न मंत्री...न सीएम...सीधे प्रधानमंत्री बने थे चंद्रशेखर:कांग्रेस में शामिल हुए तो इंदिरा से कहा- पार्टी को तोड़ने के लिए पार्टी में शामिल हुआ हूं

नयी दिल्ली : साल 1991...दिल्ली के दस जनपथ पर राजीव गांधी के घर के बाहर दो लोग चाय पीते नजर आए। ये दोनों हरियाणा सीआईडी के सिपाही थे। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री चंद्रशेखर राजीव गांधी की जासूसी करवा रहे हैं। 6 मार्च को कांग्रेस ने सदन में हंगामा कर दिया। चंद्रशेखर अपनी सीट पर खड़े हुए और पीएम पद से इस्तीफे का ऐलान करके घर चले गए।

चंद्रशेखर ऐसे ही साफ मिजाज के थे। जो मन में आया वह किया। कभी होटल खोलने का विचार किया तो 3 रुपए की किताब खरीदकर आइडिया ढूंढने लगे तो कभी कांग्रेस में शामिल होने पर इंदिरा गांधी से कह दिया कि कांग्रेस तोड़ने के लिए ही पार्टी में शामिल हुआ हूं।

कल 8 जुलाई को पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की पुण्यतिथि तिथि थी। वह न कभी किसी सरकार में मंत्री रहे, न किसी राज्य के मुख्यमंत्री, सीधे प्रधानमंत्री बने थे। उनके जीवन की कुछ ऐसी कहानियां हैं जिसे लोग सुनते हैं तो यकीन नहीं कर पाते। आइए आज उन्हीं कहानियों को जानते हैं...

पढ़ने यूनिवर्सिटी आए फिर नेता बनने बलिया लौट गए

21 साल की उम्र में चंद्रशेखर बलिया के इब्राहिम पट्टी गांव से 1948 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ने आए। अब इलाहाबाद प्रयागराज हो गया है। चंद्रशेखर जब बलिया से यहां आ रहे थे तभी बलिया में सतीश चंद्र कॉलेज खुल गया। इनके दोस्त गौरीशंकर राय ने वहीं बीए में एडमिशन ले लिया। गौरीशंकर ने चंद्रशेखर से कहा, "राजनीति में पूरा हिस्सा लेना है तो बलिया वापस आ जाओ।" चंद्रशेखर को बात अच्छी लगी इसलिए वह वापस चले गए।

चंद्रशेखर साफ बोलने वाले नेताओं में थे। यही कारण है कि युवा उन्हें उस वक्त सबसे ज्यादा पसंद करते थे।

रामबहादुर राय की किताब 'रहबरी के सवाल' में चंद्रशेखर बताते हैं, 1951 में राजनीति शास्त्र से एमए करने के लिए हम फिर से इलाहाबाद यूनिवर्सिटी पहुंचे। हिन्दू हॉस्टल को ठिकाना बनाया। शुरू में थोड़ी दिक्कत हुई, लेकिन जल्द ही वहां के माहौल में रम गए। इसी साल सोशलिस्ट पार्टी में जुड़ गए और समाजवाद के लिए काम करने लगे।

अच्छी कमाई चाहिए थी इसलिए होटल खोलना चाहते थे

चंद्रशेखर का मन पढ़ाई में नहीं लगा। उन्होंने तय किया कि अब फुल टाइम पॉलिटिक्स करनी है। पॉलिटिक्स के लिए पैसे भी चाहिए थे, इसलिए उन्होंने होटल खोलने का मन बनाया। होटल खोलने का मन उन्हें बलिया के ही विश्वनाथ तिवारी को देखकर आया था। विश्वनाथ जिला बोर्ड में क्लर्क थे। सिविल लाइंस इलाके में होटल खोल रखा था। आंदोलनकारी नेताओं की वजह से बढ़िया चलता था।

चंद्रशेखर हिन्दू हॉस्टल से निकले और कटरा मार्केट में टहल रहे थे तभी उन्हें सड़क किनारे केन पार्कर की लिखी "हाउ टु रन ए स्माल होटल" किताब दिखी। 

कीमत तीन रुपए की थी, इसलिए चंद्रशेखर ने उसे खरीद लिया। हॉस्टल पहुंचे और पढ़ना शुरू किया। चंद्रशेखर बताते हैं, "किताब बहुत दिलचस्प थी। हालांकि, पढ़ने के बाद पता चला कि छोटा होटल खोलने के लिए 1 मिलियन डॉलर चाहिए। 

उस वक्त यह 10 लाख रुपए के बराबर थी। इतने पैसे नहीं थे, इसलिए होटल खोलने का इरादा छोड़ दिया।"

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए उन्हें सबसे बड़ी चुनौती खाने को लेकर ही थी। इसलिए वह होटल खोलने का मन बना रहे थे। 

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए उन्हें सबसे बड़ी चुनौती खाने को लेकर ही थी। इसलिए वह होटल खोलने का मन बना रहे थे।

1964 तक प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में रहने के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ी और कांग्रेस से जुड़ गए। कांग्रेस में जुड़ने का किस्सा बहुत रोचक था।

इंदिरा से कहा, कांग्रेस तोड़ने के लिए पार्टी में आया हूं


1964 में चंद्रशेखर ने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी छोड़ दी। तब वह राज्यसभा सांसद थे। कांग्रेस में शामिल होने के लिए गुजरात पहुंचे। वहां महुला क्षेत्र में सभा हुई। उस मंच पर पहली बार इंदिरा गांधी से मुलाकात हुई। मंच पर एक व्यक्ति ने इंदिरा जी से कहा, "ये चंद्रशेखर हैं।" इंदिरा ने जवाब दिया- "नाम तो बहुत सुना है।" चंद्रशेखर ने कहा- "मैंने भी आपका बहुत नाम सुना था, लेकिन कभी मुलाकात का अवसर नहीं मिला।" मंच पर दोनों ने अपने-अपने भाषण दिए और कार्यक्रम समाप्त करके घर चले गए। उन दिनों कांग्रेस के नेता हर शाम महुआ में इकट्ठा होते थे। एक दिन चंद्रशेखर भी पहुंचे।

अपनी आत्मकथा 'जीवन जैसा जिया' में चंद्रशेखर लिखते हैं- इंदिरा गांधी के अलावा वहां इंद्र कुमार गुजराल, अशोक मेहता, गुरुपदस्वामी मौजूद थे। लॉन में सभी बैठे थे, तभी इंदिरा गांधी ने मुझसे पूछा, "क्या आप कांग्रेस को समाजवादी मानते हैं?" मैने जवाब दिया, "मैं नहीं मानता कि कांग्रेस समाजवादी संस्था है, पर लोग ऐसा मानते हैं।"

इंदिरा ने पूछा, "फिर आप कांग्रेस में क्यों आए?"

"क्या आप सही उत्तर जानना चाहती हैं?"

"हां, मैं यही चाहती हूं।"

चंद्रशेखर जब भी इंदिरा गांधी से मिलते, लोग नए समीकरण बनाने में लग जाते थे।

चंद्रशेखर ने कहा, "मैंने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में 13 साल ईमानदारी और पूरी क्षमता के साथ काम किया। काफी समय काम करने के बाद पता चला कि पार्टी कुंठित हो गई है। अब यहां कुछ होने वाला नहीं है। फिर मैंने सोचा कि कांग्रेस बड़ी पार्टी है, चलते हैं इसमें कुछ करते हैं।"

इंदिरा ने फिर पूछा, "आखिर आप करना क्या चाहते हैं?" चंद्रशेखर ने जवाब दिया, "मैं कांग्रेस को सोशलिस्ट बनाने की कोशिश करूंगा।" इंदिरा बोलीं- "अगर न बनी तो?"

चंद्रशेखर ने हैरान करने वाला जवाब दिया। उन्होंने कहा, "कांग्रेस को तोड़ने का प्रयास करूंगा, क्योंकि यह जब तक टूटेगी नहीं, देश में कोई नई राजनीति नहीं आएगी। 

पहले तो मैं समाजवादी ही बनाने का प्रयास करूंगा, लेकिन अगर नहीं बन पाई तो तोड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा।" 

चंद्रशेखर के जवाब को सुनकर इंदिरा हैरान थीं। उन्होंने कुछ नहीं बोला सिर्फ देखती रहीं।

चंद्रशेखर को लगता सदन में हमेशा गंभीर चर्चा होती है

चंद्रशेखर पहली बार सांसद बने तो उन्हें सदन के अंदर होने वाली हर गतिविधि को जानने की उत्सुकता थी। 

उन्हें लगता था कि जब सांसद लोग आपस में मिलते होंगे तो हमेशा गंभीर मुद्दों पर चर्चा करते होंगे। लेकिन तीन महीने के अंदर वह बहुत सारे सांसदों के घर गए, लेकिन वहां होने वाली चर्चा से उनका भ्रम टूट गया।

चंद्रशेखर कहते हैं, "सांसदों ने घर की सुंदरता पर अधिक जोर दिया था। दीवार और सोफे का कलर मैच करता रहता था। पर्दे भी इस हिसाब से लगते थे कि वह अलग न लगे।

 पार्टी के दौरान किसी मुद्दे पर बात नहीं होती थी। एक बार तो मैंने कह दिया कि आपके सामने और कोई विषय नहीं है क्या? क्या जीवन में यही उद्देश्य है? कला और सौंदर्य का अपना महत्व है, लेकिन राजनीति यही है क्या? असल में मैं जिस जमीन से आया था वहां इसका कोई महत्व नहीं था।"

बाकी पार्टियों के नेताओं के बीच चंद्रशेखर की ऐसी छवि थी कि हर कोई उनका सम्मान करता था।

अब बात चंद्रशेखर के पीएम बनने और सरकार गिरने की करते हैं...

साल 1989. भारतीय राजनीति के सबसे चर्चित साल में से एक था। लोकसभा के चुनाव हुए, लेकिन किसी दल को बहुमत नहीं मिला। कांग्रेस 207 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी पर सरकार नहीं बना सकी। 143 सीटें जीतने वाली जनता दल को 85 सीट वाली बीजेपी और 52 सीट वाली लेफ्ट पार्टियों ने समर्थन दिया और जनता दल की सरकार बन गई। विश्वनाथ प्रताप सिंह पीएम बने। लालकृष्ण आडवाणी का रथ रोका तो बीजेपी ने समर्थन वापस लिया और सरकार गिर गई। जनता दल भी टूट गया।

नई सरकार के लिए राजीव ने चंद्रशेखर को रात 11 बजे बुलाया

चंद्रशेखर अपनी आत्मकथा जीवन जैसा जिया में लिखते हैं, "हमारी राजीव से पहले कोई बात नहीं हुई। लेकिन सरकार गिरने के बाद यह तय किया जाने लगा, कहां मुलाकात हो। पहले राजेश पायलट के घर, फिर बूटा सिंह के घर, फिर सीताराम केसरी के घर मिलने की बात हुई पर मुलाकात नहीं हो सकी।"

एक दिन रात 11 बजे रोमेश भंडारी ने फोन करके चंद्रशेखर से कहा, क्या आप इस वक्त मेरे घर कॉफी पीने आ सकते हैं?" 

चंद्रशेखर इतनी रात कॉफी पीने का मतलब समझ गए थे। रोमेश के घर हौज खास पहुंचे तो वहां राजीव गांधी पहले से बैठे थे। 

राजीव ने कहा, देश की हालत बहुत खराब है। दंगे हो रहे हैं। कुछ हल निकालना होगा। चंद्रशेखर ने हां में सिर हिला दिया।

रोमेश भंडारी के घर हुई मुलाकात के बाद चंद्रशेखर और राजीव की मुलाकात आरके धवन के घर हुई। यहां राजीव ने चंद्रशेखर से कहा, इस वक्त चुनाव करवाना देशहित में नहीं है। 

आप सरकार बनाइए हम आपको समर्थन देंगे। चंद्रशेखर पहले तो पीछे हटे, लेकिन राजीव के दोबारा कहने पर मान गए और 10 नवंबर 1991 को देश के 9वें प्रधानमंत्री बन गए। खास ये कि इस सरकार में कांग्रेस के सांसद मंत्री नहीं बने। ताऊ देवीलाल उस वक्त चंद्रशेखर के सबसे खास थे।

पीएम बनते ही चंद्रशेखर ने अफसरों को छूट दे दी

चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने तो अफसरों को अपनी समझ के आधार पर फैसला लेने की छूट दे दी। उन्होंने विभागों की बैठकों में कहा, "छोटी-छोटी बातों पर फाइल लेकर मेरे पास न आया करें।" जिन अफसरों को छूट दी गई उसमें ED और CBI के अफसर भी थे। वह अपने लेवल पर कार्रवाई करने लगे।

चंद्रशेखर बताते हैं, "सीमा सुरक्षा बल के वार्षिक समारोह में गया था। वहां एक अफसर ने बताया कि पंजाब और राजस्थान सीमा पर ड्यूटी कर रहे जवानों के लिए गर्म कोट की व्यवस्था नहीं है। ठंड में वह कंबल या चद्दर ओढ़कर ड्यूटी करते हैं। मैंने वित्त मंत्रालय को तुरंत आदेश दिया और अगले दिन सैनिकों को जैकेट मिल गई।"

मैं राजीव गांधी नहीं हूं जो एक दिन में तीन बार फैसला बदलूं

6 मार्च 1991 की सुबह चंद्रशेखर को पता चला कि कांग्रेस सरकार पर राजीव गांधी की जासूसी करने का आरोप लगाकर संसद का बहिष्कार करेगी। चंद्रशेखर वहां पहुंचे तो हैरान रह गए। कांग्रेस के सभी सांसद सदन का बहिष्कार कर चुके थे। उस वक्त देवीलाल ने चंद्रशेखर से कहा, "मुझे राजीव जी बुला रहे हैं, मैं जाऊं?" चंद्रशेखर ने कहा, जरूर जाइए और अपनी प्राइम मिनिस्टरशिप की बात करके आइएगा। मेरे दिन इस पद पर पूरे हो गए हैं।

लोकसभा में अपना भाषण खत्म करने के बाद चंद्रशेखर ने अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। कांग्रेस सांसदों को भनक तक नहीं लगी थी कि जासूसी के इस आरोप पर चंद्रशेखर इस्तीफा दे देंगे। इस्तीफा देने के बाद घर पहुंचे तो रात में चंद्रशेखर के पास कांग्रेस की तरफ से इस्तीफा वापस लेने का प्रस्ताव आया। चंद्रशेखर ने जवाब दिया, "मैं राजीव गांधी नहीं हूं जो एक दिन में तीन बार फैसला बदलूं।"

10 नवंबर 1990 को बनी सरकार 116 दिन में ही गिर गई। तुरंत चुनाव नहीं करवा जा सकते थे, इसलिए चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने रहे। देश में चुनाव हुए, नई सरकार बनी और उसके बाद 21 जून को चंद्रशेखर ने इस्तीफा दे दिया।

चंद्रशेखर के इस्तीफे के 75 दिन बाद राजीव गांधी की हत्या हो गई। 21 मई 1991 को राजीव गांधी तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी सभा को संबोधित करने गए थे। 

वहां लिट्टे की एक महिला अपने शरीर में बम बांधकर राजीव के पास पहुंची और ब्लास्ट हो गया। राजीव नहीं रहे। इस हत्या के बाद जासूसी कांड में क्या हुआ? कौन दोषी निकला? क्या सच में जासूसी थी या नहीं! जैसी चीजें भी दफन हो गई।

दिल्ली: अगर आप दिल्ली यात्रा कर रहे है तो दिल्ली के 7 प्रसिद्ध व्यंजन आपको अवश्य खाने चाहिए


दिल्ली: किसी शहर को करीब से जानने का सबसे अच्छा तरीका है, उसके खान-पान के बारे में जानना, दिल्ली यात्रा का प्लस-प्वाइंट यह है कि आपको विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों का स्वाद लेने को मिलता है। यदि आप सच्चे गैस्ट्रोनोम हैं, साथ ही दिल्ली जा रहे हैं, तो यह वास्तव में आपकी मदद करने वाला है। चाहे वह मटमैले मोमोज हों, स्वादिष्ट चावल के व्यंजन हों, स्वादिष्ट परांठे हों या बेहतरीन चाट,दिल्ली के पास सब कुछ है.  

1. छोले-भटूरे

हालाँकि छोले भटूरे एक उत्तर भारतीय व्यंजन है, लेकिन ऐसा कोई भी नहीं है जिसे यह पसंद न हो। छोले-भटूरे इतने तृप्तिदायक हैं कि आप आश्चर्यचकित हो सकते हैं कि क्या यह सिर्फ फास्ट फूड है या फुलप्रूफ भोजन है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने परिष्कृत हैं; आप कभी भी सड़क या ठेले पर छोले भटूरे बेचने से नहीं चूकेंगे। जब आप दिल्ली में होंगे तो आपको मलाईदार और मसालेदार छोले और कुरकुरे भटूरे का आनंद मिलेगा। चाहे कोई भी मौसम हो; छोले भटूरे निश्चित रूप से आपके स्वाद के साथ-साथ आपके मूड को भी बेहतर कर देंगे।

अवश्य आज़माएँ - चाचे दी हट्टी (कमला नगर), नंद दी हट्टी (सदर बाज़ार) महक फ़ूड (कालकाजी), गोपाल जी छोले भटूरे (रोहिणी)।

2. बटर-चिकन

'डेल्ही कॉलिंग' का सीधा सा मतलब है 'बटर-चिकन क्रेविंग'। यदि आपने दिल्ली में बटर-चिकन का स्वाद नहीं चखा है, तो आप उस आनंद का लगभग आधा हिस्सा खो चुके हैं जो आपको कुछ जादुई खाने से मिलता है। अगर आप दिल्लीवासी हैं तो बटर-चिकन आपके जीवन का अहम हिस्सा रहा होगा. वहीं अगर आप दिल्ली जा रहे हैं तो भी आपको इस डिश को जरूर ट्राई करना चाहिए, चाहे डिनर हो या लंच। जब भी आप दिल्ली जाने की योजना बनाएं, तो भारी क्रीम, मक्खन, तंदूरी चिकन के टुकड़ों से सराबोर होने के लिए तैयार हो जाएं। यदि आप इस व्यंजन को स्वादिष्ट बटर नान के साथ मिलाएंगे तो आपकी जीभ आपको पर्याप्त धन्यवाद नहीं दे पाएगी।

अवश्य आज़माएँ - मोती महल (दरियागंज), गुलाटी (पंडारा रोड), राजिंदर दा ढाबा (सफदरजंग एन्क्लेव), असलम चिकन कॉर्नर (जामा मस्जिद, नई दिल्ली), हैवमोर (पंडारा रोड)।

3. मोमोज़

हालाँकि मोमोज को तिब्बती/नेपाली व्यंजन माना जाता है, लेकिन दिल्लीवासी पहले से ही इन्हें पकाने में माहिर हैं। चाहे वह उबले हुए मोमोज हों, या तंदूरी, या मोमोज की कोई अन्य किस्म, दिल्ली आपको सर्वोत्तम विकल्प प्रदान करती है। तो, पुदीने की चटनी, प्याज, दही की ग्रेवी, मेयोनेज़, और स्टीम्ड/तंदूर, या मैरीनेटेड मोमोज की मदद से अपनी जीभ को मोड़ने के लिए तैयार हो जाइए। जब भी आप दिल्ली में हों तो बेहतरीन मोमोज खाकर पूरी तरह रसदार और कुरकुरा बनें।

अवश्य आज़माएँ - डोल्मा आंटी मोमोज़ (लाजपत नगर), पेमाज़ (मालवीय नगर), डी'मोमो फ़ैक्टरी (अमर कॉलोनी), हंगर स्ट्राइक (अमर कॉलोनी)

4. परांठे

जैसे ही आप दिल्ली के बारे में सोचते हैं, आपके मन में परांठे का ख्याल आता है। जिन लोगों को देसी खाना पसंद है वो परांठे को कभी ना नहीं कह सकते. चाहे कोई भी फिलिंग हो, चाहे वह पनीर हो, आलू हो, प्याज हो, या चिकन हो; आपको बस एक पूरी तरह से भरा हुआ पराठा चाहिए। अगर आप भी पराठों के प्रति इसी तरह का प्यार रखते हैं, तो दिल्ली आपके लिए भोजन का स्वर्ग है। वहां जाएं, विभिन्न स्थानों का पता लगाएं, और दिल्ली में सभी संभावित किस्मों को आज़माएं।

इन्हें अवश्य आज़माएँ - पराठे वाली गली (चांदनी चौक), चितरंजन पार्क मार्केट, काके दी हट्टी (खारी बावली), नॉट जस्ट पराठे (राजौरी गार्डन), मूलचंद पराठे वाला (लाजपत नगर)।

5 चाट

आप निश्चित रूप से दिल्ली की चाट की तुलना बनारस और लखनऊ की चाट से नहीं कर सकते। लेकिन दिल्ली में आपको जो मिलेगा वह आपकी सभी स्वाद कलिकाओं को एक साथ प्रभावित करेगा। दिल्ली में आपको हर तरह की चाट का स्वाद चखने को मिलता है, चाहे वह दही भल्ला हो, पापरी चाट हो, आलू टिक्की हो या राज कचौरी चाट हो। तो, बस मीठी चटनी, हरी चटनी और दही का खेल देखें, और व्यंजनों से आपको उन सभी मसालों का एहसास कराएं जो एक चाट कभी भी पेश कर सकता है।

अवश्य आज़माएं - यूपीएससी चाट वाला (धौलपुर हाउस, शाहजहां रोड), नटराज दही भल्ले वाला (परांठे वाली गली के सामने), श्री बालाजी चाट भंडार (1462, चांदनी चौक), राजू चाट भंडार (अशोक विहार)

6. बिरयानी

बिरयानी मुगल बादशाहों का पसंदीदा भोजन रहा है, लेकिन इसने अब तक अपना आकर्षण नहीं खोया है। और, समय की कसौटी पर बाजी मारने में दिल्ली अव्वल रही है. चाहे वह लोकप्रिय दुकानें हों, या सड़क के किनारे की दुकानें, जब बिरयानी की बात आती है तो स्वाद के माध्यम से आपको खुश करने में दिल्ली बाजी जीत सकती है। यहां परोसी जाने वाली हैदराबादी बिरयानी और शाही बिरयानी आपको जरूर दीवाना बना देगी। इसलिए, जब दिल्ली में हों, तो स्वादिष्ट बिरयानी से अपना पेट भरना न भूलें।

अवश्य आज़माएं - तौफीक की बिरयानी (जामा मस्जिद), दिलपसंद बिरयानी (चितली क़बर), मुरादाबादी शाही बिरयानी (निज़ामुद्दीन), अलकौसर (चाणक्यपुरी)

7. कबाब और टिक्का

मांस प्रेमियों के लिए दिल्ली स्वर्ग बनने से कैसे चूक सकती है? चाहे वह मैरीनेट की हुई मछली हो, या ग्रिल किया हुआ मांस, दिल्ली आपको अब तक के सबसे स्वादिष्ट कबाब के टुकड़ों के साथ पेश करता है। दिल्ली आपको कबाब के लिए हर तरह के गंतव्य उपलब्ध कराती है, चाहे वह छोटे स्टॉल हों, ड्राइव-थ्रू हों, या बढ़िया भोजन हों। यदि आप दिल्ली में हैं और कबाब नहीं खा रहे हैं, तो निश्चित रूप से आपमें कमी है।

अवश्य आज़माएँ - 

कुरेशी कबाब कॉर्नर (जामा मस्जिद के बाहर), अल कौसर (चाणक्यपुरी), ग़ालिब कबाब कॉर्नर (लाल महल, निज़ामुद्दीन के पास), खान चाचा (खान मार्केट)।

देश की राजधानी दिल्ली के तुगलकाबाद एक्सटेंशन में आपसी लड़ाई में महिला ने अपनी ही बालकनी से लगा दी छलांग

दिल्ली:-देश की राजधानी दिल्ली के तुगलकाबाद एक्सटेंशन में एक मामला सामने आया जहा पति के हमला करने के बाद पत्नी बालकनी से गिर गई। मामले में पुलिस ने आरोपी पति को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, महिला का इलाज चल रहा है।

पुलिस ने बताया कि गिरने का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है और पीड़ित मुस्कान के सिर पर चोट लगने के कारण अस्पताल में भर्ती हैं। घटना के सिलसिले में आरोपी पति वसीम को गिरफ्तार कर लिया गया है।

अपराध टीम और फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया, जिसमें हमले और हाथापाई के संकेत मिले। इस बीच, इमारत में छिपे घायल महिला के पति को पुलिस ने उस समय पकड़ लिया, जब वह भागने की कोशिश कर रहा था। अधिकारी ने कहा, उसके कपड़ों पर खून के धब्बे पाए गए और उसका हाथ भी घायल हो गया।

पुलिस उपायुक्त ने कहा कि पूछताछ के दौरान वसीम ने पुलिस को बताया कि उसकी शादी करीब 20 दिन पहले मुस्कान से हुई थी। 5 जुलाई को रात करीब 10:30 बजे उनके बीच झगड़ा हुआ, जिसके बाद वसीम ने अपनी पत्नी के साथ मारपीट की और उसके सिर पर चीनी मिट्टी के बर्तन और पैन से हमला कर दिया।

उन्होंने बताया कि हमले के दौरान जब उसने अपना बचाव किया तो वसीम भी घायल हो गया। डीसीपी ने बताया कि महिला बचने के लिए घर की बालकनी की ओर भागी और गिर गई।

पुलिस ने आरोपी पति के खिलाफ हत्या का प्रयास के तहत मामला दर्ज किया गया है। घायल महिला के पति को गिरफ्तार कर लिया गया है। गिरने के सही कारण का पता लगाया जा रहा है और आगे की जांच जारी है।

भारत-पाक के बीच तल्खी के बावजूद सरहद पार की सीमा हैदर के प्यार को मिली राहत,कोर्ट ने दी जमानत

देश नही छोड़ने और पता नही बदलने के शर्त पर मिली है तत्काल राहत

(दिल्ली डेस्क)

नई दिल्ली: पिछले दो दिनों से चर्चा की विषय बनी सीमा पार की सीमा हैदर और सचिन मीना का प्यार, फिर शादी और गिरफ्तारी के बाद कोर्ट ने इस प्रेमी युगल को राहत दी है.उन्हें जमानत मिल गयी.

 पाकिस्तान से रबूपुरा आकर रहने वाली सीमा हैदर, उसके प्रेमी पबजी पार्टनर सचिन मीणा और उसके पिता नेत्रपाल को कोर्ट से जमानत के बाद उनके वकील ने बताया कि सीमा ने नेपाल से भारत की सीमा में प्रवेश किया है। सीमा और सचिन नेपाल काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर में विवाह कर चुके हैं और सीमा पाकिस्तान नहीं जाना चाहती है.

वकील की दलील और बहस सुनने के बाद जेवर सिविल कोर्ट जूनियर डिविजन न्यायाधीश नाजिम अकबर ने बृहस्पतिवार को सचिन के पिता नेत्रपाल और शुक्रवार को सचिन व सीमा हैदर को पता न बदलने व देश न छोड़ने की शर्त पर जमानत दे दी है.

पाकिस्तान के कराची निवासी सीमा हैदर पबजी गेम से पहचान और फिर वीडियो कॉलिंग के जरिये नजदीकियां बढ़ने के बाद 13 मई नेपाल के रास्ते बस में सवार होकर पाकिस्तान से भारत में आ गई थी. इसके बाद से सीमा रबूपुरा के आंबेडकर नगर में किराये पर मकान लेकर सचिन मीणा के साथ रह रही थी.

 पुलिस को जब पाकिस्तान की महिला के अवैध रूप से भारत में आने व रहने की सूचना मिली तब तक सचिन, सीमा चार बच्चों को लेकर भाग गए. पुलिस टीम ने सभी को हरियाणा के बल्लभगढ़ से पकड़ा और सचिन, उसके पिता नेत्रपाल व सीमा को गिरफ्तार कर मंगलवार को न्यायालय में पेश किया.

 न्यायालय के आदेश पर तीनों को जेल भेजा गया. न्यायालय ने बच्चों की आयु कम होने के कारण उनकी मां सीमा के साथ जेल भेजा था. सीमा हैदर और सचिन की जमानत याचिकर पर सुनवाई कर वकील उनके प्यार, सीमा के चार बच्चों और सीमा की सुरक्षा का हवाला दिया. इसके बाद न्यायालय ने दोनों को जमानत दे दी.

पुलिस को मिले एविडेन्स पर धोखाघड़ी की लगाई थी धारा 

सीमा और सचिन के पास से पुलिस ने तीन आधार कार्ड बरामद किए थे। बताया गया है कि ये आधार कार्ड फर्जी बनाये गए थे। इन आधार कार्ड में एडिट कर सीमा को सचिन की पत्नी आदि बताया गया था. इसके चलते पुलिस इस मामले में धोखाधड़ी की धारा भी लगाने की तैयारी में थी. इसके अलावा पुलिस द्वारा लगाई गई द पासपोर्ट एक्ट की धारा-3,4,5 को भी केस से हटा दी गई थी।.

वकील ने दी दलील एक दूसरे से करते हैं प्यार ,शादी, सुरक्षा और सीमा की इच्छा के आधार पर दी जाए जमानत

सचिन और सीमा एक दूसरे से प्यार करते हैं. उन्होंने एक दूसरे के साथ जीने मरने की कस्में खाई हैं. सचिन और सीमा जब मार्च में जब काठमांडू गए थे, उस दौरान ही उन्होंने पशुपतिनाथ मंदिर में शादी कर ली थी. इसके बाद सीमा ने नेपाल सीमा से भारत की सीमा में प्रवेश किया है. सीमा ने साफ कहा है कि वह पाकिस्तान नहीं जाना चाहती. ऐसे में सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा. सीमा ने सचिन के साथ रहने की इच्छा जाहिर की है. कोर्ट ने पहले सचिन के पिता और फिर सचिन व सीमा हैदर को जमानत दे दी है.

दिल्ली के सुनहरी बाग स्थित 150 साल पुरानी मस्जिद को एनएमडीसी द्वारा तोड़े जाने की आशंका को लेकर वक्फ बोर्ड ने दायर किया याचिका


याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट एनएमडीसी से उसका पक्ष रखने को कहा,अब होगी सुनवाई 14 जुलाई को

नई दिल्ली! ;(दिल्ली डेस्क) दिल्ली के सुनहरी बाग रोड के चौराहे पर स्थित 150 साल पुरानी मस्जिद के एनएमडीसी द्वारा ध्वस्तीकरण की आशंका को लेकर दिल्ली वक्फ बोर्ड ने याचिका दायर की थी. जिस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए नई दिल्ली नगर पालिका परिषद और पुलिस से उसका रुख पूछा और सभी पक्षकारों से 12 जुलाई को संयुक्त निरीक्षण करने को कहा।

अभी 14 जुलाई तक स्थगित रहेगी सुनवाई

न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए सुनवाई 14 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी। वक्फ बोर्ड ने एनडीएमसी को मस्जिद को कोई नुकसान पहुंचाने से रोकने की मांग की है।

 याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता वजीह शफीक ने कहा कि अधिकारियों ने ट्रैफिक पुलिस के एक पत्र के आधार पर उनकी उपस्थिति के बिना साइट पर निरीक्षण किया। इसमें एनडीएमसी को 150 साल पुरानी मस्जिद के स्थान पर सुनहरी बाग चौराहे को फिर से डिजाइन करने की जांच करने के लिए कहा गया था।

बोर्ड ने कहा कि, मामले को दोनों पक्षों के साथ व्यावहारिक तरीके से निपटाया जाना चाहिए। न्यायाधीश ने कहा कि उनकी अंतरात्मा को संतुष्ट होना होगा कि सभी धार्मिक संरचनाओं के साथ समान व्यवहार किया जाता है और धार्मिक संरचनाओं पर नीति समान रूप से लागू की जाती है।

सुप्रीम कोर्ट ने 32,000 शिक्षकों का नए सिरे से चयन करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश को किया रद्द


नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश के एक हिस्से को रद्द कर दिया, जिसमें पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड को 32,000 शिक्षक पदों के लिए नए सिरे से चयन करने का निर्देश दिया गया था. 

न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि अदालत एकल न्यायाधीश के निर्देशानुसार नए सिरे से चयन करने के अंतरिम आदेश को रद्द कर रही है और साथ ही कलकत्ता उच्च न्यायालय से नकद घोटाले के लिए स्कूल की नौकरियों के संबंध में याचिका पर जल्द से जल्द निर्णय लेने के लिए कहा है.

पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड ने शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी कि 32,000 शिक्षकों के चयन और उनके साक्षात्कार आयोजित करने का निर्देश देना संभव नहीं होगा. बोर्ड ने आगे इस बात पर जोर दिया कि पूरी प्रक्रिया भी महंगी होगी और बताया कि याचिकाकर्ताओं को सुने बिना उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश द्वारा आदेश पारित किया गया था. शीर्ष अदालत बोर्ड के इस तर्क से सहमत हुई.

शीर्ष अदालत उच्च न्यायालय की खंडपीठ के आदेश को चुनौती देने वाली बोर्ड की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने 32,000 शिक्षकों की बर्खास्तगी पर रोक लगा दी थी, लेकिन पदों पर नए सिरे से चयन करने का निर्देश दिया था. इससे पहले, उच्च न्यायालय की एकल-न्यायाधीश पीठ ने 32,000 शिक्षकों को बर्खास्त करने का निर्देश दिया था और 3 महीने के भीतर नए सिरे से चयन करने का आदेश दिया था.

शीर्ष अदालत के समक्ष याचिका में तर्क दिया गया कि बर्खास्तगी पर रोक लगाकर खंडपीठ ने अंतरिम राहत दी थी, लेकिन नए सिरे से चयन करने का निर्देश उचित नहीं था.

 दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि शिक्षकों की बर्खास्तगी पर रोक के बाद नए सिरे से चयन करने का निर्देश उचित नहीं है. हाई कोर्ट की एकल पीठ ने 2016 में बोर्ड द्वारा भर्ती किए गए 32,000 प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर दी थी.

आज सुबह से हीं शुरु हुई दिल्ली एनसीआर में झमाझम बारिश,गर्मी से राहत,मौसम विभाग ने जारी किया येल्लो अलर्ट

नई दिल्ली,आज शनिवार को 

 दिल्ली-एनसीआर में सुबह से हीं तेज़ हवा के झोंका के साथ झमाझम बारिश हो रही है.

जिससे राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के इलाके का मौसम खुशनुमा हो गया है, लोगों को गर्मी से राहत मिली है। मौसम विभाग ने शुक्रवार को येलो अलर्ट जारी करते हुए जानकारी दी है कि शनिवार और रविवार को तेज हवा के साथ जोरदार वर्षा हो सकती है।

आज और कल होगी बारिश

मौसम विभाग ने एलर्ट किया है आज शनिवार और रविवार को तेज वर्षा हो सकती है. आने वाले दो दिनों में कुछ इलाकों में भारी वर्षा भी होने की संभावना है। बरसात के साथ तेज हवा चलने का भी अनुमान है, जिसकी गति 25 से 35 किलोमीटर प्रति घंटा तक रह सकती है। रविवार को भी मध्यम स्तर की वर्षा होने की संभावना है।

मौसम विभाग ने येलो अलर्ट जारी किया 

मौसम विभाग ने दोनों ही दिनों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। शनिवार एवं रविवार को दिल्ली का अधिकतम तापमान 32 डिग्री के आसपास रहेगा। वहीं, सोमवार से इसमें कुछ बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।शुक्रवार को ऐसा रहा मौसम का हाल

वहीं, शुक्रवार को भी दिल्ली में बादलों की आवाजाही बनी रही। कई जगह हल्की वर्षा भी रिकॉर्ड की गई। अधिकतम तापमान सामान्य से दो डिग्री कम 35.0 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान सामान्य से एक डिग्री कम 26.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। हवा में नमी का स्तर 93 से 70 प्रतिशत रहा। हवा की गति 8 से 12 किमी के लगभग थी।

जुलाई के पहले सप्ताह में राजधानी में वर्षा का आंकड़ा सामान्य से अधिक

आपको बता दें कि मानसून की दस्तक के साथ ही दिल्ली में शुरू हुआ वर्षा का दौर लगातार जारी है। कभी तेज तो कभी हल्की हर रोज बरसात हो रही है।

यही वजह है कि जुलाई के पहले सप्ताह में ही राजधानी में वर्षा का आंकड़ा सामान्य से अधिक हो चुका है। अभी तक औसत वर्षा 32.4 मिमी है, जबकि सात प्रतिशत अधिक 39.6 मिमी दर्ज की गई है।

इसी तरह पालम में 35 प्रतिशत अधिक वर्षा हो चुकी है। लोधी रोड, रिज और आयानगर में यह क्रमश: 14, 28 व नौ प्रतिशत कम चल रही है।

पीएम मोदी शनिवार को बीकानेर जाएंगे,वहां 24 हज़ार से अधिक के विकास परियोजना का देंगे सौगात

नई दिल्ली: कल शनिवार को।पीएम मोदी एक दिवसीय दौरे पर राजस्थान के बीकानेर जा रहे हैं। जहां वे दोपहर बाद चार बजे वे विशेष विमान से नाल एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे। वहां से हेलीकॉप्टर से नौरंगदेसर पहुंचेंगे, जहां प्रधानमंत्री बीकानेर में 24,300 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे, इनसे क्षेत्र का विकास होगा। 

प्रधानमंत्री अमृतसर-जामनगर के आर्थिक गलियारे के छह लेन वाले ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे खंड का लोकार्पण करेंगे। राजस्थान में इस गलियारे की लंबाई 500 किलोमीटर से अधिक है, जो हनुमानगढ़ जिले के जाखड़ावाली गांव से जालोर जिले के खेतलावास गांव तक फैली हुई है।

 इसे लगभग 11,125 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित किया गया है। इस एक्सप्रेसवे से यात्रा के समय में काफी कमी आएगी और प्रमुख शहरों एवं औद्योगिक गलियारों के बीच परिवहन सुविधा में सुधार होगा।

 एक्सप्रेसवे न केवल वस्तुओं के निर्बाध परिवहन की सुविधा प्रदान करेगा बल्कि इससे पर्यटन और आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

प्रधानमंत्री क्षेत्र में बिजली क्षेत्र को बढ़ावा देते हुए, लगभग 10,950 करोड़ रुपये की लागत से हरित ऊर्जा गलियारे के लिए निर्मित अंतर-राज्य ट्रांसमिशन लाइन के चरण-I का लोकार्पण करेंगे। यह हरित ऊर्जा गलियारा लगभग 6 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा को एकीकृत करेगा और पश्चिमी क्षेत्र में ताप विद्युत उत्पादन और उत्तरी क्षेत्र में जल विद्युत उत्पादन के साथ नवीकरणीय ऊर्जा के ग्रिड संतुलन में मदद करेगा, जिससे उत्तरी क्षेत्र और पश्चिमी क्षेत्र के बीच ट्रांसमिशन क्षमता मजबूत होगी।

 प्रधानमंत्री बीकानेर-भिवाड़ी ट्रांसमिशन लाइन का भी लोकार्पण करेंगे। लगभग 1,340 करोड़ रुपये की लागत से पावर ग्रिड द्वारा विकसित की जाने वाली बीकानेर-भिवाड़ी ट्रांसमिशन लाइन राजस्थान में 8.1 गीगावॉट सौर ऊर्जा के उपयोग में मदद करेगी।

प्रधानमंत्री बीकानेर में 30 बिस्तरों वाले नए कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) अस्पताल का लोकार्पण करेंगे। इस अस्पताल में 100 बिस्तरों तक के विस्तार की क्षमता होगी। यह अस्पताल एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सुविधा केन्द्र के रूप में काम करेगा, स्थानीय समुदाय की चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करेगा और सुलभ तथा गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करेगा।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री बीकानेर रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास की आधारशिला रखेंगे। लगभग 450 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किए जाने वाले इस पुनर्विकास कार्य में शामिल होंगे - रेलवे स्टेशन की मौजूदा संरचना की विरासत स्थिति के संरक्षण को सुनिश्चित करते हुए फर्श और छत के साथ सभी प्लेटफार्मों का नवीनीकरण। साथ ही प्रधानमंत्री 43 किलोमीटर लंबी चूरू-रतनगढ़ रेलखंड के दोहरीकरण की आधारशिला रखेंगे। इस रेल लाइन के दोहरीकरण से रेल परिवहन सुविधा का विस्तार होगा तथा बीकानेर क्षेत्र से देश के शेष हिस्सों तक जिप्सम, चूना पत्थर, खाद्यान्न व उर्वरक उत्पादों के परिवहन में आसानी होगी।

दिल्ली:दंपती ने आर्थिक तंगी के कारण की आत्महत्या,बच्चों को स्कूल भेजने के बाद उठाया खौफनाक कदम


दिल्ली: राजधानी दिल्ली के वेस्ट विनोद नगर में एक दंपती ने जहरीला पदार्थ खाकर जान दे दी। हादसे के वक्त दोनों अपने घर में अकेले थे। मृतकों की पहचान दिनेश तिवारी और उनकी पत्नी नीलम तिवारी के रूप में हुई है। 

पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला है। इसमें रुपयों की लेनदेन की बात लिखी है। कुछ लोगों पर रुपयों को लेकर उन्हें धमकाने का आरोप लगाया है। मानसिक रूप से परेशान होकर दंपती ने यह कदम उठाया।

शव को पोस्टमॉर्ट के लिए भेजा

पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर एलबीएस अस्पताल पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। मधु विहार थाना ने खुदकुशी के लिए उकसाने की धारा में प्राथमिकी दर्ज की है। 

दिनेश तिवारी परिवार के साथ नंबर-दस वेस्ट विनोद नगर में चार मंजिला मकान की दूसरी मंजिल पर रहते थे। परिवार में पत्नी व 12 वर्ष की बेटी और 17 वर्ष का बेटा है। दोनों बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं। दिनेश एक शोरूम में नौकरी करते थे। तीसरी मंजिल पर उनका छोटा भाई चंद्रशेखर रहता है।

दोपहर 2:30 बजे दिनेश के दोनों बच्चे स्कूल से घर पहुंचे, काफी देर तक दरवाजा खटखटाया। दरवाजा अंदर से बंद था, किसी ने नहीं खोला। बच्चों ने अपने चाचा चंद्रशेखर को इसके बारे में बताया, उसने किसी तरह से दरवाजे को तोड़ा। अंदर गए तो उनके होश उड़ गए। दंपती का शव फर्श पर पड़ा हुआ था।

पास में ही एक सुसाइड नोट पड़ा हुआ था। उस नोट में उन लोगों के नाम लिखे हुए थे जो दिनेश को कर्ज के रुपये वापस मांगने के लिए परेशान कर रहे थे। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि दिनेश ने कितने लोगों से कितना कर्ज लिया था। पुलिस ने दंपती का मोबाइल लेकर जांच के लिए भेज दिया है।

क्या बोली पुलिस?

कर्ज के चलते खुदकुशी करने की बात सामने आई है। सुसाइड नोट मिला है, उसमें कुछ लोगों के नाम लिखे हैं। पुलिस पता लगा रही है कि वह कौन लोग हैं। पुलिस उन लोगों से पूछताछ करेगी।

नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के ज्योति नगर के फ्लाईओवर पर बस से वैन टकराई,एक महिला समेत तीन की मौत


नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के ज्योति नगर के लोनी गोल चक्कर फ्लाईओवर पर गुरुवार दोपहर एक तेज रफ्तार वैन डिवाइडर को तोड़ते हुए सड़क की दूसरी तरफ कलस्टर बस से जा टकराई। इस घटना में वैन के परखच्चे उड़ गए।

 वैन में सवार एक महिला समेत तीन की मौत हो गई, जबकि अन्य घायल हो गए। उसमें कुल 12 लोग सवार थे।