तकनीकी शिक्षा को प्राथमिक शिक्षा का हिस्सा बनाने का होगा प्रयास : रामानंद
गोरखपुर, 8 अक्टूबर। सेंटर ऑफ पॉलिसी, रिसर्च एंड गवर्नेंस, नई दिल्ली के निदेशक रामानंद ने कहा कि शिक्षा का आशय कौशल विकास है इसलिए तकनीकी शिक्षा को प्राथमिक शिक्षा का हिस्सा बनाने का प्रयास किया जाएगा। विद्यार्थियों को विभिन्न तकनीकी कौशलों का शिक्षण दिलाकर नौकरियों और उद्यमिता के क्षेत्र में मौके प्रदान किए जाएंगे।
तकनीकी शिक्षा को डिजिटल माध्यमों से प्रमोट किया जाएगा। उच्चतर शिक्षा में तकनीकी और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को आधुनिक और अद्यतित बनाने का प्रयास किया जाएगा। इसके साथ ही साथ शासन के प्रयासों से शिक्षा संस्थानों को तकनीकी शिक्षा के लिए आवश्यक संसाधनों की प्रदान करने का काम किया जाएगा।
रामानंद, रविवार को महाराणा प्रताप महाविद्यालय जंगल धूसड़, गोरखपुर के बी. एड. विभाग के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ’राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : संकल्प से सिद्धि तक’ के समापन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने समारोह के अध्यक्ष मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर के कुलपति प्रो. जे. पी. सैनी तथा विशिष्ट अतिथि क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, गोरखपुर प्रो. अश्वनी कुमार मिश्र के साथ मां सरस्वती, भारत माता और महापुरुषों के चित्र पर पुष्पार्चन व दीप प्रज्ज्वलित कर राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र की शुरूआत की। इस अवसर पर रामानंद ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य भारत के युवाओं को तकनीकी ज्ञान और कौशलों से लैस बनाकर उन्हें अधिक रोजगार और उद्यमिता के अवसर प्रदान करना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय शिक्षा व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण चरण है। इस संबंध में निरंतर विमर्श, संगोष्ठी, और गोष्ठियों के माध्यम से अनुभव साझा करते रहेंगे तो निश्चित ही अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर लेंगे। वैश्विक परिदृश्य में शिक्षा जगत में भारत उभरता हुआ एक नया बाजार है। हमारे विद्यार्थी हमारी ताकत हैं जो प्रत्येक देश में जाकर वहां की शिक्षा और आर्थिक उन्नयन में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति इंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने का कर रही प्रयास : प्रो. जे. पी. सैनी
राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर के कुलपति प्रो. जे. पी. सैनी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत में शिक्षा के कई पहलुओं को सुधारने और विकसित करने का प्लान है। यह इंटरप्रेन्योरशिप को भी प्रोत्साहित करती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विभिन्न स्तरों पर इंटरप्रेन्योरशिप कौशल को प्रोत्साहित करने के लिए स्कूल और कॉलेजों में इंटरप्रेन्योरशिप के कार्यक्रमों का प्रसार करने की बात करती है। इस नीति में इंटरप्रेन्योरशिप संबंधित पाठ्यक्रमों को बढ़ावा देने की बात की गई है, जो युवाओं को व्यवसायिक जगह पर तैयार करेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षा को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर तक ले जाने पर बल देती है। इसके साथ साथ अपने भाषा में पढ़ने और दूसरों की भाषा को सीखने पर भी बल दिया गया है।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने पर है बल : प्रो मिश्र
विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, गोरखपुर प्रो. अश्वनी कुमार मिश्र ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने और जन जन तक पहुंचाने के लक्ष्य पर केंद्रित है। इसमें उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अंतिम पायदान तक शिक्षा के प्रसार पर बल दिया गया है। इस संकल्पना के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति तथा उत्तर प्रदेश शासन दोनो कटिबद्ध और प्रतिबद्ध हैं। इस दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार ने विभिन्न विश्वविद्यालयों की स्थापना विभिन्न जिलों में की है, जिससे सुदूर क्षेत्र के विद्यार्थी उत्तम शिक्षा ग्रहण कर कौशल विकास कर सके, यह उत्तर प्रदेश सरकार का सबसे सशक्त प्रयास है। एक रिपोर्ट के अनुसार पूर्व के ग्रास एनरोलमेंट अनुपात को देखा जाए तो 26.2 प्रतिशत रहा है, आगे चलकर यह 27.3 प्रतिशत तक हो गया। 2050 तक 50 प्रतिशत तक पहुंचाने की प्रत्याशा है। इस शिक्षा नीति में मल्टीप्ल एंट्री तथा मल्टीप्ल एग्जिट की बात की गई है। इस शिक्षा नीति से विद्यार्थियों को और अधिक विकल्प तथा पाठ्यक्रम मिलेंगे।
संगोष्ठी की संयोजक श्रीमती शिप्रा सिंह ने प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 संकल्प से सिद्धि तक विषयक यह राष्ट्रीय संगोष्ठी अपनी सार्थकता को सिद्ध किया। राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र का संचालन बी. एड. विभाग के सहायक आचार्य डॉ. संदीप कुमार श्रीवास्तव ने प्रस्तुत किया। संगोष्ठी में प्रमुख विद्वानों, शोधार्थियों सहित सभी विद्यार्थी तथा शिक्षक उपस्थित रहे।
विद्यार्थी हित में है राष्ट्रीय शिक्षा नीति : प्रो हर्ष कुमार सिन्हा
समापन समारोह के पूर्व राष्ट्रीय संगोष्ठी के तृतीय तकनीकी सत्र में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग के प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा ने कहा कि सभी शोधार्थियों द्वारा प्रस्तुत शोध पत्रों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न विषयों यथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति में दूरस्थ शिक्षा, उच्च शिक्षा के विशेष संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की अद्यतन विकास यात्रा, विद्यार्थी हित के संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भूमिका को प्रस्तुत किया गया है, जो प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि वास्तव में राष्ट्र में बनाए जाने वाली नीतियां यदि सही तरीके से संचालित नहीं है तो इसका अर्थ है कि हमने उसकी समीक्षा और पुनरावलोकन सही ढंग से नहीं किया, इसी वजह से हम अपने बनाए गए लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर पाए स आवश्यकता इस बात की है कि हम सभी निरन्तर शिक्षा नीति के संदर्भ में विश्लेषण और समीक्षाएं ईमानदारी से करें।
तृतीय तकनीकी सत्र की सह-अध्यक्षता करते हुए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के शिक्षा संकाय के सहायक आचार्य डॉ. राजेश कुमार सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 व्यक्ति के चरित्र के निर्माण के साथ-साथ राष्ट्र और निर्माण का बोध कराती है। इस संबंध में नेल्सन मंडेला के कथन विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं शिक्षा एक सबसे शक्तिशाली तकनीक है जिसे आप दुनिया को बदलने के लिए उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बहुत से ऐसे प्रावधान हैं जिससे विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास संभव हो सके, उनका भावात्मक व मनोसामाजिक विकास हो सके।संगोष्ठी की संयोजक श्रीमती शिप्रा सिंह ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत एवं सम्मान किया।
तृतीय तकनीकी सत्र में शोध पत्रों की प्रस्तुति अर्पिता सिंह, शैलेंद्र कुमार सिंह, प्रिया वर्मा, दीप्ति गुप्ता, भानु प्रताप सिंह तथा कृष्णमोहन ने किया। सत्र का संचालन महाविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग के सहायक आचार्य अभिषेक कुमार त्रिपाठी ने किया एवं प्रतिवेदक की भूमिका महाविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग की सहायक आचार्य दिव्या दुबे ने निभाई।
विजन डॉक्यूमेंट है राष्ट्रीय शिक्षा नीति : प्रो सुनील सिंह
चतुर्थ तकनीकी सत्र में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, गोरखपुर के एलायड हेल्थ साइंस के संकायाध्यक्ष प्रो. सुनील सिंह ने शोध पत्रो की समीक्षा करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक विजन डॉक्यूमेंट है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत की शिक्षा नीति को सुधारने और मॉडर्नाइज करने का प्रयास है।
इस नीति में तकनीकी शिक्षा को महत्वपूर्ण भूमिका दी गई है। इस शिक्षा नीति के अनुसार, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा को प्राथमिक और उच्चतर स्तरों पर प्रमोट किया जा रहा है।
सह-अध्यक्षता करते हुए जे. बी. महाजन कॉलेज चौरी चौरा, गोरखपुर के सहायक आचार्य डॉ. लक्ष्मण सिंह ने कहा कि 1986 की नई शिक्षा नीति के 34 साल बाद यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बनाई गई। यह हमारे लिए गौरव का विषय है। प्रश्न यह है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संकल्प और सिद्धि के लिए सभी विद्यार्थी, शिक्षकों, प्रबंधकों तथा सरकार को प्रतिबद्ध होना पड़ेगा। कोई भी नीति तभी सफल ढंग से क्रियान्वित हो सकती है, जब संसाधनों का सही प्रयोग हो।
विषय विशेषज्ञ डॉ. प्रीति मिश्रा ने कहा की राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक दवा की तरह है और जब डाक्टर के तमाम चेकअप और दवाइयों को देखते तो घबरा जाते है, लेकिन दवाइया हमारे स्वास्थ्य के लिए हितकर होती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पूर्व की कई समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करती है।
चतुर्थ तकनीकी सत्र में कुमारी यशोदा, आद्या कुमार, अभिषेक त्रिपाठी तथा डॉ. दीपशिखा नागवंशी, तारकेश्वर पांडे, डॉ. राजकुमार तथा कुमारी पूनम आदि ने शोध पत्र प्रस्तुत किया। संचालन महाविद्यालय के इतिहास विभाग की अध्यक्ष अनूप कुमार पांडेय ने किया एवं प्रतिवेदन महाविद्यालय के रक्षा अध्ययन विभाग के सहायक आचार्य विवेक विश्वकर्मा ने तैयार किया।
Oct 08 2023, 20:07