*कैथौली की लालेश्वरी दुर्गा माता करती हैं सबकी मुरादें पूरी, दूर दराज से आते हैं भक्त*
गोरखपुर। गोला तहसील क्षेत्र के ग्राम सभा बरईपूरा उर्फ़ पड़ौली स्थित कैथौली टोला में स्थापित लालेश्वरी दुर्गा माता मंदिर पर जो भी भक्त श्रद्धा व सच्चे हृदय से पहुँचता माता भक्तों की मुरादे पूरा करतीं है। माता के मंदिर पर हमेशा श्रद्धालुओं भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है लेकिन नवरात्र के दिनों में विशेष भीड़ का मंजर देखने को मिलता है बताते चलें गोला ब्लॉक मुख्यालय से लगभग 3 किमी उत्तर गोला कौड़ीराम सड़क मार्ग पर सड़क के पश्चिम किनारे कायस्थ बिरादरी का गाँव है जो ग्रामसभा बरईपुरा उर्फ़ पड़ौली का टोला है गाँव के ही निवासी मुरारी लाल श्रीवास्तव जो मूल रुप से सिकरीगंज थाना क्षेत्र के ग्राम भूमि धर निवासी थे वह अपने मामा कैथौली निवासी रामलोचन श्रीवास्तव के पास कोई औलाद ना होने के कारण उनकी संपत्ति के मालिक बने स्वर्गीय रामलोचन श्रीवास्तव की बहन गेंदा देवी थी जिनका विवाह जमुनालाल श्रीवास्तव के साथ हुआ था ।
इनके पांच लड़के थे बेनीमाधव छोटे लाल मुराली लाल ज्वाला प्रसाद राधेश्याम श्रीवास्तव सभी लोग अच्छे पदों पर तैनात थे मुरारी लाल श्रीवास्तव केंद्रीय गुप्तचर विभाग में तैनात थे मंदिर की स्थापना के विषय में मुरारी लाल श्रीवास्तव बताते हैं कि 5 मई 1984 को जब हम इलाहाबाद में तैनात थे तो अपने कमरे पर सोए हुए थे हमें एक दिवास्वप्न हुआ माँ वैष्णो देवी मंदिर में पहुँच गया हूँ लाखों की भीड़ बैठी हुई है इस भीड़ में माताजी ने मेरा नाम लेकर पुकारा मैं अपने स्थान से उठकर खड़ा हो गया और माता ने कहा जल्द से जल्द तुम्हें हमारे स्थान पर आना है मेरी नींद खुली 8 मई 1984 को मैं अपने विभाग के अधिकारी के एन श्रीवास्तव के साथ वैष्णो देवी पहुंचा रात में दर्शन पूजा पाठ करने के बाद हम लोग पुलिस गेस्ट हाउस में जाकर सोए करीब 11:00 बजे रात को सोने में माता जी मेरे पास आयी और स्वप्न में कहीं की पुत्र तुम्हें ठंडक लग रहा है उनके आने के बाद ठंडक समाप्त हो गया और कहीं की तुम अपने पैतृक गांव पर मेरे मंदिर का निर्माण करो माँ के आदेश पर मैंने वहां संकल्प लिया और घर आया 1984 से लेकर 1994 तक मंदिर बनवाने के लिए भटकता रहा।
16 मई 1994 को इस मंदिर की स्थापना कैथौली गांव में हुई 12 मई 1997 को मंदिर में दुर्गा माता का प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुआ 30 जून 1995 को मै सेवा निवृत्त होकर घर आ गया मंदिर के स्थापना के बाद माता की सेवा में लग गया माता की कृपा से पूरा परिवार आगे उन्नति के मार्ग पर बढ़ता गया माता का मंदिर बन जाने के कारण क्षेत्र के लोगों की मंदिर के प्रति आस्था बढ़ीऔर माता के दरबार में लोगों का आना शुरू हुआ जो भी माता के दरबार में सच्चे ह्रदय से श्रद्धा के साथ पहुंचा मां उनकी मन्नते को पूरा कर दिया। इस मंदिर पर माता की सेवा करने के लिए बगल के गांव के पंडित प्रमोद नारायण शुक्ल को पुजारी नियुक्त किया जो मंदिर पर पूजा-पाठ करने के साथ-साथ मंदिर का देखभाल भी करते हैं मंदिर पर वर्ष पर्यंत भक्तों की भीड़ लगी रहती है लेकिन नवरात्र के दिनों में यह भीड़ का मंजर काफी मात्रा में बढ़ जाता है लोग आकर दर्शन करते हैं और पूजा-पाठ कथा कढ़ाई चढ़ाते हैं इस माता के स्थान कि स्थापना हुए दो दशक बीत गए माता के स्थान की प्रसिद्धि चारों तरफ हो जाने के कारण गांव के ही नहीं आस पास गाँव के साथ आस पास के जनपद के लोग भी आकर माता के दरबार में मत्था टेकते हैं और अपनी मन्नतें मानते हैं और माँ सबकी मन्नतों को करती हैं।मंदिर के संस्थापक मुराली लाल श्रीवास्तव का कुछ बर्ष पूर्व निधन हो गया अब मंदिर की ब्यवस्था उनके परिवार के लोग सम्भाल रहे है।
Oct 23 2023, 17:53