पीएम मोदी ने मंत्रियों को दी 'जी-20 इंडिया' एप डाउनलोड करने की सलाह, 24 भाषाओं में करेगा काम

#pmmodiasksministerstodownloadg20indiaapp

9-10 सितंबर को भारत की अध्यक्षता में जी 20 शिखर सम्मेलन आयोजित होने वाला है। केन्द्र से लेकर दिल्ली सरकार तक तैयारियों में जुटी है। इससे पहले भारत सरकार ने G20 इंडिया ऐप लॉन्च किया है। विदेश मंत्रालय ने 'जी20 इंडिया' नामक मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया। यह ऐप भारत की G20 अध्यक्षता तक काम करेगा। पीएम मोदी ने बुधवार को सभी मंत्रियों को जी20 इंडिया मोबाइल ऐप डाउनलोड करने की सलाह दी। इस ऐप के जरिए मंत्रियों को विदेशी प्रतिनिधियों के साथ निर्बाध रूप से बातचीत करने में मदद मिलेगी।

पीएम मोदी ने बुधवार को नई दिल्ली में महत्वपूर्ण जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले मंत्रिपरिषद की बैठक के इसी दौरान उन्होंने सभी मंत्रियों को एप डाउनलोड करने की सलाह दी। काउंसिल ऑफ मनिस्टर मीटिंग में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने G-20 पर प्रेजेंटेशन दी। इस दौरान पीएम मोदी ने सभी मंत्रियों से समय का विशेष ध्यान देने के लिए कहा है। इतना ही नहीं पीएम मोदी ने कहा कि जिन मंत्रियों की जी-20 समिट में ड्यूटी लगी है, वे वीवीआईपी कल्चर से दूर रहें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काउंसिल ऑफ मनिस्टर मीटिंग में मंत्रियों को राजधानी दिल्ली में रहने की सलाह दी।

इस ऐप से मिलेगी ये मदद

'जी20 इंडिया'ऐप के जरिए यूजर्स को जी-20 से संबंधित सभी जानकारियां हासिल होगी। इसमें जी20 इंडिया 2023 इवेंट के लिए एक कैलेंडर,मीडिया और जी20 के बारे में डिटेल में जानकारी होगी। बता दें कि यह ऐप भारत की जी 20 अध्यक्षता तक काम करेगा। इस ऐप पर आम लोगों को वर्चुअल जानकारी मिल जाएगी। ये उन लोगों के लिए फायदेमेंद है जो जी20 से जुड़ी हर पल की अपडेट देखना चाहते हैं। 

मोबाइल में नेविगेशन की सुविधा है, जो विदेशी प्रतिनिधियों को एक स्थान से दूसरे स्थान और भारत मंडपम तक जाने में मदद करेगी। वहीं, जी-20 इंडिया एप के जरिए भारतीय मंत्री विदेशी प्रतिनिधियों के साथ भाषा के साथ-साथ संचार बाधाओं को भी दूर किया जा सकता है। जी-20 इंडिया मोबाइल एप में ऐसी सेवाएं उपलब्ध हैं, जिसे लोग 24 भाषाओं में एक्सेस कर सकते हैं

हजारों लोग कर चुके डाउनलोड

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, मंगलवार (5 सितंबर) तक वैश्विक स्तर पर 15000 से अधिक मोबाइल ऐप डाउनलोड किए जा चुके है। जी 20 इंडिया मोबाइल ऐप प्रतिनिधियों को सभी जी 20 देशों की भाषाओं में विदेशी प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करने में मदद करेगा।

भारत पूरी तरह से तैयार

भारत 9-10 सितंबर तक नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार है। जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए विश्व नेता नई दिल्ली पहुंचेंगे। शिखर सम्मेलन नई दिल्ली के प्रगति मैदान में अत्याधुनिक भारत मंडपम कन्वेंशन सेंटर में आयोजित किया जाएगा। गौरतलब है कि भारत ने पिछले साल 1 दिसंबर को जी20 की अध्यक्षता संभाली थी और देश भर के 60 शहरों में जी20 से संबंधित लगभग 200 बैठकें आयोजित की गईं थीं।

नए संसद भवन में होगा विशेष सत्र, गणेश चतुर्थी के दिन होगी शिफ्टिंग

#specialsessionofparliamentwillheldinnewbuildingfrom19_sept

मोदी सरकार ने 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। अब खबरें आ रही हैं कि संसद का विशेष सत्र नए संसद भवन में होगा।समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि सत्र 18 सितंबर को पुरानी बिल्डिंग में शुरू होगा, लेकिन 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी के मौके पर नए संसद भवन में शिफ्ट होगा। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2020 में नई संसद की आधारशिला रखी थी। वहीं, इसी साल 28 मई को नए संसद भवन का इनॉगरेशन किया था। नए संसद के इनॉगरेशन पर तमिलनाडु से आए संतों ने पीएम मोदी को सेंगोल सौंपा था। इसके बाद पीएम ने सेंगोल को सदन में स्पीकर की कुर्सी के बगल में स्थापित किया था।नया संसद भवन कई अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है और पुराने संसद भवन की अपेक्षा काफी बड़ा भी है। त्रिभुज के आकार में बना यह संसद भवन चार मंजिल का है। इसके तहते 64,500 वर्गमीटर क्षेत्र में निर्माण किया गया है। 

क्यों बनाई गई नई बिल्डिंग

मौजूदा संसद भवन को 95 साल पहले 1927 में बनाया गया था। मार्च 2020 में सरकार ने संसद को बताया था कि पुरानी बिल्डिंग ओवर यूटिलाइज्ड हो चुकी है और खराब हो रही है। इसके साथ ही लोकसभा सीटों के नए सिरे से परिसीमन के बाद जो सीटें बढ़ेंगीं, उनके सांसदों के बैठने के लिए पुरानी बिल्डिंग में पर्याप्त जगह नहीं है। इसी वजह से नई बिल्डिंग बनाई गई है।

अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है नया भवन

यह अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है, जो सदस्यों को अपने कार्यों को बेहतर ढंग से करने में मदद करेगा। नए संसद भवन से 888 सदस्य लोकसभा में बैठ सकेंगे। संसद के वर्तमान भवन में लोकसभा में 543 जबकि राज्यसभा में 250 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए संसद के नवनिर्मित भवन में लोकसभा में 888 सदस्यों और राज्यसभा में 384 सदस्यों की बैठक की व्यवस्था की गई है। दोनों सदनों का संयुक्त सत्र लोकसभा चैंबर में होगा।

4 मंजिला बिल्डिंग, भूकंप का असर नहीं

64 हजार 500 वर्ग मीटर में बना नया संसद भवन 4 मंजिला है। इसमें 3 दरवाजे हैं, इन्हें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार नाम दिया गया है। सांसदों और वीआईपीज के लिए अलग एंट्री है। नया भवन पुराने भवन से 17 हजार वर्ग मीटर बड़ा है। नए संसद भवन पर भूकंप का असर नहीं होगा। इसकी डिजाइन एचसीपी डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार की है। इसके आर्किटेक्ट बिमल पटेल हैं।

एक देश, एक चुनाव' के लिए गठित समिति की पहली बैठक आज, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के घर पर होगा मंथन

#firstmeetingofonenationoneelectionscommitteetoday 

एक देश-एक चुनाव के लिए केंद्र सरकार की तरफ से गठित की गई कमेटी की आज पहली बैठक होगी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के घर पर उनकी अध्यक्षता में इस अहम मुद्दे पर मंथन होगा। केंद्र सरकार ने अध्ययन के लिए शनिवार को आठ सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति की अधिसूचना जारी की थी। यह समिति इस विषय पर गहन विचार करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद ही यह तय किया जाएगा कि आने वाले समय में क्या सरकार देश में एक देश एक चुनाव करवा पाएगी या नहीं।

आठ सदस्यीय समिति में ये लोग शामिल

कानून मंत्रालय के मुताबिक, इस समिति का नेतृत्व पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे। समिति में गृहमंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल हैं। वहीं, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी आमंत्रण के बावजूद इस समिति में शामिल होने से इनकार कर चुके हैं।वहीं, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में उच्च स्तरीय समिति की बैठकों में भाग लेंगे।

'एक देश, एक चुनाव' की संभावनाएं तलाशेगी समिति

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी उच्चस्तरीय समिति एकसाथ चुनाव आयोजित कराने के बारे में संभावनाएं तलाशेगी और सिफारिशें करेगी। समिति संविधान, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और किसी भी अन्य कानून एवं नियमों की पड़ताल करेगी तथा विशिष्ट संशोधनों की सिफारिश करेगी, क्योंकि एकसाथ चुनाव कराने के उद्देश्य से इनमें संशोधन की आवश्यकता होगी। समिति इस बात की भी पड़ताल और सिफारिश करेगी कि क्या संविधान में संशोधन के लिए राज्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी। समिति त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव या दलबदल अथवा एकसाथ चुनाव की स्थिति में ऐसी किसी अन्य घटना जैसे परिदृश्यों का विश्लेषण और संभावित समाधान भी सुझाएगी।

आजादी के बाद लागू था वन नेशन, वन इलेक्शन

वन नेशन, वन इलेक्शन या एक देश-एक चुनाव का मतलब हुआ कि पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हों। आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।

सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को लिखा खत, संसद के विशेष सत्र का एजेंडा ना बताने पर जताई आपत्ति, रखी ये मांगें

#sonia_gandhi_letter_to_pm_narendra_modi 

कांग्रेस संसदीय दल की चेयरमैन सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी है। सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार द्वारा बुलाए गए संसद के विशेष सत्र को लेकर पीएम को पत्र लिखा है। सोनिया ने अपनी चिट्ठी में विशेष सत्र का एजेंडा ना बताने पर आपत्ति जताई है तो वहीं अपनी ओर से नौ मांग भी रखी हैं। सोनिया गांधी ने अडानी मामले पर जेपीसी की जांच समेत जातीय जनगणना का मुद्दा उठाया है।

बता दें कि 18 सितंबर से लेकर 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है।हालांकि इस सत्र का एजेंडा क्या है, इसको लेकर सरकार की ओर से जानकारी नहीं दी गई। विपक्ष लगातार मांग कर रहा है कि सरकार इस एजेंडा बताए। इसको लेकर सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को चिट्ठी भी लिखी है।उन्होंने इस खत में लिखा है कि पहली बार संसद सत्र का एजेंडा विपक्ष से शेयर नहीं किया गया।आम तौर पर विशेष सत्र से पहले बातचीत होती है और आम सहमति बनाई जाती है। इसका एजेंडा भी पहले से तय होता है और सहमति बनाने की कोशिश होती है।यह पहली बार है कि कोई बैठक बुलाई जा रही है और एजेंडा तय नहीं है, न ही सहमति बनाने का प्रयास किया गया।

न मुद्दों पर चर्चा की मांग

वहीं, सोनिया गांधी ने इस चिट्ठी में कुल 9 मुद्दे सामने रखे हैं। इनमें आर्थिक स्थिति, महंगाई, बेरोजगारी के मसले पर चर्चा की मांग की है। किसानों को लेकर सरकार ने जो वादे किए, एमएसपी की गारंटी दी उसपर अभी तक क्या हुआ है। सोनिया गांधी ने अडानी मामले में जेपीसी की जांच की मांग की है, इनके अलावा जातीय जनगणना को तुरंत कराए जाने की अपील की गई है।पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने केंद्र द्वारा संघीय ढांचे, राज्य सरकारों पर किए जा रहे हमले, हिमाचल प्रदेश में आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है। इनके अलावा देश में सांप्रदायिक तनाव, मणिपुर हिंसा और चीन द्वारा लद्दाख में घुसपैठ के मुद्दे को सामने रखा है।

जयराम रमेश ने क्या कहा?

सोनिया गांधी के इस चिट्ठी पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि किसी को भी इस विशेष सत्र को लेकर जानकारी नहीं थी। पहली बार ऐसा हो रहा है, जब विशेष सत्र को लेकर हमारे पास एजेंडे की कोई जानकारी ही नहीं है। जयराम रमेश ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, कल कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में संसदीय दल की बैठक हुई। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर इंडिया गठबंधन के नेताओं की बैठक हुई। हमने तय किया है कि हम संसद के विशेष सत्र का बहिष्कार नहीं करेंगे। यह हमारे लिए जनता के मुद्दों को सामने रखने का मौका है और हर पार्टी अलग-अलग मुद्दों को सामने रखने की पूरी कोशिश करेगी।

बता दें कि संसद के 18 सितंबर से शुरू होने जा रहे विशेष सत्र को लेकर लोकसभा और राज्यसभा ने अधिसूचना जारी की थी। पांच दिन का यह सत्र 22 सितंबर तक चलेगा। लोकसभा एवं राज्यसभा सचिवालय ने यह जानकारी दी है। लोकसभा सचिवालय ने बताया था कि 17वीं लोकसभा का 13वां सत्र 18 सितंबर से शुरू होगा और सरकार के कामकाज को देखते हुए यह 22 सितंबर तक चलेगा। राज्यसभा सचिवालय ने अपने बुलेटिन में कहा, सदस्यों को सूचित किया जाता है कि राज्यसभा का 261वां सत्र 18 सितंबर से शुरू होगा। सत्र 18,19, 20, 21 और 22 सितंबर तक चलेगा। इसमें कहा गया है कि सत्र आमतौर पर पूर्वाह्न 11 बजे से दोपहर एक बजे और फिर अपराह्न दो बजे से शाम छह बजे तक चलेगा।

India
यौन उत्पीड़न के आरोप का सामना कर रहे हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, चार्जशीट में कई बड़े खुलासे

#haryana_minister_sandeep_singh_sexual_harassment_cas

हरियाणा में जूनियर महिला कोच से छेड़छाड़ मामले में राज्य मंत्री संदीप सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। संदीप सिंह पर महिला कोच द्वारा लगाये गये छेड़खानी के मामले में दायर चार्जशीट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पुलिस के पास उनके खिलाफ अहम सबूत हैं।चार्जशीट में यह सामने आया है कि मंत्री के चुंगल से भागते समय महिला कोच के सिर में चोट लगी थी। चार्जशीट सामने आने पर मंत्री संदीप सिंह का जांच में सहयोग ना करने और कई बयान झूठे और परस्पर विरोधी बयान पाए जाने का हुआ खुलासा हुआ है।

पुलिस के मुताबिक संदीप सिंह ने अपने बयान में कहा कि पीड़िता ने इंस्टाग्राम पर दो मार्च 2022 और स्नैपचैट पर एक जुलाई 2022 को मिलने के लिए समय मांगा था। वहीं स्टाफ के मुताबिक मंत्री ने पीड़िता को ऑफिस टाइम मे न बुलाकर निजी रूप से मिलने बुलाया था। चार्जशीट के मुताबिक मंत्री संदीप सिंह के बयान चार्जशीट में मौजूद तथ्यों से मेल नहीं खा रहे। 

वहीं, आरोपी मंत्री के मुताबिक, पीड़िता सीन ऑफ क्राइम (मंत्री की कोठी) पर सिर्फ 15 मिनट ही रुकी थी जबकि कैब सेवा देने वाली कंपनी उबर से प्राप्त जानकारी के अनुसार पीड़िता मंत्री की कोठी में एक घंटे से ज्यादा समय तक मौजूद रही थी। वहीं, पुलिस के साथ क्राइम सीन का दौरा करने पर पीड़िता ने संदीप सिंह के ऑफिस, उसके साथ जुड़े कमरे, बेडरूम और इससे जुड़े रास्ते की भी पहचान की थी। पुलिस के मुताबिक इससे साफ है कि पीड़िता पहले भी वहां आई थी। 

मामले में आरोप तय करने को लेकर अगली सुनवाई चंडीगढ़ कोर्ट में 16 सितंबर को है।इसमें चार्जशीट के आधार पर संदीप सिंह के खिलाफ आरोप तय किए जाएंगे। कोर्ट की अगली सुनवाई में संदीप सिंह को पेश होना ही पड़ेगा

बता दें कि मंत्री के खिलाफ चंडीगढ़ पुलिस ने कोच से छेड़छाड़ के मामले में 31 दिसंबर 2022 को विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया है। आठ महीने बाद महिला जूनियर कोच से यौन-उत्पीड़न मामले में आरोपी हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह के खिलाफ 25 अगस्त को चंडीगढ़ पुलिस की एसआईटी ने सीजेएम की कोर्ट में चालान पेश किया था। चंडीगढ़ पुलिस ने संदीप सिंह को आईपीसी की धारा के तहत केस में आरोपी बनाया है

जी-20 शिखर सम्मेलन में चीन और रूस के राष्ट्रपति के नहीं आने पर एस जयशंकर ने क्या कहा ?

#s_jaishankar_reaction_on_russia_china_president_not_attending_g20_summit

दिल्ली में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। भारत में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में दुनियाभर के नेता दिल्ली का रुख करने वाले हैं।इस साल होने वाली जी-20 समिट से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने किनारा कर लिया है। जहां समिट में रूस का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव करेंगे, तो वहीं चीन की तरफ से प्रधानमंत्री ली कियांग भारत आएंगे। इसे लेकर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर का बयान आया है। उन्होंने कहा है कि यह पहली बार नहीं है जब जी-20 में कोई राष्ट्राध्यक्ष न पहुंचा हो। पहले भी ऐसे कई मौके आए हैं।

जी-20 शिखर सम्मेलन में रूस और चीन के राष्ट्रपति के भारत नहीं आने पर पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि मुझे लगता है कि जी-20 में अलग-अलग समय पर कुछ ऐसे राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्होंने कुछ कारणवश न आने का फैसला किया है। लेकिन उस अवसर पर जो भी उस देश का प्रतिनिधि होता है, वह अपने देश और उसकी स्थिति को सामने रखता है। रूस के विदेश मंत्री ने कहा है कि वे चाहते हैं कि यूक्रेन संकट पर उनके विचार को जी 20 के भाषण में शामिल किया जाए। 

इंटरव्यू के दौरान विदेश मंत्री से रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भी सवाल किया गया। उनसे पूछा गया कि रूस के विदेश मंत्री चाहते हैं कि यूक्रेन संकट पर उनके विचार को जी20 के भाषण में शामिल किया जाए। ऐसे में क्या जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले शक्ति प्रदर्शन शुरू हो गया है? इस पर जयशंकर ने कहा, आप इसे ऐसे चित्रित कर सकती हैं लेकिन मेरे लिए कोई भी अपनी राष्ट्रीय स्थिति को सामने रखने की कोशिश करेगा। यदि आप चाहें तो अपनी बातचीत की स्थिति को अधिकतम करने की कोशिश करेंगे। मुझे लगता है कि आपको इंतजार करना चाहिए और देखना चाहिए कि बातचीत में वास्तव में क्या होता है और इसे पहले से ही इस आधार पर नहीं आंकना चाहिए कि एक अवसर पर क्या कहा जा सकता है और एक अवसर पर जो कहा गया था उसकी मीडिया व्याख्या क्या हो सकती

भारत बनाम इंडिया विवाद पर शशि थरूर ने बीजेपी को घेरा, बोले- जिन्ना भी “इंडिया” नाम के खिलाफ थे, उस सोच का समर्थन कर रही बीजेपी

#jinnah_was_also_objected_to_name_india_said_congress_leader_shashi_tharoor

देश में इन दिनों भारत बनाम इंडिया को लेकर सियासी लड़ाई जोरों पर है।जी-20 के रात्रिभोज का निमंत्रण 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' के नाम से भेजे जाने के बाद से ये विवाद शुरू हुआ। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना कर रही है तो दूसरी ओर तमाम हिंदू संगठन सरकार से देश का नाम 'भारत' करने का अपील कर रहे हैं। अब अटकलें ये लगाई जा रही है कि 18 सितंबर से लेकर 22 सितंबर तक मोदी सरकार द्वारा बुलाए जा रहे संसद के विशेष सत्र में हमारे देश का नाम सिर्फ ‘भारत’ रखने वाला संविधान संशोधन लाया जाएगा, यानी ‘India’ को हटा दिया जाएगा।अब इस मामले पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा- मोहम्मद अली जिन्ना भी इंडिया नाम का विरोध करते थे, भाजपा भी वही कर रही है।

'इंडिया' की सदियों से बेहिसाब ब्रांड वैल्यू है-थरूर

शशि थरूर ने आगे कहा- इंडिया को 'भारत' कहने में कोई संवैधानिक आपत्ति नहीं है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि सरकार इतनी मूर्ख नहीं होगी कि 'इंडिया' को पूरी तरह से त्याग दे, जिसकी बड़ी ब्रांड वैल्यू है।थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, इंडिया को 'भारत' कहने में कोई संवैधानिक आपत्ति नहीं है। देश के दो आधिकारिक नामों में से एक है भारत। मुझे उम्मीद है कि सरकार इतना नासमझी भरा कदम नहीं उठाएगी कि 'इंडिया' को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा, जिसकी सदियों से बेहिसाब ब्रांड वैल्यू है। हमें इतिहास के गौरवपूर्ण नाम, एक ऐसा नाम जिसे दुनिया भर में मान्यता प्राप्त है, पर अपना दावा छोड़ने के बजाय दोनों शब्दों का उपयोग जारी रखना चाहिए।

बीजेपी जिन्ना की सोच का समर्थन कर रही-थरूर

एक अन्य पोस्ट में थरूर ने कहा कि जब इस विषय पर चर्च हो रही है, हमें यह याद रखना चाहिए कि जिन्ना ने ही 'इंडिया' नाम पर आपत्ति जताई थी। थरूर ने अपने एक ट्वीट में लिखा कि पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना थे जिन्होंने इंडिया नाम पर आपत्ति जताई थी, क्योंकि उनका ये कहना था कि हमारा देश ब्रिटिश राज का उत्तराधिकारी राष्ट्र था और पाकिस्तान एक अलग राष्ट्र था। कांग्रेस सांसद ने लिखा कि सीएएकी तरह, भाजपा सरकार जिन्ना के विचारों का समर्थन कर रही है!

दरअसल, राष्ट्रपति भवन में जी20 समिट के दौरान 9 सितंबर को डिनर का आयोजन किया जाना है, इस डिनर का आमंत्रण 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' के बजाय 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' के नाम पर भेजा गया है। जबकि इससे पहले किसी भी पत्र या सूचना में 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' का प्रयोग किया जाता रहा है। इस बात की जानकारी कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने दी। कांग्रेस सांसद जयराम ने लिखा , "तो ये खबर वाकई सच है... राष्ट्रपति भवन ने 9 सितंबर को जी 20 रात्रिभोज के लिए सामान्य 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' के बजाय 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' के नाम पर निमंत्रण भेजा है।

जिल बाइडन के कोविड पॉजिटिव पाए जाने के बावजूद जी-20 समिट के लिए भारत आएंगे जो बाइडन, कोविड नियमों का करेंगे पालन

#us_president_will_come_to_india_tomorrow_even_after_jill_biden_is_covid_positive

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन जी-20 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आएंगे। कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद बाइडेन का दौरा तय हो गया है। प्रथम महिला जिल बाइडन सोमवार को कोविड-19 पॉजिटिव पाई गईं। हालांकि, बाइडन की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है, पर फिर भी व्हाइट हाउस सभी आवश्यक कदम उठा रहा है। व्हाइट हाउस ने कहा है कि जो बाइडन भारत यात्रा और वियतनाम यात्रा के दौरान रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन करेंगे।

व्हाइट हाउस ने मंगलवार 5 सितंबर को बाइडन के भारत दौरे को लेकर जानकारी दी। व्हाइट हाउस ने कहा कि 80 वर्षीय राष्ट्रपति बाइडन की लगातार दो दिन कोविड जांच की गई। दोनों बार रिपोर्ट निगेटिव आई है। इसलिए, इस सप्ताह के अंत में भारत और वियतनाम की उनकी यात्रा योजना में कोई बदलाव नहीं हुआ है। कहा गया कि राष्ट्रपति सभी आवश्यक सावधानियां बरत रहे हैं और सीडीसी दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं।

बाइडेन जी-20 शिखर सम्मेलन से दो दिन पहले ही भारत के लिए यात्रा शुरू करेंगे। शिखर सम्मेलन से पहले वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि बाइडन जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए सात सितंबर को भारत की यात्रा करेंगे और 8 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे।

बाइडेन सात तारीख़ को भारत पहुंचेंगे उनके आने से पहले हवाई सुरक्षा और साथ में ज़मीनी सुरक्षा की पूरी तैयारी हो गई है। जो बाइडेन एयरफ़ोर्स-वन में भारत आएंगे। आपको बता दें इसकी तैयारी की गई है यह एयरफ़ोर्स-वन 4 हज़ार स्क्वायर फ़ीट का है और यह तीन मंज़िला एयरक्राफ़्ट है।इसके सेंसर्स की निगरनी पूरे समय होती है।

भारत या इंडिया, देश में छिड़ी एक नई बहस, जानिए क्या है आर्टिकल-1?

#what_is_article_1 

देश का नाम आधिकारिक रूप से भारत होने वाला है, ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं। जिसको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। जहां सत्ता पक्ष इसके समर्थन में है, वहीं विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। दरअसल, राजधानी दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को जी-20 समिट का आयोजन होने जा रहा है। इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तरफ से विभिन्न राजनीतिक दलों, प्रमुख संगठनों एवं जानी-मानी हस्तियों को न्योता भेजा जा रहा है। लेकिन लेटर हेड पर 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की जगह 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखे होने पर विवाद हो गया है।

दरअसल, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया है कि जी-20 सम्मेलन के सम्मान में जो डिनर आयोजित किया गया है, उसके निमंत्रण पत्र पर प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा है।जयराम रमेश का दावा है कि इसमें इंडिया शब्द को हटाया गया और प्रेसिडेंट ऑफ भारत का इस्तेमाल किया गया है। अगर संविधान के आर्टिकल 1 को पढ़ें तो उसमें लिखा है कि भारत जो कि इंडिया है एक राज्यों का समूह होगा। कांग्रेस नेता ने लिखा कि अब तो राज्यों के समूह पर भी खतरा है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई तो पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इंडिया और भारत पर संविधान का हवाला दे दिया। राहुल गांधी ने 'आर्टिकल 1' में लिखा एक वाक्य ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा, 'इंडिया यानी भारत, राज्यों का एक संघ है।' इसी आधार पर उन्होंने 'एक देश एक चुनाव' के विचार का भी खंडन किया। उन्होंने लिखा, 'एक देश एक चुनाव का विचार भारतीय संघ और इसके सभी राज्यों पर हमला है।' 

क्या है आर्टिकल-1

भारत बनाम इंडिया की बहस के बीच भारतीय संविधान के आर्टिकल-1 की चर्चा शुरू हो गई है। दोनों नेताओं ने संविधान के अनुच्छेद 1 में वर्णित भारत के 'राज्यों का संघ' होने का जिक्र किया है। इसके बाद सोशल मीडिया पर 'आर्टिकल 1' ट्रेंड करने लगा। लोग चर्चा कर रहे हैं कि आखिर संविधान के अनुच्छेद में इंडिया और भारत के बारे में क्या कहा गया है। तो जानते हैं है आर्टिकल-1, इसका देश के नाम से क्या कनेक्शन है और विपक्ष अपने ट्वीट में इसका जिक्र क्यों कर रहा है?

भारतीय संविधान का आर्टिकल-1 यानी अनुच्छेद 1 कहता है कि भारत राज्यों का संघ होगा। 

राज्यों का संघ क्या है?

स्पष्ट है कि राहुल गांधी और जयराम रमेश जिस 'इंडिया अर्थात् भारत' की बात कर रहे हैं, वह वाकई में संविधान के अनुच्छेद में हू-ब-हू वर्णित है।तो यहां एक और सवला पैदा होता है-राज्यों का संघ क्या है?यूरोपियन यूनियन में शामिल सभी देश संप्रभु हैं। उनकी अपनी सरकारें हैं, अपनी सीमा है, पूरी तरह संप्रभु हैं, लेकिन व्यापार एवं अन्य राजनीतिक-आर्थिक गतिविधियों को सुचारू तौर पर अंजाम देने के मकसद से सभी ने मिलकर एक संघ बना लिया है। निश्चित रूप से भारत के राज्यों की भी अपनी-अपनी सरकारें हैं और उनका अपना-अपना सीमा क्षेत्र भी है। लेकिन यह भी सच है कि भारत सरकार उनके सीमा क्षेत्रों में बदलाव भी कर सकती है। संविधान का अनुच्छेद 2 ही कहता है, 'संसद, विधि द्वारा, ऐसे निबंधनों और शर्तों पर, जो वह ठीक समझे, संघ में नए राज्यों का प्रवेश या उनकी स्थापना कर सकेगी।' आर्टिकल 2 का शीर्षक ही है- 'नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना।'

फिर आर्टिकल 3 भारत की संसद को 'नए राज्यों के निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन' का अधिकार देता है। इन दोनों अनुच्छेदों से साफ है कि भारत की संसद, राज्यों से ऊपर है। इस तरह, राज्य स्वायत्त हैं, स्वतंत्र नहीं। वो भारत राष्ट्र में समाहित हैं और उनकी स्वतंत्र सत्ता नहीं हो सकती और जब बात राज्य बनाम भारत की होगी तो भारत हमेशा सर्वोपरि होगा। भारत अपने राज्यों में जब चाहे, जैसा चाहे बदलाव कर सकता है।