अमेरिका ने की ‘नाटो प्लस’ में भारत को शामिल करने की सिफारिश, जानें क्या है वजह?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने अमेरिका के दौरे पर जाने वाले हैं। इस बीच, अमेरिका की एक कांग्रेस समिति ने बाइडन सरकार से भारत को नाटो प्लस का हिस्सा बनाने की सिफारिश की है।समिति का कहना है कि भारत के शामिल होने से नाटो प्लस को मजबूती मिलेगी। 

ताइवान की सुरक्षा के लिए जरूरी

अमेरिका में जिस कमिटी ने भारत को नाटो प्लस में शामिल करने की शिफारिस की है, वो 'स्ट्रैटेजिक कॉम्पिटिशन बिट्वीन द यूनाइटेड स्टेट्स एंड द चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी)' की चयन समिति है। इसकी अगुवाई चेयरमैन माइक गैलाघेर और रैंकिंग मेंबर राजा कृष्णमूर्ति करते हैं। इस समिति ने ताइवान की सुरक्षा क्षमता बढ़ाने के लिए नीतिगत प्रस्ताव को अपनाया है। इसमें कहा गया है कि सुरक्षा को मजबूत करने के लिए नाटो प्लस में भारत को शामिल किया जाना चाहिए। अमेरिकी चयन समिति ने कहा, ''चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ सामरिक प्रतिस्पर्धा जीतने और ताइवान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका को हमारे सहयोगियों और भारत समेत सुरक्षा साझेदारों के साथ संबंध मजबूत करने की आवश्यकता है।

चीन को कमजोर बनाने के लिए अहम

चीन समिति ने अपनी सिफारिश में कहा कि ताइवान पर हमले के मामले में चीन के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध सबसे प्रभावी होंगे यदि प्रमुख सहयोगी जैसे जी-7, नाटो, नाटो प्लस और क्वाड सदस्य एकजुट हो जाएं। अगर ये सभी सहयोगी देश एक संयुक्त प्रतिक्रिया पर बातचीत करेंगे तो चीन को कमजोर किया जा सकता है। 

क्या है नाटो प्लस

नाटो प्लस (अभी नाटो प्लस 5) एक सुरक्षा व्यवस्था है जो नाटो और पांच गठबंधन राष्ट्रों ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, इजराइल और दक्षिण कोरिया को वैश्विक रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए साथ लाती है। भारत को इसमें शामिल करने से इन देशों के बीच खुफिया जानकारी निर्बाध तरीके से साझा हो पाएगी और भारत की बिना किसी समय अंतराल के आधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी तक पहुंच बन सकेगी। अमेरिका और चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के बीच सामरिक प्रतिस्पर्धा संबंधी सदन की चयन समिति ने भारत को शामिल कर नाटो प्लस को मजबूत बनाने समेत ताइवान की प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने के लिए एक नीति प्रस्ताव पारित कर दिया। इस समिति की अगुवाई अध्यक्ष माइक गालाघर और रैंकिंग सदस्य राजा कृष्णमूर्ति ने की।

दिल्ली-एनसीआर में तेज हवाओं के साथ बारिश, उड़ानें प्रभावित, मौसम विभाग ने जारी किया येलो अलर्ट

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दिल्ली-एनसीआर में शनिवार सुबह बारिश ने मौसम को सुहावना बना दिया। दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में तेज हवा के साथ बारिश ने लोगों को गर्मी से राहत दी है। आज सुबह से ही राष्ट्रीय राजधानी में घने बादल छाए हुए हैं और कई जगहों पर बिजली कड़क रही है।इसके साथ ही तेज आंधी की वजह से दिल्ली में कई इलाकों में पेड़ गिरने की खबर है।आंधी-बारिश और गहरे बादलों के कारण सड़कों पर दृश्यता भी कम है। आंधी और तेज हवाओं के साथ हो रही बारिश से उड़ानें भी प्रभावित होने की खबर है। 

आईएमडी ने कहा कि बादलों का एक समूह दिल्ली-एनसीआर से गुजर रहा है। इससे अगले 2 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर और आसपास के इलाकों में गरज के साथ हल्की से मध्यम तीव्रता की बारिश होगी और 40-70 किमी/घंटा की रफ्तार से तेज हवाएं चलेंगी। कई दिनों से दिल्ली-एनसीआर के लोग गर्मी के कारण परेशान थे। बीते कुछ दिन दिल्ली के कई इलाकों में पारा 45 के पार तक पहुंच गया था।

अगले दो से तीन दिन दिल्ली एनसीआर में बारिश के आसार

मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता के कारण अभी अगले दो से तीन दिन दिल्ली एनसीआर और उसके आसपास रूक-रुक के हल्की बारिश व हवाएं चलने का अनुमान है। सोमवार और मंगलवार को दिल्ली के कुछ हिस्सों में लू चली। 22 मई को अधिकतम तापमान 43.7 और 23 मई को न्यूनतम तापमान 43.5 दर्ज हुआ था। वहीं कुछ इलाकों में तापमान 46 डिग्री तक पहुंच गया था। लेकिन 23 मई रात से मौसम ने करवट ले ली। उसके बाद से मौसम सुहावना ही बना हुआ है।

लद्दाख में बर्फबारी संभव

आईएमडी के अनुसार, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, उत्तराखंड, हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, लक्षद्वीप में छिटपुट बौछारें और आंधी देखी जा सकती है। इसके अलावा, ओडिशा, झारखंड, बिहार, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, पुडुचेरी, कर्नाटक में हल्की बारिश की संभावना बनी हुई है। वहीं, लद्दाख में बर्फबारी संभव है।

नए संसद भवन के उद्घाटन के बहिष्कार पर पूर्व नौकरशाहों-राजदूतों ने की विपक्ष की निंदा, कहा-बेबुनियाद, अपरिपक्व और गैर-लोकतांत्रिक हाव-भाव

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देश में नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर जारी सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। दरअसल, 28 मई को पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इस पर कई राजनीतिक दलों ने आपत्ति जताने हुए समारोह का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। समारोह का कांग्रेस समेत विपक्ष के 19 दल एकजुट होकर बहिष्कार कर रहे हैं।देश के 260 से अधिक प्रतिष्ठित लोगों ने विपक्षी दलों की निंदा की है।इनमें पूर्व नौकरशाह, राजदूत और अन्य गणमान्य नागरिक शामिल हैं।

पूर्व नौकरशाहों, राजदूतों और अन्य गणमान्य नागरिकों सहित 270 प्रतिष्ठित नागरिकों के एक समूह ने नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के लिए शुक्रवार को विपक्ष की निंदा की। नागरिकों के इस समूह ने दावा किया कि ''परिवार पहले'' की नीति अपनाने वाली पार्टियां भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली संसद का बहिष्कार करने के लिए एक साथ आई हैं।प्रतिष्ठित नागरिकों के इस समूह ने एक बयान जारी कर कहा कि यह सभी भारतीयों के लिए एक गर्व का अवसर है, लेकिन विपक्षी दलों द्वारा बेबुनियाद तर्कों, अपरिपक्व रवैये, सनकी और खोखले दावों और सबसे बढ़कर गैर-लोकतांत्रिक हाव-भाव का खुला प्रदर्शन समझ से परे है।

नागरिकों के इस समूह ने कहा भारत के लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिन्होंने एक अरब भारतीयों को अपनी प्रामाणिकता, नीतियों, रणनीतिक दृष्टि देने की प्रतिबद्धता के साथ प्रेरित किया है और सबसे बढ़कर, उनकी भारतीयता 'कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के लिए अप्रिय' है।

इस बयान में उन मौकों का भी जिक्र किया गया है, जब कांग्रेस सहित कई कई विपक्षी दलों ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया था। बयान में कहा गया है कि विपक्षी दलों ने साल 2017, 2020, 2021 और 2022 में भी बहिष्कार किया था। बयान में कहा गया कि विपक्षी दल आज राष्ट्रपति को लेकर अपनी हमदर्दी बयान कर रहे हैं, लेकिन तब ये लोग उनके सम्मान के लिए क्यों नहीं खड़े हुए जब कांग्रेस के नेता ने उन्हें राष्ट्रपत्नी बोला था। प्रतिष्ठित नागरिकों ने कहा कि विपक्ष अपनी उस नीति से बाज नहीं आ रहा है, जिसके तहत वह प्लेकार्ड दिखाते हुए किसी भी चीज का विरोध करता है। कई बार इन दलों ने लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं का इसी तरह अपमान किया है। 

नागरिकों के इस समूह की ओर से जारी बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में 88 सेवानिवृत्त नौकरशाह, 100 प्रतिष्ठित नागरिक और 82 शिक्षाविद शामिल हैं। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के पूर्व निदेशक वाई सी मोदी, पूर्व आईएएस अधिकारी आर डी कपूर, गोपाल कृष्ण और समीरेंद्र चटर्जी के अलावा लिंगया विश्वविद्यालय के कुलपति अनिल रॉय दुबे उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने ये संयुक्त बयान जारी किया है।

अमेरिका में दिपावली पर मिलेगी छुट्टी! न्यूयॉर्क असेंबली में बिल पेश

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पूरी दुनिया में भारतीय बसे हुए हैं। कोई पढ़ाई लिए तो कई नौकरी-पेशे के कारण। ऐसे में हर भारतीय त्योहार भी पूरी दुनिया में मनाया जाता है। हां, ये बात और है कि इन त्योहारों को मनाने के लिए लोगों को अपना वक्त निकालना पड़ता है, यानी छुट्टी लेकिन पड़ती है। इस बीच अमेरिका से एक खुशखबरी मिल रही है। दरअसल, अमेरिका की एक प्रमुख सांसद ने रोशनी के त्योहार दिवाली को संघीय अवकाश घोषित करने के लिए शुक्रवार को कांग्रेस (संसद) में एक विधेयक पेश किया, जिसका देश भर के विभिन्न समुदायों ने स्वागत किया। यह विधेयक अमेरिका की महिला सांसद ग्रेस मेंग ने शुक्रवार को प्रतिनिधि सभा में पेश किया।

मेंग ने शनिवार को ट्वीट किया और लिखा कि आज मुझे दिवाली दिवस अधिनियम की शुरुआत की घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है, मेरा बिल जो दिवाली को एक संघीय अवकाश बना देगा। मेरे सभी सरकारी सहयोगियों और कई अधिवक्ताओं को धन्यवाद जो अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए मेरे साथ शामिल हुए।

वहीं, न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार ग्रेस मेंग ने प्रतिनिधि सभा में विधेयक पेश करने के तुरंत बाद यहां एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘दिवाली दुनियाभर के अरबों लोगों सहित न्यूयॉर्क और संयुक्त राज्य अमेरिका में अनगिनत परिवारों और समुदायों के लिए साल के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। इसलिए यह दिन सार्वजनिक अवकाश का होना चाहिए, जिससे लोग धूमधाम से इस फेस्टिवल को सेलिब्रेट कर सकें।’ उन्होंने कहा कि दिवाली पर संघीय अवकाश परिवारों और दोस्तों को एक साथ त्योहार का जश्न मनाने की अनुमति देगा। इस दिन छुट्टी यह साबित करेगी कि सरकार राष्ट्र के विविध सांस्कृतिक अवसरों को महत्व देती है।

इस कदम का स्वागत करते हुए न्यूयॉर्क विधानसभा की सदस्य जेनिफर राजकुमार ने कहा कि इस साल हमने देखा कि हमारा पूरा राज्य दिवाली और दक्षिण एशियाई समुदाय को मान्यता देने के समर्थन में एक स्वर से बोल रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार में मेरी सहयोगी मेंग अब दिवाली को संघीय अवकाश घोषित करने के लिए अपने ऐतिहासिक कानून के साथ आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर ले जा रही हैं।

बता दें कि अमेरिका में सबसे पहले पेंसिल्वेनिया ने दीवाली पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया था। इसके लिए सदन में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पास किया गया था। इसके लिए फरवरी में सदन में बिल पेश किया गया था। यह बिल सीनेटर ग्रेग रोथमैन और निकिल सावल की तरफ से पेश किया गया था। इस बिल में कहा गया था कि पेंसिल्वेनिया में बड़ी संख्या में दक्षिण एशियाई लोग रहते हैं। ये लोग बड़ी धूमधाम से दीवाली मनाते हैं, इसलिए इस दिन को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया।

नीति आयोग की बैठक आज, केजरीवाल-ममता-केसीआर समेत छह मुख्यमंत्रियों ने किया किनारा

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नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल की 8वीं बैठक शनिवार को प्रगति मैदान में होगी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नीति आयोग की आठवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता करेंगे।इसमें शामिल होने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री या उपराज्यपालों को बुलाया गया है, लेकिन छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है। बैठक का सीएम नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, तमिलानाडु के सीएम एमके स्टालिन और केसीआर ने बहिष्कार का ऐलान किया है।

आठवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य, कौशल विकास, महिला सशक्तिकरण और बुनियादी ढांचे के विकास सहित कई मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। गवर्निंग काउंसिल नीति आयोग की शीर्ष संस्था है, जिसमें सभी मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के लेफ्टिनेंट गवर्नर और कई केंद्रीय मंत्री शामिल हैं।पीएम मोदी नीति आयोग के अध्यक्ष हैं।

नीति आयोग के बयान में कहा गया है कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में भारत अपने आर्थिक विकास पथ पर है। जहां यह अगले 25 वर्षों में तेज विकास हासिल कर सकता है। बयान में कहा गया है कि 8वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक 2047 तक विकसित भारत के लिए एक रोडमैप बनाने का मौका देती है। जिसमें केंद्र और राज्य टीम इंडिया के रूप में मिलकर काम कर सकते हैं। इस बैठक में आठ प्रमुख विषयों पर चर्चा की जाएगी. जिसमें विकसित भारत 2047, एमएसएमई, बुनियादी ढांचे और निवेश पर जोर, जटिलताओं को कम करना, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य और पोषण, कौशल विकास और इन क्षेत्रों के विकास और सामाजिक बुनियादी ढांचे के लिए गति शक्ति शामिल हैं।

जानकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम भगवंत मान, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन बैठक में शामिल नहीं होंगे।सीएम अरविंद केजरीवाल ने बताया कि उन्होंने पीएम को पत्र लिखकर बैठक में शामिल न होने की जानकारी दे दी है. सीएम ने कहा कि अध्यादेश लाकर कोआपरेटिव फेडरलिज्म का मजाक बनाया जा रहा है। ऐसे में नीति आयोग की बैठक में शामिल होने का कोई औचित्य नहीं रह जाता। ऐसी बैठक में नहीं जाना चाहिए, इसलिए वे बैठक का बहिष्कार।

दिल्ली के सीएम केजरीवाल अब नीति आयोग की मीटिंग का भी करेंगे बहिष्कार, प्रधानमंत्री मोदी को लिखा दो पन्ने का लेटर, पढ़िए, उन्होंने क्या मांग की

आम आदमी पार्टी (AAP) सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और केंद्र सरकार के बीच तनातनी दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का ऐलान कर चुके सीएम केजरीवाल अब नीति आयोग की मीटिंग का भी बहिष्कार करेंगे। इसके लिए केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है।

लेटर में क्या लिखा

दो पन्ने के लेटर में सीएम केजरीवाल ने लिखा, 'कल नीति आयोग की मीटिंग है। नीति आयोग का उद्देश्य है भारतवर्ष का विजन तैयार करना और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना। पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह जनतंत्र पर हमला हुआ है, गैर भाजपा सरकारों को गिराया जा रहा है, तोड़ा जा रहा है या काम नहीं करने दिया जा रहा, ये न ही हमारे भारतवर्ष का विजन है और न ही सहकारी संघवाद।'  

पंगु क्यों बनाना चाहते

 बीते कुछ दिनों से AAP समेत कई विपक्षी दल केंद्र सरकार के उस अध्यादेश को लेकर हमलावर हैं जिसके तहत राजधानी में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग की शक्ति दिल्ली सरकार से वापस ले ली गई है। केजरीवाल ने अध्यादेश के मुद्दे पर अटैक करते हुए कहा, 'आठ साल की लड़ाई के बाद दिल्लीवालों ने सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई जीती, दिल्ली के लोगों को न्याय मिला। मात्र आठ दिन में आपने अध्यादेश पारित कर सुप्रीम कोर्ट का आदेश पलट दिया।' केजरीवाल ने आगे लिखा, 'आप (पीएम मोदी) दिल्ली सरकार को पंगु क्यों बनाना चाहते हैं? क्या यही भारतदेश का विजन है?'

बहिष्कार की वजह

नीति आयोग की मीटिंग का बहिष्कार करने के पीछे केजरीवाल ने वजह बताते हुए लिखा, 'लोग पूछ रहे हैं कि अगर प्रधानमंत्री जी सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं मानते तो लोग न्याय के लिए फिर कहां जाएंगे? जब इस तरह खुलेआम संविधान और जनतंत्र की अवहेलना हो रही है और सहकारी संघवाद का मजाक बनाया जा रहा है तो फिर नीति आयोग की मीटिंग में शामिल होने का कोई मतलब नहीं रह जाता। इसलिए कल की मीटिंग में मेरा शामिल होना संभव नहीं है।'  

सीएम केजरीवाल ने पीएम मोदी को पिता और बड़े भाई समान बताते हुए लिखा कि 'आप यदि केवल भाजपा सरकारों का साथ देंगे और गैर बीजेपी सरकारों के काम को रोकेंगे तो इससे देश का विकास रुक जाएगा।' बता दें कि केजरीवाल की पार्टी समेत कई दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया है। पीएम मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन देशों की यात्रा से लौटने पर कांग्रेस ने कसा तंज, कहा, सरकार भगोड़े अपराधियों नीरव मोदी और ललित मोदी को वापस लात

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन देशों की यात्रा से लौटने पर उनका भव्य स्वागत किया गया। कुछ देर बाद कांग्रेस ने तंज कसा। मुख्य विपक्षी दल ने कहा कि अगर सरकार भगोड़े अपराधियों नीरव मोदी और ललित मोदी को वापस लाती है तो कांग्रेस के नेता भी प्रधानमंत्री की अगवानी के लिए हवाई अड्डे पर खड़े रहेंगे। 

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, ‘हम भी भव्य स्वागत (प्रधानमंत्री का) करेंगे, लेकिन केवल इस शर्त पर कि अन्य मोदी को वापस लाया जाए। अगर ललित मोदी या नीरव मोदी को सरकार वापस लाती है तो हम भी दिल्ली हवाई अड्डे पर खड़े रहेंगे और भव्य स्वागत करेंगे।’ जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया की यात्रा से लौटने पर हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री के भव्य स्वागत के बारे में खेड़ा से सवाल किया गया था। खेड़ा ने कुछ खबरों का हवाला देते हुए दावा किया कि मोदी के वापस आते ही ऑस्ट्रेलिया के एक विश्वविद्यालय ने पांच राज्यों के भारतीय छात्रों को प्रवेश देने पर रोक लगाने की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा, ‘क्या यह प्रधानमंत्री की उपलब्धि है? वह हवाई अड्डे से घर भी नहीं पहुंचे होंगे कि यह खबर आ गई। जब भी भारतीय प्रधानमंत्री बाहर जाते हैं तो वह भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी पहली जिम्मेदारी भारत के हितों की रक्षा करना है, भले ही उन्हें सम्मान मिले और उनके लिए बड़े कार्यक्रम आयोजित हों।’कांग्रेस नेता ने कहा, ‘ऑस्ट्रेलिया द्वारा पांच राज्यों के छात्रों पर रोक लगाने के फैसले पर आपने क्या कदम उठाए और जब भारतीय छात्रों का भविष्य खतरे में है तो कब इस पर चर्चा होगी।

उन्होंने यह भी कहा कि सही सोच रखने वाला हर भारतीय यहां जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों का समर्थन कर रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी प्रदर्शन स्थल पर गईं और पहलवानों के साथ उन्होंने कुछ वक्त बिताया। खेड़ा ने कहा, ‘हमारे दूसरे नेता और अन्य चिंतित नागरिक भी पहलवानों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री चार किलोमीटर से भी कम दूरी पर हैं। स्मृति ईरानी और ये सारे मंत्री जंतर मंतर से करीब तीन से चार किलोमीटर की दूरी पर रहते हैं। दुर्भाग्य की बात है कि वहां किसी भी मंत्री को नहीं देखा गया।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘जब हम सत्ता में थे तो सरकारों में एक संवेदनशीलता होती थी। इस सरकार में या इस सरकार के किसी भी व्यक्ति में रत्ती भर भी संवेदना नहीं दिखती। खेल मंत्री में भी नहीं।’

नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर SC ने खारिज की याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा- अगली बार लगेगा जुर्माना

नए संसद भवन का उद्घाटन भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से करवाने की मांग वाली याचिका आज सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो गई है। कोर्ट ने इसके साथ ही याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर ऐसी याचिका दोबारा लगाई गई तो कोर्ट जुर्माना भी लगा देगा।

SC ने लगाई फटकार

याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि हमें पता है कि ये याचिका किस कारण डाली गई है। कोर्ट ने इसी के साथ याचिकाकर्ता से पूछा कि आखिर इससे किसका हित होने वाला है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी याचिकाओं की सुनवाई करना हमारा काम नहीं है।

राष्ट्रपति मुर्मु से उद्घाटन की थी मांग

सुप्रीम कोर्ट में बीते दिन इस मामले में एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल हुई है, जिसमें यह मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र को ये निर्देश दे कि नए संसद भवन का 28 मई को उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा किया जाना चाहिए। जनहित याचिका में कहा गया है, “लोकसभा सचिवालय ने उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करके संविधान का उल्लंघन किया है।”

भारतीय संविधान का उल्लंघन- याचिकाकर्ता

अधिवक्ता जया सुकिन द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि 18 मई को लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी बयान और नए संसद भवन के उद्घाटन के बारे में महासचिव, लोकसभा द्वारा जारी किया गया निमंत्रण भारतीय संविधान का उल्लंघन है।

याचिका में ये कहा गया था

याचिका में कहा गया कि सरकार ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है और संविधान का सम्मान नहीं किया जा रहा है।

संसद भारत की सर्वोच्च विधायी संस्था है। भारत में राष्ट्रपति दोनों सदनों, राज्यसभा और लोकसभा को बुलाने और टालने या लोकसभा को भंग करने की शक्ति रखते हैं, इसलिए ये कार्य भी उन्हें ही करना चाहिए।

21 दलों ने की उद्घाटन के बहिष्कार की घोषणा

कांग्रेस, टीएमसी और आप समेत कुल 21 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन के बहिष्कार की घोषणा कर चुके हैं। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के बिना भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्णय “राष्ट्रपति का अपमान करना है और संविधान का उल्लंघन भी है”।

28 मई को नया संसद भवन उद्घाटन को तैयार, पीएम मोदी के नाम पर भड़के विपक्षी दलों में दो फाड़ के बाद अब डिटेल में पढ़िए, देश भर में क्या बन रही है

हाईटेक सुविधाओं से लैस देश का नया संसद भवन बनकर तैयार है. पीएम मोदी 28 मई को इसका उद्घाटन करेंगे. कांग्रेस समेत विपक्ष के तमाम दलों ने पीएम मोदी के हाथों उद्घाटन को मुद्दा बनाकर सियासी घमासान छेड़ दिया है. विपक्ष राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से नए संसद भवन का उद्घाटन कराने की मांग कर रहा है. हालांकि, कुछ विपक्षी दल सरकार के समर्थन में भी खड़े नजर आ रहे हैं. यानी संसद के उद्घाटन के मुद्दे पर विपक्ष दो फाड़ हो गया है. जहां 25 दलों ने सरकार के न्यौते को स्वीकार किया है. तो वहीं 21 दलों ने खुलेआम उद्घाटन समारोह का बायकॉट करने का ऐलान कर दिया है. लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि 7 दल ऐसे हैं, जिन्होंने विपक्षी एकता को झटका देते हुए इस मुद्दे पर मोदी सरकार का समर्थन दिया है. मोदी सरकार के इस भव्य समारोह में विपक्षी एकजुटता में दरार देखकर सत्ताधारी NDA का मनोबल निश्चित तौर पर बढ़ने वाला है. 

संसद भवन के उद्घाटन समारोह में 25 दलों ने शामिल होने की बात कही है. उद्घाटन की तारीख के बाद जिस तरह से विपक्ष ने विरोध का बिगुल फूंका था, उसके बाद अब 25 दलों का समर्थन मिलना बीजेपी के लिए राहत वाली बात है. मोदी सरकार का न्योता स्वीकार करने वाले जो 25 दल हैं, उनमें 7 गैर एनडीए दल हैं. बहुजन समाज पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, जनता दल (सेक्यूलर), लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास), वाईएसआर कांग्रेस, बीजू जनता दल और तेलुगू देशम पार्टी ने समारोह में शामिल होने की बात कही है. इन 7 पार्टियों के लोकसभा में 50 सदस्य हैं. 

इन दलों ने न्योता किया स्वीकार

बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट), नेशनल पीपल्स पार्टी, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, अपना दल - सोनीलाल, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया, तमिल मनीला कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, आजसू (झारखंड), मिजो नेशनल फ्रंट, वाईएसआरसीपी, टीडीपी, बीजद, बीएसपी, जेडीएस, शिरोमणि अकाली दल शामिल हैं.

नंबर गेम में आगे निकली मोदी सरकार

- 25 पार्टियां संसद के उद्घाटन समारोह में शामिल होंगी. इनके लोकसभा में 68% यानी 376 सांसद हैं. जबकि राज्यसभा में 55% यानी 131 सांसद हैं. समर्थन करने वाली पार्टियां 18 राज्यों यानी 60% राज्यों में सत्ता में हैं. 

इन 21 दलों ने किया बायकॉट

21 विपक्षी दलों ने संसद के उद्घाटन का बायकॉट का ऐलान किया है. इन दलों में कांग्रेस, डीएमके (द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम), AAP, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी, भाकपा, झामुमो, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, रालोद, टीएमसी, जदयू, एनसीपी, सीपीआई (एम), आरजेडी, AIMIM, AIUDF (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मरुमलार्ची द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) शामिल हैं.

- इन 21 पार्टियों के लोकसभा में 31% यानी 168 सांसद हैं. वहीं, राज्यसभा में 104 सांसद यानी 45% विरोध में हैं. जबकि विरोध कर रहे दलों की 40% यानी 12 राज्यों में सरकार है. 

क्यों मोदी सरकार के समर्थन में आए 7 गैर NDA दल?

बसपा: बसपा का गठन 1984 में हुआ था. दलित बसपा का प्रमुख वोट बैंक माना जाता है. इससे पहले तक यूपी में यह कांग्रेस का वोट बैंक होता था. ऐसे में बसपा को डर है कि अगर वह कांग्रेस के साथ खड़ी होती है, तो उसकी बची हुई सियासी जमीनी भी खतरे में पड़ सकती है. इतना ही नहीं बायकॉट करने वाले दलों में समाजवादी पार्टी भी शामिल है. यूपी में सपा बसपा की प्रमुख प्रतिद्वंदी रही है. बसपा लगातार अपने खोए हुए वोट बैंक को वापस लाने में जुटी है. हाल ही में मायावती ने बसपा की बड़ी बैठक बुलाई थी. इस बैठक में चर्चा हुई थी कि कैसे पार्टी अपने पुराने दलित-मुस्लिम समीकरण को फिर से साध सकती है. ऐसे में वह अगर सपा के खड़ा होकर मोदी सरकार का विरोध करती है, तो उसके मंसूबों पर पानी फिर सकता है. 

शिरोमणि अकाली दल: 

शिरोमणि अकाली दल लंबे वक्त तक एनडीए में रहा है. पिछले साल किसानों के मुद्दे पर अकाली दल ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था. इसके बाद पंजाब चुनाव में बीजेपी और अकाली दल अलग अलग चुनाव लड़े थे. इस चुनाव में दोनों को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा. अब किसानों का मुद्दा खत्म हो गया है और अकाली दल और बीजेपी 2024 की तैयारियों में जुट गए हैं. ऐसे में अकाली दल ने भविष्य की राजनीति को ध्यान में रखकर बीजेपी के साथ आने का फैसला किया है. 

लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास): 

चिराग पासवान के नेतृत्व वाली पार्टी लोजपा ने भी मोदी सरकार का समर्थन किया है. चिराग पासवान लगातार नीतीश कुमार के खिलाफ हमलावर रहे हैं. उन्हें नीतीश-तेजस्वी के गठबंधन वाली सरकार में भी जगह नहीं मिली है. वहीं नीतीश बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने में लगे हैं. ऐसे में पिछले कुछ दिनों में चिराग पासवान की नजदीकी बीजेपी से बढ़ी है. वे पहले भी पीएम मोदी की खुलकर तारीफ करते रहे हैं. माना जा रहा है कि 2024 में वे बीजेपी का समर्थन भी कर सकते हैं.

वाईएसआर कांग्रेस: 

आंध्र के सीएम जगन मोहन रेड्डी ने कांग्रेस से अलग होकर ही अपनी पार्टी वाईएसआर का गठन किया था. इसके बाद उन्होंने राज्य में सरकार बनाई. ऐसे में वे भले ही एनडीए में शामिल न हों, लेकिन कई मुद्दों पर मोदी सरकार का समर्थन करते रहे हैं. इतना ही नहीं वे ऐसे विपक्षी मुद्दों पर भी किनारा करते रहे हैं, जहां कांग्रेस खड़ी होती रही है.

बीजद: 

ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजद प्रमुख नवीन पटनायक ने पिछले दिनों विपक्षी एकता में जुटे नीतीश कुमार से मुलाकात की थी. हालांकि, इस मुलाकात के बाद उन्होंने साफ कर दिया था कि वे लोकसभा और विधानसभा में अकेले चुनाव लड़ेंगे. पटनायक की पूरी राजनीति कांग्रेस के खिलाफ रही है. इतना ही नहीं पटनायक ऐसे नेता माने जाते हैं, जिनका पूरा फोकस ओडिशा की राजनीति पर ही रहा है. केंद्रीय मुद्दों से वे अक्सर दूरी बनाकर चलते हैं. यही वजह है कि उन्होंने उद्घाटन समारोह में शामिल होने का ऐलान किया है.

तेलुगू देशम पार्टी: 

टीडीपी चीफ चंद्रबाबू नायडू ने कहा है कि वे संसद के उद्घाटन में शामिल होंगे. चंद्रबाबू नायडू की पार्टी एनडीए का हिस्सा रही है. हालांकि, 2019 लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था. लेकिन चर्चा है कि 2024 चुनाव में वे फिर से एनडीए के साथ आ सकते हैं. 

जनता दल (एस):

 कर्नाटक में हाल ही में विधानसभा चुनाव हुए हैं. इन चुनावों में पिछली बार की किंगमेकर रही जनता दल (एस) को बड़ा झटका लगा है. वहीं, कांग्रेस न सिर्फ पूर्ण बहुमत में सरकार बनाने में सफल रही है, बल्कि पार्टी ने जेडीएस के वोट बैंक में भी सेंध लगाया. ऐसे में अब जेडीएस को डर है कि अगर वह कांग्रेस के साथ खड़ी होती है, तो उसके बचे हुए वोट बैंक में भी कांग्रेस सेंध लगा सकती है. इतना ही नहीं कर्नाटक में जनता दल (एस) अब बीजेपी की तरह ही विपक्ष में है. ऐसे में पार्टी ने संसद के मुद्दे पर बीजेपी के साथ खड़े होने का फैसला किया है. 

 

समर्थन में आए दलों ने क्या तर्क दिए? 

जनता दल (सेक्यूलर) के सुप्रीमो और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने कहा कि वह 28 मई को नई दिल्ली में नए संसद भवन के उद्घाटन में भाग लेंगे. उन्होंने कहा कि यह देश की संपत्ति है और टैक्सपेयर्स के पैसे से बनाया गया है. उन्होंने विरोध करने वाली पार्टियों से पूछा कि क्या यह बीजेपी और आरएसएस का कार्यालय है जिसके उद्घाटन का बहिष्कार करना है? यह किसी का निजी कार्यक्रम नहीं है, यह देश का कार्यक्रम है.

शिरोमणि अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा, नए संसद भवन का उद्घाटन देश के लिए गर्व की बात है, इसलिए हमने फैसला किया है कि शिअद पार्टी उद्घाटन समारोह में शामिल होगी. हम विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए मुद्दों से सहमत नहीं हैं.

मेरी पार्टी तिहासिक कार्यक्रम में शामिल होगी- रेड्डी

आंध्र के सीएम जगन मोहन रेड्डी ने कहा, संसद, लोकतंत्र का मंदिर होने के नाते, हमारे देश की आत्मा को दर्शाती है और हमारे देश के लोगों और सभी राजनीतिक दलों की है. ऐसे शुभ आयोजन का बहिष्कार करना लोकतंत्र की सच्ची भावना के अनुरूप नहीं है. सभी राजनीतिक मतभेदों को दूर करते हुए, मैं अनुरोध करता हूं कि सभी राजनीतिक दल इस शानदार आयोजन में शामिल हों. लोकतंत्र की सच्ची भावना में मेरी पार्टी इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में शामिल होगी. 

क्या कहा मायावती ने?

मायावती ने कहा, केन्द्र में पहले चाहे कांग्रेस पार्टी की सरकार रही हो या अब वर्तमान में बीजेपी की, बीएसपी ने देश व जनहित निहित मुद्दों पर हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उनका समर्थन किया है. 28 मई को संसद के नये भवन के उद्घाटन को भी पार्टी इसी संदर्भ में देखते हुए इसका स्वागत करती है. 

उन्होंने कहा, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा नए संसद का उद्घाटन नहीं कराए जाने को लेकर बहिष्कार अनुचित. सरकार ने इसको बनाया है इसलिए उसके उद्घाटन का उसे हक है. इसको आदिवासी महिला सम्मान से जोड़ना भी अनुचित. यह उन्हें निर्विरोध न चुनकर उनके विरुद्ध उम्मीदवार खड़ा करते वक्त सोचना चाहिए था. 

मायावती ने कहा, देश को समर्पित होने वाले कार्यक्रम अर्थात नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का निमंत्रण मुझे प्राप्त हुआ है, जिसके लिए आभार और मेरी शुभकामनायें लेकिन पार्टी की लगातार जारी समीक्षा बैठकों सम्बंधी अपनी पूर्व निर्धारित व्यस्तता के कारण मैं उस समारोह में शामिल नहीं हो पाऊंगी.

चंद्रबाबू नायडू ने मोदी सरकार को दी बधाई

चंद्रबाबू नायडू ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में अपनी पार्टी के शामिल होने की बात कही. उन्होंने ट्वीट कर कहा, हमारा नया संसद भवन बना है, मैं एक हर्षित और गौरवान्वित राष्ट्र में शामिल होकर पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार और हर वह हाथ जिसने इस ऐतिहासिक ढांचे को बनाने में योगदान दिया है उनको बधाई देता हूं. मैं कामना करता हूं कि नया संसद भवन परिवर्तनकारी नीति और निर्णय लेने का स्थान बने. आजादी के 100 साल पूरे होने पर 2047 तक गरीबी मुक्त भारत का सपना पूरा हो जाएगा, जहां अमीर और गरीब के बीच की खाई पाट दी जाएगी.

बीजद ने कहा, पार्टी का हमेशा मानना रहा है कि ये संवैधानिक संस्थाएं किसी भी मुद्दे से ऊपर होनी चाहिए, जो उनके पवित्रता और सम्मान को प्रभावित कर सकता है. इस तरह के मुद्दों पर बाद में हमेशा बहस हो सकती है. इसलिए बीजेडी इस महत्वपूर्ण अवसर का हिस्सा होगी.

मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पिछले एक साल से जेल में बंद आप नेता सत्येंद्र जैन को सुप्रीम कोर्ट से राहत, मेडिकल ग्राउंड के आधार पर 42 दिन की जमा

आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने सत्येंद्र जैन को अंतरिम जमानत दे दी है। कोर्ट मेडिकल ग्राउंड के आधार पर जैन को 42 दिन की जमानत दी है। सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 30 मई 2022 को गिरफ्तार किया था। उन्हें 360 दिन बाद अंतरिम जमानत मिली है। 

सत्येंद्र जैन गुरुवार को तिहाड़ जेल के बाथरूम में चक्कर आने के बाद गिर गए थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल लाया गया था। जैन को डीडीयू अस्पताल से दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में शिफ्ट कराया गया था। यहां उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था। 

केजरीवाल ने केंद्र पर साधा था निशाना

सत्येंद्र जैन की तबीयत खराब होने की खबर के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा था कि जो इंसान जनता को अच्छा इलाज और अच्छी सेहत देने के लिए दिन-रात काम कर रहा था, आज उस भले इंसान को एक तानाशाह मारने पर तुला है। उस तानाशाह की एक ही सोच है - सबको ख़त्म कर देने की, वो सिर्फ़ “मैं” में ही जीता है। वो सिर्फ़ खुद को ही देखना चाहता है। भगवान सब देख रहे हैं। वो सबके साथ न्याय करेंगे. ईश्वर से सत्येंद्र जी के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं। भगवान उन्हें इन विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति दें।

सत्येंद्र जैन ने खटखटाया था SC का दरवाजा

सत्येंद्र जैन पिछले 1 साल से जेल में बंद हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले दिनों उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। जैन ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। SC में सुनवाई के दौरान जैन की ओर से पेश वकील ने बताया था कि सत्येंद्र जैन को अत्यधिक स्वास्थ्य समस्याएं हैं। उनका वजन 35 किलोग्राम कम हो गया है और अब वह कंकाल बन गए हैं।