विश्वास : रामायण काल से जुड़ा है बोकारो का इतिहास, वनवास के दौरान यहां रूके थे प्रभु राम, अब भी हैं पैरों के निशान
बोकारो : मृगखोह में थोड़ी दूरी पर प्रभु श्रीराम के दोनों पैर के निशान हैं. दाएं पैर के निशान वाली जगह पर मंदिर बनाने का कार्य प्रारंभ किया गया है. दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं.
जिले के कसमार प्रखंड अंतर्गत मृगखोह में प्रभु श्रीराम के पद चिह्न मौजूद हैं. दूर-दूर से लोग इनके दर्शन और पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं. यह स्थान पहाड़ी पर हरी भरी वादियों के बीच बसा है. प्रकृति का मनोरम दृश्य है. यहां आने वाले लोगों का पूजा अर्चना के साथ-साथ घूमना फिरना भी हो जाता है.
मृगखोह में थोड़ी दूसरी परप्रभु श्रीराम के दोनों पैर के निशान हैं. दाएं पैर के निशान वाली जगह पर मंदिर बनाने का कार्य प्रारंभ किया गया है. वहीं, बाएं पैर वाली जगह पर भी मंदिर बनाया जाएगा. इसके अलावा यहां पर हनुमान जी और प्रभु राम और माता सिता का मंदिर है. मंदिर के पास एक जल कुंड है. जिससे 24 घंटे ठंडा पानी बहता रहता है.
लोक मान्यता के अनुसार भगवान श्री राम अपने वनवास के दौरान कुछ समय यहां बिताए थे. उसी दौरान के उनके पैरों के निशान अब भी मौजूद हैं. जिले देखने दूर-दूर से लोग आते हैं. लोगों को यह भी मानना है कि मंदिर के पास जहां से झरना बहता है, उस जगह पर शिकार के दौरान प्रभु राम की तीर लगी थी. जिसके बाद यहां से झरना बहने लगा.
सभी मनोकामनाएं होती हैं पूरीइस देवस्थल पर के संरक्षक मंगरू महतो ने बताया कि वह बीते 20 साल से इस देवस्थान की देखभाल व पूजा अर्चना कर रहे हैं.
उनसे पहले उनके पिता इस काम से जुड़े थे. उन्होंने बताया कि यहां दूर दराज से लोग पूजा के आते हैं. लोगों की यहां काफी आस्था है. सच्चे मन से मांगे गए सभी मनोकामनाएं यहां पूर्ण होती हैं.
स्थानीय अमित, गोपान और मोहन ने बताया कि यहां मूलभूत सुविधा जैसे पानी, बिजली और शौचालय की व्यवस्था नहीं होने से आने वाले लोगों को परेशानी होती है. यदि सरकार इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करे तो यह जगह और लोकप्रिय हो जाएगा. उन्होंने बताया कि यहां मंदिर के साथ-साथ प्रकृति का सुंदर नजारा है. जिसे देखने सैलानी आएंगे, लोगों की गतिविधि बढ़ेगी तो स्थानीय लोगों को रोजगार का अवसर भी मिलेगा.
Apr 15 2023, 18:33