विश्व कप के लिए भारतीय टीम की नई जर्सी लॉन्च, दिखे कई बड़े बदलाव

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वर्ल्ड कप 2023 का आगाज होने में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है। 5 अक्टूबर से शुरू होने वाले वनडे विश्व कप 2023 के लिए भारतीय क्रिकेट टीम की नई जर्सी लॉन्च हो गई है।नई जर्सी मौजूदा जर्सी से काफी अलग हैय़ रंग तो इसका ब्लू ही है लेकिन इसमें एक बड़ा बदलाव किया गया है।टीम इंडिया आधिकारिक किट स्पॉन्सर एडिडास ने बुधवार को एक वीडियो शेयर कर जर्सी की पहली झलक पूरी दुनिया को दिखाई।

स्पॉन्सर एडिडास द्वारा शेयर इस वीडियो में कप्तान रोहित शर्मा के साथ दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली, उपकप्तान हार्दिक पांड्या, मोहम्मद सिराज और कई अन्य खिलाड़ी नजर आ रहे हैं।वीडियो में भारत के प्रसिद्ध सिंगर और रैपर रफ्तार ने ‘3 का ड्रीम’ गाना गाया है। इस गाने पर ही भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा, विराट कोहली, शुभमन गिल, हार्दिक पांड्या और मोहम्मद सिराज जैसे स्टार खिलाड़ी नई जर्सी में नजर आ रहे हैं।

जर्सी पर दो सितारे और तिरंगे के तीन रंग

खास बात तो यह है कि इस बार जर्सी में जो बदलाव हुए है। वनडे विश्व कप 2023 के लिए लॉन्च की गई भारतीय टीम की नई जर्सी में दो स्टार लगे है, ऐसा इसलिए क्योंकि वनडे जर्सी 1983 और 2011 विश्व कप में भारत की जीत का प्रतीक है। भारतीय टीम ने 50 ओवर में दो बार खिताब जीता है, इसलिए जर्सी पर दो स्टार लगे हुए नजर आ रहे हैं। 

ऑस्ट्रेलिया से होगा भारत का पहला मैच

विश्व कप में भारतीय टीम अपने अभियान की शुरुआत आठ अक्तूबर को चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ करेगी। टीम इंडिया 14 अक्तूबर को पाकिस्तान के खिलाफ अहमदाबाद में खेलेगी। विश्व कप से पहले भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन वनडे मैचों की सीरीज खेलेगी।

खालिस्तानी निज्जर हत्याकांड में कनाडा ने “5 आइज” से मांगा साथ, अमेरिका समेत कई देशों से की थी भारत की निंदा करने की मांग

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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह जी-20 सम्मेलन में द्विपक्षीय बातचीत के दौरान कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिस ट्रूडो के सामने इस बात पर नाराजगी जाहिर की थी कि उनके देश में खालिस्तानी समर्थक तत्वों की गतिविधियों पर नकेल नहीं कसी जा रही है। इसके बाद कनाडा लौटते ही जस्टिन ट्रूडो ने संसद में सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार की संलिप्तता की आशंका ज़ाहिर की।इसके बाद विदेश मंत्री मेलेनी जोली ने शीर्ष भारतीय राजनयिक पवन कुमार राय को निकालने का एलान कर दिया। जवाब में भारत ने भी कनाडा के एक शीर्ष राजयनिक को निकाल दिया।इस बीच, एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। बताया गया है कि पीएम जस्टिन ट्रूडो द्वारा भारत पर लगाए आरोपों से कुछ सप्ताह पहले कनाडा के अधिकारियों ने अमेरिका सहित कई सहयोगियों से निज्जर की हत्या की सार्वजनिक निंदा करने की मांग की थी। हालांकि, सभी देशों ने इससे इनकार कर दिया था।

1980 के दशक से लेकर जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल के आखिरी आठ वर्षों तक, खालिस्तान मुद्दे ने हमेशा भारत-कनाडा के द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित किया है। लेकिन इस बार, ओटावा ने कार्रवाई तेज कर दी है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के बारे में सार्वजनिक रूप से आरोप लगाने से कुछ हफ्ते पहले, ओटावा ने अपने निकटतम सहयोगियों से समर्थन मांगा था। कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक से भारत की शिकायत की। साथ ही, कनाडा ने पांच देशों की इंटेलिजेंस एजेंसियों के संघ फाइव आइज के सामने भी भारत पर आरोप लगाया। कनाडा का आरोप है कि निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है। हरदीप निज्जर कनाडाई नागरिक था। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा की ग्रुपिंग, फाइव आइज इंटेलिजेंस एलायंस ने इस आरोप को गंभीर बताया है। हालांकि, एलायंस ने कनाडा के इस अनुरोध को खारिज कर दिया है कि वह हत्या की संयुक्त रूप से निंदा करे।

वॉशिंगटन पोस्ट ने एक पश्चिमी सूत्र के हवाले से कहा है कि अमेरिका के नेतृत्व में फाइव आइज ने संयुक्त बयान में निज्जर की हत्या की सार्वजनिक रूप से निंदा करने से इनकार कर दिया है। इससे कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को अपने आरोपों की घोषणा अकेले ही करनी पड़ी। 

भारत के अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस के साथ घनिष्ठ सुरक्षा और खुफिया सहयोग हैं। भारतीय अधिकारियों ने इन देशों के अपने समकक्षों के साथ बैठकों में भारत के खिलाफ अलगाववादी और हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने में निज्जर और अन्य खालिस्तानी आतंकियों की भूमिका को बार-बार उजागर किया है।यही नहीं, इन देशों ने भी अपनी धरती से खालिस्तान समर्थक समूहों को भी सक्रिय होते देखा है और इन देशों में भी भारतीय दूतावासों के साथ साथ हिन्दू समुदाय और हिन्दू मंदिरों के खिलाफ बर्बर हिंसक गतिविधियां की गई हैं। इन देशों में भी खालिस्तान एक्टिव है, जो भारतीय राजनयिकों के खिलाफ हिंसा भड़काते हैं। लिहाजा, अभी तक इन देशों की तरफ से सधी हुई प्रतिक्रियाएं सामने आईं हैं। ब्रिटेन ने भारत के साथ व्यापार वार्ता पर होने वाली बातचीत को रोकने से इनकार कर दिया है।

महिला आरक्षण पर बसपा प्रमुख मायावती की बड़ी डिमांड, सरकार की मंशा पर उठाया सवाल

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बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन किया है। हालांकि, मायावती ने इसे तत्काल न लागू करने के प्रावधान पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। मायावती ने कहा कि आने वाले 15-16 वर्षों तक महिला आरक्षण बिल लागू नहीं हो सकेगा।

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15-16 वर्षों तक आरक्षण नहीं

महिला आरक्षण बिल पर सवाल उठाते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि बिल में इस प्रकार के प्रावधान बनाए गए हैं जिसके तहत लगभग 15-16 वर्षों तक यानी कई चुनाव तक देश की महिलाओं को ये आरक्षण प्राप्त नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में ऐसे प्रावधान हैं जिसके तहत पहले पूरे देश में जनगणना कराई जाएगी। यानी बिल पास हो जाएगा लेकिन तुरंत लागू नहीं होगा। तब उसके पश्चात पूरे देश में लोकसभा और राज्यसभा का परिसीमन होगा। इसके बाद महिला आरक्षण विधेयक लागू होगाा। 

जनगणना में होने वाली देरी पर उठाया सवाल

मायावती ने कहा कि ये बात भी किसी से छिपी नहीं है कि देशभर में नए सिरे से जनगणना कराने में अनेक वर्ष लग जाते हैं। पिछड़ी जनगणना साल 2011 में प्रकाशित हुई थी। उसके बाद से आज तक जनगणना नहीं हो सकी है। ऐसी स्थिति में संविधान संशोधन के तहत इस नई जनगणना में जिसमें अनेक साल लग जाएंगे, उसके बाद ही पूरे देश में परिसीमन का काम शुरू होगा, जिसमें भी अनेक साल लगेंगे।

आंखों में धूल झोंककर उनका वोट हासिल करने की नियत

उन्होंने आगे कहा कि इस परिसीमन के पश्चात ही ये महिला आरक्षण बिल लागू होगा जबकि 128वें संशोधन विधेयक की सीमा ही 15 साल रखी गई है। इस प्रकार से यह स्पष्ट है कि यह संशोधन विधेयक वास्तव में महिलाओं को आरक्षण देने की साफ नीयत से नहीं लाया गया है बल्कि आने वाली लोकसभा तथा विधानसभा के चुनावों में देश की भोली-भाली महिलाओं को यह प्रलोभन देकर और उनकी आंखों में धूल झोंककर उनका वोट हासिल करने की नीयत से ही लाया गया है।

कम नहीं हो रहा तुर्की का “पाक” प्रेम, एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिर उठाया कश्मीर मुद्दा

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अपने दोस्त पाकिस्तान को खुश करने के लिए तुर्की ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठाया है।तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान को इस मुद्दे को बातचीत से सुलझाना चाहिए। इससे क्षेत्र में स्थिरता आएगी। 

राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन ने यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के उच्च स्तरीय 78वें सत्र में कश्मीर का मुद्दा उठाया। एर्दोगन ने मंगलवार को महासभा की आम बहस में विश्व नेताओं को दिए संबोधन में कहा, ‘‘भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद और सहयोग के जरिये कश्मीर में न्यायपूर्ण एवं स्थायी शांति की स्थापना कर दक्षिण एशिया में शांति, स्थिरता तथा समृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘तुर्किये इस दिशा में उठाए गए कदमों का समर्थन करना जारी रखेगा।’‘

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव की उठाई मांग

हालांकि, एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में बड़े बदलावों की वकालत करने लिए भारत की तारीफ भी की। उन्होंने कहा कि यह गर्व का विषय है कि भारत यूएनएससी में एक अहम भूमिका निभा रहा है। इस बीच अर्दोआन ने सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों पर निशाना साधा और कहा कि वह चाहते हैं कि यूएनएससी के 15 अस्थायी सदस्यों को भी सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य बनाया जाए। एर्दोगन ने कहा, "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के इन 20 देशों (पांच स्थायी सदस्यों+15 अस्थायी सदस्यों) को यूएनएससी में बदल-बदलकर स्थायी सदस्यता दी जानी चाहिए। क्योंकि दुनिया इन पांच स्थायी सदस्यों से बड़ी है। हमारा कहना सिर्फ इतना है कि दुनिया महज अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस तक सीमित नहीं है।"

एर्दोगन कश्मीर को बता चुके हैं एक ज्वलंत मुद्दा

बता दें कि कश्मीर को लेकर एर्दोगन का यह बयान उनके पुराने बयानों की अपेक्षा काफी हल्का है। साल 2020 में एर्दोगन ने कश्मीर को एक ज्वलंत मुद्दा बताया था। इसके साथ उन्होंने अनुच्छेद 370 को खत्म करने को लेकर भारत की आलोचना भी की थी। वहीं पिछले साल उन्होंने जोर देकर कहा था कि संयुक्त राष्ट्र रिजोल्यूशन अपनाए जाने के बावजूद, कश्मीर अभी भी घिरा हुआ है और 80 लाख लोग फंसे हुए हैं।हालांकि, भारत ने अर्दोआन के बयानों की निंदा की थी और देश की स्वायत्ता का सम्मान करने की मांग की थी।

*महिला आरक्षण पर बोलते हुए सोनिया को याद आए राजीव, बोलीं-बिल पास होते ही उनका सपना हो जाएगा पूरा*

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संसद के विशेष सत्र का आज तीसरा दिन है। आज लोकसभा में 'नारी शक्ति वंदन विधेयक’ पर बहस जारी है। कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल लोकसभा में महिला आरक्षण बिल के बारे में जानकारी दी। जिसके बाद सदन में बिल पर बोलते हुए कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी ने ऐलान किया कि कांग्रेस महिला आरक्षण बिल का समर्थन करती है। हालांकि, उन्होंने जातिगत जनगणना कराकर एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण का प्रावधान इस बिल में किया जाए।

सोनिया बोलीं-कांग्रेस महिला आऱक्षण बिल का समर्थन करती हूं

सोनिया गांधी ने लोकसभा में कहा कि कांग्रेस महिला आऱक्षण बिल का समर्थन करती है, मैं इस बिल के समर्थन में खड़ी हुई हूं। यह मेरी जिंदगी का मार्मिक समय है। पहली बार निकाय चुनाव में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने वाला बिल मेरे जीवनसाथी राजीव गांधी ही लाए थे। बाद में पीएम पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने ही उसे पारित कराया था। आज उसी का नतीजा है कि देशभर के स्थानीय निकायों के जरिए हमारे पास 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं। राजीव गांधी का सपना अभी तक आधा ही पूरा हुआ है। इस बिल के पारित होने के बाद यह सपना पूरा होगा। 

सोनिया बोली- बिल फौरन अमल में लाया जाए

सोनिया गांधी ने अपने भाषण में कहा कि भारत की स्त्री का सफर बहुत लंबा है। महिलाओं ने सबकी भलाई के लिए काम किया।भारत की महिला में हिमालय जैसा धीरज है।नए भारत के निर्माण में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर महिलाएं लड़ीं। महिला कभी तकलीफों के बोझ के तल नहीं दबी। स्त्री ने कठिन समय में महात्मा गांधी, नेहरू, पटेल के सपनों को जमीन पर उतारा। इंडिरा गांदी का व्यक्तिव इसकी मिसाल है। कांग्रेस सरकार पहले भी बिल लाई जो गिर गया। इसके पास होने से खुशी है, लेकिन एक चिंता है। सवाल है कि 13 सालों से स्त्री अपनी राजनैतिक जिम्मेदारी का इंतजार कर रही। अब उन्हें कितने साल इंतजार करने के लिए कहा जा रहा है, 2 साल, 4 वर्ष, 8 वर्ष, कितने वर्ष। हमारी मांग है कि ये बिल फौरन अमल में लाया जाए। इसके साथ ही कास्ट सेंसस करवाकर एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण दिया जाए।

यूएन में बोले, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, विश्व के नेता रूसी आक्रमणकारियों के खिलाफ यूक्रेन के साथ खड़े हों, अब यही एकमात्र रास्ता बचा

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अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए विश्व नेताओं से रूसी आक्रमणकारियों के खिलाफ यूक्रेन के साथ खड़े होने की अपील की। उन्होंने उम्मीद जताई कि कांग्रेस में रिपब्लिकन भी इस पर ध्यान देंगे। बाइडन ने UNGA में अपने भाषण में कहा, 'रूस को लगता ​​है कि दुनिया थक जाएगी और उसे बिना किसी नतीजे के यूक्रेन पर क्रूरता करने देगी। अगर हम यूक्रेन को विभाजित होने देते हैं, तो क्या किसी भी राष्ट्र की स्वतंत्रता सुरक्षित होगी?' वार्षिक सभा में बाइडन का संबोधन उनकी न्यूयॉर्क की तीन दिवसीय यात्रा का फोकस रहा। इनमें 5 मध्य एशियाई देशों के प्रमुखों और इजराइल व ब्राजील के नेताओं के साथ बैठकें भी शामिल हैं।

डेमोक्रेट लीडर जो बाइडेन ने यूक्रेन के समर्थन को अमेरिकी विदेश नीति का अहम हिस्सा बना दिया है। वह तर्क देते हैं कि दुनिया को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को साफ संकेत भेजना चाहिए कि वह पश्चिम से आगे नहीं निकल पाएंगे। इस रवैये को लेकर बाइडेन को कुछ रिपब्लिकन की आलोचना का सामना करना पड़ा है। ये नेता चाहते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका युद्ध पर कम पैसा खर्च करे। 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन नॉमिनेशन में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सबसे आगे चल रहे हैं। उन्होंने सत्ता में लौटने पर युद्ध को शीघ्र समाप्त करने की कसम खाई है। ट्रंप ने नाटो सहित पारंपरिक सहयोगियों के साथ वाशिंगटन की भागीदारी को लेकर संदेह जताया है और पुतिन की प्रशंसा भी की है।

नग्न आक्रामकता के खिलाफ खड़े हों: बाइडन

रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि रूस पर लगाम लगाना दुनिया के लिए जरूरी है। मॉस्को को सख्त संदेश देते हुए बाइडन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में विश्व नेताओं से यूक्रेन के पक्ष में आह्वान किया। उन्होंने कहा, 'हमें इस नग्न आक्रामकता के खिलाफ आज खड़ा होना चाहिए। कल के दूसरे संभावित आक्रामकों को रोकने के लिए यह कदम उठाया जाए।' अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, 'यही कारण है कि संयुक्त राज्य अमेरिका अपने सहयोगियों और दुनिया भर के साझेदारों के साथ यूक्रेन के बहादुर लोगों के साथ खड़ा है। वे अपनी संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता की रक्षा कर रहे हैं।'

पुतिन जैसे तानाशाहों का नहीं लूंगा पक्ष: बाइडन

जो बाइडन ने सोमवार शाम को चुनाव प्रचार के लिए कोष जुटाने के अभियान की समीक्षा की थी। इस दौरान उन्होंने समर्थकों को बताया कि वह रूस के राष्ट्रपति पुतिन के आक्रमण के खिलाफ खड़े रहें। उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल ट्रंप सत्ता में रहने पर यूक्रेन के भूभाग पर कब्जा करने से रूस को रोकने में मदद करते। बाइडन ने चंदा जुटाने के अभियान के दौरान अपने समर्थकों से कहा, 'मैं पुतिन जैसे तानाशाहों का पक्ष नहीं लूंगा। हो सकता है कि ट्रंप और उनके मित्र झुक जाएं, लेकिन मैं नहीं झुकूंगा।'

बाइडन बोले- हमने दुनिया को एकजुट किया

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, 'हमने यूक्रेन का समर्थन करने और नाटो को साथ करने के लिए दुनिया को एकजुट किया, क्योंकि मैं शुरू से आश्वस्त था कि नाटो के सामने पुतिन टिक नहीं पाएंगे। हमारे सहयोगी एक बार फिर जानते हैं कि अमेरिका पर भरोसा किया जा सकता है।' यूक्रेन के लिए अटूट समर्थन का बाइडन का संदेश काम कर सकता है, क्योंकि अमेरिकी कांग्रेस (संसद) कीव के लिए अतिरिक्त धन उपलब्ध कराने को लेकर विभाजित है। बाइडन यूक्रेन के लिए अतिरिक्त सैन्य सहायता के रूप में 13.1 अरब अमेरिकी डॉलर और मानवीय सहायता के लिए 8.5 अरब अमेरिकी डॉलर के पैकेज का प्रावधान करना चाहते हैं। हालांकि, रिपब्लिकन सांसद संघीय खर्च में व्यापक कटौती पर जोर दे रहे हैं। ट्रंप के साथ जुड़े कुछ नेता विशेष रूप से यूक्रेन के लिए मदद रोकने की मांग कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पुलिस ने फिर नहीं माना हाई कोर्ट का आदेश ! अब अदालत ने ठोंका जुर्माना, यहां जानिए पूरा मामला

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कलकत्ता उच्च न्यायालय के जज अभिजीत गंगोपाध्याय और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के बीच अक्सर टकराव देखने को मिलता रहता है। जस्टिस पहले भी ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद अभिषेक बनर्जी खिलाफ सख्त कदम उठा चुके है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के बीच में आ गया और अभिषेक बनर्जी को राहत मिल गई। उसके बाद भी जस्टिस ने शिक्षक भर्ती घोटाले की सुनवाई करते हुए कई फर्जी नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश दे दिया था। हालाँकि, उस मामले में भी हाईकोर्ट की बड़ी बेंच ने ममता बनर्जी सरकार को राहत दे दी और नियुक्तियां रद्द होने से बच गईं। अब जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने ममता बनर्जी की पुलिस की क्लास लगाई है।

रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस गंगोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल पुलिस के CID (क्रिमिनल इन्वेस्टिगेटिंग डिपार्टमेंट) पर पांच लाख रुपये का जुर्माना ठोंका है। दरअसल, जस्टिस इस बात से खफा थे कि उनके आदेश देने के बावजूद CID ने एक घोटाले की जांच CBI और ED को नहीं सौंपी है। जस्टिस का सवाल था कि CID आखिर क्या छिपाना चाह रही है ? क्या वो घोटाले के दोषियों को बचाना चाह रही है ? बता दें कि, CID राज्य सरकार के अधीन आती है और CBI-ED केंद्र के आधीन। इससे पहले भी कई बार हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद बंगाल पुलिस ने केंद्रीय जांच एजेंसियों को मामलों के दस्तावेज नहीं सौंपे हैं। इसी साल रामनवमी पर जुलुस निकाल रहे श्रद्धालुओं पर हुए हमले की जांच भी हाई कोर्ट ने NIA को सौंपी थी, लेकिन NIA ने कोर्ट को बताया था कि, कई दिन हो गए किन्तु, बंगाल पुलिस ने उसे दस्तावेज़ ही नहीं सौंपे हैं, जिसके चलते जांच अटकी पड़ी है। उस वक़्त भी यह सवाल उठा था कि, आखिर सीएम ममता की पुलिस क्या छुपाना चाह रही है और किसे बचाना चाह रही है ? वहीं, जब पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस (रिटायर्ड) नरसिम्हा रेड्डी के नेतृत्व में मानवाधिकार संगठन की 6 सदस्यीय टीम हिंसा की सच्चाई का पता लगाने बंगाल पहुंची थी, लेकिन ममता बनर्जी की पुलिस ने उन्हें दंगा प्रभावित इलाके में जाने ही नहीं दिया था।

क्या है ताजा मामला, जिसमे बंगाल पुलिस को पड़ी फटकार

दरअसल, ये मामला अलीपुरद्वार महिला समाबे रिंदन से संबंधित है। सोसायटी के पास 21163 सदस्य पंजीकृत हैं। इन सभी लोगों ने सोसायटी के पास अपने पैसों का निवेश किया था। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ये रकम 50 करोड़ से अधिक है। सोसायटी ने ये पैसा लोन के रूप में कुछ लोगों को बांट दिया। इस मामले की जांच CID को सौंपी गई थी। लेकिन तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी CBI जांच करती रही, और ये पता नहीं लगा पाई कि पैसा किन लोगों को दिया गया। वहीं, जिन लोगों ने सोसायटी से पैसा लिया, उसे कभी वापस ही नहीं लौटाया। जिन्होंने सोसाइटी में पैसे लगाए थे, वो दर दर की ठोकर खा रहे हैं।

24 अगस्त को हाईकोर्ट ने CBI और ED को सौंपा था केस

कोलकाता उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त को आदेश दिया था कि ये मामला CBI और ED को सौंपा जाए। लेकिन, हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद ममता सरकार के अधीन आने वाली CID ने एक महीने तक ये केस अभी तक केंद्रीय एजेंसियों को नहीं सौंपा। इस पर जस्टिस गंगोपाध्याय ने सवाल किया कि ममता बनर्जी की पुलिस आखिर छिपा क्या रही है ? उसने ये केस अभी तक केंद्रीय एजेंसियों को क्यों नहीं सौंपा ? जस्टिस का कहना था कि CID के एक अधिकारी ने खुद माना है कि केस अभी तक ट्रांसफर नहीं किया जा सका है। जिसके बाद जस्टिस ने CID पर 5 लाख का जुर्माना लगा दिया। 

हालांकि, CID ने जस्टिस गंगोपाध्याय की अदालत में अर्जी दी कि पांच लाख जुर्माने का आदेश वापस ले लिया जाए। इस पर अदालत ने कहा कि CID ऐसी अर्जी दाखिल करने वाली होती कौन है। 22 सितंबर तक पुलिस को पांच लाख रुपये की रकम हाईकोर्ट की लीगल एड में जमा कराने का आदेश दिया गया है। इसके साथ ही जस्टिस ने ये आदेश भी दिया कि CBI और ED को 18 सितंबर तक CID केस से संबंधित दस्तावेज सौंप दे।

*इमरान खान के बाद पाक के इस पूर्व पीएम ने की भारत की तारीफ, बोले- पाकिस्तान भीख मांग रहा और भारत चांद पर पहुंच गया*

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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के बाद अब नवाज शरीफ ने भारत की तारीफ की है।पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने देश के आर्थिक संकट के लिए पूर्व जनरल और न्यायाधीशों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान दुनिया के सामने भीख मांगता फिर रहा है, जबकि भारत ने चांद पर पहुंचने के अलावा जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी की।

नवाज बोले- पाकिस्तानी पीएम भीख मांग रहे

नवाज शरीफ ने सोमवार शाम को वीडियो लिंक के जरिए लंदन से लाहौर में पार्टी की एक बैठक को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए सवाल किया, ''आज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पैसे की भीख मांगने के लिए एक देश से दूसरे देश जा रहे हैं, जबकि भारत चांद पर पहुंच गया है और जी-20 की बैठकें भी आयोजित की। भारत ने जो कमाल किया वो पाकिस्तान क्यों नहीं कर पाया। 

शरीफ ने पाक की इस हालत के लिए इन्हें ठहराया जिम्मेदार

पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने कहा, वो कौन लोग हैं, जिन्होंने आज पाकिस्तान का यह हाल कर दिया है।जो मैं और आप देख रहे हैं। वो कौन लोग हैं, जिन्होंने मुल्क को यहां तक पहुंचाया है।आज गरीब रोटी को तरसता है। वाकई आज गरीब रोटी को तरस रहा है। मैं वीडियो देख रहा था।कई बार देखता हूं। दो चार दिन पहले की बात है। आठ-आठ रोटियां एक पैकेट में लेकर एक शख्स बांट रहा है।यकीन मानिए मैंने उस भीड़ की गिनती की। करीब 100 से ज्यादा लोग खड़े होंगे।इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। ये लोग रोटी पाने के लिए लाइन में खड़े थे। आज आम आदमी रोटी भी नहीं जुटा सकता है। यहां तक किसने पहुंचाया? 

भारत की तारीफ में कही ये बात

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत के दुनिया की 5वीं बड़ी अर्थशक्ति बनने पर भी तारीफ की है। शरीफ ने कहा कि भारत ने 1990 में सरकार द्वारा शुरू किए गए आर्थिक सुधारों का पालन किया है। उन्होंने कहा कि जब भारत रत्न पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने थे तो हिंदुस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 1 अरब अमेरिकी डॉलर था। मगर अब मोदी राज में यह बढ़कर अप्रत्याशित रूप से 600 अरब डॉलर तक पहुंच गया। नवाज ने कहा कि भारत की अत्याधुनिक नीतियों और मजबूत नेतृत्व का नतीजा है। जबकि पाकिस्तान को पूर्व न्यायाधीशों और पूर्व जनरलों ने कंगाल बना डाला है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो चुकी है। उन्होंने अपने देश के पूर्व प्रमुख न्यायाधीश साकिब निसार और पूर्व सेना प्रमुख आसिफ सईद खोस का जुर्म पाकिस्तान को इस हालत तक पहुंचाने के लिए हत्या से ज्यादा है। इन्हें पाकिस्तान कभी माफ नहीं कर सकता।

पाकिस्तान वापस लौट रहे नवाज शरीफ

शरीफ ने आगामी आम चुनाव में पार्टी के राजनीतिक अभियान का नेतृत्व करने के लिए 21 अक्टूबर को देश लौटने की घोषणा की है, जिससे ब्रिटेन में उनका चार साल से अधिक का स्व-निर्वासन समाप्त हो जाएगा। नवंबर 2019 में, अलअजीजिया मिल्स भ्रष्टाचार मामले में सात साल की जेल की सजा काट रहे शरीफ को तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने चिकित्सा आधार पर देश छोड़ने में मदद की थी। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने कहा है कि वह अगले महीने शरीफ के लाहौर पहुंचने से पहले उनके लिए अग्रिम जमानत हासिल कर लेगी।

रेलवे के अदूरदर्शी फैसले से यात्रियों को हुई भारी परेशानी, पहले सूचना जारीकर 19 ट्रेनों को रद्द व 44 के मार्ग में बदलाव किया, चार घंटे बाद अपने आदेश को वापस लिया

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रेलवे के अदूरदर्शी फैसले से यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ी है। झारखंड में कुर्मी समाज द्वारा किए जा रहे रेल रोको आंदोलन के चलते रेलवे ने मंगलवार शाम को सूचना जारी कर 19 ट्रेनों को रद्द और 44 के मार्ग में बदलाव किया था, लेकिन चार घंटे बाद ही अपने आदेश को वापस ले लिया। इससे यात्री कंफ्यूज हो गए। रेलवे अधिकारियों में भी अफरातफरी का माहौल रहा। रेलयात्री पूरी जानकारी नहीं होने की वजह से यात्रा करने के लिए ही नहीं पहुंचे।

रेलवे ने मंगलवार को 4 बजे शाम सूचना जारी कर बताया कि झारखंड के गोमो और पारसनाथ स्टेशनों के बीच कुछ संगठनों द्वारा बुधवार को रेल रोको आंदोलन किया जा रहा है। इसी कारण 20 सितंबर को चलने वाली 8 और 19 को खुलने वाली 11 ट्रेनों के परिचालन को एक दिन के लिए रद्द किया गया है। वहीं 18 और 19 को खुलने वाली 23 ट्रेनों के मार्ग में परिवर्तन किया गया है। साथ ही 20 सितंबर को खुलने वाली 21 ट्रेनों के मार्ग में बदलाव किया गया है। 

लेकिन, अचानक मंगलवार की रात 8 बजे सूचना जारी कर बताया कि ट्रेन रद्द और मार्ग परिवर्तन की घोषणा को वापस लिया जाता है। इस दौरान परिवर्तन मार्ग में चल रही ट्रेन को पहले वाले मार्ग में लाने का देर रात तक प्रयास जारी रहा। हालांकि, कई ट्रेनें पुनः बहल की घोषणा के बावजूद मंगलवार को रद्द रहीं।

खाली ही रवाना हुई ट्रेन 

रेलवे के इस फैसले से पटना जंक्शन पर ट्रेन पकड़ने वाली यात्रियों के बीच अफरातफरी की स्थिति रही। रेल कर्मी ने बताया कि आंदोलन के मद्देनजर इस्लामपुर से हटिया के बीच चलने वाली इस्लामपुर-हटिया एक्सप्रेस को पहले रद्द कर दिया गया था। बाद में दोबारा से उसे चलाने का निर्णय लिया गया। इसकी वजह से काफी कम संख्या में यात्री इस ट्रेन में सफर करने पहुंचे। करीब 9.15 बजे खुली यह ट्रेन लगभग खाली थी। हालांकि रेलवे की ओर से यह जानकारी नहीं मिल पाई कि ट्रेन में कितने यात्री सवार हुए थे। 

इन ट्रेनों का मार्ग बदला गया था

12281 भुवनेश्वर-नई दिल्ली दुरंतो एक्सप्रेस 

12301 हावड़ा-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस 

12313 सियालदह-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस 

12319 कोलकाता-आगरा कैंट एक्सप्रेस 

12365 व 12366 पटना-रांची-पटना जनशताब्दी एक्सप्रेस 

12381 हावड़ा-नई दिल्ली पूर्वा एक्सप्रेस 

12815 पुरी-आनंद विहार नंदन कानन एक्सप्रेस 

13151 कोलकाता-जम्मूतवी एक्सप्रेस 

13307 धनबाद-फिरोजपुर कैंट गंगा सतलूज एक्सप्रेस 

13319 दुमका-रांची एक्सप्रेस 

18624 हटिया-इसलामपुर एक्सप्रेस 

18625 व 18626 पूर्णिया कोर्ट-हटिया-पूर्णिया कोर्ट एक्सप्रेस 

20839 रांची-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस 

22811 भुवनेश्वर-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस

महिला आरक्षण बिल पर आज होगी चर्चा, सोनिया से लेकर स्मृति और सीतारमण तक रखेंगी तर्क

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आज नई संसद में कार्यवाही का दूसरा दिन है। लोकसभा में आज महिला आरक्षण बिल पर चर्चा होगी। मोदी सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश किया था।कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने मंगलवार को महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) पेश किया था। इससे पहले पीएम मोदी ने महिला आरक्षण बिल पर बात करते हुए इसे ऐतिहासिक फैसला बताया था और सभी सांसदों से इसका समर्थन करने की अपील की थी।

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7 घंटे चलेगी चर्चा

मोदी सरकार ने महिला आरक्षण बिल का नाम नारी शक्ति वंदन अधिनियम-2023 दिया है। महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के लिए सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक 7 घंटे का समय तय किया गया है। कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी लोकसभा में बोलेंगी। वहीं, बीजेपी की ओर से बोलने वालों में स्मृति ईरानी, निर्मला सीतारमण और दीया कुमारी के नाम शामिल हैं।

पीएम ने की है सांसदों से समर्थन की अपील

पीएम मोदी ने महिला आरक्षण बिल पर बात करते हुए इसे ऐतिहासिक फैसला बताया था और सभी सांसदों से इसका समर्थन करने की अपील है। हालांकि, बिल पर हंगामा होने के भी आसार हैं। महिला आरक्षण बिल पर सियासत भी तेज हो गई है। विपक्ष ने केंद्र पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने बिल को मोदी का एक और स्टंट करार दिया, तो एआईएमआईएमचीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं के लिए कोटा न होना इसकी बड़ी खामी है।

संसद से इस बिल के पास होने के बाद लोकसभा और विधानसभाओं में 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व हो जाएंगी। महिला आरक्षण विधेयक को 50 फीसदी राज्यों की विधानसभाओं से पारित कराने की जरूरत नहीं है। संसद से पास होने और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये कानून बन जाएगा। इसके बाद जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद लागू होगा।