*समुद्र का सागर है श्रीमद्भागवत कथा - अन्तरराष्ट्रीय सन्त राजेन्द्र जी महराज*
अमेठी- श्रीमत परमहंस आश्रम टीकर माफी की तपस्थली पर श्रीमद्भागवत कथा सुन रहे है। समुद्र सागर श्रीमद्भागवत है। कलयुग के कल्याण कारक औषध है। कलवा बाधकर श्रीमद्भागवत कथा जीवन जरूर सुने। कथा को अपने घर मे अट्ठारह हजार श्लोक को पंडित से सुने। तो भी भगवत का लाभ मिलेगा।
कथा व्यास आचार्य अन्तरराष्ट्रीय सन्त राजेन्द्र जी महराज कथा सुनाते है कि भगवान श्रीकृष्ण ने गरधर भगवान को छप्पन भोग का प्रसाद खिला रहे है। बलराम भगवान कहते है कि लगता भोग नही मिलेगा। बस भगवान बस भगवान श्रीकृष्ण ने भोग खिलाना बन्द हो गया। गोवर्धन भगवान ने छप्पन भोग ग्रहण करना बन्द कर दिए। भगवान इन्द्र की खबर मिल गया। खबर करो। कि क्या है। भगवान इन्द्र को जानकारी मिली कि भगवान श्रीकृष्ण ने आपकी पूजा बन्द करवा कर ली। भगवान इन्द्र नाराज हो गए। भगवान इन्द्र ने कहा कि प्रलाय ला दो। फिर प्रलाप ला दिए। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी अंगुली पर भगवान गिरधर पर्वत को उठा लिए। बृजवासी ने गोवर्धन पर्वत को लाठी पर थाम लेगे। भगवान श्रीकृष्ण ने अंगुली हटायी। तो लाठिया बृजवासियो की टूटने लगी। बृजवासियो ने गुहार लगाई। कि भगवान श्रीकृष्ण ने अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। बृजवासी की ताकत आ गयी। तो मै गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। सात दिन किशोरी जी ने गोवर्धन पर्वत को अपनी पलको पर टांग दिया। अगस्त ऋषि को भगवान श्रीकृष्ण ने आमंत्रण दिया। कि बृजमण्डल आओ। सुखदेव ऋषि ने महराज परीक्षित को कथा सुनाते बताया कि भगवान राम ने अगस्त ऋषि को भोजन के लिए आमंत्रण दिया।
जानकी जी भोजन खिलाते खिलाते परेशान हो गए।भगवान गणेश को पसीना आ गया रिद्धि और सिद्धी को बुलाया। लेकिन अगस्त ऋषि ने छप्पन भोग खा रहे है। जानकी जी परेशान हो गई। ऐसा अतिथि ना बुलाये। तो श्री राम ने अगस्त ऋषि को छप्पन भोग पर विराम लगाना का ईशारा किया और अगस्त ऋषि ने पानी मांगा। तो जानकी जी ने कहा कि मै पानी नहीं पिला पाऊंगी। सुखदेव ऋषि ने द्वापर मे छप्पन भोग अगस्त ऋषि ने ग्रहण किया था। लेकिन त्रेतायुग मे अगस्त ऋषि को गोवर्धन पर्वत के प्रलय होने पर पानी पीने के बुलाया कि अगस्त ऋषि समुद्र तीन बार पी गये। ओम केशव नमः,ओम माधव नमः,ओम नारायणय नमः !
तीन बार समुद्र के पानी को अगस्त ऋषि पान कर लिए थे। अब अगस्त ऋषि ने मथुरा-वृंदावन का पानी पी गये।ब्रह्म जी चले गए। भगवान इन्द्र दस श्लोक मे स्तुति किये। ब्रह्म जी भगवान इन्द्र को माफ कर दिए। राम कथा,भगवत कथा श्रावण कराते है। तीन घण्टे ठाकुर जी की कथा मे डूबे रहते है। घर मे तीन घण्टे घर मे ठाकुर जी के भजन-कीर्तन मे नही बैठ सकते है। मै सदा अपने प्रेमी के साथ चौबीस घण्टे रहता हूँ। लग रही आश बृज के मण्डल मे बस जाओ। लेकिन बृज वही निवास करेगा। जिसे राधा रानी चाहेगा। राधीरानी,यमुना रानी,बृजरेतीरानी की कृपा होने पर रह जाती है। कलयुग मे मनुष्य दोष देखता है। यह कलयुग का परम प्रतापा! मानस कुन्ज हो नही पाता! मन से भगवान श्रीकृष्ण के पास रहे। भोग का चिन्तन चल रही। सन्त ,गुरु देव के सानिध्य मे हो तो परमात्मा को याद कर लो। लंका मे भी बिभीषण भजन-कीर्तन और भक्ति भाव से भगवान श्री राम की पूजा करते थे। लंका को अयोध्या बना दो। कभी उनके शरण मे जाकर देखे। भगवान श्रीकृष्ण का विवाहोत्सव का संजीव कथा सुनी।
कथा श्रवण मे मंच स्वामी 1008 श्री हरि चैतन्य ब्रह्मचारी महराज,हर्ष चैतन्य महराज,स्वामी कटटर महराज,मुख्य यजमान पंडित अवधेश नारायण पाण्डेय सपत्नीक कमलेश पाण्डेय के साथ मौजूद रहे। कार्यक्रम मे भाजपा नेता काशी प्रसाद तिवारी,विधायक राकेश प्रताप सिंह, प्रधान शीतला प्रसाद तिवारी,जिला पंचायत सदस्य जगन्नाथ पाण्डेय आदि के साथ ही साथ हजारो श्रद्धालुओ की भीड अमृत वर्षा का पान किये।
Apr 16 2023, 14:21