सूर्य की और आदित्य एल1 की एक और छलांग, पांचवीं और आखिरी बार बदली गई कक्षा

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भारत का पहला सौर मिशन एक के बाद एक लगातार सफलता पा रहा है। मंगलवार को इसने सूर्य की ओर एक और छलांग लगा दी। दरअसल, इसरो के सौर मिशन आदित्य-एल1 ने कक्षा बदलने की पांचवीं और आखिरी प्रक्रिया को पूरा कर लिया और ये एल1 प्वाइंट की ओर आगे बढ़ गया।इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया कि रात 2:00 बजे ऑर्बिट बदलने की प्रक्रिया पूरी हुई है।

सूर्ययान ने पांचवीं बार बदली कक्षा

इसरो ने ट्वीट करके कहा- 'अब सूर्ययान पृथ्वी और सूर्य के बीच स्थित एल1 पॉइंट तक पहुंचने के लिए निकल चुका है। आदित्य एल1 के ट्रांस-लैग्रेन्जियन प्वाइंट 1 इन्सर्शन को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। अब ये यान उस ट्राजेक्टरी पर पहुंच गया है, जहां से उसे सूर्य के एल1 पॉइंट तक ले जाया जाएगा। करीब 110 दिन में सूर्ययान उस पॉइंट पर पहुंचेगा, जहां से उसे एल1 वाले ऑर्बिट में इन्जेक्ट किया जाएगा।'इसरो ने आगे लिखा कि यह पांचवीं बार है जब इसरो ने अंतरिक्ष में किसी अन्य खगोलीय पिंड या स्थान की ओर एक वस्तु को सफलतापूर्वक ट्रांसफर कर दिया है।

कुल पांच बार की गई अर्थ-बाउंट फायरिंग

बता दें कि आदित्य-एल1 को अपने निर्धारित स्थान एल1 प्वाइंट तक पहुंचाने के लिए इसरो ने कुल पांच बार अर्थ-बाउंड फायरिंग की। ये ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमें कोई उपग्रह अगली कक्षा में प्रवेश करता है। इसे पहले चौथी बार आदित्य-एल1 ने 15 सितंबर को सफलतापूर्वक कक्षा बदली थी। थ्रस्टर फायर के कुछ देर बाद ही इसरो ने ट्वीट कर इसके बारे में जानकारी दी थी। वहीं कक्षा बदलने की तीसरी प्रक्रिया 10 सितंबर की रात करीब 2.30 बजे पूरी की गई। तब इसे पृथ्वी से 296 किमी x 71,767 किमी की कक्षा में भेजा गया था।वहीं आदित्य-एल1 ने तीन सितंबर को पहली बार सफलतापूर्वक कक्षा बदलने की प्रक्रिया को पूरा किया था।

15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा आदित्य-एल1

बता दें कि आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को सौर कोरोना (सूर्य की सबसे बाहरी परतों) के दूरस्थ अवलोकन और एल-1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा के यथास्थिति अवलोकन के लिए बनाया गया है। एल-1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है।

क्या होता है L1 प्वाइंट

दरअसल L-1 प्वाइंट पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में स्थित है, जहां सूरज और पृथ्वी की ग्रेविटी एक दूसरे के समान होती है। इसीलिए यहां मौजूद कोई भी चीज बिना ईंधन खर्च किए अपनी जगह पर लंबे समय तक बनी रह सकती है। यहां से किसी भी वस्तु के अंतरिक्ष के अनंत सफर पर भटकने का खतरा नहीं रहता। अगर यहां मौजूद किसी वस्तु को कोई धक्का भी दे दे तो वापस अपनी जगह पर आ जाएगी। यह ऐसा बिंदु है जहां किसी भी खगोलीय पिंड की छाया नहीं पड़ती, जिसकी वजह से 24 घंटे सूर्य की रोशनी पड़ती है। इसलिए आदित्य L1 को यहां स्थापित करके सौर अध्ययन किया जाएगा।

' पांच दिन में भारत छोड़ो..', कनाडा के राजदूत को मोदी सरकार का आदेश, आतंकी हरदीप निज्जर की वकालत कर रहे थे कनाडाई पीएम ट्रुडो

 खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में कथित संलिप्तता के आरोप में कनाडा ने सोमवार को एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक को निष्कासित कर दिया, जिससे दोनों देशों के बीच पहले से ही खराब चल रहे रिश्ते और तनावपूर्ण हो गए। कैंडियन विदेश मंत्री मेलानी जोली ने आरोप लगाया था कि शीर्ष राजनयिक का प्रमुख सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में विश्वसनीय संबंध था।

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इससे पहले, कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने विधायिका में बोलते हुए इस मामले पर अपनी 'गहरी चिंता' जताई थी। यह दावा करते हुए कि उन्होंने उन चिंताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने 'व्यक्तिगत और सीधे' उठाया, ट्रूडो ने कहा कि देश की धरती पर एक कनाडाई नागरिक की हत्या 'हमारी संप्रभुता का अस्वीकार्य उल्लंघन' है। भारत सरकार ने इसके जवाब में कनाडाई पीएम के दावों को 'बेतुका और प्रेरित' बताते हुए खारिज कर दिया है। साथ ही नई दिल्ली ने कनाडा से अपनी धरती से संचालित होने वाले सभी भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ प्रभावी और त्वरित कानूनी कार्रवाई करने का भी आग्रह किया है।

वहीं, कनाडा में भारतीय राजनयिक को निष्काषित किए जाने के जवाब में भारत ने अपने कनाडा के उच्चायुक्त को आज मंगलवार को तलब किया और उन्हें भारत स्थित एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित करने के भारत सरकार के फैसले के बारे में सूचित किया। संबंधित राजनयिक को अगले पांच दिनों के भीतर भारत छोड़ने को कहा गया है। यह निर्णय हमारे आंतरिक मामलों में कनाडाई राजनयिकों के हस्तक्षेप और भारत विरोधी गतिविधियों में उनकी भागीदारी पर भारत सरकार की बढ़ती चिंता को दर्शाता है।

इस मामले से परिचित लोगों ने मंगलवार को कहा कि ओटावा से एक भारतीय ऑपरेटिव को बाहर निकालने के जस्टिन ट्रूडो सरकार के फैसले के जवाब में भारत सरकार एक कनाडाई अधिकारी को निष्कासित कर दिया है और 5 दिनों में देश छोड़ने को कहा है। भारत ने पहले ही कनाडाई प्रधान मंत्री ट्रूडो के इस तर्क को खारिज कर दिया है कि भारत सरकार के एजेंटों और जून में खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बीच "संभावित संबंध के विश्वसनीय आरोप" हैं, और इस दावे को "बेतुका और प्रेरित" बताया है।

10 फीट से अधिक ऊंची मूर्ति नहीं, पटाखों पर प्रतिबंध..! गणेश चतुर्थी पर चेन्नई पुलिस के 11 फरमान, सनातन पर विवाद थम नहीं रहा, पढ़िए, खबर

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 तमिलनाडु में शुरू हुई सनातन धर्म को लेकर विवादित बयानबाज़ी ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है। राज्य की सत्ताधारी DMK के नेता और सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन द्वारा सनातन धर्म को डेंगू-मलेरिया बताए जाने और उसे पूरी तरह ख़त्म करने की बात कहने के बाद विपक्षी दलों का गठबंधन I.N.D.I.A. बैकफुट पर है और उस पर हिन्दुओं की आस्था का अपमान करने के आरोप लग रहे हैं। चूँकि, कुछ कांग्रेस नेताओं ने भी उदयनिधि के बयान का समर्थन किया है, इसलिए देश की सबसे पुरानी पार्टी पर भी उंगलियां उठ रहीं हैं। 

इसी बीच ग्रेटर चेन्नई पुलिस ने वार्षिक विनयगर (भगवान गणेश) चतुर्थी उत्सव की पूर्व संध्या पर श्रद्धालुओं के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। जिसको लेकर एक और विवाद शुरू हो गया है। कई लोगों ने विनयगर चतुर्थी उत्सव के लिए पुलिस द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों के 11 सेटों को बेहद कठोर माना है। उनका तर्क है कि, इन बंदिशों के चलते हिंदुओं के लिए त्योहार में भाग लेना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। कुछ आयोजकों का कहना है कि विनयगर पंडालों की स्थापना प्रक्रिया अत्यधिक नौकरशाही, बोझिल और टैक्स लगाने वाली हो गई है। जिससे संभावित रूप से उनके निर्माण में देरी या बाधाएं आ सकती हैं।

मूर्तियों की स्थापना के संबंध में पुलिस द्वारा जारी किए गए कुछ निर्देश नीचे दिए गए हैं:-

1. जहां विनयगर की प्रतिमाएं स्थापित की जा रही हैं, वहां के भूमि मालिकों को संबंधित स्थानीय निकायों, राजमार्ग विभाग या सरकारी विभाग से अनुमति लेनी होगी।

2. अग्निशमन विभाग, बिजली बोर्ड आदि से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त होना चाहिए।

3. विनयगर मूर्तियों की स्थापना के लिए फॉर्म भरकर, उसमें उल्लिखित प्रतिबंधों और शर्तों का पालन करने का वचन देकर संबंधित पुलिस स्टेशन अधिकारी से मंजूरी लेनी होगी।

4. स्थापित की जाने वाली प्रतिमा की ऊंचाई चबूतरे के आधार से 10 फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए। 

5. पूजा स्थलों, अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों के पास प्रतिमाओं की स्थापना से बचना चाहिए।

6. मूर्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 24 घंटे के रोटेशन पर दो स्वयंसेवकों को तैनात किया जाना चाहिए।

7. पूजा स्थल पर किसी भी राजनीतिक दल या धार्मिक नेताओं के समर्थन में बैनर/होर्डिंग नहीं होने चाहिए।

8. अग्नि सुरक्षा नियमों और विनियमों का पालन किया जाना चाहिए, और दुर्घटनाओं और हादसों से बचने के लिए बिजली के तार कनेक्शन और पंडालों की समय-समय पर निगरानी की जानी चाहिए।

9. अग्नि सुरक्षा नियमों और विनियमों का पालन किया जाना चाहिए, विद्युत तार कनेक्शन; दुर्घटनाओं और हादसों से बचने के लिए पंडालों की समय-समय पर निगरानी की जानी चाहिए।

10. विनयगर मूर्तियों के विसर्जन के लिए पुलिस द्वारा अनुमति दिए गए दिनों में, मूर्तियों को अनुमति प्राप्त चार पहिया वाहनों में केवल अनुमत मार्गों पर ले जाया जाना चाहिए और शांतिपूर्वक विसर्जित किया जाना चाहिए।

11. विनयगर की मूर्तियां स्थापित होने वाले स्थानों, जुलूस मार्गों और विसर्जन बिंदुओं पर पटाखे फोड़ने की अनुमति नहीं है।

इसके साथ ही, ग्रेटर चेन्नई पुलिस ने कहा है कि "धार्मिक घृणा" भड़काने वाले या "अन्य धर्मों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले" नारे लगाना प्रतिबंधित है। यह नियम थोड़ा अस्पष्ट लगता है, और कुछ श्रद्धालु सोचते हैं कि यह उन लोगों पर नकेल कसने का एक तरीका हो सकता है, जो किसी विशिष्ट आस्था में विश्वास करते हैं। हालांकि, यह सच भी है क्योंकि आजकल, राजनीतिक माहौल तीव्र भावनाओं से भरा हुआ है, और यहां तक कि "जय श्री राम" कहने से भी विभिन्न धर्मों के कुछ लोग परेशान हो सकते हैं। तो इसका क्या ही किया जाए, मौन रहकर त्यौहार मनाया जाए ?  

इसके अलावा, जुलूस के दौरान जब वे विनयगर की मूर्तियों को पानी में विसर्जित करते हैं, तो पटाखों के उपयोग करने के खिलाफ भी एक नियम है। यह अच्छी बात है कि ग्रेटर चेन्नई पुलिस त्योहारों के दौरान चीजों को सुरक्षित रखना चाहती है, लेकिन इस नियम ने कुछ लोगों को हैरान भी कर दिया है, उनका सवाल है कि, पुलिस ने चेन्नई में हाल ही में हुए एआर रहमान के संगीत कार्यक्रम के लिए ऐसा क्यों नहीं किया ? जहाँ जमकर फटाके फूटे थे। बता दें कि, वह कॉन्सर्ट एक बड़ी गड़बड़ी बन गया था, जिसमें बहुत सारे लोग थे, अराजकता थी, और यहां तक कि कुछ बुरी चीजें भी हुईं, जैसे लोगों को चोट लगना और ट्रैफिक जाम होना। कई लोगों का कहना था कि, यह कॉन्सर्ट यह सचमुच एक बुरे सपने जैसा था।

मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी की ओर दिए समन के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट गए झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को झटका, शीर्ष अदालत ने कहा, यहां क्यों आए हैं,

मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर दिए गए समन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को निराशा हाथ लगी है। सर्वोच्च अदालत ने उनकी याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और उन्हें हाई कोर्ट जाने की सलाह दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस रुख के बाद सोरेन ने अपनी याचिका वापस ले ली। सोरेन अब ईडी के समन को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे।

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जस्टिस अनिरुद्ध बोस और बेला एम त्रिवेदी ने कहा, 'ऐसे केस हाई कोर्ट से आने चाहिए, सीधे नहीं है। आप हाई कोर्ट क्यों नहीं गए।?' सोरेन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, 'मैं हाई कोर्ट जाना चाहता हूं लेकिन कानून के कुछ ऐसे ही सवाल इस कोर्ट में भी हैं।' ईडी के समन पर रोक की मांग के अलावा सोरेन ने पीएमएलए ऐक्ट की धारा 50 और 63 की संवैधानिक वैधानिकता को चुनौती दी है।

सोरेन की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत में दावा किया कि यह पूरी तरह से पीछे पड़ जाने का मामला है। इस पर पीठ ने कहा, 'रोहतगी जी, आप उच्च न्यायालय क्यों नहीं जाते? नहीं नहीं, आप उच्च न्यायालय जाइए। हम आपको याचिका वापस लेने की अनुमति देंगे।' याचिका को वापस लिया मानकर खारिज कर दिया गया। ईडी की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलील दी कि यह मामला बड़ी संख्या में दिए गए निर्णयों के अंतर्गत आता है। 

सोरेन को चौथी बार मिला समन

इस बीच ईडी ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को फिर से समन भेजकर 23 सितंबर को उपस्थित होने को कहा है। इससे पहले ईडी ने जमीन खरीद-बिक्री मामले में मुख्यमंत्री को तीसरा समन भेज कर पूछताछ के लिए 9 सितंबर को हाजिर होने को कहा था। हालांकि मुख्यमंत्री सोरेन पूछताछ के लिए ईडी दफ्तर नहीं गए और वह जी-20 समिट के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा आयोजित भोज में शामिल होने के लिए दिल्ली रवाना हो गए थे।

9 घंटे तक हो चुकी है पूछताछ

ईडी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता सोरेन (48) से राज्य में कथित अवैध खनन से जुड़े धन शोधन मामले में पिछले साल 17 नवंबर को 9 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी। केंद्रीय एजेंसी एक दर्जन से अधिक भूमि सौदों की जांच कर रही है, जिसमें रक्षा भूमि से संबंधित एक सौदा भी शामिल है, जिसमें माफिया, बिचौलियों और नौकरशाहों के एक समूह ने 1932 की तिथि तक के फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए कथित तौर पर मिलीभगत की थी। ईडी ने झारखंड में अब तक कई लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें सोरेन के राजनीतिक सहयोगी पंकज मिश्रा भी शामिल हैं।

अमेरिका का घातक फाइटर जेट F-35 गायब, 80 मिलियन डॉलर वाले विमान को ढूढ़ने के लिए मांगी लोगों की मदद, पायलट सुरक्षित

 अमेरिका का सबसे एडवांस्‍ड फाइटर जेट एफ-35 गायब हो गया है। यह जेट कहां है इसकी कोई जानकारी नहीं है। जेट का पता लगाने के लिए अमेरिका ने अब स्‍थानीय लोगों की मदद मांगी है। इस हादसे में पायलट सुरक्षित बच गया है। इस जेट को लॉकहीड मार्टिन ने बनाया है।

एफ-35 फाइटर जेट, अमेरिका की मरीन कोर का वह लड़ाकू विमान है जो छिपकर मिशन को पूरा करने में सक्षम है। यह विमान उड़ान के दौरान गायब हो गया है। दक्षिण कैरोलिना के नॉर्थ चार्ल्‍सटन एयरबेस से टेकऑफ करने के बाद से ही इसका कुछ पता नहीं लग रहा है। मरीन कोर ने अब विमान का पता लगाने के लिए स्‍थानीय जनता से मदद मांगी है। हादसे के दरम्यान पायलट विमान से सुरक्षित बाहर आ गए थे। मरीन कोर ने इसकी जांच शुरू कर दी है और इसे एक घटना माना जा रहा है। पायलट की हालत स्थिर है और फिलहाल अस्‍पताल में उनका इलाज जारी है।

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 एक एफ-35 की कीमत 80 मिलियन डॉलर है। एयरबेस की तरफ से ट्विटर पर स्‍थानीय नागरिकों से अपील की गई है , जिसमें लिखा है "अगर आपके पास कोई जानकारी है जो हमारी टीमों को एफ-35 का पता लगाने में मदद कर सकती है तो प्‍लीज बेस डिफेंस ऑपरेशंस सेंटर को कॉल करें। " बेस अधिकारियों की मानें तो वह चार्ल्सटन शहर के उत्तर में दो झीलों के आसपास इसकी तलाश कर रहे हैं। मौसम ठीक होने के बाद दक्षिण कैरोलिना के न्‍याय विभाग का एक हेलीकॉप्टर भी तलाश में जुट गया है। F-35 का पायलट चार्ल्सटन बेस पर सुरक्षित लौट आया। फाइटर जेट और पायलट ब्यूफोर्ट में अमेरिका की मरीन फाइटर अटैक ट्रेनिंग स्क्वाड्रन 501 के साथ थे। इस स्‍क्‍वाड्रन पर समु्द्रों में होने वाले युद्धों के लिए सैनिकों को ट्रेनिंग देती है। यह बेस दक्षिण कैरोलिना के अटलांटिक तट से ज्यादा दूर नहीं है। एफ-35 को लॉकहीड मार्टिन बनाती है। पायलट का नाम फिलहाल सार्वजनिक नहीं किया गया है। यही अटैक स्‍क्‍वाड्रन F-35B लाइटनिंग II जेट भी ऑपरेट करती है।

ब्यूफोर्ट में मरीन कोर एयर स्टेशन 6900 एकड़ में फैला है। इस मिलिट्री बेस पर करीब 4700 सैनिक तैनात हैं। यह दक्षिण कैरोलिना और जॉर्जिया के तट पर हवा से हवा में युद्ध की ट्रेनिंग के साथ - साथ मैकिन्टोश काउंटी , जॉर्जिया में एक हवा से जमीन पर युद्ध को अंजाम देने में सक्षम है। इसके अलावा यह दुश्‍मन के अड्डे पर बमबारी भी कर सकता है। हाल ही में अमेरिका ने दक्षिण कोरिया की सेना को 25 , एफ-35 लड़ाकू विमानों की बिक्री को मंजूरी दी है। इस डील का मकसद उत्तर कोरिया और चीन की आक्रामकता के बीच पूर्वी एशिया में अमेरिका के सहयोगियों को मजबूत करना है। यह डील पांच अरब डॉलर की बताई जा रही है।

यूपी के पीलीभीत की दलित बस्ती में आरएसएस की शाखा का बसपा नेताओ ने किया विरोध, स्वयंसेवक से की मारपीट, आरएसएस का ध्वज फेंकने का आरोप

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यूपी के पीलीभीत में संघ की शाखा लगाने गए स्वयंसेवकों के साथ मारपीट का आरोप लगा है। यही नहीं है कि आरोप है कि संघ का ध्वज उतार कर फेंक दिया गया। पुलिस ने स्वयंसेवक की तहरीर के आधार पर बसपा के विधानसभा अध्यक्ष नागेंद्र गौतम, सर्वेश व एक अज्ञात के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। हालांकि दूसरे पक्ष का कहना है कि उसकी तहरीर ही नहीं ली गई। थाने में पुलिस के सामने ही उनके साथ आरएसएस व भाजपा कार्यकर्ताओं ने गाली गलौज व अभद्रता की। मामले में पुलिस जांच कर रही है।

दरअसल कोतवाली जहानाबाद क्षेत्र के गांव रम्पुरा मिश्र देवस्थान पर दलित बस्ती के समीप संघ की शाखा का संचालन स्वयंसेवक देवेश कर रहे थे। आरोप है कि तभी गांव निवासी बसपा के विधानसभा अध्यक्ष नागेंद्र गौतम व सर्वेश ने आकर संघ का ध्वज उतार कर फेंक दिया।

वहीं दूसरे पक्ष बहुजन समाज पार्टी के जिला अध्यक्ष भगवान सिंह गौतम का आरोप है कि बसपा के विधानसभा अध्यक्ष ने केवल अन्य महापुरुषों के बारे में जानकारी देने के लिए संघ के लोगों से कहा था लेकिन संघ के लोग आरएसएस का प्रचार कर रहे थे साथ ही उन्होंने आरोप लगाया है कि धर्म परिवर्तन कराने की भी संघ के लोगों की आशंका थी।

केदारनाथ धाम में भूमि का अधिकार समेत अन्य मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे तीर्थ पुरोहित, यात्रियों को हो रही काफी परेशानी

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केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय लोगों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार से आरपार की लड़ाई का मन बना लिया है। धाम में तीर्थपुरोहितों ने भू-स्वामित्व का अधिकार देने समेत अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन किया जो सोमवार (18 सितंबर) से आमरण अनशन में बदल गया।

दरअसल, केदारनाथ आपदा से प्रभावित तीर्थ पुरोहितों को भूमिधर अधिकार के तहत भवन देने समेत कई मांगों को लेकर केदारनाथ धाम में दुकानें, होटल और लॉज तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय लोगों के आंदोलन के चलते 16 सितंबर को पूर्ण रूप से बंद रहे। इस दौरान तीर्थ पुरोहितों ने सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन कर एक दिवसीय धरना भी दिया। जिससे धाम पहुंचने वाले यात्रियों को खाने, पीने एवं रहने की खासी दिक्कतें उठानी पड़ी। वहीं मांगों पर उचित कार्यवाही न होने के चलते तीर्थपुरोहितों का यह धरना आज से आमरण अनशन में बदल गया। बता दें, धरने पर बैठे लोगों का कहना है कि, वर्ष 2013 की आपदा में केदारनाथ धाम में जो भवन बहे थे और उनके स्थान पर निर्माण हुए भवनों को उन्हें सौंपा जाए। तीर्थ पुरोहितों को केदारनाथ में भूमि का अधिकार मिले। आपदा से पहले उन्हें भूमि का अधिकार था, लेकिन आपदा के बाद से अभी तक उन्हें भूमि का अधिकार नहीं मिल पाया है।

वरिष्ठ तीर्थपुरोहित व केदारसभा के सदस्य उमेश पोस्ती ने कहा कि आपदा में अपने भवन, भूमि खो चुके लोगों को भूस्वामित्व देने की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन सरकार उनकी कोई सुध नहीं ले रही है। केदारनाथ में 24 घंटे तक व्यापारिक गतिविधियां बंद रखने के बाद भी सरकार की ओर से अपना पक्ष नहीं रखा गया है। उन्होंने पुनर्निर्माण के तहत केदारनाथ में बनाए जा रहे तीन से चार मंजिला भवनों को लेकर भी नाराजगी जताई। कहा, सरकार केदारनाथ को जोशीमठ बनाने का काम कर रही है।

केदार सभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी ने कहा कि, जब तक मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं की जाती आंदोलन जारी रहेगा। धरना देने वालों में अंकित सेमवाल, कुंवर शुक्ला, संतोष त्रिवेदी, जगदीश तिनसोला, प्रदीप शर्मा, रमाकांत शर्मा, पंकज शुक्ला, बृजेश पोस्ती, विमल शुक्ला, देवेंद्र शुक्ला, लक्ष्मण तिवारी, प्रवीण तिवारी आदि थे। चारधाम तीर्थ महापंचायत के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने कहा कि केदार सभा के बैनर तले चार सूत्री मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया तो चारों धामों में आंदोलन किया जाएगा।

खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या मामले में भारत का कनाडा को करारा जवाब, कहा- आतंकवादियों और चरमपंथियों को बचाने की कोशिश

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कनाडा ने सोमवार को भारत के एक टॉप डिप्‍लोमैट को निकाल दिया। कनाडा ने अपनी धरती पर खालिस्तान समर्थक आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच के बीच ही यह कदम उठाया। साथ ही उसने भारत को इसके लिए दोष दिया है। कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार के एजेंट्स और खालिस्तानी आतंकी की हत्या के बीच एक लिंक होने की बात कही है। भारत ने मंगलवार को कनाडा के इन आरोपों को खारिज कर दिया। इसके जवाब में अब भारत सरकार की तरफ से बयान जारी कर कनाडा को लताड़ लगाई गई है।

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निज्‍जर प्रतिबंधित खालिस्‍तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) से जुड़ा था। वह गुरपतवंत सिंह पन्नून के बाद संगठन में नंबर दो था। जुलाई 2020 में भारत ने उसे 'आतंकवादी' घोषित किया था।इस साल 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। निज्जर की हत्या के बाद कनाडा में ये बातें उठी कि उसकी हत्या भारतीय एजेंट्स ने की। लेकिन भारत अपने ऊपर लगने वाले इन आरोपों को खारिज कर चुका है।इसी क्रम में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्‍तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्‍जर की हत्‍या के लिए भारत पर निशाना साधा है। इसके साथ ही ट्रूडो ने एक टॉप भारतीय डिप्‍लोमैट को भी अपने देश से निष्कासित कर दिया है।

कनाडा ने क्या आरोप लगाया?

दरअसल, कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने आरोप लगाया कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या के तार भारत सरकार के साथ जुड़े हुए हो सकते हैं। कनाडाई संसद को संबोधित करते हुए ट्रूडो ने कहा कि कनाडाई खुफिया एजेंसियों ने सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद आरोपों की जांच शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की जमीन पर कनाडाई नागरिक की हत्या के पीछे विदेशी सरकार का होना बिल्कुल भी स्वाकार्य योग्य नहीं है। ये हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है।

कनाडा के आरोपों पर भारत ने क्या कहा?

कनाडा की तरफ से भारत पर लगाए गए आरोपों का मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने करारा जवाब दिया है।विदेश मंत्रालय ने मंगलवार सुबह एक बयान जारी कर कहा कि कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का संसद में दिए गए बयान को देखा गया है। उनके विदेश मंत्री के बयान को भी सुना गया है। हम कनाडाई पीएम और विदेश मंत्री के आरोपों को खारिज करते हैं। कनाडा में होने वाली किसी भी हिंसा में भारत सरकार पर शामिल होने का आरोप लगाना बेहद ही बेतुका और राजनीति से प्रेरित है। बयान में आगे कहा गया कि ठीक ऐसे ही आरोप हमारे प्रधानमंत्री के सामने कनाडाई प्रधानमंत्री ने लगाए। हमने उसे भी सिरे से खारिज कर दिया था। हम कानून के राज को लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहे हैं।

मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि इस तरह के निराधार आरोप खालिस्तानी आतंकियों और चरमपंथियों से ध्यान भटकाने वाले हैं। कनाडा में इन्हें आश्रय दिया जा रहा है, जबकि ये भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा बने हुए हैं। कनाडा सरकार इस मुद्दे पर शांत रही है, जो हमारे लिए चिंता की बात है। कनाडाई नेताओं ने भी इन चरमपंथियों के प्रति सहानुभूति दिखाई है, जो चिंता का विषय है।

भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि कनाडा में हत्या, मानव तस्करी और संगठित अपराध सहित कई अवैध गतिविधियां कोई नई बात नहीं है। हम भारत सरकार को इस तरह के मामलों से जोड़ने की किसी भी कोशिश को अस्वीकार करते हैं। हम कनाडा सरकार से उसकी जमीन पर एक्टिव सभी भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ त्वरित और प्रभावी कानूनी कार्रवाई करने की गुजारिश करते हैं।

आज आखिरी बार पुरानी संसद में फोटो सेशन के लिए जुटे सांसद, नए भवन में थोड़ी देर में शुरू होगी कार्यवाही

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संसद के विशेष सत्र का आज दूसरा दिन है। आज से संसद की कार्यवाही नए संसद भवन में आयोजित की जाएगी। इससे पहले सांसद फोटो सत्र के लिए पुराने संसद भवन में पहुंचे हैं। फोटो सेशन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संविधान की प्रति लेकर नए भवन में प्रवेश करेंगे। इस दौरान, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी नए भवन के सेंट्रल हॉल में अपना संबोधन देंगे।

नए भवन तक पैदल जाएंगे पीएम मोदी और सांसद

पुरानी संसद में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की ज्वॉइंट फोटो शूट होगा। ग्रुप में तीन अलग-अलग फोटो ली जाएंगी। पहली फोटो में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य तो दूसरे फोटो में सभी राज्यसभा सदस्य मौजदू रहेंगे। तीसरी फोटो में सिर्फ लोकसभा के सदस्य होंगे। सुबह 11 बजे पीएम मोदी संसद के सेंट्रल हॉल पहुंचेंगे। प्रधानमंत्री के साथ वरिष्ठ मंत्री और लोकसभा और राज्यसभा के सांसद होंगे। इस दौरान सेंट्रल हॉल में एक कार्यक्रम होगा जिसमें 2047 तक भारत को समृद्ध राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया जाएगा। पीएम सेंट्रल हॉल से संविधान की कॉपी लेकर नए भवन तक पैदल जाएंगे। सभी एनडीए सांसद पीएम मोदी के पीछ पीछे चलेंगे।ठीक डेढ़ बजे नए संसद भवन में कार्यवाही शुरू हो जाएगी। वहीं राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 2:15 बजे से शुरू होगी। 

सांसदों को संविधान की एक प्रति भेंट की जाएगी

नई संसद बिल्डिंग में पहली बैठक के दौरान जब सांसद संसद भवन में प्रवेश करेंगे तो उन्हें उपहार स्वरूप 75 रुपये का चांदी का एक सिक्का भी दिया जाएगा सभी सांसदों को भारत के संविधान की एक प्रति भी भेंट स्वरूप दी जाए।नए संसद भवन में प्रवेश के लिए सभी सांसदों को नया पहचान पत्र भी जारी किया जाएगा. इसमें संविधान की कॉपी, नए संसद को लेकर स्मारक सिक्का और डाक टिकट होगा।

नए भवन में शिफ्ट होने के बाद होगा पीएम समेत इन नेताओं का अभिभाषण

नए संसद भवन में शिफ्ट होने के बाद लोकसभा में नए स्पीकर ओम बिरला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी बोलेंगे। वहीं सेंट्रल हॉल में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता अधीर रंजन, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, सांसद मेनका गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और झारखंड मुक्ति मोर्चा अध्यक्ष और झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन अपनी बात रखेंगे।

तमिलनाडु में जुदा हुए बीजेपी और एआईएडीएमके के रास्ते, जानें क्यों टूटा गठबंधन

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लोकसभा चुनाव से पहले तमिलनाडु में बीजेपी को झटका लगा है। तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी और ऑल इण्डिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके)की राहें अलग हो गई हैं। एआईएडीएमके नेता डी जयकुमार ने सोमवार को जानकारी दी कि बीजेपी के साथ फिलहाल कोई गठबंधन नहीं है। चुनावी समझौते पर कोई भी निर्णय केवल चुनाव के दौरान ही तय किया जाएगा। इस दौरान डी जयकुमार ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई कुप्पुसामी पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बीजेपी के कार्यकर्ता तो गठंबधन में रहना चाहते हैं लेकिन अन्नामलाई के दिमाग में कुछ और ही खिचड़ी पक रही है।

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एआईएडीएमके के वरिष्ठ नेता डी जयकुमार ने 2024 के महत्वपूर्ण लोकसभा चुनावों से पहले राजनीतिक गठबंधन पर स्पष्टीकरण देते हुए सोमवार को संवाददाताओं से कहा, "गठबंधन के बारे में हम चुनाव के दौरान ही फैसला करेंगे।यह मेरा निजी विचार नहीं है। यह हमारी पार्टी का रुख है।

डी जयकुमार ने कहा, पार्टी अब तमिलनाडु में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई कुप्पुसामी के साथ किसी भी तरह का गठबंधन की इच्छा नहीं रखती है। उन्होंने कहा कि अन्नामलाई पिछले काफी समय से एआईएडीएमके के नेताओं के खिलाफ बयान दे रहे हैं। बीजेपी के कार्यकर्ता एआईएडीएमके के साथ गठबंधन में रहना चाहते हैं लेकिन उनके प्रदेश अध्यक्ष को कुछ और ही मंजूर है। अन्नामलाई कुप्पुसामी, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के योग्य नहीं हैं। हम अपने नेताओं की और आलोचना बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं।

डी जयकुमार ने कहा कि अन्नामलाई पहले भी हमारी नेता जयललिता के बारे में बहुत कुछ बोल चुके हैं। उस वक्त भी हमने अन्नामलाई के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था। उन्हें गठबंधन की मर्यादा में रहकर काम करने की जरूरत थी लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया। वह अन्ना, पेरियार और महासचिव की लगातार आलोचना कर रहे हैं। अन्नामलाई का इस तरह का व्यवहार पार्टी के किसी भी कार्यकर्ता को बर्दाश्त नहीं है। हमें अब चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी करनी है, इसलिए हमने अभी से पार्टी का रुख साफ कर दिया है।

जयकुमार ने कहा, इस फैसले से हम पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हमें अपनी जीत का पूरा भरोसा है। बीजेपी यहां कदम नहीं रख सकती। बीजेपी को अपना वोट बैंक पता है। वो हमारी वजह से जाने जाते हैं।