एक दिवसीय मानसिक स्वास्थ्य संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन
गोरखपुर।राष्ट्रीय सेवा योजना,सेण्ट ऐण्ड्रयूज कॉलेज,गोरखपुर द्वारा सिफ्सा प्रायोजित दूसरी एक दिवसीय मानसिक स्वास्थ्य संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन बी0एड0 विभाग में हुआ।कार्यक्रम में मुख्य ट्रेनर के रूप में पधारे जिला चिकित्सालय,गोरखपुर के नैदानिक मनोवैज्ञानिक क्लिनिकल सायकोलाजिस्ट रमेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने कहा कि चिंता, उलझन आज के भौतिक युग की सबसे गंभीर समस्या है।
अनजाना भय, बार-बार बुरा होने का विचार, झुझलाहट एवं अत्यधिक चिंताए, तनाव महसूस होना, जल्दी थकान होना, हाथों में कम्पन्न होना,अंधेरे में भय लगना,अजनबियों से भय लगना, नींद आने में परेशानी एवं रात में बार-बार नींद खुल जाना, एकाग्रता में कमी, याद्दाशत में कमी, मन में उत्साह की कमी, शारीरिक लक्षण जैसे दिल में घबराहट, सीने मे दर्द या कभी-कभी बेहोशी आना तथा श्वास लेने में तकलीफ होना यह लक्षण चिंता या उलझन नामक मानसिक बिमारी के कुछ लक्षण है।इसका निदान व्यवहारिक तरिकों तथा दवाओं से संभव है। अपने वक्तव्य में उन्होने कहा कि डर लगना,अपनी ही दुनिया और विचारों में खोये रहना, दूसरों को न सुनाई देने वाली काल्पनिक आवाजे सुनाई देना,असम्बंध और अर्थहीन बातें करना यह मानसिक रोगों के लक्षण है। आप संकोच मत करें और ऐसे लक्षण आने पर या अपने आस-पास के लोगों में दिखायी देने पर आप उन्हें मनोचिकित्सक के पास ले जाये।
मनोरोग अभिशाप नहीं है। यह भी अन्य बिमारियों की तरह एक बिमारी है।उन्होने पर्सनाल्टी डिसआर्डर, ओ0सी0डी0 तथा स्किजोफ्रेनिआ सहित अन्य मनोविकारों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही बी0एड0 विभाग की अध्यक्षा डॉ0 रेखा रानी मिश्रा ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य एवं शारीरिक स्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक है तथा छोटी सी मानसिक समस्या आपके जीवन को अंधकारमय कर सकती है।नोडल अधिकारी तथा आयोजन सचिव डॉ0 जे0के0 पाण्डेय ने प्रारंभ में स्वागत करते हुए ने प्रतिभागी छात्र-छात्राओं को कार्यशाला के उद्देश्य बताते हुए कहा कि यह कार्यशाला छात्र-छात्राओं को मानसिक स्वास्थ्य से परिचित कराने तथा उनके आस-पास के मानसिक स्वास्थ से ग्रसित लोगों की पहचान करने के लिए की गयी है।
ट्रेनर तथा मनोविज्ञान विभाग की सुश्री श्वेता जानसन ने तकनीकी सत्र में डिप्रेशन को दूर करने के उपायों पर चर्चा किया। ट्रेनर आराधना शेरोन जोशुआ ने मानसिक स्वास्थ्य और समाज में फैली मिथक एवं गलत धारणाओं के बारे में जानकारी दी।ट्रेनर डॉ० सुनीता पॉटर ने नशा करने वाले व्यक्ति को पहचानने के लक्षण को विस्तार से बताया। ?कार्यक्रम का संचालन नोडल अधिकारी डॉ0 जे0के0पाण्डेय तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ०शुचिता इलियास ने किया। कार्यशाला के अन्त में प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र का वितरण किया गया।इस अवसर पर बी0एड0 विभाग की डॉ०रश्मि प्रभा शुक्ला,डॉ०सुषमा श्रीवास्तव,डॉ०संगीता मिश्रा सहित पीयर एजूकेटर निखिल, अंकुर मिश्रा,नारायण द्विवदी, आदित्य पाण्डेय, प्रांजल, नूर फातिमा,पम्मी कुमारी सहित बी0एड0 के कुल 50 प्रतिभागियों की प्रतिभागिता रही। ज्ञात हो कि इस तरह की कुल 6 कार्यशालाएं इस सत्र में आयोजित होंगी जिससे विभिन्न विभागों से कुल 300 छात्र/छात्राएं प्रतिभाग करेंगे।
Sep 23 2023, 14:01