आज लोकसभा में पेश होगा दिल्ली सेवा बिल, जानें क्या है खास, कितनी कम हो जाएंगी केजरीवाल की शक्तियां
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दिल्ली सरकार के अधिकारों और सेवा से जुड़ा बिल लोक सभा सांसदों को सर्कुलेट कर दिया गया है। यह बिल आज लोक सभा में पेश हो सकता है। गृह मंत्री अमित शाह लोक सभा में विधेयक को पेश कर सकते हैं। दिल्ली सरकार इस विधेयक का विरोध कर रही है। ऐसे में आज जब ये बिल लोकसभा में पेश होगा तो सदन में जोरदार हंगामा देखने को मिल सकता है। संसद में पहले से ही मणिपुर हिंसा को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध जारी है।
क्या है मामला?
दिल्ली में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (GNCTD) अधिनियम 1991 लागू है जो विधानसभा और सरकार के कामकाज के लिए एक रूपरेखा प्रदान करने का काम करता है। साल 2021 में केंद्र सरकार ने इसमें संशोधन किया था। संशोधन के तहत दिल्ली में सरकार के संचालन, कामकाज को लेकर कुछ बदलाव किए गए थे। इसमें उपराज्यपाल को कुछ अतिरिक्त अधिकार दिए गए थे। संशोधन के मुताबिक, चुनी हुई सरकार के लिए किसी भी फैसले के लिए एलजी की राय लेनी अनिवार्य किया गया था।
आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि राजधानी में भूमि और पुलिस जैसे कुछ मामलों को छोड़कर बाकी सभी मामलों में दिल्ली की चुनी हुई सरकार को सर्वोच्चता होनी चाहिए और दिल्ली का प्रशासन चलाने के लिए आईएएस अधिकारियों पर राज्य सरकार को पूरा नियंत्रण मिलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर आदेश सुनाया कि एलजी के पास दिल्ली से जुड़े सभी मुद्दों पर व्यापक प्रशासनिक अधिकार नहीं हो सकते। एलजी की शक्तियां उन्हें दिल्ली विधानसभा और निर्वाचित सरकार की विधायी शक्तियों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं देती। अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा। चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक सेवा का अधिकार होना चाहिए। उपराज्यपाल को सरकार की सलाह माननी होगी। पुलिस, पब्लिक आर्डर और लैंड का अधिकार केंद्र के पास रहेगा।
केंद्र ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया
इस आदेश से उपराज्यपाल के अधिकार कम हो गए और दिल्ली सरकार को वो शक्तियां मिल गईं जो बाकी राज्यों में चुनी हुई सरकारों के पास होती हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को एक सप्ताह ही हुआ था कि केंद्र सरकार एक अध्यादेश ले आई और सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया। इस अध्यादेश के मद्देनजर दिल्ली में राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण (NCCSA) नाम का एक प्राधिकरण बनाया जाएगा, जो दिल्ली में पदस्थ अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग समेत उनपर अनुशासनात्मक कार्यवाही से जुड़े फैसले लेंगे।NCCSA में तीन लोग होंगे- दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और प्रिंसिपल होम सेक्रेटरी। प्राधिकरण में बहुमत से फैसला लिया जाएगा और वो फैसला दिल्ली के उपराज्यपाल को भेजा जाएगा। उपराज्यपाल को अगर उस फैसले से आपत्ति होती है तो वो उसे वापस भेज सकते हैं। अगर प्राधिकरण और उपराज्यपाल के बीच किसी फैसले को लेकर विवाद की स्थिति बनती है तो उपराज्यपाल का फैसला ही आखिरी फैसला माना जाएगा।
'INDIA' गठबंधन की परीक्षा का दिन
इस अध्यादेश पर केजरीवाल सरकार बीते एक अरसे से विरोध कर रही है। देश के सर्वोच्च अदालत के बाद ये अध्यादेश सबसे बड़ी पंचायत यानी संसद में है। आज ही विपक्षी गठबंधन INDIA की परीक्षा का दिन भी साबित हो सकता है। हालांकि, लोकसभा में एनडीए के पास बहुमत है तो वहां आसानी से बिल पास हो सकता है। पर देखना होगा कि विपक्ष एकजुट होकर राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल को पास होने से रोक पाता है या नहीं।सरकार की भी परीक्षा राज्यसभा में होगी और सीएम केजरीवाल भी राज्यसभा में अपना पूरा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। लिहाजा आम आदमी पार्टी के नेता विपक्षी सांसदों की मदद से राज्यसभा में इसे रोकने की कोशिश में हैं।
Jul 31 2023, 12:08