सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन की सभागार सत्याग्रह भवन में "प्रेस की स्वाधीनता एवं लोकतंत्र की मजबूती" विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया ।
आज दिनांक 6 अक्टूबर 2023 को सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन की सभागार सत्याग्रह भवन में "प्रेस की स्वाधीनता एवं लोकतंत्र की मजबूती" विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया ।
इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय पीस एम्बेसडर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ,डॉ शाहनवाज अली, डॉ अमित कुमार लोहिया, मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक डॉ अमानुल हक, पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन ने संयुक्त रूप से कहा कि प्रेस की स्वाधीनता एवं लोकतंत्र की मजबूती को आगे आए नई पीढ़ी के पत्रकार एवं मीडिया कर्मी ।
इस अवसर पर डॉ एजाज अहमद अंतर्राष्ट्रीय पीस एम्बेसडर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाऊंडेशन ,रवि सिंघानिया एवं डॉ अमानुल उल हक वरिष्ठ पत्रकार सह संस्थापक मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट ने नई पीढ़ी के मीडिया कर्मियों एवं पत्रकारों से अपील करते हुए कहा कि विचारों का स्वतंत्र आदान-प्रदान एवं प्रेस लोगों को सामाजिक मानदंडों के साथ सोचने के लिए प्रेरित करता है।
उन विचारों और विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक मंच प्रदान करता है जो देश भर के लोगों द्वारा सुने जाने योग्य हैं।
व्यक्ति या निकाय को उनके कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराना है।
अक्सर, लोग अपने कार्यों को छिपाने की कोशिश करते हैं एवं मीडिया को इसमें शामिल किए बिना मामले को निपटाने की कोशिश करते हैं। प्रेस ऐसी स्थितियों को प्रकाश में लाता है एवं यह सुनिश्चित करता है कि आम लोगों के समर्थन से सही ढंग से न्याय मिले। इस पर प्रवक्ताओं ने कहा कि
लोगों की आवाज़ बने नई पीढ़ी के पत्रकार एवं मीडिया कर्मी।
प्रेस एक चैनल के रूप में कार्य करता है जो बहुसंख्यक एवं सही लोगों के विचारों को लिखता और बोलता है। यह उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है जो दबा दिए गए हैं और उन मुद्दों को सामने लाता है जिनके बारे में बात की जानी चाहिए। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पत्रकारिता।
चूंकि मीडिया एक स्वतंत्र संस्था है जो सरकार को देश हित में चुनौती देती है। इसलिए इसे सरकार की न्यायपालिका, विधायी एवं कार्यकारी निकायों के साथ-साथ लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी कहा जा सकता है।
हालाँकि उस समय से कुछ प्रगति हुई है जब 'मीडिया की स्वतंत्रता' का अनुमान लगाया जा सकता है, लेकिन आज स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। हाल के वर्षों में घृणा अपराध, झूठे आरोप, गलत चित्रण के कारण मुकदमे, फर्जी समाचार आदि के बहुत सारे मामले सामने आए हैं।
Oct 06 2023, 17:14