वैज्ञानिकों का दावा- चीन के वुहान के बाद अब अमेरिका के मीट बाजार से फैल सकती है वैश्विक महामारी


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

चीन के वुहान के बाद अब अमेरिका के मीट बाजार से कोविड-19 से भी घातक वैश्विक महामारी फैलने का खतरा मंडरा रहा है। हार्वर्ड वैज्ञानिकों ने अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन्सान, जानवरों और जंगली जानवर के आपसी संपर्क के कारण इसका खतरा बढ़ेगा। ये रिपोर्ट हार्वर्ड लॉ स्कूल और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी ने जारी की है। हार्वर्ड लॉ स्कूल और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट में कहा गया कि कई अमेरिकी अकसर सोचते हैं कि उनके देश में ऐसा नहीं हो सकता है, लेकिन इस देश में नियम इतने कमजोर हैं कि कोई एक वायरस या दूसरी कोई संक्रामक बीमारी आसानी से अमेरिका में जानवरों से लोगों तक पहुंच सकती है। यही बीमारी महामारी में तब्दील हो सकती है। रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम के सदस्य एन लिंडर ने कहा कि वास्तव में सुरक्षा की यह झूठी भावना और निराधार विश्वास है कि जेनेटिक रोग कुछ ऐसा है जो बाकी जगहों पर है और अमेरिका में नहीं हो सकता।

तेजी से बढ़ेगा संक्रमण

हार्वर्ड लॉ स्कूल और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में जोखिम के कई बिंदुओं पर भी बात की गई है। जिसमें जानवरों का आयात-निर्यात भी शामिल है। इस दौरान लाखों जानवर एक-दूसरे और उनके संचालकों के संपर्क में आते हैं। इस कारण जंगली जानवरों से कोई भई संक्रमण आसानी से इन्सानों में आ सकता है।

आसानी से जानवरों का आयात

एन लिंडर ने कहा कि हर साल अमेरिका में पालतू जानवरों और बाकी दूसरे उद्देश्यों के लिए करीब 22 करोड़ जीवित जंगली जानवरों का आयात किया जाता है। उन्होंने बताया कि अगर कोई देश में कुत्ता या बिल्ली लाना चाहता है तो एक प्रक्रिया है। लेकिन कोई आयातक दक्षिण अमेरिका से 100 जंगली स्तनधारियों को आसान नियमों के साथ ला सकता है।

लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी, जाने मोदी सरकार के लिए कितना खतरा?

#opposition_bringing_no_confidence_motion_against_govt_in_lok_sabha 

संसद के मॉनसून सत्र का आज पांचवां दिन है। लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध जारी है। मणिपुर मुद्दे पर कांग्रेस और बीआरएस ने अलग-अलग सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इसे स्वीकार करते हुए चर्चा के लिए मंजूरी दे दी।यह प्रस्ताव कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई द्वारा सदन में लाया गया है। 

स्पीकर ने अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की इजाजत दी। उन्होंने कहा कि इसपर विस्तृत चर्चा के बाद तारीख का एलान करूंगा। ओम बिरला ने कहा कि वह सभी दलों के नेताओं से बातचीत करके इस पर चर्चा की तिथि के बारे में अवगत कराएंगे। लोकसभा में शून्यकाल के दौरान बिरला ने कहा, मुझे सदन को सूचित करना है कि गौरव गोगोई से नियम 198 के तहत मंत्रिपरिषद में अविश्वास प्रस्ताव का अनुरोध प्राप्त हुआ है।बिरला ने कहा, इस प्रस्ताव को अनुमति दी जाती है। मैं सभी दलों के नेताओं से चर्चा करके उचित समय पर इस प्रस्ताव पर चर्चा कराने की तिथि के बारे में आप लोगों को अवगत करा दूंगा।

लोकसभा में नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मणिपुर हिंसा मामले पर हमारे पास अविश्वास प्रस्ताव का सहारा लेने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं होगा, क्योंकि मोदी सरकार मणिपुर के मुद्दे पर विपक्षी दलों की मांग स्वीकार नहीं कर रही है. विपक्ष यही मांग कर रहा है कि कम से कम पीएम मोदी को संसद में आकर बयान देना चाहिए, लेकिन इसके लिए वो तैयार नहीं है। ऐसे में विपक्षी दलों ने अविश्वास प्रस्ताव लाने का कदम उठा रही है।विपक्षी के अविश्वास प्रस्ताव को स्पीकर ने स्वीकार कर लिया है।

अविश्वास प्रस्ताव का औंधे मुंह गिरना लगभग तय

विपक्षी अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद सरकार को साबित करना होगा कि उनके पास बहुमत है. मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का औंधे मुंह गिरना लगभग तय है। इसके बावजूद पूर्ण बहुमत वाली मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर विपक्षी दल क्या सियासी संदेश देना चाहते हैं?

मोदी सरकार के लिए कितना खतरा?

इस वक्त लोकसभा में एनडीए के पास 333 सांसद हैं, जिनमें बीजेपी के पास ही अकेले 301 सांसद है। इसके अलावा दूसरे 12 दलों के 32 सांसद सरकार के साथ हैं। वहीं विपक्षी दलों के पास 142 सांसद हैं, जिनमें कांग्रेस के पास 50 तो टीएमसी के पास 23 सांसद हैं। इसके अलावा डीएमके के पास 24 और जेडीयू के पास 16 सासंद हैं। इस तरह से 12 पार्टियों के कुल 142 सांसद हैं जो एनडीए से नंबर गेम में बहुत पीछे हैं। यानी बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के पास पर्याप्त बहुमत है।

सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी संयुक्त विपक्ष, जानें क्या है पूरी प्रकिया

#whatisnoconfidencemotionwhichjointoppositionpresentagainstnda_govt 

मणिपुर में जारी हिंसा और राज्य में बिगड़ते हालात को लेकर विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमलावर है। पार्टियों द्वारा संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग की जा रही है। इस बीच संसद के मॉनसून सत्र में कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार के खिलाफ इस मसले पर अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में जुटी हैं।26 विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' ने मोदी सरकार के खिलाफ आज अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। कांग्रेस नेता अधीररंजन चौधरी ने कहा कि नोटिस का मसौदा तैयार है और बुधवार सुबह इसे लोकसभा में पेश किया जाएगा।

मंगलवार को विपक्षी गठबंधन दलों की बैठक में अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला हुआ था। मंगलवार 25 जुलाई को जब विपक्षी नेताओं की बैठक खरगे के कार्यालय में शुरू हुई तो उन्होंने इस प्रस्ताव की घोषणा की और सभी नेताओं से इस मुद्दे पर उनकी राय मांगी।इस प्रस्ताव पर सभी दलों ने सहमति जताई और आगे बढ़ने का फैसला किया गया।

किस तरह लाया जाता है अविश्वास प्रस्ताव

हमारे देश में सरकारों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव अक्सर लाए जाते रहे हैं। इससे सरकार और विपक्ष दोनों अपनी मजबूती की परख करते हैं। हालांकि ये प्रस्ताव एक प्रक्रिया के तहत ही लाया जा सकता है। बगैर इसके अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता। क्या है ये प्रक्रिया। कैसे संसद में ये प्रस्ताव पेश होता है।सबसे पहले विपक्षी दल को लोकसभा अध्यक्ष या स्पीकर को इसकी लिखित सूचना देनी होती है। इसके बाद स्पीकर उस दल के किसी सांसद से इसे पेश करने के लिए कहती हैं।

संविधान में नहीं है अविश्वास प्रस्ताव

हालांकि, संविधान में अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र नहीं हैं। भारत के संविधान में संसदीय प्रक्रिया के रूप में अविश्वास प्रस्ताव का स्पष्ट उल्लेख नहीं है। यह संसदीय लोकतंत्र के वेस्टमिंस्टर मॉडल की संसदीय प्रणालियों से लिया गया है। अविश्वास प्रस्ताव केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है, जो भारतीय संसद का निचला सदन है। राज्यसभा, यानि कि उच्च सदन के पास अविश्वास प्रस्ताव लाने की शक्ति नहीं है। अविश्वास प्रस्ताव पर स्पीकर वोटिंग के बजाय कोई और फैसला भी ले सकते हैं। 

इसे किन स्थितियों में लाया जाता है

जब किसी दल को लगता है कि सरकार सदन का विश्वास या बहुमत खो चुकी है. तब वो अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकती है।

मोदी सरकार के लिए कितना खतरा?*

इस वक्त लोकसभा में एनडीए के पास 333 सांसद हैं, जिनमें बीजेपी के पास ही अकेले 301 सांसद है। इसके अलावा दूसरे 12 दलों के 32 सांसद सरकार के साथ हैं। वहीं विपक्षी दलों के पास 142 सांसद हैं, जिनमें कांग्रेस के पास 50 तो टीएमसी के पास 23 सांसद हैं। इसके अलावा डीएमके के पास 24 और जेडीयू के पास 16 सासंद हैं। इस तरह से 12 पार्टियों के कुल 142 सांसद हैं जो एनडीए से नंबर गेम में बहुत पीछे हैं। यानी बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के पास पर्याप्त बहुमत है।

देश के 22 से ज्यादा राज्यों में अगले चार दिनों तक भारी बारिश के आसार, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट

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करीब एक हफ्ते तक कमजोर रहने के बाद देश में एकबार फिर मानसून काफी सक्रिय हो गया है। इसके देश के कई हिस्सों में बारिश की गतिविधि तेज गई है। देश के कई हिस्सों में पिछले दो दिनों से लगातार हल्की से मध्यम और मुसलाधार बारिश हो रही है।मौसम विभाग के अनुसार, 25 से 29 जुलाई तक भारत के विभिन्न क्षेत्रों के लिए मौसम के पूर्वानुमान में हल्की और कहीं-कहीं भारी वर्षा की संभावना है।मौसम विभाग ने बुधवार को मध्य महाराष्ट्र, पूर्वी गुजरात, कोंकण, गोवा, तेलंगाना, रॉयलसीमा और आंध्र प्रदेश के तटवर्ती इलाकों में भारी बारिश और आंधी-तूफान को लेकर रेड अलर्ट जारी किया है।

मौसम विभाग ने अगले तीन दिन 22 से ज्यादा राज्यों में भारी बारिश की संभावना जताई है।इस दौरान बुधवार को मध्य महाराष्ट्र, पूर्वी गुजरात, कोंकण, गोवा, तेलंगाना, रॉयलसीमा और आंध्र प्रदेश के तटवर्ती इलाकों में भारी बारिश और आंधी-तूफान को लेकर रेड अलर्ट जारी किया गया है। कुल्लू में बादल फटने से संपत्ति का भारी नुकसान हुआ है। गंगा, यमुना, घग्गर, हिंडन समेत सभी प्रमुख नदियां खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं और कई इलाके बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और चंडीगढ़ में अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने मंगलवार को कहा कि 26 जुलाई तक पश्चिमी तट पर और 25-27 जुलाई के दौरान तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है। आईएमडी ने 26 से 27 जुलाई के दौरान पूर्वी मध्य भारत में भारी बारिश की भविष्यवाणी की है, जबकि 25 से 27 जुलाई के दौरान उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तरी हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश में, और 28 से 30 जुलाई के बीच पूर्वी भारत में भी भारी बारिश होने की उम्मीद है।

मौसम विभाग ने मंगलवार को जारी अपने बुलेटिन में कहा, उत्तर पश्चिम भारत में, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भारी बारिश होने की उम्‍मीद है। हिमाचल प्रदेश में भी मंगलवार से शुक्रवार तक बारिश होगी, 26 और 27 जुलाई को अलग-अलग जगहों पर बहुत भारी बारिश की उम्‍मीद है। पूर्वी राजस्थान में 25 से 27 तारीख तक और पश्चिमी राजस्थान में 25 और 26 जुलाई को बारिश होगी। जम्मू और कश्मीर में 26 और 27 जुलाई को बारिश होगी, वहीं कुछ स्थानों पर भारी बारिश के आसार हैं।

मध्य भारत में भी भारी बारिश होगी। विदर्भ और छत्तीसगढ़ में मंगलवार से शुक्रवार तक बारिश होगी, 26 और 27 जुलाई को अलग-अलग जगहों पर बहुत भारी बारिश होगी। पूर्वी मध्य प्रदेश में 26 से 28 जुलाई तक बारिश होगी, वहीं 27 जुलाई को कुछ स्थानों पर बहुत भारी बारिश होगी।

पूर्वोत्तर भारत में भी भारी बारिश की आशंका है। अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, असम और मेघालय में भी व्यापक वर्षा के आसार हैं।अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय में 29 जुलाई तक और नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में 28 और 29 जुलाई को काफी व्यापक वर्षा होगी। वहीं 'अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय में 27 और 28 जुलाई को बहुत भारी बारिश होने की संभावना है।

#kargil_vijay_diwas रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने द्रास पहुंचकर कारगिल के शहीदों को दी श्रद्धांजलि, कहा- भारत स्वाभिमान से समझौता नहीं करता
पूरा देश आज 24वां करगिल विजय दिवस मना रहा है. आज ही के दिन मां भारती के वीर सपूतों ने अपने शौर्य और पराक्रम से पाकिस्तान को धूल चटाई थी। आज इस मौके पर पूरा देश भारत के उन जांबाज सैनिकों को याद कर रहा है, उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है, जिन्होंने अपने अदम्स साहस से पाकिस्तान को नेस्तनाबूद किया था।24वें करगिल विजय दिवस के मौके पर देशभर में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। लद्दाख के द्रास में युद्ध स्मारक मुख्य समारोह आयोजित किया गया है।द्रास में आयोजित मुख्य समारोह में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मौजूद रहे।राजनाथ सिंह सेना के जवानों के बीच पहुंचकर कारगिल के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। लद्दाख के द्रास में कारगिल विजय दिवस के मौके पर आयोजित मुख्य समारोह को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं उन वीर सपूतों को सलाम करता हूं, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया. मैं उन वीर सपूतों को सलाम करता हूं, जिन्होंने देश को सबसे पहले रखा और इसके लिए अपने जीवन का बलिदान देने में संकोच नहीं किया। राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि कारगिल युद्ध भारत के ऊपर एक थोपा गया युद्ध था। उस समय देश ने पाकिस्तान से बातचीत के माध्यम से मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया। खुद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजेपयी ने पाकिस्तान की यात्रा करके कश्मीर सहित अन्य मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया था। लेकिन पाकिस्तान ने भारत पीठ में खंजर घोंप दिया। वहीं चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और 1999 के कारगिल युद्ध में अपनी जान गंवाने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। आर्मी एविएशन के तीन चीतल हेलीकॉप्टर द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक के पास से गुजरे और आसमान से फूलों की पंखुड़ियां बरसाईं।

पूरा देश आज 24वां करगिल विजय दिवस मना रहा है. आज ही के दिन मां भारती के वीर सपूतों ने अपने शौर्य और पराक्रम से पाकिस्तान को धूल चटाई थी। आज इस मौके पर पूरा देश भारत के उन जांबाज सैनिकों को याद कर रहा

कारगिल विजय दिवसः जब दुनिया ने देखा भारतीय सेना का पराक्रम, शौर्य एवं सर्वोच्च बलिदान

#kargilvijaydiwas 

देश आज कारगिल विजय दिवस मना रहा है। हर साल 26 जुलाई को भारत में करगिल विजय दिवस मनाया जाता है।24 साल पहले आज ही के दिन भारत ने पाकिस्तानी सेना को करारी शिकस्त दी थी।करगिल युद्ध, भारतीय सेना की वीरता की दास्तान कहता है। 1999 का कारगिल युद्ध भारतीय सेना के पराक्रम, शौर्य एवं सर्वोच्च बलिदान की उत्कृष्ट मिसाल है। तो पाकिस्तान के लिए यह युद्ध उसकी नापाक सोच, गद्दारी, पीठ में छुरा घोंपने की उसकी पारंपरिक सोच को दर्शाता है।

पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ साजिश रचने का कोई भी मौका नहीं गंवाया है। साल 1999 में भी पाकिस्तान ने भारत में घुसपैठ की कोशिश की। सर्दियों के मौसम में इन इलाकों में तापमान -50 तक चला जाता है।इन इलाकों को खाली कर दिया जाता था। इसी का फायदा उठाकर पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ की गई। इस घुसपैठ में पाकिस्तान की सेना ने भी मदद की। 3 मई 1999 ये वो तारीख है जब हिन्दुस्तान को इस घुसपैठ का पता चला। दरअसल कुछ स्थानीय चरवाहों ने भारतीय सेना के लोगों को इसके बारे में बताया। इसके बाद शुरू हुआ तनाव और संघर्ष 84 दिन चला। 

19 मई को हुई ऑपरेशन विजय की शुरुआत

19 मई वो तारीख थी जिस दिन कारगिल युद्ध की एक तौर पर आधिकारिक शुरुआत हुई। द्रास सेक्टर पर अपने इलाके को कब्जे में लेने के लिए इस ऑपरेशन की शुरुआत हुई। दुश्मन ऊंची चोटियों पर बैठा था। हमारी सेना को खड़ी चढ़ाई चढ़नी थी। उसके लिए दुश्मन के निशाने से बचना मुश्किल था। इसके बाद तोलोलिन पहाड़ी से लेकर टाइगर हिल तक हर पोस्ट पर हमारे शूरवीरों ने न सिर्फ कब्जा किया बल्कि पाकिस्तानी सैनिकों को मार खदेड़ा। 

दुनिया की सबसे ऊंची जगहों में से लड़े गए युद्धों में से एक

कारगिल का युद्ध दुनिया की सबसे ऊंची जगहों में से लड़े गए युद्धों में से एक था। यहां युद्ध लड़ना और पहाड़ों की ऊंची चोटियों पर पहले से बैठे आतंकियों एवं घुसपैठियों को मार भगाना और चोटियों पर दोबारा काबिज होना आसान काम नहीं था। लेकिन भारतीय जवान हर बार कठिनाई पर भारी पड़े हैं। दुर्गम इलाके की बाधाओं और पर्याप्त सुविधाएं न होने के बावजूद भारतीय सेना दुश्मनों के खिलाफ खूब लड़ी। 

527 से ज्यादा जवानों ने दिया था बलिदान

मई-जुलाई 1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में हिन्दुस्तान के 527 से ज्यादा जवान शहीद हुए थे। इनके अलावा 1300 से ज्यादा जख्मी हो गए थे। खास बात यह है कि इनमें से अधिकांश फौजी 30 साल से कम उम्र के थे। वहीं शहीदों में से अकेले राजस्थान के 52 जवान थे। करीब 2 महीने की जंग के बाद 26 जुलाई 1999 को युद्ध समाप्ति हुई थी।

कारगिल विजय दिवसः जब दुनिया ने देखा भारतीय सेना का पराक्रम, शौर्य एवं सर्वोच्च बलिदान

#kargil_vijay_diwas 

देश आज कारगिल विजय दिवस मना रहा है। हर साल 26 जुलाई को भारत में करगिल विजय दिवस मनाया जाता है।24 साल पहले आज ही के दिन भारत ने पाकिस्तानी सेना को करारी शिकस्त दी थी।करगिल युद्ध, भारतीय सेना की वीरता की दास्तान कहता है। 1999 का कारगिल युद्ध भारतीय सेना के पराक्रम, शौर्य एवं सर्वोच्च बलिदान की उत्कृष्ट मिसाल है। तो पाकिस्तान के लिए यह युद्ध उसकी नापाक सोच, गद्दारी, पीठ में छुरा घोंपने की उसकी पारंपरिक सोच को दर्शाता है।

पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ साजिश रचने का कोई भी मौका नहीं गंवाया है। साल 1999 में भी पाकिस्तान ने भारत में घुसपैठ की कोशिश की। सर्दियों के मौसम में इन इलाकों में तापमान -50 तक चला जाता है।इन इलाकों को खाली कर दिया जाता था। इसी का फायदा उठाकर पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ की गई। इस घुसपैठ में पाकिस्तान की सेना ने भी मदद की। 3 मई 1999 ये वो तारीख है जब हिन्दुस्तान को इस घुसपैठ का पता चला। दरअसल कुछ स्थानीय चरवाहों ने भारतीय सेना के लोगों को इसके बारे में बताया। इसके बाद शुरू हुआ तनाव और संघर्ष 84 दिन चला। 

19 मई को हुई ऑपरेशन विजय की शुरुआत

19 मई वो तारीख थी जिस दिन कारगिल युद्ध की एक तौर पर आधिकारिक शुरुआत हुई। द्रास सेक्टर पर अपने इलाके को कब्जे में लेने के लिए इस ऑपरेशन की शुरुआत हुई। दुश्मन ऊंची चोटियों पर बैठा था। हमारी सेना को खड़ी चढ़ाई चढ़नी थी। उसके लिए दुश्मन के निशाने से बचना मुश्किल था। इसके बाद तोलोलिन पहाड़ी से लेकर टाइगर हिल तक हर पोस्ट पर हमारे शूरवीरों ने न सिर्फ कब्जा किया बल्कि पाकिस्तानी सैनिकों को मार खदेड़ा। 

दुनिया की सबसे ऊंची जगहों में से लड़े गए युद्धों में से एक

कारगिल का युद्ध दुनिया की सबसे ऊंची जगहों में से लड़े गए युद्धों में से एक था। यहां युद्ध लड़ना और पहाड़ों की ऊंची चोटियों पर पहले से बैठे आतंकियों एवं घुसपैठियों को मार भगाना और चोटियों पर दोबारा काबिज होना आसान काम नहीं था। लेकिन भारतीय जवान हर बार कठिनाई पर भारी पड़े हैं। दुर्गम इलाके की बाधाओं और पर्याप्त सुविधाएं न होने के बावजूद भारतीय सेना दुश्मनों के खिलाफ खूब लड़ी। 

527 से ज्यादा जवानों ने दिया था बलिदान

मई-जुलाई 1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में हिन्दुस्तान के 527 से ज्यादा जवान शहीद हुए थे। इनके अलावा 1300 से ज्यादा जख्मी हो गए थे। खास बात यह है कि इनमें से अधिकांश फौजी 30 साल से कम उम्र के थे। वहीं शहीदों में से अकेले राजस्थान के 52 जवान थे। करीब 2 महीने की जंग के बाद 26 जुलाई 1999 को युद्ध समाप्ति हुई थी।

अमित शाह ने दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष को लिखी चिट्ठी, कहा- मणिपुर पर चर्चा के लिए केंद्र सरकार तैयार, चर्चा करने में दें सहयोग

#amitshahwritestomallikarjunkhargeadhirranjanchowdhuryseekscooperation

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में जारी गतिरोध को दूर करने की कोशिशों के तहत दोनों सदनों के विपक्षी नेताओं लोकसभा के अधीर रंजन चौधरी और राज्यसभा के मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर मणिपुर मुद्दे पर चर्चा में सहयोग की अपील की है। गृह मंत्री शाह ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है।

पत्र का फोटो ट्विटर पर भी शेयर किया

अमित शाह ने इस पत्र का फोटो ट्विटर पर भी शेयर किया है।उन्होंने लिखा है कि, आज मैंने दोनों सदनों के विपक्षी नेताओं, लोकसभा के अधीर रंजन चौधरी और राज्यसभा के मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर मणिपुर मुद्दे की चर्चा में उनके अमूल्य सहयोग की अपील की। सरकार मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है और पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सभी दलों से सहयोग चाहती है। मुझे उम्मीद है कि सभी दल इस महत्वपूर्ण मुद्दे को हल करने में सहयोग करेंगे।

सहयोग लेने के लिए पत्र लिखा

पत्र में अमित शाह ने लिखा है कि मैं आपका सहयोग लेने के लिए आपको यह पत्र लिख रहा हूं। जैसा कि आप जानते हैं मणिपुर एक महत्वपूर्ण सीमावर्ती राज्य है। मणिपुर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत ना केवल मणिपुर बल्कि सम्पूर्ण भारत की संस्कृति का गहना है। छह सालों में मणिपुर में बीजेपी के शासन में यह क्षेत्र शांति और विकास के नए युग का अनुभव कर रहा था। परन्तु कुछ अदालती निर्णयों और कुछ घटनाओं के कारण मई माह की शुरुआत में मणिपुर में हिंसा की घटनाएं घटी। कुछ शर्मनाक घटनाएं भी सामने आई जिसके बाद समग्र देश की जनता, उत्तरपूर्व की जनता और विशेषकर मणिपुर की जनता देश की संसद से अपेक्षा कर रही है कि इस कठिन समय में सभी पार्टियां दलगत राजनीति से ऊपर उठकर मणिपुर की जनता के साथ खड़ी रहें।

केंद्र केवल बयान नहीं बल्कि पूरी चर्चा के लिए तैयार-शाह

शाह ने अपने पत्र में लिखा है कि देश के लोग चाहते हैं कि हम एकजुट होकर उन्हें आश्वस्त करें कि हम मणिपुर में शांति के लिए प्रतिबद्ध हैं. अतीत में, हमारी संसद ने ऐसा किया है। हम आपको आश्वस्त करना चाहते हैं कि केंद्र केवल एक बयान देने के लिए तैयार नहीं है बल्कि पूरी चर्चा करने को तैयार है। लेकिन हमें इसमें सभी दलों की मदद की उम्मीद है। मैं आपके माध्यम से अनुरोध करता हूं कि सभी विपक्षी दल स्वस्थ वातावरण में चर्चा के लिए आगे आएं।

पाकिस्तान पहुंची भारत की अंजू इस्लाम अपनाकर बनी फातिमा, फेसबुक फ्रेंड से किया निकाह, प्री वेडिंग शूट का वीडियो वायरल

#rajasthanwomananjugotmarriedinpakistan

सीमा हैदर के भारत आने के मामले के बीच अचानक खबर आई कि राजस्थान के अलवर से एक भारतीय महिला अंजू भी पाकिस्तान चली गई है। वह अपने प्रेमी से मिलने गई। अभी तक ये खबर आ रही थी कि वह लीगल वीजा के पाकिस्तान गई है और वापस लौट आएगी। लेकिन इसी बीच इस खबर में एक और बड़ा 'ट्विस्ट' आ गया है। पाकिस्तानी मीडिया यह दावा कर रहे हैं कि पाकिस्तान पहुंची भारतीय महिला अंजू ने इस्लाम धर्म अपनाकर कोर्ट मैरिज कर ली है। इतना ही नहीं, अंजू ने शादी के बाद अपना नाम बदलकर फातिमा भी कर लिया है। दोनों की शादी के बाद उनका पहला वीडियो सामने आया है। दोनों इसमें एक दूसरे के लिए प्यार जताते हुए नजर आ रहे हैं।

पाकिस्तानी मीडिया में दावा किया जा रहा है भारतीय महिला अंजू ने पाकिस्तान के नसरुल्लाह से निकाह कर लिया है। जियो टीवी के मुताबिक, इस जोड़े ने एक जिला एवं सत्र न्यायाधीश की स्थानीय अदालत में शादी रचाई। मलकंद डिवीजन के उप महानिरीक्षक नासिर महमूद सत्ती ने 35 वर्षीय अंजू और 29 वर्षीय नसरुल्ला के निकाह की पुष्टि करते हुए कहा कि महिला ने इस्लाम अपनाने के बाद फातिमा का नाम ले लिया है।

दोनों को लेकर एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें अंजू और नसरुल्लाह एक कोर्ट के बाहर दिखाई दे रहे हैं। जिसको लेकर दावा किया जा रहा है कि अंजू ने नसरुल्लाह के साथ कोर्ट मैरिज कर ली है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि नसरुल्लाह और अंजू कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत आए थे।

नसरुल्लाह के साथ हाथ में हाथ डाले आ रही नजर

यही नहीं, सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो हैं जिसमें अंजू अपने प्रेमी नसरुल्लाह के साथ खैबर पख्तूनख्वा की वादियों में घूमती दिख रही है। अंजू और नसरुल्लाह एक-दूसरे के हाथ में हाथ डाले खूबसूरत वादियों को निहार रहे हैं। वीडियो को जिस तरह से शूट किया गया है उसे देखने के बाद लगता है कि ये निकाह के पहले का प्री वेडिंग शूट है। वीडियो को देखने से पता चलता है कि इसे पाकिस्तान में अलग-अलग स्थानों पर घूमते-फिरते बनाया गया है।

अंजू ने कही थी भारत लौटने की बात

हालांकि, बीते दिन सोमवार को ही नसरुल्लाह ने फोन पर न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया था कि अंजू केवल पाकिस्तान घूमने आई हैं। वह जल्द ही भारत लौट जाएंगी। उनका शादी का कोई इरादा नहीं है।अंजू ने भी एक वीडियो जारी कर कहा था कि वह लीगल तरीके से पाकिस्तान गई है और जल्द ही भारत वापस लौट जाएगी लेकिन इन सबके बीच अब दोनों ने शादी कर ली है।

फेसबुक फ्रेंड से मिलने बच्चों और पति को छोड़ पहुंची पाकिस्तान

बता दें कि पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में अपने फेसबुक फ्रेंड से मिलने पहुंची भारत की अंजी वाघा बार्डर से होते हुए पाकिस्तान में दाखिल हुई थी। उस वक्त अंजू ने एक रील बनाई थी, जिसमें उसने बताया था कि वो पाकिस्तान में कैसे दाखिल हुई है। अंजू ने बताया है कि वह वैध तरीके से पाकिस्तान आई है। ये कोई एक-दो दिन का मामला नहीं है, वो पूरी प्लानिंग के साथ पाकिस्तान आई है।उसने बताया कि फेसबुक पर उसकी दोस्ती नसरुल्लाह से हुई थी और उसी से मिलने के लिए वह पाकिस्तान आई है।

जातीय हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ से हालात भयानक, कौन हैं कुकी जनजाति, मणिपुर में इनके खिलाफ क्यों हो रही है इतनी हिंसा, जान लीजिए

मणिपुर की हिंसा ने यहां के जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। जातीय हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ से यहां हालात भयानक हो गए हैं। इससे बचने के लिए हजारों लोग अपने मकानों को छोड़कर पड़ोसी राज्यों की ओर भाग रहे हैं। मणिपुर हिंसा की वजह से भारी तादाद में आर्मी और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है। लेकिन Manipur में इतनी भयानक स्थिति बनी कैसे बनी। यहां डिटेल में पढ़िए।

कुकी जनजातियां कौन हैं

कुकी जनजाति भारत के मणिपुर और मिजोरम राज्य के दक्षिण पूर्वी भाग में एक जनजातीय समूह हैं। कुकी भारत, बांग्लादेश, और म्यांमार में पाए जाने वाले कई पहाड़ी जनजातियों में से एक हैं। उत्तर पूर्व भारत में, अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर वे सभी राज्यों में मौजूद हैं। उत्तर पूर्व भारत में कहा जाता है कि कुकी जनजातियों को बनाने वाले और उनमें शामिल होने वाले 20 से अधिक उप-जनजातियां हैं।

कुकी समुदाया ने शुरू किया विरोध

भारत सरकार ने 1956 तक कुकी जनजातियों को "एनी कुकी ट्राइब" के रूप में मान्यता दी थी। भारत में करीब पचास जनजातियों को उनकी बोली बोलने और उनके मूल स्थान के आधार पर अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता दी गई है।

कुकी और मणिपुर में उभरते विद्रोह के पीछे जनजातीय पहचान का संघर्ष है। यह दावा किया गया है कि कुछ विद्रोही कुकी समूह एक ऐसे कुकीलैंड की मांग कर रहे थे, जिसमें वो भारत का हिस्सा ना रहें, जबकि दूसरे कुकी समूह एक ऐसे कुकीलैंड की मांग कर रहे थे, जो पूरी तरह से भारत के अंदर आता था।

कब और कैसे शुरू हुई मणिपुर हिंसा

मणिपुर में हिंसा 3 मई को भड़की, जब पहाड़ी जिलों में "ट्राइबल सॉलिडैरिटी मार्च" आयोजित किया गया था, जिसमें मेइते समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे के खिलाफ विरोध किया गया था। इस हिंसा में कई लोगों की जान जाने की खबर है।

क्या है मणिपुर में हिंसा की मुख्य जड़

मणिपुर हिंसा के 2 मुख्य कारण हैं। पहला है बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने का फैसला जिसका, इस फैसले का कुकी (Kuki) और नागा (Naga) कम्युनीटी के लोग विरोध कर रहे हैं। बता दें कि Kuki और Naga समुदाय को देश की आजादी के बाद से ही आदिवासी का दर्जा प्राप्त है। दूसरा कारण है गवर्नमेंट लैंड सर्वे बताया जा रहा है कि यहां भाजपा समर्थित राज्य सरकार ने एक अभियान चलाया है, जिसमें रिजर्व्ड फॉरेस्ट यानी आरक्षित वन्य क्षेत्र को यहां के आदिवासी ग्रामीणों से खाली कराने को कहा गया है। जिसका कुकी समुदाय के लोग कड़ा विरोध कर रहे हैं।

मणिपुर में क्या है कुकी, मैतेई और नगाओं की आबादी का गणित

मैतेई को मणिपुर का सबसे बड़ा समुदाय बताया जाता है। राजधानी इंफाल में भी इनकी एक बड़ी आबादी है। आमतौर पर मणिपुरी कहा जाता है। 2011 की जनगणना के अनुसार ये लोग राज्य की कुल आबादी का 64.6 प्रतिशत हैं, लेकिन बता दें कि मणिपुर के लगभग 10 प्रतिशत भूभाग पर ही ये निवास करते हैं। इनमें अधिकांश मैतेई हिंदू हैं और 8 प्रतिशत मुस्लिम हैं।

इसके अलावा मैतेई समुदाय का मणिपुर विधानसभा में अधिक लीडरशिप भी है. ऐसा इसलिए है क्योंकि मणिपुर राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से 40 इंफाल घाटी इलाके से हैं। बताया जाता है कि ये वो एरिया है, जहां अधिकतर मैतेई लोग रहते हैं।

दूसरी ओर, मणिपुर की आबादी में कुकी और नगा आदिवासी भी हैं। इनकी आबादी यहां करीब 40 फीसदी है। बता दें कि कम संख्या के बावजूद वो मणिपुर की 90 प्रतिशत जमीन पर बसते हैं। इस तरह, यहां के पहाड़ी भौगोलिक इलाके की 90 प्रतिशत जमीन पर राज्य की 35 प्रतिशन मान्यता प्राप्त जनजातियां हैं, जबकि इस इलाके से सिर्फ 20 विधायक ही विधानसभा जाते हैं।

बता दें कि जिन 33 समुदायों को जनजाति का दर्जा मिला हुआ है, वो नागा और कुकी-जोमिस जनजाति के हैं, और मुख्य रूप से ईसाई हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, मणिपुर राज्य में हिंदुओं और ईसाइयों की करीब-करीब बराबर आबादी है। यानी कि इन दोनों की ही आबादी करीब 41 प्रतिशत है। बस पूरा मामला यही है।