*बाढ़ के कहर को झेलते गांव के बासिंद*
अमृतपुर।फरुर्खाबाद।बाढ़ के कहर को झेलते हुए गंगा व रामगंगा के बीच के वाशिन्दों को दो महीने से अधिक का समय हो गया है। गंगा में आयी विनाशकारी बाढ़ ने लोगों को सड़कों पर खड़ा कर दिया और रामगंगा की बाढ़ ने पीडित ग्रामीणों को बेघर भी कर दिया। ग्राम अलादपुर भटौली के रहने वाले दर्जनों ग्रामीण रामगंगा में आई बाढ़ और उसके कटान से अपने घरों को खो बैठे। पक्के मकान नदी की चपेट में आए और बह गए।
जागरूक लोगों ने समय रहते पक्के मकानों को गिरा कर उनकी ईंटें निकाल ली और दूसरी जगह पर आशियाना बनाने के लिए घरों का सामान ट्रैक्टरों पर लादकर चल दिए। अधिकारियों और शासन के लाख प्रयास भी इन ग्रामीणों को बेघर होने से नहीं बचा पाये। गांव में रहने वाले दर्जनों ग्रामीण अब खानाबदोशों की जिंदगी जीने के लिए मजबूर हो चुके हैं। गांव के निवासी एकदम अपने घर तो नहीं बना सकते इसलिए दूसरे गांव में पहुंचकर किराए के मकान में रहने के लिए विवस हो गए है। यह लोग अपने घर गृहस्ती का सामान निकाल कर पड़ोस के गांव करनपुर दत्त में पहुंचे और वहीं रहने लगे। इन लोगों ने बताया कि उनके मकान पक्के बने हुए थे। रामगंगा नदी से काफी दूरी पर थे।
लेकिन तेज कटान के दौरान उनके मकान काटन की जद में आ गए और नदी में बह गए। अब उनके पास फिलहाल रहने के लिए कोई भी छत मौजूद नहीं है। इसलिए अपने परिवार को खुले आसमान से बचाकर किराए के मकान में रहकर जीवन यापन करने के लिए विवस है। खेती किसानी और पशुपालन से जीवको पार्जन करने वाले यह लोग अपनी रोजमर्रा की आमदनी से भी दूर हो गए हैं। यहां के रहने वाले अधिकतर लोग मजदूरी करते हैं। लेकिन रात दिन कटान होने की वजह से भयभीत ग्रामीण कहीं बाहर मजदूरी करने भी नहीं जा पा रहे हैं। प्रशासन लगातार पीडित लोगों की मदद करने में लगा हुआ है। उप जिलाधिकारी द्वारा पीड़ित व्यक्तियों को जमीन भी उपलब्ध कराई गई है और जल्द ही इन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवास भी दिलाये जाएंगे। परंतु यह लोग खानाबदोशों की तरह जीवन जीने के लिए बेबस हो चुके हैं।
Sep 20 2023, 18:28