उपेन्द्र कुशवाहा हमेशा स्वयं हित की राजनीति करते हैं : दिलीप कुशवाहा*
जहानाबाद : जदयू मुख्य प्रवक्ता दिलीप कुशवाहा ने उपेंद्र कुशवाहा को नई पार्टी बनाने पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अपने व्यक्तिगत स्वार्थ में बार-बार दल बदलने और कुशवाहा समाज को मोहरा बनाने वाले उपेंद्र कुशवाहा को सभी राजनीतिक दलों और खासकर बिहार का कुशवाहा समाज पूरी तरह समझ चुका है।
उपेंद्र जी ने अपने फायदे के लिए समाज को कई बार बेचा इसलिए उपेंद्र कुशवाहा के साथ समाज का मोह भंग हो चुका है।
बिहार का कुशवाहा समाज इतना बेबस और मूर्ख नहीं है की वह बार-बार उपेंद्र जी के इशारे पर उनकी राजनीतिक रोटी सेकने में मददगार बना रहे।
कहा कि बिहार का कुशवाहा समाज अब उपेंद्र कुशवाहा से नफरत करने लगा है। अभी तक कई पार्टियों का गठन कर राजनीतिक रोटी सेकने का काम किया है।
पार्टी बनाकर बड़ी पार्टियों को ब्लैकमेल कर स्वयं किसी न किसी सदन का सदस्य बनने का किया साथ ही साथ कुशवाहा समाज को ठगने का काम किया है।
प्रवक्ता दिलीप कुशवाहा ने कहा कि उपेंद्र जी नीतीश कुमार जी के कृपा से समता पार्टी के मशाल चुनाव चिन्ह पर साल 2000 में बिहार विधान सभा का सदस्य बने और 2004 में विधानसभा के विरोधी दल के नेता बने।
पुनः नीतीश कुमार जी ने 2005 के दोनों चुनावों में जदयू से टिकट दिया लेकिन दोनों चुनाव में कुशवाहा चुनाव हार गए।
अति महत्वाकांक्षी होने के कारण श्री कुशवाहा ने 2006- 07 में नीतीश कुमार जी का साथ छोड़ कर शरद पवार जी के रा०क०पा० में शामिल होकर प्रदेश अध्यक्ष बने लेकिन एक दो वर्ष में ही उनका साथ छोड़ अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय समता पार्टी का गठन किया।
उस समय कुशवाहा समाज ने इनका पूरा सहयोग किया। लेकिन 2009 में पुनः अपने कार्यकर्ताओं को दरकिनार करते हुए नीतीश कुमार जी मे आस्था व्यक्त करते हुए जदयू में अपनी पार्टी रासपा का विलय कर दिया और नीतीश कुमार जी ने उन्हें 2010 में राज्यसभा भेजने का काम किया।
कुशवाहा ने पुनः अपना रंग दिखाते हुए नीतीश कुमार जी को धोखा दिया और 2013 में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नाम से दूसरी पार्टी का निर्माण कर 2014 में बीजेपी के साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव जीतकर केंद्र में मंत्री बन 2019 तक सत्ता का आनंद लेने का काम किया और पुनः 2019 में आज जिस लालू प्रसाद यादव और उनके पुत्र माननीय उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव जी का विरोध कर रहे हैं। उन्हीं के साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे।
पुनः 2021 में उपेंद्र जी ने अपनी पार्टी को जदयू में विलय कर विधान परिषद गये। अगर उन्हें तनिक भी कार्यकर्ता और पार्टी का ख्याल रहता तो वो अपने निजी स्वार्थ में 2 - 2 बार पार्टी का विलय नहीं करते।
प्रवक्ता कुशवाहा ने कहा कि उपेन्द्र कुशवाहा जी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी से इतना ही दर्द है तो नीतीश कुमार जी के कृपा से विधायक, राज्यसभा और विधान परिषद के का जो पेंशन और वेतन भत्ता का लाभ ले रहे हैं उसका त्याग कर देना चाहिए।
जहानाबाद से बरुण कुमार
Feb 20 2023, 17:26