अमेरिका ने 205 भारतीयों को वापस भेजा, सी-17 सैन्य विमान से आज पहुंचेगा अमृतसर

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अमेरिका में ट्रंप सरकार ने अवैध अप्रवासियों को डिपोर्ट करना तेज कर दिया है। इसी क्रम में भारतीय अवैध अप्रवासियों को भी डिपोर्ट किया जा रहा है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक सोमवार को यूएस एयरफोर्स का C-17 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट अवैध अप्रवासियों को लेकर भारत के लिए उड़ान भर चुका है। ये फ्लाइट अमृतसर एयरपोर्ट लैंड करेगी। इसके पहले एयरपोर्ट पर हलचल बढ़ गई है। प्रशासन की तरफ से अवैध प्रवासियों को लेकर तैयारी की गई है।

इस एयरक्राफ्ट में 205 लोग सवार हैं। इन सभी की पहचान कर ली गई है। इस पूरी प्रकिया में भारत भी शामिल रहा। बताया जा रहा है कि अमेरिकी वायुसेना का सी-17 ग्लोबमास्टर विमान टेक्सास से भारत की तरफ रवाना हुआ है। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक निर्वासित भारतीयों के एक समूह को लेकर विमान ने टेक्सास के पास स्थित एक एयरबेस से उड़ान भरी है।

पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने बताया कि अमेरिका से भेजे गए अवैध प्रवासियों को राज्य सरकार के लोग रिसीव करेंगे। पहचान और अन्य कागजी कार्रवाई के लिए हवाई अड्डे पर काउंटर बनाए गए हैं। अमृतसर प्रशासन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, अमेरिकी विमान से आने वाले सभी लोगों के दस्तावेजों की अमृतसर एयरपोर्ट पर जांच की जाएगी। इमीग्रेशन आदि के अलावा इन लोगों की पूरी पृष्ठभूमि, खासकर उनका आपराधिक रिकॉर्ड की जांच की जाएगी। यदि कोई आपराधिक रिकॉर्ड पाया जाता है तो उन्हें एयरपोर्ट पर ही हिरासत में ले लिया जाएगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संकल्प और नीतियों का असर दिखना शुरू हो गया है। बीते 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद संभालने के बाद ट्रंप ने अवैध प्रवासियों को अमेरिका से निकाले जाने संबंधी कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। इस पर अमल करते हुए अमेरिकी प्रशासन ने सी-17 सैन्य विमान से 205 भारतीय लोगों के एक समूह को अमेरिका से वापस भेज दिया है। भारतीयों को अमेरिका से निकाले जाने की यह ताजा खबर ट्रंप प्रशासन की सख्ती दिखाता है। बता दें कि बीते दो हफ्ते की अवधि में भारत के अलावा भी कई देशों के अवैध प्रवासियों को अमेरिका से निर्वासित किया जा चुका है।

गाजा पर कब्जा करेगा अमेरिका, नेतन्याहू से मुलाकात के बाद राष्ट्रपति ट्रंप का ऐलान, जानें क्या है प्लान?

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर बड़ा बयान देकर खलबली मचा दी है।राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा पट्टी को लेकर चौंकाने वाला बयान दिया है। ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका गाजा पट्टी पर अपना नियंत्रण करेगा। मंगलवार को नेतन्याहू के साथ बातचीत के बाद वॉइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने ये बड़ा बयान दिया है।

डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि हम गाजा का मालिकाना लेना चाहते हैं, इसके बाद गाजा में मौजूद खतरनाक बमों और अन्य हथियारों को नष्ट करने की जिम्मेदारी हमारी होगी। अमेरिका ध्वस्त या जर्जर हो चुकी इमारतों का पुनर्निर्माण कराएगा और गाजा का आर्थिक विकास करेगा। इससे गाजा में रोजगार और लोगों को घर मिलेंगे।

गाजा को अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र बनाने का प्लान

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि गाजा एक 'अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र' होगा। ट्रंप ने आगे बताया कि अमेरिका द्वारा पुनर्निर्माण पूरा करने के बाद दुनिया भर के लोग गाजा में रहेंगे। उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनी उनमें से हो सकते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या वह गाजा में सुरक्षा शून्य को भरने के लिए अमेरिकी सैनिकों को भेजने के लिए तैयार हैं, ट्रंप ने इससे इनकार नहीं किया।

सेना उतारने को तैयार ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि गाजा के पुनर्निर्माण में अगर अमेरिकी सेना की जरूरत पड़ी तो वे सेना को भी गाजा में तैनात करने पर विचार कर सकते हैं। ट्रंप ने कहा कि अगर यह जरूरी हुआ तो हम ऐसा करेंगे।

फिलिस्तीनियों को निकालने की बात

ट्रंप ने एक बार फिर दोहराया कि फिलिस्तीनियों को गाजा के 'नरक के गड्ढे' से निकाल दिया जाना चाहिए। ट्रंप ने कहा कि गाजा को एक ही लोगों के पुनर्निर्माण और कब्जे की प्रक्रिया से नहीं गुजरना चाहिए। उन्होंने कहा कि गाजा की आबादी को इंसानी दिल रखने वाले देशों में स्थानांतरित किया जाना चाहिए और दावा किया कि कई लोग हैं जो ऐसा करना चाहते हैं।

नेतन्याहू ने किया ट्रंप की योजना का समर्थन

ट्रंप के साथ उस वक्त बेंजामिन नेतन्याहू भी बैठे थे और खुश हो रहे थे। जब ट्रंप यह सब बोल रहे थे, तब नेतन्याहू मुस्कुरा रहे थे। बेंजामिन नेतन्याहू ने भी ट्रंप की इस योजना का समर्थन किया और इसे पर खुशी जाहिर की। नेतन्याहू ने कहा कि हम चाहते हैं कि गाजा भविष्य में अब कभी भी इस्राइल के लिए खतरा न बने, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप इसे एक नई ऊंचाई पर ले जा रहे हैं। ट्रंप का विचार अलग है और इससे गाजा का भविष्य बदल जाएगा। इस विचार पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। नेतन्याहू ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो इससे इतिहास बदल सकता है।

बैकफुट पर डोनाल्ड ट्रंप! कनाडा और मैक्सिको पर टैरिफ का फैसला टाला, इतने दिनों की दी राहत

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लगता है ग्लोबल टैरिफ वॉर टल गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कनाडा और मेक्सिको पर टैरिफ लगाने के फैसले को 30 दिन के लिए टाल दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मेक्सिको के बाद अब कनाडा को भी टैरिफ से 30 दिनों के लिए राहत दे दी है। सोमवार को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ट्रंप से फोन पर बातचीत के बाद बताया कि अमेरिका ने शनिवार को लगाए गए टैरिफ को 30 दिनों के लिए रोकने का फैसला किया है। इसके पहले अमेरिका ने मेक्सिको के खिलाफ भी टैरिफ पर 30 दिन की रोक लगाई थी। ट्रंप ने टैरिफ को रोकने का फैसला तब लिया है, जब दोनों देशों ने सीमा सुरक्षा और ड्रग्स की तस्करी को रोकने के लिए कदम उठाए हैं।

ट्रंप ने बताया कि ट्रूडो और शिनबाम के साथ उनकी बातचीत अच्छी रही। दोनों देशों ने अमेरिका के साथ बॉर्डर को सिक्योर करने पर सहमति जताई है। इसके बाद ट्रम्प ने दोनों देशों पर टैरिफ रोकने से जुड़े कार्यकारी आदेश पर साइन किए। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर कहा कि ‘बहुत ही दोस्ताना बातचीत’ के बाद उन्होंने ‘एक महीने की अवधि के लिए टैरिफ को तुरंत रोकने पर सहमति जताई। ट्रंप ने कहा कि इस एक महीने के दौरान दोनों देशों के बीच और बातचीत होगी, ताकि एक ‘डील’ हासिल की जा सके।

फेंटेनाइल तस्करी पर रोक लगाने की दिशा में कदम

ट्रंप के फैसले के बाद ट्रूडो ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि टैरिफ पर रोक के बदले में कनाडा बॉर्डर सिक्योरिटी में भारी निवेश करेगा। साथ ही संगठित अपराध, फेंटेनाइल की तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए दोनों देश मिलकर कनाडा-यूएस ज्वाइंट स्ट्राइक फोर्स बनाएंगे। इसके अलावा कनाडा फेंटेनाइल जार (फेंटेनाइल की तस्करी रोकने वाला अधिकारी) की नियुक्ति भी करेगा। तस्करी में शामिल कार्टेल (समूह) को आतंकवादी समूहों की सूची में शामिल किया जाएगा। ट्रूडो ने इस आदेश पर साइन भी कर दिए हैं। कनाडा इस पर 200 मिलियन डॉलर खर्च करेगा।

टैरिफ से बचने के लिए मेक्सिको करेगा ये काम

मेक्सिको ने भी ट्रंप की चिंताओं को दूर करने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए अमेरिका में अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए सीमा पर 10000 नेशनल गार्ड्स की तैनाती का आदेश दिया है।

इससे पहले शनिवार को ट्रंप ने घोषणा की थी कि वे कनाडा और मैक्सिको से इम्पोर्टेड सामानों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाएंगे और चीन से आने वाले सामानों पर 10 फीसदी टैरिफ का प्रस्ताव भी किया। उन्होंने कनाडा से आयातित ऊर्जा संसाधनों पर भी 10 फीसदी टैरिफ लगाने की योजना बनाई थी।

शपथ के बाद से ही एक्शन में ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ के बाद कनाडा, मेक्सिको और चीन पर टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। उन्होंने 1 फरवरी को इससे जुड़े आदेशों पर साइन भी कर दिया था। ट्रंप के इस फैसले के बाद कनाडा ने भी 2 फरवरी को अमेरिका पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। इसमें अमेरिका से होने वाले 106 अरब डॉलर के निर्यात को शामिल किया गया था। दूसरी तरफ मेक्सिको ने भी जवाबी कार्रवाई की बात कही थी।

चीन-कनाडा-मैक्सिको के बाद डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ लिस्ट में कौन, क्या अगला नंबर भारत का?

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अमेरिका ने मेक्सिको, कनाडा और चीन पर टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है। ट्रंप ने मेक्सिको और कनाडा से आने वाले सामानों पर 25 फीसदी और चीन से इंपोर्ट पर 10 फीसदी का टैरिफ लगाने का फैसला किया है। ट्रंप के इस फैसले से तीनों देश नाराज हैं, वहीं पूरी दुनिया ट्रंप के इस फैसले को चिंतित है। सवाल है कि तीन देशों पर लगे टैरिफ के बाद अब किसकी बारी है? क्या अगला नंबर भारत का हो सकता है?

डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व में भारत की टैरिफ नीतियों की कड़ी आलोचना की है। वह भारत को 'टैरिफ किंग' तक कह चुके हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह से भारत की टैरिफ नीतियों की सख्त आलोचना पूर्व में की है। उससे ये अंदेशा है कि भारत भी उनके टैरिफ की हिट लिस्ट में होगा। हालांकि अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।भारत फिलहाल इससे बचा हुआ है लेकिन सवाल है कि क्या आगे भी इससे बच पाएगा?

ट्रंप के टैरिफ से बचने की कोशिश

शनिवार को भारत की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का बजट पेश किया। सरकार ने कुछ कस्टम ड्यूटी कम की है। जिसका असर अमेरिका से होने वाले निर्यात पर पड़ता हुआ दिखाई दे सकता है। भारत ने हाई-एंड मोटरसाइकिल, कार और स्मार्टफोन पार्ट्स पर कस्टम ड्यूटी कम की है। इससे अमेरिकी कंपनियों जैसे हार्ले-डेविडसन, टेस्ला और ऐपल को फायदा होगा। भारत के कदम को ट्रंप के टैरिफ से बचने की कोशिश की तरह देखा गया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्या कहा

वहीं, समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्रंप के टैरिफ को लेकर जब उनसे पूछा गया कि क्या इस घटना का असर भारत पर पड़ेगा तो उन्होंने कहा, हम नहीं जानते कि इसका हमारे लिए क्या परिणाम होगा। लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से हम पर असर हो सकता है। हम अभी नहीं जानते कि क्या होने वाला है। हम सतर्क रहेंगे, लेकिन हम इस समय यह अनुमान नहीं लगा सकते कि इसका हम पर क्या प्रभाव होगा। हालांकि, इस घटना से मैं चितिंत नहीं हूं।

अनावश्यक टैरिफ से फायदा नहीं- वित्त मंत्री

निर्मला सीतारमण ने एक संतुलित टैरिफ दृष्टिकोण की आवश्यकता की ओर इशारा किया। आवश्यक आयातों में अनावश्यक टैरिफ लगाए बिना घरेलू उद्योगों की रक्षा की जाए। कई वस्तुएं हैं, जो भारत में उपलब्ध नहीं है, उन पर ज्यादा टैरिफ लगाने से हमारा फायदा नहीं होने वाला

शुरू हुआ ट्रे़ड वॉरः ट्रंप ने कनाडा-चीन-मैक्सिको को दिया आयात शुल्क का झटका, मिला करारा जवाब

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा, मेक्सिको और चीन पर नए टैरिफ लगा दिए हैं। ट्रंप ने कनाडा, मेक्सिको और चीन से आयातित वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाने का फैसला किया है, जो शनिवार शाम से लागू हो गया। शनिवार को उन्होंने कनाडा और मैक्सिको से आयात होने वाले सामानों पर 25 फीसदी आयात शुल्क लगाने के आदेश पर साइन किया। ट्रंप ने चीन से आने वाले सामानों पर 10 फीसदी आयात शुल्क लगाया है। अमेरिका के इस फैसले से एक ट्रे़ड वॉर (व्यापार युद्ध) छिड़ गया है। ट्रेड के क्षेत्र में ये तनातनी आने वाले दिनों में और ज्यादा बढ़ने जा रही है। ऐसा होता है तो सालाना 2.1 ट्रिलियन डॉलर ( करीब 181.72 लाख करोड़ रुपए) से अधिक का कारोबार प्रभावित होगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको से आने वाले समान पर टैरिफ और चीनी प्रोडक्ट्स पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का फैसला किया है। ट्रंप के इस ऐलान का कई देशों में विरोध किया जा रहा है और कनाडा, मेक्सिको से लेकर चीन तक ने अमेरिका को करारा जवाब दिया है।

कनाडा- मेक्सिके ने दिखाए कड़े तेवर

कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि कनाडा भी अमेरिकी सामानों पर 25% शुल्क लगाएगा। ट्रूडो ने ऐलान किया कि ओटावा भी इसी तरह जवाब देगा और 155 बिलियन डॉलर तक के अमेरिकी आयातों पर 25 फीसद टैरिफ लगाएगा। ट्रूडो ने कहा कि इन टैरिफ में अमेरिकी बीयर, वाइन और बॉर्बन के साथ-साथ फल और फलों के जूस भी शामिल होंगे, जिसमें ट्रम्प के गृह राज्य फ्लोरिडा का संतरे का जूस भी शामिल है। कनाडा कपड़ों, खेल के प्रोडक्ट और घरेलू उपकरणों सहित अन्य समान को भी लक्षित करेगा।

अमेरिकी सरकार के मुताबिक 2022 में कनाडा देश के सामानों का सबसे बड़ा खरीदार था, जिसकी खरीद 356.5 बिलियन डॉलर है। अनुमान है कि 2023 में हर दिन 2.7 बिलियन डॉलर का सामान और सर्विस अमेरिका-कनाडा के बीच हुआ है।

इसी तरह मैक्सिकन राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम ने भी घोषणा की कि उन्होंने अपने अर्थव्यवस्था मंत्री को मैक्सिकन निर्यात पर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लगाए गए व्यापक शुल्कों के विरुद्ध नई टैरिफ और गैर-टैरिफ नीतियां लागू करने का आदेश दिया है।

चीन ने जताया विरोध

चीनी वस्तुओं पर टैरिफ लगाने के अमेरिकी आदेश को लेकर चीन ने तीखा विरोध दर्ज कराया है। रविवार को वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि चीन विश्व व्यापार संगठन में मुकदमा दायर करेगा और अपने हितों की रक्षा के लिए उचित जवाबी कदम उठाएगा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मंत्रालय ने कहा, अमेरिका की ओर से एकतरफा टैरिफ वृद्धि विश्व व्यापार संगठन के नियमों का गंभीर उल्लंघन है। यह कदम न केवल अमेरिका के अपने मुद्दों को हल करने में नाकाम है बल्कि चीन-अमेरिका के सामान्य आर्थिक और व्यापार सहयोग को भी बाधित करता है। चीन अमेरिकी फैसले का कड़ा विरोध करता है और इससे बेहद असंतुष्ट है।

भारत के बजट से अमेरिका को क्या होगा फायदा? ट्रंप के 'टैरिफ वॉर' के बीच सीतारमण का जवाब

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को लोकसभा में बजट पेश किया। इस बजट में मध्य वर्ग को बड़ी राहत दी गई है। भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती और विकास दर पर उठ रहे सवालों के बीच इस बजट में अलग अलग वर्ग को राहत देने की कोशिश दिखाई दे रही है। इन सबके बीच देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक ऐसा भी ऐलान किया है, जो डोनाल्ड ट्रंप को काफी खुश कर सकता है। जी हां, सरकार ने कुछ कस्टम ड्यूटी कम की है। जिसका असर अमेरिका से होने वाले निर्यात पर पड़ता हुआ दिखाई दे सकता है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने रविवार को कहा कि मोटरसाइकिल और स्वाद बढ़ाने वाले कृत्रिम तत्व जैसे प्रोडक्ट्स पर बजट में कस्टम ड्यूटी घटाई गई है। इससे अमेरिकी निर्यात को लाभ होगा। जीटीआरआई ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत की‘टैरिफ किंग’के रूप में आलोचना करने के बाद देश के बजट ने कई उत्पादों पर महत्वपूर्ण शुल्क कटौती की गई है। इनमें से कई प्रोडक्ट्स अमेरिकी एक्सपोर्ट को फायदा पहुंचाने वाले हैं। जीटीआरआई ने बयान में कहा,‘‘टेक्नोलॉजी, व्हीकल, इंडस्ट्रीयल रॉ मटेरियल और स्क्रैप के आयात पर शुल्क कटौती के साथ भारत व्यापार को सुविधाजनक बनाने की दिशा में कदम उठाता दिख रहा है।

बदलेगा ट्रंप का नजरिया?

डोनाल्ड ट्रंप हमेशा भारत की टैरिफ किंग के तौर पर आलोचना करते हैं, लेकिन बजट ने कई उत्पादों पर महत्वपूर्ण शुल्क कटौती से अमेरिकी निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। उम्मीद की जा रही है कि बजट में इस ऐलान के बाद ट्रंप का नजरिया बदलेगा।

बता दें कि अप्रैल-नवंबर, 2024-25 के दौरान अमेरिका 82.52 अरब डॉलर व्यापार के साथ भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। इसके पहले 2021-24 के दौरान अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था।

इन चीजों से शुल्क घटी

फ्रोजेन मछली पेस्ट (सुरीमी) और जलीय चारे के लिए मछली हाइड्रोलाइजेट पर शुल्क घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है. इन पर अभी तक लागू शुल्क क्रमश: 30 प्रतिशत और 15 प्रतिशत था. रसायन क्षेत्र में, पिरिमिडीन और पिपरेजीन यौगिकों पर शुल्क को मौजूदा 10 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया गया है. इनका उपयोग खाद्य और पेय पदार्थों को एक निश्चित स्वाद देने के लिए किया जाता है. इसी तरह कम कैलोरी वाले यौगिक सोर्बिटोल पर शुल्क मौजूदा 30 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है. इसके अलावा, प्रमुख खनिजों (लिथियम, कोबाल्ट, सीसा, जस्ता, तांबा) और कोबाल्ट पाउडर के अपशिष्ट और स्क्रैप पर सीमा शुल्क खत्म कर दिया गया है. मंत्रालय ने कहा कि इन उपायों से आयात निर्भरता कम होगी, उत्पादन लागत कम होगी और प्रमुख उद्योगों में भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी

वाशिंगटन डीसी विमान हादसे में सभी 67 लोगों की मौत, जानें राष्ट्रपति ट्रंप ने किसे ठहराया जिम्मेदार

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अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में बुधवार रात यात्री विमान और हेलिकॉप्टर में हुई टक्कर में सभी 67 लोगों की मौत हो गई हैं। प्लेन में 4 क्रू मेंबर समेत 64 और हेलिकॉप्टर में 3 लोग सवार थे। अधिकारियों ने सभी की मौत की पुष्टि की है। डीसी के रीगन नेशनल एयरपोर्ट के पास यात्री विमान और सेना के हेलीकॉप्टर की भयावह टक्कर के बाद दोनों पोटोमैक नदी में गिर गए थे। हादसे को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने हेलिकॉप्टर के पायलट की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। इसके साथ ही ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और जो बाइडन पर पर हवाई सुरक्षा मानकों को कम करने का आरोप लगाया है।

पिछले 25 साल के अमेरिकी इतिहास की ये सबसे घातक विमानन दुर्घटना है। हादसे के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की है। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, हवाई जहाज हवाई अड्डे के लिए एकदम सही जा रहा था। वो लंबे समय तक विमान की ओर सीधे जा रहा था। रात बिल्कुल साफ थी और विमान की लाइटें जल रही थीं। ऐसे में हेलीकॉप्टर मुड़ा क्यों नहीं। कंट्रोल टावर ने हेलीकॉप्टर को यह क्यों नहीं बताया कि उसे क्या करना है, बजाय इसके पूछा, क्या उन्हें विमान दिख रहा है। यह एक भयावाह स्थिति है जिसे रोका जाना चाहिए था, ये अच्छा नहीं है।

ट्रंप ने ओबामा-बाइडेन की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया

डोनाल्ड ट्रंप ने हादसे के लिए ओबामा और बाइडेन प्रशासन के दौरान लागू की गई डीईआई (विविधता, समानता और समावेश) की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। ट्रंप के मुताबिक इन नीतियों की वजह से एयर हवाई सुरक्षा से जुड़े मानकों से समझौता किया गया, जिसके चलते ये हादसा हुआ। व्हाइट हाउस में प्रेस ब्रीफिंग के दौरान ट्रंप ने दावा किया डीईआई प्रोग्राम की वजह से फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन ने सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दी। ट्रंप ने पूर्व ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी पीट बटिगिएग पर एयर ट्रैफिक कंट्रोलर के पदों पर दिव्यांग और मानसिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों को भर्ती करने का आरोप लगाया है। ट्रंप अमेरिका में डीईआई प्रोग्राम पर पहले ही रोक लगा चुके हैं।

ट्रंप ने नहीं दिया सबूत

हालांकि, ट्रंप ने इस बात का कोई सबूत नहीं दिया कि कथित अयोग्य लोगों को हवाई यातायात नियंत्रण जैसी अहम जिम्मेदारियों वाले पदों पर रखा जा रहा था। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है कि रीगन नेशनल एयरपोर्ट के हवाई यातायात नियंत्रकों ने कोई गलती की हो।

कैसे हुआ हादसा

बता दें कि अमेरिकी एयरलाइंस अमेरिकी ईगल्स का एक विमान बुधवार की रात करीब नौ बजे वॉशिंगटन डीसी में पोटोमैक नदी के ऊपर एक सैन्य हेलीकॉप्टर से हवा में टकरा गया। हादसे के वक्त विमान में 64 लोग सवार थे। हादसे का वीडियो सामने आया है, जिसमें दिख रहा है कि विमान और हेलीकॉप्टर की हवा में सीधे टक्कर हुई और तेज धमाके के साथ दोनों नदी में गिर गए। एयरलाइंस का विमान कंसास से वॉशिंगटन आ रहा था। जब विमान लैंड करने वाला था, उसी दौरान विमान अमेरिकी सेना के ब्लैकहॉक हेलीकॉप्टर से टकरा गया। सेना का हेलीकॉप्टर उस वक्त परीक्षण उड़ान पर था और उसमें तीन सैनिक सवार थे। हादसा व्हाइट हाउस से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर हुआ।

ट्रंप भारत के दोस्त या दुश्मन? जानें विदेश मंत्री एस जयशंकर का जवाब

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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बन चुके हैं। 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति पद की शपथ ली। ट्रंप की वापसी के बाद से ही दुनियाभर में हड़कंप मचा हुआ है। ट्रंप ने भारत का नाम लेकर भी धमकी दी है। ऐसे में भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इस बीच उनके शपथ ग्रहण समारोह में शामिल भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-अमेरिका के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों पर खुलकर बात की है।

जयशंकर ने भारत-अमेरिका के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों का उल्लेख करते हुए डोनाल्ड ट्रंप को लेकर अहम बात कही। जयशंकर ने ट्रंप को एक 'अमेरिकी राष्ट्रवादी' बताया। विदेश मंत्री जयशंकर दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में एक कार्यक्रम में मौजूद थे। इस दौरान ट्रंप भारत के मित्र हैं या शत्रु, इस बारे में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए जयशंकर ने कहा कि मैंने हाल ही में उनके (ट्रंप के) शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया था और हमारे साथ अच्छा व्यवहार किया गया। मेरा मानना है कि वह एक अमेरिकी राष्ट्रवादी हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि ट्रंप की नीतियां वैश्विक मामलों में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती हैं, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की विदेश नीति राष्ट्रीय हित से निर्देशित होती रहेगी।

जयशंकर ने कहा, ट्रंप बहुत सी चीजें बदलेंगे। हो सकता है कि कुछ चीजें उम्मीद के अनुरूप नहीं हों, लेकिन हमें देश के हित में विदेश नीतियों के संदर्भ में खुला रहना होगा। कुछ मुद्दे हो सकते हैं जिन पर हम एकमत न हों, लेकिन कई क्षेत्र ऐसे होंगे जहां चीजें हमारे दायरे में होंगी। जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच मजबूत व्यक्तिगत संबंधों पर भी जोर देते हुए कहा क‍ि अमेरिका के साथ हमारे संबंध मजबूत हैं और मोदी के ट्रंप के साथ अच्छे व्यक्तिगत संबंध हैं।

भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव पर क्या बोले

इस दौरान, एस जयशंकर ने भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और देश के बारे में बदलती धारणाओं के बारे में बात की। उन्होंने कहा, यहां तक कि अब गैर-भारतीय भी खुद को भारतीय कहते हैं, उन्हें लगता है कि इससे उन्हें विमान में सीट मिलने में मदद मिलेगी।

खुद के राजनीति में आने पर क्या कहा?

डॉ. एस. जयशंकर ने शिक्षा क्षेत्र और कूटनीति से राजनीति में आने का उल्लेख करते हुए कहा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं नौकरशाह बनूंगा। राजनीति में मैं अचानक आ गया, या तो इसे भाग्य कहें, या इसे मोदी कहें। उन्होंने (प्रधानमंत्री मोदी) मुझे इस तरह से आगे बढ़ाया कि कोई भी मना नहीं कर सका। उन्होंने रेखांकित किया कि विदेश में रहने वाले भारतीय अभी भी समर्थन के लिए अपनी मातृभूमि पर निर्भर हैं और कहा, जो भी देश के बाहर जाते हैं, वे हमारे पास ही आते हैं। बाहर हम ही रखवाले हैं।

अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स चलना-फिरना भूलीं, मस्क पर टिकी ट्रंप की उम्मीद

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भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर पिछले 8 महीनों से अंतरिक्ष में फंसे हैं। उनके बोइंग स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी समस्याएं आने के बाद दोनों स्पेस में ही अटक गए। हालांकि, उन्हें लाने की कई बार कोशिश की गई लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही है। इस बीच सुनीता विलियम्स के एक बयान ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। अंतरिक्ष में 237 दिनों से फंसी भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने कहा कि वह याद करने की कोशिश कर रही हैं कि चलना कैसा होता है।

एक मैगजीन को दिए गये इंटरव्यू में सुनीता विलियम्स ने कहा है, कि वो काफी बेसब्री से धरती पर लौटने का इंतजार कर रही हैं। इस दौरान उन्होंने कहा, कि वो अब चलना तक भूल गईं हैं। उन्होंने कहा, कि वो याद कर रही हैं, कैसे चलती थीं। उन्होंने कहा, मैं स्पेस स्टेशन में काफी समय से हूं और मैं यह याद करने की कोशिश कर रही हूं, कि चलना कैसा होता है। मैं नहीं चली हूं। मैं नहीं बैठी हूं। मैं नहीं लेटी हूं। आपको ऐसा करने की जरूरत नहीं है। आप बस अपनी आंखें बंद कर सकते हैं और जहां आप हैं, वहीं तैर सकते हैं।

मस्क ने कहा वापसी का काम शुरू

इस हालात में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मशहूर कारोबारी और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क से दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने में मदद मांगी है। एलन मस्क ने कहा है कि उन्होंने अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी के लिए काम शुरू कर दिया है। एलन मस्क ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, @ ने से पर फंसे 2 अंतरिक्ष यात्रियों को जल्द से जल्द घर लाने के लिए कहा है। हम ऐसा करेंगे।"

ट्रंप ने क्या कहा?

वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा, कि स्पेसएक्स "जल्द ही" दोनों अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने के लिए एक मिशन शुरू करेगा, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर महीनों से फंसे हुए हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर कहा कि "एलन जल्द ही कोशिश शुरू करेंगे और उम्मीद हैं, कि सभी सुरक्षित होंगे। शुभकामनाएं एलन!!!"

अंतरिक्ष में कैसे फंसी सुनीता विलियम्स?

बता दें, कि सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर पिछले साल 5 जून को बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गये थे, लेकिन बोइंग स्पेसक्राफ्ट में टेक्निकल दिक्कतें आ गईं और दोनों अंतरिक्षयात्री वहीं फंस गये। सुनीता विलियम्स को सिर्फ 10 दिनों तक ही स्पेस स्टेशन में रहना था, लेकिन पिछले 8 महीनों से वो वहीं फंसी हुई हैं। नासा और बोइंग ने स्पेसक्राफ्ट को ठीक करने की काफी कोशिश की, लेकिन आखिरकार फैसला लिया गया, कि स्पेसक्राफ्ट को वैज्ञानिकों के साथ धरती पर लाना काफी जोखिम भरा कदम होगा।

ट्रंप की सख्ती के बाद कोलंबिया का यू-टर्न, प्रवासियों की वापसी के लिए राष्ट्रपति पेट्रो ने भेजा विमान

#columbiauturnafterustrump sanctions

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी सत्ता में वापसी के बाद से ही अनधिकृत अप्रवासियों का मुद्दा फिर से चर्चा में है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप देश भर से अवैध प्रवासियों को ढूंढ-ढूंढ के बाहर निकाल रहे हैं।ट्रंप के इस कदम के खिलाफ, कोलंबिया ने अपना सिर उठाया और डिपोर्टेशन फ्लाइट्स की अनुमति अपने देश में नहीं दी। लेकिन, 24 घंटे के अंदर ही ट्रंप ने कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोलंबिया पर टैरिफ और अन्य प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी, जिसके बाद कोलंबिया ने अमेरिकी शर्तों को मानते हुए निर्वासन उड़ानों को स्वीकार करने पर सहमति जता दी। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने अमेरिका से प्रवासियों को वापस लाने के लिए विशेष विमान भेजने का फैसला किया है। अमेरिका से जंजीरों में बांधकर अमानवीय तरीके प्रवासियों को भेजे जाने की तस्वीरे सामने आने और इस मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रंप के साथ तनातनी के बाद कोलंबिया ने ये फैसला लिया है।कोलंबिया सरकार ने कहा है कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि उनके नागरिकों को बेइजज्त करके अमेरिका से ना निकाला जाए। इस संबंध में कोलंबिया के राष्ट्रपति कार्यालय ने अपने बयान में 'सम्मानजनक वापसी' शब्द पर विशेष जोर दिया है।

कोलंबियाई राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि गुस्तावो पेट्रो के निर्देशन में कोलंबिया सरकार ने डिपोर्टेशन फ्लाइट से देश में आने वाले अपने नागरिकों की सम्मानजनक वापसी की सुविधा के लिए राष्ट्रपति विमान उपलब्ध कराया है। पेट्रो ने अपने निर्वासित नागरिकों की सम्मानजनक वापसी चाहते हैं। अमेरिका से कोलंबियाई नागरिकों की वापसी के लिए एक विशेष टीम का गठन भी किया गया है। कोलंबियाई सरकार अमेरिका से बातचीत कर रही है ताकि निर्वासित लोगों के साथ सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित हो सके। बयान से साफ है कि कोलंबियाई सरकार अपने नागरिकों के सम्मानजनक व्यवहार को लेकर बेहद गंभीर है।

इससे पहले कोलंबिया में पहले अपने निर्वासित नागरिकों को वापस लेने से मना कर दिया था। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने पूर्व में अमेरिका द्वारा अवैध प्रवासियों को निर्वासित करने के तरीके की आलोचना की थी और कहा कि उनकी सरकार अमेरिका से निर्वासित प्रवासियों को ले जाने वाली उड़ानों को तब तक स्वीकार नहीं करेगी, जब तक ट्रंप प्रशासन उनके साथ 'सम्मानजनक' व्यवहार करने वाला प्रोटोकॉल नहीं बनाता। एक्स पर लिखे संदेश में पेट्रो ने कहा, 'प्रवासी अपराधी नहीं है और उसके साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए। इंसान इसका हकदार भी है। यही कारण है कि मैंने कोलंबियाई प्रवासियों को ले जा रहे अमेरिकी सैन्य विमानों को वापस कर दिया।

कोलंबिया की सरकार ने बदला फैसला

इससे नाराज होकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोलंबिया के खिलाफ टैरिफ लगाने और अन्य जवाबी कदम उठाने का एलान कर दिया था। इसके कुछ ही घंटों बाद कोलंबिया ने भी अमेरिका पर आयात शुल्क बढ़ाए जाने का फैसला किया था। इससे दोनों मुल्कों में तनातनी बढ़ गई थी। हालांकि, अब कोलंबिया की सरकार ने यू-टर्न ले लिया है। माना जा रहा है कि इसी के चलते कोलंबिया की सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा।

क्या हो सकते थे कोलंबिया पर गंभीर परिणाम?

अगर, कोलंबिया ने ट्रंप की शर्तें नहीं मानी होती, तो देश को गंभीर आर्थिक और राजनयिक नुकसान झेलना पड़ सकता था।

1.टैरिफ का असर: कोलंबिया से अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले सभी सामानों पर 25% टैरिफ लगने का खतरा था। यह टैरिफ एक सप्ताह में बढ़कर 50% तक हो सकता था। कोलंबिया की अर्थव्यवस्था, जो अपने 33% निर्यात के लिए अमेरिकी बाजार पर निर्भर है, इस टैरिफ से बुरी तरह प्रभावित होती।

2.वीजा प्रतिबंध: कोलंबियाई सरकारी अधिकारियों और उनके सहयोगियों के वीज़ा रद्द हो सकते थे। इसका असर कोलंबिया की अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों और राजनयिक संबंधों पर पड़ता।

3.सख्त सीमा जांच: कोलंबियाई नागरिकों की अमेरिकी सीमा पर कड़ी जांच होती। इससे व्यापार, यात्रा और प्रवासियों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता।

4.आर्थिक प्रतिबंध: कोलंबिया की वित्तीय गतिविधियों, बैंकों और व्यापार पर कड़े प्रतिबंध लगाए जा सकते थे। इससे कोलंबिया की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगता।

5.राजनयिक अलगाव: अमेरिका और कोलंबिया के बीच व्यापार और राजनयिक संबंध प्रभावित हो सकते थे। कोलंबिया, जो अमेरिका को अपना सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार मानता है, अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग पड़ सकता था।

अमेरिका ने 205 भारतीयों को वापस भेजा, सी-17 सैन्य विमान से आज पहुंचेगा अमृतसर

#trump_begins_deporting_indian_immigrants_military_flight

अमेरिका में ट्रंप सरकार ने अवैध अप्रवासियों को डिपोर्ट करना तेज कर दिया है। इसी क्रम में भारतीय अवैध अप्रवासियों को भी डिपोर्ट किया जा रहा है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक सोमवार को यूएस एयरफोर्स का C-17 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट अवैध अप्रवासियों को लेकर भारत के लिए उड़ान भर चुका है। ये फ्लाइट अमृतसर एयरपोर्ट लैंड करेगी। इसके पहले एयरपोर्ट पर हलचल बढ़ गई है। प्रशासन की तरफ से अवैध प्रवासियों को लेकर तैयारी की गई है।

इस एयरक्राफ्ट में 205 लोग सवार हैं। इन सभी की पहचान कर ली गई है। इस पूरी प्रकिया में भारत भी शामिल रहा। बताया जा रहा है कि अमेरिकी वायुसेना का सी-17 ग्लोबमास्टर विमान टेक्सास से भारत की तरफ रवाना हुआ है। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक निर्वासित भारतीयों के एक समूह को लेकर विमान ने टेक्सास के पास स्थित एक एयरबेस से उड़ान भरी है।

पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने बताया कि अमेरिका से भेजे गए अवैध प्रवासियों को राज्य सरकार के लोग रिसीव करेंगे। पहचान और अन्य कागजी कार्रवाई के लिए हवाई अड्डे पर काउंटर बनाए गए हैं। अमृतसर प्रशासन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, अमेरिकी विमान से आने वाले सभी लोगों के दस्तावेजों की अमृतसर एयरपोर्ट पर जांच की जाएगी। इमीग्रेशन आदि के अलावा इन लोगों की पूरी पृष्ठभूमि, खासकर उनका आपराधिक रिकॉर्ड की जांच की जाएगी। यदि कोई आपराधिक रिकॉर्ड पाया जाता है तो उन्हें एयरपोर्ट पर ही हिरासत में ले लिया जाएगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संकल्प और नीतियों का असर दिखना शुरू हो गया है। बीते 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद संभालने के बाद ट्रंप ने अवैध प्रवासियों को अमेरिका से निकाले जाने संबंधी कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। इस पर अमल करते हुए अमेरिकी प्रशासन ने सी-17 सैन्य विमान से 205 भारतीय लोगों के एक समूह को अमेरिका से वापस भेज दिया है। भारतीयों को अमेरिका से निकाले जाने की यह ताजा खबर ट्रंप प्रशासन की सख्ती दिखाता है। बता दें कि बीते दो हफ्ते की अवधि में भारत के अलावा भी कई देशों के अवैध प्रवासियों को अमेरिका से निर्वासित किया जा चुका है।

गाजा पर कब्जा करेगा अमेरिका, नेतन्याहू से मुलाकात के बाद राष्ट्रपति ट्रंप का ऐलान, जानें क्या है प्लान?

#donaldtrumpwantsownershipof_gaza

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर बड़ा बयान देकर खलबली मचा दी है।राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा पट्टी को लेकर चौंकाने वाला बयान दिया है। ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका गाजा पट्टी पर अपना नियंत्रण करेगा। मंगलवार को नेतन्याहू के साथ बातचीत के बाद वॉइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने ये बड़ा बयान दिया है।

डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि हम गाजा का मालिकाना लेना चाहते हैं, इसके बाद गाजा में मौजूद खतरनाक बमों और अन्य हथियारों को नष्ट करने की जिम्मेदारी हमारी होगी। अमेरिका ध्वस्त या जर्जर हो चुकी इमारतों का पुनर्निर्माण कराएगा और गाजा का आर्थिक विकास करेगा। इससे गाजा में रोजगार और लोगों को घर मिलेंगे।

गाजा को अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र बनाने का प्लान

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि गाजा एक 'अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र' होगा। ट्रंप ने आगे बताया कि अमेरिका द्वारा पुनर्निर्माण पूरा करने के बाद दुनिया भर के लोग गाजा में रहेंगे। उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनी उनमें से हो सकते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या वह गाजा में सुरक्षा शून्य को भरने के लिए अमेरिकी सैनिकों को भेजने के लिए तैयार हैं, ट्रंप ने इससे इनकार नहीं किया।

सेना उतारने को तैयार ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि गाजा के पुनर्निर्माण में अगर अमेरिकी सेना की जरूरत पड़ी तो वे सेना को भी गाजा में तैनात करने पर विचार कर सकते हैं। ट्रंप ने कहा कि अगर यह जरूरी हुआ तो हम ऐसा करेंगे।

फिलिस्तीनियों को निकालने की बात

ट्रंप ने एक बार फिर दोहराया कि फिलिस्तीनियों को गाजा के 'नरक के गड्ढे' से निकाल दिया जाना चाहिए। ट्रंप ने कहा कि गाजा को एक ही लोगों के पुनर्निर्माण और कब्जे की प्रक्रिया से नहीं गुजरना चाहिए। उन्होंने कहा कि गाजा की आबादी को इंसानी दिल रखने वाले देशों में स्थानांतरित किया जाना चाहिए और दावा किया कि कई लोग हैं जो ऐसा करना चाहते हैं।

नेतन्याहू ने किया ट्रंप की योजना का समर्थन

ट्रंप के साथ उस वक्त बेंजामिन नेतन्याहू भी बैठे थे और खुश हो रहे थे। जब ट्रंप यह सब बोल रहे थे, तब नेतन्याहू मुस्कुरा रहे थे। बेंजामिन नेतन्याहू ने भी ट्रंप की इस योजना का समर्थन किया और इसे पर खुशी जाहिर की। नेतन्याहू ने कहा कि हम चाहते हैं कि गाजा भविष्य में अब कभी भी इस्राइल के लिए खतरा न बने, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप इसे एक नई ऊंचाई पर ले जा रहे हैं। ट्रंप का विचार अलग है और इससे गाजा का भविष्य बदल जाएगा। इस विचार पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। नेतन्याहू ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो इससे इतिहास बदल सकता है।

बैकफुट पर डोनाल्ड ट्रंप! कनाडा और मैक्सिको पर टैरिफ का फैसला टाला, इतने दिनों की दी राहत

#donaldtrumpdecisiontoimpose25percenttariffonmexicoand_canada

लगता है ग्लोबल टैरिफ वॉर टल गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कनाडा और मेक्सिको पर टैरिफ लगाने के फैसले को 30 दिन के लिए टाल दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मेक्सिको के बाद अब कनाडा को भी टैरिफ से 30 दिनों के लिए राहत दे दी है। सोमवार को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ट्रंप से फोन पर बातचीत के बाद बताया कि अमेरिका ने शनिवार को लगाए गए टैरिफ को 30 दिनों के लिए रोकने का फैसला किया है। इसके पहले अमेरिका ने मेक्सिको के खिलाफ भी टैरिफ पर 30 दिन की रोक लगाई थी। ट्रंप ने टैरिफ को रोकने का फैसला तब लिया है, जब दोनों देशों ने सीमा सुरक्षा और ड्रग्स की तस्करी को रोकने के लिए कदम उठाए हैं।

ट्रंप ने बताया कि ट्रूडो और शिनबाम के साथ उनकी बातचीत अच्छी रही। दोनों देशों ने अमेरिका के साथ बॉर्डर को सिक्योर करने पर सहमति जताई है। इसके बाद ट्रम्प ने दोनों देशों पर टैरिफ रोकने से जुड़े कार्यकारी आदेश पर साइन किए। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर कहा कि ‘बहुत ही दोस्ताना बातचीत’ के बाद उन्होंने ‘एक महीने की अवधि के लिए टैरिफ को तुरंत रोकने पर सहमति जताई। ट्रंप ने कहा कि इस एक महीने के दौरान दोनों देशों के बीच और बातचीत होगी, ताकि एक ‘डील’ हासिल की जा सके।

फेंटेनाइल तस्करी पर रोक लगाने की दिशा में कदम

ट्रंप के फैसले के बाद ट्रूडो ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि टैरिफ पर रोक के बदले में कनाडा बॉर्डर सिक्योरिटी में भारी निवेश करेगा। साथ ही संगठित अपराध, फेंटेनाइल की तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए दोनों देश मिलकर कनाडा-यूएस ज्वाइंट स्ट्राइक फोर्स बनाएंगे। इसके अलावा कनाडा फेंटेनाइल जार (फेंटेनाइल की तस्करी रोकने वाला अधिकारी) की नियुक्ति भी करेगा। तस्करी में शामिल कार्टेल (समूह) को आतंकवादी समूहों की सूची में शामिल किया जाएगा। ट्रूडो ने इस आदेश पर साइन भी कर दिए हैं। कनाडा इस पर 200 मिलियन डॉलर खर्च करेगा।

टैरिफ से बचने के लिए मेक्सिको करेगा ये काम

मेक्सिको ने भी ट्रंप की चिंताओं को दूर करने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए अमेरिका में अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए सीमा पर 10000 नेशनल गार्ड्स की तैनाती का आदेश दिया है।

इससे पहले शनिवार को ट्रंप ने घोषणा की थी कि वे कनाडा और मैक्सिको से इम्पोर्टेड सामानों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाएंगे और चीन से आने वाले सामानों पर 10 फीसदी टैरिफ का प्रस्ताव भी किया। उन्होंने कनाडा से आयातित ऊर्जा संसाधनों पर भी 10 फीसदी टैरिफ लगाने की योजना बनाई थी।

शपथ के बाद से ही एक्शन में ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ के बाद कनाडा, मेक्सिको और चीन पर टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। उन्होंने 1 फरवरी को इससे जुड़े आदेशों पर साइन भी कर दिया था। ट्रंप के इस फैसले के बाद कनाडा ने भी 2 फरवरी को अमेरिका पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। इसमें अमेरिका से होने वाले 106 अरब डॉलर के निर्यात को शामिल किया गया था। दूसरी तरफ मेक्सिको ने भी जवाबी कार्रवाई की बात कही थी।

चीन-कनाडा-मैक्सिको के बाद डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ लिस्ट में कौन, क्या अगला नंबर भारत का?

#trumptariffwaraffectindia

अमेरिका ने मेक्सिको, कनाडा और चीन पर टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है। ट्रंप ने मेक्सिको और कनाडा से आने वाले सामानों पर 25 फीसदी और चीन से इंपोर्ट पर 10 फीसदी का टैरिफ लगाने का फैसला किया है। ट्रंप के इस फैसले से तीनों देश नाराज हैं, वहीं पूरी दुनिया ट्रंप के इस फैसले को चिंतित है। सवाल है कि तीन देशों पर लगे टैरिफ के बाद अब किसकी बारी है? क्या अगला नंबर भारत का हो सकता है?

डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व में भारत की टैरिफ नीतियों की कड़ी आलोचना की है। वह भारत को 'टैरिफ किंग' तक कह चुके हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह से भारत की टैरिफ नीतियों की सख्त आलोचना पूर्व में की है। उससे ये अंदेशा है कि भारत भी उनके टैरिफ की हिट लिस्ट में होगा। हालांकि अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।भारत फिलहाल इससे बचा हुआ है लेकिन सवाल है कि क्या आगे भी इससे बच पाएगा?

ट्रंप के टैरिफ से बचने की कोशिश

शनिवार को भारत की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का बजट पेश किया। सरकार ने कुछ कस्टम ड्यूटी कम की है। जिसका असर अमेरिका से होने वाले निर्यात पर पड़ता हुआ दिखाई दे सकता है। भारत ने हाई-एंड मोटरसाइकिल, कार और स्मार्टफोन पार्ट्स पर कस्टम ड्यूटी कम की है। इससे अमेरिकी कंपनियों जैसे हार्ले-डेविडसन, टेस्ला और ऐपल को फायदा होगा। भारत के कदम को ट्रंप के टैरिफ से बचने की कोशिश की तरह देखा गया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्या कहा

वहीं, समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्रंप के टैरिफ को लेकर जब उनसे पूछा गया कि क्या इस घटना का असर भारत पर पड़ेगा तो उन्होंने कहा, हम नहीं जानते कि इसका हमारे लिए क्या परिणाम होगा। लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से हम पर असर हो सकता है। हम अभी नहीं जानते कि क्या होने वाला है। हम सतर्क रहेंगे, लेकिन हम इस समय यह अनुमान नहीं लगा सकते कि इसका हम पर क्या प्रभाव होगा। हालांकि, इस घटना से मैं चितिंत नहीं हूं।

अनावश्यक टैरिफ से फायदा नहीं- वित्त मंत्री

निर्मला सीतारमण ने एक संतुलित टैरिफ दृष्टिकोण की आवश्यकता की ओर इशारा किया। आवश्यक आयातों में अनावश्यक टैरिफ लगाए बिना घरेलू उद्योगों की रक्षा की जाए। कई वस्तुएं हैं, जो भारत में उपलब्ध नहीं है, उन पर ज्यादा टैरिफ लगाने से हमारा फायदा नहीं होने वाला

शुरू हुआ ट्रे़ड वॉरः ट्रंप ने कनाडा-चीन-मैक्सिको को दिया आयात शुल्क का झटका, मिला करारा जवाब

#donaldtrumptariffsandtrade_war

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा, मेक्सिको और चीन पर नए टैरिफ लगा दिए हैं। ट्रंप ने कनाडा, मेक्सिको और चीन से आयातित वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाने का फैसला किया है, जो शनिवार शाम से लागू हो गया। शनिवार को उन्होंने कनाडा और मैक्सिको से आयात होने वाले सामानों पर 25 फीसदी आयात शुल्क लगाने के आदेश पर साइन किया। ट्रंप ने चीन से आने वाले सामानों पर 10 फीसदी आयात शुल्क लगाया है। अमेरिका के इस फैसले से एक ट्रे़ड वॉर (व्यापार युद्ध) छिड़ गया है। ट्रेड के क्षेत्र में ये तनातनी आने वाले दिनों में और ज्यादा बढ़ने जा रही है। ऐसा होता है तो सालाना 2.1 ट्रिलियन डॉलर ( करीब 181.72 लाख करोड़ रुपए) से अधिक का कारोबार प्रभावित होगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको से आने वाले समान पर टैरिफ और चीनी प्रोडक्ट्स पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का फैसला किया है। ट्रंप के इस ऐलान का कई देशों में विरोध किया जा रहा है और कनाडा, मेक्सिको से लेकर चीन तक ने अमेरिका को करारा जवाब दिया है।

कनाडा- मेक्सिके ने दिखाए कड़े तेवर

कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि कनाडा भी अमेरिकी सामानों पर 25% शुल्क लगाएगा। ट्रूडो ने ऐलान किया कि ओटावा भी इसी तरह जवाब देगा और 155 बिलियन डॉलर तक के अमेरिकी आयातों पर 25 फीसद टैरिफ लगाएगा। ट्रूडो ने कहा कि इन टैरिफ में अमेरिकी बीयर, वाइन और बॉर्बन के साथ-साथ फल और फलों के जूस भी शामिल होंगे, जिसमें ट्रम्प के गृह राज्य फ्लोरिडा का संतरे का जूस भी शामिल है। कनाडा कपड़ों, खेल के प्रोडक्ट और घरेलू उपकरणों सहित अन्य समान को भी लक्षित करेगा।

अमेरिकी सरकार के मुताबिक 2022 में कनाडा देश के सामानों का सबसे बड़ा खरीदार था, जिसकी खरीद 356.5 बिलियन डॉलर है। अनुमान है कि 2023 में हर दिन 2.7 बिलियन डॉलर का सामान और सर्विस अमेरिका-कनाडा के बीच हुआ है।

इसी तरह मैक्सिकन राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम ने भी घोषणा की कि उन्होंने अपने अर्थव्यवस्था मंत्री को मैक्सिकन निर्यात पर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लगाए गए व्यापक शुल्कों के विरुद्ध नई टैरिफ और गैर-टैरिफ नीतियां लागू करने का आदेश दिया है।

चीन ने जताया विरोध

चीनी वस्तुओं पर टैरिफ लगाने के अमेरिकी आदेश को लेकर चीन ने तीखा विरोध दर्ज कराया है। रविवार को वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि चीन विश्व व्यापार संगठन में मुकदमा दायर करेगा और अपने हितों की रक्षा के लिए उचित जवाबी कदम उठाएगा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मंत्रालय ने कहा, अमेरिका की ओर से एकतरफा टैरिफ वृद्धि विश्व व्यापार संगठन के नियमों का गंभीर उल्लंघन है। यह कदम न केवल अमेरिका के अपने मुद्दों को हल करने में नाकाम है बल्कि चीन-अमेरिका के सामान्य आर्थिक और व्यापार सहयोग को भी बाधित करता है। चीन अमेरिकी फैसले का कड़ा विरोध करता है और इससे बेहद असंतुष्ट है।

भारत के बजट से अमेरिका को क्या होगा फायदा? ट्रंप के 'टैरिफ वॉर' के बीच सीतारमण का जवाब

#whydonaldtrumphappywithindiabudgetcustomduty_cut

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को लोकसभा में बजट पेश किया। इस बजट में मध्य वर्ग को बड़ी राहत दी गई है। भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती और विकास दर पर उठ रहे सवालों के बीच इस बजट में अलग अलग वर्ग को राहत देने की कोशिश दिखाई दे रही है। इन सबके बीच देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक ऐसा भी ऐलान किया है, जो डोनाल्ड ट्रंप को काफी खुश कर सकता है। जी हां, सरकार ने कुछ कस्टम ड्यूटी कम की है। जिसका असर अमेरिका से होने वाले निर्यात पर पड़ता हुआ दिखाई दे सकता है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने रविवार को कहा कि मोटरसाइकिल और स्वाद बढ़ाने वाले कृत्रिम तत्व जैसे प्रोडक्ट्स पर बजट में कस्टम ड्यूटी घटाई गई है। इससे अमेरिकी निर्यात को लाभ होगा। जीटीआरआई ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत की‘टैरिफ किंग’के रूप में आलोचना करने के बाद देश के बजट ने कई उत्पादों पर महत्वपूर्ण शुल्क कटौती की गई है। इनमें से कई प्रोडक्ट्स अमेरिकी एक्सपोर्ट को फायदा पहुंचाने वाले हैं। जीटीआरआई ने बयान में कहा,‘‘टेक्नोलॉजी, व्हीकल, इंडस्ट्रीयल रॉ मटेरियल और स्क्रैप के आयात पर शुल्क कटौती के साथ भारत व्यापार को सुविधाजनक बनाने की दिशा में कदम उठाता दिख रहा है।

बदलेगा ट्रंप का नजरिया?

डोनाल्ड ट्रंप हमेशा भारत की टैरिफ किंग के तौर पर आलोचना करते हैं, लेकिन बजट ने कई उत्पादों पर महत्वपूर्ण शुल्क कटौती से अमेरिकी निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। उम्मीद की जा रही है कि बजट में इस ऐलान के बाद ट्रंप का नजरिया बदलेगा।

बता दें कि अप्रैल-नवंबर, 2024-25 के दौरान अमेरिका 82.52 अरब डॉलर व्यापार के साथ भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। इसके पहले 2021-24 के दौरान अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था।

इन चीजों से शुल्क घटी

फ्रोजेन मछली पेस्ट (सुरीमी) और जलीय चारे के लिए मछली हाइड्रोलाइजेट पर शुल्क घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है. इन पर अभी तक लागू शुल्क क्रमश: 30 प्रतिशत और 15 प्रतिशत था. रसायन क्षेत्र में, पिरिमिडीन और पिपरेजीन यौगिकों पर शुल्क को मौजूदा 10 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया गया है. इनका उपयोग खाद्य और पेय पदार्थों को एक निश्चित स्वाद देने के लिए किया जाता है. इसी तरह कम कैलोरी वाले यौगिक सोर्बिटोल पर शुल्क मौजूदा 30 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है. इसके अलावा, प्रमुख खनिजों (लिथियम, कोबाल्ट, सीसा, जस्ता, तांबा) और कोबाल्ट पाउडर के अपशिष्ट और स्क्रैप पर सीमा शुल्क खत्म कर दिया गया है. मंत्रालय ने कहा कि इन उपायों से आयात निर्भरता कम होगी, उत्पादन लागत कम होगी और प्रमुख उद्योगों में भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी

वाशिंगटन डीसी विमान हादसे में सभी 67 लोगों की मौत, जानें राष्ट्रपति ट्रंप ने किसे ठहराया जिम्मेदार

#usplanehelicoptercollidespresidenttrumpblamesobamabiden_policy

अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में बुधवार रात यात्री विमान और हेलिकॉप्टर में हुई टक्कर में सभी 67 लोगों की मौत हो गई हैं। प्लेन में 4 क्रू मेंबर समेत 64 और हेलिकॉप्टर में 3 लोग सवार थे। अधिकारियों ने सभी की मौत की पुष्टि की है। डीसी के रीगन नेशनल एयरपोर्ट के पास यात्री विमान और सेना के हेलीकॉप्टर की भयावह टक्कर के बाद दोनों पोटोमैक नदी में गिर गए थे। हादसे को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने हेलिकॉप्टर के पायलट की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। इसके साथ ही ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और जो बाइडन पर पर हवाई सुरक्षा मानकों को कम करने का आरोप लगाया है।

पिछले 25 साल के अमेरिकी इतिहास की ये सबसे घातक विमानन दुर्घटना है। हादसे के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की है। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, हवाई जहाज हवाई अड्डे के लिए एकदम सही जा रहा था। वो लंबे समय तक विमान की ओर सीधे जा रहा था। रात बिल्कुल साफ थी और विमान की लाइटें जल रही थीं। ऐसे में हेलीकॉप्टर मुड़ा क्यों नहीं। कंट्रोल टावर ने हेलीकॉप्टर को यह क्यों नहीं बताया कि उसे क्या करना है, बजाय इसके पूछा, क्या उन्हें विमान दिख रहा है। यह एक भयावाह स्थिति है जिसे रोका जाना चाहिए था, ये अच्छा नहीं है।

ट्रंप ने ओबामा-बाइडेन की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया

डोनाल्ड ट्रंप ने हादसे के लिए ओबामा और बाइडेन प्रशासन के दौरान लागू की गई डीईआई (विविधता, समानता और समावेश) की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। ट्रंप के मुताबिक इन नीतियों की वजह से एयर हवाई सुरक्षा से जुड़े मानकों से समझौता किया गया, जिसके चलते ये हादसा हुआ। व्हाइट हाउस में प्रेस ब्रीफिंग के दौरान ट्रंप ने दावा किया डीईआई प्रोग्राम की वजह से फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन ने सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दी। ट्रंप ने पूर्व ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी पीट बटिगिएग पर एयर ट्रैफिक कंट्रोलर के पदों पर दिव्यांग और मानसिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों को भर्ती करने का आरोप लगाया है। ट्रंप अमेरिका में डीईआई प्रोग्राम पर पहले ही रोक लगा चुके हैं।

ट्रंप ने नहीं दिया सबूत

हालांकि, ट्रंप ने इस बात का कोई सबूत नहीं दिया कि कथित अयोग्य लोगों को हवाई यातायात नियंत्रण जैसी अहम जिम्मेदारियों वाले पदों पर रखा जा रहा था। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है कि रीगन नेशनल एयरपोर्ट के हवाई यातायात नियंत्रकों ने कोई गलती की हो।

कैसे हुआ हादसा

बता दें कि अमेरिकी एयरलाइंस अमेरिकी ईगल्स का एक विमान बुधवार की रात करीब नौ बजे वॉशिंगटन डीसी में पोटोमैक नदी के ऊपर एक सैन्य हेलीकॉप्टर से हवा में टकरा गया। हादसे के वक्त विमान में 64 लोग सवार थे। हादसे का वीडियो सामने आया है, जिसमें दिख रहा है कि विमान और हेलीकॉप्टर की हवा में सीधे टक्कर हुई और तेज धमाके के साथ दोनों नदी में गिर गए। एयरलाइंस का विमान कंसास से वॉशिंगटन आ रहा था। जब विमान लैंड करने वाला था, उसी दौरान विमान अमेरिकी सेना के ब्लैकहॉक हेलीकॉप्टर से टकरा गया। सेना का हेलीकॉप्टर उस वक्त परीक्षण उड़ान पर था और उसमें तीन सैनिक सवार थे। हादसा व्हाइट हाउस से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर हुआ।

ट्रंप भारत के दोस्त या दुश्मन? जानें विदेश मंत्री एस जयशंकर का जवाब

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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बन चुके हैं। 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति पद की शपथ ली। ट्रंप की वापसी के बाद से ही दुनियाभर में हड़कंप मचा हुआ है। ट्रंप ने भारत का नाम लेकर भी धमकी दी है। ऐसे में भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इस बीच उनके शपथ ग्रहण समारोह में शामिल भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-अमेरिका के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों पर खुलकर बात की है।

जयशंकर ने भारत-अमेरिका के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों का उल्लेख करते हुए डोनाल्ड ट्रंप को लेकर अहम बात कही। जयशंकर ने ट्रंप को एक 'अमेरिकी राष्ट्रवादी' बताया। विदेश मंत्री जयशंकर दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में एक कार्यक्रम में मौजूद थे। इस दौरान ट्रंप भारत के मित्र हैं या शत्रु, इस बारे में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए जयशंकर ने कहा कि मैंने हाल ही में उनके (ट्रंप के) शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया था और हमारे साथ अच्छा व्यवहार किया गया। मेरा मानना है कि वह एक अमेरिकी राष्ट्रवादी हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि ट्रंप की नीतियां वैश्विक मामलों में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती हैं, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की विदेश नीति राष्ट्रीय हित से निर्देशित होती रहेगी।

जयशंकर ने कहा, ट्रंप बहुत सी चीजें बदलेंगे। हो सकता है कि कुछ चीजें उम्मीद के अनुरूप नहीं हों, लेकिन हमें देश के हित में विदेश नीतियों के संदर्भ में खुला रहना होगा। कुछ मुद्दे हो सकते हैं जिन पर हम एकमत न हों, लेकिन कई क्षेत्र ऐसे होंगे जहां चीजें हमारे दायरे में होंगी। जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच मजबूत व्यक्तिगत संबंधों पर भी जोर देते हुए कहा क‍ि अमेरिका के साथ हमारे संबंध मजबूत हैं और मोदी के ट्रंप के साथ अच्छे व्यक्तिगत संबंध हैं।

भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव पर क्या बोले

इस दौरान, एस जयशंकर ने भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और देश के बारे में बदलती धारणाओं के बारे में बात की। उन्होंने कहा, यहां तक कि अब गैर-भारतीय भी खुद को भारतीय कहते हैं, उन्हें लगता है कि इससे उन्हें विमान में सीट मिलने में मदद मिलेगी।

खुद के राजनीति में आने पर क्या कहा?

डॉ. एस. जयशंकर ने शिक्षा क्षेत्र और कूटनीति से राजनीति में आने का उल्लेख करते हुए कहा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं नौकरशाह बनूंगा। राजनीति में मैं अचानक आ गया, या तो इसे भाग्य कहें, या इसे मोदी कहें। उन्होंने (प्रधानमंत्री मोदी) मुझे इस तरह से आगे बढ़ाया कि कोई भी मना नहीं कर सका। उन्होंने रेखांकित किया कि विदेश में रहने वाले भारतीय अभी भी समर्थन के लिए अपनी मातृभूमि पर निर्भर हैं और कहा, जो भी देश के बाहर जाते हैं, वे हमारे पास ही आते हैं। बाहर हम ही रखवाले हैं।

अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स चलना-फिरना भूलीं, मस्क पर टिकी ट्रंप की उम्मीद

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भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर पिछले 8 महीनों से अंतरिक्ष में फंसे हैं। उनके बोइंग स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी समस्याएं आने के बाद दोनों स्पेस में ही अटक गए। हालांकि, उन्हें लाने की कई बार कोशिश की गई लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही है। इस बीच सुनीता विलियम्स के एक बयान ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। अंतरिक्ष में 237 दिनों से फंसी भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने कहा कि वह याद करने की कोशिश कर रही हैं कि चलना कैसा होता है।

एक मैगजीन को दिए गये इंटरव्यू में सुनीता विलियम्स ने कहा है, कि वो काफी बेसब्री से धरती पर लौटने का इंतजार कर रही हैं। इस दौरान उन्होंने कहा, कि वो अब चलना तक भूल गईं हैं। उन्होंने कहा, कि वो याद कर रही हैं, कैसे चलती थीं। उन्होंने कहा, मैं स्पेस स्टेशन में काफी समय से हूं और मैं यह याद करने की कोशिश कर रही हूं, कि चलना कैसा होता है। मैं नहीं चली हूं। मैं नहीं बैठी हूं। मैं नहीं लेटी हूं। आपको ऐसा करने की जरूरत नहीं है। आप बस अपनी आंखें बंद कर सकते हैं और जहां आप हैं, वहीं तैर सकते हैं।

मस्क ने कहा वापसी का काम शुरू

इस हालात में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मशहूर कारोबारी और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क से दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने में मदद मांगी है। एलन मस्क ने कहा है कि उन्होंने अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी के लिए काम शुरू कर दिया है। एलन मस्क ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, @ ने से पर फंसे 2 अंतरिक्ष यात्रियों को जल्द से जल्द घर लाने के लिए कहा है। हम ऐसा करेंगे।"

ट्रंप ने क्या कहा?

वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा, कि स्पेसएक्स "जल्द ही" दोनों अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने के लिए एक मिशन शुरू करेगा, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर महीनों से फंसे हुए हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर कहा कि "एलन जल्द ही कोशिश शुरू करेंगे और उम्मीद हैं, कि सभी सुरक्षित होंगे। शुभकामनाएं एलन!!!"

अंतरिक्ष में कैसे फंसी सुनीता विलियम्स?

बता दें, कि सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर पिछले साल 5 जून को बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गये थे, लेकिन बोइंग स्पेसक्राफ्ट में टेक्निकल दिक्कतें आ गईं और दोनों अंतरिक्षयात्री वहीं फंस गये। सुनीता विलियम्स को सिर्फ 10 दिनों तक ही स्पेस स्टेशन में रहना था, लेकिन पिछले 8 महीनों से वो वहीं फंसी हुई हैं। नासा और बोइंग ने स्पेसक्राफ्ट को ठीक करने की काफी कोशिश की, लेकिन आखिरकार फैसला लिया गया, कि स्पेसक्राफ्ट को वैज्ञानिकों के साथ धरती पर लाना काफी जोखिम भरा कदम होगा।

ट्रंप की सख्ती के बाद कोलंबिया का यू-टर्न, प्रवासियों की वापसी के लिए राष्ट्रपति पेट्रो ने भेजा विमान

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डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी सत्ता में वापसी के बाद से ही अनधिकृत अप्रवासियों का मुद्दा फिर से चर्चा में है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप देश भर से अवैध प्रवासियों को ढूंढ-ढूंढ के बाहर निकाल रहे हैं।ट्रंप के इस कदम के खिलाफ, कोलंबिया ने अपना सिर उठाया और डिपोर्टेशन फ्लाइट्स की अनुमति अपने देश में नहीं दी। लेकिन, 24 घंटे के अंदर ही ट्रंप ने कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोलंबिया पर टैरिफ और अन्य प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी, जिसके बाद कोलंबिया ने अमेरिकी शर्तों को मानते हुए निर्वासन उड़ानों को स्वीकार करने पर सहमति जता दी। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने अमेरिका से प्रवासियों को वापस लाने के लिए विशेष विमान भेजने का फैसला किया है। अमेरिका से जंजीरों में बांधकर अमानवीय तरीके प्रवासियों को भेजे जाने की तस्वीरे सामने आने और इस मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रंप के साथ तनातनी के बाद कोलंबिया ने ये फैसला लिया है।कोलंबिया सरकार ने कहा है कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि उनके नागरिकों को बेइजज्त करके अमेरिका से ना निकाला जाए। इस संबंध में कोलंबिया के राष्ट्रपति कार्यालय ने अपने बयान में 'सम्मानजनक वापसी' शब्द पर विशेष जोर दिया है।

कोलंबियाई राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि गुस्तावो पेट्रो के निर्देशन में कोलंबिया सरकार ने डिपोर्टेशन फ्लाइट से देश में आने वाले अपने नागरिकों की सम्मानजनक वापसी की सुविधा के लिए राष्ट्रपति विमान उपलब्ध कराया है। पेट्रो ने अपने निर्वासित नागरिकों की सम्मानजनक वापसी चाहते हैं। अमेरिका से कोलंबियाई नागरिकों की वापसी के लिए एक विशेष टीम का गठन भी किया गया है। कोलंबियाई सरकार अमेरिका से बातचीत कर रही है ताकि निर्वासित लोगों के साथ सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित हो सके। बयान से साफ है कि कोलंबियाई सरकार अपने नागरिकों के सम्मानजनक व्यवहार को लेकर बेहद गंभीर है।

इससे पहले कोलंबिया में पहले अपने निर्वासित नागरिकों को वापस लेने से मना कर दिया था। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने पूर्व में अमेरिका द्वारा अवैध प्रवासियों को निर्वासित करने के तरीके की आलोचना की थी और कहा कि उनकी सरकार अमेरिका से निर्वासित प्रवासियों को ले जाने वाली उड़ानों को तब तक स्वीकार नहीं करेगी, जब तक ट्रंप प्रशासन उनके साथ 'सम्मानजनक' व्यवहार करने वाला प्रोटोकॉल नहीं बनाता। एक्स पर लिखे संदेश में पेट्रो ने कहा, 'प्रवासी अपराधी नहीं है और उसके साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए। इंसान इसका हकदार भी है। यही कारण है कि मैंने कोलंबियाई प्रवासियों को ले जा रहे अमेरिकी सैन्य विमानों को वापस कर दिया।

कोलंबिया की सरकार ने बदला फैसला

इससे नाराज होकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोलंबिया के खिलाफ टैरिफ लगाने और अन्य जवाबी कदम उठाने का एलान कर दिया था। इसके कुछ ही घंटों बाद कोलंबिया ने भी अमेरिका पर आयात शुल्क बढ़ाए जाने का फैसला किया था। इससे दोनों मुल्कों में तनातनी बढ़ गई थी। हालांकि, अब कोलंबिया की सरकार ने यू-टर्न ले लिया है। माना जा रहा है कि इसी के चलते कोलंबिया की सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा।

क्या हो सकते थे कोलंबिया पर गंभीर परिणाम?

अगर, कोलंबिया ने ट्रंप की शर्तें नहीं मानी होती, तो देश को गंभीर आर्थिक और राजनयिक नुकसान झेलना पड़ सकता था।

1.टैरिफ का असर: कोलंबिया से अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले सभी सामानों पर 25% टैरिफ लगने का खतरा था। यह टैरिफ एक सप्ताह में बढ़कर 50% तक हो सकता था। कोलंबिया की अर्थव्यवस्था, जो अपने 33% निर्यात के लिए अमेरिकी बाजार पर निर्भर है, इस टैरिफ से बुरी तरह प्रभावित होती।

2.वीजा प्रतिबंध: कोलंबियाई सरकारी अधिकारियों और उनके सहयोगियों के वीज़ा रद्द हो सकते थे। इसका असर कोलंबिया की अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों और राजनयिक संबंधों पर पड़ता।

3.सख्त सीमा जांच: कोलंबियाई नागरिकों की अमेरिकी सीमा पर कड़ी जांच होती। इससे व्यापार, यात्रा और प्रवासियों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता।

4.आर्थिक प्रतिबंध: कोलंबिया की वित्तीय गतिविधियों, बैंकों और व्यापार पर कड़े प्रतिबंध लगाए जा सकते थे। इससे कोलंबिया की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगता।

5.राजनयिक अलगाव: अमेरिका और कोलंबिया के बीच व्यापार और राजनयिक संबंध प्रभावित हो सकते थे। कोलंबिया, जो अमेरिका को अपना सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार मानता है, अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग पड़ सकता था।