सरायकेला : दुर्घनाग्रस्त कार धूं धूं कर जल गई, समय पर नहीं पहुंची दमकल

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सरायकेला : चांडिल थाना क्षेत्र के टाटा - रांची नेशनल हाईवे पर दुर्घटना के बाद एक कार में आग लग गई और देखते ही देखते धूं धूं कर पूरी कार जल गई। 

बताया जाता है कि घटना रात नौ बजे की है। चांडिल थाना क्षेत्र के शहरबेड़ा स्थित दलमा चौक पर उस वक्त अफरा तफरी का माहौल बन गया, जब एक कार में दुर्घटना के बाद आग लग गई। 

बताया जाता है कि सड़क पार कर रही एक मोटरसाइकिल को बचाने के चक्कर में कार अनियंत्रित होकर डिवाइडर से टकरा गई। डिवाइडर से टकराने के बाद कार सड़क के दूसरे लेन पर चली गई और एक अज्ञात हाइवा से टकरा गई। इसके बाद ही कार में आग लगी। कार में सवार दो व्यक्ति भी झुलस गए हैं लेकिन वह खतरे से बाहर हैं। इधर, मोटरसाइकिल सवार व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हैं। दुर्घटना के बाद स्थानीय लोगों ने घायलों को एम्बुलेंस से जमशेदपुर भेजा। दुर्घटना के बाद सड़क के एक लेन पर काफी समय तक आवागमन बाधित रही। चांडिल थाना प्रभारी अजित कुमार दलबल के साथ पहुंचे हैं और मामले की छानबीन में जुट गए हैं। 

समय पर नहीं पहुंची दमकल

आग लगने के करीब 50 मिनट तक दमकल नहीं पहुंची। इसके चलते कार पूरी तरह से खाक हो गई। करीब 50 मिनट बाद दमकल पहुंची और अंतिम समय में आग बुझाई। यदि समय पर दमकल पहुंच जाती तो शायद कार को पूरी तरह से जलने से बचाया जा सकता था।

सरायकेला:बेखौफ अपराधियो ने 27 वर्षीय युवक को मारी गोली।


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सरायकेला :- जिले के आदित्यपुर थाना अंतर्गत मुस्लिम बस्ती एच रोड के समीप बेखौफ अपराधियो ने 27 वर्षीय युवक को गोली मार दी। 

सूचना पर पहुंची पुलिस ने युवक को टाटा मुख्य अस्पताल पहुंचाया जहां इलाज के क्रम में युवक ने दम तोड़ दिया। मृतक की पहचान मोहम्मद फिरोज के रूप में की गई है। 

बताया जाता है कि फिरोज पेशे से बिजली मिस्त्री था घटना क्यों हुई, इसके पीछे क्या कारण हैं, फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है। उधर घटना के बाद इलाके में सनसनी फैल गई है। फिरोज के संबंध में बताया जाता है कि वह काफी मिलनसार प्रवृत्ति का युवक था।

गांव भारत का आत्मा है ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा के विकास से हीं विकसीत भारत निर्माण हो सकता है:-अमर कुमार चौधरी


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सरायकेला :जिला के चांडिल नारायण आईटीआई शिक्षा संस्थान लुपुंगडीह परिसर में व्यवसायिक शिक्षा के तहत आधुनिक भारत के निर्माण में ग्रामीण की भुमिका पर चर्चा हुई।मुख्य अतिथि के रूप झारखंड तकनीकी यूनिवर्सिटी के कुलसचिव अमर कुमार चौधरी उपस्थित थे।

 चांडिल अनुमंडल अंतर्गत नारायण आइ टी आई प्रशिक्षण परिसर में मुख्य अतिथि के रूप कुल सचिव डॉ अमर कुमार चौधरी ने कहा की झारखंड राज्य साधन, शिक्षा के अभाव में राज्य का खनिज से भरा हुआ है लेकिन झारखंड वासी एक चौथाई लोग गरीब हैं।इसका मुख्य कारण शिक्षा ,साधन की कर्मी है। लोग में मानवता और त्याग की भावना होनी चाहिए।एन पी आई टी आई के अध्यक्ष डॉ जटाशंकर पांडे ने कहा की गांव के परिवेश में स्कील ,व्यवसायिक शिक्षा की पहल की गई। गांव के बच्चे को तकनीकी शिक्षा देकर बच्चों को विकास के मुख्य घारा में जोड़ने का प्रयास है। 

सेमिनार में पात्र, पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि भोलानाथ सिंह सरदार,उप मुखिया दुर्गा चरण गोप, ग्राम प्रधान लक्ष्मण गोप, टेंगाडीह पंचायत के मुखिया अर्जन सिंह सरदार,फणि भषूण सिंह सरदार, पंचायत समिति शम्भू नाथ सिंह सरदार, टेंगाडीह वार्ड सदस्य रविन्द्र महतो,वार्ड सदस्य गोपाल कालिन्दी,बीस सुत्री अध्यक्ष हरेकृष्ण सिंह सरदार,जिप सदस्य असित सिंह हरेदास महतो, पंचायत पर्यवेक्षक सह सचिव प्रेम चंद महतो, सेवा निवृत्त शिक्षक संतोष कुमार गोप, अजित कुमार महतो,भगीरथ महतो, बंशीधर महतो,लाल मोहन महतो, बलराम मंडल,कालीपद गोप,धर्म गोप,प्रसान्त गोप,विद्याघर गोप,अरूण गोप,अरूण गोप,हाराघन गोप,सुनिल गोप,मुकेश गोप, सुभाष महतो,निर्मल महतो,उत्तम दास,नुनी गोपाल दास,भास्कर दास, विश्वनाथ मंडल,हरीश चंद्र दास सत्येन्द्र नाथ महतो,भीम चंद्र महतो,नवीन दास, अखिल चंद्र महतो, रंजीत कुमार महतो,भुत नाथ सिंह सरदार,अनुप महतो,तरुण महतो शिक्षा में भाषा के विभिन्न कभी कभी विकास में बाधक बन जाती है। 

शिक्षा व्यहारिक, व्यवसायिक होना चाहिए। जमशेदपुर के सेफ्टी मैनेजमेंट विमल ओझा, नेवी कर्मी अजित कुमार ठाकुर, आदि उपस्थित थे। सभी वक्ताओं ने कहा की गांव के नागरिक कृषि पर आधारित है कृषि के बल पर लोग को अनाज, वस्त्र के कच्चे मिल का उत्पादन करते हैं।गांव की परिभाषा घनत्व के आधार की गई। सरकार ने गांव को विकास के लिए प्रयासरत हैं ‌।

देवशयनी एकादशी पर श्याम मंदिर चांडिल में हुआ भजन संध्या का आयोजन

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सरायकेला : श्री श्याम कला भवन चांडिल के तत्वावधान में देवशयनी एकादशी के अवसर पर श्याम मंदिर चांडिल में भजन संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें भजन गायक सुभाष शर्मा सहित अन्य गायकों ने कई भजन प्रस्तुत किए, जिसमें सभी श्याम भक्तों ने मिलकर बाबा श्याम के भजनों का आनंद लिया और सभी भक्त भाव विभोर होकर जय श्री श्याम का जयकारा लगा रहे थे, जिससे मंदिर सहित आसपास का वातावरण श्याममय हो गया। 

देर रात महाआरती कर भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया। इसके पूर्व बाबा श्याम का सूरजमुखी सहित विभिन्न तरह के फ़ूलों से भव्य श्रृंगार किया गया और पुजारी के द्वारा ज्योत प्रज्वलित कर पूजा अर्चना कर बाबा को भोग लगाया गया। भजन संध्या में कला भवन के अध्यक्ष संजय चौधरी, दुर्गा चौधरी, रोहित चौधरी, चंदन रूंगटा, मोंटी चौधरी, नेकां पाल, हरीश कुमार, आदि उपस्थित थे।

अमरनाथ यात्रा एवं वैष्णो देवी दर्शन के लिए चांडिल सें सात सदस्यों का टीम रवाना

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सरायकेला : श्री अमरनाथ यात्रा एवं वैष्णो देवी दर्शन के लिए शुक्रवार को चांडिल से सात सदस्यों का जत्था रवाना हुआ। जो चांडिल से मुरी के रास्ते गरीब रथ एक्सप्रेस से दिल्ली होते हुए रविवार को जम्मू पहुँचेगी। ये यात्रा 10 दिनों की होगी। जत्थे में शामिल लालमोहन दास(लालटु), सुदीप्तो पाल, संजय हलदार, कैलाश खां, टुटुन नाग, आकाश हलदार, तापश पाल शामिल है। यात्रा पर जाने के दौरान सभी काफी उत्साहित दिखे।

चौका में मंत्री व विधायक ने किया फूलो-झानो की प्रतिमा का अनावरण


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सरायकेला : चौका पंचायत भवन के समीप टुईडुंगरी जाने वाली मार्ग पर हुल दिवस पर शुक्रवार को संथाल हुल की अमर नायिका फूलो-झानो की प्रतिमा का अनावरण किया गया। 

पारंपरिक ग्राम सभा द्वारा आयोजित प्रतिमा अनावरण के कार्यक्रम में मंत्री चंपई सोरेन, विधायक सविता महतो, जिला परिषद सदस्य सविता मार्डी, जिला परिषद सदस्य पिंकी लायक, जिला परिषद सदस्य ज्योतिलाल माझी उपस्थित थे। मंत्री चंपई सोरेन व विधायक सविता महतो ने हुल दिवस के पावन अवसर पर शहीद फूलो-झानो की आदम कद प्रतिमा का अनावरण माल्यार्पण व कर किया।

 मौके पर गुरूचरण किस्कू, चारू चांद किस्कू, पप्पू वर्मा, सुखराम हैंम्ब्रम, तरुण दे, ओमप्रकाश लायेक, सुधीर किस्कू, बुद्धेश्वर मार्डी, श्यामल मार्डी, डोमन बास्के, कर्मू मार्डी, प्रकाश मार्डी, शक्तिपद हांसदा, महावीर हांसदा, महेंद्र टुडू, संजीव टुडू, कुनाराम सोरेन आदि उपस्थित थे।

ईचागढ़ के गौरांगकोचा में सिद्धू कान्हू के मूर्ति पर श्रद्धांजलि देकर मनाया गया हुल दिवस


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सरायकेला : ईचागढ़ प्रखंड के गौरांगकोचा ब्लॉक मोड़ में शुक्रवार को गौरांगकोचा मांझी बाबा धनेश्वर मुर्मू की अगवाई में वीर शहीद सिद्धू कान्हू के मूर्ति पर श्रद्धांजलि देकर हुल दिवस मनाया गया। इस दौरान समाजसेवी भूषण मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि हुल विद्रोह भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था। उन्होंने कहा कि 30 जून 1855 को संथाल परगना के समस्त गरीब और शोषित वर्ग द्वारा चुन्नी मार्डी के चार पुत्र सिद्धू, कान्हू, चांद व भैरव के नेतृत्व में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाया था। उन्होंने कहा कि इस विद्रोह का आग भोगनाडीह से शुरू होकर बहुत जल्दी जंगल की आग के तरह पूरे संथाल परगना क्षेत्र में फैल गया था। 

विद्रोहियों के अदम्य साहस से अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिल गया। उन्होंने कहा कि इस विद्रोह में हजारों पुरूष-महिलाओं ने स्वयं को बलिदान दिया। फिर भी देशभक्तों ने अंग्रेजी हुकूमत के क्रूरता के सामने सिर नहीं झुकाया और हुल विद्रोह इतिहास के पन्नों पर स्वर्ण अक्षरों से अंकित हो गया।

 आज उन महान स्वतंत्रता संग्रामियों के जीवन गाथा से प्रेरणा लेकर हम सभी के दिल में देशभक्ति की भावना को दृढ़ संकल्प के साथ जगाने की आवश्यकता है। इस अवसर पर मुखिया राखोहरि सिंह मुंडा, निताई उरांव, रंजीत टुडु, खगेन महतो, गोविंदो बेसरा, अजित मुर्मू, सपन सिंह देव आदि उपस्थित थे।

संयुक्त आदिवासी सामाजिक संगठन चांडील अनुमंडल ने हुल दिवस पर शहीदों को किया नमन


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 सरायकेला : संयुक्त आदिवासी सामाजिक संगठन चांडील अनुमंडल ने शुक्रवार को शहीद बिरसा मुंडा सेतु कामारगौड़ा से शहीद गंगानारायण सिंह चौक पुंडीशीली ,शहीद सिदो -कान्हु चौक चांडील गोलचक्कर, शहीद फूलो - झानो चौक, शहीद सिदो -कान्हु चौक गौरांगकोचा तक निकाला विशाल बाइक रोड शो। तमाम शहीदों को बारी - बारी से पुष्प अर्पित कर दिया श्रद्धांजलि।

विशाल रोड शो निकाल कर समान नागरिक संहिता कानून का किया पुरजोर विरोध प्रदर्शन।

रोड शो समाप्ति के बाद गौरांगकोचा में आयोजित हुल जनसभा में हुए शामिल।

मीडिया से मुखातिब होते हुए संयुक्त आदिवासी सामाजिक संगठन चांडील अनुमंडल के प्रवक्ता सुधीर कुस्कू ने कहा की समान नागरिकता संहिता कानून आदिवासी समाज के लिए गले का फंदा है। 

यह कानून लागू होने से आदिवासी समाज की पहचान और अस्तित्व ही मीट जाएगी। आदिवासी समाज के मूल पहचान हो जाएगी खत्म। आदिवासी समाज की कास्टोमरी लॉ खत्म हो जाएगी। किस्कू ने आगे कहा कि आदिवासी समाज अपनी अस्तित्व को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाएगी।

संयुक्त आदिवासी सामाजिक संगठन चांडील अनुमंडल समान नागरिक संहिता कानून का विरोध आगे गांव गांव तक ले जाएगी और भारी विरोध करेगी।

संयुक्त आदिवासी सामाजिक संगठन के श्री मानिक सिंह सरदार ने अपने बयान में कहा कि।

आदिवासी समाज अपने हक अधिकार, पहचान, इतिहास को बचाने के लिए हर प्रतिबद्ध है।

किसी भी कीमत पर हम अपनी इतिहास, अधिकार, पहचान को मिटने नही देंगे।

उन्होंने आगे कहा कि की समान नागरिक संहिता कानून आदिवासी समाज के लिए एक काला कानून है।

इसे आदिवासी समाज हर हाल में विफल करेगी। इस कानून से आदिवासी समाज के लिए बने विशेष कानून सीएनटी/एसपीटी एक्ट, पेसा एक्ट, पांचवी अनुसूची और छठी अनुसूची खत्म हो जाएगी।

आदिवासी समाज की आरक्षण खत्म हो जाएगी।

अत:, किसी भी हाल में इस कानून को लागू नही होने देंगे।

इस तरह से आयोजित हुल जनसभा में बारी- बारी सभी वक्ताओं समान नागरिक संहिता कानून का कड़ा विरोध किया गया।

मौके पर श्यामल मार्डी, पारगाना रामेश्वर बेसरा ,श्याम सिंह सरदार, सुखराम हेंब्रम, चारुचंद किस्कू, रविंदर सरदार, जगदीश सिंह सरदार, भद्रु सिंह सरदार, लक्षण सिंह, सुरेंदर सिंह ज्योतीलाल बेसरा, धनेश्वर मुर्मू, भादूडीह माझी बाबा बुद्धेश्वर मारडी, डोमन बास, प्रकाश मारडी जगन्नाथ किस्कू, रवींद्रनाथ सिंह , बधुसूदन हेंब्रम और भी संगठन के सक्रिय सदस्य गण एवं आदिवासी अगुवा गण उपस्थित थे।

सराईकेला: नारायण प्राइवेट आईटीआई संस्थान परिसर में आज सिदो-कान्हू के तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गयी

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सरायकेला : चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के नारायण प्राइवेट आईटीआई संस्थान परिसर में आज सिदो-कान्हू के तस्वीर पर सभी कर्मचारियों के द्वारा तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर हुल दिवस मनाया गया।

इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक डाक्टर जटा शंकर पांडे ने कहा सिदो-कान्हू मुर्मू का जन्म भोगनाडीह नामक गाँव में एक संथाल आदिवासी परवार में हुआ था जो कि वर्तमान में झारखण्ड के साहेबगंज जिला के बरहेट प्रखंड में है। सिदो मुर्मू का जन्म 1815 ई0 में हुआ था एवं कान्हू मुर्मू का जन्म 1820 ई0 में हुआ था।संथाल विद्रोह में सक्रिय भूमिका निभाने वाले इनके और दो भाई भी थे जिनका नाम चाँद मुर्मू और भैरव मुर्मू था। 

चाँद का जन्म 1825 ई0 में एवं भैरव का जन्म 1835 ई0 में हुआ था। इनके अलावा इनकि दो बहने भी थी जिनका नाम फुलो मुर्मू एवं झानो मुर्मू था। इन 6 भाई-बहनो का पिता का नाम चुन्नी माँझी था   

सिदो-कान्हू कि जीवनी एवं हूल आन्दोलन संथाल परगना को पहले जंगल तराई के नाम से जाना जाता था। संथाल आदिवासी लोग संथाल परगना क्षेत्र में 1790 ई0 से 1810 ई0 के बीच बसे। संथाल परगना को अंग्रेजो द्वारा दामिन ए कोह कहा जाता था और इसकी घोषणा 1824 को हुई।और इसी संथाल परगाना में संथाल आदिवासी परिवार में दो विर भईयों का जन्म हुआ जिसे हम सिदो-कान्हू मुर्मू के नाम से जानते हैं जिसने अंग्रेजो के आधुनिक हथियारों को अपने तीर धनुष के आगे झुकने पर मजबूर कर दिया था।

सिदो-कान्हू मुर्मू का जन्म भोगनाडीह नामक गाँव में एक संथाल आदिवासी परवार में हुआ था जो कि वर्तमान में झारखण्ड के साहेबगंज जिला के बरहेट प्रखंड में है। सिदो मुर्मू का जन्म 1815 ई0 में हुआ था एवं कान्हू मुर्मू का जन्म 1820 ई0 में हुआ था।संथाल विद्रोह में सक्रिय भूमिका निभाने वाले इनके और दो भाई भी थे जिनका नाम चाँद मुर्मू और भैरव मुर्मू था। चाँद का जन्म 1825 ई0 में एवं भैरव का जन्म 1835 ई0 में हुआ था। इनके अलावा इनकि दो बहने भी थी जिनका नाम फुलो मुर्मू एवं झानो मुर्मू था। इन 6 भाई-बहनो का पिता का नाम चुन्नी माँझी था।

इन छः भाई बहनो का जन्म भोगनाडी गाँव मे हुआ था जो कि वर्तमान में झारखण्ड राज्य के संथाल परगाना परमण्ल के साहेबगंज जिला के बरहेट प्रखण्ड के भोगनाडीह में है।

सिदो-कान्हू ने 1855-56 मे ब्रिटिश सत्ता, साहुकारो, व्यपारियों व जमींदारो के अत्याचारों के खिलाफ एक विद्रोह कि शुरूवात कि जिसे संथाल विद्रोह या हूल आंदोलन के नाम से जाना जाता है। संथाल विद्रोह का नारा था करो या मरो अंग्रेजो हमारी माटी छोड़ो ।

सिदो ने अपनी दैवीय शक्ति का हवाला देते हुए सभी मांझीयों को साल की टहनी भेजकर संथाल हुल में शामिल होने के लिए आमंत्रन भेजा। 30 जून 1855 को भेगनाडीह में संथालो आदिवासी की एक सभा हुई जिसमें 400 गांवों के 50000 संथाल एकत्र हुए।जिसमें सिदो को राजा, कान्हू को मंत्री, चाँद को मंत्री एवं भैरव को सेनापति चुना गया। संथाल विद्रोह भोगनाडीह से शुरू हुआ जिसमें संथाल तीर-धनुष से लेस अपने दुश्मनो पर टुट पड़े। संस्थान में मुख्य रूप से उपस्थित थे महाधिवक्ता निखिल कुमार , बिमल ओझा ,हरी नारायण साहू, शांति राम महतो महतो ,पवन कुमार महतो,अजय मण्डल,शंकर दस,देव कृष्णा महतो, कृष्णा महतो, , गोराब महतो, आदि मौजूद थे।

सरायकेला : अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध विद्रोह का प्रतीक है, हुल दिवस


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सरायकेला : अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध विद्रोह का प्रतीक है, हुल दिवस 30 जून अट्ठारह सौ पचपन को अंग्रेजी हुकूमत के बढ़ते शोषण और उत्पीड़न के विरुद्ध सिदो कान्हू चांद भैरव और फूलों झानो के नेतृत्व में तत्कालीन दामिनी ए कोह वर्तमान संथाल परगना के भोगनाडीह गांव से एक संगठित विद्रोह का शंखनाद हुआ था ।

 संथाल विद्रोह में एकजुटता के साथ अंग्रेजी शासन के दमनकारी नीतियों के खिलाफ एक स्वर में किए गए विरोध तथा इस महान संग्राम के तपिश और आक्रोश को फूल कहा गया मित्रों में शहीद हुए साहसिक बलिदानीयों को झारखंड वासियों द्वारा स्मरण करते हुए ।

कोल्हान के साथ विभिन्न प्रखण्ड स्तर पर 30 जून को हुल दिवस मनाया जा रहा हे । सिद्धू कान्हो के प्रतिमा पर पुष्प चढ़ा उन्हें किया याद ।