पश्चिमी देश बुरे हैं"इस सिन्ड्रोम से बाहर निकलने की जरूरत, जानें विदेशमंत्री एस जयशंकर ने ऐसा क्यों कहा
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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सलाह दी है कि हमें ‘पश्चिम बुरा है’ वाले ‘सिंड्रोम’ से बाहर आने की जरूरत है।विदेश मंत्री जयशंकर का कहना है कि पश्चिमी देशों को लेकर बेहद नकारात्मक धारणा बनी हुई है।पश्चिमी देशों को नकारात्मक रूप से देखने के सिंड्रोम से बाहर निकलने की जरूरत है।प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के उद्घाटन के सिलसिले में तिरुअनंतपुरम पहुंचे जयशंकर ने मलयालम न्यूज़ चैनल 'एशियानेट' को रविवार को दिए इंटरव्यू के दौरान ये बात कही। उन्होंने इंटरव्यू में यह भी साफ़ किया कि वह पश्चिमी देशों की वकालत नहीं कर रहे हैं।
विदेश मंत्री जयशंकर रविवार को केरल पहुंचे। वह राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम में 'पीएम विश्वकर्मा' योजना के लॉन्च के कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने एक मलयालम न्यूज चैनल एशियानेट को इंटरव्यू दिया।विदेशमंत्री ने कहा, पश्चिम देश एशिया और अफ़्रीका में बड़े पैमाने पर सामान नहीं भर रहे हैं। मेरे खयाल से हमें अतीत के इस सिन्ड्रोम से उबरने की ज़रूरत है कि पश्चिमी देश बुरे हैं, और विकासशील देशों के ख़िलाफ़ हैं।दुनिया बहुत जटिल है, और दिक्कतें उससे भी ज़्यादा जटिल हैं। इस दौरान विदेश मंत्री का निशाना चीन पर था, जहां उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि हमें इस सोच को पीछे छोड़ देना चाहिए जहां पश्चिम को बुरा और दूसरी तरफ अन्य देशों को विकासशील मानते हैं। उन्होंने साफ किया कि वह ऐसा कहकर पश्चिम के लिए बैटिंग नहीं कर रहे हैं।
जब उनसे पूछा गया कि क्या चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग इस वजह से नई दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए, क्योंकि वह भारत को ग्लोबल साउथ के नेता के रूप में नहीं देखना चाहते थे, जयशंकर ने कहा कि अटकलें तो बहुत लग रही थीं। उन्होंने कहा कि आज मुद्दा ये है कि कैसे एक मजबूत भावना की शुरुआत हो, जहां वैश्वीकरण में पिछले 15-20 सालों में असमानताएं देखी गई हैं। वैश्वीकरण में विनिर्माण का केंद्रीकरण हो गया है, जिसका फायदा भी हो रहा है और सब्सिडी दी जा रही है और इससे विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाएं भी प्रभावित हो रही हैं। उन्होंने ग्लोबल साउथ को लेकर सवाल पर कहा कि आज जिस तरह से भारत ने भारत ने विनिर्माण, कृषि, चंद्रयान-3 मिशन जैसी उब्लब्धियां हासिल की है, ग्लोबल साउथ का भारत में विश्वास जगा है।
विदेश मंत्री ने जी 20 के सफल आयोजन पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि भारत की अध्यक्षता में जी20 शिखर सम्मेलन की उपलब्धियों और कनाडा द्वारा खालिस्तान समूह शह देने को लेकर खुले तौर पर बात हुई। उन्होंने कहा कि भारत की अध्यक्षता में प्रभावशाली समूहों को जी20 से जोड़ा गया और ग्लोबल साउथ पहल पर अपना ध्यान केंद्रित किया। जयशंकर ने कहा कि जी20 के जरिए भारत ने एक अलग कूटनीति अपनाने की कोशिश की और सम्मेलन की मदद से बाल्टिक के बारे में देश में और ज्यादा दिलचस्पी पैदा हुई। जयशंकर ने कहा कि भारत अब अलग स्तर का आत्मविश्वास और अलग नेतृत्व वाला एक अलग देश है और जिस तरह से जी20 आयोजित किया गया उससे देश को फायदा ही हुआ है।
Sep 18 2023, 11:18