दक्षिण एशिया बिरादरी की 33वीं कान्फ्रेंस
कानपुर- हरिहर नाथ शास्त्री भवन, खलासी लाइन में दक्षिण एशिया बिरादरी नई दिल्ली की 33वी कांफ्रेंस (Unity in Diversity) आयोजित हुई। कांफ्रेंस का उदघाटन दक्षिण एशिया बिरादरी के चेयरमैन सत्यपाल ने दीप जलाकर किया। अपने स्वागत भाषण में बोलते हुए उन्होंने कहा की भारत विविधता में एकता का श्रेष्ठतम उद्धरण है। यह जन्मस्थली हैं हिंदूइस्म, बुद्धिज्म, जैनिज़्म, सिखिस्स व क्रिश्चियनिटी की। सभी धर्मों को न केवल भारत के लोगों में अपितु भारत की सरकारों ने भी मान्यता दी है व विभिन्न धर्मो के प्रमुख त्योहारों पर राजकीय छुट्टियां भी घोषित की जाती हैं। विविधता में एकता का बेहतर उदाहरण देखना हो तो हमारे देश में विभिन्न धर्मो, जातियों, भाषाओं व खान पान की संस्कृतियों का संगम देखें। यह संगम कानपुर के इस सभागार में हुआ है। हमारे देश में २२ मान्यताप्राप्त भाषाओं को भारतीय संविधान में स्थान दिया गया है, अगर हम इस विविधतापूर्ण देश को विश्व के सभी देशों के Roll Model बनाएं तो हम "वसुधैव कुटुम्बकम" के सपने को साकार कर सकते हैं।
केरल से आईं चित्रा सुकुमारन ने कहा कि हमें सहिष्णुता से परिपूर्ण नागरिक तैयार करने होंगे और साथ ही किसी एक भाषा पर अपनी पकड़ भी बनानी होगी। अपनी मातृभाषा के साथ डा० चितरंजन साहनी (उड़ीसा) ने कहा की हम रंगकर्मी हैं हम अपनी कला के जरिये विविधता में एकता मजबूत करेंगे। नेपाल के साथी दशरथ महंत ने कहा कि भारत व नेपाल सदियों से धार्मिक तथा सांस्कृतिक विरासत से जुड़े हैं।
सायंकाल दक्षिण एशिया कांफ्रेस के प्रतिनिधियों ने अपने अपने राज्यों की सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। इसके पूर्व डा० एस, एन. सुब्बाराव स्मृति सम्मान गांधी शांति प्रतिष्ठान की ओर से सत्यपाल जी को प्रदान किया गया व संस्था के उपाध्यक्ष दीपक मालवीय जी को जगदम्बा भाई दवारा प्रदान किया गया। कार्यक्रम में 10 राज्यों के 60 प्रतिनिधि शामिल हुए। इन सभी का उद्देश्य दक्षिण एशिया के देशों के बीच मानव व मानव के मध्य सम्पर्क स्थापित करना व उसे मजबूत करना था। कार्यक्रम को प्रमुख रूप से श्री सत्यपाल जी, श्री दीपक मालवीय, श्री नौशाद आलम मंसूरी, श्री रामकिशोर बाजपेई, डा० वी० एन० सिंह, श्री शिव कुमार दीक्षित आदि ने संबोधित किया !
Nov 18 2023, 13:53