रूस-यूक्रेन के बीच एक साल से जारी है जंग, क्यों युद्ध खत्म नहीं कर रहे पुतिन?
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रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध को आज एक साल पूरा हो गया। 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल कर जंग की शुरूआत की थी। उस वक्त दुनियाभर के एक्सपर्ट्स ने दावा किया कि रूस चंद दिनों में यूक्रेन पर कब्जा कर लेगा। कईयों ने तो यहां तक कहा कि इसमें मुश्किल से 24 से 48 घंटे का समय लगेगा। लेकिन किसे पता था यूक्रेन, महाशक्तिशाली रूस का एक साल तक सामना कर लेगा।
न तो रूस जीता न ही यूक्रेन ने हार मानी
अब जंग दूसरे साल में प्रवेश कर चुकी है। इसके बावजूद न तो रूस युद्ध जीत पाया और न ही यूक्रेन ने हार मानी। ना ही अभी तक दोनों देशों के बीच किसी भी मुद्दे को लेकर सहमति नहीं बनी है। ऐसे में कह सकते हैं कि जंग अभी लंबा खिंच सकता है। अब सवाल ये है कि रूस के मुकाबले में कहीं भी नहीं आने वाले यूक्रेन के लिए युद्ध को जारी रखना कैसे संभव हो रहा है?
यूक्रेन के लिए रूस का सामना करना कैसे हुआ आसान?
तो जान लें कि इस युद्ध में अमेरिका समेत दुनिया के कई बड़े देश यूक्रेन की मदद कर रहे हैं। रूस के खिलाफ यूक्रेन की मदद के लिए पश्चिमी देश आगे आए। युद्ध के पहले महीने से ही तुर्की को छोड़ नाटो के हर एक देश ने यूक्रेन को हथियार सप्लाई किए हैं। तुर्की ने युद्ध की शुरुआत के पहले ही यूक्रेन को अपना बायरकटार टीबी-2 ड्रोन बेचा था। इस ड्र्रोन ने रूस को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, स्वीडन, लिथुआनिया, लातविया और नॉर्वे ने यूक्रेन को भारी मात्रा में हथियार दिए हैं। अमेरिका ने तो यूक्रेनी सैनिकों को अपने कई वेपन सिस्टम चलाने की ट्रेनिंग भी मुहैया करवाई है। इन्हीं हथियारों के दम पर यूक्रेनी सेना ने रूस को करारी चोट पहुंचाई है।
यूक्रेन पर कब्जा क्यों नहीं कर रहा रूस?
रूस ने भले ही इस युद्ध में काफी नुकसान झेला है, लेकिन वो इतना भी कमजोर नहीं हुआ है कि यूक्रेन पर जीत ना हासिल कर सके। ऐसे में अब सवाल ये बन रहा है कि बीते एक साल से चले रहे युद्ध के बाद भी रूस अपने मंसूबों में सफल नहीं हो सका। दरअसल, रूस का लक्ष्य यूक्रेन पर पूर्ण रूप से कब्जे की है ही नहीं। यूक्रेन पर हमले की शुरूआत करते वक्त ही पुतिन ने साफ शब्दों में कहा था कि उनका लक्ष्य यूक्रेन पर कब्जा करना नहीं है। उन्होंने कहा कि रूस, यूक्रेन से नाजीवादी ताकतों को उखाड़ फेकेंगा और खुद की रक्षा करेगा। रूस का लक्ष्य डोनबास क्षेत्र से यूक्रेनी सेना को खदेड़ना और यूक्रेन में सत्ता परिवर्तन करना है।
हाथियारों के साथ दिमाग से भी जंग लड़ रहे पुतिन
रूस चाहे तो यूक्रेन के खिलाफ अपनी वायु सेना, थल सेना या नौसेना की पूरी ताकत का इस्तेमाल कर जंग को नतीजों तक पहुंचा सकता है। रूस के पास ऐसी-ऐसी परमाणु मिसाइलें हैं, जो सेंकेंड में युद्ध को खत्म कर सकती हैं। इतना ही नहीं, रूस गैर परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर यूक्रेन के शीर्ष नेतृत्व को मार सकता है। इसके बावजूद रूस ऐसा कोई कदम नहीं उठा रहा। जानकारों का मानना है कि पुतिन की चाल यूक्रेन युद्ध की आड़ में नाटो देशों को बर्बाद करने की है। पुतिन नहीं चाहते कि रूस-यूक्रेन युद्ध जल्द से जल्द खत्म हो जाए। ऐसे में वह युद्ध को लंबा खींचने के लिए सैन्य कार्रवाईयों को काफी धीमी रफ्तार से अंजाम दिलवा रहे हैं। पुतिन की चाहत है कि पश्चिमी देश लंबे समय तक यूक्रेन युद्ध में उलझे रहें और अपने संसाधनों का इस्तेमाल करें। इससे इन देशों पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा। रूस-यूक्रेन युद्ध से तेल और गैस के दाम में जबरदस्त इजाफा हुआ है। इसका सबसे बड़ा नुकसान यूरोपीय देशों और गरीब विकसित देशों को हुआ है। ऐसे में रूस ओपेक प्लस देशों के साथ मिलकर तेल के उत्पादन को न बढ़ाने का फैसला किया है।
Feb 24 2023, 13:22