रेलवे जीरो कार्बन उत्सर्जक नीति को अमल में लाने के लिए एचओजी तकनीक से ट्रेनों को लैश कर डीजल की करेगी बचत
नई दिल्ली: रेलवे जल्द ही सभी लिंक हॉफ में बुश (एलएचबी) कोच वाली ट्रेन को एचओजी तकनीक से लैस करेगा। इस पॉवर जेनरेटर कार को पैसेंजर कोच में बदल दिया जाएगा। इससे करोड़ों लीटर डीजल से होने वाले प्रदूषण में कमी तो आएगी ही साथ ही ट्रेनों में अतिरिक्त कोच जुड़ने से ज्यादा यात्री सफर कर सकेंगे।
तेजी से रेलवे ट्रैक के विद्युतीकरण होने से ज्यादातर रेलवे रूट पर इलेक्ट्रिक ट्रेन ही चलेगी। उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक शोभन चौधरी ने बताया कि एलएचबी कोच को एंड-ऑन जनरेशन से हेड ऑन जेनरेशन में बदला जा रहा है ताकि ट्रेन में लगने वाले जेनरेटर कार को हटाया जा सके। इसका फायदा यह हुआ है कि इस वित्तीय वर्ष में उत्तर रेलवे ने 292.95 करोड़ रुपये मूल्य के 2.68 करोड़ लीटर हाई स्पीड डीजल (एचएसडी) की बचत हुई है। इस जेनरेट कार के हटने से ध्वनी प्रदूषण भी कम होगा। इसके जगह अतिरिक्त कोच लगने यात्रियों की क्षमता भी बढ़ेगी। ज्यादातर ट्रेन 24 कोच वाली हो जाएगी।
जानिए क्या है एचओजी तकनीक
इलेक्ट्रिक इंजन वाली ट्रेन में तीन ट्रांसफार्मर (कन्वर्टर) होते हैं, जोकि ओवर हेड बिजली के तार से बिजली लेकर इंजन के मोटरों को चलाते हैं। इंजन को चलाने के लिए दो ट्रांसफार्मर पर्याप्त होता है, जबकि तीसरा ट्रांसफार्मर अतिरिक्त होता है। एचओजी तकनीक में इंजन में लगे स्विच और केबल की मदद से ट्रेन में बिजली सप्लाई की जा सकती है। इससे इंजन की बिजली से ही ट्रेन में वातानुकूलित और रोशनी का इंतजाम हो जाता है। इससे एनर्जी की बचत होगी और पर्यावरण के अनुकूल भी हैं।
Apr 15 2023, 09:25