गोरखपुर में फिर दागदार हुई खाकी: गांजा तस्करी करते दरोगा साथी संग पकड़ा गया, नेपाल से गांजा मंगवाकर करता था सप्लाई
गोरखपुर में खाकी एक बार फिर दागदार हुई है। गोरखपुर पुलिस का दरोगा अपने साथी संग चरस तस्करी करते हुए पकड़ा गया है। उसके पास से शाहपुर पुलिस ने 33 किलो अवैध चरस बरामद किया है। दरोगा अपने साथी संग नेपाल से चरस मंगवाकर उसे यहां तस्करों को सप्लाई करता था। पकड़ा गया आरोपी दरोगा रविंद्र कुमार शुक्ला लखनऊ का रहने वाला है और वे यहां समन सेल में तैनात था।
इससे पहले वे महाराजगंज जिले में भी तैनात रह चुका है। जबकि, उसका साथी कुलवीर सिंह तिवारीपुर इलाके के सूरजकुंड कॉलोनी का रहने वाला है।
दोनों एक अटैची और एक पिट्ठू बैग में चरस भरकर स्कूटी से सप्लाई करने जा रहे थे। तभी असुरन पुल से नीचे उतरते ही पुलिस ने उन्हें दबोच लिया। फिलहाल शाहपुर पुलिस ने दोनों के खिलाफ NDPS एक्ट के तहत केस दर्ज कर मामले की पड़ताल शुरू कर दी है।
नेपाल से मंगाई थी गांजा की खेप
पुलिस की FIR के मुताबिक, इंस्पेक्टर शशि भूषण राय अपने साथी हमराहियों संग गश्त पर थे। तभी मुखबिर से सूचना मिली कि मादक पदार्थों की तस्करी करने वाला गैंग चरस की सप्लाई करने नक्को बाबा शाह की मजार से होते हुए असुरान की तरफ जाने वाला है।
पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर घेराबंदी शुरू कर दी। तभी एक स्कूटी पर सवार दो व्यक्तियों को आते देख जैसे ही पुलिस ने उन्हें रुकने का इशारा किया, वे भागने लगे। लेकिन, पुलिस ने उन्हें दौड़ाकर दबोच लिया।
अटैची और बैग में भरकर ले जा रहे थे गांजा आरोपियों की स्कूटी के आगे एक अटैची रखी थी। जबकि, पीछे बैठे शख्स ने पिट्ठू बैग ले रखा था। पुलिस ने जब अटैची और पिट्ठू बैग की तलाशी ली तो उसमें गांजा मिला। पुलिस ने गांजा अपने कब्जे में लेकर दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
स्कूटी चला रहे आरोपी की पहचान तिवारीपुर इलाके के सूरजकुंड कॉलोनी सिंह साहब का मकान के रहने वाले कुलवीर सिंह और पीछे बैठे आरोपी की पहचान लखनऊ के ओमनगर आलमबाग के रहने वाले रविंद्र कुमार शुक्ला के रुप में हुई।
बरामद गांजा का जब पुलिस ने वजन कराया था दरोगा रविंद्र सिंह के पास से पिट्ठू बैग में 10.490 किलोग्राम और कुलवीर सिंह के पास बरमद अटैची से 22.500 किलोग्राम यानी कि 33 किलो गांजा बरामद हुआ। पुलिस ने बरामद गांजा को जब्त कर लिया।
तस्करों को करनी थी गांजा की सप्लाई पूछताछ के दौरान रविंद्र शुक्ला ने पुलिस को बताया, वो यूपी पुलिस में दरोगा है और अभी गोरखपुर पुलिस के समन सेल में तैनात है। इससे पहले वो महाराजगंज जिले में भी तैनात रहा है। दोनों आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वे नेपाल से गांजा मंगाकर यहां स्कूटी से तस्करों को सप्लाई करते हैं।
एक बाहर की पार्टी को गोरखपुर में गांजा की खेप सप्लाई करनी थी। लेकिन, इससे पहले पुलिस ने उन्हें दबोच लिया।
पहले भी कई बार लगा है खाकी पर कलंक हालांकि, खाकी के दागदार होने का गोरखपुर में यह कोई पहला मामला नहीं है। बल्कि इससे पहले भी मनीष गुप्ता हत्याकांड से लेकर कई मामलों में खाकी पर कलंक लगा है। जबकि, कई मामलों में क्राइम रोकने वाली पुलिस खुद क्राइम कर जेल भी गई है।
ऐसे में एक बार फिर दरोगा का चरस तस्करी में शामिल होने की बात सामने आते ही पुलिसवालों के पुराने कारनामों की भी चर्चा होने लगी है।
आइए, गोरखपुर पुलिस के कुछ चर्चित कारनामें जानते हैं, जिनमें पुलिस वाले ही जेल गए...
गोरखपुर में खाकी पर कलंक की लंबी है फेहरिस्त
केस:1
11 अक्टूबर 2022 को नीलामी की आड़ में बड़हलगंज थाने के दीवान ने कबाड़ी को 22 लावारिस बाइक बेच दी। संदेह होने पर थानेदार ने छानबीन शुरू की तो दीवान और व्यवसायी रंगेहाथ पकड़ लिए गए। पूछताछ में भेद खुलने पर SSP के निर्देश पर थाने के दीवान और आटो पार्ट्स विक्रेता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर बड़हलगंज थानेदार ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। व्यवसायी के गोदाम से पुलिस को 38 बाइक मिली, जिसमें 22 थाने से चुराई गई थी।
केस:2
खजनी इलाके के मऊधरमंगल गांव में बीते 24 जुलाई, 2022 को लखनऊ में तैनात सिपाही प्रमोद यादव ने अपने भाई एसएसबी जवान भागवान दास यादव के साथ मिलकर बवाल किया। प्रमोद यादव ने पिस्टल से दो लोगों को गोली मार दी।
पुलिस हत्या की कोशिश व अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज भगवान दास को जेल भेज चुकी है, जबकि प्रमोद यादव की तलाश में दबिश दे रही है।
केस:3
27 सितंबर 2021 को रामगढ़ताल इलाके के होटल कृष्णा पैलेस में कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की हत्या हुई थी। इस मामले में तत्कालीन इंस्पेक्टर जेएन सिंह, दरोगा अक्षय मिश्रा, राहुल दुबे, विजय यादव, सिपाही कमलेश यादव, प्रशांत सिंह हत्या के आरोपी बनाए गए थे। वर्तमान में सभी जेल में बंद हैं।
केस:4
21 जनवरी 2021 को स्वर्ण व्यापारी का अपहरण कर नौसड़ के पास 30 लाख रुपये की लूट हुई। पुलिस ने पर्दाफाश कर बस्ती में तैनात दरोगा धर्मेंद्र यादव, सिपाही महेंद्र यादव व संतोष यादव को गिरफ्तार कर लूटे गए जेवर व नकदी को बरामद किया था। जांच में यह भी पता चला कि पुलिसकर्मियों ने इससे पहले 80 लाख के जेवर भी लूटे थे। सभी जेल भेजे गए थे।
केस:5
4 मार्च 2021, को शाहपुर इलाके में एक नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप के वीडियो वायरल होने के मामले में चौकी प्रभारी और सिपाही को निलंबित कर दिया गया है।
इसके बाद इस मामले में तत्कालीन एसएसपी जोगेंद्र कुमार के आदेश पर पीड़िता के बयान के आधार पर चौकी इंचार्ज और सिपाहियों के खिलाफ केस दर्ज किया था। सिपाहियों को जेल भी भेजा गया था।
केस:6
मार्च 2021 में गोरखपुर में VIP ड्यूटी में आए महराजगंज क्राइम ब्रांच में तैनात इंस्पेक्टर विनोद यादव ने होटल में वेटर के साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म की कोशिश की है। लड़की की डिमांड न पूरी होने पर वेटर को कमरे में बंद कर उसके साथ गलत हरक कर दी। मैनेजर की सूचना पर देर रात होटल में पहुंची गोरखपुर की कोतवाली पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के दौरान उसने पुलिस के साथ भी खूब हंगामा किया।
केस:7
22 मई 2019 को वरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. रामशरण श्रीवास्तव से दो लाख रुपये रंगदारी वसूलने के मामले में ट्रांसपोर्ट नगर चौकी इंचार्ज रहे शिव प्रकाश सिंह और कथित पत्रकार प्रणव त्रिपाठी पर एफआईआर दर्ज की गई थी। मगर यह केस पुलिस ने नहीं दर्ज किया था। ना ही तब डॉक्टर को पुलिस पर भरोसा था।
डॉक्टर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर शिकायत की थी और उनके ही आदेश पर रातोंरात पुलिस हरकत में आई और केस दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तारी की। पुलिस ने रुपये भी वापस कराए थे।
केस-8
18 दिसंबर 2017 को उरूवा थाने में तैनात रहे दरोगाओं पर अपहरण कर रंगदारी मांगने का केस दर्ज हुआ था। इस मामले में ट्रेनी दरोगा अभिजीत कुमार और रघुनंदन त्रिपाठी को गिरफ्तार किया गया था। आरोप था कि बिहार के गोपालगंज के छात्र एहसान आलम को धोखे से उसका दोस्त अफजल गोरखपुर लाया था फिर परिचित दोनों दरोगा की मदद से तीन लाख रुपये की फिरौती मांगी गई थी।
केस-9
2006 में कुशीनगर जिले के एक कारखाने में युवक की हत्या हुई थी। जिसका सिर काट दिया गया था। आरोप था कि सरकारी जीप का इस्तेमाल कर दरोगा निर्भय नारायण सिंह ने शव को गंडक नदी में बहा दिया था। इस मामले में आईजी के आदेश पर तब केस दर्ज हुआ था और बाद में दरोगा की गिरफ्तारी भी हुई थी। यह मामला भी काफी चर्चित रहा था। इसमें पूरी कार्रवाई आईजी की देखरेख में हुई थी।
केस:10
2000 में शाहपुर थाने में पूछताछ को लाए गए एक युवक की मौत हो गई थी। आरोप था कि एएसपी ने मारपीट की, इसमें थानेदार भी शामिल थे। पुलिस ने इस मामले में हत्या का केस तत्कालीन थानेदार रहे संजय सिंह पर दर्ज किया था।
बाद में उनकी गिरफ्तारी की गई थी और जेल भेजा गया था। तब एसएसपी विजय कुमार यहां पर थे और उनके आदेश पर ही कार्रवाई हुई थी।
Oct 12 2023, 20:08