From “No” to Global Go: How a Rejected Short Film Becomes the Launchpad for India’s First AI Voice-Cloning OTT Platform

Software developer-turned-filmmaker Sahil Dhamija couldn’t secure an OTT slot for his debut short film, he identified some real gaps between entertainment and technology especially, a time-consuming dubbing. The setback catalysed Rochak, an AI-powered platform that now turns any film into fifteen-plus languages within hours and streams the actor’s own voice worldwide.

Sahil Dhamija’s first taste of filmmaking was intoxicating—until distribution realities crashed the party. Shot on a shoestring and titled Public Place, the short wrapped in May 2024 and was promptly rejected by every OTT service he approached. Feedback was polite yet fatal: production value “too niche,” dubbing budget “too high,” audience “too limited.” By Independence Day the film was on YouTube, garnering views but yielding little revenue.

Rather than quitting, Dhamija dissected the bottleneck. Dubbing, he discovered, soaks up to 20 percent of a mid-budget film’s cost and adds six weeks to release calendars. Worse, audiences often hate the substituted voices. The answer wasn’t bigger budgets; it was better technology.

Enter Rochak. Over the next twelve months Dhamija and co-founder Bijay Rawat trained neural networks to capture an actor’s vocal fingerprint—pitch arcs, breath gaps, emotional subtlety—and re-synthesise that performance in multiple languages. The result became Rochak Voice Engine, capable of cloning dialogue tracks for a full feature film in under six hours.

Validation came quickly. The platform’s inaugural release, MILF, debuted in Hindi, English, Arabic, and Tamil. Analytics lit up: 73 percent of viewers chose a dubbed track, average watch-time surged 33 percent, and subtitle use dwindled. Clearly, audiences crave linguistic comfort as long as emotional authenticity stays intact.

The roadmap is equally bold. An Android app drops this month-end with offline downloads, 4K casting, and swipe-based language switching. iOS follows next month; smart-TV apps for Android TV, Fire TV, and webOS are already in QA. Beyond that, Rochak is engineering a lip-sync module that visually aligns mouth movements to each dubbed language, plus a Creator Console where filmmakers can upload masters, select target tongues, and receive ready-to-stream files—all on subscription economics.

By 2027 the platform targets 35 languages, real-time dubbing for live events, and an “opening weekend, everywhere” reality for storytellers. Rochak’s journey from rejection to reinvention proves that sometimes the fastest route to success begins with a very public “no.”

केन्द्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तमिलनाडु, फंड रोकने के आरोप में स्टालिन सरकार ने दायर कराई अर्जी

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार और तमिलनाडु की एम के स्टालिन सरकार आमने-सामने हैं। इस बीच तमिलनाडु ने एनईपी 2020 और पीएम श्री स्कूल योजना को लागू न करने को लेकर समग्र शिक्षा योजना (एसएसएस) के तहत धनराशि रोके रखने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया है।

अनुदान का भुगतान करने का निर्देश देने की अपील

तमिलनाडु सरकार की ओर से केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में 2 हजार 299 करोड़ 30 लाख 24 हजार 769 रुपये की रिकवरी की अपील की गई है। साथ ही मूल राशि पर 6% प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भुगतान की मांग की गयी है। सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार ने गुहार लगाई है कि प्रतिवादी को अपने निर्देशों का पालन और निष्पादन जारी रखने का निर्देश दिया जाना चाहिए। वादी को राज्य अनुदान की सहायता का भुगतान करने के वैधानिक दायित्व का निर्वहन करना चाहिए। केंद्र सरकार को योजना व्यय का 60% हिस्सा शैक्षणिक वर्ष के प्रारंभ से पहले भुगतान करना होगा।

एनईपी लागू करने के लिए बलपूर्वक बाध्य करने का आरोप

तमिलनाडु ने कहा कि केंद्र सरकार बच्चों की शिक्षा के लिए दिए जाने वाले फंड को रोककर राज्य को तीन भाषा फॉर्मूला अपनाने के लिए बलपूर्वक बाध्य नहीं कर सकती। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार पर संघवाद का उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा है कि समग्र शिक्षा योजना और पीएम श्री स्कूल योजनाओं को आपस में नहीं जोड़ा जा सकता ऐसा करना संघवाद का उल्लंघन है।

केंद्र से तनाव के बीच स्टालिन की संबंध बढ़ाने की कोशिश! राज्य की स्वायत्तता के लिए बनाई हाई-लेवल कमेटी


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केंद्र सरकार के साथ बढ़ते तनाव के बीच तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने राज्य की स्वायत्तता के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति बनाई है। इसको लेकर तमिलनाडु विधानसभा में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य को स्वायत्त बनाने का प्रस्ताव पेश किया है। मुख्यमंत्री स्टालिन का कहना है कि केंद्र सरकार लगातार राज्यों के अधिकारों में दखल दे रही है। इसलिए, राज्य की स्वायत्तता को बचाने के लिए यह कदम उठाया गया है। 

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन मंगलवार को विधानसभा में राज्य की स्वायत्तता के लिए एक उच्च स्तरीय समिति नियुक्त करने का प्रस्ताव पेश किया। स्टालिन के प्रस्ताव पर तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है। इस पैनल की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस कुरियन जोसेफ करेंगे। यह पैनल केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संबंधों का गहराई से अध्ययन करेगा।

अपने अधिकारों को और मजबूत करना चाहती है स्टालिन सरकार

मुख्यमंत्री स्टालिन ने विधानसभा में नियम 110 के तहत घोषणा कर कहा कि यह कदम राज्य के अधिकारों की रक्षा और केंद्र के साथ राज्य सरकारों के बीच संबंधों को बढ़ाने के लिए उठाया गया है।

उन्होंने बताया कि समिति में पूर्व नौकरशाह अशोक शेट्टी और एमयू नागराजन भी शामिल होंगे। स्टालिन ने राज्य विधानसभा को बताया कि पैनल जनवरी 2026 में एक अंतरिम रिपोर्ट देगा। इसके बाद, दो साल के भीतर अंतिम रिपोर्ट और सिफारिशें पेश की जाएंगी। इसके माध्यम से राज्य सरकार अपने अधिकारों को और मजबूत करना चाहती है।

केन्द्र पर लगाया राज्यों के अधिकार छीनने का आरोप

स्टालिन ने कहा कि देश की आजादी को 75 साल पूरे हो गए हैं। हमारे देश में अलग अलग भाषा, जाति और संस्कृति के लोग रहते हैं। एक-एक करके राज्यों के अधिकार छीने जा रहे हैं। राज्य के लोग अपने मौलिक अधिकारों के लिए केंद्र सरकार से संघर्ष कर रहे हैं। हम अपनी भाषा से जुड़े अधिकारों की भी मुश्किल से रक्षा कर पा रहे हैं। स्टालिन ने कहा कि राज्य तभी सही मायने में तरक्की कर सकते हैं, जब उनके पास सभी ज़रूरी अधिकार और शक्तियां हों।

गवर्नर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार का बड़ा कदम

सीएम स्टालिन ने राज्य को अधिक स्वायत्तता दिए जाने की बात ऐसे समय में की है, जब राज्यपाल आरएन रवि ने राज्य विधानसभा में पारित विभिन्न विधेयकों को मंजूरी देने से मना कर दिया। इसके चलते डीएमके के नेतृत्व वाली सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव भी हुआ। जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। 8 अप्रैल को, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल आरएन रवि का 10 बिलों पर सहमति रोकना 'गैरकानूनी' था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला और आर महादेवन की बेंच ने कहा कि राज्यपाल संवैधानिक रूप से राज्य विधानसभा की सलाह पर काम करने के लिए बाध्य हैं।

अन्नामलई के बाद नयनार नागेन्द्रन के हाथों में तमिलनाडु होगी बीजेपी की कमान, निर्विरोध चुने जाने के आसार

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तमिलनाडु भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में नेतृत्व परिवर्तन होने वाला है। बीजेपी नेता नयनार नागेंद्रन तमिलनाडु बीजेपी के 13वें अध्यक्ष बनने वाले हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस पद के लिए उन्होंने अकेले ही नामांकन भरा है। तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के रूप में नयनार नागेन्द्रन की नियुक्ति की आधिकारिक घोषणा दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय से की जाएगी। यह कदम 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी की रणनीति और अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के साथ संभावित गठबंधन को मजबूत करने की दिशा में माना जा रहा है।

नागेंद्रन पहले एआईएडीएमके में थे। नागेंद्रन 2017 में बीजेपी में शामिल हुए थे। बीजेपी और एआईएडीएमके के बीच गठबंधन की संभावना के बीच उनका अध्यक्ष बनना महत्वपूर्ण है। बताया गया है कि पूर्व तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने नागेंद्रन के नाम का प्रस्ताव दिया था।

नयनार नागेन्द्रन की यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होने वाला है। इसके अलावा राज्य में भी अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। तमिलनाडु में बीजेपी अपनी स्थिति को मजबूत करने के प्रयासों में जुटी है। संगठन का मानना है कि नागेन्द्रन के नेतृत्व में पार्टी राज्य में अधिक प्रभावशाली भूमिका निभा सकेगी।

नागेन्द्रन को मिलेगी नियमों में छूट?

बीजेपी ने गुरुवार को तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों के लिए चुनाव की अधिसूचना जारी की थी। शुक्रवार को दोपहर 2 बजे से 4 बजे के बीच नामांकन दाखिल किए गए, जिसमें नागेंद्रन ने भी अपना नामांकन भरा। शनिवार को शाम 5 बजे होने वाली कार्यकारी समिति की बैठक में उनकी नियुक्ति को औपचारिक रूप दिए जाने की संभावना है। हालांकि, बीजेपी के नियमों के अनुसार अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार को कम से कम 10 साल की प्राथमिक सदस्यता की आवश्यकता होती है। नागेंद्रन 2017 में ही पार्टी में शामिल हुए थे। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व इस नियम में छूट दे सकता है, जैसा कि पहले केरल में राजीव चंद्रशेखर के मामले में किया गया था

कौन हैं नयनार नागेंद्रन?

नयनार नागेंद्रन 2001 में पहली बार तिरुनेलवेली सीट से एआईएडीएमके उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता था। जयललिता के नेतृत्व वाली एआईएडीएमके सरकार (2001-06) में उन्होंने परिवहन, उद्योग और बिजली जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाले। 2011 में वे फिर से उसी सीट से जीते, लेकिन उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। 2006 और 2016 के विधानसभा चुनावों में वे कुछ वोटों से हार गए थे।

2017 में बीजेपी में शामिल

जयललिता के निधन के बाद नागेंद्रन अगस्त 2017 में बीजेपी में शामिल हो गए। 2021 में वे फिर से उसी सीट से बीजेपी उम्मीदवार के रूप में जीते। इसके बाद उन्हें तमिलनाडु विधानसभा में विधायक दल का नेता बनाया गया। नागेंद्रन ने 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में भी किस्मत आजमाई। उन्होंने रामनाथपुरम और तिरुनेलवेली सीटों से चुनाव लड़ा, लेकिन वे जीत नहीं पाए।

तमिलनाडु में साथ आए बीजेपी-एआईएडीएमके, गठबंधन का ऐलान

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बीजेपी और उसके पुराने सहयोगी अन्नाद्रमुक एक बार फिर साथ आ गए हैं। तमिलनाडु में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और एआईएडीएमके के बीच गठबंधन हो गया है। इसका एलान चेन्नई दौरे पर पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया है। चेन्नई में एआईएडीएमके नेता ई. के. पलानीस्वामी के साथ प्रेसवार्ता में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'आज एआईएडीएमके और भाजपा के नेताओं ने मिलकर तय किया है कि आने वाला तमिलनाडु विधानसभा चुनाव एआईएडीएके, भाजपा और सभी साथी दल मिलकर एनडीए के रूप में एक साथ लड़ेंगे।'

पलानीस्वामी के नेतृत्व में लडे़ंगे चुनाव-शाह

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव राज्य में ई पलानीस्वामी के नेतृत्व में लड़े जाएंगे, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन का चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे। शाह ने कहा कि 1998 से जयललिता जी और अटल जी के समय से हम मिलकर चुनाव लड़ते आए हैं। एक समय ऐसा था जब हमने 39 में से 30 लोकसभा सीटें साथ मिलकर जीती थीं।

गठबंधन विश्वास और विचारधारा पर आधारित-शाह

शाह ने आगे कहा कि बीजेपी और एआईएडीएमके का गठबंधन सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि विश्वास और विचारधारा पर आधारित रहा है. शाह ने पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता और प्रधानमंत्री मोदी के बीच रिश्तों को भी याद किया और कहा कि दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के साथ मिलकर हमेशा तमिलनाडु के विकास के लिए काम किया है

अन्नामलाई की विवाद से पहले गठबंधन

बीजेपी और अन्नाद्रमुक के बीच गठबंधन तक फाइनल हुआ है जब अन्नामलाई की जगह प्रदेश भाजपा को नयनार नागेन्द्रन के रूप में नया अध्यक्ष मिलना तय हो गया है। एआईएडीएमके और बीजेपी के बीच गठबंधन में सबसे बड़ी बाधा पूर्व आईपीएस अन्नामलाई को ही माना जाता रहा है।

जहां तक भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष की बात है तो हाल ही में अन्नामलाई खुद ही कह चुके थे कि उनकी 'प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में दिलचस्पी नहीं है' और वह 'एक सामान्य कार्यकर्ता' की तरह कार्य करना चाहते हैं।

बीजेपी और एआईएडीएमके के बीच फिर से गठबंधन होने की चर्चा तब से तेज हुई है, जब पिछले महीने तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और अन्नाद्रमुक के चीफ ईके पलानीस्वामी अमित शाह से मिलने दिल्ली आए थे। इसके बाद ही इन संभावनाओं को बल मिला है कि तमिलनाडु की पूर्व सीएम जयललिता का पार्टी फिर से एनडीए का हिस्सा बन सकती है।

लोकसभा चुनाव से पहले टूटा था गठबंधन

दोनों दलों के बीच खटास तब से पैदा हुई थी, जब प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के अन्नामलाई ने एआईएडीएके के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इसकी वजह से आखिरकार लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन टूट गया। हालांकि, अन्नामलाई के करिश्माई नेतृत्व का बीजेपी को वोट शेयर के रूप में बड़ा फायदा भी मिला, लेकिन वह सीटों में तब्दील नहीं हो सका।

परिसीमन पर स्टालिन ने चेन्नई में बुलाई बड़ी बैठक, बोले-आंदोलन की शुरूआत

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चेन्नई में आज बड़ा राजनीतिक जुटान होने वाला है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने परिसीमन पर आज चेन्नई में बड़ी बैठक बुलाई है। बैठक में भाग लेने के लिए कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया है। बैठक में केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, तेलंगाना के रेवंत रेड्डी और पंजाब के भगवंत मान के शामिल होने की उम्मीद है। कर्नाटक का प्रतिनिधित्व उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार करेंगे, जबकि आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी और ओडिशा के नवीन पटनायक अपने पार्टी प्रतिनिधि को भेजेंगे।

तृणमूल ने किया किनारा

पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को बताया कि चेन्नई में 22 मार्च को बुलाई गई परिसीमन बैठक के लिए कोई प्रतिनिधि नहीं भेजेगी। वहीं, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन बैठक में भाग लेने के लिए चेन्नई पहुंच गए हैं।

स्टालिन ने बताया राष्ट्रीय आंदोलन

बैठक से पहले स्टालिन ने कहा, भारतीय संघवाद के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन है। स्टालिन ने शुक्रवार को कहा, एक्स पर एक वीडियो संदेश साझा करते हुए बताया कि डीएमके सरकार 22 मार्च को चेन्नई में बैठक और पहले दौर की चर्चा क्यों आयोजित कर रही है। पोस्ट में स्टालिन ने इस बात पर जोर दिया कि तमिलनाडु की पहल के रूप में जो शुरू हुआ वह अब निष्पक्ष प्रतिनिधित्व के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन बन गया है, जिसमें राज्य संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के अनुचित आवंटन के विरोध में एकजुट हो रहे हैं।

बीजेपी ने कहा 'भ्रामक नाटक'

वहीं, तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई ने आरोप लगाया कि परिसीमन पर बैठक एक 'भ्रामक नाटक' है। मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा, तमिलनाडु की पहल से शुरू हुआ यह आंदोलन अब एक राष्ट्रीय आंदोलन बन गया है, जिसमें पूरे भारत के राज्य निष्पक्ष प्रतिनिधित्व की मांग के लिए हाथ मिला रहे हैं।

तमिलनाडु सरकार ने बदला दिया रुपये का प्रतीक चिन्ह, जानिए क्या है नियम?

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देश में भाषा को लेकर बहस चल रही है। इस बीच डीएमके की अगुआई वाली तमिलनाडु सरकार ने भाषा विवाद को और भड़का दिया है। राज्य सरकार ने अपने बजट 2025-26 से रुपये के आधिकारिक प्रतीक (₹) को बदल कर आग में घी डालने का काम किया है। तमिलनाडु सरकार ने अपने राज्य बजट के लोगो के रूप में आधिकारिक भारतीय रुपये के प्रतीक '₹' को तमिल अक्षर 'ரூ' से बदल दिया है।ऐसा पहली बार हुआ है जब देश में किसी राज्य ने रुपये के चिह्न को बदला हो। तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन के इस कदम को लेकर सवाल भी उठने लगे हैं।सवाल है कि क्या राज्य के पास इस तरह रुपये के चिह्न में बदलाव करने का अधिकार है?

तमिलनाडु द्वारा रुपये के चिह्न में बदलाव का यह अपनी तरह का पहला मामला है। इसके पहले किसी भी राज्य सरकार ने इस तरह का कदम नहीं उठाया। ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल है कि क्या देश भर में मान्य इस रुपये के चिह्न को राज्य सरकार बदल सकती है?

बता दें कि केंद्र की तरफ से रुपये के चिह्न में बदलाव को लेकर कोई स्पष्ट नियम या निर्देश नहीं हैं। ऐसे में तमिलनाडु सरकार की तरफ से उठाया गया यह कदम कानून का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता है। यह जरूर है कि इस कदम को अदालत में चुनौती देकर स्पष्टीकरण मांगा जा सकता है।

यदि रुपये को राष्ट्रीय चिह्न के रूप में मान्यता मिली होती तो इसमें किसी तरह का बदलाव करने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास रहता। राष्ट्रीय चिह्न की सूची में रुपये का चिह्न नहीं है। राष्ट्रीय चिह्न में बदलाव के संबंध में भारतीय राष्ट्रीय चिन्ह (दुरुपयोग की रोकथाम) एक्ट 2005 बना हुआ है। बाद में इस कानून को 2007 में अपडेट किया जा चुका है। एक्ट के सेक्शन 6(2)(f) में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि सरकार राष्ट्रीय प्रतीकों की डिजाइन में बदलाव कर सकती है।

तमिल में इंजीनियरिंग और मेडिकल शिक्षा शुरू कर दो...', भाषा विवाद के बीच अमित शाह का स्टालिन पर तंज

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भाषा को लेकर तमिलनाडु और केन्द्र सरकार आमने-सामने हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन पिछले कुछ दिनों से लगातार केंद्र सरकार पर नेशनल एजूकेशन पॉलिसी के जरिए तमिलनाडु में हिंदी को अनिवार्य करने और तमिल भाषा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने का आरोप लगा रहे हैं। अब तक शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने स्टालिन के हमले को लेकर मोर्टा समभाल रखा था। ब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन पर पलटवार किया। उन्होंने स्टालिन से राज्य में तमिल में इंजीनियरिंग और मेडिकल की शिक्षा शुरू करने की बात कही है।

भाषा के मुद्दे विशेष रूप से स्टालिन के हिंदी विरोध को लेकर मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने बदलाव किए और अब यह सुनिश्चित किया है कि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के उम्मीदवार अपनी-अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा दे सकें।

शाह ने दावा किया कि एमके स्टालिन ने तमिल भाषा के विकास के संबंध में पर्याप्त काम नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के लिए अपनी भर्ती नीतियों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। शाह ने कहा, अभी तक सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (सीएपीएफ) भर्ती में मातृभाषा के लिए कोई जगह नहीं थी। पीएम मोदी ने फैसला किया है कि हमारे युवा अब तमिल सहित आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में सीएपीएफ परीक्षा दे सकेंगे। मैं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री से भी आग्रह करना चाहता हूं कि वे जल्द से जल्द तमिल भाषा में मेडिकल और इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम शुरू करने की दिशा में कदम उठाएं।

क्या है केंद्र और राज्य के बीच विवाद?

राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन के बीच पिछले कई दिनों से जुबानी जंग चल रही है। बीते दिनों राष्ट्रीय शिक्षा नीति को तमिलनाडु में लागू करने से स्टालिन के इनकार पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नाराजगी जाहिर की थी। वहीं स्टालिन, केंद्र सरकार पर जबरन राज्य में इसे लागू करने का आरोप लगा रहे हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा था कि जब तक तमिलनाडु राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और तीन भाषा फार्मूले को स्वीकार नहीं कर लेता, तब तक केंद्र सरकार की तरफ से उसे फंड नहीं दिया जाएगा।

स्टालिन ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार जबरन तमिलनाडु पर हिंदी थोपना चाह रही है। इसके कारण कई क्षेत्रीय भाषाएं पहले ही खत्म हो चुकी हैं, हम अपने यहां की भाषाएं खत्म नहीं होने देंगे।

क्या IUML सांसद ने मंदिर में खाया नॉनवेज, बीजेपी नेता अन्नामलाई के आरोपों के बाद दोनों आमने-सामने

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तमिलनाडु में बिरयानी खाने को लेकर नया विवाद छिड़ गया है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के लोकसभा सांसद के नवसकानी और तमिलनाडु बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई एक दूसरे के आमने-सामने आ गए हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई ने सांसद पर आरोप लगाया है कि उन्होंने मदुरै में तिरुपरंगुनराम सुब्रमण्यम स्वामी हिल जिसको हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है, वहां जाकर मांसाहारी खाना (बिरयानी) खाया।

एक बयान में अन्नामलाई ने कहा कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता बरकरार रखी जानी चाहिए। भगवान मुरुगन के छह निवासों में से पहला, थिरुप्पारनकुंद्रम सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर में हाल के घटनाक्रम अवांछनीय हैं। खासकर सांसद नवाज कानी की हरकतें बेहद निंदनीय हैं। थिरुप्पारनकुंद्रम सुब्रमण्यम स्वामी पहाड़ी, जिसे हिंदुओं द्वारा पवित्र माना जाता है, पर एक समूह को इकट्ठा करने और मांसाहारी भोजन करने का उनका कृत्य न केवल एक गंभीर गलती है, बल्कि इससे सांप्रदायिक तनाव भड़कने की भी संभावना है।

IUML सांसद को बर्खास्त करने की मांग

तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई ने समूह को इकट्ठा करने और मांसाहारी भोजन का सेवन करने के लिए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के नेता और रामनाथपुरम के सांसद नवास कानी की निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक मौजूदा सांसद, जिसने भारत के संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का पालन करने की शपथ ली है। उस स्थान पर जाने और मांसाहारी खाने का फैसला किया है, जो हजारों वर्षों से हिंदू समुदाय के लिए पवित्र रहा है। उन्होंने कहा कि यह तमिलनाडु की राजनीति का हाल है। राज्य में जो कुछ हो रहा है उस पर तुष्टिकरण की राजनीति हावी हो गई है। इस सांसद को बर्खास्त किया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने अपनी शपथ का उल्लंघन किया है।

IUML सांसद ने पेश की सफाई

बीजेपी के आरोप पर अब लोकसभा सांसद के नवसकानी ने सफाई पेश की है। उन्होंने कहा, मदुरै में उसी पहाड़ी पर सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर है वहां पर एक सिकंदर दरगाह भी है। मैं उसी दरगाह में गया था। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा, बीजेपी इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही है। मैं सिर्फ लोगों से बातचीत करने, उनकी समस्याओं के बारे में जानने के लिए दरगाह में गया था। उन्होंने दरगाह के बारे में बात करते हुए कहा, दरगाह में न सिर्फ मुस्लिम बल्कि सभी धर्मों के लोग प्रार्थना करने के लिए आते हैं। वहां कई वर्षों तक बकरे और मुर्गों की बलि दी जाती रही है। लोग पहाड़ी के नीचे रहते हैं और बकरी और मुर्गों को पालते हैं, इसके बाद लोग पहाड़ी पर जाकर बकरियों और मुर्गियों की बलि देते हैं और फिर खाना पकाया जाता है और वहीं खाया जाता है। उन्होंने आगे कहा, दरगाह वक्फ बोर्ड के अंदर आती है, इसलिए वो यह समझने के लिए वहां गए थे कि दरगाह पर आने वाले लोगों को असुविधा क्यों हो रही है। उन्होंने कहा, दरगाह के पीछे काशी विश्वनाथ मंदिर है।

बीजेपी जो उत्तर भारत में करती है वही वो तमिलनाडु में करने की कोशिश- नवसकानी

सांसद ने अन्नामलाई पर झूठे दावे फैलाने का आरोप लगाया। नवसकानी ने कहा, अन्नामलाई झूठ फैला रहे हैं। बीजेपी राजनीति के लिए ऐसा कर रही है। वे ऐसा दर्शाने की कोशिश करते हैं कि हम मंदिर परिसर में बिरयानी खाते हैं, लेकिन वो अपना मकसद हासिल नहीं कर पाएंगे। साथ ही उन्होंने कहा, बीजेपी जो उत्तर भारत में करती है वही वो तमिलनाडु में करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यहां ऐसा नहीं होगा

Empowering Dreams: The Inspiring Success Story of Karthik Raja Karnan and MADique Technologies

Salem, India – December 2024 – The extraordinary journey of Karthik Raja Karnan showcases how creativity, perseverance, and a deep commitment to social impact can transform an industry. As the founder and CEO of MADique Technologies, Karthik has redefined the food processing industry by designing affordable, sustainable, and efficient machinery for small-scale entrepreneurs. His life story is a testament to how a humble beginning can lead to a remarkable legacy. 

Early Life: The Foundation of a Visionary Leader 

Born on May 30, 1994, into a middle-class family in Salem, Tamil Nadu, Karthik grew up in Ammapet, a small town steeped in weaving traditions. His parents, Mr. Karnan and Mrs. Kaladevi were skilled weavers who nurtured Karthik’s curious and inventive nature. Since the family could not afford expensive toys, Karthik began creating his own, showcasing an innate talent for innovation from a young age. Karthik attended a government school, where his aptitude for science and experimentation became evident. Known for applying classroom lessons through practical experiments at home, he earned multiple accolades during his school years, including the Brahma Award, the District-Level Best Student Award, and the State-Level Best Student Award.

From Engineering Graduate to Entrepreneurial Trailblazer 

After excelling academically, Karthik pursued engineering at the Knowledge Institute of Technology in Salem, specializing in Electrical and Electronics. During his college years, he developed several innovative products that earned national recognition. Prestigious honors such as the Young Scientist Award, the Edison Award, and the Dr. A.P.J. Abdul Kalam Award celebrated his creativity and ingenuity. Graduating in 2016, Karthik was offered a job at Titan. However, his entrepreneurial spirit burned brighter. Despite familial pressure to accept the secure job, Karthik made the bold decision to decline the offer and follow his dreams. With little more than his vision and determination, he started a small company in a car shed, becoming its sole employee. 

Overcoming Challenges and Building MADique Technologies 

Karthik’s entrepreneurial journey was far from easy. His first project a Murukku Machine failed, but he remained undeterred. Neighbors mocked him for looking like a “mechanic boy” while his peers secured lucrative jobs. Facing mounting failures, Karthik’s mother repeatedly urged him to take a stable job, but he asked his parents for one year to prove himself. That pivotal year marked a turning point. Karthik successfully developed the Automatic Murukku Machine and the Automatic Idiyappam Machine, which quickly gained popularity. His focus on creating low-cost, high-quality food processing machines helped countless middle-class entrepreneurs launch their businesses. In 2021, Karthik unveiled the world’s smallest Automatic Idiyappam Machine at an unprecedentedly low price, earning a record in the prestigious Kalam Book of World Records. This milestone paved the way for MADique Technologies to expand internationally, reaching over 30 countries. 

Innovating to Empower Small-Scale Food Entrepreneurs Since its inception in 2013, MADique Technologies has become synonymous with innovation, efficiency, and affordability. The company’s flagship product, the Idiyappam Machine, consumes

only 60 watts of power—comparable to a ceiling fan—and produces 400 pieces per hour. Priced at just ₹41,300, the machine enables small-scale entrepreneurs, including housewives, differentlyabled individuals, and rural business owners, to enter the food processing industry without significant financial burdens. MADique’s product range now includes dough kneaders, murukku makers, and other innovative machines designed to simplify food production processes. Over 3,000 entrepreneurs globally have benefited from these technologies, which provide an affordable pathway to success.

 A Commitment to Social Responsibility and Sustainability 

MADique Technologies stands out for its focus on social impact. Karthik offers a 10% discount to differently-abled entrepreneurs, fostering inclusivity in business. In a tribute to his inspiration, Dr. A.P.J. Abdul Kalam, the company gifts a copy of Dr. Kalam’s biography to every customer, encouraging lifelong learning and self-improvement. Environmental sustainability is also a cornerstone of MADique’s mission. With every machine sold, customers receive seed balls to support reforestation efforts, aligning with the company’s commitment to a greener planet. Moreover, MADique’s energy-efficient designs help reduce the carbon footprint of small-scale food production.

Awards and Recognitions 

Karthik’s relentless dedication to innovation and entrepreneurship has earned him numerous prestigious awards, including:

 • Fast Growing 500 CEO Award – Benchmark Trust, Mumbai (2024)

 • Young Achiever of the Year Award – Global Triumph Foundation (2024) • Tamil Nadu Business Icon Award – IBTHINK Academy (2024)

 • India Top 500 Best Brand Award – INDIA 5000 MSME Business Awards (2024)

 • Innovative Company of the Year Award – GTF, World Business Summit (2024)

 • Outstanding Young Entrepreneur Award – JCI Metro (2024)

 • Best Innovative Entrepreneur Award – IMPA Association (2024)

 • Star Young Entrepreneur Award – Thozhil Valarchi Media (2023)

 • Global Excellence Award – World Peace University (2019)

 • Dr. A.P.J. Abdul Kalam Award – Institute of Engineers (2015) 

These accolades are a testament to Karthik’s tireless pursuit of excellence and his dedication to making a meaningful impact on the world. Vision for the Future Karthik’s unwavering focus on research and development drives MADique Technologies forward. The company’s ambitious goal is to empower 10,000 entrepreneurs globally by 2030, further solidifying its impact on food processing and entrepreneurship. Karthik’s journey from a car shed to global recognition has inspired countless individuals. 

For more information, visit https://madique.com/.

From “No” to Global Go: How a Rejected Short Film Becomes the Launchpad for India’s First AI Voice-Cloning OTT Platform

Software developer-turned-filmmaker Sahil Dhamija couldn’t secure an OTT slot for his debut short film, he identified some real gaps between entertainment and technology especially, a time-consuming dubbing. The setback catalysed Rochak, an AI-powered platform that now turns any film into fifteen-plus languages within hours and streams the actor’s own voice worldwide.

Sahil Dhamija’s first taste of filmmaking was intoxicating—until distribution realities crashed the party. Shot on a shoestring and titled Public Place, the short wrapped in May 2024 and was promptly rejected by every OTT service he approached. Feedback was polite yet fatal: production value “too niche,” dubbing budget “too high,” audience “too limited.” By Independence Day the film was on YouTube, garnering views but yielding little revenue.

Rather than quitting, Dhamija dissected the bottleneck. Dubbing, he discovered, soaks up to 20 percent of a mid-budget film’s cost and adds six weeks to release calendars. Worse, audiences often hate the substituted voices. The answer wasn’t bigger budgets; it was better technology.

Enter Rochak. Over the next twelve months Dhamija and co-founder Bijay Rawat trained neural networks to capture an actor’s vocal fingerprint—pitch arcs, breath gaps, emotional subtlety—and re-synthesise that performance in multiple languages. The result became Rochak Voice Engine, capable of cloning dialogue tracks for a full feature film in under six hours.

Validation came quickly. The platform’s inaugural release, MILF, debuted in Hindi, English, Arabic, and Tamil. Analytics lit up: 73 percent of viewers chose a dubbed track, average watch-time surged 33 percent, and subtitle use dwindled. Clearly, audiences crave linguistic comfort as long as emotional authenticity stays intact.

The roadmap is equally bold. An Android app drops this month-end with offline downloads, 4K casting, and swipe-based language switching. iOS follows next month; smart-TV apps for Android TV, Fire TV, and webOS are already in QA. Beyond that, Rochak is engineering a lip-sync module that visually aligns mouth movements to each dubbed language, plus a Creator Console where filmmakers can upload masters, select target tongues, and receive ready-to-stream files—all on subscription economics.

By 2027 the platform targets 35 languages, real-time dubbing for live events, and an “opening weekend, everywhere” reality for storytellers. Rochak’s journey from rejection to reinvention proves that sometimes the fastest route to success begins with a very public “no.”

केन्द्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तमिलनाडु, फंड रोकने के आरोप में स्टालिन सरकार ने दायर कराई अर्जी

#tamilnadugovtpetitioninscagainstuniongovt

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार और तमिलनाडु की एम के स्टालिन सरकार आमने-सामने हैं। इस बीच तमिलनाडु ने एनईपी 2020 और पीएम श्री स्कूल योजना को लागू न करने को लेकर समग्र शिक्षा योजना (एसएसएस) के तहत धनराशि रोके रखने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया है।

अनुदान का भुगतान करने का निर्देश देने की अपील

तमिलनाडु सरकार की ओर से केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में 2 हजार 299 करोड़ 30 लाख 24 हजार 769 रुपये की रिकवरी की अपील की गई है। साथ ही मूल राशि पर 6% प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भुगतान की मांग की गयी है। सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार ने गुहार लगाई है कि प्रतिवादी को अपने निर्देशों का पालन और निष्पादन जारी रखने का निर्देश दिया जाना चाहिए। वादी को राज्य अनुदान की सहायता का भुगतान करने के वैधानिक दायित्व का निर्वहन करना चाहिए। केंद्र सरकार को योजना व्यय का 60% हिस्सा शैक्षणिक वर्ष के प्रारंभ से पहले भुगतान करना होगा।

एनईपी लागू करने के लिए बलपूर्वक बाध्य करने का आरोप

तमिलनाडु ने कहा कि केंद्र सरकार बच्चों की शिक्षा के लिए दिए जाने वाले फंड को रोककर राज्य को तीन भाषा फॉर्मूला अपनाने के लिए बलपूर्वक बाध्य नहीं कर सकती। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार पर संघवाद का उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा है कि समग्र शिक्षा योजना और पीएम श्री स्कूल योजनाओं को आपस में नहीं जोड़ा जा सकता ऐसा करना संघवाद का उल्लंघन है।

केंद्र से तनाव के बीच स्टालिन की संबंध बढ़ाने की कोशिश! राज्य की स्वायत्तता के लिए बनाई हाई-लेवल कमेटी


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केंद्र सरकार के साथ बढ़ते तनाव के बीच तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने राज्य की स्वायत्तता के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति बनाई है। इसको लेकर तमिलनाडु विधानसभा में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य को स्वायत्त बनाने का प्रस्ताव पेश किया है। मुख्यमंत्री स्टालिन का कहना है कि केंद्र सरकार लगातार राज्यों के अधिकारों में दखल दे रही है। इसलिए, राज्य की स्वायत्तता को बचाने के लिए यह कदम उठाया गया है। 

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन मंगलवार को विधानसभा में राज्य की स्वायत्तता के लिए एक उच्च स्तरीय समिति नियुक्त करने का प्रस्ताव पेश किया। स्टालिन के प्रस्ताव पर तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है। इस पैनल की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस कुरियन जोसेफ करेंगे। यह पैनल केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संबंधों का गहराई से अध्ययन करेगा।

अपने अधिकारों को और मजबूत करना चाहती है स्टालिन सरकार

मुख्यमंत्री स्टालिन ने विधानसभा में नियम 110 के तहत घोषणा कर कहा कि यह कदम राज्य के अधिकारों की रक्षा और केंद्र के साथ राज्य सरकारों के बीच संबंधों को बढ़ाने के लिए उठाया गया है।

उन्होंने बताया कि समिति में पूर्व नौकरशाह अशोक शेट्टी और एमयू नागराजन भी शामिल होंगे। स्टालिन ने राज्य विधानसभा को बताया कि पैनल जनवरी 2026 में एक अंतरिम रिपोर्ट देगा। इसके बाद, दो साल के भीतर अंतिम रिपोर्ट और सिफारिशें पेश की जाएंगी। इसके माध्यम से राज्य सरकार अपने अधिकारों को और मजबूत करना चाहती है।

केन्द्र पर लगाया राज्यों के अधिकार छीनने का आरोप

स्टालिन ने कहा कि देश की आजादी को 75 साल पूरे हो गए हैं। हमारे देश में अलग अलग भाषा, जाति और संस्कृति के लोग रहते हैं। एक-एक करके राज्यों के अधिकार छीने जा रहे हैं। राज्य के लोग अपने मौलिक अधिकारों के लिए केंद्र सरकार से संघर्ष कर रहे हैं। हम अपनी भाषा से जुड़े अधिकारों की भी मुश्किल से रक्षा कर पा रहे हैं। स्टालिन ने कहा कि राज्य तभी सही मायने में तरक्की कर सकते हैं, जब उनके पास सभी ज़रूरी अधिकार और शक्तियां हों।

गवर्नर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार का बड़ा कदम

सीएम स्टालिन ने राज्य को अधिक स्वायत्तता दिए जाने की बात ऐसे समय में की है, जब राज्यपाल आरएन रवि ने राज्य विधानसभा में पारित विभिन्न विधेयकों को मंजूरी देने से मना कर दिया। इसके चलते डीएमके के नेतृत्व वाली सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव भी हुआ। जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। 8 अप्रैल को, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल आरएन रवि का 10 बिलों पर सहमति रोकना 'गैरकानूनी' था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला और आर महादेवन की बेंच ने कहा कि राज्यपाल संवैधानिक रूप से राज्य विधानसभा की सलाह पर काम करने के लिए बाध्य हैं।

अन्नामलई के बाद नयनार नागेन्द्रन के हाथों में तमिलनाडु होगी बीजेपी की कमान, निर्विरोध चुने जाने के आसार

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तमिलनाडु भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में नेतृत्व परिवर्तन होने वाला है। बीजेपी नेता नयनार नागेंद्रन तमिलनाडु बीजेपी के 13वें अध्यक्ष बनने वाले हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस पद के लिए उन्होंने अकेले ही नामांकन भरा है। तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के रूप में नयनार नागेन्द्रन की नियुक्ति की आधिकारिक घोषणा दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय से की जाएगी। यह कदम 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी की रणनीति और अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के साथ संभावित गठबंधन को मजबूत करने की दिशा में माना जा रहा है।

नागेंद्रन पहले एआईएडीएमके में थे। नागेंद्रन 2017 में बीजेपी में शामिल हुए थे। बीजेपी और एआईएडीएमके के बीच गठबंधन की संभावना के बीच उनका अध्यक्ष बनना महत्वपूर्ण है। बताया गया है कि पूर्व तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने नागेंद्रन के नाम का प्रस्ताव दिया था।

नयनार नागेन्द्रन की यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होने वाला है। इसके अलावा राज्य में भी अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। तमिलनाडु में बीजेपी अपनी स्थिति को मजबूत करने के प्रयासों में जुटी है। संगठन का मानना है कि नागेन्द्रन के नेतृत्व में पार्टी राज्य में अधिक प्रभावशाली भूमिका निभा सकेगी।

नागेन्द्रन को मिलेगी नियमों में छूट?

बीजेपी ने गुरुवार को तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों के लिए चुनाव की अधिसूचना जारी की थी। शुक्रवार को दोपहर 2 बजे से 4 बजे के बीच नामांकन दाखिल किए गए, जिसमें नागेंद्रन ने भी अपना नामांकन भरा। शनिवार को शाम 5 बजे होने वाली कार्यकारी समिति की बैठक में उनकी नियुक्ति को औपचारिक रूप दिए जाने की संभावना है। हालांकि, बीजेपी के नियमों के अनुसार अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार को कम से कम 10 साल की प्राथमिक सदस्यता की आवश्यकता होती है। नागेंद्रन 2017 में ही पार्टी में शामिल हुए थे। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व इस नियम में छूट दे सकता है, जैसा कि पहले केरल में राजीव चंद्रशेखर के मामले में किया गया था

कौन हैं नयनार नागेंद्रन?

नयनार नागेंद्रन 2001 में पहली बार तिरुनेलवेली सीट से एआईएडीएमके उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता था। जयललिता के नेतृत्व वाली एआईएडीएमके सरकार (2001-06) में उन्होंने परिवहन, उद्योग और बिजली जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाले। 2011 में वे फिर से उसी सीट से जीते, लेकिन उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। 2006 और 2016 के विधानसभा चुनावों में वे कुछ वोटों से हार गए थे।

2017 में बीजेपी में शामिल

जयललिता के निधन के बाद नागेंद्रन अगस्त 2017 में बीजेपी में शामिल हो गए। 2021 में वे फिर से उसी सीट से बीजेपी उम्मीदवार के रूप में जीते। इसके बाद उन्हें तमिलनाडु विधानसभा में विधायक दल का नेता बनाया गया। नागेंद्रन ने 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में भी किस्मत आजमाई। उन्होंने रामनाथपुरम और तिरुनेलवेली सीटों से चुनाव लड़ा, लेकिन वे जीत नहीं पाए।

तमिलनाडु में साथ आए बीजेपी-एआईएडीएमके, गठबंधन का ऐलान

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बीजेपी और उसके पुराने सहयोगी अन्नाद्रमुक एक बार फिर साथ आ गए हैं। तमिलनाडु में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और एआईएडीएमके के बीच गठबंधन हो गया है। इसका एलान चेन्नई दौरे पर पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया है। चेन्नई में एआईएडीएमके नेता ई. के. पलानीस्वामी के साथ प्रेसवार्ता में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'आज एआईएडीएमके और भाजपा के नेताओं ने मिलकर तय किया है कि आने वाला तमिलनाडु विधानसभा चुनाव एआईएडीएके, भाजपा और सभी साथी दल मिलकर एनडीए के रूप में एक साथ लड़ेंगे।'

पलानीस्वामी के नेतृत्व में लडे़ंगे चुनाव-शाह

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव राज्य में ई पलानीस्वामी के नेतृत्व में लड़े जाएंगे, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन का चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे। शाह ने कहा कि 1998 से जयललिता जी और अटल जी के समय से हम मिलकर चुनाव लड़ते आए हैं। एक समय ऐसा था जब हमने 39 में से 30 लोकसभा सीटें साथ मिलकर जीती थीं।

गठबंधन विश्वास और विचारधारा पर आधारित-शाह

शाह ने आगे कहा कि बीजेपी और एआईएडीएमके का गठबंधन सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि विश्वास और विचारधारा पर आधारित रहा है. शाह ने पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता और प्रधानमंत्री मोदी के बीच रिश्तों को भी याद किया और कहा कि दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के साथ मिलकर हमेशा तमिलनाडु के विकास के लिए काम किया है

अन्नामलाई की विवाद से पहले गठबंधन

बीजेपी और अन्नाद्रमुक के बीच गठबंधन तक फाइनल हुआ है जब अन्नामलाई की जगह प्रदेश भाजपा को नयनार नागेन्द्रन के रूप में नया अध्यक्ष मिलना तय हो गया है। एआईएडीएमके और बीजेपी के बीच गठबंधन में सबसे बड़ी बाधा पूर्व आईपीएस अन्नामलाई को ही माना जाता रहा है।

जहां तक भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष की बात है तो हाल ही में अन्नामलाई खुद ही कह चुके थे कि उनकी 'प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में दिलचस्पी नहीं है' और वह 'एक सामान्य कार्यकर्ता' की तरह कार्य करना चाहते हैं।

बीजेपी और एआईएडीएमके के बीच फिर से गठबंधन होने की चर्चा तब से तेज हुई है, जब पिछले महीने तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और अन्नाद्रमुक के चीफ ईके पलानीस्वामी अमित शाह से मिलने दिल्ली आए थे। इसके बाद ही इन संभावनाओं को बल मिला है कि तमिलनाडु की पूर्व सीएम जयललिता का पार्टी फिर से एनडीए का हिस्सा बन सकती है।

लोकसभा चुनाव से पहले टूटा था गठबंधन

दोनों दलों के बीच खटास तब से पैदा हुई थी, जब प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के अन्नामलाई ने एआईएडीएके के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इसकी वजह से आखिरकार लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन टूट गया। हालांकि, अन्नामलाई के करिश्माई नेतृत्व का बीजेपी को वोट शेयर के रूप में बड़ा फायदा भी मिला, लेकिन वह सीटों में तब्दील नहीं हो सका।

परिसीमन पर स्टालिन ने चेन्नई में बुलाई बड़ी बैठक, बोले-आंदोलन की शुरूआत

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चेन्नई में आज बड़ा राजनीतिक जुटान होने वाला है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने परिसीमन पर आज चेन्नई में बड़ी बैठक बुलाई है। बैठक में भाग लेने के लिए कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया है। बैठक में केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, तेलंगाना के रेवंत रेड्डी और पंजाब के भगवंत मान के शामिल होने की उम्मीद है। कर्नाटक का प्रतिनिधित्व उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार करेंगे, जबकि आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी और ओडिशा के नवीन पटनायक अपने पार्टी प्रतिनिधि को भेजेंगे।

तृणमूल ने किया किनारा

पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को बताया कि चेन्नई में 22 मार्च को बुलाई गई परिसीमन बैठक के लिए कोई प्रतिनिधि नहीं भेजेगी। वहीं, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन बैठक में भाग लेने के लिए चेन्नई पहुंच गए हैं।

स्टालिन ने बताया राष्ट्रीय आंदोलन

बैठक से पहले स्टालिन ने कहा, भारतीय संघवाद के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन है। स्टालिन ने शुक्रवार को कहा, एक्स पर एक वीडियो संदेश साझा करते हुए बताया कि डीएमके सरकार 22 मार्च को चेन्नई में बैठक और पहले दौर की चर्चा क्यों आयोजित कर रही है। पोस्ट में स्टालिन ने इस बात पर जोर दिया कि तमिलनाडु की पहल के रूप में जो शुरू हुआ वह अब निष्पक्ष प्रतिनिधित्व के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन बन गया है, जिसमें राज्य संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के अनुचित आवंटन के विरोध में एकजुट हो रहे हैं।

बीजेपी ने कहा 'भ्रामक नाटक'

वहीं, तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई ने आरोप लगाया कि परिसीमन पर बैठक एक 'भ्रामक नाटक' है। मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा, तमिलनाडु की पहल से शुरू हुआ यह आंदोलन अब एक राष्ट्रीय आंदोलन बन गया है, जिसमें पूरे भारत के राज्य निष्पक्ष प्रतिनिधित्व की मांग के लिए हाथ मिला रहे हैं।

तमिलनाडु सरकार ने बदला दिया रुपये का प्रतीक चिन्ह, जानिए क्या है नियम?

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देश में भाषा को लेकर बहस चल रही है। इस बीच डीएमके की अगुआई वाली तमिलनाडु सरकार ने भाषा विवाद को और भड़का दिया है। राज्य सरकार ने अपने बजट 2025-26 से रुपये के आधिकारिक प्रतीक (₹) को बदल कर आग में घी डालने का काम किया है। तमिलनाडु सरकार ने अपने राज्य बजट के लोगो के रूप में आधिकारिक भारतीय रुपये के प्रतीक '₹' को तमिल अक्षर 'ரூ' से बदल दिया है।ऐसा पहली बार हुआ है जब देश में किसी राज्य ने रुपये के चिह्न को बदला हो। तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन के इस कदम को लेकर सवाल भी उठने लगे हैं।सवाल है कि क्या राज्य के पास इस तरह रुपये के चिह्न में बदलाव करने का अधिकार है?

तमिलनाडु द्वारा रुपये के चिह्न में बदलाव का यह अपनी तरह का पहला मामला है। इसके पहले किसी भी राज्य सरकार ने इस तरह का कदम नहीं उठाया। ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल है कि क्या देश भर में मान्य इस रुपये के चिह्न को राज्य सरकार बदल सकती है?

बता दें कि केंद्र की तरफ से रुपये के चिह्न में बदलाव को लेकर कोई स्पष्ट नियम या निर्देश नहीं हैं। ऐसे में तमिलनाडु सरकार की तरफ से उठाया गया यह कदम कानून का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता है। यह जरूर है कि इस कदम को अदालत में चुनौती देकर स्पष्टीकरण मांगा जा सकता है।

यदि रुपये को राष्ट्रीय चिह्न के रूप में मान्यता मिली होती तो इसमें किसी तरह का बदलाव करने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास रहता। राष्ट्रीय चिह्न की सूची में रुपये का चिह्न नहीं है। राष्ट्रीय चिह्न में बदलाव के संबंध में भारतीय राष्ट्रीय चिन्ह (दुरुपयोग की रोकथाम) एक्ट 2005 बना हुआ है। बाद में इस कानून को 2007 में अपडेट किया जा चुका है। एक्ट के सेक्शन 6(2)(f) में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि सरकार राष्ट्रीय प्रतीकों की डिजाइन में बदलाव कर सकती है।

तमिल में इंजीनियरिंग और मेडिकल शिक्षा शुरू कर दो...', भाषा विवाद के बीच अमित शाह का स्टालिन पर तंज

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भाषा को लेकर तमिलनाडु और केन्द्र सरकार आमने-सामने हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन पिछले कुछ दिनों से लगातार केंद्र सरकार पर नेशनल एजूकेशन पॉलिसी के जरिए तमिलनाडु में हिंदी को अनिवार्य करने और तमिल भाषा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने का आरोप लगा रहे हैं। अब तक शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने स्टालिन के हमले को लेकर मोर्टा समभाल रखा था। ब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन पर पलटवार किया। उन्होंने स्टालिन से राज्य में तमिल में इंजीनियरिंग और मेडिकल की शिक्षा शुरू करने की बात कही है।

भाषा के मुद्दे विशेष रूप से स्टालिन के हिंदी विरोध को लेकर मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने बदलाव किए और अब यह सुनिश्चित किया है कि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के उम्मीदवार अपनी-अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा दे सकें।

शाह ने दावा किया कि एमके स्टालिन ने तमिल भाषा के विकास के संबंध में पर्याप्त काम नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के लिए अपनी भर्ती नीतियों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। शाह ने कहा, अभी तक सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (सीएपीएफ) भर्ती में मातृभाषा के लिए कोई जगह नहीं थी। पीएम मोदी ने फैसला किया है कि हमारे युवा अब तमिल सहित आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में सीएपीएफ परीक्षा दे सकेंगे। मैं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री से भी आग्रह करना चाहता हूं कि वे जल्द से जल्द तमिल भाषा में मेडिकल और इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम शुरू करने की दिशा में कदम उठाएं।

क्या है केंद्र और राज्य के बीच विवाद?

राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन के बीच पिछले कई दिनों से जुबानी जंग चल रही है। बीते दिनों राष्ट्रीय शिक्षा नीति को तमिलनाडु में लागू करने से स्टालिन के इनकार पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नाराजगी जाहिर की थी। वहीं स्टालिन, केंद्र सरकार पर जबरन राज्य में इसे लागू करने का आरोप लगा रहे हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा था कि जब तक तमिलनाडु राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और तीन भाषा फार्मूले को स्वीकार नहीं कर लेता, तब तक केंद्र सरकार की तरफ से उसे फंड नहीं दिया जाएगा।

स्टालिन ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार जबरन तमिलनाडु पर हिंदी थोपना चाह रही है। इसके कारण कई क्षेत्रीय भाषाएं पहले ही खत्म हो चुकी हैं, हम अपने यहां की भाषाएं खत्म नहीं होने देंगे।

क्या IUML सांसद ने मंदिर में खाया नॉनवेज, बीजेपी नेता अन्नामलाई के आरोपों के बाद दोनों आमने-सामने

#biryani-controversyintamilnadu

तमिलनाडु में बिरयानी खाने को लेकर नया विवाद छिड़ गया है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के लोकसभा सांसद के नवसकानी और तमिलनाडु बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई एक दूसरे के आमने-सामने आ गए हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई ने सांसद पर आरोप लगाया है कि उन्होंने मदुरै में तिरुपरंगुनराम सुब्रमण्यम स्वामी हिल जिसको हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है, वहां जाकर मांसाहारी खाना (बिरयानी) खाया।

एक बयान में अन्नामलाई ने कहा कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता बरकरार रखी जानी चाहिए। भगवान मुरुगन के छह निवासों में से पहला, थिरुप्पारनकुंद्रम सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर में हाल के घटनाक्रम अवांछनीय हैं। खासकर सांसद नवाज कानी की हरकतें बेहद निंदनीय हैं। थिरुप्पारनकुंद्रम सुब्रमण्यम स्वामी पहाड़ी, जिसे हिंदुओं द्वारा पवित्र माना जाता है, पर एक समूह को इकट्ठा करने और मांसाहारी भोजन करने का उनका कृत्य न केवल एक गंभीर गलती है, बल्कि इससे सांप्रदायिक तनाव भड़कने की भी संभावना है।

IUML सांसद को बर्खास्त करने की मांग

तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई ने समूह को इकट्ठा करने और मांसाहारी भोजन का सेवन करने के लिए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के नेता और रामनाथपुरम के सांसद नवास कानी की निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक मौजूदा सांसद, जिसने भारत के संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का पालन करने की शपथ ली है। उस स्थान पर जाने और मांसाहारी खाने का फैसला किया है, जो हजारों वर्षों से हिंदू समुदाय के लिए पवित्र रहा है। उन्होंने कहा कि यह तमिलनाडु की राजनीति का हाल है। राज्य में जो कुछ हो रहा है उस पर तुष्टिकरण की राजनीति हावी हो गई है। इस सांसद को बर्खास्त किया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने अपनी शपथ का उल्लंघन किया है।

IUML सांसद ने पेश की सफाई

बीजेपी के आरोप पर अब लोकसभा सांसद के नवसकानी ने सफाई पेश की है। उन्होंने कहा, मदुरै में उसी पहाड़ी पर सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर है वहां पर एक सिकंदर दरगाह भी है। मैं उसी दरगाह में गया था। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा, बीजेपी इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही है। मैं सिर्फ लोगों से बातचीत करने, उनकी समस्याओं के बारे में जानने के लिए दरगाह में गया था। उन्होंने दरगाह के बारे में बात करते हुए कहा, दरगाह में न सिर्फ मुस्लिम बल्कि सभी धर्मों के लोग प्रार्थना करने के लिए आते हैं। वहां कई वर्षों तक बकरे और मुर्गों की बलि दी जाती रही है। लोग पहाड़ी के नीचे रहते हैं और बकरी और मुर्गों को पालते हैं, इसके बाद लोग पहाड़ी पर जाकर बकरियों और मुर्गियों की बलि देते हैं और फिर खाना पकाया जाता है और वहीं खाया जाता है। उन्होंने आगे कहा, दरगाह वक्फ बोर्ड के अंदर आती है, इसलिए वो यह समझने के लिए वहां गए थे कि दरगाह पर आने वाले लोगों को असुविधा क्यों हो रही है। उन्होंने कहा, दरगाह के पीछे काशी विश्वनाथ मंदिर है।

बीजेपी जो उत्तर भारत में करती है वही वो तमिलनाडु में करने की कोशिश- नवसकानी

सांसद ने अन्नामलाई पर झूठे दावे फैलाने का आरोप लगाया। नवसकानी ने कहा, अन्नामलाई झूठ फैला रहे हैं। बीजेपी राजनीति के लिए ऐसा कर रही है। वे ऐसा दर्शाने की कोशिश करते हैं कि हम मंदिर परिसर में बिरयानी खाते हैं, लेकिन वो अपना मकसद हासिल नहीं कर पाएंगे। साथ ही उन्होंने कहा, बीजेपी जो उत्तर भारत में करती है वही वो तमिलनाडु में करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यहां ऐसा नहीं होगा

Empowering Dreams: The Inspiring Success Story of Karthik Raja Karnan and MADique Technologies

Salem, India – December 2024 – The extraordinary journey of Karthik Raja Karnan showcases how creativity, perseverance, and a deep commitment to social impact can transform an industry. As the founder and CEO of MADique Technologies, Karthik has redefined the food processing industry by designing affordable, sustainable, and efficient machinery for small-scale entrepreneurs. His life story is a testament to how a humble beginning can lead to a remarkable legacy. 

Early Life: The Foundation of a Visionary Leader 

Born on May 30, 1994, into a middle-class family in Salem, Tamil Nadu, Karthik grew up in Ammapet, a small town steeped in weaving traditions. His parents, Mr. Karnan and Mrs. Kaladevi were skilled weavers who nurtured Karthik’s curious and inventive nature. Since the family could not afford expensive toys, Karthik began creating his own, showcasing an innate talent for innovation from a young age. Karthik attended a government school, where his aptitude for science and experimentation became evident. Known for applying classroom lessons through practical experiments at home, he earned multiple accolades during his school years, including the Brahma Award, the District-Level Best Student Award, and the State-Level Best Student Award.

From Engineering Graduate to Entrepreneurial Trailblazer 

After excelling academically, Karthik pursued engineering at the Knowledge Institute of Technology in Salem, specializing in Electrical and Electronics. During his college years, he developed several innovative products that earned national recognition. Prestigious honors such as the Young Scientist Award, the Edison Award, and the Dr. A.P.J. Abdul Kalam Award celebrated his creativity and ingenuity. Graduating in 2016, Karthik was offered a job at Titan. However, his entrepreneurial spirit burned brighter. Despite familial pressure to accept the secure job, Karthik made the bold decision to decline the offer and follow his dreams. With little more than his vision and determination, he started a small company in a car shed, becoming its sole employee. 

Overcoming Challenges and Building MADique Technologies 

Karthik’s entrepreneurial journey was far from easy. His first project a Murukku Machine failed, but he remained undeterred. Neighbors mocked him for looking like a “mechanic boy” while his peers secured lucrative jobs. Facing mounting failures, Karthik’s mother repeatedly urged him to take a stable job, but he asked his parents for one year to prove himself. That pivotal year marked a turning point. Karthik successfully developed the Automatic Murukku Machine and the Automatic Idiyappam Machine, which quickly gained popularity. His focus on creating low-cost, high-quality food processing machines helped countless middle-class entrepreneurs launch their businesses. In 2021, Karthik unveiled the world’s smallest Automatic Idiyappam Machine at an unprecedentedly low price, earning a record in the prestigious Kalam Book of World Records. This milestone paved the way for MADique Technologies to expand internationally, reaching over 30 countries. 

Innovating to Empower Small-Scale Food Entrepreneurs Since its inception in 2013, MADique Technologies has become synonymous with innovation, efficiency, and affordability. The company’s flagship product, the Idiyappam Machine, consumes

only 60 watts of power—comparable to a ceiling fan—and produces 400 pieces per hour. Priced at just ₹41,300, the machine enables small-scale entrepreneurs, including housewives, differentlyabled individuals, and rural business owners, to enter the food processing industry without significant financial burdens. MADique’s product range now includes dough kneaders, murukku makers, and other innovative machines designed to simplify food production processes. Over 3,000 entrepreneurs globally have benefited from these technologies, which provide an affordable pathway to success.

 A Commitment to Social Responsibility and Sustainability 

MADique Technologies stands out for its focus on social impact. Karthik offers a 10% discount to differently-abled entrepreneurs, fostering inclusivity in business. In a tribute to his inspiration, Dr. A.P.J. Abdul Kalam, the company gifts a copy of Dr. Kalam’s biography to every customer, encouraging lifelong learning and self-improvement. Environmental sustainability is also a cornerstone of MADique’s mission. With every machine sold, customers receive seed balls to support reforestation efforts, aligning with the company’s commitment to a greener planet. Moreover, MADique’s energy-efficient designs help reduce the carbon footprint of small-scale food production.

Awards and Recognitions 

Karthik’s relentless dedication to innovation and entrepreneurship has earned him numerous prestigious awards, including:

 • Fast Growing 500 CEO Award – Benchmark Trust, Mumbai (2024)

 • Young Achiever of the Year Award – Global Triumph Foundation (2024) • Tamil Nadu Business Icon Award – IBTHINK Academy (2024)

 • India Top 500 Best Brand Award – INDIA 5000 MSME Business Awards (2024)

 • Innovative Company of the Year Award – GTF, World Business Summit (2024)

 • Outstanding Young Entrepreneur Award – JCI Metro (2024)

 • Best Innovative Entrepreneur Award – IMPA Association (2024)

 • Star Young Entrepreneur Award – Thozhil Valarchi Media (2023)

 • Global Excellence Award – World Peace University (2019)

 • Dr. A.P.J. Abdul Kalam Award – Institute of Engineers (2015) 

These accolades are a testament to Karthik’s tireless pursuit of excellence and his dedication to making a meaningful impact on the world. Vision for the Future Karthik’s unwavering focus on research and development drives MADique Technologies forward. The company’s ambitious goal is to empower 10,000 entrepreneurs globally by 2030, further solidifying its impact on food processing and entrepreneurship. Karthik’s journey from a car shed to global recognition has inspired countless individuals. 

For more information, visit https://madique.com/.