मांगों पर प्रस्तुतीकरण, चर्चा और मतदान और संबंधित विनियोग विधेयक का परिचय, विचार और पारित करने का कार्य भी किया जाएगा।

एक तरह से देखा जाए तो इस बार शीतकालीन सत्र में सरकार ने कई अहम मुद्दों पर बिल पारित करने की योजना बनाई है, लेकिन संसद में होने वाला हंगामा इसमें खलल डाल सकता है। दरअसल, बीते कई संसद सत्रों में ऐसा देखा गया है कि, सत्र शुरू होने से पहले ही कोई न कोई ऐसा मुद्दा आ जाता है, जिसपर पूरे संसद सत्र के दौरान हंगामा होते रहता है। विपक्ष कभी, चीन को, कभी अडानी को, कभी पेगासस को, तो कभी किसी अन्य बात को मुद्दा बनाकर संसद में हंगामा शुरू कर देता है और पूरा सत्र उसी हंगामे की भेंट चढ़ जाता है। हमने देखा था कि, चीन मुद्दे पर कानून मंत्री और रक्षा मंत्री के जवाब देने के बावजूद विपक्ष का हंगामा जारी रहा था, वहीं अडानी मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट की जांच में भेजने के बावजूद भी पूरा सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया था। यहाँ तक कि, यदि हंगामा करने वाले कुछ सांसदों को निलंबित कर दिया जाता है, तो उन निलंबित सांसदों का मुद्दा बनाकर अन्य विपक्षी सांसद हंगामा शुरू कर देते हैं और फिर सदन की कार्रवाई स्थगित पर स्थगित होती जाती है। अब इस बार देखना ये है कि, क्या हर बार की तरह इस बार भी संसद सत्र शुरू होने से ठीक पहले कोई मुद्दा विपक्ष के हाथ लगता है, या फिर सरकार अपने बिल पारित करवाने में कामयाब रहती है। उम्मीद है इस बार संसद में सार्थक चर्चा होगी और सवाल-जवाब के साथ काम भी होगा, लेकिन हंगामा और सदन स्थगन नहीं।

*एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना के चुनावी नतीजों को क्यों कहा जा रहे 2024 का सेमीफाइनल? जानें बीजेपी के लिए कैसे है अच्छे संकेत*

#mpchhattisgarhrajasthanelectionresultsemifinalof2024_election

मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के विधानसभा चुनाव को 2024 का सेमीफाइनल माना जा रहा है।देश के पाँच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में से चार राज्यों के नतीजे आज आने शुरू भी हो गए हैं। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान जैसे हिंदी भाषी राज्यों और दक्षिण भारत के तेलंगाना राज्य के चुनावी नतीजे आ रहे हैं। वहीं मिज़ोरम के चुनाव परिणामों को एक दिन के लिए आगे बढ़ा दिया गया है। मिज़ोरम विधानसभा चुनाव के नतीजे 4 नवंबर को आएंगे।अब तक मिले रूझानों में चार में से तीन राज्यों यानी मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कमल खिलता दिख रहा है। जी हैं, रूझानों में बीजेपी ने इन तीन राज्यों में बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। वहीं, तेलंगाना में कांग्रेस को बहुमत मिलता दिख रहा है। 

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए इन राज्यों के परिणामों को एक तरह से सेमीफ़ाइनल के तौर पर देखा जा रहा है।इन पाँच राज्यों के परिणामों को सेमीफ़ाइनल इस वजह से भी कहा जा रहा है क्योंकि अगले ही साल लोकसभा चुनाव हैं और इन राज्यों में अच्छी ख़ासी लोकसभा सीटें हैं।मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें, राजस्थान में 25 सीटें, छत्तीसगढ़ में 11 सीटें, तेलंगाना में 17 सीटें और मिज़ोरम में सिर्फ़ एक सीट है। इन सीटों को जोड़ दिया जाए तो इनका योग 83 हो जाता है।इन राज्यों में जिस भी पार्टी की सरकार बनती है तो वो लोकसभा चुनाव की सीटों पर जीत को लेकर भी आश्वस्त रहेगी।

क्या कहते हैं राजस्थान के आंकड़े?

राजस्थान की बात करें तो, राजस्थान में 1998 में हुए विधानसभा और लोकसभा चुनाव का वोटिंग पैटर्न बिल्कुल अलग है। भले ही दोनों चुनाव के बीच कुछ महीने का अंतर हो, लेकिन दोनों के रिजल्ट का एक दूसरे पर कोई खास असर नहीं पड़ता। जैसेःसाल 1998 के विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत की अगुवाई में कांग्रेस सरकार बंपर वोट से सत्ता में आई तो अगले साल यानी 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा भारी पड़ी। 2003 से लेकर 2014 तक यह परिणाम बदल गए। जो पार्टी विधानसभा चुनाव जीतती थी वो लोकसभा चुनावों में और भी बड़े अंतर से चुनाव जीतती। हालांकि, साल 2018 में ये पैटर्न बदला क्योंकि उस साल कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव जीता लेकिन 2019 में बीजेपी ने 25 में से 24 सीटें जीती थीं जबकि एक सीट आरएलपी ने जीती थी।

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश की सियासत भी लगभग राजस्थान जैसी है। 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बाजी मारी तो अगले साल हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी भारी पड़ी। 2003-2004 में हुए विधानसभा व लोकसभा चुनाव दोनों में बीजेपी का पलड़ा भारी रहा। 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन अगले साल हुए लोकसभा चुनाव में अपना प्रदर्शन दोहरा नहीं पाई।साल 2013 में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव जीता तो वहीं 2014 में भी बीजेपी ने और भी बड़े अंतर से लोकसभा की सीटें जीती थीं।2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब रहे लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ़ एक सीट पर सिमट गई।

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में लोकसभा की 11 सीटे हैं, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां से 9 सीटें अपने नाम की थी। हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में 15 सालों से लगातार सत्ता पर काबिज रमन सिंह की सरकार को कांग्रेस ने बेदखल कर दिया था और 90 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 68 पर शानदार जीत हासिल की थी और बीजेपी को 15 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा, लेकिन एक साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हार का बदला ले लिया।

तेलंगाना

साल 2013 में गठन के बाद से तेलंगाना में अब तक दो विधानसभा और दो लोकसभा चुनाव हुए हैं। विधानसभा चुनावों में जहां बीआरएस (पहले टीआरएस) ने भारी जीत दर्ज की। वहीं लोकसभा चुनावों में मिले-जुले परिणाम रहे।तेलंगाना की 119 विधानसभा सीटों में से बीजेपी के पास भले ही 3 विधायक हैं, लकिन 17 सांसदों वाले इस राज्य में उसके सांसद 4 हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खाते में 4 सीटें, कांग्रेस के पास 3 सीटें, बीआरएस को 9 और अन्य को एक सीट पर जीत मिली थी।

*3 में से 4 राज्यों से बीजेपी की सरकार, एमपी-राजस्थान और छत्तीसगढ़ से आ रही खुशखबरी

#4_state_assembly_election_results

आज चार राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित किए जा रहे हैं। चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कमाल का प्रदर्शन किया है। रुझानों में तीन राज्यों में बीजेपी को बहुमत मिलता दिख रहा है। एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी बहुमत हासिल कर ली है। वहीं, तेलंगाना में कांग्रेस को बहुमत मिला है। 

चार राज्यों के रुझान लगभग-लगभग वैसी ही तस्वीर पेश कर रहे हैं, जिसका अनुमान एग्जिट पोल्स और राजनीतिक विश्लेषकों ने लगाया था। सबसे पहले बात मध्य प्रदेश की। सुबह आठ बजे जब मतगणना की शुरुआत हुई तो भाजपा के मुकाबले कांग्रेस एक सीट से आगे थी, लेकिन सुबह साढ़े नौ बजे तक यहां तस्वीर पलट गई और भाजपा बहुमत के आंकड़े को पार कर गई। राजस्थान में भी ऐसा ही था। कांग्रेस ने शुरुआत तो बढ़त के साथ की, लेकिन मतगणना शुरू होने के 15 मिनट बाद ही वह भाजपा से पिछड़ गई। डेढ़ घंटे बाद कांग्रेस के मुकाबले भाजपा तकरीबन 20 सीटों से आगे हो गई। छत्तीसगढ़ में शुरुआती नब्बे मिनट के रुझानों में कांग्रेस भाजपा से आगे रही, लेकिन 91वें मिनट से मामला बराबरी पर आ गया। उधर, तेलंगाना में बीआरएस शुरुआत से ही पीछे रही और कांग्रेस मजबूती के साथ बहुमत के आंकड़ों से आगे निकल गई।

कौन कितनी सीटों पर आगे

राजस्थान: बीजेपी- 114, कांग्रेस 68

मध्य प्रदेश: बीजेपी- 155, कांग्रेस 68

छत्तीसगढ़: बीजेपी-48, कांग्रेस 38

तेलंगाना: बीआरएस-37, कांग्रेस-59 और बीजेपी-9

राजस्थान के रुझानों में बीजेपी को बहुमत, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत बोले- 'जादूगर का जादू खत्म हो गया'

#rajasthan_assembly_election_result_2023

राजस्थान में 196 सीटों का रुझान आ गया है। रूझानों में बीजेपी ने बहुमत का आंकड़ा छू लिया है। यहां बीजेपी 101 सीट और कांग्रेस 77 सीटों पर आगे है। अन्य ने 17 सीटों पर बढ़त बना रखी है

जादूगर का जादू खत्म हो गया है-शेखावत

राजस्थान के रुझानों पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि 'जादूगर का जादू खत्म हो गया है। भाजपा इस चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ जीतेगी....राजस्थान की जनता ने हकीकत पर वोट दिया है..मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार बनाएगी।'

Party Won Leading Total

Bharatiya Janata Party - BJP 0 101

101

Indian National Congress - INC 0 77

77

Bahujan Samaj Party - BSP 0 3

3

Bharat Adivasi Party - BHRTADVSIP 0 3

3

Communist Party of India (Marxist) - CPI(M) 0 1

1

Rashtriya Lok Dal - RLD 0 1

1

Rashtriya Loktantrik Party - RLTP 0 1

1

Bhartiya Tribal Party - BTP 0 1

1

Independent - IND 0 8

8

Total 0 196 196

तेलंगाना में बहुमत की ओर कांग्रेस, रूझानों के बाद हैदराबाद में जश्न शुरू

#telangana_assembly_election_result

तेलंगाना विधानसभा चुनाव को लेकर वोटों की गिनती जारी है। 119 सीटों के लिए 30 नवंबर को तेलंगाना में वोटिंग हुई थी। आज सुबह से वोटों की गिनती का काम जारी है। राज्य में विधानसभा की कुल 119 सीटें है और सरकार बनाने के लिए 60 सीटों की जरूरत है। जिस दल को भी 60 सीटों हासिल हो जाएगी वह प्रदेश में बहुमत हासिल कर सरकार बनाने का दावा पेश करेगी। 

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में कांग्रेस ने बढ़त बनाई है। 119 सीटों में से 90 सीटों के रूझान आ गए हैं। जिसमें कांग्रेस 53 सीटों पर आगे है। वहीं केसीआर की बीआरएस 30 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। बीजेपी के हाथों अब तक 6 सीटें मिलती दिख रही हैं। 

Party Won Leading Total

Indian National Congress - INC 0 53

53

Bharat Rashtra Samithi - BHRS 0 30

30

Bharatiya Janata Party - BJP 0 6

6

Communist Party of India - CPI 0 1

1

Total 0 90 90

रुझानों में छत्तीसगढ़ में कांटे की टक्कर, पल-पल बदल रहे आंकड़े

#chhattisgarh_election_result

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना 8 बजे से शुरू हो चुकी है। सभी 90 विधानसभा सीटों पर मतगणना हो रही है। छत्तीसगढ़ में पल-पल रुझान बदल रहे हैं। यहां, बीजेपी और कांग्रेस में कांटे की टक्कर देखी जा रही है।

चुनाव आयोग के मुताबाकि अब तक 64 सीटों पर वोटों की गिनती पूरी हो चुकी है। आंकड़ो के मुताबिक बीजेपी 34 सीटों पर बढ़ बनाए हुए हैं। वहीं कांग्रेस 28 सीटों पर आगे है। इसके अलावा एचआरपी और सीपीआई 1-1 सीटों पर आगे चल रही है।बता दें कि छत्तीसगढ़ में कुल 90 सीटें हैं, यहां सरकार बनाने के लिए 60 सीटों पर जीत जरूरी है। 

Party Won Leading Total

Bharatiya Janata Party - BJP 0 34

34

Indian National Congress - INC 0 28

28

Hamar Raj Party - HMR 0 1

1

Communist Party of India - CPI 0 1

1

Total 0 64 64

राजस्थान के रुझानों में खिला “कमल”, बीजेपी निकल रही आगे

#ajasthan_election_result

राजस्थान की 199 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव के नतीजे आज घोषित हो रहे हैं। सुबह 8 बजे से वोटों की गिनती जारी है। इस चुनाव में अशोक गहलोत से लेकर वसुंधरा राजे तक, कांग्रेस और बीजेपी के कई दिग्गजों की साख दांव पर लगी है।

राजस्थान में 193 सीटों का रुझान आ गया है। यहां बीजेपी 99 सीट और कांग्रेस 73 सीटों पर आगे है।राजस्थान की टोंक सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट पीछे चल रहे हैं। वहीं सरदारपुरा से सीएम अशोक गहलोत आगे चल रहे हैं। 

Bharatiya Janata Party - BJP 0 99

99

Indian National Congress - INC 0 73

73

Bharat Adivasi Party - BHRTADVSIP 0 4

4

Bahujan Samaj Party - BSP 0 3

3

Communist Party of India (Marxist) - CPI(M) 0 2

2

Rashtriya Lok Dal - RLD 0 1

1

Rashtriya Loktantrik Party - RLTP 0 1

1

Bhartiya Tribal Party - BTP 0 1

1

Independent – IND 0 9

9

Total 0 193 193