*पुण्यतिथि पर विशेष : आज फिल्म निर्देशक चेतन आनंद की पुण्यतिथि,उनकी जिंदगी में प्रिया राजबंश के लिए था खास अहमियत
मुंबई : हिंदी सिनेमा के सबसे मंझे हुए प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और स्क्रीनराइटर चेतन आनंद को गुजरे आज 26 साल बीत चुके हैं। 6 जुलाई 1997 को 82 साल की उम्र में दुनिया से रुख्सत हुए चेतन की फिल्में जितनी लीजेंड्री थी, उनकी निजी जिंदगी उतनी ही उथल-पुथल से भरी हुई। शादीशुदा होने के बावजूद इनका रिश्ता अपनी ही फिल्म की हीरोइन प्रिया राजवंश से रहा। प्यार ऐसा परवान चढ़ा कि चेतन अपनी हर फिल्म में सिर्फ और सिर्फ प्रिया को ही हीरोइन रखते थे, वहीं प्रिया ने भी जुनून में किसी और फिल्ममेकर के साथ काम न करने का प्रण लिया हुआ था।
50 के दशक में तलाक को मान्यता न मिलने के चलते दोनों 20 सालों तक साथ तो रहे, लेकिन शादी नहीं कर सके। मौत के बाद चेतन अपनी करोड़ों की जायदाद जब पत्नी और बच्चों की जगह इनके नाम कर गए तो खूब हल्ला हुआ। इनकी मौत के बाद इनकी गर्लफ्रेंड की इन्हीं के घर में घुसकर हत्या कर दी गई, जिसका इल्जाम इनके दोनों बेटों और नौकरों पर लगा। लीजेंड्री एक्टर देव आनंद चेतन आनंद के ही छोटे भाई थे, जो इनकी राह पर चलकर फिल्मों से जुड़े थे। राजेश खन्ना को फिल्मों में लाने का क्रेडिट भी इन्हें ही दिया जाता है।
आज चेतन की डेथ एनिवर्सरी के मौके पर पढ़िए उनकी कामयाबी और विवादों से घिरी जिंदगी की चुनिंदा बातें।
3 जनवरी 1915। लाहौर में एडवोकेट पिशोरी लाल आनंद के घर बेटे का जन्म हुआ, जिसका नाम रखा गया चेतन आनंद। इनके जन्म के 8 साल बाद इनके छोटे भाई देव आनंद का जन्म हुआ था। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से हिंदू स्क्रिप्चर की पढ़ाई करने के बाद चेतन ने लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया।
कुछ समय बाद 1930 में उनका ताल्लुक इंडियन नेशनल कांग्रेस से जुड़ा। इसी समय उन्होंने लंदन में इंडियन सिविल सर्विस का एग्जाम भी दिया, लेकिन उनका सिलेक्शन नहीं हुआ।
फिल्म स्क्रिप्ट बेचने पहुंचे थे मुंबई
पढ़ाई पूरी करते ही 40 के दशक के शुरुआत में चेतन ने BBC के लिए काम किया फिर देहरादून के दून स्कूल में इतिहास पढ़ाने लगे। हालांकि, इसी समय उन्होंने सम्राट अशोक पर फिल्म की स्क्रिप्ट लिखनी भी शुरू कर दी। जब स्क्रिप्ट पूरी हुई तो चेतन आनंद अपना सामान बांधकर स्क्रिप्ट बेचने मुंबई आ गए।
उनकी स्क्रिप्ट तो किनारे हो गई, लेकिन फिल्ममेकर मजूमदार ने उन्हें फिल्म राजकुमार में कास्ट कर लिया। फिल्मों में एक्टिंग तो की, लेकिन उनकी असली पसंद तो लेखन और निर्देशन ही थी।
1940 में चेतन ने ख्वाजा अहमद अब्बास की स्क्रिप्ट पर नीचा नगर फिल्म डायरेक्ट की। ये पैरलल सिनेमा की शुरुआती पायनियर फिल्म थी। ये कांस फिल्म फेस्टिवल जाने वाली और वहां बेस्ट फिल्म का ग्रैंड प्रिक्स (अब गोल्डन पाम) जीतने वाली पहली भारतीय फिल्म है। पहली ही फिल्म से चेतन आनंद इंडस्ट्री के सबसे बेहतरीन डायरेक्टर्स में गिने जाने लगे।
जिससे शादी की उसने दिया धोखा
1943 में चेतन आनंद ने बंगाली क्रिश्चियन उमा चटर्जी से शादी की। उनके पिता ज्ञानेश चंद्र चटर्जी गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, लाहौर के प्रिंसिपल थे। इस शादी से कपल को दो बच्चे केतन और विवेक हुए। कुछ समय बाद ही दोनों में तल्खियां बढ़ने लगीं और उमा चटर्जी का रिश्ता इब्राहिम अलकाजी से शुरू हो गया। उस समय तलाक लेना पाप समझा जाता था, ऐसे में दोनों दुनियावालों की नजरों में शादीशुदा तो रहे, लेकिन दोनों के बीच कोई रिश्ता नहीं रहा।
50 के दशक में चेतन आनंद ने अपने छोटे भाई देव आनंद के साथ मिलकर प्रोडक्शन हाउस नवकेतन प्रोडक्शन की शुरुआत की और अफसर (1950) फिल्म बनाई, देव आनंद हीरो बने और चेतन डायरेक्टर। ये फिल्म काफी सफल साबित हुई और आगे कामयाब फिल्मों का सिलसिला टैक्सी ड्राइवर (1954), आंधियां (1952) से चलता रहा।
वहीदा रहमान के चलते हुआ था छोटे भाई देव आनंद से झगड़ा
चेतन और देव आनंद मिलकर अपने प्रोडक्शन हाउस नवकेतन के लिए फिल्म गाइड (1966) बना रहे थे।
इस फिल्म में देव आनंद ने वहीदा रहमान को रोजी बनाने का फैसला कर लिया, जबकि डायरेक्टर और बड़े भाई चेतन इससे खुश नहीं थे। चेतन को लगता था कि वहीदा अच्छी तरह अंग्रेजी नहीं बोल पातीं, ऐसे में कोई दूसरी फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली हीरोइन रखनी चाहिए। दोनों भाइयों की वहीदा रहमान पर ऐसी बहस हुई कि गुस्से में चेतन आनंद ने फिल्म डायरेक्ट करने से ही इनकार कर दिया। उनकी जगह दूसरे भाई विजय आनंद इसके डायरेक्टर बने। गुस्सा यहां भी ठंडा नहीं हुआ तो चेतन ने अपने ही प्रोडक्शन हाउस को भाई देव आनंद के भरोसे छोड़ दूसरा प्रोडक्शन हाउस हिमालय फिल्म्स शुरू कर दिया।
राजेश खन्ना को दिलाई फिल्मों में जगह
1965 में 23 साल की उम्र में राजेश खन्ना ने ऑल इंडिया टैलेंट कॉन्टेस्ट में हिस्सा लिया और 10 हजार लोगों के बीच टॉप 8 फाइनलिस्ट बने। उनके साथ इन 8 फाइनलिस्ट में फरीदा जलाल और राजेश ने जीत हासिल की थी। इसी दौरान राजेश खन्ना पर चेतन आनंद की नजर पड़ी और उन्होंने राजेश को अपनी फिल्म आखिरी खत से हिंदी सिनेमा में उतारा। हालांकि, प्रोडक्शन डिले के चलते राजेश खन्ना की फिल्म राज पहले रिलीज हो गई।
अनलकी समझे जाने वाले कैफी आजमी को दिलाई पहचान
शबाना आजमी के पिता कैफी आजमी अपने जमाने के मशहूर उर्दू राइटर हुआ करते थे। 1951 की फिल्म बुजदिल से कैफी ने बतौर लिरिसिस्ट काम शुरू किया। कैफी के लिखे ज्यादातर गाने जुबां पर चढ़ जाया करते थे, लेकिन जिन भी फिल्मों में वो इस्तेमाल हुए वो लगभग सारी फ्लॉप रहीं। फिल्मी गलियारों में खबरें फैल गईं कि कैफी अनलकी लिरिसिस्ट हैं, जिनके गाने तो हिट होते हैं, लेकिन फिल्में फ्लॉप करवा देते हैं।
एक समय ऐसा आया जब उन्हें काम मिलना बंद होने लगा। इसी बीच एक दिन चेतन आनंद ने उनके घर पर दस्तक दे दी।
चेतन आनंद ने उनसे कहा- मैं एक फिल्म बना रहा हूं, मैं चाहता हूं कि आप उसके गाने लिखें।
कैफी साहब ने जवाब में कहा- सब यही कहते हैं कि मैं लिखता तो अच्छा हूं, पर मेरे सितारे कुछ ठीक नहीं हैं।
आप मुझसे गाने लिखवाकर जोखिम ले रहे हैं।
चेतन ने कहा- मेरे बारे में भी तो लोग यही कहते हैं कि मैं फिल्में तो अच्छी बना लेता हूं पर मेरे भी सितारे अच्छे नहीं हैं। हो सकता है दो खराब सितारे मिलकर कुछ अच्छा कर जाएं।
इसी बात के बाद चेतन ने कैफी आजमी को फिल्म हकीकत में लिरिसिस्ट बना लिया। ये फिल्म भी हिट रही और इसका गाना अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों आज भी सबसे बेहतरीन देशभक्ति गानों में गिना जाता है।
एक तस्वीर से प्रिया राजवंश को चाहने लगे थे चेतन आनंद
ये किस्सा शुरू होता है 1958 में जब प्रिया राजवंश लंदन में पढ़ाई कर रही थीं। प्रिया बेहद खूबसूरत हुआ करती थीं। एक प्रोग्राम के दौरान लंदन के एक फोटोग्राफर ने उनकी तस्वीर निकाली और उसे भारत ले आया। भारत में वो फोटोग्राफर सबसे पहले फिल्ममेकर ठाकुर रणवीर सिंह के पास पहुंचा। रणवीर ने तस्वीर देखी और उन्हें एक नजर में ही प्रिया पसंद आ गईं। वो उस तस्वीर को लेकर सीधे चेतन आनंद के पास आ पहुंचे जो उस समय फिल्म हकीकत की हीरोइन के लिए नए चेहरे की तलाश में थे। जैसे ही चेतन के हाथ प्रिया की तस्वीर लगी तो उन्होंने 1962 में उन्हें फिल्म में साइन कर लिया।
प्रिया के बिना चेतन ने नहीं बनाई कोई फिल्म
हकीकत फिल्म की शूटिंग करते हुए प्रिया राजवंश और चेतन आनंद एक- दूसरे को चाहने लगे और प्यार ऐसा परवान चढ़ा कि दोनों ने ये रिश्ता जिंदगी भर जारी रखा। इसके बावजूद कि दोनों की उम्र में 21 सालों का लंबा फासला था। हकीकत फिल्म की कामयाबी के बाद से ही चेतन अपनी लगभग हर फिल्म में प्रिया राजवंश को ही हीरोइन बनाने लगे। प्रिया राजवंश पहली फिल्म हकीकत से पॉपुलर हुईं तो उस जमाने का हर बड़ा फिल्ममेकर उन्हें लेकर फिल्में बनाना चाहता था, लेकिन प्रिया ने सिर्फ चेतन आनंद की ही फिल्में करने का फैसला किया। अपने छोटे करियर में प्रिया ने चेतन के भाई देव के साथ 1977 की फिल्म साहेब बहादुर की।
प्रिया ने चेतन के साथ रहने के लिए अपना फिल्मी करियर और पर्सनल लाइफ सब छोड़ दी। प्रिया अपने जमाने की सबसे पढ़ी-लिखी एक्ट्रेस थीं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने परिवार का दबाव होने के बावजूद शादीशुदा चेतन को न छोड़ा न ही कभी शादी की। दोनों लिव-इन में चेतन आनंद के जुहू के रुइया पार्क बंगले पर साथ रहते थे। दोनों का ये रिश्ता चेतन की मौत तक कायम रहा।
अपनी संपत्ति पत्नी की जगह प्रिया को सौंप गए थे चेतन
6 जुलाई 1997 तो चेतन आनंद ने 82 साल की उम्र में आखिरी सांसें लीं। मौत से पहले उन्होंने अपनी ज्यादातर संपत्ति पत्नी उमा और बच्चों की जगह प्रिया राजवंश के नाम कर दी थी। इनमें उनका जुहू स्थित वो आलीशान बंगला भी था, जिसमें उन्होंने प्रिया के साथ 20 साल बिताए थे। जिस जगह वो बंगला है वो भारत का सबसे महंगा इलाका है। विल के अनुसार प्रिया उस बंगले में रह सकती थीं, लेकिन उसे बेचने का अधिकार उनके पास नहीं था। अगर प्रिया को कुछ होता तो वो बंगला और बची हुई संपत्ति चेतन आनंद के बच्चों केतन और विवेक के पास जाती, क्योंकि प्रिया और चेतन की अपनी कोई संतान नहीं थी।
चेतन आनंद के बेटे केतन आनंद।
केतन टूटे खिलौने (1978), शर्त (1986) और आजा मेरी जान (1993) फिल्में डायरेक्ट कर चुके हैं।
बच्चों और नौकरों पर लगा कत्ल का आरोप
चेतन आनंद की मौत के 3 साल बाद 27 मार्च 2000 को प्रिया राजवंश का शव उनके जुहू स्थित बंगले में मिला, जहां उन दिनों चेतन के बेटे विवेक और केतन भी रह रहे थे। जांच में प्रिया के कमरे में एक लेटर मिला, जिसमें उन्होंने दोनों बेटों से हत्या के डर का जिक्र किया था। जांच में दोनों बेटों और नौकरों माला चौधरी और अशोक चिन्नास्वामी को दोषी माना गया। चारों को 2002 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, हालांकि चंद महीनों बाद ही उन्हें बेल पर रिहाई मिल गई। 2011 में चेतन आनंद ने केस में दोबारा सुनवाई की मांग की थी, जिसके बाद उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया है।
Jul 08 2023, 11:07