जातीय हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ से हालात भयानक, कौन हैं कुकी जनजाति, मणिपुर में इनके खिलाफ क्यों हो रही है इतनी हिंसा, जान लीजिए
मणिपुर की हिंसा ने यहां के जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। जातीय हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ से यहां हालात भयानक हो गए हैं। इससे बचने के लिए हजारों लोग अपने मकानों को छोड़कर पड़ोसी राज्यों की ओर भाग रहे हैं। मणिपुर हिंसा की वजह से भारी तादाद में आर्मी और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है। लेकिन Manipur में इतनी भयानक स्थिति बनी कैसे बनी। यहां डिटेल में पढ़िए।
कुकी जनजातियां कौन हैं
कुकी जनजाति भारत के मणिपुर और मिजोरम राज्य के दक्षिण पूर्वी भाग में एक जनजातीय समूह हैं। कुकी भारत, बांग्लादेश, और म्यांमार में पाए जाने वाले कई पहाड़ी जनजातियों में से एक हैं। उत्तर पूर्व भारत में, अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर वे सभी राज्यों में मौजूद हैं। उत्तर पूर्व भारत में कहा जाता है कि कुकी जनजातियों को बनाने वाले और उनमें शामिल होने वाले 20 से अधिक उप-जनजातियां हैं।
कुकी समुदाया ने शुरू किया विरोध
भारत सरकार ने 1956 तक कुकी जनजातियों को "एनी कुकी ट्राइब" के रूप में मान्यता दी थी। भारत में करीब पचास जनजातियों को उनकी बोली बोलने और उनके मूल स्थान के आधार पर अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता दी गई है।
कुकी और मणिपुर में उभरते विद्रोह के पीछे जनजातीय पहचान का संघर्ष है। यह दावा किया गया है कि कुछ विद्रोही कुकी समूह एक ऐसे कुकीलैंड की मांग कर रहे थे, जिसमें वो भारत का हिस्सा ना रहें, जबकि दूसरे कुकी समूह एक ऐसे कुकीलैंड की मांग कर रहे थे, जो पूरी तरह से भारत के अंदर आता था।
कब और कैसे शुरू हुई मणिपुर हिंसा
मणिपुर में हिंसा 3 मई को भड़की, जब पहाड़ी जिलों में "ट्राइबल सॉलिडैरिटी मार्च" आयोजित किया गया था, जिसमें मेइते समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे के खिलाफ विरोध किया गया था। इस हिंसा में कई लोगों की जान जाने की खबर है।
क्या है मणिपुर में हिंसा की मुख्य जड़
मणिपुर हिंसा के 2 मुख्य कारण हैं। पहला है बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने का फैसला जिसका, इस फैसले का कुकी (Kuki) और नागा (Naga) कम्युनीटी के लोग विरोध कर रहे हैं। बता दें कि Kuki और Naga समुदाय को देश की आजादी के बाद से ही आदिवासी का दर्जा प्राप्त है। दूसरा कारण है गवर्नमेंट लैंड सर्वे बताया जा रहा है कि यहां भाजपा समर्थित राज्य सरकार ने एक अभियान चलाया है, जिसमें रिजर्व्ड फॉरेस्ट यानी आरक्षित वन्य क्षेत्र को यहां के आदिवासी ग्रामीणों से खाली कराने को कहा गया है। जिसका कुकी समुदाय के लोग कड़ा विरोध कर रहे हैं।
मणिपुर में क्या है कुकी, मैतेई और नगाओं की आबादी का गणित
मैतेई को मणिपुर का सबसे बड़ा समुदाय बताया जाता है। राजधानी इंफाल में भी इनकी एक बड़ी आबादी है। आमतौर पर मणिपुरी कहा जाता है। 2011 की जनगणना के अनुसार ये लोग राज्य की कुल आबादी का 64.6 प्रतिशत हैं, लेकिन बता दें कि मणिपुर के लगभग 10 प्रतिशत भूभाग पर ही ये निवास करते हैं। इनमें अधिकांश मैतेई हिंदू हैं और 8 प्रतिशत मुस्लिम हैं।
इसके अलावा मैतेई समुदाय का मणिपुर विधानसभा में अधिक लीडरशिप भी है. ऐसा इसलिए है क्योंकि मणिपुर राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से 40 इंफाल घाटी इलाके से हैं। बताया जाता है कि ये वो एरिया है, जहां अधिकतर मैतेई लोग रहते हैं।
दूसरी ओर, मणिपुर की आबादी में कुकी और नगा आदिवासी भी हैं। इनकी आबादी यहां करीब 40 फीसदी है। बता दें कि कम संख्या के बावजूद वो मणिपुर की 90 प्रतिशत जमीन पर बसते हैं। इस तरह, यहां के पहाड़ी भौगोलिक इलाके की 90 प्रतिशत जमीन पर राज्य की 35 प्रतिशन मान्यता प्राप्त जनजातियां हैं, जबकि इस इलाके से सिर्फ 20 विधायक ही विधानसभा जाते हैं।
बता दें कि जिन 33 समुदायों को जनजाति का दर्जा मिला हुआ है, वो नागा और कुकी-जोमिस जनजाति के हैं, और मुख्य रूप से ईसाई हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, मणिपुर राज्य में हिंदुओं और ईसाइयों की करीब-करीब बराबर आबादी है। यानी कि इन दोनों की ही आबादी करीब 41 प्रतिशत है। बस पूरा मामला यही है।
Jul 25 2023, 19:04