एयरपोर्ट 4 पूर्णिया के लिए अधिवक्ताओं ने निकाला पैदल मार्च, जिलाधिकारी को सौंपा मेमोरेंडम
पूर्णिया : जिला में यथाशीघ्र एयरपोर्ट के निर्माण और हवाई सेवा आरंभ करने की मांग को लेकर जो आंदोलन चल रहा है, वह अब काफी जोड़ पकड़ने लगा है।
इस आंदोलन को जहां समाज के विभिन्न वर्गों का साथ मिल रहा है, वहीं अब अधिवक्ता भी इस आंदोलन में खुलकर कूद पड़े हैं।
मंगलवार को दोपहर बाद 3:30 बजे जिला अधिवक्ता संघ पूर्णिया के अधिवक्ताओं ने पैदल मार्च निकालकर एयरपोर्ट फॉर पूर्णिया की मांग को बुलंद किया। इसमें अधिवक्ताओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
पैदल मार्च अधिवक्ता संघ के मुख्य द्वार से निकाली गई जिसमें आगे-आगे बड़ा सा बैनर लिए हुए अधिवक्तागण चल रहे थे जिसमें भारत सरकार एवं बिहार सरकार से एयरपोर्ट फॉर पूर्णिया की मांग से संबंधित कई मांगें लिखी गई थी।
इसके अलावे अधिवक्ता गण अपने हाथों में गत्ता लिए हुए थे जिसमें पूर्णिया में एयरपोर्ट के जल्द निर्माण की मांग को लेकर विभिन्न तरह के स्लोगन लिखे थे।
यथा "जब तक पूर्णिया से उड़ान नहीं तब तक हम सबको आराम नहीं।" "उत्तर प्रदेश को 1 साल में 8 एयरपोर्ट तो पूर्णिया को घोषणा के बाद भी 8 साल में एयरपोर्ट क्यों नहीं?" इसके अलावे अधिवक्ता गण शांतिपूर्ण ढंग से एयरपोर्ट से जल्द हवाई सेवा आरंभ करने की मांग को लेकर विभिन्न तरह के नारे भी लगा रहे थे।
यह पैदल मार्च आर०एन०साव० चौक तक जाकर, लौटते वक्त जिलाधिकारी महोदय को मेमोरेंडम देने हेतु समाहरणालय के मुख्य गेट पर आया। उनमें से पांच अधिवक्ताओं का शिष्ट मंडल मेमोरेंडम के साथ जिलाधिकारी के कक्ष में गए।
इस संबंध में जिला अधिवक्ता संघ के संयुक्त सचिव सुमन प्रकाश ने जानकारी देते हुए कहा कि इस प्रतिनिधि मंडल में जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अवधेश कुमार तिवारी, सचिव कन्हैया सिंह, वरीय अधिवक्ता सह सदस्य बिहार राज्य बार काउंसिल राजीव शरण, वरीय अधिवक्ता जियाउल हक एवं अधिवक्ता संघ के संयुक्त सचिव सुमन जी प्रकाश शामिल थे।
उन्होंने यह भी बतलाया कि बातचीत काफी सकारात्मक रही और जिलाधिकारी द्वारा बताया गया कि इस संबंध में कार्य प्रगति पर है।
मेमोरेंडम की बातें संक्षेप में इस प्रकार हैं- "चंद्रमा पर चंद्रयान (iii) की सफल लैंडिंग के साथ ही भारतीयों का सपना बहुत ऊंचाई तक पहुंच गया है। यह अंतरिक्ष और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का युग है, लेकिन इस क्षेत्र की जनता आज भी हवाई सेवा से वंचित है।
बिहार के इस हिस्से के लोगों को वर्तमान में बागडोगरा या दरभंगा हवाई अड्डे तक पहुंचने में लगभग चार घंटे लगते हैं। पूर्णिया से हवाई सेवा 1952 में ही अस्तित्व में थी।
भारतीय वायु सेना का मौजूदा एयर बेस चूनापुर 1962 में भारत-चीन युद्ध के तुरंत बाद बनाया गया। वर्ष 2012 में पूर्णिया-पटना और पूर्णिया-कोलकाता उड़ान सेवा शुरू की गई थी, लेकिन एक साल बाद सेवा बंद कर दी गई।
रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत उड़े देश का आम नागरिक के बाबजूद पूर्णिया से हवाई सेवा में देरी हो रही है। चूनापुर एयरबेस पर सिविल एन्क्लेव के निर्माण का प्रस्ताव कई वर्षों से अधर में लटका हुआ है।
मेमोरेंडम में जिला प्रशासन को 52.18 एकड़ भूमि के अधिग्रहण से संबंधित विवादों का निपटारा हेतु धन्यवाद दिया गया।
अंत में अधिवक्ता संघ की ओर से आग्रह किया गया कि हवाई सेवा की शीघ्र शुरुआत के लिए पहल करें, जिससे सीमांचल के साथ-साथ नेपाल के लोग भी लाभान्वित होंगे।
पूर्णिया से हवाई सेवा की शुरुआत होने पर पूर्णिया को उप-राजधानी बनाने और पूर्णिया में माननीय पटना उच्च न्यायालय की पीठ के गठन की हमारी लंबे समय से चली आ रही मांग को भी बल मिलेगा।
पूर्णिया से जेपी मिश्र
Aug 31 2023, 19:06