*बिहार में विपक्ष का महाजुटान, नीतीश के “निमंत्रण” को इन्होंने किया “ना”*
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लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दल एकजुट होने के प्रयास में लगे हैं। इसी क्रम में बिहार की राजधानी पटना में नीतीश कुमार की अगुआई में विपक्षी दलों का जमावड़ा लगने वाला है। इस बैठक में 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ एकजुटता का संदेश दिया जाएगा। पार्टियों की आगे की रणनीति को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 जून को पटना में बैठक बुलाई है। विपक्षी दलों की मीटिंग में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के चीफ शरद पवार सहित कई नेता शामिल होंगे। हालांकि, इस बैठक से बीआरएस, बीएसपी, बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, शिअद, सुभासपा, बीजद, एआईएमआईएम, जेडीएस, एलजेपी, टीडीपी दूरी बनाएगी।
बीआरएस ने कहा- देश में तीसरा या चौथा मोर्चा काम नहीं करने वाला
विपक्षी एकता की कवायद में लगे नीतीश कुमार को केसीआर का समर्थन नहीं मिलेगा। केसीआर की पार्टी ने इससे दूरी बना ली है। बीआरएस की तरफ से बयान आया है- किसी एक व्यक्ति या किसी एक पार्टी को सत्ता से बाहर करने के लिए विपक्ष को एक करने की नीति से वह सहमत नहीं हैं। केसीआर की पार्टी बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव ने कहा कि केवल नरेंद्र मोदी को हटाने का एजेंडा नहीं होना चाहिए। हमारी पार्टी साकारात्मक राजनीति में भरोसा करती है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि देश में तीसरा या चौथा मोर्चा काम नहीं करने वाला है क्योंकि देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग राजनीतिक परिस्थितियां है।
नीतीश को नवीन पहले ही कर चुके हैं ना
इससे पहले बिहार के सीएम नीतीश कुमार को नवीन पटनायक ने भी ना कह दिया था। पटनायक ने विपक्षी एकता के मंच पर आने से इंकार करते हुए कहा था कि उनकी पार्टी 2024 में अकेले चुनाव लड़ेगी यह उनकी हमेशा से योजना रही है। नवीन पटनायक ने नीतीश कुमार से मुलाकात को निजी मुलाकात बताया था और किसी तरह की राजनीतिक बात से इंकार कर दिया था जबकि इस मुलाकात से कुछ दिन पहले तक नीतीश कुमार उन्हें बीजेपी के खिलाफ साथ लाने की बात कह रहे थे।
नीतीश ने इन दिग्गज नेताओं से की मुलाकात
बता दें कि हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ समान विचारधारा वाले दलों को 'एकजुट' करने के लिए दिल्ली, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और कर्नाटक समेत कई राज्यों का दौरा किया था। नीतीश ने पहली बार 12 अप्रैल को कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की थी, जिसके बाद राहुल गांधी ने उनसे मुलाकात को विपक्षी एकता की दिशा में एक 'ऐतिहासिक कदम' बताया था। उन्होंने लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी और डी राजा से भी मुलाकात की थी। नीतीश ने अप्रैल में अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, नवीन पटनायक से भी मुलाकात की थी। 31 अप्रैल को तेलंगाना के सीएम केसीआर से मुलाकात हुई थी। नीतीश ने मई में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और सेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे से संपर्क किया था। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला, आरएलडी के प्रमुख जयंत चौधरी, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के नेता मौलाना बदरुद्दीन अजमल समेत तमाम विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात हुई है।
मीटिंग 23 जून को क्यों हो रही है?
विपक्षी दलों की मीटिंग पहले पटना में 12 जून को होनी थी लेकिन कांग्रेस और द्रविड मुनेत्र कषगम (डीएमके) सहित कुछ दलों ने तारीख में बदलाव का अनुरोध किया था। कांग्रेस ने इसके पीछे कारण पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रेसिडेंट खरगे की अनुपलब्धता बताया था।न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि हम चाहते थे कि बैठक में पार्टियों के नेता शामिल हो ना कि प्रतिनिधि ताकि निर्णय निकल सके।





Jun 10 2023, 13:27
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