धनबाद के कतरास पास स्थित कांको का शंकर मठ है अध्यात्म का केंद्र ,यहां गीता और वेद भी पढ़ाया जाता है बच्चों को
धनबाद : कतरास के पास बना कांको शंकर मठ कई राज्यों के लोगों के लिए आस्था का प्रतीक है। यह धनबाद ही नहीं, दूसरे जिलों तथा राज्यों के लोगों के लिए भी पूजनीय स्थल। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
पूजा करते हैं। मन्नत मांगते हैं। इस मठ की शाखा काशी, जबलपुर, दुर्गापुर और वीरभूम में है। मठ से देश-विदेश के हजारों लोग जुड़े हैं। इसके साथ ही कांको मठ शिक्षा का भी प्रमुख केंद्र है। यहां गुरुकुल परंपरा से संस्कृत की शिक्षा दी जाती है। रामायण, गीता, वेद-पुराण तथा अन्य पौराणिक ग्रंथें भी बच्चों को पढ़ाए जाते हैं। शिक्षा पूरी तरह निःशुल्क दी जाती है।
कांको शंकर मठ में झारखंड के अलावा बिहार, बंगाल, यूपी, एमपी समेत अन्य राज्यों के लोग आते हैं। श्रद्धालुओं का आना सालोभर लगा रहता है। मठ में शिव, राधा-कृष्ण सहित अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं। कांको मठ में आदि शंकराचार्य की मंदिर भी है। यह मंदिर भी लोगों के आस्था का केंद्र है।
1928 में हुई थी स्थापना :
37 एकड़ में फैले इस मठ की स्थापना 1928 में हुई थी। यह मठ राजगंज-कतरास फोर लेन पर स्थित है। मठ की स्थापना गुरु दंडी स्वामी जगन्नाथ ने की थी। वे लंबे समय तक मठ के प्रधान रहे। 1965 में उन्होंने समाधि ले ली। 1965 में स्वामी ऋषिकेश कांको मठ के प्रधान पद पर आसीन हुए। 48 वर्षों तक उन्होंने मठ की सेवा की। 2018 में उनके समाधि लेने के बाद दंडी स्वामी सुरेश्वर आश्रम कांको मठ के महंत बने। मठ के दोनों पूर्व महंतों को परिसर में ही समाधि दी गई है।
20 विद्यार्थी कर रहे पढ़ाई :
कांको मठ के महंत दंडी स्वामी सुरेश्वर जी महाराज ने बताया कि यहां हर वर्ग के लोग आते हैं। मठ में नि:शुल्क संस्कृत विद्यालय चल रहा है। जहां विशेष रूप वैदिक कर्मकांड का ज्ञान दिया जाता है। अन्य विषयों की जानकारी भी दी जाती है। इस विद्यालय में 20 विद्यार्थी हैं, जो यहां रहकर गुरु से शिक्षा ग्रहण करते हैं। इनके रहने-खाने और पढ़ने की निःशुल्क व्यवस्था मठ की ओर से की जाती है। श्रद्धालुओं द्वारा स्वेच्छा से दान किए गए पैसे से मठ को चलाया जाता है।
Oct 03 2023, 20:10