खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल के करीबी की गिरफ्तारी के बाद पंजाब में बवाल, थाने पर कब्जा, पुलिस के साथ मारपीट

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पंजाब में खालिस्तान समर्थक नेता अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने जमकर बवाल काटा है। 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख अमृतपाल सिंह के करीबी तूफान सिंह की गिरफ्तारी के विरोध में उसके समर्थक सड़कों पर उतर आए। अमृतपाल के समर्थक भारी तादाद में अमृतसर में इकट्ठा हुए और अजनाला पुलिस थाने पर कब्जा कर लिया। हाथों में हथियार और तलवार लेकर भीड़ यहां जुट गई। इस दौरान पुलिस पर पथराव किया गया।अमृतपाल के समर्थकों ने पुलिस बैरिकेड्स को तोड़ दिया। इस दौरान अमृतपाल के समर्थकों ने कुछ पुलिस कर्मचारियों के साथ बुरी तरह मारपीट भी की। कुछ गाड़ियां भी भीड़ में शामिल लोगों की ओर से तोड़ी गई है।हमले के बाद दबाव में आई पंजाब पुलिस ने आरोपी को रिहा करने का ऐलान कर दिया।

अमृतपाल की पुलिस को धमकी के बाद समर्थकों का बवाल

अमृतपाल सिंह की ओर से अजनाला पुलिस को दी गई धमकी के बाद उसके समर्थकों ने बवाल किया।अमृतपाल ने ही अपने समर्थकों से गुरुवार सुबह 11 बजे अजनाला पहुंचने के लिए कहा था। इसके बाद यहां भीड़ इकट्‌ठा हो गई। माहौल की गंभीरता को भांपते हुए पुलिस भी एक्टिव हो गई और अमृतपाल के पहुंचने से पहले ही उसके समर्थकों को उठाना शुरू कर दिया। पुलिस ने अमृतपाल सिंह के साथी लवप्रीत तूफान को भी गिरफ्तार कर लिया है। इससे माहौल गर्मा गया।

तूफान सिंह को छोड़ने के लिए पुलिस को एक घंटे का अल्टीमेटम

इसके बाद अमृतपाल भी अजनाला थाने में पहुंचा। यहां उसकी एसएसपी सतिंदर सिंह के साथ मीटिंग हुई। जिसके बाद पुलिस को तूफान सिंह को छोड़ने के लिए एक घंटे का अल्टीमेटम दिया। इस दौरान समर्थक थाने के बाहर ही डटे रहे।अमृतपाल सिंह ने कहा- राजनीतिक कारणों से एफआईआर दर्ज की गई है। यदि वे एक घंटे में मामले को रद्द नहीं करते हैं, तो आगे जो कुछ भी होगा उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे।

हंगामे के बाद तूफान को छोड़ रही पुलिस

अमृतपाल की चेतावनी के बाद अमृतसर के पुलिस कमिश्नर जसकरण सिंह का बयान आया। उन्होंने कहा- तूफान को छोड़ा जा रहा है। उसके समर्थकों ने उसकी बेगुनाही के पर्याप्त सबूत दिए हैं। मामले की जांच के लिए SIT गठित की जा रही है। अब यहां जमा लोग शांतिपूर्वक हट जाएंगे।

कौन है अमृतपाल सिंह

दीप सिद्धू के निधन के बाद सितंबर 2022 में अमृतपाल सिंह ने वारिस पंजाब दे की कमान संभाली है। 12वीं की पढ़ाई के बाद 2012 में वो दुबई चला गया था। 29 साल की उम्र में वह वापस लौटा। फरवरी 2022 में दीप सिद्धू की हादसे में मौत हो गई और इसके बाद वारिस पंजाब दे को वही संभाल रहा है। खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह हाल ही में अपने विवादित बयान के बाद सुर्खियों में है।

उत्तराखंड : 15 मार्च को पेश होगा पुष्कर सिंह धामी सरकार का बजट, राज्यपाल के अभिभाषण से होगी सत्र की शुरुआत



उत्तराखंड के भराड़ीसैंण (गैरसैंण) विधानसभा में शुरू होने जा रहे बजट सत्र के दौरान धामी सरकार 15 मार्च को वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेगी। 13 मार्च से सत्र का आगाज राज्यपाल के अभिभाषण से होगा। पिछले दिनों प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में भराड़ीसैंण विधानसभा में बजट सत्र करने का निर्णय लिया था।

अपर सचिव विधायी एवं संसदीय कार्य शमशेर अली ने विधानसभा सत्र का अनंतिम प्रस्ताव जारी कर दिया है। इसके तहत 13 मार्च को राज्यपाल का अभिभाषण के बाद अगले दिन धन्यवाद प्रस्ताव व उस पर चर्चा शुरू होगी। 15 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पारित होगा।

उसी दिन वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल बजट प्रस्ताव पेश करेंगे। 16 मार्च को बजट पर चर्चा होगी और विभागवार अनुदान मांगों का प्रस्तुतिकरण, उन पर विचार और मतदान होगा। 17 मार्च को असरकारी कार्य भी होगा। 18 मार्च को विनियोग विधेयक पास होगा।

सत्र के दौरान विधायी एवं संसदीय कार्यों के लिए सभी विभागों में नोडल अधिकारी बनाए जाने के निर्देश दिए गए हैं। इस संबंध में विधायी एवं संसदीय विभाग के ओर से पत्र जारी किया गया है।

पवन खेड़ा को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने दी अंतरिम जमानत, सभी एफआईआर की एक जगह होगी सुनवाई

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कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी असम पुलिस द्वारा कांग्रेस नेता पवन खेड़ा की गिरफ्तारी के कुछ ही देर बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी। इसके साथ ही कोर्ट ने असम पुलिस और यूपी पुलिस को एफआईआर को एक साथ करने की याचिका पर नोटिस जारी किया है।

कांग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पवन खेड़ा को अंतरिम राहत देने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी। सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पवन खेड़ा ने मांफी मांगी है। यह भी बताया कि जुबान फिसलने के कारण उनसे यह गलती हुई थी। यह सुनवाई चीफ जस्टिस समेत तीन जजों की बेंच में हुई। अदालत ने पवन खेड़ा को अंतरिम जमानत दे दी है। इसके साथ ही तीन जगहों पर दर्ज एफआईआर की सुनवाई अब एक जगह यानी सुप्रीम कोर्ट में होगी। शीर्ष अदालत का कहना है कि सुनवाई की अगली तारीख तक याचिकाकर्ता को द्वारका कोर्ट से अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाएगा। कोर्ट ने द्वारका कोर्ट को खेड़ा को अंतरिम राहत देने का निर्देश दिया है। 

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि पवन खेड़ा को असम में दर्ज केस में हिरासत में लिया गया है। पूरे देश में केस दर्ज हो रहे हैं। इस मामले को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने सुना। चीफ जस्टिस ने पूछा कि पवन खेड़ा कौन हैं? सिंघवी ने बताया कि वे कांग्रेस प्रवक्ता हैं। उन्होंने कुछ ऐसा कहा जो मैं शायद खुद नहीं कहता। सीजेआई ने कहा कि वह बयान क्या है? सिंघवी ने कहा कि बयान जैसा भी हो। गिरफ्तारी का मामला नहीं बनता।

इस पर सीजेआई ने पूछा कि क्या कहा था? सिंघवी ने बताया कि ये कहा था कि मैं कन्फ्यूज हो जाता हूं कि नरेंद्र दामोदर दास मोदी हैं या गौतम दास। उन्होंने बाद में अपनी गलती के लिए खेद भी जताया था। उन्होंने कहा था कि गलती से कह दिया था। सिंघवी ने कहा कि लखनऊ और वाराणसी की एफआईआर 20 फरवरी की है। असम की 23 फरवरी की है। मैं गिरफ्तारी से राहत और सभी मामले एक साथ जोड़े जाने का अनुरोध कर रहा हूं।उन्हें रिहा किया जाए, वे जांच में सहयोग करेंगे।

इस पर असम सरकार की तरफ से पेश एएसजी एश्वर्या भाटी पेश ने कहा कि वीडियो देखिए क्या बयान जानबूझकर नहीं दिया गया था। इसके बाद सीजेआई ने पवन खेड़ा का वीडियो देखा। इस दौरान एएसजी ने दलील दी कि ‘पीसी में देखा जा सकता है कि किस तरह से हंस रहे थे, ये देश के पीएम के प्रति बोला जा रहा था।

LAC विवाद पर सैन्य कमांडर स्तर की अगली बैठक जल्द, बीजिंग में भारत-चीन के बीच WMCC की 26वीं हुई बैठक पढ़िए क्या क्या हुए निर्णय


भारत-चीन के बीच सीमा मामलों को लेकर परामर्श एवं समन्वय प्रणाली (WMCC) की बुधवार को 26वीं बैठक हुई। इस बैठक में पूर्वी लद्दाख के बचे हुए बिंदुओं से सेनाओं को हटाने के मुद्दे पर वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की बैठक को जल्द आयोजित करने को लेकर सहमति बनी।

बीजिंग में हुई डब्ल्यूएमसीसी की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) डॉ. शिल्पक आम्बुले ने की, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व चीनी विदेश मंत्रालय में सीमा एवं समुद्री मामलों के विभाग के महानिदेशक यी शियानलियांग ने की।

LAC पर दोनों देशों की स्थिति की समीक्षा हुई

इस बैठक में दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में पश्चिमी सेक्टर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थिति की समीक्षा की और बाकी इलाकों से सेनाओं को पीछे हटाने के प्रस्तावों पर खुले एवं रचनात्मक तरीके से चर्चा की ताकि एलएसी पर शांति एवं स्थिरता बहाल हो सके और दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति हो सके।

मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के मुताबिक, भारत और चीन दोनों ही वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की बैठक को जल्द से जल्द आयोजित करने पर सहमत हुए। रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों पक्षों ने अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सैन्य और राजनयिक चैनलों के जरिए चर्चा को जारी रखने पर सहमति जताई है।

 डब्ल्यूएमसीसी की स्थापना साल 2012 में सीमा मामलों पर भारत और चीन के बीच परामर्श एवं समन्वय के लिए मंच प्रदान कराने के उद्देश्य से की गई थी। ऐसे में डब्ल्यूसीसी की 26वीं बैठक महत्वपूर्ण थी, क्योंकि साल 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद दोनों देश आमने-सामने हैं। हालांकि, एलएसी पर जारी तनातनी को समाप्त करने के उद्देश्य से दोनों देशों के बीच 17 दौर की सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता हो चुकी है।

कोविड संक्रमण के भय से तीन साल तक खुद और अपने 10 साल के बच्चे को घर में कैद रखा, पति की शिकायत पर पुलिस ने किया रेस्क्यू, पढ़िए, पूरा मामला


गुरुग्राम थाना सेक्टर-29 क्षेत्र के मारूति विहार सोसाइटी में एक महिला ने कोविड संक्रमण के भय के चलते तीन साल तक खुद को और अपने 10 साल के बच्चे को घर के अंदर कैद करके रख रखा था। तीन साल बाद महिला के पति की शिकायत पर पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ महिला और उसके बच्चे को घर से निकाला है

सेक्टर-10 स्थित नागरिक अस्पताल में महिला और बच्चे के प्राथमिक परीक्षण के बाद दोनों को रोहतक के पंडित भगवत दयाल पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल इंस्टीट्यूट भेज दिया गया है। डाक्टरों के मुताबिक महिला को मानसिक समस्या से ग्रस्त है। उसने संक्रमण के प्रति अपनी शंका को ही वास्तविकता समझ लिया था।

मूल रूप से पश्चिम बंगाल के रहने वाले सुजान मांजी अपनी पत्नी मुनमुन मांजी और 10 वर्षीय बेटे शोभित के साथ मारुति विहार कालोनी में रहते हैं। सन 2020 में कोविड के दौरान लॉकडाउन होने पर सुजान मांजी ने भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया। कुछ दिन बाद कोविड नियमों में ढील देने के बाद मुनमुन ने अपने बेटे सहित खुद को संक्रमण फैल जाने के डर से फ्लैट में कैद कर लिया। यहां तक कि अपने पति सुजान मांझी को भी फ्लैट के अंदर आने से इनकार कर दिया।

पति को ये कहकर नहीं घुसने दिया घर के अंदर

मुनमुन की दलील थी कि वह ऑफिस जाता है इसलिए बाहर से संक्रमण आ सकता है। सुजान ने अपने परिवार, रिश्तेदार, ससुराल वाले सभी से फोन पर बात करवा कर मुनमुन को आश्वस्त करने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मानी। इसके बाद सुजान वहीं सोसायटी में ही किराए पर फ्लैट लेकर रहने लगा। इन तीन सालों में सुजान अपनी पत्नी मुनमुन व बेटे के लिए राशन, सब्जियां, दूध आदि दैनिक जरूरतों की चीजों को मुनमुन वाले फ्लैट के बाहर रख दिया करता था।

सिलेंडर खत्म होने पर इंडक्शन कुकिंग प्लेट रख दी। वह बिजली का बिल और किराया आदि चुकाता रहा। बेटे की क्लास आन लाइन फोन पर होती थी। मुनमुन की मांग थी कि जब तक 12 वर्ष तक के बच्चों के लिए वैक्सीन नहीं आ जाती तब तक वह स्वयं को और अपने बेटे को घर से बाहर नहीं निकलने देगी।

तीन साल बाद भी नहीं तैयार हुई मुनमुन तो पति ने की शिकायत

अब जबकि कोविड से काफी हद तक राहत मिल जाने के बाद पति ने एक बार फिर से फ्लैट खोलने और बेटे को बाहर निकलने की मांग की तो मुनमुन के रुख में कोई बदलाव नहीं आया। इसके बाद सुजान ने पुलिस से गुहार की और पूरा मामला बताया।

पुलिस ने दबाव बनाकर मां और बेटे को बाहर निकाला। इसके बाद दोनों को नागरिक अस्पताल लाया गया। अस्पताल के मानसिक चिकित्सा विभाग सहित अन्य डाक्टरों ने मां और बेटे की जांच की। मानसिक चिकित्सा विभाग के डॉ. विनय कुमार के मुताबिक बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है।

बच्चे ने बताया कि उसे समय पर खाना आदि मिलता था। उसकी सभी प्रकार की जरूरतें पूरी की जा रही थीं। उन्होंने बताया कि महिला मानसिक रूप से समस्या ग्रस्त थी। उसे डर था कि उसके बेटे को कोविड संक्रमण न हो जाए। उसने अपनी शंका को ही हकीकत मान लिया था और इस मानसिक अवस्था से वह बाहर नहीं आ सकी थी।

शिवसेना विवाद से शरद पवार ने पहले बनाई थी दूरी अब बोले- पहले कभी नहीं देखा चुनाव आयोग का ऐसा फैसला, केंद्र सरकार पर भी साधा निशाना


 महाराष्ट्र में उद्धव और शिंदे गुट के बीच जारी विवाद में एनसीपी प्रमुख शरद पवार की भी एंट्री हो गई है। सुप्रीम कोर्ट से उद्धव ठाकरे गुट को झटका लगा है, जिसे लेकर शरद पवार ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा "चुनाव आयोग ने कुछ दिन पहले एक फैसला दिया था। यह एक उदाहरण है कि कैसे एक संस्था का दुरुपयोग किया जा सकता है। हमने चुनाव आयोग द्वारा ऐसा फैसला पहले कभी नहीं देखा। बालासाहेब ठाकरे ने अपने आखिरी दिनों में कहा था कि उनके बाद शिवसेना की जिम्मेदारी उद्धव ठाकरे को दी जाएगी।

पवार का चुनाव आयोग पर निशाना

चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए शरद पवार ने कहा कि पिछले दिनों किसी ने चुनाव आयोग से शिवसेना के नाम और चिह्न को लेकर शिकायत की थी। जिसपर चुनाव आयोग ने फैसला सुनाया और इसे पार्टी को बनाने वालों में से किसी और को शिवसेना और उसका चिह्न आवंटित कर दिया। यह राजनीतिक दलों पर बड़ा हमला है।

केंद्र सरकार पर भी साधा निशाना

 शरद पवार ने केंद्र सरकार पर भी जमकर हमला बोला, उन्होंने कहा कि आज चुनाव आयोग और अन्य संस्थाएं वही फैसले दे रही हैं जो सत्ताधारी सरकार चाहती है। आज देश में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जो संस्था काम कर रही है, वह सोचती है कि सत्ता उनके हाथ में रहेगी।

विवाद से पवार ने बनाई थी दूरी

आपको बता दें, शरद पवार ने पिछले दिनों उद्धव ठाकरे को आगे बढ़ने और पार्टी के लिए नए चुनाव चिह्न पर सहमती जाहिर करने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा था, एक बार फैसला (चुनाव आयोग द्वारा) दिए जाने के बाद कोई चर्चा नहीं हो सकती है। पुराने चुनाव चिह्न को खोने का कोई खास असर नहीं होने वाला है, क्योंकि लोग नए चुनाव चिह्न को स्वीकार कर लेंगे। बाद में उन्होंने मीडिया से कहा था कि वह इस विवाद में और नहीं फंसना चाहते हैं। जिसके बाद उन्होंने पूरे मामले से दूरी बना ली थी।

15 दिनों बाद फिर होगी सुनवाई

बुधवार को मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक बार फिर शरद पवार ने अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कराई है।सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट को राहत देते हुए कहा है कि हुए शिवसेना का नाम और उसका चुनाव चिह्न एकनाथ शिंदे के खेमे के पास रहेगा और उद्धव ठाकरे के पास "मशाल" का प्रतीक रहेगा। पूरे मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दो हफ्ते के बाद सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट की बिहार सरकार को फटकार, कहा, शराब के मामले में जेल में बन्द आरोपियों को क्यों न जमानत दे दी जाए, विशेष अदालतों के गठन को अब तक क्


बिहार में करीब छह साल से लगातार शराबबंदी है। ऐसे में लाखों लोग शराबबंदी के मामले में जेल में या तो बंद है या फिर उन पर मुकदमा चल रहा है। इसी मामले को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को जबरदस्त फटकार लगाई है।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा है कि जब तक बिहार में बुनियादी ढांचा नहीं बन जाता है तब तक के लिए सभी आरोपियों को जमानत क्यों नहीं दे दिया जाता है ?

जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि साल 2016 में बिहार मध्य निषेध और उत्पाद अधिनियम लगाया गया था। राज्य सरकार ने विशेष अदालतों के गठन के लिए अब तक जमीन का आवंटन तक नहीं किया है।

पीठ ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि जब तक बुनियादी ढांचे का निर्माण करने लिया जाता तब तक के लिए गिरफ्तार सभी आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया जाए !

अधिनियम की एक धारा का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि जहां तक ​​शराब के सेवन के लिए जुर्माना लगाने का प्रावधान है, यह ठीक है, लेकिन इसका संबंध कार्यकारी मजिस्ट्रेट द्वारा अभियुक्तों को सजा देने की शक्ति से है।

 एमिकस क्यूरी एडवोकेट गौरव अग्रवाल ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय ने कार्यकारी मजिस्ट्रेटों को शक्तियां प्रदान करने के बारे में अपनी आपत्ति व्यक्त की है। इसके बाद पीठ ने राज्य सरकार के वकील को इस मुद्दे पर आवश्यक निर्देश प्राप्त करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि मामले में क्या किया जा सकता है।

फिर बेनकाब हुआ पाकिस्तान! खुलेआम घूमता दिखा हिजबुल चीफ सैयद नसलाहुद्दीन

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आतंकियों के सबसे बड़े पनाहगार पाकिस्तान का चेहरा एक बार फिर बेनकाब हो गया है। टॉप टेरेरिस्‍ट और हिजबुल मुजाहिदीन के चीफ सैयद सलाहुद्दीन को पाकिस्तान में खुलेआम घूमते देखा गया है।भारत के मोस्ट वांटेड सलाउद्दीन को उसके कमांडर बशीर अहमद पीर के जनाजे में देखा गया है। एक दिन पहले अज्ञात हमलावरों ने बशीर की गोली मारकर हत्या कर दी थी।बशीर अहमद पीर को सैयद सलाहुद्दीन का दाहिना हाथ बताया जाता है। 

रिपोर्ट के मुताबिक, हिजबुल मुजाहिदीन सरगना सैयद सलाहुद्दीन न केवल बशीर अहमद पीर के जनाजे में शामिल हुआ, बल्कि उसका नेतृत्व भी किया। इस दौरान पाकिस्तानी पुलिस और रेंजर्स की मौजूदगी भी थी। जनाजे में शामिल भीड़ ने आतंकी बशीर के समर्थन में जमकर नारेबाजी भी की। सैयद सलाहुद्दीन ने बशीर के जनाजे की नमाज भी अदा की और भारत के विरोध में तकरीर भी दी। 

एफएटीएफ से एक्शन लेने की अपील

भारत ने इस मामले में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) से भी एक्शन लेने की अपील की है। भारत ने कहा, जब पाकिस्तान असल में एक 'टेरर सपोर्टिंग नेशन' ही है। पाकिस्तान केवल खुद को एफएटीएफ की ब्लैकलिस्ट से खुद को बाहर करवाने के लिए ही आंतकियों के खिलाफ कार्रवाई का दिखावा कर रहा था। एफएटीएफ और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) को इसका संज्ञान लेना चाहिए।

कौन है सैयद सलाउद्दीन?

सैयद सलाहुद्दीन हिजबुल मुजाहिदीन का सरगना और यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का प्रमुख है। सैयद सलाहुद्दीन का पूरा नाम सैयद मोहम्मद युसूफ शाह है। 26 जून 2017 को अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने उसे विशेष नामित वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था। सलाउद्दीन को भारत सरकार ने 4 अक्टूबर 2022 को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम UAPA के तहत आतंकी घोषित किया था। 77 साल का आतंकी सलाउद्दीन पीओके में रहता है। वहां से वह आतंकी कैंप में युवाओं को जिहाद के नाम पर घाटी में आतंक फैलाने की ट्रेनिंग देता है।यूनिवर्सिटी ऑफ कश्मीर से राजनीति विज्ञान की पढ़ाई करते वक्त वह जमात-ए-इस्लामी के संपर्क में आया और उसकी जम्मू-कश्मीर शाखा का सदस्य बन गया। पढ़ाई के दौरान ही वह कट्टपंथी बन गया था। 

कश्मीर में हिंसा फैलाने के लिए हिजबुल मुजाहिदीन की स्थापना की

सैयद सलाहुद्दीन ने 1987 में जम्मू और कश्मीर से मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के टिकट पर श्रीनगर की अमीरा कदल सीट से चुनाव भी लड़ा था। हालांकि वह भारी मतों से चुनाव हार गया और इस सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस के गुलाम मोहिउद्दीन शाह जीत गए। इसके बाद मोहिउद्दीन शाह के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ जिसकी अगुवाई सैयद सलाहुद्दीन ने की थी। इस मामले में सैयद सलाहुद्दीन को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। 1989 में रिहा होने के बाद सैयद सलाहुद्दीन ने कश्मीर में हिंसा फैलाने के लिए हिजबुल मुजाहिदीन की स्थापना की।

दिल्ली विधानसभा में स्थायी समिति के चुनाव के दौरान हंगामा, हाथापाई और बोतल फेंकने के बाद सत्र की कार्यवाही पांचवीं बार स्थगित


दिल्ली नगर निगम में स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव के दौरान सदन में हंगामा जारी है। कल रात से सदन की कार्यवाही पांचवीं बार स्थगित हुई है। जैसे ही कार्यवाही शुरू होती है पार्षदों का हंगामा शुरू हो जाता है। कल हाथापाई हुई और बोतलें फेंकी गईं और आज सवेरे तक सदन में कागजी गोले रुक-रुक कर चलते रहे। महिला पार्षद भी आपस में भिड़ती रही हैं। हंगामे के मद्देनजर एडिशनल डीसीपी शशांक जायसवाल ने सिविक सेंटर का दौरा किया है।

इससे पहले मेयर, डिप्टी मेयर का चुनाव होने के बाद बुधवार रात स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव हंगामे के कारण फंसा रहा। स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव में सदन के अंदर आम आदमी पार्टी और भाजपा के पार्षदों ने एक-दूसरे पर जमकर लात घूंसे चलाए और पानी की बोतलें फेंककर मारीं। 

मेयर ने आरोप लगाया है कि भाजपा पार्षदों ने उन पर भी हमला किया। आप के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि चुनाव हुए बगैर सत्र खत्म नहीं होगा। भले सदन लगातार कई दिनों तक चलता रहे। स्टैंडिंग कमेटी भी आप की ही बनेगी। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव पहली बैठक में ही कराने का आदेश दिया है। वहीं, रात करीब एक बजे आप के पार्षद सदन से निकल गए, लेकिन भाजपा के पार्षद बैठकर मेयर का इंतजार करते रहे।

दरअसल, मेयर, डिप्टी मेयर के चुनाव में सदस्यों को वोटिंग के दौरान मोबाइल साथ में लेकर जाने की रोक थी। इसका सभी सदस्यों ने पालन भी किया। शांतिपूर्वक ये दोनों चुनाव संपन्न हो गए। 

इसके बाद मेयर ने एक घंटे के लिए सदन की कार्यवाही को स्थगित करते हुए कहा कि लौटते ही स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव शुरू कराएंगी, लेकिन करीब दो घंटे की देरी के बाद मेयर चेयर पर लौटीं। इस दौरान पार्षदों ने सदन में हनुमान चालीसा का पाठ किया और देशभक्ति के गाने भी गाए। सदन में जय श्रीराम, जय बजरंग बली के जयकारे लगाए गए। भाजपा की पार्षद शिखा राय ने निगम सचिव भगवान सिंह से सवाल किया कि मेयर मैडम अपनी चेयर पर लौट रही हैं, वे दो घंटे से गायब हैं। इसके करीब दस मिनट बाद मेयर चेयर पर लौटीं।

शैली बोलीं... केजरीवाल हैरान

हंगामे को लेकर शैली ओबरॉय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक जब स्थायी समिति का चुनाव कराया जा रहा था तब बीजेपी पार्षदों ने मुझ पर हमला करने की कोशिश की! बीजेपी की गुंडागर्दी की यह हद है कि वे एक महिला मेयर पर हमला करने की कोशिश कर रहे हैं।

वहीं, सीएम केजरीवाल ने दिल्ली की मेयर की इस प्रतिक्रिया पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि वह इस प्रकरण को लेकर हैरान हैं।

जमकर हुई तूतू-मैंमैं

हंगामे को लेकर आर विधायक कुलदीप कुमार ने कहा कि बीजेपी के पास संख्या नहीं है इसलिए वह गुंडागर्दी करके एक स्थायी समिति बनाना चाहती है। हम SC के निर्देश पर चुनाव के लिए तैयार हैं। एमसीडी हाउस में बोतलें फेंकी गईं। दिल्ली के लोग देख रहे हैं कि बीजेपी किस तरह स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव टालना चाहती है।

वहीं भाजपा पार्षद अर्जुन पाल सिंह ने कहा कि बैलट वोटिंग के दौरान फोन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए लेकिन फोन की अनुमति थी और हमने इसका विरोध किया। मेयर ने इसे स्वीकार कर लिया, हमारी मांग है कि जब 50 लोग पहले ही मतदान कर चुके हैं और फोटो खिंच चुकी है तो मतदान फिर से शुरू किया जाए। विरोध करने पर हमें धमकाया गया और हमला किया गया।

सदन की कार्यवाही के दौरान मेयर की चेयर पर आने के बाद शैली ओबेरॉय ने एक घंटे के लिए सदन को स्थगित किया और दोबारा लौटने पर स्थायी समिति के छह सदस्यों का चुनाव कराने की बात कही। करीब दो घंटे के बाद शैली चेयर पर लौटीं और चुनाव की प्रक्रिया शुरू कराई। उन्होंने स्थायी समिति की वोटिंग के लिए सदस्यों को मोबाइल लेकर जाने की अनुमति प्रदान की। इसका भाजपा के पार्षदों ने विरोध किया। कुछ देर के बाद भाजपा के पार्षदों ने फिर से विरोध किया कि सदस्य वोट देने के बाद बैलेट पेपर की फोटो खींच रहे हैं। यह वोटिंग कराने असंविधानिक तरीका है।

सदन में हंगामा बढ़ गया, तब तक सदन में 43 सदस्यों ने वेटिंग कर ली थी। करीब डेढ़ घंटे तक सदन में हंगामा चलता रहा। रात को आठ बजे तक स्थायी समिति के सदस्यों का चुनाव नहीं हो पाया था। इस बीच निगम सचिव भगवान सिंह ने मेयर शैली ओबरॉय को कागज दिखाए कि मोबाइल के साथ वोटिंग की अनुमति नहीं है। इसके बाद मेयर ने बिना मोबाइल के वोटिंग का आदेश दिया, लेकिन इस पर भाजपा के पार्षदों ने कहा कि ऐसे में पहले मोबाइल के साथ हुई वोटिंग अनधिकृत है, इसे रद्द किया जाए। देर रात तक यह फैसला नहीं हो पाया था कि वोटिंग दोबारा होगी या वहीं से आगे बढ़ेगी।

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा को दिल्ली में असम पुलिस ने किया गिरफ्तार, पीएम मोदी के अपमान का आरोप

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कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा को गुरुवार को रायपुर जाने वाली उड़ान से नीचे उतार दिया गया और उसके बाद दिल्ली पुलिस उन्हें रनवे से हिरासत में ले लिया। जिसके बाद असम पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।खबर है कि उन्हें दिल्ली कोर्ट में पेश किया जायेगा और ट्रांजिट रिमांड पर असम लेकर जाया जाएगा।

ट्रांजिट रिमांड पर लेगी असम पुलिस

असम पुलिस ने अपने बयान में कहा कि पीएम पर विवादित टिप्पणी पर एक आदमी ने शिकायत दर्ज करवाई थी। हम लोगों ने इसी पर मामला दर्ज किया है। हमने दिल्ली पुलिस को जानकारी दी। पवन खेड़ा अभी गिरफ्तार नहीं हुए हैं, ट्रांजिट रिमांड मिलेगी तो लेकर आएंगे। 

असम में पवन खेड़ा के खिलाफ मामला दर्ज

असम पुलिस के आईजीपी और स्पॉक्स प्रशांत कुमार भुइयां ने बताया कि असम के दीमा हसाओ जिले के हाफलोंग थाने में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. मामले के सिलसिले में पवन खेड़ा की रिमांड लेने के लिए असम पुलिस की एक टीम दिल्ली रवाना हुई थी और उन्हें गिरफ्तार किया गया.

कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

इस बीच, पवन खेड़ा की गिरफ्तारी के खिलाफ कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। खेड़ा की गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है। कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने शीर्ष अदालत में इस बारे में एक याचिका दाखिल की है।