महिला आरक्षण बिलः कांग्रेस ने समझाई विधेयक की क्रोनोलॉजी, आप ने कहा चुनाव से पहले महिलाओं को बेवकूफ बनाने वाला विधेयक

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महिला आरक्षण बिल मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया।सरकार ने इसे 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' बिल के रूप में पेश किया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बिल को सदन में पेश किया।बिल के लोकसभा में पारित होने की संभावना है, क्योंकि सदन में सरकार के पास बहुमत है और कई विपक्षी दलों ने भी विधेयक का समर्थन किया है।

विधेयक पर वैसे तो विपक्ष सरकार के साथ है, लेकिन बिल में कामियां निकालकर वो हमलावर भी है।दरअसल, विपक्ष नारी शक्ति वंदन विधेयक के मसौदे में दो-तीन शर्तों को लेकर मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहा है। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने बिल को जुमला बताते हुए कहा कि ये देश की करोड़ों महिलाओं की उम्मीदें के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है।दिल्ली के सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी ने तो सीधा-सीधा आरोप ही मढ़ दिया कि मोदी सरकार दरअसल महिलाओं को आरक्षण नहीं उन्हें धोखा देने के लिए यह बिल लाई है।

कांग्रेस ने समझाई महिला आरक्षण विधेयक की क्रोनोलॉजी

वहीं, कांग्रेस पार्टी ने सोशल मीडिया पोस्ट में महिला आरक्षण बिल की क्रोनोलॉजी समझाई है। एक्स पर एक पोस्ट के जरिए पार्टी ने कहा कि पीएम मोदी ने चुनाव से पहले एक जुमला फेंका है और कुछ नहीं।जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, चुनावी जुमलों के इस मौसम में यह सबसे बड़ा जुमला है। यह देश की करोड़ों महिलाओं और लड़कियों की उम्मीदों के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। उन्होंने लिखा कि हमने पहले भी बताया है कि मोदी सरकार ने अभी तक 2021 में होने वाली दशकीय जनगणना नहीं की है। भारत जी 20 का एकमात्र देश है जो जनगणना कराने में विफल रहा है। अब कहा गया है कि महिला आरक्षण विधेयक के अधिनियम बनने के बाद, जो पहली दशकीय जनगणना होगी, उसके उपरांत ही महिलाओं के लिए आरक्षण लागू होगा। यह जनगणना कब होगी।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि विधेयक में यह भी कहा गया है कि आरक्षण अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके बाद परिसीमन प्रक्रिया के बाद प्रभावी होगा। क्या 2024 चुनाव से पहले जनगणना और परिसीमन हो जाएगा। यह विधेयक आज सिर्फ हेडलाइन बनाने के लिए है, जबकि इसका कार्यान्वयन बहुत बाद में हो सकता है।यह कुछ और नहीं बल्कि EVM- EVent Management है।

सोनिया गांधी और राबड़ी देवी ने क्या कहा

कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण बिल को लेकर कहा, ''यह अपना (विधेयक) है।'' बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी नेता राबड़ी देवी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, महिला आरक्षण के अंदर वंचित, उपेक्षित, खेतिहर और मेहनतकश वर्गों की महिलाओं की सीटें आरक्षित हों। मत भूलो, महिलाओं की भी जाति है। अन्य वर्गों की तीसरी/चौथी पीढ़ी की बजाय वंचित वर्गों की महिलाओं की अभी पहली पीढ़ी ही शिक्षित हो रही है, इसलिए इनका आरक्षण के अंदर आरक्षण होना अनिवार्य है।

आप ने कहा चुनाव से पहले महिलाओं को बेवकूफ बनाने वाला विधेयक

वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) की वरिष्ठ नेता आतिशी ने आरोप लगाया कि महिला आरक्षण विधेयक साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिलाओं को बेवकूफ बनाने वाला विधेयक है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को महिलाओं की भलाई और कल्याण में कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने कहा, 'विधेयक के प्रावधानों को गौर से पढ़ने पर पता चलता है कि यह 'महिला बेवकूफ बनाओ' विधेयक है।' विधेयक के अनुसार, परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने के बाद आरक्षण लागू होगा और 15 वर्षों तक जारी रहेगा। विधेयक के अनुसार, प्रत्येक परिसीमन प्रक्रिया के बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की अदला-बदली होगी।

यह एक बेहतरीन कदम है- पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की प्रतिक्रिया

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने एक्स पर लिखा, ''पुरुष राजनीतिक परिदृश्य के कठिन क्षेत्र को खुद पार करने के बाद मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि आखिरकार महिला आरक्षण बिल हकीकत बन जाएगा। आधी आबादी होने के बावजूद हमारा प्रतिनिधित्व बेहद कम है। यह एक बेहतरीन कदम है।'' इसके अलावा पीडीपी प्रमुख ने मीडिया से कहा, ''एनडीए की सरकार को 10 साल होने वाले हैं। अगर उन्होंने यह पहले ही किया होता तो 2024 के चुनाव में महिलाओं को बड़ी तादाद में भाग लेने का मौका मिलता, लेकिन देर आए दुरुस्त आए, अच्छी बात है... देश की तरक्की में यह एक अहम कदम होगा।''

मायावती ने किया महिला आरक्षण बिल का समर्थन

बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने महिला आरक्षण बिल का समर्थन किया है। उन्होंने एक्स पर एक प्रेस नोट जारी किया, जिसमें कहा गया, ''...वैसे देश की महिलाओं को लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में आरक्षण 33 प्रतिशत देने की बजाय अगर उनकी आबाधी को भी ध्यान में रखकर 50 प्रतिशत दिया जाता तो इसका हमारी पार्टी पूरे तहे दिल से स्वागत करेगी, जिसके बारे में सरकार को जरूर सोच-विचार करना चाहिए।'' उन्होंने और भी कई मांगे करते हुए आगे लिखा, ''किंतु बीएसपी की इन मांगों पर सरकार की ओर से अमल नहीं किया जाता है तब भी हमारी पार्टी संसद में इस महिला आरक्षण बिल को समर्थन देगी और इसे पास कराने में पूरी मदद करेगी...''

'मुझे इस क्षण का हिस्सा होने पर गर्व है..', पढ़िए, नए संसद भवन में क्या बोलीं भाजपा सांसद मेनका गांधी ?

भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने आज मंगलवार (19 सितंबर) को कहा है कि उन्हें उस पल का हिस्सा बनने पर गर्व है, जब सरकार महिलाओं को ''भारत के भविष्य में बराबर की हिस्सेदारी'' देगी। अतीत में महिला एवं बाल विकास मंत्री रह चुकीं मेनका गांधी ने सरकार के 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' नारे की ताकत और जन धन और उज्ज्वला योजना जैसी सामाजिक योजनाओं के बारे में बात की।

भारतीय संसद की समृद्ध विरासत की स्मृति में सेंट्रल हॉल में आयोजित एक समारोह में मेनका गांधी ने कहा कि, "मुझे इस क्षण का हिस्सा होने पर गर्व है जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार ने गहरी जड़ें जमा चुकी विषमता को सुधारने और हम सभी महिलाओं को भारत के भविष्य में समान हिस्सेदारी देने का काम किया है।" उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी लोगों को महज आंकड़ों के तौर पर नहीं, बल्कि उनकी जरूरतों के हिसाब से देखते हैं। उन्होंने कहा कि, "बैंक खाते खोलना, शौचालय के रूप में सम्मान देना, घर में पानी का नल, गरीबों के लिए घर बनाना, गैस सिलेंडर, युवाओं को ऋण देना, उन्हें कौशल प्रदान करना, महामारी के दौरान उनकी रक्षा करना।"

वरिष्ठ सांसद ने कहा कि उन्होंने अपने पति संजय गांधी की मृत्यु के नौ साल बाद, 32 साल की उम्र में संसद में प्रवेश किया और अपना अधिकांश वयस्क जीवन इसी संसद भवन में बिताया है। उन्होंने कहा कि, ''मैंने सात प्रधानमंत्रियों और भव्य इतिहास को आकार लेते देखा है।'' लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य आज भारतीय संसद की समृद्ध विरासत की स्मृति में एक समारोह के लिए पुराने संसद भवन के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में एकत्र हुए थे।

21 सितम्बर को ओमकारेश्वर में सीएम शिवराज करेंगे आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का उद्घाटन

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि राज्य में भारी बारिश के बाद ओमकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का उद्घाटन 21 सितंबर को किया जाएगा। पहले इसका उद्घाटन 18 सितंबर को होना था। बता दें कि, यह प्रतिमा 8वीं शताब्दी के दार्शनिक, हिंदू धर्म में एक प्रभावशाली और प्रतिष्ठित व्यक्ति को समर्पित है, जिसे "एकात्मता की प्रतिमा" (एकता की मूर्ति) नाम दिया गया है। विशेष रूप से, ओंकारेश्वर एक मंदिरों का शहर है, जिसमें भगवान शिव को समर्पित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक मौजूद है।

ओंकारेश्वर में स्थित एकात्म धाम, एकता और एकता के प्रतीक के रूप में कार्य करता है, जो महान आचार्य शंकर या आदि शंकराचार्य द्वारा प्रचारित अद्वैत वेदांत के कालातीत संदेश का जीवंत अवतार है। इस बीच, मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश हुई है, जिससे राज्य के कई हिस्सों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई है। यह विस्मयकारी बहु-धातु मूर्तिकला 54 फुट ऊंचे आसन पर खड़ी है और इसकी ऊंचाई 108 फुट है। इस मूर्ति का उद्घाटन 21 सितंबर को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा किया जाएगा।

सीएम चौहान ने पहले कहा था कि प्रतिमा का उद्घाटन बहुत भव्यता और भक्तिभाव से किया जाएगा। सीएम ने कहा कि प्रतिमा के उद्घाटन के लिए आने वाले सभी प्रमुख संतों का पारंपरिक स्वागत किया जाएगा, उन्होंने कहा कि बारिश के मौसम को देखते हुए, जिला प्रशासन को आयोजन स्थल के संबंध में विशेष रूप से संवेदनशील और सतर्क रहना चाहिए। और यातायात की उचित व्यवस्था करें। चौहान ने भोपाल में अपने निवास-सह-कार्यालय में 'स्टैच्यू ऑफ वननेस' के अनावरण कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा करते हुए यह टिप्पणी की।

राज्यसभा में खरगे-सीतारमण के बीच तीखी बहस, जानें किस वजह से आए आमने-सामने

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राज्‍यसभा में मंगलवार को विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे और केंद्रीय वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण के बीच तीखी बहस हो गई। दरअसल, निचले सदन में प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने बिल पर अपने विचारों को रखा। हालांकि उनके बयान पर सदन में हंगामा हो गया। राज्यसभा की पहली बैठक के दौरान ही नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बीच तीखी नोंकझोंक हो गई। ऐसा दो बार हुआ। पहली बार जब खरगे ने जीएसटी का जिक्र किया और दूसरी बार तब जब उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति की महिलाओं की साक्षरता दर कम है। खरगे ने कहा कि राजनीतिक दल की आदत कमजोर महिलाओं को चुनने की है। उनके इस बयान पर सत्तापक्ष के सांसदों ने आपत्ति जताई और हंगामा किया।

कांग्रेस अध्‍यक्ष ने कहा कि बहुत से राज्‍यों को कमजोर किया जा रहा है। उन्‍हें जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्‍स) का पेमेंट जल्‍दी नहीं होता है। न ही उन्‍हें मनरेगा की राशि समय से पहुंचती है। राज्‍यों के अलग-अलग विभागों को ग्रांट भी समय से नहीं मिलता है। उन्होंने सवाल किया कि इसके पीछे आखिर सरकार की नीयत क्‍या है। क्‍या वह कुछ राज्‍यों को कमजोर तो नहीं करना चाहती है। खरगे ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी सिर्फ लोकतंत्र की बात करती है। जहां-जहां लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गईं सरकारें थीं, उन्‍हें गिराने का काम भी उसी ने किया। इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने खरगे को टोककर विषय से भटकने की बात कही।

इसके बाद सभापति ने आपत्ति दर्ज कराने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बोलने का मौका दिया। वित्त मंत्री सीतारमण ने पलटवार करते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष का बयान तथ्यात्मक रूप से गलत है। केंद्र सरकार ने उधार लेकर राज्यों को जीएसटी का भुगतान किया है। राज्यों को हर बार एक दो महीने एडवांस में भी जीएसटी का भुगतान किया गया। किसी भी राज्य का कोई भी जीएसटी पैसा केंद्र पर बकाया नहीं है।

कांग्रेस सांसद खरगे ने आगे कहा, अनुसूचित जाति (एससी) की महिलाओं की साक्षरता दर कम है और यही कारण है कि राजनीतिक दलों को कमजोर महिलाओं को चुनने की आदत है और वे उन लोगों को नहीं चुनेंगे जो शिक्षित हैं और लड़ सकते हैं। उन्होंने कहा, मेरा कहना ये है कि कमजोर वर्ग के लोगों को हमें टिकट देते हैं। मैं सब पार्टी के लिए बोल रहा हूं। हिंदुस्तान की हर पार्टी में ऐसा है। इसी वजह से महिलाएं पीछे हैं। आप उनको बात करने नहीं देते, आप उनको कभी भी आगे बढ़ने नहीं देते।

खरगे के इस बयान पर सत्तापक्ष ने पलटवार किया और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार की ओर से मोर्चा संभाला और खरगे की बातों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा कहना कि पार्टी महिलाओं को तवज्जो नहीं देती है। यह गलत है। पार्टी ने हम सभी को मौका दिया। मैं आपत्ति दर्ज करवाती हूं। आप जनरलाइजेश (सामान्यीकरण) नहीं कर सकते।

इसपर निर्मला सीतारमण ने कहा कि राष्ट्रपति मूर्मु कौन हैं? ऐसे आप नहीं कह सकते हैं। आप कैसे दो महिलाओं में अंतर कर सकते हैं। हम सभी महिलाओं के आरक्षण की बात कर रहे हैं। इसपर सभापति जगदीप धनखड़ ने सुलह की कोशिश की। उन्होंने कहा कि हम ऐतिहासिक विषय पर चर्चा कर रहे हैं।

अंग्रेजों के बनाए पुराने संसद भवन को ढहा दिया जाएगा या संग्रहालय बनाया जाएगा, नए भवन में इंट्री के बाद से ही उठने लगे सवाल, पढ़िए डिटेल में खबर

संसद की कार्यवाही मंगलवार से नए भवन में चलेगी। पुराना संसद भवन संविधान को अपनाने के साथ ही कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है। यह 1927 में बनकर तैयार हुआ था जो अब 96 साल पुराना हो चुका है। कई बरसों से इसे मौजूदा जरूरतों के हिसाब से अपर्याप्त पाया गया है। लोकसभा में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पुरानी इमारत की 'हर एक ईंट' को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि सांसद नई आशा और विश्वास के साथ नई इमारत में एंट्री करने जा रहे हैं। वहीं, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदस्यों से उम्मीद है कि नए भवन में तख्तियां लाने और नियोजित ढंग से सदन स्थगित कराने का सिलसिला थम जाएगा।

पुराने संसद भवन को ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया था। यह इमारत न केवल स्वतंत्रता के लिए संघर्ष का गवाह बनी, बल्कि उसके बाद देश की प्रगति का भी गवाह रही। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी सूत्रों ने बताया कि इमारत को ध्वस्त नहीं किया जाएगा। संसदीय कामकाज के लिए अधिक जगह मुहैया कराने की खातिर इसे सुसज्जित किया जाएगा। सूत्रों ने कहा, 'ऐतिहासिक संरचना का संरक्षण किया जाएगा। यह देश की पुरातात्विक संपत्ति है।'

संग्रहालय में भी तब्दील करने की चर्चा

2021 में तत्कालीन केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने संसद को लेकर राज्यसभा को अहम जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि मौजूदा ढांचे की मरम्मत करानी होगी और वैकल्पिक इस्तेमाल के लिए इसे उपलब्ध कराना होगा। उन्होंने कहा कि विरासत के प्रति संवेदनशील पुनर्स्थापना के लिए नेशनल नेशनल आर्काइव को नए संसद भवन में शिफ्ट किया जाएगा। इससे पुराने संसद भवन को और अधिक जगह मिल सकती है। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि पुरानी इमारत के एक हिस्से को संग्रहालय में तब्दील किया जा सकता है।

नए संसद भवन की खासियत

बता दें कि पीएम मोदी ने नए संसद भवन का उद्घाटन इसी साल मई में किया था। इस विशाल भवन में लोकसभा चैंबर में 888 सदस्य और राज्यसभा कक्ष में 300 सदस्य आराम से बैठ सकते हैं। दोनों सदनों की संयुक्त बैठक के लिए लोकसभा में 1,280 सांसदों को जगह मुहैया कराई गई है। यह त्रिकोणीय आकार की चार मंजिला इमारत है, जो 64,500 वर्ग मीटर में फैली हुई है। नए संसद के तीन मुख्य द्वार हैं, जो कि ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार हैं। इसके अलावा वीआईपी, सांसदों और मेहमानों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार बनाए गए हैं।

*आईएमएफ से फंडिंग के लिए पाकिस्तान ने किया अपने हथियारों का 'सौदा', अमेरिका के साथ हुई थी गुप्त डील*

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पाकिस्तान कंगाली के दौर से गुजर रहा है।देश चलाने के लिए उसके मजबूरन कर्ज लेना पड़ा रहा है। इसी क्रम में पाकिस्‍तान को इस साल जुलाई में अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की तरफ से तीन अरब डॉलर का राहत पैकेज मिला था।अमेरिकी मीडिया हाउस द इंटरसेप्ट ने दावा किया है कि इस लोन को दिलाने में अमेरिका ने अहम भूमिका निभाई थी।रिपोर्ट की मानें तो उसे यह मदद अमेरिका के साथ हुई एक सीक्रेट डील के तहत मिली थी। 

इंटरसेप्ट की रिपोर्ट के मुताबिक आईएमएफ से लोन हासिल करने के लिए पाकिस्तान को अमेरिका के साथ हथियारों की सीक्रेट डील करनी पड़ी थी। अमेरिका ने पाकिस्तान से हथियार लेकर उन्हें रूस से जंग लड़ रहे यूक्रेन को दिया।‘द इंटरसेप्ट’ की खबर के अनुसार इस साल की शुरुआत में अमेरिका को गुप्त रूप से पाकिस्तानी हथियार बेचे गए थे।रिपोर्ट में पाकिस्तान और अमेरिका सरकार के आंतरिक दस्तावेजों के आधार पर यह दावा किया गया है। ऑनलाइन जांच वेबसाइट ‘इंटरसेप्ट’ ने बताया कि ये हथियार यूक्रेन की सेना को आपूर्ति करने के मकसद से बेचे गए थे। 

वेबसाइट द इंटरसेप्‍टर ने पाकिस्तान और अमेरिका के सरकारी दस्तावेजों की पुष्टि करने वाले सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। वेबसाइट का कहना है कि इससे यह पता चलता है कि पाकिस्तान को किस कदर अमेरिका से दबाव का सामना करना पड़ा था। वेबसाइट का कहना है कि इससे यह भी पता लगता है कि कैसे राजनीतिक और फाइनेंस से जुड़ा एलीट वर्ग छिपकर काम करता है। इसके बारे में कभी जनता को कुछ पता नहीं लग पाता है।

पाकिस्तान के विदेश विभाग की प्रवक्ता मुमताज जाहरा बलोच ने रिपोर्ट में किए गए दावों को खारिज कर दिया। जाहरा बलोच ने आरोपों को आधारहीन और मनगढ़ंत बताया। बलोच ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध में पाकिस्तान की नीति सख्त तौर पर निष्पक्ष रहने की है और किसी भी देश को हथियार या गोला बारूद मुहैया नहीं कराए हैं।

वेबसाइट का कहना है कि जब से इमरान खान सत्‍ता से गए हैं तब से ही पाकिस्‍तान, यूक्रेन युद्ध में अमेरिका का सहयोगी बनकर उभरा है। इमरान ने जाने से पहले विदेश मंत्रालय में राजनयिकों के सामने यूक्रेन युद्ध में पाकिस्तान के आक्रामक तटस्थ रुख पर नाराजगी जाहिर की थी। उनके जाने के बाद से यूक्रेन युद्ध में पाकिस्‍तान, अमेरिका और उसके साथियों का समर्थक बन गया है।

*भारत और कनाडा के विवाद पर अमेरिका ने दी प्रतिक्रिया, जानें क्या कहा?*

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भारत और कनाडा के संबंधों में तल्खी और बढ़ गई है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया है कि सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार हो सकती है।भारत सरकार निज्जर की हत्या के आरोपों को ख़ारिज करती रही है। निज्जर की हत्या में भारत की भूमिका की जांच के मद्देनजर कनाडा ने भारत के शीर्ष राजनयिक को भी निष्कासित कर दिया है। भारत ने भी जवाबी कार्रवाई में दिल्ली स्थित कनाडाई उच्चायोग को समन भेजा और एक सीनियर डिप्लोमैट को निष्कासित करने का फ़ैसला किया है। उस राजनयिक को भारत छोड़ने के लिए पाँच दिन का समय दिया गया है।भारत-कनाडा के बीच खालिस्तानी आतंकी की हत्या को लेकर चल रहे इस तनाव पर अब अमेरिका ने चिंता जाहिर की है।

व्हाइट हाउस ने कहा कि जून में ब्रिटिश कोलंबिया में एक खालिस्तानी नेता की हत्या में भारतीय सरकारी एजेंटों को शामिल होने के कनाडाई प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों पर अमेरिका गहराई से चिंतित है।व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने एक बयान में कहा,'हम आज प्रधान मंत्री ट्रूडो द्वारा संदर्भित आरोपों के बारे में गहराई से चिंतित हैं। उन्होंने कहा, 'हम अपने कनाडाई भागीदारों के साथ नियमित संपर्क में रहते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि कनाडा की जांच आगे बढ़े और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए।

निज्‍जर प्रतिबंधित खालिस्‍तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) से जुड़ा था। वह गुरपतवंत सिंह पन्नून के बाद संगठन में नंबर दो था। जुलाई 2020 में भारत ने उसे 'आतंकवादी' घोषित किया था।इस साल 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। निज्जर की हत्या के बाद कनाडा में ये बातें उठी कि उसकी हत्या भारतीय एजेंट्स ने की। लेकिन भारत अपने ऊपर लगने वाले इन आरोपों को खारिज कर चुका है।इसी क्रम में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्‍तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्‍जर की हत्‍या के लिए भारत पर निशाना साधा है। इसके साथ ही ट्रूडो ने एक टॉप भारतीय डिप्‍लोमैट को भी अपने देश से निष्कासित कर दिया है।

क्य़ा कहा था कनाडाई पीएम ट्रूडो ने?

कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने आरोप लगाया कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या के तार भारत सरकार के साथ जुड़े हुए हो सकते हैं। कनाडाई संसद को संबोधित करते हुए ट्रूडो ने कहा कि कनाडाई खुफिया एजेंसियों ने सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद आरोपों की जांच शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की जमीन पर कनाडाई नागरिक की हत्या के पीछे विदेशी सरकार का होना बिल्कुल भी स्वाकार्य योग्य नहीं है। ये हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है।

कनाडा को करारा जवाब

कनाडा की तरफ से भारत पर लगाए गए आरोपों का मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने करारा जवाब दिया है।विदेश मंत्रालय ने मंगलवार सुबह एक बयान जारी कर कहा कि कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का संसद में दिए गए बयान को देखा गया है। उनके विदेश मंत्री के बयान को भी सुना गया है। हम कनाडाई पीएम और विदेश मंत्री के आरोपों को खारिज करते हैं। कनाडा में होने वाली किसी भी हिंसा में भारत सरकार पर शामिल होने का आरोप लगाना बेहद ही बेतुका और राजनीति से प्रेरित है। बयान में आगे कहा गया कि ठीक ऐसे ही आरोप हमारे प्रधानमंत्री के सामने कनाडाई प्रधानमंत्री ने लगाए। हमने उसे भी सिरे से खारिज कर दिया था। हम कानून के राज को लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहे हैं।

भारत और कनाडा के विवाद पर अमेरिका ने दी प्रतिक्रिया, जानें क्या कहा?

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भारत और कनाडा के संबंधों में तल्खी और बढ़ गई है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया है कि सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार हो सकती है।भारत सरकार निज्जर की हत्या के आरोपों को ख़ारिज करती रही है। निज्जर की हत्या में भारत की भूमिका की जांच के मद्देनजर कनाडा ने भारत के शीर्ष राजनयिक को भी निष्कासित कर दिया है। भारत ने भी जवाबी कार्रवाई में दिल्ली स्थित कनाडाई उच्चायोग को समन भेजा और एक सीनियर डिप्लोमैट को निष्कासित करने का फ़ैसला किया है। उस राजनयिक को भारत छोड़ने के लिए पाँच दिन का समय दिया गया है।भारत-कनाडा के बीच खालिस्तानी आतंकी की हत्या को लेकर चल रहे इस तनाव पर अब अमेरिका ने चिंता जाहिर की है।

व्हाइट हाउस ने कहा कि जून में ब्रिटिश कोलंबिया में एक खालिस्तानी नेता की हत्या में भारतीय सरकारी एजेंटों को शामिल होने के कनाडाई प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों पर अमेरिका गहराई से चिंतित है।व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने एक बयान में कहा,'हम आज प्रधान मंत्री ट्रूडो द्वारा संदर्भित आरोपों के बारे में गहराई से चिंतित हैं। उन्होंने कहा, 'हम अपने कनाडाई भागीदारों के साथ नियमित संपर्क में रहते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि कनाडा की जांच आगे बढ़े और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए।

निज्‍जर प्रतिबंधित खालिस्‍तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) से जुड़ा था। वह गुरपतवंत सिंह पन्नून के बाद संगठन में नंबर दो था। जुलाई 2020 में भारत ने उसे 'आतंकवादी' घोषित किया था।इस साल 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। निज्जर की हत्या के बाद कनाडा में ये बातें उठी कि उसकी हत्या भारतीय एजेंट्स ने की। लेकिन भारत अपने ऊपर लगने वाले इन आरोपों को खारिज कर चुका है।इसी क्रम में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्‍तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्‍जर की हत्‍या के लिए भारत पर निशाना साधा है। इसके साथ ही ट्रूडो ने एक टॉप भारतीय डिप्‍लोमैट को भी अपने देश से निष्कासित कर दिया है।

क्य़ा कहा था कनाडाई पीएम ट्रूडो ने?

कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने आरोप लगाया कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या के तार भारत सरकार के साथ जुड़े हुए हो सकते हैं। कनाडाई संसद को संबोधित करते हुए ट्रूडो ने कहा कि कनाडाई खुफिया एजेंसियों ने सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद आरोपों की जांच शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की जमीन पर कनाडाई नागरिक की हत्या के पीछे विदेशी सरकार का होना बिल्कुल भी स्वाकार्य योग्य नहीं है। ये हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है।

कनाडा को करारा जवाब

कनाडा की तरफ से भारत पर लगाए गए आरोपों का मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने करारा जवाब दिया है।विदेश मंत्रालय ने मंगलवार सुबह एक बयान जारी कर कहा कि कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का संसद में दिए गए बयान को देखा गया है। उनके विदेश मंत्री के बयान को भी सुना गया है। हम कनाडाई पीएम और विदेश मंत्री के आरोपों को खारिज करते हैं। कनाडा में होने वाली किसी भी हिंसा में भारत सरकार पर शामिल होने का आरोप लगाना बेहद ही बेतुका और राजनीति से प्रेरित है। बयान में आगे कहा गया कि ठीक ऐसे ही आरोप हमारे प्रधानमंत्री के सामने कनाडाई प्रधानमंत्री ने लगाए। हमने उसे भी सिरे से खारिज कर दिया था। हम कानून के राज को लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहे हैं।

लोकसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल पेश, 15 साल होगी महिला आरक्षण की अवधि

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नए संसद भवन में लोकसभा की कार्यवाही में सरकार ने पहला बिल किया।पहला बिल महिला आरक्षण से जुड़ा है। इसे 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' नाम दिया गया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया कि महिला आरक्षण बिल का नाम ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ होगा। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश।

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि महिला आरक्षण बिल की अवधि 15 साल होगी। हालांकि ये अवधि बढ़ाने के लिए संसद के पास अधिकार होगा। मेघवाल ने कहा कि इस अधिनियम के पास होने के बाद लोकसभा में महिला सीटों की संख्या 181 हो जाएंगी। लोकसभा में फिलहाल महिला सांसदों की संख्या 82 है।बड़ी बात यह है कि एससी-एसटी वर्ग के लिए कोटा के अंदर कोटा लागू होगा। इसका मतलब है कि 33 फीसदी आरक्षण के अंदर एससी-एसटी में शामिल जातियों को भी आरक्षण की व्यवस्था होगी। यानी लोकसभा में एससी के लिए रिजर्व सीटें 84 हैं, उसका 33 फीसदी होता है 28 सीट। यानी एससी में 28 सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व होंगी। इसी तरह लोकसभा में एसटी के लिए 47 रिजर्व सीटें हैं, जिनका 33 फीसदी होता है 15 सीट। यानी 15 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।

विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा

केंद्रीय कानून मंत्री मेघवाल ने कहा कि महिलाओं को लोकसभा के अलावा अलग-अलग राज्यों की विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा।विधानसभा की 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। दिल्ली विधानसभा की 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए होंगी। एससी की 84 रिजर्व सीटों में से 33 फीसदी महिलाओं के लिए होंगी और एसटी की 47 रिजर्व सीटों में 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए होंगी।

27 साल से अटका है महिला आरक्षण विधेयक

बता दें कि करीब 27 साल से लंबित महिला आरक्षण विधेयक अटका पड़ा था। महिलाओं को सदन में 33 फीसदी आरक्षण देने से जुड़ा बिल आखिरी बार मई 2008 को संसद में पेश किया गया था। तब की यूपीए सरकार ने अपने न्यूनतम साझा कार्यक्रम में महिला बिल को शामिल किया था और इसी वादे को पूरा करते हुए राज्यसभा में 6 मई 2008 को बिल पेश किया गया। फिर 9 मई 2008 को इसे कानून और न्याय से संबंधित स्थायी समिति के पास भेज दिया गया।स्थायी समिति ने लंबी चर्चा के बाद 17 दिसंबर 2009 को अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की और इसे पास करने की सिफारिश की। 2 महीने बाद फरवरी 2010 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस सिफारिश को अपनी मंजूरी दे दी। हालांकि संसद में समाजवादी पार्टी, जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने इसका जमकर विरोध किया। जिसके बाद यह बिल अटकता चला गया।

लोकसभा से नहीं हो सका था पास

आखिरकार बिल पेश होने के करीब 2 साल बाद संसद की ऊपरी सदन ने 9 मई 2010 को अपने यहां पास कर दिया। लेकिन राज्यसभा के बाद जब यह बिल लोकसभा पहुंचा तो कभी यह बिल यहां पास ही नहीं हो सका।दरअसल, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस की ओर से इस बिल का समर्थन किया जाता रहा है लेकिन अन्य क्षेत्रीय दलों के भारी विरोध और पिछड़े वर्गों की महिलाओं के लिए भी आरक्षण की मांग समेत कुछ चीजों पर विरोध के चलते इस पर आम सहमति कभी नहीं बन सकी। साथ ही महिला आरक्षण बिल का विरोध करने वाले दलों की ओर से कहा गया कि इस आरक्षण का फायला सिर्फ शहरी क्षेत्र की महिलाओं को ही मिलेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं की फायदा नहीं होगा और उनकी हिस्सेदारी नहीं हो पाएगी।

नई संसद के पहले भाषण में पीएम मोदी ने किया बड़ा ऐलान, महिला आरक्षण के लिए नारी शक्ति वंदन बिल पेश को सर्वसम्मति से पास करने की अपील

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नई संसद में अपने पहले ही भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा ऐलान किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को नए संसद भवन में पहले कानून को पेश करने का एलान किया उन्होंने कहा कि महिला सशक्तीकरण के लिए सरकार नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश करने जा रही है। पीएम मोदी ने इसके लिए विपक्षी दलों से सहयोग मांगा और कहा कि 19 सितंबर का ये दिन इतिहास में अमर होने वाला दिन है।

शायद ईश्वर ने ऐसे कई पवित्र काम के लिए मुझे चुना-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा नए सदन के प्रथम सत्र के प्रथम भाषण में मैं बड़े विश्वास और गर्व से कह रहा हूं कि आज का यह दिवस इतिहास में नाम दर्ज करने वाला है। हम सबके लिए यह पल गर्व का पल है। अनेक वर्षों से महिला आरक्षण के संबंध में बहुत चर्चाएं हुई हैं। बहुत वाद-विवाद हुए हैं। महिला आरक्षण को लेकर संसद में पहले भी प्रयास हुए हैं। 1996 में पहली बार बिल पेश हुआ था। अटल जी के कार्यकाल में कई बार महिला आरक्षण बिल पेश किया गया लेकिन उसे पास कराने के लिए आंकड़े नहीं जुटा पाए, इस कारण वो सपना अधूरा रह गया। पीएम ने आगे कहा, 'वो काम... शायद ईश्वर ने ऐसे कई पवित्र काम के लिए मुझे चुना है। एक बार फिर हमारी सरकार ने कदम बढ़ाया है। कल ही कैबिनेट में महिला आरक्षण वाले बिल को मंजूरी दी गई है।

आज की तारीख ऐतिहासिक होने जा रही

पीएम ने कहा कि 19 सितंबर की ये तारीख इसीलिए इतिहास में अमरत्व को प्राप्त करने जा रही है। आज जब महिलाएं हर सेक्टर में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। नेतृत्व कर रही हैं तो बहुत आवश्यक है कि नीति निर्धारण में हमारी माताएं-बहनें, हमारी नारी शक्ति अधिकतम योगदान दें। योगदान ही नहीं, वे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। आज इस ऐतिहासिक मौके पर नए संसद भवन में सदन की पहली कार्यवाही के अवसर देश के इस नए बदलाव का आह्वान किया है और देश की नारी शक्ति के लिए सभी सांसद मिलकरके नए प्रवेश द्वार खोल दें, इसका आरंभ हम इस महत्वपूर्ण निर्णय से करने जा रहे हैं।

दोनों सदन से बिल को सर्वसम्मति से पारित करने की प्रार्थना-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि आंकड़े न हो पाने के चलते महिला आरक्षण बिल का सपना अधूरा रह गया था। इसके लिए पहले भी प्रयास हुए। आज की तारीख इतिहास में अमर हो जाएगी। सभी सदस्यों से आग्रह करता हूं कि पावन शुरुआत हो रही है। सर्वसम्मति से जब ये बिल कानून बनेगा तो उसकी ताकत अनेक गुणा बढ़ जाएगी। दोनों सदन के सदस्यों से सर्वसम्मति से पारित करने की प्रार्थना करता हूं।