*आशा का साथ देंगे ग्राम प्रधान, टीबी मुक्त पंचायत बनाकर पाएंगे सम्मान*
गोरखपुर, टीबी मरीजों को खोजने और उन्हें जांच के लिए प्रेरित करने के साथ ही उपलब्ध सरकारी व गैर सरकारी सुविधाओं से जोड़ने में ग्राम प्रधान भी अब आशा कार्यकर्ता का साथ निभाएंगे । सक्रियता के साथ ऐसा करके गांव को टीबी मुक्त पंचायत की श्रेणी में शामिल करवाने पर उन्हें जिला स्तर पर सम्मान भी मिलेगा ।
ग्राम प्रधान को प्रत्येक माह विलेज हेल्थ सेनिटेशन एंड न्यूट्रिशन कमेटी (वीएचएसएनसी) की बैठक में इसके लिए आशा कार्यकर्ता से सात सवाल पूछ कर कार्यपुस्तिका में दर्ज करना है । इसकी सतत निगरानी करने व निरंतर सहयोग देने से अगर वर्ष भर में निर्धारित पांच में से तीन मानक पूरे हो गये तो उनके गांव को टीबी मुक्त घोषित कर दिया जाएगा ।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश यादव ने बताया कि जिलाधिकारी कृष्णा करूणेश, मुख्य विकास अधिकारी संजय कुमार मीणा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे, जिला विकास अधिकारी राज मणि वर्मा और जिला पंचायती राज अधिकारी नीलेश प्रताप सिंह की देखरेख में इस संबंध में दो दिनों तक ब्लॉक स्तरीय प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है ।
वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक, बीसीपीएम और एडीओ पंचायत इस प्रशिक्षण को प्राप्त करने के बाद अब ब्लॉक स्तर पर ग्राम प्रधान, ग्राम सचिव, सीएचओ और संबंधित स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करेंगे ।
स्टेट टेक्निकल ऑफिसर अश्विनी कुमार पंकज और जिला स्तरीय मास्टर ट्रेनर डॉ. विराट स्वरूप श्रीवास्तव ने टीबी मुक्त पंचायत और फैमिली केयर गिवर मॉडल के बारे में प्रत्येक प्रतिभागी को विस्तार से जानकारी दी है ।
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि ग्राम प्रधान वीएचएसएनसी के प्रति वर्ष के 10000 रुपये के अनटायड फंड का इस्तेमाल भी टीबी ग्रसित जरूरतमंद मरीजों की मदद के लिए कर सकते हैं। उन्हें ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) में भी टीबी संबंधी गतिविधियों के संचालन के लिए बजट रखने को प्राथमिकता में शामिल करना है ।
इसके तहत टीबी ग्रसित मरीजों को स्वास्थ्य केंद्र पर भेजने की व्यवस्था करना, बलगम परिवहन व उपचार ले रहे मरीजों का फॉलो अप, प्रचार प्रसार व जागरूकता गतिविधियां, पोषण संबंधी सहायता और मनरेगा जैसी योजना से टीबी पीड़ित लोगों को जोड़ना शामिल है ।
डॉ यादव ने बताया कि अगर आशा कार्यकर्ता का साथ ग्राम प्रधान देंगे तो टीबी के नये मरीजों को खोजने और उनका उपचार कराने में काफी मदद मिलेगी । उन्हें अपने पूरे गांव में यह संदेश पहुंचाना है कि दो सप्ताह से अधिक समय तक लगातार खांसी, बुखार, थकान, वजन कम होना, भूख कम लगना , रात में पसीना, छाती में दर्द या सांस लेने में कठिनाई और खांसते समय बलगम आने जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत निकटतम स्वास्थ्य केंद्र से टीबी की जांच कराएं।
जिले में इस समय टीबी के 9079 मरीज इलाज पर हैं। ब्लॉक स्तरीय प्रशिक्षण में भी जिला कार्यक्रम समन्वयक धर्मवीर प्रताप, पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्र और मिर्जा आफताब बेग सहयोग देंगे।
आशा से ग्राम प्रधान पूछेंगे यह सवाल
· गांव में जांचे गये संभावित टीबी रोगियों की संख्या
· माह में चिन्हित टीबी रोगियों की संख्या
· चिन्हित टीबी मरीजों में से इलाज ले रहे रोगियों की संख्या
· टीबी मरीजों के निकट संपर्कियों की संख्या जो बचाव की दवा ले रहे हैं
· निक्षय पोषण योजना का लाभ ले रहे टीबी मरीजों की संख्या
· क्या आशा डायरी में टीबी सूचकांक दर्ज किये जा रहे हैं या नहीं
· क्या टीबी संबंधी जागरूकता सामग्री साझा की जा रही है या नहीं
ऐसे घोषित होंगी टीबी मुक्त पंचायतें
डॉ यादव ने बताया कि टीबी मुक्त पंचायत के लिए पांच मानकों में पहला मानक पूरा करना अनिवार्य है । इसके अलावा कोई अन्य दो मानक भी पूरे हो जाते हैं तो गांव को उस वर्ष के लिए टीबी मुक्त पंचायत घोषित कर दिया जाएगा।
- प्रति 1000 की जनसंख्या पर टीबी के 30 संभावित मरीजों की जांच
- प्रति 1000 की जनसंख्या पर 1 या 1 से कम टीबी मरीजों का पंजीकरण
- गांव में पिछले वर्ष चिन्हित 85 फीसदी टीबी मरीज ठीक हो चुके हों
- कम से कम 60 फीसदी टीबी मरीजों की ड्रग सेंस्टिविटी की जांच हो चुकी हो
- शत प्रतिशत मरीज निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये प्रति माह पा रहे हों
- शत प्रतिशत सहमत टीबी मरीजों को पोषण पोटली दी जा चुकी हो
हेल्थ कैम्प से आसान होगी राह
पिपराईच ब्लॉक के ग्रामसभा मटिहनिया के ग्राम प्रधान अनिल सिंह (38) का कहना है कि इस मुहिम को सफल बनाने के लिए पंचायत स्तर पर हेल्थ कैम्प भी आयोजित होगा । कैम्प में संभावित रोगियों को इकट्ठा कर एक साथ जांच की जा सकेगी । जिले में 995 ग्राम प्रधान हैं ।
अगर स्वास्थ्य विभाग के स्तर से सहयोग मिला तो अधिकाधिक गांव टीबी से मुक्त हो सकते हैं ।
Oct 07 2023, 18:35