*डेंगू है साधारण बुखार, असावधानी पहुंचा सकती है अस्पताल*
गोरखपुर, अन्य वायरल बुखार की तरह डेंगू भी एक साधारण बुखार है, लेकिन लोगों की असावधानी उन्हें अस्पताल पहुंचा सकती है । एडी हेल्थ गोरखपुर मंडल डॉ आईबी विश्वकर्मा ने कहा है कि इस मौसम में बुखार का कोई भी लक्षण दिखने पर बिना चिकित्सक की सलाह के दवा का सेवन ही जटिलताएं बढ़ाताहै । गोरखपुर मंडल के सभी सरकारी अस्पतालों में डेंगू जांच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है। इस बीमारी के 95 फीसदी मरीजों को न तो भर्ती करने की आवश्यकता है और न ही प्लेटलेट चढ़ाने की ।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस मंडल स्तरीय जिला चिकित्सालय में डेंगू वार्ड के नोडल अधिकारी डॉ राजेश और वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ बीके सुमन का कहना है कि उन्हीं मरीजों को भर्ती किया जा रहा है जिनमें उल्टी, अत्यधिक कमजोरी, दर्द, चक्कर आना, चकत्ते पड़ने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं । मरीजों में यह लक्षण भी एक दो दिन में नहीं आ रहे हैं । ज्यादातर लोग बुखार आने पर मेडिकल स्टोर से दवा खरीद कर खा लेते हैं और कई बार ऐसी दवाएं भी खा लेते हैं जिन्हें डेंगू मरीज को देना मना है । दवाओं से बुखार उतरते ही शारीरिक श्रम भी करने लगते हैं, जिसकी वजह से भर्ती होने की स्थिति बन जाती है । चिकित्सक द्वारा मरीज को बुखार उतरने के बाद भी बेड रेस्ट की सलाह दी जाती है ।
इसी अस्पताल के प्राइवेट वार्ड से डेंगू का इलाज करवाने वाले 48 वर्षीय दुर्गेश त्रिपाठी बताते हैं कि उन्हें करीब बारह दिन पहले बुखार आया था । बुखार के साथ हल्की ठंड भी महसूस हुई थी। उन्होंने मेडिकल स्टोर से दवा का सेवन किया और पांचवे दिन आराम महसूस हुआ तो अपना दैनिक कार्य करने लगे । अचानक दो दिन बाद फिर तबीयत बिगड़ गई और चक्कर भी आने लगा । परिजनों ने अस्पताल में भर्ती कराया तो प्लेटलेट 64000 पहुंच चुका था । शरीर काफी कमजोर हो चुका था। उनका मच्छरदानी में रख कर इलाज हुआ । वह बताते हैं कि चिकित्सकों ने उन्हें समझाया कि प्लेटलेट चाहे 10000 तक क्यों न आ जाए, जब तक ब्लीडिंग जैसे लक्षण नहीं दिखते हैं प्लेटलेट चढ़ाने की आवश्यकता नहीं है ।इस तरह मन में सकारात्मक भाव आए और वह सामान्य इलाज से भी ठीक हो गये ।
अस्पताल के नोडल अधिकारी प्रशासन डॉ प्रशांत अस्थाना बताते हैं कि भर्ती मरीजों को भोजन, दवा और सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं । प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ राजेंद्र ठाकुर खुद भी राउंड लेते हैं । प्लेटलेट चढ़ाने पर लोगों का ज्यादा जोर रहता है जबकि इसे तभी चढ़ाने की आवश्यकता है, जबकि ब्लीडिंग जैसे लक्षण दिखें । अगर यह लक्षण हैं तो एक लाख प्लेटलेट होने की दशा में भी इसे चढ़ाना पड़ेगा। लक्षण नहीं है तो 10000 प्लेटलेट तक भी चढ़ाने की आवश्यकता नहीं होती है ।
हालत बिगड़ी तो पहुंचे अस्पताल
मंडल स्तरीय जिला अस्तपाल से स्वस्थ हो चुके 28 वर्षीय सूरज ने पहले मोहल्ले के झोलाछाप से इलाज कराया। जब तबीयत ज्यादा बिगड़ गई तो सरकारी अस्पताल आए ।गोरखपुर के जाफरा बाजार निवासी संजय (52) को ठंड के साथ बुखार आया तो मेडिकल स्टोर से दवा ली। बुखार उतरा और काम करते रहे । हालत बिगड़ी तो अस्पताल आना पड़ा । नरसिंहपुर निवासी रेखा (35) ने भी पहले मोहल्ले के झोलाझाप से दवा लिया था। जब कमजोरी बढ़ने लगीं तो जिला अस्पताल पहुंचीं। अब वह स्वस्थ हैं।
बुखार हो तो यह करें
• प्रशिक्षित चिकित्सक को दिखाएं
• चिकित्सक की निगरानी में दवा के साथ पर्याप्त बेडरेस्ट लें
• तरल भोज्य पदार्थों का सेवन करें और खूब पानी पिएं
• तीव्र बुखार की स्थिति में 108 एंबुलेंस की सहायता से अस्पताल पहुंचें
बुखार हो तो यह न करें
• अपने मन से दवा न लें
• शारीरिक श्रम न करें
• बुखार उतरने लगे तो निश्चिंत न हों
• बुखार ठीक होने के बाद भी बेडरेस्ट लें
1000 से अधिक बेड की व्यवस्था
एडी हेल्थ डॉ विश्वकर्मा ने बताया कि गोरखपुर मंडल में (अर्ली ट्रिटमेंट सेंटर) ईटीसी, पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पिकू), मिनी पिकू, जिला स्तरीय अस्पतालों के डेंगू वार्ड और मेडिकल कॉलेज मिला कर 1000 से अधिक बेड की सुविधा सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है, जहां आवश्यकता पड़ने पर डेंगू मरीज को भर्ती कर सकते हैं । लोगों की कोशिश हो कि बुखार होने पर तुरंत चिकित्सक से सम्पर्क करें ताकि भर्ती होने की नौबत ही न आए । मंडल के सभी चारों जिले मिला कर इस साल 450 से अधिक डेंगू मरीज अभी रिपोर्टेड हुए हैं ।
Oct 20 2023, 16:41