शरद पवार के बगल में थी कुर्सी, नेमप्लेट हटाकर दूर बैठे अजित, फिर बंद कमरे में की सीक्रेट मीटिंग, माजरा क्या है?

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महाराष्ट्र की सियासत कब किस करवट ले ले, ये कहना मुश्किल है। इस दौरान अक्सर सबसे बड़ा सवाल और सबसे ज्यादा अटकलें “पवार परिवार” को लेकर होती है। सवाल और अंदेशा “पवार परिवार” के एक होने को लेकर होती रहती हैं। कभी शरद पावर और अजीत पवार में नजदीकियां देखी जाती है तो कभी ये दूर दिखने लगते हैं। ऐसा ही एक वाक्या वसंतदादा चीनी संस्थान (वीएसआई) की वार्षिक आम सभा की बैठक में नजर आया। जहां दोनों नेताओं के बीच दूरियां नजर आईं। हालांकि उससे पहले अजीत पवार ने अपने चाचा शरद पवार से बंद कमरे में मुलाकात भी की। यह मीटिंग वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट के परिसर में ही हुई।

शरद पवार और उनके भतीजे शरद पवार दोनों वार्षिक आम सभा की बैठक के लिए वहां गए थे। एनसीपी के विभाजन के बाद पहली बार वसंतदादा चीनी संस्थान (वीएसआई) की वार्षिक आम सभा की बैठक में दोनों नेताओं ने भाग लिया। हालांकि, कार्यक्रम में डिप्टीसीएम अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के बगल में बैठने से किनारा कर लिया और मंच पर कुछ दूरी पर बैठे नजर आए। शुरुआती व्यवस्था के मुताबिक, दोनों को एक-दूसरे के बगल में बैठना था, लेकिन उपमुख्यमंत्री ने अपनी नेमप्लेट एक कुर्सी दूर कर दी, जिससे राज्य के सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटिल उनके बीच बैठ गए।

अजित पवार से जब मीडिया ने शरद पवार के बगल में बैठने के बजाय सहकारिता मंत्री के बगल में बैठने का सवाल किया तो उन्होंने कहा कि बाबासाहेब पवार साहब से बात करना चाहते थे। इसीलिए मैंने बैठने की व्यवस्था बदलने के लिए कहा है। मैं उनसे (शरद पवार से) कभी भी बात कर सकता हूं। मैं एक कुर्सी दूर भी बैठूं तो मेरी आवाज इतनी तेज होगी कि दूर बैठा कोई भी व्यक्ति सुन सकता है। उनकी आवाज काफी तेज है और पहली दो लाइनों में बैठे लोग उन्हें सुन सकते हैं।

इसके ठीक बाद एनसीपी प्रमुख ने शरद पवार और एनसीपी विधायक दिलीप वलसे पाटिल सहित अन्य नेताओं के साथ बंद कमरे में बैठक की। वीएसआई के चेयरमैन शरद पवार कुछ बोर्ड सदस्यों के साथ अपने केबिन में थे। तभी वीएसआई के ट्रस्टी अजित पवार अंदर आए। इसके बाद वे और उनके चाचा कुछ बेहद करीबी सहयोगियों की मौजूदगी में करीब आधे घंटे तक उनसे मिले और फिर बैठक में चले गए। यह स्पष्ट नहीं है कि उनके बीच क्या बातचीत हुई।

पिछले कुछ सालों से उपमुख्यमंत्री वीएसआई की बैठकों में शामिल नहीं हुए हैं। पूछे जाने पर उन्होंने कहा, मैं अपनी पार्टी के विधायकों की संख्या बढ़ाने की योजना बनाने में व्यस्त था। बाद में अजित पवार ने कहा कि चर्चा चीनी उद्योग और वीएसआई से जुड़े मुद्दों पर हुई। उन्होंने कहा, चूंकि उद्योग को राज्य सरकार के सहकारिता, राज्य उत्पाद शुल्क, कृषि और ऊर्जा विभागों से निपटना पड़ता है, इसलिए हमने उनके मुद्दों पर चर्चा की। वीएसआई के बारे में मेरे कुछ विचार थे, जिन्हें मैंने उन्हें बता दिया।

When Alumni Became Chief Guests: RV, Harmeet, and Inderjit Return to Nazrana 2025

Guru Nanak Khalsa College hosted the grand spectacle of Nazrana 2025, an evening brimming with creativity, glamour, and cultural pride. The much-anticipated fashion show was the centerpiece of the event, captivating the audience with its stunning sequences and impeccable execution.

The judging panel evoked waves of nostalgia as Rajveer Singh (RV), Harmeet Singh Gupta, and Inderjit Singh, all proud alumni of the college, returned to grace the occasion. Rajveer, a celebrated influencer, branding expert, and winner of 13 prestigious awards, inspired the audience with his charisma and expertise. Joining him in the judging panel was Tamanna Bharat, an international beauty queen, crowned Miss Asia Global 2024, Miss Queen of India Runner-Up 2024, and Miss Navi Mumbai 2024. Their insightful commentary and radiant presence added a touch of stardom to the evening.

The judges, alongside chief guests Harmeet and Inderjit, brought an emotional and lively vibe to the celebration, reliving fond college memories while applauding the creativity and talent of the current generation. Trustee Chairman S. Gurinder Singh Bawa, Dr. Jasbir Kaur Makkar, and Dr. Kiran Mangaonkar provided steadfast support, ensuring every aspect of the event was executed seamlessly.

The Fashion Show: A Creative Extravaganza

The fashion show, meticulously planned under the leadership of Principal Dr. Ratna Sharma, was a testament to the teamwork and dedication of hundreds of students and non-teaching staff. Dr Jasmeet Kaur Ghai & Latit Bhodare were the head of Nazrana 2025.

The event, choreographed by Rohan, was managed by a dynamic committee comprising Dr. Gaganjyot Kaur, Dr. Gursimran Kaur Uppal, Dr. Charanjit Kaur, Dr. Sharad Tripathi, Mohd Shahid Qureshi, Sheetal, Komal Kaur, and Jagdeep Kaur. Together, they delivered an evening of unmatched artistry and elegance.

The sequences included:

Non-Teaching Staff Walk: A tribute to the unsung heroes of the college.

Kapoor Group: A vibrant Bollywood-inspired showcase, crowned the winner.

Dream Sequence: An ethereal and imaginative performance.

Chemistry: A creative depiction of bonds and unity.

Cabaret: A dazzling high-energy presentation.

Kishore Kumar Group: A nostalgic musical tribute, winning third place.

Sikh Group: A rich cultural celebration, securing second place.

The evening reached its peak when the Giddha and Bhangra performances ignited the stage, compelling even the judges and chief guests to join the teachers in dancing, much to the crowd's delight.

A Collective Effort Behind the Success

The collaborative efforts of students, teachers, and non-teaching staff transformed Nazrana 2025 into an unforgettable celebration. Weeks of meticulous planning, rigorous rehearsals, and unwavering dedication were evident in every performance. Beyond a showcase of fashion, the event became a symbol of unity, creativity, and cultural pride.

For alumni Rajveer, Harmeet, and Inderjit, the evening was an emotional reunion, celebrating not just the talent of today but also the cherished memories of their college years.

With over 7,000 attendees, Nazrana 2025 was a resounding success, setting a new benchmark for future celebrations and leaving everyone eagerly awaiting the next chapter of this remarkable tradition.

शरद पवार ने क्यों की आरएसएस की सराहना? पार्टी के विलय को लेकर भी साफ की तस्वीर

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रमुख शरद पवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तारीफ की। उन्होंने अपनी पार्टी से कहा कि वे भी समाज सुधारकों शाहू महाराज, महात्मा फुले, बी आर आंबेडकर और राजनीतिक दिग्गज यशवंतराव चव्हाण के प्रगतिशील विचारों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ अपने कार्यकर्ताओं का आधार तैयार करने का आह्वान किया। यही नहीं, एनसीपी के दोनों धड़ों का विलय को लेकर जारी अटकलों पर भी शरद पवार से स्थिति साप की।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद एनसीपी (एसपी) की दो दिवसीय बैठक हुई। शरद पवान ने संगठनात्मक मामलों पर चर्चा के लिए बैठक की। वाईबी चव्हाण केंद्र में आयोजित इस बैठक में शरद पवार के अलावा पार्टी के राज्य स्तरीय पदाधिकारी, जिला और तालुका अध्यक्ष शामिल हुए। इस दौरान शरद पवार ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पास प्रतिबद्ध कार्यकर्ता हैं जो हिंदुत्व संगठन की विचारधारा के प्रति अटूट निष्ठा दिखाते हैं और किसी भी कीमत पर अपने रास्ते से विचलित नहीं होते।

पवार ने कहा, आरएसएस का काम करने का तरीखा अनोखा है। इसमें उल्लेख किया गया है कि अगर संघ परिवार किसी कार्यकर्ता के जीवन के महत्वपूर्ण 20 वर्ष छीन भी लेता है, तो उसे संयोग पर नहीं छोड़ा जाता, बल्कि शेष जीवन के लिए उसे सही स्थान पर समायोजित किया जाता है। हमारे पास भी ऐसा काडर आधार होना चाहिए जो छत्रपति शाहू महाराज, महात्मा फुले, बीआर आंबेडकर और यशवंतराव चव्हाण की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध हो।

महाराष्ट्र में हार पर भी बोले पवार

महाराष्ट्र में नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार पर शरद पवार ने कहा कि लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद हम आत्मसंतुष्ट हो गए, जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन ने अपनी हार को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाए। उन्होंने कहा कि पार्टी ओबीसी को यह नहीं बता पाई कि उसने उनके उत्थान के लिए क्या किया।

एनसीपी के विलय पर शरद गुट का बयान

वहीं, शरद पवार की एनसीपी-एसपी, आरएसएस और इंडिया गठबंधन के विलय की बात पर शरद गुट के नेता जीतेंद्र आव्हाड का भी बयान आया है। उन्होंने कहा कि बैठक में यह चर्चा हुई है कि आगे बढ़ेंगे, लड़ेंगे और जीतेंगे। हमारी पार्टी शरद पवार की पार्टी है। हम लोग लड़ना जानते हैं।

फिर शरद पवार की पार्टी तोड़ने की कोशिश कर रहे अजीत पवार? महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े उलटफेर संकेत

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महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े उलटफेर संकेत मिल रहे हैं। सबसे चौंकाने वाली रिपोर्ट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को दोनों खेमे से आ रही है। शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल लाने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा है कि उप-मुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) शरद पवार की पार्टी एनसीपी (एसपी) में फिर से फूट डालने की कोशिश कर रही है। राउत की यह टिप्पणी एनसीपी नेता अमोल मितकरी के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि शरद पवार नीत राकांपा के कुछ लोकसभा सदस्य महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के संपर्क में हैं।

उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा कि एनसीपी शरद पवार की पार्टी के सांसदों को तोड़ने की कोशिश कर रही है और इसके नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देने का प्रलोभन दिया जा रहा है। राउत ने पत्रकारों से बातचीत में आरोप लगाया कि एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल और तटकरे को शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट में दलबदल कराने का काम सौंपा गया है।

राउत ने दावा करते हे कहा है कि, एनसीपी को केंद्र सरकार में कोई पद नहीं मिलेगा, जब तक कि वे शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट से दलबदल कराने में कामयाब नहीं हो जाते। फिलहाल अजित के नेतृत्व वाली एनसीपी का केवल एक लोकसभा सदस्य (तटकरे) है, जबकि प्रतिद्वंद्वी राकांपा (एसपी) के आठ लोकसभा सदस्य हैं।

सूत्रों के अनुसार, शरद गुट के कई सांसद इसके लिए तैयार भी थे। जब इसकी भनक शरद पवार को लगी तो उन्होंने एनसीपी के कई नेताओं को फटकार लगाई। उन्होंने अजित पवार गुट के नेताओं को ऐसी हरकतें दोबारा न करने की चेतावनी भी दी, मगर वह पार्टी में विभाजन के खतरे को भांप गए। शरद पवार ने समय रहते अपने सांसदों को एकजुट कर लिया।

क्या साथ आएंगे शरद पवार-अजित पवार, क्यों जागीं उम्मीदें?

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महाराष्ट्र की सियासत में चाचा भतीजे की जोड़ी खूब चर्चा में रहती है। एक बार फिर पवार फैमिली को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। महाराष्ट्र की राजनीति में वैसे भी असंभावनाओं से भरी रही है। इस बीच शरद पवार और अजित पवार में सुलह की भी संभावना जताई जा रही है। अब सवाल है कि क्या शरद पवार और अजित पवार क्या साथ आएंगे?

अजित पवार की मां की क्या है आशा

दरअसल, एनसीपी चीफ और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार की मां आशताबाई की इच्छा तो कुछ ऐसी ही है. अजित पवार की मां आशताबाई ने अपने बेटे अजित और अपने देवर शरद पवार के फिर से एक होने की इच्छा जताई है। उन्होंने नए साल के मौके पर बुधवार को विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद पंढरपुर में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैंने कामना की है कि पवार परिवार के भीतर मतभेद जल्द से जल्द खत्म हो जाएं। मुझे उम्मीद है कि पांडुरंग मेरी प्रार्थना जरूर सुनेंगे।’

अजित पवार की मां की की यह अपील ऐसे समय में आई है, जब 2023 में एनसीपी और परिवार में विभाजन के बाद चाचा और भतीजे के बीच सुलह की अटकलें लगातार लगाई जा रही हैं।

प्रफुल्ल पटेल ने क्या कहा

इसके साथ ही एनसीपी अजित गुट के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने एनसीपी एसपी प्रमुख शरद पवार को अपना देवता बताया है। उनके इस कथन ने महाराष्ट्र की सियासी हलचल तेज कर दी है। इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक एनसीपी अजित गुट के दिग्गज नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा, "शरद पवार हमारे देवता हैं। हम उनका बहुत सम्मान करते हैं। अगर पवार परिवार एक साथ आता है, तो हमें बेहद खुशी होगी। मैं खुद को पवार परिवार का सदस्य मानता हूं।"

कई लोग चाहते हैं एक साथ आएं चाचा- भतीजे

प्रफुल्ल पटेल के अलावा एनसीपी विधायक नरहरि झिरवाल ने भी यही बात दोहराते हुए कहा, "शरद पवार साहब को छोड़कर जाना अजीब लगा। कई लोग ऐसा ही महसूस करते हैं। अब मैं उनके पास जाऊंगा और उनसे (अजीत पवार से) एक साथ आने का आग्रह करूंगा। शरद पवार समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों के लिए लगातार काम कर रहे हैं।"

क्यों अहम है दोनों का साथ आना?

महाराष्ट्र की सियासत में पवार फैमिली का दबदबा रहा है। हालांकि, जब से एनसीपी में टूट हुई है, तब से शरद पवार की चमक फिकी ही पड़ी है। अजित पवार और शरद पवार के बीच सुलह की अपील महाराष्ट्र की सियासत में पवार फैमिली के प्रभाव को दर्शाती है। एक ओर जहां शरद इंडिया गठबंधन में एक बड़े नेता बने हुए हैं, वहीं अजित पवार के भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ गठबंधन ने राज्य के राजनीतिक समीकरणों को बदल कर रख दिया है। अब देखने वाली बात होगी कि क्या शरद पवार और अजित पवार साथ आते हैं या नहीं।

महाराष्ट्र में कांग्रेस को अपनों का झटका, ईवीएम के मुद्दे पर शरद पवार ने छोड़ा “हाथ”

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विपक्षी दलों के गठबंधन “इंडिया” बिखरता दिख रहा है। सबकी डफली अलग-अलग राग निकाल रही है। लोकसभा और महाराष्ट्र व हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद विपक्षी दलों ने ईवीएम पर सवालों की छड़ी लगा दी। विपक्षी दल लगभग हर दिन ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाकर बीजेपी को घेरते रहे। हालांकि, इन सबके बीच शरद पवार की एनसीपी (एसपी) ने ईवीएम के मुद्दे पर अपने सहयोगियों से अलग रुख अपनाया है। एनसीपी (एसपी) का विरोधाभास इंडिया गठबंधन में खटास पैदा करने का संकेत देता है।

वरिष्ठ नेता शरद पवार की बेटी व बारामती से सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि बिना किसी पुख्ता सबूत के हार के लिए ईवीएम को दोष देना सही नहीं है। एनसीपी (एसपी) नेता सुले ने बुधवार को पुणे में मीडिया से बात करते हुए कहा, जब तक ईवीएम में छेड़छाड़ के ठोस सबूत नहीं मिलते, तब तक ईवीएम को दोष देना गलत है। ईवीएम के खिलाफ कोई भी आरोप तभी उचित हो सकते हैं जब उसके बारे में ठोस और विश्वसनीय प्रमाण उपलब्ध हों। मैं खुद ईवीएम से चार बार चुनाव जीत चुकी हूं।

ईवीएम पर सवाल उठाने वालों से असहमती जताते हुए सुप्रिया सुले कहा कि ओडिशा के बीजू जनता दल (बीजेडी) और आम आदमी पार्टी (आप) जैसे कुछ राजनीतिक दलों ने ईवीएम में छेड़छाड़ के आरोपों को साबित करने के लिए डेटा होने का दावा किया है। सुले ने दावा किया कि बीजेडी के नेता अमर पटनायक ने मंगलवार को उन्हें एक पत्र लिखा था, जिसमें ईवीएम के इस्तेमाल के खिलाफ कुछ डेटा साझा किया गया था। हालांकि इस डेटा के बारे में पत्र में विस्तार से जानकारी नहीं दी गई थी।

बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लेकर बीजद के अमर पटनायक तक ने एनसीपी शरद गुट से समर्थन मांगा है। हालांकि, सुप्रिया सुले ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी इन मुद्दों पर ध्यान दे रही है लेकिन बिना सबूत किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचेगी। फिलहाल यह राहुल के लिए एक झटका तो जरूर ही माना जा रहा है।

दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस और शिवसेना उद्धव गुट ने ईवीएम में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया था। कांग्रेस ने इसे लेकर चुनाव आयोग का दरवाजा भी खटखटाया। इसी बीच, सोलापुर जिले के मालसिराज विधानसभा क्षेत्र में एनसीपी शरद गुट के नेता उत्तमराव जांकर ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की थी। हालांकि प्रशासन ने इसे खारिज कर दिया।

इस बीच एनसीपी शरद गुट की अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने कहा दिया है कि उनके हिसाब से ईवीएम को ब्लैम करना गलत है। बारामती से सांसद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया के इस बयान से महाराष्ट्र में विपक्ष की आवाज कमजोर पड़ गई है।

संसद में पीएम मोदी से मिले शरद पवार, जानिए क्या हुई बात

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पूर्व कृषि मंत्री और राज्यसभा सांसद शरद पवार ने संसद भवन में बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की।राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर अनार किसानों के सामने आने वाले मुद्दों पर चर्चा की। बैठक में अनार उद्योग से जुड़ी चुनौतियों, खासकर किसानों को प्रभावित करने वाली चुनौतियों पर चर्चा की गई। किसानों की चिंताओं के बारे में मुखर रहे पवार ने प्रधानमंत्री से इन मुद्दों को सुलझाने और कृषि क्षेत्र के लिए समर्थन सुनिश्चित करने के लिए दखल करने की मांग की।

बता दें कि दोनों नेता उस समय मिले हैं, जब कांग्रेस संसद में अडाणी मुद्दे पर प्रदर्शन कर रही है। बुधवार को भी जब शरद पवार संसद भवन पहुंचे तब कांग्रेस के नेता बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर के कथित अपमान के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। इस बीच पवार ने पश्चिमी महाराष्ट्र के फलटन के दो किसानों के साथ संसद में प्रधानमंत्री से उनके कार्यालय में मुलाकात की और उन्हें अपने खेत से अनार का एक डिब्बा भेंट भी किया।

प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद पवार ने कहा,'मैंने साहित्य सम्मेलन के विषय पर बात नहीं की।' जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने पीएम मोदी महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर कोई बात की है? तो उन्होंने इस सवाल का जवाब 'नहीं' में दिया।

शरद पवार ना सिर्फ महाराष्ट्र में बल्कि राष्ट्रीय स्तर विपक्षी खेमे के लिए बड़ा चेहरा हैं। ऐसे में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पीएम मोदी से मुलाकात को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं, हालांकि बाद में साफ हो गया कि उन्होंने किसानों के मुद्दों को लेकर पीएम से यह मीटिंग की है।

शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति में चाणक्य माने जाते हैं। हर राजनीतिक स्थिति में सभी दलों के नेताओं को साधकर रखते हैं। इसके बूते ही कांग्रेस से अलग होने के बाद भी कांग्रेस के साथ मिलकर महाराष्ट्र की सत्ता में लगातार 15 साल टिके रहे। वह पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी भी माने जाते हैं। कई मौके ऐसे आए, जब पीएम नरेंद्र मोदी ने शरद पवार की सार्वजनिक तौर से तारीफ की।

महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल पर सस्पेंस के बीच शरद पवार से मिले भतीजे अजीत, बेहद खास है मौका
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* महाराष्ट्र में कैबिनेट गठन को लेकर बने सस्पेंस के बीच डिप्टी सीएम अजित पवार ने गुरुवार को और एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की। अजीत पवार ने हाल ही में संपन्न महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद शरद पवार से पहली बार मुलाकात ही। आज के दिन हुई इस मुलाकात के खास मायने हैं। दरअसल, एनसीपी (एसपी) नेता और राज्‍यसभा सदस्‍य शरद पवार आज 84 वर्ष के हो गए हैं। इस मौके पर भतीजे अजित पत्‍नी सुनेत्रा पवार और अपनी पार्टी के अन्‍य वरिष्‍ठ नेताओं प्रफुल पटेल, छगन भुजबल के साथ चाचा शरद पवार को जन्‍मदिन पर विश करने के लिए पहुंचे। सभी नेताओं ने शरद पवार को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी। यह मुलाकात पवार के 6 जनपद आवास, दिल्ली में हुई।इसके बाद मीडिया से बात करते हुए अजित पवार ने कहा कि जन्मदिन के अवसर पर उन्होंने शरद पवार को शुभकामनाएं दी। अजित पवार ने कहा कि मुलाकात के दौरान परिवारिक बातचीत के साथ- साथ सियासी बातचीत भी हुई। मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी खबरें आ रही हैं कि आज दिल्‍ली में ही शरद पवार के जन्‍मदिन पर शाम को एक छोटी डिनर पार्टी रखी गई है. उसमें भी अजित पवार शिरकत करेंगे. हिंदुस्‍तान टाइम्‍स अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि केवल करीबी मित्रों को ही बुलाया गया है. अजित पवार के सहयोगी ने अखबार को कंफर्म करते हुए कहा कि डिप्‍टी सीएम जरूर शिरकत करेंगे. पत्‍नी सुनेत्रा पवार जाएंगी या नहीं इसको लेकर पुष्टि नहीं हो सकी. सूत्रों के मुताबिक गेस्‍ट लिस्‍ट में फारुक अब्‍दुल्‍ला और शिवसेना राज्‍यसभा सदस्‍य मिलिंद देवड़ा भी शामिल हैं. बता दें कि एनसीपी में टूट के बाद शरद और अजित पवार के बीच एक साल से अधिक वक्‍त के बाद ये पहली मुलाकात है। पिछले साल दिवाली में अजित पवार मिलने उनके घर गए थे लेकिन इस साल राज्‍य में हो रहे विधानसभा चुनावों के चलते दिवाली के मौके पर नहीं पहुंचे। लोकसभा चुनावों में अजित पवार ने शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के खिलाफ पत्‍नी सुनेत्रा पवार को चुनावी मैदान में उतारा था लेकिन वो हार गईं। बाद में सुनेत्रा पवार को राज्‍यसभा भेजा गया। उसके बाद विधानसभा चुनाव में बारामती से ही शरद पवार ने अपनी पार्टी की तरफ से अजित के भतीजे युगेंद्र पवार को मैदान में उतारा। युगेंद्र एक लाख से अधिक वोटों से हार गए। शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीतिक के चाणक्य माने जाते रहे हैं, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में जिस तरह से सियासी बाजी पलटी और महायुति ने बंपर जीत हासिल की, ऐसे में एमवीए को करारी हाल मिली. इसमें भी जिस तरह का नुकसान शरद पवार की पार्टी को पहुंचा है, उसके बाद उनकी पार्टी के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े होने लगे हैं।
क्या राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार का “पावर” खत्म हो गया है?

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हाल ही में संपन्न महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति ने झप्पर-फाड़ सफलता हासिल की। वहीं उद्धव ठाकरे की शिवसेना, कांग्रेस और शरद पवार एनसीपी के महाविकास अघाड़ी के लिए ये नतीजे किसी बुरे सपने की तरह आए। महाराष्ट्र चुनाव के ये नतीजे अगर किसी को सबसे अधिक निराश करने वाले हैं, तो वो हैं शरद पवार। दरअसल पवार कई बार कह चुके हैं कि 2026 में उनका राज्य सभा सदस्य का कार्यकाल खत्म होने के बाद वो सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लेंगे। राजनीति की अपनी इस अंतिम पारी में इतने निराशाजनक प्रदर्शन की उम्मीद तो शायद शरद पवार को भी नहीं रही होगी। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या शरद पवार का 'करिश्मा' ख़त्म हो गया?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान सोशल मीडिया पर एक वाक्य धूम मचा रहा था. वो था कि 'जहाँ बूढ़ा आदमी चल रहा है, वहाँ अच्छा हो रहा है।' शरद पवार के गुट के उम्मीदवार यह सोच रहे थे कि वो अपने प्रमुख नेता के 'जादू' से विधानसभा पहुँच जाएंगे। यही कारण था कि जहां एनसीपी (एसपी) के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे, वहां शरद पवार की रैलियों की ख़ूब मांग थी। 84 वर्षीय शरद पवार ने भी इस मांग के मद्देनज़र राज्य भर में 69 सार्वजनिक बैठकें कीं। वो समय-समय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए अपना राजनीतिक रुख़ बताते रहे। और उन्होंने लोगों को अपने पक्ष में करने का प्रयास भी किया। लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी शरद पवार को 86 में से सिर्फ 10 सीटें ही मिलीं।

एक समय था जब शरद पवार के पास मजबूत जनाधार हुआ करता था लेकिन इस चुनाव के नतीजों ने पवार के राजनीतिक जीवन के ग्राफ को काफी नीचे की ओर धकेल दिया है। ऐसे में ये लगने लगा है कि एक तरफ उम्र भी उनका साथ नहीं दे रही और दूसरी ओर सियासी समीकरण भी उनके पाले में नहीं हैं। शरद पवार इतना मजबूर हो जाएंगे, ये महाराष्ट्र कि सियासी पंडितों के लिए वाकई चौंकाने वाली बात है। शरद पवार हमेशा से जमीनी नेता रहे लेकिन वर्तमान राजनीतिक गोटियां उनके हाथ से लगातार फिसल रही हैं।

लोकसभा चुनाव में पवार की एनसीपी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था। लेकिन पांच महीने बाद ही हुए विधानसभा चुनाव में एनसीपी की लुटिया डूब गई। महाराष्ट्र के इन नतीजों ने पवार की पार्टी के भविष्य पर भी सवाल उठा दिए हैं। कुछ महीने पहले बारामती लोकसभा से जीत हासिल करने वाले शरद पवार को बारामती विधानसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिल पाई। इसलिए एक बार फिर से शरद पवार के राजनीतिक प्रभाव पर सवाल खड़े हो गए हैं। सबसे बड़ा सवाल यही पूछा जा रहा है कि क्या शरद पवार एक बार फिर राजनीति में खड़े हो पाएंगे? साथ ही ये भी कि शरद पवार और उनकी पार्टी का भविष्य क्या होगा?

हालांकि, ऐसा नहीं है कि पवार को लगा यह पहला झटका है। इससे पहले उन्हें एक ऐसा ही झटका उस समय लगा था जब उनके भतीजे अजित पवार ने कुछ विधायकों के साथ मिलकर एनसीपी में बगावत कर शिवसेना और बीजेपी की सरकार को समर्थन दे दिया था। उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया था। यह पवार को लगा बहुत बड़ा झटका था। अजित पवार ने अपने चाचा से पार्टी और पार्टी का चुनाव निशान भी हथिया लिया था।

इस बार भी चुनाव परिणाम के बाद उठ रहे सवालों का शरद पवार खुद जवाब दे चुके हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद शरद पवार ने कहा इस नतीजे के बाद कोई भी घर बैठ गया होगा। लेकिन मैं घर पर नहीं बैठूंगा। हमने नहीं सोचा था कि हमारी युवा पीढ़ी को ये परिणाम मिलेगा। उनका आत्मविश्वास बढ़ना चाहिए। उन्हें फिर से खड़ा करना, उनका आत्मविश्वास बढ़ाना, नए जोश के साथ एक उत्पादक पीढ़ी तैयार करना मेरा कार्यक्रम होगा।

अजित पवार के खुलासे पर शरद पवार ने भी भर दी हामी, बताई अडानी की मीटिंग की सच्चाई

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अजित पवार ने एक इंटरव्यू में 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद बीजेपी के साथ हुए गठबंधन में उद्योगपति गौतम अडानी की भूमिका का खुलासा किया है। उन्होंने कहा, उद्योगपति गौतम अडानी 5 साल पहले बीजेपी और अविभाजित शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के बीच बातचीत का हिस्सा थे। महाराष्ट्र में जारी चुनाव के बीच अजीत पवार के इस बयान ने हर तरफ कोहराम मचा दिया है। बीजेपी के पास फिलहाल कोई जवाब नहीं दिख रहा है। इस बीच खुद शरद पवार को आगे आना पड़ा है।शरद पवार ने पांच साल पहले गौतम अडानी के घर हुई बैठक को लेकर बड़ा खुलासा किया है।

शरद पवार ने बताया कि कैसे उनके कुछ सहयोगी बीजेपी में शामिल हो गए थे। उन्होंने दावा किया है कि उनके कुछ सहयोगियों को आश्वासन दिया गया था कि उनके खिलाफ चल रहे केंद्रीय एजेंसियों के मामले वापस ले लिए जाएंगे। एक न्यूज पोर्टल को दिए इंटरव्यू में पवार ने बताया कि उनके सहयोगियों ने उनपर बीजेपी नेताओं से मिलकर यह ऑफर खुद सुनने का दबाव डाला था। इसके बाद ही पवार अमित शाह से मिलने गौतम अडानी के घर डिनर पर गए थे। लेकिन वो इसलिए पीछे हट गए क्योंकि उन्हें ये यकीन नहीं था कि बीजेपी अपना वादा निभाएगी।

अडानी ने सिर्फ डिनर होस्ट किया, चर्चा में शामिल नहीं थे-शरद पवार

भतीजे के बयान पर शरद पवार ने कहा, बैठक जहां आयोजित की गई थी, मेन बात उस लोकेशन की थी। अडानी के दिल्ली स्थित आवास पर मुलाकात हुई थी। ऐसे में उनका नाम आया। अडानी ने रात्रिभोज की मेजबानी की लेकिन वो हमारी पूरी राजनीतिक चर्चा में भाग नहीं ले रहे थे। शरद पवार ने कहा, मैं शरद पवार खुद वहां था, अमित शाह और अजित पवार भी थे। सत्ता-बंटवारे की बातचीत अजित पवार के उप-मुख्यमंत्री के रूप में सुबह-सुबह शपथ लेने से पहले हुई थी। जिसमें देवेन्द्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया गया, ताकि सरकार बनाई जा सके। हालांकि वो सरकार बमुश्किल 80 घंटे तक ही चल सकी।

अजीत पवार ने क्या कहा

इससे पहले अजित पवार ने एक वेबसाइट को दिए एक साक्षात्कार में कहा- हर कोई जानता है कि 2019 में महाराष्ट्र की सरकार बनवाने के लिए बैठक कहां हुई थी? सभी वहां थे। अमित शाह वहां थे, देवेंद्र फडणवीस वहां थे, गौतम अडानी वहां थे, पवार साहेब (शरद पवार) वहां थे। प्रफुल पटेल वहां थे, अजित पवार वहां थे। उस समय बीजेपी के साथ जाने का निर्णय शरद पवार की जानकारी में किया था, और एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में अपने सर्वोच्च नेता का मैंने अनुसरण किया था। उस एपिसोड का दोष मुझ पर आया और मैंने स्वीकार किया। मैंने दोष अपने ऊपर लिया और किसी के ऊपर कोई बात नहीं आने दी।

शरद पवार के बगल में थी कुर्सी, नेमप्लेट हटाकर दूर बैठे अजित, फिर बंद कमरे में की सीक्रेट मीटिंग, माजरा क्या है?

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महाराष्ट्र की सियासत कब किस करवट ले ले, ये कहना मुश्किल है। इस दौरान अक्सर सबसे बड़ा सवाल और सबसे ज्यादा अटकलें “पवार परिवार” को लेकर होती है। सवाल और अंदेशा “पवार परिवार” के एक होने को लेकर होती रहती हैं। कभी शरद पावर और अजीत पवार में नजदीकियां देखी जाती है तो कभी ये दूर दिखने लगते हैं। ऐसा ही एक वाक्या वसंतदादा चीनी संस्थान (वीएसआई) की वार्षिक आम सभा की बैठक में नजर आया। जहां दोनों नेताओं के बीच दूरियां नजर आईं। हालांकि उससे पहले अजीत पवार ने अपने चाचा शरद पवार से बंद कमरे में मुलाकात भी की। यह मीटिंग वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट के परिसर में ही हुई।

शरद पवार और उनके भतीजे शरद पवार दोनों वार्षिक आम सभा की बैठक के लिए वहां गए थे। एनसीपी के विभाजन के बाद पहली बार वसंतदादा चीनी संस्थान (वीएसआई) की वार्षिक आम सभा की बैठक में दोनों नेताओं ने भाग लिया। हालांकि, कार्यक्रम में डिप्टीसीएम अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के बगल में बैठने से किनारा कर लिया और मंच पर कुछ दूरी पर बैठे नजर आए। शुरुआती व्यवस्था के मुताबिक, दोनों को एक-दूसरे के बगल में बैठना था, लेकिन उपमुख्यमंत्री ने अपनी नेमप्लेट एक कुर्सी दूर कर दी, जिससे राज्य के सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटिल उनके बीच बैठ गए।

अजित पवार से जब मीडिया ने शरद पवार के बगल में बैठने के बजाय सहकारिता मंत्री के बगल में बैठने का सवाल किया तो उन्होंने कहा कि बाबासाहेब पवार साहब से बात करना चाहते थे। इसीलिए मैंने बैठने की व्यवस्था बदलने के लिए कहा है। मैं उनसे (शरद पवार से) कभी भी बात कर सकता हूं। मैं एक कुर्सी दूर भी बैठूं तो मेरी आवाज इतनी तेज होगी कि दूर बैठा कोई भी व्यक्ति सुन सकता है। उनकी आवाज काफी तेज है और पहली दो लाइनों में बैठे लोग उन्हें सुन सकते हैं।

इसके ठीक बाद एनसीपी प्रमुख ने शरद पवार और एनसीपी विधायक दिलीप वलसे पाटिल सहित अन्य नेताओं के साथ बंद कमरे में बैठक की। वीएसआई के चेयरमैन शरद पवार कुछ बोर्ड सदस्यों के साथ अपने केबिन में थे। तभी वीएसआई के ट्रस्टी अजित पवार अंदर आए। इसके बाद वे और उनके चाचा कुछ बेहद करीबी सहयोगियों की मौजूदगी में करीब आधे घंटे तक उनसे मिले और फिर बैठक में चले गए। यह स्पष्ट नहीं है कि उनके बीच क्या बातचीत हुई।

पिछले कुछ सालों से उपमुख्यमंत्री वीएसआई की बैठकों में शामिल नहीं हुए हैं। पूछे जाने पर उन्होंने कहा, मैं अपनी पार्टी के विधायकों की संख्या बढ़ाने की योजना बनाने में व्यस्त था। बाद में अजित पवार ने कहा कि चर्चा चीनी उद्योग और वीएसआई से जुड़े मुद्दों पर हुई। उन्होंने कहा, चूंकि उद्योग को राज्य सरकार के सहकारिता, राज्य उत्पाद शुल्क, कृषि और ऊर्जा विभागों से निपटना पड़ता है, इसलिए हमने उनके मुद्दों पर चर्चा की। वीएसआई के बारे में मेरे कुछ विचार थे, जिन्हें मैंने उन्हें बता दिया।

When Alumni Became Chief Guests: RV, Harmeet, and Inderjit Return to Nazrana 2025

Guru Nanak Khalsa College hosted the grand spectacle of Nazrana 2025, an evening brimming with creativity, glamour, and cultural pride. The much-anticipated fashion show was the centerpiece of the event, captivating the audience with its stunning sequences and impeccable execution.

The judging panel evoked waves of nostalgia as Rajveer Singh (RV), Harmeet Singh Gupta, and Inderjit Singh, all proud alumni of the college, returned to grace the occasion. Rajveer, a celebrated influencer, branding expert, and winner of 13 prestigious awards, inspired the audience with his charisma and expertise. Joining him in the judging panel was Tamanna Bharat, an international beauty queen, crowned Miss Asia Global 2024, Miss Queen of India Runner-Up 2024, and Miss Navi Mumbai 2024. Their insightful commentary and radiant presence added a touch of stardom to the evening.

The judges, alongside chief guests Harmeet and Inderjit, brought an emotional and lively vibe to the celebration, reliving fond college memories while applauding the creativity and talent of the current generation. Trustee Chairman S. Gurinder Singh Bawa, Dr. Jasbir Kaur Makkar, and Dr. Kiran Mangaonkar provided steadfast support, ensuring every aspect of the event was executed seamlessly.

The Fashion Show: A Creative Extravaganza

The fashion show, meticulously planned under the leadership of Principal Dr. Ratna Sharma, was a testament to the teamwork and dedication of hundreds of students and non-teaching staff. Dr Jasmeet Kaur Ghai & Latit Bhodare were the head of Nazrana 2025.

The event, choreographed by Rohan, was managed by a dynamic committee comprising Dr. Gaganjyot Kaur, Dr. Gursimran Kaur Uppal, Dr. Charanjit Kaur, Dr. Sharad Tripathi, Mohd Shahid Qureshi, Sheetal, Komal Kaur, and Jagdeep Kaur. Together, they delivered an evening of unmatched artistry and elegance.

The sequences included:

Non-Teaching Staff Walk: A tribute to the unsung heroes of the college.

Kapoor Group: A vibrant Bollywood-inspired showcase, crowned the winner.

Dream Sequence: An ethereal and imaginative performance.

Chemistry: A creative depiction of bonds and unity.

Cabaret: A dazzling high-energy presentation.

Kishore Kumar Group: A nostalgic musical tribute, winning third place.

Sikh Group: A rich cultural celebration, securing second place.

The evening reached its peak when the Giddha and Bhangra performances ignited the stage, compelling even the judges and chief guests to join the teachers in dancing, much to the crowd's delight.

A Collective Effort Behind the Success

The collaborative efforts of students, teachers, and non-teaching staff transformed Nazrana 2025 into an unforgettable celebration. Weeks of meticulous planning, rigorous rehearsals, and unwavering dedication were evident in every performance. Beyond a showcase of fashion, the event became a symbol of unity, creativity, and cultural pride.

For alumni Rajveer, Harmeet, and Inderjit, the evening was an emotional reunion, celebrating not just the talent of today but also the cherished memories of their college years.

With over 7,000 attendees, Nazrana 2025 was a resounding success, setting a new benchmark for future celebrations and leaving everyone eagerly awaiting the next chapter of this remarkable tradition.

शरद पवार ने क्यों की आरएसएस की सराहना? पार्टी के विलय को लेकर भी साफ की तस्वीर

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रमुख शरद पवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तारीफ की। उन्होंने अपनी पार्टी से कहा कि वे भी समाज सुधारकों शाहू महाराज, महात्मा फुले, बी आर आंबेडकर और राजनीतिक दिग्गज यशवंतराव चव्हाण के प्रगतिशील विचारों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ अपने कार्यकर्ताओं का आधार तैयार करने का आह्वान किया। यही नहीं, एनसीपी के दोनों धड़ों का विलय को लेकर जारी अटकलों पर भी शरद पवार से स्थिति साप की।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद एनसीपी (एसपी) की दो दिवसीय बैठक हुई। शरद पवान ने संगठनात्मक मामलों पर चर्चा के लिए बैठक की। वाईबी चव्हाण केंद्र में आयोजित इस बैठक में शरद पवार के अलावा पार्टी के राज्य स्तरीय पदाधिकारी, जिला और तालुका अध्यक्ष शामिल हुए। इस दौरान शरद पवार ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पास प्रतिबद्ध कार्यकर्ता हैं जो हिंदुत्व संगठन की विचारधारा के प्रति अटूट निष्ठा दिखाते हैं और किसी भी कीमत पर अपने रास्ते से विचलित नहीं होते।

पवार ने कहा, आरएसएस का काम करने का तरीखा अनोखा है। इसमें उल्लेख किया गया है कि अगर संघ परिवार किसी कार्यकर्ता के जीवन के महत्वपूर्ण 20 वर्ष छीन भी लेता है, तो उसे संयोग पर नहीं छोड़ा जाता, बल्कि शेष जीवन के लिए उसे सही स्थान पर समायोजित किया जाता है। हमारे पास भी ऐसा काडर आधार होना चाहिए जो छत्रपति शाहू महाराज, महात्मा फुले, बीआर आंबेडकर और यशवंतराव चव्हाण की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध हो।

महाराष्ट्र में हार पर भी बोले पवार

महाराष्ट्र में नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार पर शरद पवार ने कहा कि लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद हम आत्मसंतुष्ट हो गए, जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन ने अपनी हार को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाए। उन्होंने कहा कि पार्टी ओबीसी को यह नहीं बता पाई कि उसने उनके उत्थान के लिए क्या किया।

एनसीपी के विलय पर शरद गुट का बयान

वहीं, शरद पवार की एनसीपी-एसपी, आरएसएस और इंडिया गठबंधन के विलय की बात पर शरद गुट के नेता जीतेंद्र आव्हाड का भी बयान आया है। उन्होंने कहा कि बैठक में यह चर्चा हुई है कि आगे बढ़ेंगे, लड़ेंगे और जीतेंगे। हमारी पार्टी शरद पवार की पार्टी है। हम लोग लड़ना जानते हैं।

फिर शरद पवार की पार्टी तोड़ने की कोशिश कर रहे अजीत पवार? महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े उलटफेर संकेत

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महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े उलटफेर संकेत मिल रहे हैं। सबसे चौंकाने वाली रिपोर्ट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को दोनों खेमे से आ रही है। शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल लाने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा है कि उप-मुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) शरद पवार की पार्टी एनसीपी (एसपी) में फिर से फूट डालने की कोशिश कर रही है। राउत की यह टिप्पणी एनसीपी नेता अमोल मितकरी के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि शरद पवार नीत राकांपा के कुछ लोकसभा सदस्य महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के संपर्क में हैं।

उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा कि एनसीपी शरद पवार की पार्टी के सांसदों को तोड़ने की कोशिश कर रही है और इसके नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देने का प्रलोभन दिया जा रहा है। राउत ने पत्रकारों से बातचीत में आरोप लगाया कि एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल और तटकरे को शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट में दलबदल कराने का काम सौंपा गया है।

राउत ने दावा करते हे कहा है कि, एनसीपी को केंद्र सरकार में कोई पद नहीं मिलेगा, जब तक कि वे शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट से दलबदल कराने में कामयाब नहीं हो जाते। फिलहाल अजित के नेतृत्व वाली एनसीपी का केवल एक लोकसभा सदस्य (तटकरे) है, जबकि प्रतिद्वंद्वी राकांपा (एसपी) के आठ लोकसभा सदस्य हैं।

सूत्रों के अनुसार, शरद गुट के कई सांसद इसके लिए तैयार भी थे। जब इसकी भनक शरद पवार को लगी तो उन्होंने एनसीपी के कई नेताओं को फटकार लगाई। उन्होंने अजित पवार गुट के नेताओं को ऐसी हरकतें दोबारा न करने की चेतावनी भी दी, मगर वह पार्टी में विभाजन के खतरे को भांप गए। शरद पवार ने समय रहते अपने सांसदों को एकजुट कर लिया।

क्या साथ आएंगे शरद पवार-अजित पवार, क्यों जागीं उम्मीदें?

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महाराष्ट्र की सियासत में चाचा भतीजे की जोड़ी खूब चर्चा में रहती है। एक बार फिर पवार फैमिली को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। महाराष्ट्र की राजनीति में वैसे भी असंभावनाओं से भरी रही है। इस बीच शरद पवार और अजित पवार में सुलह की भी संभावना जताई जा रही है। अब सवाल है कि क्या शरद पवार और अजित पवार क्या साथ आएंगे?

अजित पवार की मां की क्या है आशा

दरअसल, एनसीपी चीफ और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार की मां आशताबाई की इच्छा तो कुछ ऐसी ही है. अजित पवार की मां आशताबाई ने अपने बेटे अजित और अपने देवर शरद पवार के फिर से एक होने की इच्छा जताई है। उन्होंने नए साल के मौके पर बुधवार को विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद पंढरपुर में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैंने कामना की है कि पवार परिवार के भीतर मतभेद जल्द से जल्द खत्म हो जाएं। मुझे उम्मीद है कि पांडुरंग मेरी प्रार्थना जरूर सुनेंगे।’

अजित पवार की मां की की यह अपील ऐसे समय में आई है, जब 2023 में एनसीपी और परिवार में विभाजन के बाद चाचा और भतीजे के बीच सुलह की अटकलें लगातार लगाई जा रही हैं।

प्रफुल्ल पटेल ने क्या कहा

इसके साथ ही एनसीपी अजित गुट के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने एनसीपी एसपी प्रमुख शरद पवार को अपना देवता बताया है। उनके इस कथन ने महाराष्ट्र की सियासी हलचल तेज कर दी है। इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक एनसीपी अजित गुट के दिग्गज नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा, "शरद पवार हमारे देवता हैं। हम उनका बहुत सम्मान करते हैं। अगर पवार परिवार एक साथ आता है, तो हमें बेहद खुशी होगी। मैं खुद को पवार परिवार का सदस्य मानता हूं।"

कई लोग चाहते हैं एक साथ आएं चाचा- भतीजे

प्रफुल्ल पटेल के अलावा एनसीपी विधायक नरहरि झिरवाल ने भी यही बात दोहराते हुए कहा, "शरद पवार साहब को छोड़कर जाना अजीब लगा। कई लोग ऐसा ही महसूस करते हैं। अब मैं उनके पास जाऊंगा और उनसे (अजीत पवार से) एक साथ आने का आग्रह करूंगा। शरद पवार समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों के लिए लगातार काम कर रहे हैं।"

क्यों अहम है दोनों का साथ आना?

महाराष्ट्र की सियासत में पवार फैमिली का दबदबा रहा है। हालांकि, जब से एनसीपी में टूट हुई है, तब से शरद पवार की चमक फिकी ही पड़ी है। अजित पवार और शरद पवार के बीच सुलह की अपील महाराष्ट्र की सियासत में पवार फैमिली के प्रभाव को दर्शाती है। एक ओर जहां शरद इंडिया गठबंधन में एक बड़े नेता बने हुए हैं, वहीं अजित पवार के भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ गठबंधन ने राज्य के राजनीतिक समीकरणों को बदल कर रख दिया है। अब देखने वाली बात होगी कि क्या शरद पवार और अजित पवार साथ आते हैं या नहीं।

महाराष्ट्र में कांग्रेस को अपनों का झटका, ईवीएम के मुद्दे पर शरद पवार ने छोड़ा “हाथ”

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विपक्षी दलों के गठबंधन “इंडिया” बिखरता दिख रहा है। सबकी डफली अलग-अलग राग निकाल रही है। लोकसभा और महाराष्ट्र व हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद विपक्षी दलों ने ईवीएम पर सवालों की छड़ी लगा दी। विपक्षी दल लगभग हर दिन ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाकर बीजेपी को घेरते रहे। हालांकि, इन सबके बीच शरद पवार की एनसीपी (एसपी) ने ईवीएम के मुद्दे पर अपने सहयोगियों से अलग रुख अपनाया है। एनसीपी (एसपी) का विरोधाभास इंडिया गठबंधन में खटास पैदा करने का संकेत देता है।

वरिष्ठ नेता शरद पवार की बेटी व बारामती से सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि बिना किसी पुख्ता सबूत के हार के लिए ईवीएम को दोष देना सही नहीं है। एनसीपी (एसपी) नेता सुले ने बुधवार को पुणे में मीडिया से बात करते हुए कहा, जब तक ईवीएम में छेड़छाड़ के ठोस सबूत नहीं मिलते, तब तक ईवीएम को दोष देना गलत है। ईवीएम के खिलाफ कोई भी आरोप तभी उचित हो सकते हैं जब उसके बारे में ठोस और विश्वसनीय प्रमाण उपलब्ध हों। मैं खुद ईवीएम से चार बार चुनाव जीत चुकी हूं।

ईवीएम पर सवाल उठाने वालों से असहमती जताते हुए सुप्रिया सुले कहा कि ओडिशा के बीजू जनता दल (बीजेडी) और आम आदमी पार्टी (आप) जैसे कुछ राजनीतिक दलों ने ईवीएम में छेड़छाड़ के आरोपों को साबित करने के लिए डेटा होने का दावा किया है। सुले ने दावा किया कि बीजेडी के नेता अमर पटनायक ने मंगलवार को उन्हें एक पत्र लिखा था, जिसमें ईवीएम के इस्तेमाल के खिलाफ कुछ डेटा साझा किया गया था। हालांकि इस डेटा के बारे में पत्र में विस्तार से जानकारी नहीं दी गई थी।

बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लेकर बीजद के अमर पटनायक तक ने एनसीपी शरद गुट से समर्थन मांगा है। हालांकि, सुप्रिया सुले ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी इन मुद्दों पर ध्यान दे रही है लेकिन बिना सबूत किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचेगी। फिलहाल यह राहुल के लिए एक झटका तो जरूर ही माना जा रहा है।

दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस और शिवसेना उद्धव गुट ने ईवीएम में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया था। कांग्रेस ने इसे लेकर चुनाव आयोग का दरवाजा भी खटखटाया। इसी बीच, सोलापुर जिले के मालसिराज विधानसभा क्षेत्र में एनसीपी शरद गुट के नेता उत्तमराव जांकर ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की थी। हालांकि प्रशासन ने इसे खारिज कर दिया।

इस बीच एनसीपी शरद गुट की अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने कहा दिया है कि उनके हिसाब से ईवीएम को ब्लैम करना गलत है। बारामती से सांसद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया के इस बयान से महाराष्ट्र में विपक्ष की आवाज कमजोर पड़ गई है।

संसद में पीएम मोदी से मिले शरद पवार, जानिए क्या हुई बात

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पूर्व कृषि मंत्री और राज्यसभा सांसद शरद पवार ने संसद भवन में बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की।राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर अनार किसानों के सामने आने वाले मुद्दों पर चर्चा की। बैठक में अनार उद्योग से जुड़ी चुनौतियों, खासकर किसानों को प्रभावित करने वाली चुनौतियों पर चर्चा की गई। किसानों की चिंताओं के बारे में मुखर रहे पवार ने प्रधानमंत्री से इन मुद्दों को सुलझाने और कृषि क्षेत्र के लिए समर्थन सुनिश्चित करने के लिए दखल करने की मांग की।

बता दें कि दोनों नेता उस समय मिले हैं, जब कांग्रेस संसद में अडाणी मुद्दे पर प्रदर्शन कर रही है। बुधवार को भी जब शरद पवार संसद भवन पहुंचे तब कांग्रेस के नेता बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर के कथित अपमान के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। इस बीच पवार ने पश्चिमी महाराष्ट्र के फलटन के दो किसानों के साथ संसद में प्रधानमंत्री से उनके कार्यालय में मुलाकात की और उन्हें अपने खेत से अनार का एक डिब्बा भेंट भी किया।

प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद पवार ने कहा,'मैंने साहित्य सम्मेलन के विषय पर बात नहीं की।' जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने पीएम मोदी महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर कोई बात की है? तो उन्होंने इस सवाल का जवाब 'नहीं' में दिया।

शरद पवार ना सिर्फ महाराष्ट्र में बल्कि राष्ट्रीय स्तर विपक्षी खेमे के लिए बड़ा चेहरा हैं। ऐसे में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पीएम मोदी से मुलाकात को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं, हालांकि बाद में साफ हो गया कि उन्होंने किसानों के मुद्दों को लेकर पीएम से यह मीटिंग की है।

शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति में चाणक्य माने जाते हैं। हर राजनीतिक स्थिति में सभी दलों के नेताओं को साधकर रखते हैं। इसके बूते ही कांग्रेस से अलग होने के बाद भी कांग्रेस के साथ मिलकर महाराष्ट्र की सत्ता में लगातार 15 साल टिके रहे। वह पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी भी माने जाते हैं। कई मौके ऐसे आए, जब पीएम नरेंद्र मोदी ने शरद पवार की सार्वजनिक तौर से तारीफ की।

महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल पर सस्पेंस के बीच शरद पवार से मिले भतीजे अजीत, बेहद खास है मौका
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* महाराष्ट्र में कैबिनेट गठन को लेकर बने सस्पेंस के बीच डिप्टी सीएम अजित पवार ने गुरुवार को और एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की। अजीत पवार ने हाल ही में संपन्न महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद शरद पवार से पहली बार मुलाकात ही। आज के दिन हुई इस मुलाकात के खास मायने हैं। दरअसल, एनसीपी (एसपी) नेता और राज्‍यसभा सदस्‍य शरद पवार आज 84 वर्ष के हो गए हैं। इस मौके पर भतीजे अजित पत्‍नी सुनेत्रा पवार और अपनी पार्टी के अन्‍य वरिष्‍ठ नेताओं प्रफुल पटेल, छगन भुजबल के साथ चाचा शरद पवार को जन्‍मदिन पर विश करने के लिए पहुंचे। सभी नेताओं ने शरद पवार को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी। यह मुलाकात पवार के 6 जनपद आवास, दिल्ली में हुई।इसके बाद मीडिया से बात करते हुए अजित पवार ने कहा कि जन्मदिन के अवसर पर उन्होंने शरद पवार को शुभकामनाएं दी। अजित पवार ने कहा कि मुलाकात के दौरान परिवारिक बातचीत के साथ- साथ सियासी बातचीत भी हुई। मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी खबरें आ रही हैं कि आज दिल्‍ली में ही शरद पवार के जन्‍मदिन पर शाम को एक छोटी डिनर पार्टी रखी गई है. उसमें भी अजित पवार शिरकत करेंगे. हिंदुस्‍तान टाइम्‍स अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि केवल करीबी मित्रों को ही बुलाया गया है. अजित पवार के सहयोगी ने अखबार को कंफर्म करते हुए कहा कि डिप्‍टी सीएम जरूर शिरकत करेंगे. पत्‍नी सुनेत्रा पवार जाएंगी या नहीं इसको लेकर पुष्टि नहीं हो सकी. सूत्रों के मुताबिक गेस्‍ट लिस्‍ट में फारुक अब्‍दुल्‍ला और शिवसेना राज्‍यसभा सदस्‍य मिलिंद देवड़ा भी शामिल हैं. बता दें कि एनसीपी में टूट के बाद शरद और अजित पवार के बीच एक साल से अधिक वक्‍त के बाद ये पहली मुलाकात है। पिछले साल दिवाली में अजित पवार मिलने उनके घर गए थे लेकिन इस साल राज्‍य में हो रहे विधानसभा चुनावों के चलते दिवाली के मौके पर नहीं पहुंचे। लोकसभा चुनावों में अजित पवार ने शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के खिलाफ पत्‍नी सुनेत्रा पवार को चुनावी मैदान में उतारा था लेकिन वो हार गईं। बाद में सुनेत्रा पवार को राज्‍यसभा भेजा गया। उसके बाद विधानसभा चुनाव में बारामती से ही शरद पवार ने अपनी पार्टी की तरफ से अजित के भतीजे युगेंद्र पवार को मैदान में उतारा। युगेंद्र एक लाख से अधिक वोटों से हार गए। शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीतिक के चाणक्य माने जाते रहे हैं, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में जिस तरह से सियासी बाजी पलटी और महायुति ने बंपर जीत हासिल की, ऐसे में एमवीए को करारी हाल मिली. इसमें भी जिस तरह का नुकसान शरद पवार की पार्टी को पहुंचा है, उसके बाद उनकी पार्टी के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े होने लगे हैं।
क्या राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार का “पावर” खत्म हो गया है?

#the_magic_of_sharad_pawar_ended

हाल ही में संपन्न महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति ने झप्पर-फाड़ सफलता हासिल की। वहीं उद्धव ठाकरे की शिवसेना, कांग्रेस और शरद पवार एनसीपी के महाविकास अघाड़ी के लिए ये नतीजे किसी बुरे सपने की तरह आए। महाराष्ट्र चुनाव के ये नतीजे अगर किसी को सबसे अधिक निराश करने वाले हैं, तो वो हैं शरद पवार। दरअसल पवार कई बार कह चुके हैं कि 2026 में उनका राज्य सभा सदस्य का कार्यकाल खत्म होने के बाद वो सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लेंगे। राजनीति की अपनी इस अंतिम पारी में इतने निराशाजनक प्रदर्शन की उम्मीद तो शायद शरद पवार को भी नहीं रही होगी। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या शरद पवार का 'करिश्मा' ख़त्म हो गया?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान सोशल मीडिया पर एक वाक्य धूम मचा रहा था. वो था कि 'जहाँ बूढ़ा आदमी चल रहा है, वहाँ अच्छा हो रहा है।' शरद पवार के गुट के उम्मीदवार यह सोच रहे थे कि वो अपने प्रमुख नेता के 'जादू' से विधानसभा पहुँच जाएंगे। यही कारण था कि जहां एनसीपी (एसपी) के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे, वहां शरद पवार की रैलियों की ख़ूब मांग थी। 84 वर्षीय शरद पवार ने भी इस मांग के मद्देनज़र राज्य भर में 69 सार्वजनिक बैठकें कीं। वो समय-समय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए अपना राजनीतिक रुख़ बताते रहे। और उन्होंने लोगों को अपने पक्ष में करने का प्रयास भी किया। लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी शरद पवार को 86 में से सिर्फ 10 सीटें ही मिलीं।

एक समय था जब शरद पवार के पास मजबूत जनाधार हुआ करता था लेकिन इस चुनाव के नतीजों ने पवार के राजनीतिक जीवन के ग्राफ को काफी नीचे की ओर धकेल दिया है। ऐसे में ये लगने लगा है कि एक तरफ उम्र भी उनका साथ नहीं दे रही और दूसरी ओर सियासी समीकरण भी उनके पाले में नहीं हैं। शरद पवार इतना मजबूर हो जाएंगे, ये महाराष्ट्र कि सियासी पंडितों के लिए वाकई चौंकाने वाली बात है। शरद पवार हमेशा से जमीनी नेता रहे लेकिन वर्तमान राजनीतिक गोटियां उनके हाथ से लगातार फिसल रही हैं।

लोकसभा चुनाव में पवार की एनसीपी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था। लेकिन पांच महीने बाद ही हुए विधानसभा चुनाव में एनसीपी की लुटिया डूब गई। महाराष्ट्र के इन नतीजों ने पवार की पार्टी के भविष्य पर भी सवाल उठा दिए हैं। कुछ महीने पहले बारामती लोकसभा से जीत हासिल करने वाले शरद पवार को बारामती विधानसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिल पाई। इसलिए एक बार फिर से शरद पवार के राजनीतिक प्रभाव पर सवाल खड़े हो गए हैं। सबसे बड़ा सवाल यही पूछा जा रहा है कि क्या शरद पवार एक बार फिर राजनीति में खड़े हो पाएंगे? साथ ही ये भी कि शरद पवार और उनकी पार्टी का भविष्य क्या होगा?

हालांकि, ऐसा नहीं है कि पवार को लगा यह पहला झटका है। इससे पहले उन्हें एक ऐसा ही झटका उस समय लगा था जब उनके भतीजे अजित पवार ने कुछ विधायकों के साथ मिलकर एनसीपी में बगावत कर शिवसेना और बीजेपी की सरकार को समर्थन दे दिया था। उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया था। यह पवार को लगा बहुत बड़ा झटका था। अजित पवार ने अपने चाचा से पार्टी और पार्टी का चुनाव निशान भी हथिया लिया था।

इस बार भी चुनाव परिणाम के बाद उठ रहे सवालों का शरद पवार खुद जवाब दे चुके हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद शरद पवार ने कहा इस नतीजे के बाद कोई भी घर बैठ गया होगा। लेकिन मैं घर पर नहीं बैठूंगा। हमने नहीं सोचा था कि हमारी युवा पीढ़ी को ये परिणाम मिलेगा। उनका आत्मविश्वास बढ़ना चाहिए। उन्हें फिर से खड़ा करना, उनका आत्मविश्वास बढ़ाना, नए जोश के साथ एक उत्पादक पीढ़ी तैयार करना मेरा कार्यक्रम होगा।

अजित पवार के खुलासे पर शरद पवार ने भी भर दी हामी, बताई अडानी की मीटिंग की सच्चाई

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अजित पवार ने एक इंटरव्यू में 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद बीजेपी के साथ हुए गठबंधन में उद्योगपति गौतम अडानी की भूमिका का खुलासा किया है। उन्होंने कहा, उद्योगपति गौतम अडानी 5 साल पहले बीजेपी और अविभाजित शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के बीच बातचीत का हिस्सा थे। महाराष्ट्र में जारी चुनाव के बीच अजीत पवार के इस बयान ने हर तरफ कोहराम मचा दिया है। बीजेपी के पास फिलहाल कोई जवाब नहीं दिख रहा है। इस बीच खुद शरद पवार को आगे आना पड़ा है।शरद पवार ने पांच साल पहले गौतम अडानी के घर हुई बैठक को लेकर बड़ा खुलासा किया है।

शरद पवार ने बताया कि कैसे उनके कुछ सहयोगी बीजेपी में शामिल हो गए थे। उन्होंने दावा किया है कि उनके कुछ सहयोगियों को आश्वासन दिया गया था कि उनके खिलाफ चल रहे केंद्रीय एजेंसियों के मामले वापस ले लिए जाएंगे। एक न्यूज पोर्टल को दिए इंटरव्यू में पवार ने बताया कि उनके सहयोगियों ने उनपर बीजेपी नेताओं से मिलकर यह ऑफर खुद सुनने का दबाव डाला था। इसके बाद ही पवार अमित शाह से मिलने गौतम अडानी के घर डिनर पर गए थे। लेकिन वो इसलिए पीछे हट गए क्योंकि उन्हें ये यकीन नहीं था कि बीजेपी अपना वादा निभाएगी।

अडानी ने सिर्फ डिनर होस्ट किया, चर्चा में शामिल नहीं थे-शरद पवार

भतीजे के बयान पर शरद पवार ने कहा, बैठक जहां आयोजित की गई थी, मेन बात उस लोकेशन की थी। अडानी के दिल्ली स्थित आवास पर मुलाकात हुई थी। ऐसे में उनका नाम आया। अडानी ने रात्रिभोज की मेजबानी की लेकिन वो हमारी पूरी राजनीतिक चर्चा में भाग नहीं ले रहे थे। शरद पवार ने कहा, मैं शरद पवार खुद वहां था, अमित शाह और अजित पवार भी थे। सत्ता-बंटवारे की बातचीत अजित पवार के उप-मुख्यमंत्री के रूप में सुबह-सुबह शपथ लेने से पहले हुई थी। जिसमें देवेन्द्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया गया, ताकि सरकार बनाई जा सके। हालांकि वो सरकार बमुश्किल 80 घंटे तक ही चल सकी।

अजीत पवार ने क्या कहा

इससे पहले अजित पवार ने एक वेबसाइट को दिए एक साक्षात्कार में कहा- हर कोई जानता है कि 2019 में महाराष्ट्र की सरकार बनवाने के लिए बैठक कहां हुई थी? सभी वहां थे। अमित शाह वहां थे, देवेंद्र फडणवीस वहां थे, गौतम अडानी वहां थे, पवार साहेब (शरद पवार) वहां थे। प्रफुल पटेल वहां थे, अजित पवार वहां थे। उस समय बीजेपी के साथ जाने का निर्णय शरद पवार की जानकारी में किया था, और एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में अपने सर्वोच्च नेता का मैंने अनुसरण किया था। उस एपिसोड का दोष मुझ पर आया और मैंने स्वीकार किया। मैंने दोष अपने ऊपर लिया और किसी के ऊपर कोई बात नहीं आने दी।