*बीमार नवजात को त्वरित चिकित्सा देने में मददगार है एनबीएसयू*


गोरखपुर। जन्म से लेकर 28 दिन तक बच्चे की अवस्था को नवजात कहा जाता है और बीमारियों व संक्रमण की दृष्टि से यह अवस्था बेहद संवेदनशील होती है । इस अवस्था में अगर बच्चे में किसी भी प्रकार की बीमारी हो और त्वरित चिकित्सा मिल जाए तो उसके जीवन की रक्षा हो जाती है ।

इससे शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है । इस कार्य में अहम भूमिका निभा रहे हैं जनपद के पांच स्वास्थ्य इकाइयों पर सक्रिय न्यू बार्न स्टेबलाइजेशन यूनिट (एनबीएसयू), जहां वित्तीय वर्ष 2022-23 की अवधि में 402 बच्चों को भर्ती कराया गया । इन बीमार नवजात में से 197 बच्चे चिकित्सा इकाइयों से ही ठीक हो गये, जबकि 205 बच्चों को उच्च चिकित्सा संस्थानों में भेज कर उनके जीवन की रक्षा की गयी ।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि जिले में सहजनवां, बांसगांव, जंगल कौड़िया, कैम्पियरगंज और पिपराईच सीएचसी पर एनबीएसयू संचालित किया जा रहा है । इन इकाइयों पर प्रशिक्षित स्टॉफ नर्स तैनात की गयी हैं जो अलग-अलग शिफ्ट में बीमार नवजात की देखभाल करती हैं । समय-समय पर चिकित्सक भी इन नवजात के स्वास्थ्य की निगरानी करते हैं । अगर एनबीएसयू से कोई बच्चा रेफर किया जा रहा है तो उसके अभिभावकों को 102 नम्बर एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध कराने का भी प्रावधान है ।

पिपराईच ब्लॉक के कर्बला गांव की निवासी 50 वर्षीय शारदा की बहू सुंदरी का प्रसव सीएचसी पर छह माह पहले हुआ । शारदा बताती हैं कि संस्थागत प्रसव से पैदा हुआ शुभम उनका पहला पोता है । गर्भावस्था के दौरान सुंदरी की समस्त जांचें भी सीएचसी से ही हुई थीं। जब शुभम पैदा हुआ तो ठीक था। अगले दिन चिकित्सक ने बताया कि उसे पीलिया हो गया है । परिवार के लोग घबरा गये और बच्चे को लेकर किसी प्राइवेट अस्पताल जाना चाहते थे। सीएचसी की स्टॉफ नर्स रवीना ने उन्हें बताया कि बच्चा यहीं पर ठीक हो जाएगा, कहीं ले जाना नहीं पड़ेगा । शुभम को तीन दिन तक एनबीएसयू में रखा गया । वहां उसे दवाएं मिलीं और उसका स्तनपान भी जारी रहा । तीन दिन बाद वह ठीक हो गया । शारदा का कहना है कि इकाई की सेवाएं काफी अच्छी रहीं और स्टॉफ ने भी बच्चे की अच्छे से देखभाल की ।

पिपराईच सीएचसी के अधीक्षक डॉ मणि शेखर का कहना है कि सीएमओ डॉ आशुतोष कुमार दूबे और एसीएमओ आरसीएच डॉ नंद कुमार द्वारा एनबीएससीयू सम्बन्धित जो भी दिशा निर्देश मिलते हैं उनका पालन कराया जाता है । सहयोगी संस्थाएं यूनिसेफ और यूपीटीएसयू की मदद से भी इस इकाई की सेवाएं सुदृढ़ की जाती हैं ।

आवश्यकता पड़ने पर करते हैं रेफर

पिपराईच सीएचसी के एनबीएसयू की स्टॉफ नर्स रवीना बताती हैं कि उनके अलावा प्रीति और अनिता दो और नर्सेज एनबीएससीयू में सेवाएं दे रही हैं । यहां पर पीलिया ग्रसित, पैदा होने पर न रोने वाले बच्चे, बुखार पीड़ित बच्चे, कम वजन के नवजात और जन्म के समय गंर्भ का गंदा पानी पी लेने वाले बच्चे रखे जाते हैं । इस बात का ध्यान रखा जाता है कि अगर बच्चे का वजन 1800 ग्राम से भी कम है तो उसे उच्च चिकित्सा संस्थान रेफर कर दिया जाता है । बच्चे के इलाज के दौरान उसका स्तनपान भी जारी रखा जाता है । अगर मां एनबीएसयू में आने में असमर्थ है तो कटोरी में दूध लाकर स्टॉफ के द्वारा नवजात को पिलाया जाता है ।

समय समय पर होता है प्रशिक्षण

जिला मातृत्व स्वास्थ्य परामर्शदाता डॉ सूर्यप्रकाश का कहना है कि एनबीएसयू में कार्य करने वाली नर्सेज को समय समय पर प्रशिक्षित किया जाता है और नवजात की देखभाल की नवीनतम जानकारी दी जाती है । जिले में सबसे ज्यादा 60 बच्चे पिपराईच के एनबीएससीयू में ही स्वस्थ हो गये । कैम्पियरंगज में 56 और सहजनवां में 55 बच्चे इकाई से ही स्वस्थ होकर घर ले जाए गये ।

*स्कूल के बच्चों को एनडीआरएफ की टीम ने बताया आपदा प्रबंधन के गुण*


गोरखपुर।एनडीआरफ की टीम ने सोमवार को उपमहानिरीक्षक मनोज कुमार शर्मा के दिशा-निर्देशन में आपदा जोखिम से बचाव के लिए विभिन्न संस्थानों और हित धारको को सशक्त बनाने के लिए बृहद पैमाने पर मॉक अभ्यास,क्षमता निर्माण कार्यक्रम व जन जागरूकता का अभियान चला रही है।इसके साथ ही शिक्षण संस्थानों में आपदा से बचाव के लिए स्कूलों में स्कूल सुरक्षा एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रही है।

उसी कड़ी हमें सोमवार को एनडीआरएफ के निरीक्षक सुधीर कुमार की अगुवाई में सेंट जूड स्कूल के बच्चों को एनडीआरएफ की टीम द्वारा स्कूल सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया गया।इस दौरान एनडीआरफ के प्रशिक्षित एवं अनुभवी टीम द्वारा भूकंप बाढ़ में बचाव के तरीके,फायर सेफ्टी, अकाशी बिजली से बचाव, सीपीआर,गले में फंसी बाहरी वस्तुओं के निकालने के तरीके शारीरिक चोटों का अस्पताल पूर्व उपचार,तत्कालिक स्ट्रेचर बनाना लिफ्टिंग और मूविंग के तरीके इंप्रोवाइजड फ्लोटिंग डिवाइस(राफ्ट) बनाना स्कूल सुरक्षा ड्रिल ,दामिनी ऐप, सचेत एप ,इंस्टॉलेशन और उपयोग आदि विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

एनडीआरफ टीम ने वर्तमान समय में बढ़ रही भीषण गर्मी और लू से बचाव के तरीके के बारे में भी जानकारी दी और साथ ही पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने के लिए स्कूल के बच्चों और स्टॉफ को जल संरक्षण और वृक्षारोपण के लिए भी प्रेरित किया। इस कार्यक्रम में सेंट जूड स्कूल के बच्चों शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और राहत बचाव की बारीकियों को जाना। अवसर पर प्रधानाचार्य डेविड सिरिल,अध्यापक अभय दीप जॉनसन,अर्नोल्ड लेसी,अध्यापिका नवनीता मिश्रा, सारिया बानो एवं और स्कूल के लोग मौजूद रहे।

*स्कूल के बच्चों को एनडीआरएफ की टीम ने बताया आपदा प्रबंधन के गुण*


गोरखपुर।एनडीआरफ की टीम ने सोमवार को उपमहानिरीक्षक मनोज कुमार शर्मा के दिशा-निर्देशन में आपदा जोखिम से बचाव के लिए विभिन्न संस्थानों और हित धारको को सशक्त बनाने के लिए बृहद पैमाने पर मॉक अभ्यास,क्षमता निर्माण कार्यक्रम व जन जागरूकता का अभियान चला रही है।इसके साथ ही शिक्षण संस्थानों में आपदा से बचाव के लिए स्कूलों में स्कूल सुरक्षा एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रही है।

उसी कड़ी हमें सोमवार को एनडीआरएफ के निरीक्षक सुधीर कुमार की अगुवाई में सेंट जूड स्कूल के बच्चों को एनडीआरएफ की टीम द्वारा स्कूल सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया गया।इस दौरान एनडीआरफ के प्रशिक्षित एवं अनुभवी टीम द्वारा भूकंप बाढ़ में बचाव के तरीके,फायर सेफ्टी, अकाशी बिजली से बचाव, सीपीआर,गले में फंसी बाहरी वस्तुओं के निकालने के तरीके शारीरिक चोटों का अस्पताल पूर्व उपचार,तत्कालिक स्ट्रेचर बनाना लिफ्टिंग और मूविंग के तरीके इंप्रोवाइजड फ्लोटिंग डिवाइस(राफ्ट) बनाना स्कूल सुरक्षा ड्रिल ,दामिनी ऐप, सचेत एप ,इंस्टॉलेशन और उपयोग आदि विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

एनडीआरफ टीम ने वर्तमान समय में बढ़ रही भीषण गर्मी और लू से बचाव के तरीके के बारे में भी जानकारी दी और साथ ही पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने के लिए स्कूल के बच्चों और स्टॉफ को जल संरक्षण और वृक्षारोपण के लिए भी प्रेरित किया। इस कार्यक्रम में सेंट जूड स्कूल के बच्चों शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और राहत बचाव की बारीकियों को जाना। अवसर पर प्रधानाचार्य डेविड सिरिल,अध्यापक अभय दीप जॉनसन,अर्नोल्ड लेसी,अध्यापिका नवनीता मिश्रा, सारिया बानो एवं और स्कूल के लोग मौजूद रहे।

मदरसा हुसैनिया में हज यात्रियों ने एक साथ पढ़ा 'लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक'


गोरखपुर। दीवान बाजार स्थित मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार में शनिवार को तहरीक दावते इस्लामी इंडिया की ओर से हज प्रशिक्षण का आयोजन हुआ। पूरा मदरसा हुसैनिया ‘लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक’ से गूंज उठा। मक्का व मदीना शरीफ में इबादत, जियारत व ठहरने का तरीका, हज के फराइज, हज के पांच अहम दिन व हज का अमली तरीका बताया गया। शहर और देहात से आए सैकड़ों लोगों ने हज के अरकान की बारीकियां सीखीं। हज ट्रेनिंग पर आधारित थ्रीडी एनिमेशन फिल्म व एलईडी स्क्रीन के द्वारा हज का तरीका और हज के मुकद्दस मकामात को दिखाकर हज यात्रियों को प्रशिक्षित किया गया। हज यात्रियों को घर से रवाना होने से लेकर लौटकर आने तक के सारे मसलों और उनके हल के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी गई। प्रशिक्षण में महिलाओं ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। महिलाओं के मसलों पर भी विस्तृत चर्चा हुई।

प्रशिक्षक हाजी मो. आज़म अत्तारी ने बताया कि हज में सात चीजों की अदायगी पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है। जो हज के फर्ज कहलाते हैं। हज के सात फर्ज हैं पहला "एहराम" (हज का खास लिबास), दूसरा "नियत", तीसरा "वुकूफ-ए-अरफात" (मैदान-ए-अरफात में ठहरना), चौथा "तवाफ-ए- जियारत" (काबा शरीफ का सात चक्कर), पांचवां "तरतीब"(सभी अरकान क्रमवार अदा करना), छठां "मुकर्रर वक्त", सातवां "निश्चित जगह"। इसमें से अगर कोई अदा करने से रह गया तो हज अदा न होगा। हज बेहद अहम इबादत है। इसमें सबसे अहम खुलूस है। हज-ए-मबरूर अल्लाह की रज़ा के लिए है। पैगंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि हज-ए-मबरूर करने वाला ऐसा होता है मानो आज ही मां के पेट से पैदा हुआ हो। उसके सभी गुनाह माफ हो जाते हैं। हज दीन-ए-इस्लाम का अहम फरीजा है। इसे खुलूस दिल से अदा करना चाहिए।

उन्होंने प्रैक्टिकल के जरिए हज अदा करने के एक-एक अरकान को बारीकी से बताया। साथ ही कुर्बानी से लेकर सिर मुंडाने तक के मसाइल बताए। मुकद्दस मकामात पर पढ़ी जाने वाली दुआओं पर भी रोशनी डाली। रौजा-ए-रसूल हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर सलातो-सलाम पेश करने का तरीका व अदब बताया। दीन-ए-इस्लाम के पहले खलीफा हज़रत अबू बक्र रदियल्लाहु अन्हु व दूसरे खलीफा हजरत उमर रदियल्लाहु अन्हु की आरामगाह पर सलाम पेश करने का तरीका भी बताया साथ ही मस्जिद-ए-नबवी व जन्नतुल बकी कब्रिस्तान की अहमियत बताई।

हज यात्रियों को 'रफीकुल हरमैन' किताब मुफ्त बांटी गई। कुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। नात-ए-रसूल पेश की गई। अंत मेे सलातो-सलाम पढ़कर कौमो मिल्लत व मुल्क में अमन व सलामती की दुआ मांगी गई।प्रशिक्षण में मुफ्ती-ए-शहर अख्तर हुसैन, मो. फरहान अत्तारी, वसीउल्लाह अत्तारी, हाफिज नज़रे आलम कादरी, रमज़ान अत्तारी, मो. शहजाद अत्तारी, महताब अत्तारी, मो. कैफ, अरशद आदि मौजूद रहे।

*”भागवत कथा से मिलता है प्रेम-भक्ति का मार्ग”, कृष्णजन्म की कथा सुन झूम उठे श्रद्धालु*


गोरखपुर- कंस के अन्याय और अत्याचारों से सिर्फ मथुरा, वृंदावन और गोकुलवासी ही नहीं उसके पिता महाराज उग्रसेन, माता महारानी पद्मावती, बहन देवकी, बहनोई वसुदेव समेत सभी प्रजाजनों में भय व्याप्त था। उसके पाप कर्मों से धरा व्याकुल हो उठीं थी। आकाशवाणी और अपनी मृत्यु के भय से कंस ने अपनी बहन देवकी की 7 संतानों को मार डाला था। ऐसे अधर्म और कठिन समय में कंस के कारागार मथुरा में भगवान कृष्ण का देवकी के गर्भ से अवतार हुआ।

खजनी कस्बे के निकट रूद्रपुर गांव में श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के चौथे दिन व्यास पीठ से पंडित श्रीधर शुक्ला ने कृष्ण जन्म की कथा का विस्तारपूर्वक वर्णन करते हुए श्रद्धालु श्रोताओं को बताया कि भागवत कथा संसार के सभी जीवों के प्रति दया और करूणा की भावना बढाने अन्याय अत्याचार का प्रतिकार करने और सृष्टि के कण-कण में विद्यमान ईश्वर की अनुभूति कराने वाली है। कथा सुनने वाले सहज रूप में ही अपने मानव जीवन की सार्थकता को पा लेते हैं उन्हें ईश्वर की कृपा प्रेम तथा भक्ति का मार्ग मिल जाता है।

संगीतमय कथा में जन्मोत्सव के दौरान लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत बधाई और मांगलिक भजन गीतों पर लोग झूमते रहे। 'नंद घर आनंद भयो' गीत पर श्रद्धालु झूम उठे और पांडाल में ठुमके लगाए।

मुख्य यजमान जयप्रकाश तिवारी, कमलावती देवी, सुशील, सुनील, सुधीर, आलोक, रवि शंकर, शिवाजी, सुशीला, मुस्कान, पूजा, शीतल, अनमोल, अर्चना, राकेश, कृष्ण प्रताप, अनुभव, गोपाल समेत दर्जनों लोग मौजूद रहे।

*कार्यक्रमों के बीच मनाया गया अंतरराष्ट्रीय मिडवाइफरी दिवस*


गोरखपुर । महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित गुरु श्री गोरक्षनाथ कॉलेज ऑफ नर्सिंग के तत्वावधान में शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मिडवाइफरी दिवस के उपलक्ष्य में नर्सिंग कॉलेज और जिला अस्पताल में अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

नर्सिंग कॉलेज में प्रधानाचार्या डॉ डीएस अजीथा व उप प्रधानाचार्या मिसेज प्रिंसी जॉर्ज विद्यार्थियों को मिडवाइफरी की महत्ता बताने के साथ उन्हें कई व्यावहारिक जानकारियां दीं। प्रधानाचार्या डॉ अजीथा ने नेचुरल बर्थिंग, मिडवाइफरी स्किल्स तथा डिलीवरी के बारे मे विस्तार से अवगत कराया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मिडवाइफरी सेवा चिकित्सा तंत्र का अभिन्न अंग है। इस सेवा की सराहना के लिए प्रति वर्ष इंटनेशनल डे फ़ॉर मिडवाइफ मनाया जाता है।

इस कार्यक्रम में पुराने विद्यार्थियों अनु यादव, बबली यादव, अनुराधा मौर्य और रेनू सिंह ने अपनी मिडवाइफरी सेवा का अनुभव साझा किया।

उधर जिला अस्पताल में अयोजित कार्यक्रम मे एएनएम के 54 विद्यार्थियों द्वारा रोल प्ले और मास हेल्थ एजुकेशन से नेचुरल बर्थिंग और एंटीनेटल विजिट के बारे मे अवगत कराया गया। कार्यक्रम प्रभारी सुश्री श्वेता अल्बर्ट, सलोनी गुप्ता, मिसेज संगीता, मिस सोनी के नेतृत्व के संपन्न हुआ।

*मतदान के बाद सपा कार्यकर्ता स्ट्रांग रूम की तरह रखवाली*


गोरखपुर। समाजवादी पार्टी की मेयर प्रत्याशी श्रीमती काजल निषाद ने बताया कि कई दिनों की चुनावी व्यस्तता के बाद ऐसा महसूस हो रहा है जैसे युद्ध के बाद शांति, आज काफी रिलैक्स माहौल रहा है कई दिनों बाद आज 8:00 बजे तक सोई रही, जगने के बाद समाचार पत्रों को पढने के उपरांत अपने लोगो से चुनावी चर्चा हुई आवास पर आए हुए मीडिया के साथियों से बातचीत किया पहले की बनाई हुई अधूरी बाल पेंटिंग को पूरा किया प्लांट की देखभाल किया।

काफी दिनों बाद परिवार के साथ समय बिताया,उसके बाद हमारे एक कार्यकर्ता साथी को चोट लग गई थी सेवई बाजार जाकर उनसे मिलकर उनका हालचाल लिया वहां से सतर्कता बरतने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय में स्ट्रांग रूम की रखवाली कर रहे पार्टी नेताओं से जाकर मुलाकात किया उसके बाद पार्टी कार्यालय पहुंचकर पार्टी नेताओं कार्यकर्ताओं से मिली तत्पश्चात मतगणना की तैयारियों में जुट गई हूं पार्टी के नेतागण व कार्यकर्तागण सतर्कता बरतने के उद्देश्य से कल से ही स्ट्रांग रूम की रखवाली में जुटे हुए हैं रखवाली के लिए कई टीमें बनाई गई है।

रखवाली करने वालों में प्रमुख रूप से पार्टी जिलाध्यक्ष बृजेश कुमार गौतम कृष्ण कुमार त्रिपाठी पूर्व जिलाध्यक्ष रजनीश यादव पूर्व जिलाध्यक्ष नगीना प्रसाद साहनी अखिलेश यादव तूफानी निषाद खरभान यादव गवीश दुबे रामा यादव धनंजय सिंह सैंथवार हाजी शकील अंसारी सत्येंद्र गुप्ता आनंद राय आशुतोष गुप्ता संतोष यादव अनूप यादव ईश्वर अविनाश तिवारी संजय निषाद कपिल मुनि यादव अनुज प्रताप यादव शादाब सामान्य आजम लारी भूपेंद्र सरकार सहित नेता कार्यकर्ता कल से ही रंग रूप की रखवाली में जुटे हुए हैं।

*मई की गर्मी में मिलेगा आध्यात्मिक फुहार का विशेष आनंद*


गोरखपुर। श्री गोरखनाथ मंदिर, गोरखपुर प्राचीन काल से ही धर्म, संस्कृति, अध्यात्म की शीतल बयार सतत प्रवाहमान रहती है पर, मई माह की गर्मी में गोरखपुरवासियों को आध्यात्मिक फुहार का विशेष आनंद भी मिलेगा। गोरखनाथ मंदिर परिसर में बने नव देव-मंदिरों में विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में 8 मई से 21 मई तक दो चरणों में अलग-अलग कथाएं होने जा रही हैं। 8 मई से शिव महापुराण की कथा होगी तो 15 मई से श्रीमद्भागवत कथा।

21 मई को कथा एवं अन्य धार्मिक अनुष्ठान की पूर्णता के साथ मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ सभी देव विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। गोरक्षपीठ में नौ देव विग्रहों वाला नवीन मंदिर बनकर तैयार हो चुका है। प्राण प्रतिष्ठा के संदर्भ में धार्मिक अनुष्ठानों का शुभारंभ आठ मई से होगा। दो सप्ताह के दौरान लक्ष्मीनारायण महायज्ञ, शिव महापुराण कथा व श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का आयोजन होगा। कथारस के अभिसिंचन के लिए सुपरिचित कथावाचक बालकदास जी महाराज और डॉ. श्याम सुंदर पराशर जी मंदिर परिसर पधारेंगे।

पहले चरण में शिव महापुराण की कथा वाचन 8 से 14 मई तक बालकदास जी करेंगे। जबकि दूसरे चरण में 15 से 21 मई तक विद्वतप्रवर श्रीधाम वृंदावन,मथुरा के डॉ श्याम सुंदर पराशर श्रीमद्भागवत कथा सुनाएंगे। शिव महापुराण की कथा का श्रवण अपराह्न 3.00 बजे से 6.00 बजे तक तथा श्रीमद्भागवत कथामृत का पान अपराह्न 3.00 बजे से 6.00 बजे तक किया जा सकेगा। अलग-अलग तिथियों में कथाएं गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में होंगी।

गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ ने बताया कि देव विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा के आनुष्ठानिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में 15 मई से 21 मई तक श्री श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का आयोजन गोरखनाथ मंदिर की यज्ञशाला में होगा। इसमें अलग-अलग धार्मिक अनुष्ठान होंगे। यज्ञाचार्य की भूमिका का निर्वहन मंदिर के मुख्य पुरोहित पंडित रामानुज त्रिपाठी वैदिक करेंगे।

*प्रसव के तुरंत बाद परिवार नियोजन के मनपसंद साधन का करें चुनाव*


गोरखपुर । पहली बार जब महिला गर्भधारण करती है तो घर में खुशियों का माहौल होता है और पहला बच्चा होने के बाद खुशी से सराबोर इन पलों में कई बार कुछ चूक भी हो जाती है । पहले बच्चे के तुरंत बाद परिवार नियोजन के किसी साधन का चुनाव न करने से तीन साल पहले ही पुनः गर्भधारण भी एक ऐसी चूक है जो मां और बच्चे दोनों की सेहत पर नकारात्मक असर डालती है।

इस समस्या के प्रति योग्य दंपति को जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग वीडियो संदेश का सहारा ले रहा है । दो मिनट छह सेकेंड के इस वीडियो संदेश में बताया गया है कि प्रसव के डेढ़ माह बाद ही मां के पुनः गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए परिवार नियोजन के किसी न किसी साधन का चुनाव आवश्यक है ।

शाहपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ नीतू बताती हैं कि प्रसव के बाद स्तनपान कराने और प्रसव के कारण मां में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है । इसे पूरा होने में औसतन तीन साल का समय लग जाता है । ऐसे में पहले प्रसव के बाद दूसरी बार गर्भधारण तीन साल के अंतराल पर ही करना चाहिए । प्रसव के बाद जल्दी गर्भधारण से मां और नवजात शिशु के साथ साथ होने वाले बच्चे पर भी नकारात्मक असर पड़ता है । मां में एनीमिया और कुपोषण जबकि बच्चे का कम वजन का पैदा होना, शीघ्र गर्भधारण का दुष्परिणाम हो सकता है। पहले बच्चे को भी पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता है और अक्सर उसका स्तनपान भी बंद हो जाता है, जिससे उसका विकास भी नहीं हो पाता ।

खोराबार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी श्वेता पांडेय ने बताया कि वीडियो संदेश ब्लॉक के तीन सौ से ज्यादा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं खासतौर पर आशा, एएनएम व सीएचओ के बीच साझा किया जा चुका है । उनसे कहा गया है कि उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (यूपीटीएसयू) के जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ द्वारा साझा किये गये इस वीडियो संदेश को लाभार्थियों तक अवश्य पहुंचाए । इसी ब्लॉक क्षेत्र की अमहिया गांव की (32) आशा कार्यकर्ता रंजना बताती हैं कि पहले लाभार्थी को परिवार नियोजन के प्रति प्रेरित करने में दिक्कत होती थी लेकिन वीडियो संदेश के जरिये उन्हें समझाना आसान होता है। ऐसे संदेश को हम योग्य दंपति को व्यक्तिगत तौर पर फारवर्ड कर देते हैं।

नहीं हो सका बच्चे का विकास

महानगर से सटे नौसढ़ की रहने वाली राधिका (26) (बदला हुआ नाम) की शादी मई 2019 में हुई । उन्होंने जानकारी के अभाव में परिवार नियोजन के किसी साधन का इस्तेमाल नहीं किया और उनको पहला बेटा वर्ष 2020 में पैदा हुआ । उन्होंने साधन इस्तेमाल न करने की गलती दोबारा की और नतीजा यह हुआ कि साल भर के भीतर दोबारा गर्भधारण हो गया । वह बताती हैं कि इसका नुकसान यह हुआ कि पहले बेटे का स्तनपान बंद हो गया और उसका शारीरिक विकास नहीं हो सका । दूसरी बच्ची वर्ष 2021 में हुई। एक परिचित की सलाह पर पिपरौली सीएचसी पर जाकर आईयूसीडी के साधन का चुनाव कर लिया । वह बताती हैं कि दो बच्चों के बाद जो निर्णय उन्होंने लिया अगर पहले बच्चे के बाद ही ले लिया होता तो उनका बड़ा बेटा कम से कम दो साल तक स्तनपान कर पाता । जो गलती उन्होंने की वह किसी और को नहीं करना चाहिए ।

इन साधनों का कर सकते हैं चुनाव

• एक बच्चे के बाद दूसरा बच्चा न चाहने वाली महिला प्रसव के तुरंत बाद या सात दिन के भीतर नसबंदी करवा लें ।

• तीन साल बाद दूसरे बच्चे की इच्छा रखने वाले दंपति प्रसव के तुरंत बाद कंडोम, छाया या पीपीआईयूसीडी का चुनाव करें।

• प्रसव के डेढ़ महीने बाद अंतराल आईयूसीडी,अंतरा, स्थायी साधन नसबंदी का भी चुनाव किया जा सकता है।

आशा को प्रोत्साहन राशि का प्रावधान

अगर किसी आशा के प्रयास से कोई महिला शादी के दो साल बाद गर्भधारण करती है तो आशा को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। साथ ही यदि आशा की बात मानकर कोई दंपति अपने दो बच्चों में तीन वर्ष का अंतर रखता है तो संबंधित आशा को 500 रुपये दिए जाते हैं। एक या दो बच्चों के बाद आशा की प्रेरणा से यदि कोई दंपति नसबंदी अपनाता है तो 1000 रुपये अतिरिक्त देने की योजना है।

डॉ नंद कुमार, एसीएमओ आरसीएच

*उपच्छाई चंद्रग्रहण 5 मई को, जाने कब से कब तक*


गोरखपुर। चंद्रमा पृथ्वी का एक एकलौता प्राकृतिक उपग्रह है, जिसे आसानी से पृथ्वी से रात के समय देखा जा सकता है और करीब होने के कारण रात्रि आकाश का सबसे चमकदार पिंड होता है। चंद्रमा की अपनी स्वयं की कोई रोशनी नहीं होती है और यह सूर्य की रोशनी से ही प्रकाशमान होता है।

पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और उसी तरह से चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए सूर्य की परिक्रमा करता है। चंद्रमा का परिक्रमा पथ पृथ्वी के तल से लगभग 5° झुका हुआ है। इन तीनों पिंडो के एक दूसरे की परिक्रमा करने के कारण कभी कभी तीनों पिंड एक सीधी रेखा में और एक ही तल संरेखित हो जाते है। इस स्थिति को सिज्गी (Syzgee) की स्थिति कहते है ।

इस स्थिति में या तो सूर्य ग्रहण की खगोलीय घटना घटित होती है या चंद्र ग्रहण की खगोलीय घटना घटित होती है। चंद्र ग्रहण में सूर्य एवम् चंद्रमा के मध्य पृथ्वी आ जाती है जिसके फलस्वरूप पृथ्वी की छाया पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पर पड़ती है। जिससे चंद्रमा की रोशनी क्षीण होती नजर आती है या प्रकाश के पृथ्वी के वायुमंडल से प्रकीर्णन के कारण सुर्ख लाल रंग का चंद्रमा भी नजर आता है।

सूर्य पृथ्वी से 109 गुना बड़ा है और गोल है इसलिए पृथ्वी की परछाई दो शंकु बनाती है। इस प्रकार पृथ्वी की छाया भी दो प्रकार की होती है।

1. अंब्रा या मुख्य छाया या प्रच्छाया

2. पेनंब्रा या उपच्छाया

पृथ्वी की मुख्य छाया शंकु के आकार का अंधकार मय क्षेत्र होता है। छाया के अंदर और सबसे गाढ़ा भाग है, जहां प्रकाश स्रोत पूरी तरह से उस पिण्ड या वस्तु से अवरुद्ध है। यदि इस छाया के संपर्क में चंद्रमा आता है तो आंशिक या पूर्ण चंद्रग्रहण लगता है ।

जबकि पेनंब्रल या उपच्छाया penumbra वह क्षेत्र है जिसमें प्रकाश स्रोत केवल आंशिक रूप से ढका होता है। इसमें प्रकाश छितराया होता है । इसका क्षेत्रफल अम्ब्रा के क्षेत्रफल से बड़ा होता है। पेनंब्रा अम्ब्रा को चारों और से घेरा होता है । हल्की छाया वाला क्षेत्र पेनंब्रा क्षेत्र होता है । ग्रहण लगते समय चंद्रमा हमेशा पश्चिम की ओर से पृथ्वी की प्रच्छाया (Umbra) में प्रवेश करता है इसलिए सबसे पहले इसके पूर्वी भाग में ग्रहण लगता है और यह ग्रहण सरकते हुए पूर्व की ओर से निकल कर बाहर चला जाता है।

उपच्छायी चंद्रग्रहण में चंद्रमा के प्रकाश में नग्न आंखों से कोई अंतर दिखाई नही देता । इस घटना को रिकॉर्ड करने के लिए वैज्ञानिक फोटोमेट्री मैथड का प्रयोग करते है और प्रकाश के छोटे छोटे अणुओं या फोटोंस की संख्या,ग्रहण से पूर्व तथा ग्रहण के समय, को काउंट कर तथा तुलना कर के ये बताते है कि ग्रहण में कितने प्रतिशत प्रकाश कम हुआ है । चूंकि प्रकाश कम होने का प्रतिशत बहुत ही ज्यादा कम होता है अतः जन सामान्य को नग्न आंखों से चंद्रमा के प्रकाश में कोई परिवर्तन नहीं दिखाई देता है। ज्योतिष में भी इस प्रकार के ग्रहण का कोई सूतक नहीं माना जाता ।

भारत वर्ष में उपच्छायी चंद्र ग्रहण दिनांक 5 मई 2023 को रात्रि में 8.45 से 1.02 बजे तक दिखाई देगा । इसे ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, साउथ/ईस्ट अमेरिका, यूरोप और सम्पूर्ण एशिया में देखा जाएगा। अगला सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर को तथा अगला चंद्र ग्रहण दिनांक 29 अक्टूबर 2023 को आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। अगला पेनंबरल चंद्र ग्रहण 24 - 25 मार्च 2024 तथा 20-21 फरवरी 2027 को घटित होगा ।

वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला द्वारा विशेष दूरबीन के माध्यम से इस खगोलीय घटना का अवलोकन कराया जायेगा। अधिक जानकारी के लिए नक्षत्र शाला में अमर पाल, खगोलविद तथा महादेव पांडे, नक्षत्रशाला प्रभारी से संपर्क कर सकते है।