भारत की मेजबानी में दिल्ली में आज क्वाड सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक, चीन पर हो सकती है अहम चर्चा

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भारत के नेतृत्व में क्वाड के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक आज नई दिल्ली में होगी। इस बैठक की अध्यक्षता भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर करेंगे, जिसमें अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, जापान के विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी और ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वांग शामिल होंगी।

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, क्वाड के विदेश मंत्रियों की अगली बैठक की मेजबानी भारत तीन मार्च को नई दिल्ली में करेगा। उसने कहा कि इस बैठक में मंत्रियों के लिए सितंबर 2022 में न्यूयॉर्क में उनकी पिछली बैठक में हुई बातचीत को जारी रखने का अवसर मिलेगा। क्वाड में अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं।

विदेश मंत्रालय ने कहा, वे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हालिया घटनाक्रम पर और आपसी हित के क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे जो एक खुले, स्वतंत्र और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के उनके दृष्टिकोण पर आधारित होगा। उसने कहा कि विदेश मंत्री अपने रचनात्मक एजेंडे को आगे बढ़ाने और क्षेत्र की समकालीन प्राथमिकताओं पर ध्यान देने के उद्देश्य से की गई पहलों के कार्यान्वयन में क्वाड द्वारा की गई प्रगति की समीक्षा भी करेंगे।

इस के अलावा, क्वाड के विदेश मंत्रियों के रायसीना डायलॉग में एक पैनल में भाग लेने की उम्मीद है। इस डायलॉग का आयोजन विदेश मंत्रालय करता है जिसमें भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र पर प्रमुखता से चर्चा होती है।

इटली की पीएम ने प्रधानमंत्री मोदी की जमकर की तारीफ, बताया दुनिया में सबसे चहेता नेता

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इटली की प्रधानमंत्री जियॉर्जिया मेलोनी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को प्रमुख वर्ल्ड लीडर होने के लिए बधाई दी और कहा कि वह विश्व स्तर पर सभी नेताओं में सबसे प्रिय हैं।इटली की नई प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी दिल्ली में रायसीना डायलॉग के आठवें संस्करण में भाग लेने के लिए भारत पहुंची हैं। गुरुवार को दिल्ली पहुंचने के बाद उन्होंने नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इसके बाद जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। जहां उन्होंने पीएम मोदी की जमकर तारीफ की।

पीएम मोदी से मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने एक जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की।प्रेस कॉन्फ्रेंस में मेलोनी ने कहा- प्रधानमंत्री मोदी दुनिया के सबसे चहेते नेता हैं। ये साबित हो चुका है कि वो कितने बड़े लीडर हैं। इसके लिए उन्हें बधाई।इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की बात सुनकर पीएम मोदी मुस्कुराने लगे।

मेलोनी ने आगे कहा, भारत के साथ हमारे रिश्ते बेहद मजबूत हैं। हम स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप बनाए रखने के लिए काम करते रहेंगे। मोदी जानते हैं कि वो दोनों देशों के संबंधों को बढ़ाने के लिए हम पर भरोसा कर सकते हैं। भारत की तारीफ करते हुए मेलोनी ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि भारत, रूस-यूक्रेन जंग खत्म करने में अहम रोल निभा सकता है। दुनिया को साथ रखना जरूरी है।

इस पर मोदी ने कहा- यूक्रेन जंग की शुरुआत से ही भारत ने साफ किया है कि इस विवाद को बातचीत और डिप्लोमेसी से ही सुलझाया जा सकता है। भारत किसी भी शांति प्रक्रिया में योगदान देने के लिए तैयार है। हम इंडो-पैसिफिक में इटली की सक्रिय भागीदारी का भी स्वागत करते हैं। बहुत खुशी की बात है कि इटली ने इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव में शामिल होने का फैसला किया है।

मेलोनी ने आगे कहा कि इटली का उद्देश्य रक्षा-ऊर्जा सुरक्षा के साथ-साथ साइबर सुरक्षा और अन्य क्षेत्रों में भारत के साथ अपनी पार्टनरशिप को मजबूत करना है। उन्होंने कहा, हमने रणनीतिक साझेदार बनने का फैसला किया क्योंकि हमारे संबंध बहुत मजबूत हैं।

बता दें कि पिछले पांच साल में इटली के किसी शीर्ष नेता की इस तरह की पहली भारत यात्रा है. मेलोनी के साथ उनके डिप्टी और विदेश मंत्री एंटोनियो तजानी और एक कारोबारी प्रतिनिधिमंडल भी भारत आया है. मेलोनी ऐसे समय में भारत दौरे पर आई हैं, जब भारत के पास G-20 की अध्यक्षता है.

पढ़िए, कौन हैं पूर्व जज अभय मनोहर सापरे जिनकी अगुवाई में अदानी हिंडनबर्ग मामले की जांच, दो माह में जांच रिपोर्ट सेबी को सौंपने का भी है निर्देश

अडानी ग्रुप- हिंडनबर्ग मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को 2 महीने के अंदर जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। साथ ही रेगुलेटरी मैकेनिज्म की समीक्षा के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी का भी गठन किया है। इस कमेटी में चेयरमैन समेत कुल 6 सदस्य शामिल हैं। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि एक्सपर्ट कमेटी की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अभय मनोहर सापरे करेंगे।

कमेटी के चेयरमैन जस्टिस अभय मनोहर सापरे 27 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए थे। जस्टिस सापरे सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट की उस नौ जजों की संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने राइट टू प्राइवेसी पर ऐतिहासिक फैसला दिया था। जस्टिस सापरे सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले गुवाहाटी हाईकोर्ट और मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे। इसके अलावा राजस्थान हाईकोर्ट और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में बतौर जज भी सेवा दे चुके हैं।

एक्सपर्ट कमेटी के सदस्य

1 – ओपी भट्ट: कमेटी में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के पूर्व चेयरमैन ओपी भट्ट (OP Bhat) को भी शामिल किया गया है। ओपी भट्ट इन दिनों ओएनजीसी में इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के तौर पर सेवा दे रहे हैं। इसके अलावा टाटा स्टील लिमिटेड और हिंदुस्तान युनिलीवर में भी इंडिपेंडेंट डायरेक्टर हैं।

2 – जस्टिस जेपी देवधर: एक्सपर्ट कमेटी में बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस जेपी देवधर को भी शामिल किया गया है। जस्टिस देवधर सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल के पूर्व प्रिसाइडिंग ऑफिसर भी रहे हैं।

3 – केवी कामत: कमेटी के सदस्यों में केवी कामत भी शामिल हैं, जो ब्रिक्स देशों के न्यू डेवलपमेंट बैंक के पूर्व प्रमुख रहे हैं और इंफोसिस लिमिटेड के भी चेयरमैन भी रह चुके हैं।

4 – नंदन नीलेकणी: एक्सपर्ट कमेटी में इंफोसिस के सह संस्थापक नंदन नीलेकणी (Nandan Nilekani) को भी शामिल किया गया है। नंदन नीलेकणी आधार बनाने वाली संस्था यूआईडीएआई के पूर्व चेयरमैन भी हैं।

5 – सोमशेखर सुंदरेसन: कमेटी के पांचवें सदस्य एडवोकेट सोमशेखर सुंदरेसन है। सुंदरेसन को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मुंबई हाईकोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की है, जो केंद्र के पास लंबित है।

कमेटी को क्या काम सौंपा है?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि एक्सपर्ट कमेटी पूरे मामले की ओवरऑल समीक्षा करेगी और यदि इसका सिक्योरिटी मार्केट पर किसी तरह असर पड़ा है तो यह भी देखेगी। साथ ही निवेशकों की जागरूकता के लिए और क्या कदम उठाया जा सकता है, यह भी सुझाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने सेबी के चेयरमैन को निर्देश दिया है कि एक्सपर्ट कमेटी जो जानकारी मांगे, वो सब उपलब्ध कराएं।

NDPP की हेकानी जाखलू बनीं नागालैंड की पहली महिला विधायक, 60 साल पहले राज्य बनने के बाद से पहली बार किसी महिला उम्मीदवार को मिली जीत

नागालैंड में दीमापुर-तृतीय निर्वाचन क्षेत्र से जीतने के बाद एनडीपीपी की हेकानी जाखलू नागालैंड की पहली महिला विधायक बनीं हैं। 60 साल पहले राज्य का दर्जा प्राप्त करने के बाद से नागालैंड में पहली बार किसी महिला उम्मीदवार को जीत हासिल हुई है।  

हेकानी जाखलू राज्य में सत्तारूढ़ NPPP की उम्मीदवार हैं। जाखलू ने दीमापुर-III विधानसभा सीट से चुनाव जीता है। हेकानी जाखलू ने अपने प्रतिद्वंदी को 1,536 मतों के अंतर से हराया।

जाखलू को मिले 14 हजार से ज्यादा वोट

जाखलू ने 14,395 वोट मिले हैं। वहीं, दूसरे नंबर पर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अज़ेतो झिमोमी रहे जिन्हें 45.16 प्रतिशत वोट मिला। बता दें कि NDPP की एक और महिला उम्मीदवार सल्हौतुओनुओ क्रूस भी पश्चिमी अंगामी सीट से आगे चल रही हैं।

भारत निर्वाचन आयोग की ओर से गुरुवार को दोपहर 2.10 बजे शेयर किए गए लेटेस्ट अपडेट के मुताबिक भाजपा ने दो और एनडीपीपी ने आठ सीटों पर जीत हासिल की है। रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के प्रत्याशियों ने नोकसेन और तुएनसांग सदर- II सीट पर जीत हासिल की है।

इस साल राज्य की 15 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) भी राज्य में अपना खाता खोलने में सफल रही। इनके अलावा निर्दलीय उम्मीदवार नीसातुओ मेरो और केविपोडी सोफी ने पफुत्सेरो और दक्षिणी अंगामी-1 से जीत दर्ज की है।

उत्तरप्रदेश के हाथरस कांड में आया अदालत का फैसला, एक को उम्रकैद, तीन बरी, आधी रात शव जलाने के बाद मचा था बवाल

यूपी के चर्चित हाथरस कांड में गुरुवार को अदालत का फैसला आ गया। चार में से तीन आरोपियों को बरी कर दिया गया है। एक आरोपी संदीप को दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। संदीप को युवती की गैर इरादतन हत्या और एससी एसटी एक्ट में सजा के साथ ही 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। इसमें से 40 हजार रुपए पीड़ित परिवार को दिए जाएंगे। युवती के परिजनों की तरफ से पैरवी कर रहे वकील ने तीनों आरोपियों को भी सजा के लिए हाईकोर्ट जाने की बात कही है। 

हाथरस के चंदपा थाना क्षेत्र में सितंबर 2020 में एक युवती को गंभीर हालत में खेत में पड़ा पाया गया था। परिजनों ने गैंगरेप का आरोप लगाया था। गंभीर हालत में उसे पहले अलीगढ़ फिर दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां कई दिनों तक इलाज के बाद उसकी मौत हो गई थी।

पुलिस ने युवती का शव परिजनों को देने की जगह आधी रात मिट्टी का तेल छिड़ककर जला दिया था। इसकी तस्वीरें वायरल होने पर बवाल मच गया था। सपा कांग्रेस समेत तमाम दल सड़क पर उतर आए थे। चौतरफा घिरने के बाद पुलिस ने गांव के ही संदीप समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। 

हाथरस की स्पेशल एससी-एसटी कोर्ट त्रिलोक पाल सिंह की अदालत में ढाई साल तक चली सुनवाई के बाद गुरुवार को फैसला आया। परिजनों का मुख्य आरोप गैंगरेप के बाद हत्या का था। हालांकि अदालत ने गैंगरेप या हत्या का मामला नहीं माना। आरोपी बनाए गए रवि, रामू और लवकुश को रिहा कर दिया। संदीप को गैर इरादतन हत्या और एससीएसटी एक्ट में दोषी पाते हुए सजा सुनाई। 

वादी पक्ष के अधिवक्ता का बयान

वादी पक्ष के अधिवक्ता महिपाल ने बताया कि संदीप को आजीवन कारावास, 50 हजार का जुर्माना की सजा सुनाई गई है। इसमें से 40 हजार रुपये पीड़ित पक्ष को देने का आदेश है। उन्होंने कहा, फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट जाएंगे। एक आरोपी को दोषी करार कराने और सजा दिलाने में कामयाब रहे। अन्य के खिलाफ भी इसी फैसले को आधार बनाते हुए अपर कोर्ट जाएंगे।

कंधार हाईजैक कांड में रिहा आतंकी मुश्ताक अहमद जरगर के खिलाफ बड़ी कार्रवाई, एनआईए ने जब्त की संपत्ति

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जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एक और बड़ी कार्रवाई की है।एनआईए ने श्रीनगर में स्थित आतंकी मुश्ताक अहमद जरगर उर्फ लट्राम की संपत्ति को कुर्क कर लिया है। 1999 में कंधार हाईजैक कांड में विमान यात्रियों के बदले जिन आतंकियों को रिहा किया गया था, उनमें जरगर भी शामिल था। 

एनआईए ने गुरुवार को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान की सरजमीं पर सक्रिय आतंकवादी संगठन अल-उमर मुजाहिदीन के चीफ कमांडर मुश्ताक जरगर उर्फ लटराम की श्रीनगर स्थित प्रॉपर्टी कुर्क कर ली है। एनआईए ने गृह मंत्रालय के आदेश पर यह बड़ी कार्रवाई की है। श्रीनगर में गनाई मोहल्ला के जामा मस्जिद इलाके में नौहट्टा स्थित जरगर के दो घरों को यूएपीए के प्रावधानों के तहत कुर्क किया गया है।

यूएपीए के तहत आतंकवादी घोषित

पिछले साल अप्रैल में लट्राम को यूएपीए के तहत एक आतंकवादी के रूप में नामित किया गया था। इसी फैसले के बाद सुरक्षा एजेंसियों को उसकी संपत्ति कुर्क करने का अधिकार मिला। पिछले साल गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया था कि मुश्ताक जरगर अपने संपर्कों अल-कायदा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे कट्टरपंथी आतंकवादी समूहों से करीबी के कारण न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में शांति के लिए खतरा है और केंद्र सरकार का मानना है कि वह आतंकवाद में शामिल है। अब एनआईए ने उसके खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है।

रिहाई के बाद से पाकिस्तान में सक्रिय

बता दें कि 24 दिसंबर 1999 में नेपाल की राजधानी काठमांडू से भारत की राजधानी दिल्ली के लिए उड़ी इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट को आतंकवादियों ने हाइजैक कर लिया। इसमें 176 यात्री और 15 क्रू मेंबर्स सवार थे। प्लेन हाईजैक के बदले आतंकियों ने भारत की जेल में बंद तीन आतंकियों मसूद अजहर, उमर शेख और मुश्ताक अहमद जरगर उर्फ लट्राम को छोड़ने का सौदा किया था। भारतीय एजेंसियों के अनुसार, मुश्ताक अहमद जरगर उर्फ लट्राम अपनी रिहाई के बाद से पाकिस्तान में सक्रिय है और जम्मू-कश्मीर में लगातार आतंकवाद को पनाह दे रहा है।

कौन है मुश्ताक जरगर ?

मुश्ताक जरगर 1989 में पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण में भी शामिल था। जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट से जुड़े होने के दौरान जरगर ने जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया था। वो हत्याओं और जघन्य अपराधों में शामिल रहा था. वह हत्याओं सहित अन्य जघन्य अपराधों में भी शामिल था। 1990 के दशक की शुरुआत में खूंखार माने जाने वाले जरगर ने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट से संबंध तोड़ अपना खुद का अलग आतंकी संगठन अल-उमर मुजाहिदीन बना लिया था। 90 के दशक में मुश्ताक की गिनती खूंखार आतंकियों में होने लगी थी। 1989 में वो तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी और महबूबा मुफ्ती की बहन रुबैया सईद की किडनैपिंग में अपनी भूमिका के चलते सुर्खियों में आया था।

महाराष्ट्र उपचुनाव में भाजपा-शिंदे गठबंधन को बड़ा झटका 28 साल बाद मिली करारी हार

 महाराष्ट्र उपचुनाव में बीजेपी-शिंदे गठबंधन को झटका लगा है। पुणे की कस्बा पेठ विधानसभा सीट बीजेपी-शिंदे गठबंधन हार गया है। 28 साल बाद ये सीट कांग्रेस ने छीनी है। कांग्रेस के उम्मीदवार रवींद्र धंगेकर को जीत मिली है। कांग्रेस कैंडिडेट ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को 10 हजार वोटों के अंतर से हरा दिया है।

प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष या सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की कमेटी मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों का करेगी चयन : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) और निर्वाचन आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी व्यवस्था बनाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ अपने फैसले में कहा कि प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष या सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की कमेटी मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों का चयन करेगी। हालांकि, नियुक्ति का अधिकार राष्ट्रपति के पास ही रहेगा।

चुनाव आयोग की निष्पक्षता सबसे अहम

जज जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस अजय रस्तोगी, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की बेंच ने याचिका में चुनाव आयोग में सीबीआई की तर्ज पर नियुक्ति की मांग को लेकर एकमत से फैसला सुनाया। पीठ ने पिछले साल 24 नवंबर को इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मत फैसले में चुनाव प्रक्रियाओं में निष्पक्षता सुनिश्चित करने पर जोर देते हुए कहा कि लोकतंत्र लोगों की इच्छा से जुड़ा है। संविधान पीठ ने कहा कि लोकतंत्र नाजुक है और कानून के शासन पर बयानबाजी इसके लिए नुकसानदेह हो सकती है। कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव में निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए, वर्ना इसके विनाशकारी परिणाम होंगे। कोर्ट ने कहा कि भारत का निर्वाचन आयोग (ईसीआई) स्वतंत्र व निष्पक्ष तरीके से काम करने के लिए बाध्य है और उसे संवैधानिक ढांचे के भीतर कार्य करना चाहिए

क्यों उठा चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर सवाल?

इससे पहले शीर्ष अदालत ने पूर्व नौकरशाह अरुण गोयल को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त करने में केंद्र द्वारा दिखाई गई जल्दबाजी पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उनकी फाइल 24 घंटे में विभागों से बिजली की गति से पास हो गई। हालांकि, केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत की टिप्पणियों का जोरदार विरोध किया था। अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने तर्क दिया था कि उनकी नियुक्ति से संबंधित पूरे मामले को संपूर्णता से देखने की जरूरत है।

शीर्ष अदालत ने पूछा था कि केंद्रीय कानून मंत्री ने चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री को सिफारिश की गई चार नामों के एक पैनल को कैसे चुना, जबकि उनमें से किसी ने भी कार्यालय में निर्धारित छह साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है। चुनाव आयोग अधिनियम, 1991 के तहत चुनाव आयोग का कार्यकाल छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, लागू हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त के रूप में अरुण गोयल की नियुक्ति पर दखल दिया था। अदालत ने चुनाव आयुक्त के तौर पर अरुण गोयल की नियुक्ति से संबंधित मूल रिकॉर्ड मांगे थे। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से सवाल किया था कि अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त पद पर कैसे नियुक्ति की गई है। पीठ ने कहा था कि वह सिर्फ तंत्र को समझना चाहती है।

अभी तक कैसे होती थी चुनाव आयुक्त की नियुक्ति

चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति की ओर से की जाती है। आमतौर पर देखा गया है कि इस सिफारिश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल ही जाती है। इसी के चलते चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं। चुनाव आयुक्त का एक तय कार्यकाल होता है, जिसमें 6 साल या फिर उनकी उम्र (जो भी ज्यादा हो) को देखते हुए रिटायरमेंट दिया जाता है। चुनाव आयुक्त के तौर पर कोई सेवानिवृत्ति की अधिकतम उम्र 65 साल निर्धारित की गई है। यानी अगर कोई 62 साल की उम्र में चुनाव आयुक्त बनता है तो उन्हें तीन साल बाद ये पद छोड़ना पड़ेगा। 

कैसे हटते हैं चुनाव आयुक्त?

रिटायरमेंट और कार्यकाल पूरा होने के अलावा चुनाव आयुक्त कार्यकाल से पहले भी इस्तीफा दे सकते हैं और उन्हें हटाया भी जा सकता है। उन्हें हटाने की शक्ति संसद के पास है। चुनाव आयुक्त को सुप्रीम कोर्ट के जजों की ही तरह वेतन और भत्ते दिए जाते हैं।

अदानी समूह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत, कहा, इससे चीजें स्पष्ट होंगी और ‘सचाई की जीत’ अवश्य रूप से होगी


संकट में फंसे उद्योगपति गौतम अडाणी ने सुप्रीम कोर्ट के हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में समूह पर लगाए गए आरोपों की समयबद्ध जांच के आदेश का स्वागत किया है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने समूह की कंपनियों के शेयरों में आई हालिया गिरावट की जांच के लिए समिति के गठन का भी आदेश दिया है। इसपर अपनी प्रतिक्रिया में अडाणी ने वीरवार को कहा कि इससे चीजें स्पष्ट होंगी और ‘सचाई की जीत’ अवश्य रूप से होगी।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के आदेश के बाद अडाणी ने ट्वीट किया, अडाणी समूह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता है। इससे चीजें समयबद्ध तरीके से अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचेंगी। सचाई की जीत होगी। 

सुप्रीम कोर्ट ने वीरवार को भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) को हिंडनबर्ग के अडाणी समूह पर आरोपों को लेकर दो माह में जांच पूरी करने का निर्देश दिया। अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में हालिया गिरावट की जांच के लिए पीठ ने एक समिति के गठन का भी आदेश दिया है।

उत्तराखंड : पौड़ी गढ़वाल में महसूस किए गए भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर 2.4 रही तीव्रता


उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में भूकंप के झटके महसूस किए गए। जानकारी के अनुसार पौड़ी गढ़वाल में आए भूकंप की तीव्रता रिएक्टर स्केल 2.4 मापी गई है। भूकंप के झटके से लोग भयभीत हैं। हालांकि कोई नुकसान नहीं हुआ है।

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप की तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 2.4 मापी गई है। इससे पहले 20 फरवरी को उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में तड़के भूकंप का हल्का झटका महसूस किया गया था। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 2.5 मापी गई थी।