रामलीला के दौरान सीता हरण के मंचन से भाव विभोर हुए लोग
गोरखपुर। गोला तहसीलक्षेत्र के ब्लॉक गगहा अंतर्गत ग्राम सभा भूपगढ़ में मेला समिति के तत्वाधान में चल रहे रामलीला के पांचवें दिन शनिवार को कुशल कलाकारों द्वारा सीता हरण का मंचन किया गया।
लक्ष्मण द्वारा बहन सुरपड़खा का नाक कान कटने से आहत रावण ने बहन के अपमान का बदला लेने के लिए मामा मारीच को सोने का हिरन बनाकर वन में भेजा और अपने राम और लक्ष्मण को कुटिया से बाहर जाने की प्रतिक्षा कर रहा था। जैसे ही राम लक्ष्मण कुटिया से वाहर जाते हैं। राबण ब्राह्मण का भेष धारण कर सीता के सामने पहुंच कर भिक्षां देहि। का अलख जगाता है। माता सीता आवाज सुन कर कुटिया के बाहर आती है। और भिक्षु रुपी रावण को भिक्षा देने लगी, परन्तु वे अब भी कुटिया के भीतर ही थी। तब रावण क्रोधित होने का नाटक करते हुए कहता है कि "किसी सन्यासी को बंधन में रह कर भीक्षा नही दी जाती, आप इस कुटिया के बंधन से मुक्त होकर भीक्षा दे सकती है तो दें, वर्ना हम बिना भिक्षा लिए ही लौट जाएंगे।
रावण के इस कपट से अंजान माता सीता ने कहा कि हे देव हमें आदेश हैकि हम इस कुटिया से बाहर न जाऊ, अतः आप यही से भिक्षा ग्रहण करें। तब रावण भिक्षा न लेते हुए खाली हाथ वापस जाने लगा। ब्राह्मण भिक्षु को खाली हाथ वापस जाते देख माता सीता लक्ष्मण रेखा से बाहर निकल कर भिक्षा देने जाती है। उसी क्षण कपटी रावण अपने असली रुप में आकर माता सीता को बल पुर्वक खीच कर अपने पुष्पक मे बैठा कर लंका की तरफ निकल दिया।यह भाऊक कर देने वाला दृश्य देख लोग भावविभोर हो गये। राम लीला मंच समिति के आयोजक धर्मेन्द्र सिंह, एच के राय, गोरखनाथ चतुर्वेदी, विपिन सिंह, प्रभूनाथ यादव, यसवंत सिंह सहित सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद रहे।
Oct 29 2023, 19:28