बापू से जुड़े बेतिया पश्चिम चंपारण के ऐतिहासिक यादों को जीवंत करने की फिर उठी मांग
बेतिया : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में चंपारण सत्याग्रह के समय 10,000 से ज्यादा किसानों एवं श्रमिकों द्वारा ऐतिहासिक हजारीमल धर्मशाला एवं ऐतिहासिक ऐतिहासिक राज इंटर कॉलेज के प्रांगण में नील की खेती के अभिशाप एवं अंग्रेजों के अत्याचार के विरुद्ध लामबंद होकर चंपारण जांच कमेटी के समक्ष महात्मा गांधी के नेतृत्व में बयान दर्ज कराए जाने की 106 वर्ष पूर्ण होने की वर्षगांठ पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
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इस अवसर पर सर्वप्रथम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी , राजकुमार शुक्ल, पीर मोहम्मद मुनीश, शेख गुलाब, शीतल राय , बाबा खेनर राव, अकलू देवान, शेर मोहम्मद एवं चंपारण सत्याग्रह के उन हजारों स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। जिन्होंने नील की खेती के अभिशाप एवं अंग्रेजों के अत्याचार के विरुद्ध 16 जुलाई 1917 को ऐतिहासिक हजारीमल धर्मशाला एवं 17 जुलाई 1917 को ऐतिहासिक राज इंटर कॉलेज के प्रांगण में 10,000 से अधिक किसानों एवं मजदूरों ने अपना बयान चंपारण जांच कमेटी के समक्ष महात्मा गांधी के नेतृत्व में दर्ज कराया था।
इसमें मीना बाजार के व्यवसायियों नेमहत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए अंग्रेजों के अत्याचार के विरुद्ध बयान देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की हर तरह से मदद की थी।
इस अवसर पर स्वच्छ भारत मिशन के ब्रांड एंबेसडर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता ,डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, डॉ शाहनवाज अली, डॉ अमित कुमार लोहिया, मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट की निदेशक एस सबा डॉ अमानुल हक,सामाजिक कार्यकर्ता नवीदू चतुर्वेदी, पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन ने संयुक्त रूप से सरकार से मांग करते हुए कहा कि देश आज भारत की स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष मना रहा है।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े चंपारण के सभी स्थलों विशेष रुप से ऐतिहासिक हजारीमल धर्मशाला ऐतिहासिक राज इंटर कॉलेज एवं ऐतिहासिक मीना बाजार को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर सरकार संरक्षण प्रदान करें। ताकि आने वाली नई पीढ़ी को महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी , चंपारण के स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग एवं बलिदान को नई पीढ़ी जान सके।
इसी माटी ने गांधी को बापू एवं बैरिस्टर को महात्मा बना दिया। सत्याग्रह आंदोलन से लेकर आजादी की लड़ाई तक पग-पग पर चंपारण की माटी व यहां के रणबांकुरों का योगदान अतुल्य रहा है। उस समय यहां के लोग गांधी को ईश्वर के दुत की तरह मानते थे। महात्मा गांधी जहां-जहां गए, वह जगह तीर्थ बन गया। लेकिन, देश आजाद होने के बाद गांधी व उससे जुड़े इतिहास को सहेजने का समुचित प्रयास किसी स्तर पर नहीं किया गया।
इस अवसर पर सरकार से मांग करते हुए वक्ताओं ने कहा कि चम्पारण सत्याग्रह से जुड़े ऐतिहासिक महत्व के धरोहरों को संरक्षित कर जीवंत रुप देना यही होगी सरकार द्वारा सच्ची श्रद्धांजलि।
Jul 17 2023, 21:35