अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक बार फिर पाकिस्तान की भारी बेइज्जती, आतंकियों को ठिकाना देने के मामले में भारत ने लताड़ा

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाई है। भारत ने आतंकियों को पनाह देने के मामले में पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई है। भारत ने कहा है कि पाकिस्‍तान आज भी आतंकियो के लिए सुरक्षित ठिकाना बना हुआ है। भारत ने गुरुवार, 23 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में पाकिस्तान के खिलाफ अपने राइट टू रिप्‍लाई का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान को उसके हकीकत से वाकिफ से कराया।

भारत ने दुनिया को दी पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड देखने की सलाह

संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने अपने राइट टू रिप्‍लाई का इस्तेमाल करते हुए दुनिया को पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड देखने की सलाह दी है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के ग्यारहवें आपातकालीन विशेष सत्र में भारतीय काउंसलर प्रतीक माथुर ने कहा, पाकिस्तान को केवल खुद को और अपने पिछले कामों के रिकॉर्ड को एक देश के रूप में देखना है, जो आतंकवादियों को शरण देने के साथ उन्हें सुरक्षित ठिकाना मुहैया कराता है और ऐसा वो बेखौफ और दुनिया की फिक्र से बेपरवाह होकर करता है। इसके लिए उसे दंडित भी नहीं किया जाता है।

भारत ने इस बार पाक के उकसावे का जवाब नहीं देने का फैसला किया

प्रतीक माथुर ने कहा कि दो दिनों तक विचार विमर्श करने के बाद हर यूएन सदस्‍य जो यहां मौजूद है, उसने तय किया है कि शांति का रास्‍ता सिर्फ तभी संभव है जब अंसतोष और असहमति का हल तलाश जाए। उन्‍होंने पाकिस्तान के अनावश्यक उकसावे को 'अफसोसजनक' बताया। प्रतीक माथुर ने कहा कि मैं इस मंच से यही कहूंगा कि भारत ने इस बार पाकिस्‍तान के उकसावे का जवाब नहीं देने का फैसला किया है। हमारी सलाह पाकिस्‍तानी प्रतिनिधिदल को बस इतनी ही है कि जिस तरह से हमने राइट टू रिप्‍लाई का प्रयोग पहले किया है, वह भी इसका प्रयोग कर सकता है।

प्रतीक माथुर ने कल गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के दूत मुनीर अकरम की ओर से संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन पर बुलाए गए आपात विशेष सत्र के दौरान वोट की व्याख्या करते हुए जम्मू-कश्मीर का उल्लेख किए जाने के बाद भारत के राइट टू का रिप्‍लाई प्रयोग किया।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन में स्थायी शांति के लिए प्रस्ताव पारित, एक बार फिर भारत ने वोटिंग से बनाई दूरी

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यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर एक साल पूरे हो चुके हैं। इस मौके पर संयुक्त राष्ट्र महासभा(यूएनजीए) गुरुवार 23 फरवरी को यूक्रेन को लेकर एक प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। यूएनजीए में यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति तक पहुंचने की आवश्यकता पर एक प्रस्ताव पारित किया गया।हालांकि, भारत ने एक बार फिर प्रस्ताव में वोटिंग से दूरी बनाई। वोटिंग से दूरी बनाने वाले देशों में चीन समेत अन्य भी शामिल थे।

भारत-चीन समेत 32 देशों ने बनाई दूरी

यूएनजीए में प्रस्ताव रखा गया कि रूस को तुरंत यूक्रेन में युद्ध को रोककर अपनी सेना को बुला लेना चाहिए। इस प्रस्ताव के समर्थन में और खिलाफ में कई देशों ने वोट किए। यूएनजीए में कुल 193 देश सदस्य हैं। प्रस्ताव के पक्ष में 141 देशों ने, जबकि 7 देशों ने इसके खिलाफ वोट किया। वहीं, भारत और चीन समेत 32 देशों ने वोटिंग से दूरी बनाई।

इन सात देशों में विरोध में किया मतदान

अपने सहयोगियों की मदद से बनाया गया यूक्रेन का यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में 141-7 से पारित हुआ। जिन सात देशों ने वोटिंग के खिलाफ मतदान किया, वे बेलारूस, माली, निकारागुआ, रूस, सीरिया, उत्तर कोरिया और इरिट्रिया थे। रूस के सहयोगी बेलारूस ने इसमें संसोधन का प्रस्ताव दिया था जो बुरी तरह से गिर गया। हालांकि, यह रूस के खिलाफ पिछले पांच प्रस्तावों में उच्चतम वोटिंग नहीं है जो बीते साल 24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन हमले के बाद से उसके खिलाफ लाए गए हैं।इसके पहले अक्टूबर में लाए गए प्रस्ताव में रूस के अवैध कब्जे के खिलाफ 143 वोट के समर्थन से प्रस्ताव पास हुआ था। 

यूक्रेन ने क्या कहा?

महासभा ने यूक्रेन और उसके समर्थकों द्वारा प्रस्तावित मसौदा प्रस्ताव को अपनाया, जिसका शीर्षक था ‘संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांत के अंतर्गत यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति का आधार। यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने कहा कि यह प्रस्ताव इस बात का सबूत है कि केवल पश्चिम ही नहीं है जो उनके देश का समर्थन करता है। कुलेबा ने कहा, समर्थन बहुत व्यापक है और यह मजबूत होना जारी रहेगा। यह वोट इस तर्क को खारिज करता है कि ग्लोबल साउथ यूक्रेन के पक्ष में नहीं खड़ा है क्योंकि लैटिन अमेरिका, अफ्रीका, एशिया का प्रतिनिधित्व करने वाले कई देशों ने आज पक्ष में मतदान किया।

भारत संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का पालन करता है

वहीं, संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का पालन करता है। उन्होंने कहा कि हम हमेशा संवाद और कूटनीति को ही एकमात्र रास्ता बताते हैं। स्थायी शांति हासिल करने के अपने लक्ष्य तक पहुंचने में इसकी सीमाओं को देखते हुए हम आज के संकल्प के घोषित उद्देश्यों पर ध्यान देते हैं। हम इससे दूर रहने के लिए विवश हैं। उन्होंने कहा कि क्या 1945 के विश्व निर्माण पर आधारित संयुक्त राष्ट्र प्रणाली और यूएनएससी वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए समकालीन चुनौतियों का समाधान करने के लिए अप्रभावी नहीं हो गए हैं?

पहले भी रूस के खिलाफ भारत ने वोटिंग में भाग नहीं लिया

बता दें कि इससे पहले भी रूस के खिलाफ कई अन्य प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग में भाग नहीं लिया है। भारत का हमेशा से कहना है कि इस मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से सुझाया जा सकता है और इसी रास्ते पर दोनों देशों को आगे बढ़ना चाहिए।

कल से शुरू हो रहा कांग्रेस का 85वां महाधिवेशन, विपक्षी एकजुटता पर लिया जा सकता है फैसला

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कांग्रेस का 85वां महाधिवेशन 24 फरवरी से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में शुरू हो रहा है। महाधिवेशन में राजनीति, अर्थव्यवस्था समेत कई विषयों पर प्रस्ताव पारित करने और कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के गठन के साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव में व्यापक विपक्षी एकजुटता के संदर्भ में पार्टी अपना रुख स्पष्ट करेगी।  

चुनाव की बनेगी रणनीति

2023 के अंत तक 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव और अगले साल लोकसभा का चुनाव है। ऐसे में कांग्रेस का यह अधिवेशन पार्टी के लिए बेहद खास है। पार्टी का जोर कांग्रेस शासित प्रदेश छत्तीसगढ़, राजस्थान में फिर से जीत की रणनीति पर है। तीन दिनों तक ताबड़तोड़ बैठकें होंगी और मोदी सरकार के खिलाफ किस तरह चुनावी मैदान में उतरा जाए, इसकी व्यापक रणनीति बनाई जाएगी।

अधिवेशन 2024 का मार्गदर्शक होगा- हरीश रावत

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी रायपुर पहुंच गए हैं। रावत ने कहा, कांग्रेस अधिवेशन में तय करेगी कि हम किस रास्ते पर देश को आगे ले जाना चाहते हैं। यह 2024 का मार्गदर्शक होगा। हम सभी लोकतांत्रिक ताकतों को जोड़ेंगे। 2024 में देश में बदलाव होगा और इसका नेतृत्व कांग्रेस और राहुल गांधी करेंगे।

विपक्षी एकजुटता को लेकर चल रही चर्चा के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 21 फरवरी को नगालैंड में कहा कि अगले साल केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई में गठबंधन सरकार बनेगी। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने गत रविवार को कहा था कि इस महाधिवेशन में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्षी एकजुटता के संदर्भ में चर्चा की जाएगी एवं आगे का रुख तय किया जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि कांग्रेस की मौजूदगी के बिना देश में विपक्षी एकता की कोई भी कवायद सफल नहीं हो सकती।

देशभर के 15 हजार से ज्यादा कांग्रसी होंगे शामिल

कांग्रेस के 85वें महाधिवेशन को लेकर कांग्रेस नेताओं का रायपुर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो चुका है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, महासचिव केसी वेणु गोपाल, रणदीप सिंह सुरजेवाला रायपुर पहुंच चुके हैं।जबकि 24 को कांग्रेस नेता राहुल गांधी पहुंचेंगे। 25 फरवरी को प्रियंका गांधी रायपुर पहुंचेगी। कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में देशभर के 15 हजार से ज्यादा कांग्रसी शामिल होंगे।छत्तीसगढ़ सरकार और प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सभी नेताओं के ठहरने, आने-जाने और सुरक्षा के तमाम इंतजाम कर लिए गए हैं।

खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल के करीबी की गिरफ्तारी के बाद पंजाब में बवाल, थाने पर कब्जा, पुलिस के साथ मारपीट

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पंजाब में खालिस्तान समर्थक नेता अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने जमकर बवाल काटा है। 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख अमृतपाल सिंह के करीबी तूफान सिंह की गिरफ्तारी के विरोध में उसके समर्थक सड़कों पर उतर आए। अमृतपाल के समर्थक भारी तादाद में अमृतसर में इकट्ठा हुए और अजनाला पुलिस थाने पर कब्जा कर लिया। हाथों में हथियार और तलवार लेकर भीड़ यहां जुट गई। इस दौरान पुलिस पर पथराव किया गया।अमृतपाल के समर्थकों ने पुलिस बैरिकेड्स को तोड़ दिया। इस दौरान अमृतपाल के समर्थकों ने कुछ पुलिस कर्मचारियों के साथ बुरी तरह मारपीट भी की। कुछ गाड़ियां भी भीड़ में शामिल लोगों की ओर से तोड़ी गई है।हमले के बाद दबाव में आई पंजाब पुलिस ने आरोपी को रिहा करने का ऐलान कर दिया।

अमृतपाल की पुलिस को धमकी के बाद समर्थकों का बवाल

अमृतपाल सिंह की ओर से अजनाला पुलिस को दी गई धमकी के बाद उसके समर्थकों ने बवाल किया।अमृतपाल ने ही अपने समर्थकों से गुरुवार सुबह 11 बजे अजनाला पहुंचने के लिए कहा था। इसके बाद यहां भीड़ इकट्‌ठा हो गई। माहौल की गंभीरता को भांपते हुए पुलिस भी एक्टिव हो गई और अमृतपाल के पहुंचने से पहले ही उसके समर्थकों को उठाना शुरू कर दिया। पुलिस ने अमृतपाल सिंह के साथी लवप्रीत तूफान को भी गिरफ्तार कर लिया है। इससे माहौल गर्मा गया।

तूफान सिंह को छोड़ने के लिए पुलिस को एक घंटे का अल्टीमेटम

इसके बाद अमृतपाल भी अजनाला थाने में पहुंचा। यहां उसकी एसएसपी सतिंदर सिंह के साथ मीटिंग हुई। जिसके बाद पुलिस को तूफान सिंह को छोड़ने के लिए एक घंटे का अल्टीमेटम दिया। इस दौरान समर्थक थाने के बाहर ही डटे रहे।अमृतपाल सिंह ने कहा- राजनीतिक कारणों से एफआईआर दर्ज की गई है। यदि वे एक घंटे में मामले को रद्द नहीं करते हैं, तो आगे जो कुछ भी होगा उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे।

हंगामे के बाद तूफान को छोड़ रही पुलिस

अमृतपाल की चेतावनी के बाद अमृतसर के पुलिस कमिश्नर जसकरण सिंह का बयान आया। उन्होंने कहा- तूफान को छोड़ा जा रहा है। उसके समर्थकों ने उसकी बेगुनाही के पर्याप्त सबूत दिए हैं। मामले की जांच के लिए SIT गठित की जा रही है। अब यहां जमा लोग शांतिपूर्वक हट जाएंगे।

कौन है अमृतपाल सिंह

दीप सिद्धू के निधन के बाद सितंबर 2022 में अमृतपाल सिंह ने वारिस पंजाब दे की कमान संभाली है। 12वीं की पढ़ाई के बाद 2012 में वो दुबई चला गया था। 29 साल की उम्र में वह वापस लौटा। फरवरी 2022 में दीप सिद्धू की हादसे में मौत हो गई और इसके बाद वारिस पंजाब दे को वही संभाल रहा है। खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह हाल ही में अपने विवादित बयान के बाद सुर्खियों में है।

उत्तराखंड : 15 मार्च को पेश होगा पुष्कर सिंह धामी सरकार का बजट, राज्यपाल के अभिभाषण से होगी सत्र की शुरुआत



उत्तराखंड के भराड़ीसैंण (गैरसैंण) विधानसभा में शुरू होने जा रहे बजट सत्र के दौरान धामी सरकार 15 मार्च को वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेगी। 13 मार्च से सत्र का आगाज राज्यपाल के अभिभाषण से होगा। पिछले दिनों प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में भराड़ीसैंण विधानसभा में बजट सत्र करने का निर्णय लिया था।

अपर सचिव विधायी एवं संसदीय कार्य शमशेर अली ने विधानसभा सत्र का अनंतिम प्रस्ताव जारी कर दिया है। इसके तहत 13 मार्च को राज्यपाल का अभिभाषण के बाद अगले दिन धन्यवाद प्रस्ताव व उस पर चर्चा शुरू होगी। 15 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पारित होगा।

उसी दिन वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल बजट प्रस्ताव पेश करेंगे। 16 मार्च को बजट पर चर्चा होगी और विभागवार अनुदान मांगों का प्रस्तुतिकरण, उन पर विचार और मतदान होगा। 17 मार्च को असरकारी कार्य भी होगा। 18 मार्च को विनियोग विधेयक पास होगा।

सत्र के दौरान विधायी एवं संसदीय कार्यों के लिए सभी विभागों में नोडल अधिकारी बनाए जाने के निर्देश दिए गए हैं। इस संबंध में विधायी एवं संसदीय विभाग के ओर से पत्र जारी किया गया है।

पवन खेड़ा को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने दी अंतरिम जमानत, सभी एफआईआर की एक जगह होगी सुनवाई

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कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी असम पुलिस द्वारा कांग्रेस नेता पवन खेड़ा की गिरफ्तारी के कुछ ही देर बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी। इसके साथ ही कोर्ट ने असम पुलिस और यूपी पुलिस को एफआईआर को एक साथ करने की याचिका पर नोटिस जारी किया है।

कांग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पवन खेड़ा को अंतरिम राहत देने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी। सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पवन खेड़ा ने मांफी मांगी है। यह भी बताया कि जुबान फिसलने के कारण उनसे यह गलती हुई थी। यह सुनवाई चीफ जस्टिस समेत तीन जजों की बेंच में हुई। अदालत ने पवन खेड़ा को अंतरिम जमानत दे दी है। इसके साथ ही तीन जगहों पर दर्ज एफआईआर की सुनवाई अब एक जगह यानी सुप्रीम कोर्ट में होगी। शीर्ष अदालत का कहना है कि सुनवाई की अगली तारीख तक याचिकाकर्ता को द्वारका कोर्ट से अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाएगा। कोर्ट ने द्वारका कोर्ट को खेड़ा को अंतरिम राहत देने का निर्देश दिया है। 

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि पवन खेड़ा को असम में दर्ज केस में हिरासत में लिया गया है। पूरे देश में केस दर्ज हो रहे हैं। इस मामले को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने सुना। चीफ जस्टिस ने पूछा कि पवन खेड़ा कौन हैं? सिंघवी ने बताया कि वे कांग्रेस प्रवक्ता हैं। उन्होंने कुछ ऐसा कहा जो मैं शायद खुद नहीं कहता। सीजेआई ने कहा कि वह बयान क्या है? सिंघवी ने कहा कि बयान जैसा भी हो। गिरफ्तारी का मामला नहीं बनता।

इस पर सीजेआई ने पूछा कि क्या कहा था? सिंघवी ने बताया कि ये कहा था कि मैं कन्फ्यूज हो जाता हूं कि नरेंद्र दामोदर दास मोदी हैं या गौतम दास। उन्होंने बाद में अपनी गलती के लिए खेद भी जताया था। उन्होंने कहा था कि गलती से कह दिया था। सिंघवी ने कहा कि लखनऊ और वाराणसी की एफआईआर 20 फरवरी की है। असम की 23 फरवरी की है। मैं गिरफ्तारी से राहत और सभी मामले एक साथ जोड़े जाने का अनुरोध कर रहा हूं।उन्हें रिहा किया जाए, वे जांच में सहयोग करेंगे।

इस पर असम सरकार की तरफ से पेश एएसजी एश्वर्या भाटी पेश ने कहा कि वीडियो देखिए क्या बयान जानबूझकर नहीं दिया गया था। इसके बाद सीजेआई ने पवन खेड़ा का वीडियो देखा। इस दौरान एएसजी ने दलील दी कि ‘पीसी में देखा जा सकता है कि किस तरह से हंस रहे थे, ये देश के पीएम के प्रति बोला जा रहा था।

LAC विवाद पर सैन्य कमांडर स्तर की अगली बैठक जल्द, बीजिंग में भारत-चीन के बीच WMCC की 26वीं हुई बैठक पढ़िए क्या क्या हुए निर्णय


भारत-चीन के बीच सीमा मामलों को लेकर परामर्श एवं समन्वय प्रणाली (WMCC) की बुधवार को 26वीं बैठक हुई। इस बैठक में पूर्वी लद्दाख के बचे हुए बिंदुओं से सेनाओं को हटाने के मुद्दे पर वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की बैठक को जल्द आयोजित करने को लेकर सहमति बनी।

बीजिंग में हुई डब्ल्यूएमसीसी की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) डॉ. शिल्पक आम्बुले ने की, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व चीनी विदेश मंत्रालय में सीमा एवं समुद्री मामलों के विभाग के महानिदेशक यी शियानलियांग ने की।

LAC पर दोनों देशों की स्थिति की समीक्षा हुई

इस बैठक में दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में पश्चिमी सेक्टर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थिति की समीक्षा की और बाकी इलाकों से सेनाओं को पीछे हटाने के प्रस्तावों पर खुले एवं रचनात्मक तरीके से चर्चा की ताकि एलएसी पर शांति एवं स्थिरता बहाल हो सके और दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति हो सके।

मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के मुताबिक, भारत और चीन दोनों ही वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की बैठक को जल्द से जल्द आयोजित करने पर सहमत हुए। रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों पक्षों ने अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सैन्य और राजनयिक चैनलों के जरिए चर्चा को जारी रखने पर सहमति जताई है।

 डब्ल्यूएमसीसी की स्थापना साल 2012 में सीमा मामलों पर भारत और चीन के बीच परामर्श एवं समन्वय के लिए मंच प्रदान कराने के उद्देश्य से की गई थी। ऐसे में डब्ल्यूसीसी की 26वीं बैठक महत्वपूर्ण थी, क्योंकि साल 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद दोनों देश आमने-सामने हैं। हालांकि, एलएसी पर जारी तनातनी को समाप्त करने के उद्देश्य से दोनों देशों के बीच 17 दौर की सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता हो चुकी है।

कोविड संक्रमण के भय से तीन साल तक खुद और अपने 10 साल के बच्चे को घर में कैद रखा, पति की शिकायत पर पुलिस ने किया रेस्क्यू, पढ़िए, पूरा मामला


गुरुग्राम थाना सेक्टर-29 क्षेत्र के मारूति विहार सोसाइटी में एक महिला ने कोविड संक्रमण के भय के चलते तीन साल तक खुद को और अपने 10 साल के बच्चे को घर के अंदर कैद करके रख रखा था। तीन साल बाद महिला के पति की शिकायत पर पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ महिला और उसके बच्चे को घर से निकाला है

सेक्टर-10 स्थित नागरिक अस्पताल में महिला और बच्चे के प्राथमिक परीक्षण के बाद दोनों को रोहतक के पंडित भगवत दयाल पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल इंस्टीट्यूट भेज दिया गया है। डाक्टरों के मुताबिक महिला को मानसिक समस्या से ग्रस्त है। उसने संक्रमण के प्रति अपनी शंका को ही वास्तविकता समझ लिया था।

मूल रूप से पश्चिम बंगाल के रहने वाले सुजान मांजी अपनी पत्नी मुनमुन मांजी और 10 वर्षीय बेटे शोभित के साथ मारुति विहार कालोनी में रहते हैं। सन 2020 में कोविड के दौरान लॉकडाउन होने पर सुजान मांजी ने भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया। कुछ दिन बाद कोविड नियमों में ढील देने के बाद मुनमुन ने अपने बेटे सहित खुद को संक्रमण फैल जाने के डर से फ्लैट में कैद कर लिया। यहां तक कि अपने पति सुजान मांझी को भी फ्लैट के अंदर आने से इनकार कर दिया।

पति को ये कहकर नहीं घुसने दिया घर के अंदर

मुनमुन की दलील थी कि वह ऑफिस जाता है इसलिए बाहर से संक्रमण आ सकता है। सुजान ने अपने परिवार, रिश्तेदार, ससुराल वाले सभी से फोन पर बात करवा कर मुनमुन को आश्वस्त करने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मानी। इसके बाद सुजान वहीं सोसायटी में ही किराए पर फ्लैट लेकर रहने लगा। इन तीन सालों में सुजान अपनी पत्नी मुनमुन व बेटे के लिए राशन, सब्जियां, दूध आदि दैनिक जरूरतों की चीजों को मुनमुन वाले फ्लैट के बाहर रख दिया करता था।

सिलेंडर खत्म होने पर इंडक्शन कुकिंग प्लेट रख दी। वह बिजली का बिल और किराया आदि चुकाता रहा। बेटे की क्लास आन लाइन फोन पर होती थी। मुनमुन की मांग थी कि जब तक 12 वर्ष तक के बच्चों के लिए वैक्सीन नहीं आ जाती तब तक वह स्वयं को और अपने बेटे को घर से बाहर नहीं निकलने देगी।

तीन साल बाद भी नहीं तैयार हुई मुनमुन तो पति ने की शिकायत

अब जबकि कोविड से काफी हद तक राहत मिल जाने के बाद पति ने एक बार फिर से फ्लैट खोलने और बेटे को बाहर निकलने की मांग की तो मुनमुन के रुख में कोई बदलाव नहीं आया। इसके बाद सुजान ने पुलिस से गुहार की और पूरा मामला बताया।

पुलिस ने दबाव बनाकर मां और बेटे को बाहर निकाला। इसके बाद दोनों को नागरिक अस्पताल लाया गया। अस्पताल के मानसिक चिकित्सा विभाग सहित अन्य डाक्टरों ने मां और बेटे की जांच की। मानसिक चिकित्सा विभाग के डॉ. विनय कुमार के मुताबिक बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है।

बच्चे ने बताया कि उसे समय पर खाना आदि मिलता था। उसकी सभी प्रकार की जरूरतें पूरी की जा रही थीं। उन्होंने बताया कि महिला मानसिक रूप से समस्या ग्रस्त थी। उसे डर था कि उसके बेटे को कोविड संक्रमण न हो जाए। उसने अपनी शंका को ही हकीकत मान लिया था और इस मानसिक अवस्था से वह बाहर नहीं आ सकी थी।

शिवसेना विवाद से शरद पवार ने पहले बनाई थी दूरी अब बोले- पहले कभी नहीं देखा चुनाव आयोग का ऐसा फैसला, केंद्र सरकार पर भी साधा निशाना


 महाराष्ट्र में उद्धव और शिंदे गुट के बीच जारी विवाद में एनसीपी प्रमुख शरद पवार की भी एंट्री हो गई है। सुप्रीम कोर्ट से उद्धव ठाकरे गुट को झटका लगा है, जिसे लेकर शरद पवार ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा "चुनाव आयोग ने कुछ दिन पहले एक फैसला दिया था। यह एक उदाहरण है कि कैसे एक संस्था का दुरुपयोग किया जा सकता है। हमने चुनाव आयोग द्वारा ऐसा फैसला पहले कभी नहीं देखा। बालासाहेब ठाकरे ने अपने आखिरी दिनों में कहा था कि उनके बाद शिवसेना की जिम्मेदारी उद्धव ठाकरे को दी जाएगी।

पवार का चुनाव आयोग पर निशाना

चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए शरद पवार ने कहा कि पिछले दिनों किसी ने चुनाव आयोग से शिवसेना के नाम और चिह्न को लेकर शिकायत की थी। जिसपर चुनाव आयोग ने फैसला सुनाया और इसे पार्टी को बनाने वालों में से किसी और को शिवसेना और उसका चिह्न आवंटित कर दिया। यह राजनीतिक दलों पर बड़ा हमला है।

केंद्र सरकार पर भी साधा निशाना

 शरद पवार ने केंद्र सरकार पर भी जमकर हमला बोला, उन्होंने कहा कि आज चुनाव आयोग और अन्य संस्थाएं वही फैसले दे रही हैं जो सत्ताधारी सरकार चाहती है। आज देश में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जो संस्था काम कर रही है, वह सोचती है कि सत्ता उनके हाथ में रहेगी।

विवाद से पवार ने बनाई थी दूरी

आपको बता दें, शरद पवार ने पिछले दिनों उद्धव ठाकरे को आगे बढ़ने और पार्टी के लिए नए चुनाव चिह्न पर सहमती जाहिर करने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा था, एक बार फैसला (चुनाव आयोग द्वारा) दिए जाने के बाद कोई चर्चा नहीं हो सकती है। पुराने चुनाव चिह्न को खोने का कोई खास असर नहीं होने वाला है, क्योंकि लोग नए चुनाव चिह्न को स्वीकार कर लेंगे। बाद में उन्होंने मीडिया से कहा था कि वह इस विवाद में और नहीं फंसना चाहते हैं। जिसके बाद उन्होंने पूरे मामले से दूरी बना ली थी।

15 दिनों बाद फिर होगी सुनवाई

बुधवार को मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक बार फिर शरद पवार ने अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कराई है।सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट को राहत देते हुए कहा है कि हुए शिवसेना का नाम और उसका चुनाव चिह्न एकनाथ शिंदे के खेमे के पास रहेगा और उद्धव ठाकरे के पास "मशाल" का प्रतीक रहेगा। पूरे मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दो हफ्ते के बाद सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट की बिहार सरकार को फटकार, कहा, शराब के मामले में जेल में बन्द आरोपियों को क्यों न जमानत दे दी जाए, विशेष अदालतों के गठन को अब तक क्


बिहार में करीब छह साल से लगातार शराबबंदी है। ऐसे में लाखों लोग शराबबंदी के मामले में जेल में या तो बंद है या फिर उन पर मुकदमा चल रहा है। इसी मामले को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को जबरदस्त फटकार लगाई है।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा है कि जब तक बिहार में बुनियादी ढांचा नहीं बन जाता है तब तक के लिए सभी आरोपियों को जमानत क्यों नहीं दे दिया जाता है ?

जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि साल 2016 में बिहार मध्य निषेध और उत्पाद अधिनियम लगाया गया था। राज्य सरकार ने विशेष अदालतों के गठन के लिए अब तक जमीन का आवंटन तक नहीं किया है।

पीठ ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि जब तक बुनियादी ढांचे का निर्माण करने लिया जाता तब तक के लिए गिरफ्तार सभी आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया जाए !

अधिनियम की एक धारा का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि जहां तक ​​शराब के सेवन के लिए जुर्माना लगाने का प्रावधान है, यह ठीक है, लेकिन इसका संबंध कार्यकारी मजिस्ट्रेट द्वारा अभियुक्तों को सजा देने की शक्ति से है।

 एमिकस क्यूरी एडवोकेट गौरव अग्रवाल ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय ने कार्यकारी मजिस्ट्रेटों को शक्तियां प्रदान करने के बारे में अपनी आपत्ति व्यक्त की है। इसके बाद पीठ ने राज्य सरकार के वकील को इस मुद्दे पर आवश्यक निर्देश प्राप्त करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि मामले में क्या किया जा सकता है।