मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं हैः आचार्य पंडित चतुर नारायण पराशर
गोरखपुर- गोला तहसील क्षेत्र के ब्लॉक गोला के ग्राम सभा बरईपुरा उर्फ पडौली के कैथवली गांव में चल रहे स्मृतिशेष श्री लक्ष्मी नारायण श्रीवास्तव द्वारा संकल्पित मां दुर्गा की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा एवं श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन वृंदावन के वानप्रस्थ धाम आश्रम से पधारे कथा वाचक आचार्य पं० चतुर नारायण पराशर ने कथा का रसपान कारते हुए कहते हैं कि मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है। हमारे द्वारा जैसा कर्म किया जाता है। वैसा ही भाग्य निर्मित हो जाता है, हमने पहले जो कर्म किये हैं। वह आज हमारा भाग्य बनकर सामने उपस्थित है, और आज हमारे द्वारा जो कुछ किया जा रहा है। वह हमारा प्रारब्ध बनेगा ।उन्होंने कर्म की प्रधानता पर बल देते हुए कहा कि कर्म प्रधान विश्व करि राख, जो जस करई सो तस फल चाखा। जो जैसा शुभ अशुभ कर्म करता है उसको वैसा ही फल प्राप्त होता है, इसलिए मनुष्य को भाग्यवादी बनकर नहीं बैठना चाहिए वरन कर्म पथ पर निष्ठा पूर्वक लगे रहना चाहिए।
आचार्य जी ने महारास का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि आत्मा और परमात्मा का मिलन ही महारास है जीवात्मा और परमात्मा दोनों का एकत्व ही रास है परमात्मा रस रूप है उसके साथ जीव का मिलान ही रास है। कथा में श्री कृष्ण के वृंदावन से मथुरा गमन का प्रसंग बड़ी भावुकता के साथ सुनाया जिसे सुन सभी श्रोता भावुक हो गए। कंस वध का प्रसंग बडी रोचकता के साथ प्रस्तुत किया।
कथा के समापन में रुक्मिणी कृष्ण विवाह का उत्सव मनाया गया जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने श्री कृष्ण की बारात निकाल कर रुक्मिणी कृष्ण विवाह संपन्न कराया। कथा के मुख्य यजमान जयप्रकाश श्रीवास्तव ने परिवार जनों के साथ रुक्मिणी जी का कन्यादान किया।प्राण प्रतिष्ठा के क्रम में नूतन प्रतिमाओं को रथ में बैठाकर नगर भ्रमण कराया गया कल सभी देव प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा होगी।मुख्य यजमान - जयप्रकाश श्रीवास्तव और श्रीमती शिशकाला श्रीवास्तवरहे।
इस अवसर पर मुख्य रूप से जगदीश श्रीवास्तव, गिरीश लाल श्रीवास्तव, लाला संकल्प श्रीवास्तव, लाला आर्यन श्रीवास्तव, आशीष श्रीवास्तव, देवप्रकाश श्रीवास्तव, शिवप्रकाश श्रीवास्तव, अर्धव श्रीवास्तव एवं समस्त ग्रामवासी लोग उपस्थित रहे.
Oct 21 2023, 19:27