*Bengal outclass Nagaland by innings & 206 runs in Cooch Behar Trophy*

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Khabar kolkata sports Desk: A dominant all-round performance powered Bengal Under-19 team to a stunning innings and 206-run victory over Nagaland in their Cooch Behar Trophy match in Sovima on Friday. 

After four back-to-back victories, Bengal, with 27 points, are on top of Elite Group B.

Debutant Soumyadip Manna (99), Vishal Bhati (6-2), Rohit (3-8, 2-13), Debangshu Pakhira (1-1, 2-17), debutant Shivamm Bharati (3-16) and Aditya Roy (64) were the star performers for Bengal.

After bowling out Nagaland for just 40, Bengal posted 305/7 decl. to bag a huge first innings lead.

Nagaland, in their second innings, were bundled out for 59 to hand a massive victory to the visitors in the morning of the second day. 

Bengal next face Jammu and Kashmir in their final group-stage match from December 6.

 Pic Courtesy by:CAB

*Bengal outclass J&K by 141 runs in Women’s U-15 One Day meet*

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Khabar kolkata sports Desk: Bengal displayed a brilliant all-round performance to outclass Jammu & Kashmir by 141 runs and begin their Women’s Under-15 One Day Trophy campaign on a winning note on Thursday.

Skipper Sandipta Patra (89 not out off 65), Ishita Saha (33), Nilanjana Barik (26), Snighda Bag (3-15), Ritu Gayen (2-6), Remondina Khatun (1-6), Aradhya Kumari Tiwary (1-8) and Debjani Das (1-12) were the star performers for Bengal.

Batting first, Bengal scored 212/6 in 35 overs. In reply, J&K were bundled out for just 71 in 22.5 overs.

Pic Courtesy by: CAB

370 అధికరణపై మోదీ స్ట్రాంగ్ వార్నింగ్

మహారాష్ట్ర అసెంబ్లీ ఎన్నికల ప్రచారంలో భాగంగా ధులేలో జరిగిన ఎన్నికల ర్యాలీలో మోదీ శుక్రవారంనాడు మాట్లాడుతూ, కాంగ్రెస్ పార్టీ పాకిస్థాన్ ఎజెండాను, కశ్మీర్‌లో వేర్పాటువాద భాషను ఇక్కడ కూడా ముందుకు తీసుకెళ్లే ప్రయత్నాలను ఓటర్లు తిప్పికొట్టాలన్నారు.

జమ్మూకశ్మీర్‌ (Jammu and Kashmir)లో కేంద్రం రద్దు చేసిన 370వ అధికరణ (Article 370)ను దేశంలోని ఏ శక్తి పునరుద్ధరించ లేదని ప్రధాన మంత్రి నరేంద్ర మోదీ (Narendra Modi) తెగేసి చెప్పారు. కేంద్ర పాలిత ప్రాంతంలో (జమ్మూకశ్మీర్) కాంగ్రెస్ పార్టీ కుట్రలను మహారాష్ట్ర ఓటర్లు గుర్తించాలని హెచ్చరించారు. మహారాష్ట్ర అసెంబ్లీ ఎన్నికల ప్రచారంలో భాగంగా ధులేలో జరిగిన ఎన్నికల ర్యాలీలో మోదీ శుక్రవారంనాడు మాట్లాడుతూ, కాంగ్రెస్ పార్టీ పాకిస్థాన్ ఎజెండాను, కశ్మీర్‌లో వేర్పాటువాద భాషను ఇక్కడ కూడా ముందుకు తీసుకెళ్లే ప్రయత్నాలను ఓటర్లు తిప్పికొట్టాలన్నారు. జమ్మూకశ్మీర్‌కు స్వయం ప్రతిపత్తిని కల్పించే 370వ అధికరణను తిరిగి పునరుద్ధరించాలంటూ రెండ్రోజుల క్రితం అక్కడి అధికార 'ఇండియా' కూటమి అసెంబ్లీలో తీర్మానం ఆమోదించిన నేపథ్యంలో మోదీ వ్యాఖ్యలు ప్రాధాన్యత సంతరించుకున్నాయి.

జమ్మూకశ్మీర్‌లో కాంగ్రెస్ కుట్రలను మహారాష్ట్ర ప్రజలు అవగాహన చేసుకోవాలని, 370వ అధికరణపై అక్కడి అసెంబ్లీ చేసిన తీర్మానాన్ని దేశం అంగీకరించిందని అన్నారు. ఏ శక్తి కూడా ఆ అధికరణను వెనక్కి తేలేదని స్పష్టం చేశారు. 370వ అధికరణకు మద్దతుగా అసెంబ్లీ వెలుపల బ్యానర్లు పెట్టారు. ఆ అధికరణను పునరుద్ధరించాలంటూ కాంగ్రెస్ కూటమి ఒక తీర్మానాన్ని ఆమోదించింది.. దీనిని దేశ ప్రజలు ఆమోదిస్తారా? ఈ ప్రయత్నాన్ని అడ్డుకునేందుకు బీజేపీ ఎమ్మెల్యేలు శక్తవంచన లేకుండా నిరసన తెలిపినప్పటికీ వారిని అసెంబ్లీ నుంచి బయటకు పంపించేశారు. కాంగ్రెస్ కూటమి నిజస్వరూపం ఏమిటో యావద్దేశం అవగాహన చేసుకోవాలి'' అని మోదీ అన్నారు.

370వ అధికరణను పునరుద్ధరించేందుకు దేశ ప్రజలు అంగీకరించరని, కశ్మీర్‌లో కాంగ్రెస్ పార్టీ ఆటలు మోదీ ఉన్నంత వరకూ సాగవని ప్రధాని అన్నారు. బీమ్‌రావ్ అంబేద్కర్ రాజ్యాంగం మాత్రమే అక్కడ నడుస్తుందని, ఏ శక్తీ 370వ అధికరణను వెనక్కి తేలేదని మరోసారి ఆయన స్పష్టం చేశారు. విపక్ష సభ్యలు తీవ్ర ప్రతిఘటన, నిరసనల మధ్య జమ్మూకశ్మీర్ అసెంబ్లీలో 370వ అధికరణను పునరుద్ధరించే తీర్మానాన్ని గత శుక్రవారంనాడు మూజువాణి ఓటుతో ఆమోదించారు.

दुनिया की कोई ताकत वापस नहीं ला सकती आर्टिकल 370”, महाराष्ट्र में बोले पीएम मोदी

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा के अंदर हाल ही में उमर अब्दुल्ला की सरकार ने धारा 370 बहाल करने से जुड़ा एक प्रस्ताव पास करवा लिया है। हालांकि विपक्ष इस पर लगातार हमलावर है और नौबत यहां तक आ गई कि विधानसभा स्पीकर को मार्शल भी बुलाने पड़ गए। जम्मू-कश्मीर में 370 बहाल करने को लेकर मचे बवाल के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ा बयान दिया है।पीएम मोदी ने कहा कि आर्टिकल 370 हटाना 21वीं सदी का सबसे बड़ा फैसला था। अब दुनिया की कोई भी ताकत जम्मू कश्मीर में 370 की वापसी नहीं करा सकती।

महाराष्ट्र में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचार की कमान संभाल ली है। शुक्रवार को उन्होंने विपक्ष को मात देने और सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के लिए वोट मांगने के लिए धुले में अपनी पहली सभा की। इस दौरान पीएम मोदी ने जम्मू कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस की गठबंधन सरकार पर बड़ा हमला बोला।

कश्मीर में कांग्रेस की साजिशें शुरू-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सरकार बनने के बाद कांग्रेस गठबंधन ने कश्मीर के खिलाफ अपनी साजिश शुरू कर दी है। उन्होंने कहा, कांग्रेस और इंडी गठबंधन को जैसे ही जम्मू-कश्मीर में अपनी सरकार बनाने का मौका मिला, तो उन्होंने कश्मीर के खिलाफ अपनी साजिशें शुरू कर दीं। कांग्रेस गठबंधन ने आर्टिकल 370 को बहाल करने के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया। विधानसभा के अंदर आर्टिकल 370 के समर्थन में बैनर लहराए गए। बीजेपी के विधायकों ने इसका विरोध किया है। बैनरों को विधानसभा के बाहर फेंक दिया गया। कांग्रेस जम्मू कश्मीर में बाबासाहेब का संविधान नहीं चाहती। कांग्रेस गठबंधन संविधान की झूठी किताब लहराता है।

कांग्रेस पाकिस्तान के एंजेडे को बढ़ावा देना बंद करे-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में सिर्फ बाबासाहेब का संविधान चलेगा। कांग्रेस पाकिस्तान के एंजेडे को बढ़ावा देना बंद करे। कांग्रेस कश्मीर को लेकर अलगाववादियों की भाषा न बोले। पीएम मोदी ने कहा कि आर्टिकल 370 हटाना 21वीं सदी का सबसे बड़ा फैसला था। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के मंसूबे कामयाब नहीं होंगे। दुनिया की कोई भी ताकत जम्मू कश्मीर में 370 की वापसी नहीं करा सकती।

4 पुश्तें भी आ जाएंगी तो भी 370 वापस नहीं होगा- शाह

वहीं, महाराष्ट्र के शिराला में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में 370 की बहाली को लेकर बड़ा बयान दिया। शाह ने कहा कि कांग्रेस जम्मू कश्मीर में 370 वापस लाना चाहती है। मैं कहता हूं कि 4 पुश्तें भी आ जाएंगी तो भी 370 वापस नहीं होगा।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 370 पर बवाल, सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों में हाथापाई, जमकर चले लात-घूंसे

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जम्मू कश्मीर विधानसभा में आज जबरदस्त हंगामा हो गया। विधानसभा सत्र के दौरान गुरुवार को अनुच्छेद 370 के बहाली के प्रस्ताव पर विधायकों के बीच जमकर हाथापाई हुई। सत्ता पक्ष और विपक्षी भाजपा के विधायकों ने एक-दूसरे का कॉलर पकड़ा और धक्कामुक्की की। सदन में हंगामे के बाद पहले विधानसभा की कार्यवाही 20 मिनट फिर कल तक के लिए स्थगित कर दी गई है।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बारामूला से लोकसभा सांसद इंजीनियर राशिद के भाई और लेंगेट से विधायक खुर्शीद अहमद शेख द्वारा अनुच्छेद 370 पर बैनर दिखाए। बैनर पर लिखा था, 'हम अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली और सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई चाहते हैं। विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने इस पर आपत्ति जताई। बैनर को देखकर भाजपा के विधायक भड़क गए। भाजपा विधायकों के विरोध का सिलसिला यहीं नहीं थमा। वे सदन के वेल से होते हुए खुर्शीद अहमद शेख के पास पहुंचे और उनके हाथ से बैनर छीन लिया। इस दौरान सज्जाद लोन और वहीद पारा और नेशनल कॉन्फ्रेंस के कुछ अन्य विधायक शेख के समर्थन में भाजपा विधायकों से भिड़ गए। दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की हुई।

हंगामे के बाद जम्मू कश्मीर विधानसभा में हंगामा और हाथापाई के बाद सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई। सदन स्थगित होने के बाद भी भाजपा सदस्यों ने अपना विरोध जारी रखा। जिसके बाद मार्शलों ने आर एस पठानिया सहित कई भाजपा विधायकों को सदन से बाहर निकाला। जिसके बाद सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई।

370 के बहाली के प्रस्ताव बीजेपी ने क्या कहा

अनुच्छेद 370 के बहाली के प्रस्ताव पर नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा ने कहा कि 370 के खिलाफ प्रस्ताव लाना असंवैधानिक है। वहीं, बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस पार्टी जम्मू और कश्मीर के अंदर पाकिस्तान के एजेंडे को चला रही है। 370 के खिलाफ प्रस्ताव लाना असंवैधानिक है।

वहीद पारा ने पेश किया प्रस्ताव, पर खारिज

अनुच्छेद 370 पर प्रस्ताव ने तीखी बहस की शुरुआत सोमवार को विधानसभा के उद्घाटन सत्र से ही हो गई थी। पुलवामा का प्रतिनिधित्व करने वाले पीडीपी नेता वहीद पारा ने शुरुआत में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे और राज्य के दर्जे को बहाल करने का प्रस्ताव पेश किया। यह कदम 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ उनकी पार्टी के रुख के अनुरूप था।

उमर अब्दुल्ला ने किया खारिज

हालांकि, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रस्ताव को 'प्रतीकात्मक' बताते हुए खारिज कर दिया, यह सुझाव देते हुए कि इसे वास्तविक इरादे से नहीं बल्कि जनता का ध्यान आकर्षित करने के लिए पेश किया गया था। उन्होंने तर्क दिया कि अगर इस मुद्दे को लेकर गंभीरता थी, तो नेशनल कॉन्फ्रेंस के परामर्श से प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए था।

जम्मू-कश्मीर के त्राल में एक और गैर कश्मीरी बना निशाना, एक हफ्ते में आतंकियों का तीसरा हमला

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जम्मू कश्मीर में दूसरे राज्यों से आकर काम करने वालों पर हमले का सिलसिला जारी है।इस बार आतंकियों ने पुलवामा में गैर कश्मीरी को निशाना बनाया है। गोली लगने से मजदूर घायल हो गया है। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उसकी हालत खतरे से बाहर है। गुरुवार सुबह आतंकवादियों की गोलीबारी में उत्तर प्रदेश का एक किशोर घायल हो गया। एक सप्ताह के भीतर कश्मीर में प्रवासी श्रमिकों पर यह तीसरा हमला है।

अधिकारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश के बिजनौर के रहने वाले 19 वर्षीय किशोर प्रीतम सिंह को त्राल के बटागुंड गांव में आतंकवादियों की गोलीबारी में हाथ में गोली लग गई। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उनकी हालत स्थिर है।

एक हफ्ते में तीसरा हमला

बता दें कि पिछले कुछ महीनों से आतंकवादी लगातार दूसरे राज्य से आकर यहां काम करने वालों को निशाना बना रहे हैं। उमर अब्दुल्ला सरकार के बनने के बाद ही आतंकियों ने इस तरह के दो हमले किए। 20 अक्टूबर की देर रात गांदरबल के गगनगीर इलाके में आतंकवादियों ने गैर कश्मीरियों पर गोलियों की बौछार कर दी थी। अंधाधुंध फायरिंग में टनल में काम करने वाले 6 लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा इस हमले में एक डॉक्टर की भी मौत हुई थी। इस हमले में 7 लोगों की मौत हुई थी।इसमें से अधिकतर बाहरी लोग थे।

इससे पहले 17 अक्टूबर को भी आतंकियों ने गैर स्थानीय व्यक्ति को निशाना बनाया था। शोपियां इलाके में आतंकवादियों ने एक गैर-स्थानीय व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मृतक की पहचान बिहार निवासी अशोक चौहान के रूप में हुई थी, जो इलाके में मकई बेचता था।

जम्मू-कश्मीर सरकार बनाने के बाद एनसी-कांग्रेस की नहीं चलने वाली, जानें गेंद किसके पाले?

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जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन की सरकार बनने वाली है।चुनाव के बाद विधानसभा का गठन होगा और वहां मंत्रीपरिषद शपथ लेंगी। आर्टिकल 370 खत्म करके इसका विशेष दर्जा खत्म किया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव हुआ था। मगर ये चुनाव एक राज्य में नहीं बल्कि केंद्रशासित प्रदेश में कराया गया। तो राज्य में अब सरकार बेशक कांग्रेस और कांफ्रेंस मिलकर बना लें लेकिन असल में सारी ताकत को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के पास होगी।

वर्ष 2019 में जम्मू कश्मीर की अंतिम राज्य सरकार भंग कर दी गई। वर्ष 1952 से चली आ रही ये सरकार देश की दूसरी राज्य सरकारों की तुलना में ज्यादा अधिकार रखती थी। राज्य को देश में आर्टिकल 370 के तहत स्पेशल दर्जा मिला हुआ था। 2019 में सबकुछ खत्म हो गया। राज्य दो केंद्रशासित टुकड़ों टूट गया- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। अब जबकि राज्य में चुनाव खत्म हो गया है और परिणाम के बाद राज्य की सत्ता पर कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस काबिज होने जा रहे हैं तो कहना चाहिए कि अब सबकुछ पिछली राज्य सरकारों जैसा नहीं होगा। नई राज्य सरकार काफी हद तक पॉवरलेस होगी. असल में राज्य में सुपर बॉस तो लेफ्टिनेंट गर्वनर ही होंगे।

जिस तरह दिल्ली में उप राज्यपाल की ताकत निर्वाचित सरकार से ज्यादा है, कुछ वैसा ही जम्मू-कश्मीर में भी देखने को मिलेगा। जम्मू कश्मीर को अभी भी पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं है और इसीलिए वहां गर्वनर नहीं हैं। जम्मू-कश्मीर अभी केंद्र शासित प्रदेश है और इस तरह वहां लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) काम करते रहेंगे और विधानसभा अगर कोई बिल पास करती है तो फिर उसे एलजी की सहमति लेनी होगी। इस तरह एलजी चाहें तो बिल को राष्ट्रपति को भी रेफर कर सकते हैं।

किन मामलों में उपराज्यपाल की चलेगी

कानून और व्यवस्था, सार्वजनिक व्यवस्था और पुलिस कामों सहित विभिन्न प्रशासनिक मामलों में केंद्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल का फैसला अंतिम होगा। मतलब ये है कि निर्वाचित विधानसभा के बावजूद एलजी दैनिक शासन को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विवेक का प्रयोग कर सकते हैं। कानून-व्यवस्था और पुलिस पर कंट्रोल पूरी तरह राज्यपाल के पास रहेगा। चूंकि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था को बाहर करने के लिए विधानसभा की विधायी शक्तियों में कटौती की गई है, इसलिए नई सरकार की कार्यकारी शक्तियां और क्षमता गंभीर रूप से कमजोर और समझौतापूर्ण हो जाएगी। ऐसी व्यवस्था केंद्र द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल को सर्वशक्तिमान बना देती है। राज्य में सब कुछ गृह विभाग के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसमें पुलिस, कानून और व्यवस्था, जेल, बंदीगृह आदि शामिल हैं।

केवल पुलिस जैसा अहम महकमा ही चुनी हुई सरकार के नियंत्रण से बाहर नहीं होगा।. यहां तक की पब्लिक ऑर्डर जिसका दायरा बहुत बड़ा होता है, वह भी सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। समवर्ती सूची में दिए गए मामले यानी वैसे विषय जिस पर केन्द्र और राज्य, दोनों को कानून बनाने का अधिकार है, उस पर भी जम्मू कश्मीर विधानसभा कानून नहीं बना पाएगी। ये सारी शक्तियां एलजी या उसके जरिये केंद्र को दे दी गई हैं।

मंत्रियों के कार्यक्रम या बैठकों के एजेंडे की सूचना एलजी को देनी होगी

जम्मू कश्मीर सरकार में मंत्री बनने वालों के अधिकार का अंदाजा इस से भी लगाया जा सकता है कि मंत्रियों के कार्यक्रम या फिर उनके बैठकों के एजेंडे एलजी ऑफिस को देने होंगे और यह कम से दो दिन पहले जमा करा देना होगा। इसके अलावा, भ्रष्टाचार के मामलों से निपटने के लिए बनी प्रदेश की ताकतवर एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो), जम्मू कश्मीर फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी और जेल जैसे अहम विभाग चुनी हुई सरकार के पास न होकर उपराज्यपाल के पास होंगे।

एलजी के फैसले की समीक्षा नहीं हो सकेगी

एलजी के राजनीतिक ताकत का अंदाजा जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून की धारा 55 से साफ हो जाता है। इसके मुताबिक उपराज्यपाल के फैसले की समीक्षा जम्मू कश्मीर की चुनी गई मंत्रिमंडल नहीं कर सकती। बात यहां तक होती तो भी कोई बात न थी पर एक ओर तो उपराज्यपाल के फैसले की समीक्षा विधानसभा नहीं कर सकती लेकिन इसी के थोड़ा आगे एक प्रावधान ऐसा भी जोड़ दिया गया है जहां एलजी का प्रतिनिधि प्रदेश सरकार की सभी कैबिनेट मीटिंग में बैठेगा।

राज्यपाल करेंगे 5 विधायकों को नोमिनेट

जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल के पास विधानसभा में 5 सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार है, जिनके पास विधायक की पूर्ण विधाई शक्तियां होंगी। ये विधानसभा के भीतर शक्ति संतुलन को बदल सकता है। विधानसभा के मनोनीत सदस्यों को वे सभी अधिकार और विशेषाधिकार प्राप्त होंगे, जिनके निर्वाचित सदस्य हकदार होंगे। उन्हें वोट देने का अधिकार है। अब केन्द्र की बीजेपी के सरकार के एलजी अगर किसी को नॉमिनेट करेंगे तो वह वोट किसे करेगा, यह वह भी बता देगा जिससे पूछा न गया हो। इसके अपावा ये पांच विधायक विधानसभा के कामकाज में भाग लेने का अधिकार है और सरकार के गठन में भूमिका का भी।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के तीसरे व आखिरी चरण के लिए कल होगी वोटिंग, जानें कहां-कितने कैंडिडेट

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जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के तीसरे और आखिरी चरण के लिए 1 अक्तूबर को मतदान होगा। सात जिलों की 40 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद हो रहे पहले चुनाव में लोगों का खीसा उत्साह देखा जा रहा है। अब तक दो चरणों के चुनाव में मतदाताओं में उत्साह देखने को मिला है। 18 सितंबर को पहले चरण में 61.38 फीसदी मतदान हुआ था, जबकि 26 सितंबर को दूसरे चरण में 57.31 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई। आखिरी चरण के मतदान के बाद 8 अक्तूबर को मतगणना होगी।

इस चरण के प्रचार के दौरान बीजेपी, कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के बीच पाकिस्तान, अनुच्छेद 370, आतंकवाद और आरक्षण सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर देखने को मिला। तीसरे चरण की जिन 40 सीटों पर चुनाव है, उसमें 24 सीटें जम्मू क्षेत्र की है तो 16 सीटें कश्मीर रीजन की है। इस अहम चरण में सात जिलों जम्मू संभाग के जम्मू, उधमपुर, सांबा और कठुआ तथा कश्मीर संभाग के बारामूला, बांदीपोरा और कुपवाड़ा की कुल 40 सीट के लिए मतदान होगा। इस चरण में पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद (कांग्रेस) और मुजफ्फर बेग सहित 415 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर है।

जम्मू संभाग की अधिकांश सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर है, कुछ जगह ही नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) है, किंतु कश्मीर की अधिकतर सीटों पर त्रिकोणीय या बहुकोणीय मुकाबला है। दिलचस्प यह भी है कि प्रदेश की राजनीति में भाजपा और कांग्रेस दोनों का भविष्य इसी चरण पर टिका है। इसी कारण इन दोनों दलों ने इन सीटों पर प्रचार में पूरा दम दिया। भाजपा के दिग्गज नेता समेत गृह मंत्री और प्रधानमंत्री ने भी चुनावी रैलियां कीं। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी ने पूरे चुनाव में जम्मू-कश्मीर में एक जनसभा की वह भी इसी चरण में। राहुल गांधी की भी रैलियां थीं और कांग्रेस अध्यक्ष भी आए।

उत्तर कश्मीर के इलाके में पीडीपी और नेशनल कॉफ्रेंस जैसी मुख्यधारा की राजनीतिक दलों के साथ-साथ अलगगावादियों का भी सियासी आधार है। सज्जाद लोन की पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और इंजीनियर राशिद की पार्टी एआईपी दोनों की शुरुआत कुपवाड़ा जिले से हुई। इसी इलाके में ही इनका सियासी आधार है. इस बार चुनाव में जिस तरह इंजीनियर राशिद और सज्जाद लोन ही नहीं बल्कि जमात-ए-इस्लामी और निर्दलीय भी चुनावी मैदान में उतरे हैं, उसके चलते नार्थ कश्मीर के इलाके का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है।

जम्मू-कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया देखने आए 16 देशों के राजनयिक, नाराज उमर बोले- यह अच्छा नहीं

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जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में मतदान हो रहा है। इसी बीच विदेशों से वरिष्ठ राजनयिकों का एक हाई लेवल डेलिगेशन जम्मू-कश्मीर पहुंचा, जो जम्मू-कश्मीर में चल रहे चुनाव की प्रक्रिया को देखने पहुंचे। इनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, मैक्सिको, गुयाना, दक्षिण कोरिया, सोमालिया, पनामा, सिंगापुर, नाइजीरिया, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, नॉर्वे, तंजानिया, रवांडा, अल्जीरिया समेत 16 देशों के राजनयिक जम्मू-कश्मीर दौरे पर हैं। लेकर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि यह बात अच्छी नहीं है।

विदेशी राजनायिकों के दौरे पर विवाद

जम्मू-कश्मीर में मतदान प्रक्रिया देखने के लिए आए विदेशी प्रतिनिधिमंडल के दौरे पर जेकेएनसी के उपाध्यक्ष और उम्मीदवार उमर अब्दुल्ला ने कहा, "मैं इसे समझ नहीं पा रहा हूं। जब वही लोग जम्मू-कश्मीर पर टिप्पणी करते हैं, तो भारत सरकार एक बयान जारी करती है कि जम्मू-कश्मीर हमारा आंतरिक मामला है और दूसरों को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। अगर आप हस्तक्षेप या उनकी टिप्पणियों को नहीं चाहते हैं, तो उन्हें यहां क्यों लाया जा रहा है?

उमर अब्दुल्ला ने उठाया सवाल

उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा कि सरकार ने पिछले 6-7 वर्षों में लोगों को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, लेकिन भारत सरकार सारा श्रेय चाहती है। अगर राजनयिकों को यहां लाया जा सकता है, तो विदेशी पत्रकारों को यहां आकर चुनाव कवर करने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है। राजनयिकों को गाइडेड टूरिस्ट के तौर पर यहां लाया जा रहा है। यह अच्छा नहीं है।

'वोट डालने के लिए यहां आए लोगों के बीच होना अद्भुत है'

श्रीनगर के बेमिना में एसडीए मतदान केंद्र पर भारत में दक्षिण कोरियाई दूतावास के डीसीएम लिम सांग वू कहते हैं, "मैं पहली बार यहां आया हूं। यह बहुत खूबसूरत है। वोट डालने के लिए यहां आए लोगों के बीच होना अद्भुत है। मैं वाकई जोश से भरा उत्साह देख रहा हूं और यह वास्तव में लोकतंत्र का काम है। इसलिए, बधाई। यह अच्छी तरह से आयोजित किया गया है। मैं छोटे बच्चों को उनके माता-पिता के साथ देखकर खुश था... मुझे लगता है कि वे अपने माता-पिता से यह सीखने आए हैं कि लोकतंत्र कैसे काम करता है। यह वाकई प्रभावशाली था..."

तंजानिया के राजनयिक ने क्या कहा?

श्रीनगर के बेमिना में एसडीए मतदान केंद्र पर तंजानिया के एक राजनयिक देव कहते हैं, "मैं देख रहा हूं कि लोग मतदान करने के लिए उत्साहित हैं और वे अपने साथ बच्चों को भी ला रहे हैं ताकि वे सीख सकें कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया क्या है, मैंने इस तरह की प्रथा पहले कभी नहीं देखी, यह मेरा पहला मौका है। इसलिए, यह बहुत अच्छा है। "

सिंगापुर राजनयिक ने क्या कहा?

श्रीनगर के बेमिना में SDM मतदान केंद्र पर, सिंगापुर हाईकमीशन की ऐलिस चेंग ने कहा कि संगठन सिंगापुर के से काफी मिलता-जुलता है. जहां आप लोगों के लिए इसे सरल बनाने के लिए सरकारी बिल्डिंग का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए, हम इस यात्रा के आयोजन के लिए विदेश मंत्रालय के शुक्रगुजार हैं. हम आएं और चल रहे मतदान को देखा

जम्मू-कश्मीर विस चुनावः दूसरे चरण में उमर अब्दुल्ला से लेकर रविंदर रैना तक की किस्मत दांव पर

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 6 जिलों की 26 विधानसभा सीटों पर वोटिंग सुबह 7 बजे से शुरू हो गई है। इसमें 25.78 लाख मतदाता शाम 6 बजे तक वोट डाल सकेंगे। सुबह 9 बजे तक 10.22 फीसदी वोटिंग हुई है। सबसे ज्यादा पूंछ में 14.41% वोटिंग हुई, जबकि श्रीनगर में सबसे कम 4.70% वोट डले। सेकेंड फेज की 26 सीटों में से 15 सीटें सेंट्रल कश्मीर और 11 सीटें जम्मू की हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक, दूसरे फेज में 239 कैंडिडेट्स मैदान में हैं। इनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उमर अब्दुल्ला और बीजेपी के रवींद्र रैना समेत पांच नेता ऐसे हैं, जिन पर हर किसी की नजर टिकी है।

दूसरे चरण के 5 चर्चित चेहरे

उमर अब्दुल्ला: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला बडगाम और गांदरबल सीट से चुनावी मैदान में हैं। साल 1977 से बेलगाम सीट पर मजबूत पकड़ रखने वाले उमर अब्दुल्ला के सामने इस बार सात उम्मीदवार हैं। बडगाम में उमर अब्दुल्ला के खिलाफ आगा सईद मुंतजिर मेहदी और आगा सईद अहमद मूसवी चुनाव लड़ रहे हैं। गांदरबल सीट की अगर हम बात करें तो, इस सीट को अब्दुल्ला परिवार का गढ़ बताया जाता है। इस सीट पर उमर अब्दुल्ला का मुकाबला पीडीपी नेता बशीर अहमद मीर और नेशनल पैंथर्स पार्टी के नेता अब्दुल राशिद समेत एक दर्जन से ज्यादा उम्मीदवारों से है।

रवींद्र रैना: जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रवींद्र रैना राजौरी सीट से चुनावी मैदान में हैं। इस सीट से 2014 के चुनाव में रवींद्र रैना ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में भी वह इसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। माना जा रहा है कि इस बार उनकी राहें मुश्किल होने वाली है। उनकी पार्टी के ही पूर्व नेता सुरिंदर चौधरी नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट से इस सीट पर उम्मीदवार हैं।

तारिक हमीद कर्रा: जम्मू-कश्मीर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा श्रीनगर की सेंट्रल शालटेंग सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर उनका मुकाबला पीडीपी नेता अब्दुल कयूम भट्ट और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के रियाज अहमद मीर और अपनी पार्टी के जफर हबीब डार से है। आपको बताते चलें, तारिक हामिद कभी महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी के साथ थे। लेकिन, बाद में वह पार्टी का दामन छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

सैय्यद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी: अल्ताफ बुखारी श्रीनगर की चन्नापुरा सीट से अपनी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनका टक्कर पीडीपी के मोहम्मद इकबाल ट्रंबो, नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुश्ताक गुरु और भाजपा के हिलाल अहमद वानी से है।

सरजन अहमद वागे उर्फ सरजन बरकती: सरजन अहमद वागे उर्फ सरजन बरकती इन दिनों जेल में बंद हैं। वह गांदरबल और बीरवाह सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। साल 2016 में आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद शोपियां और कुलगाम में विरोध रैली निकालने वालों में सरजन बरकती एक बड़ा चेहरा थे। उनपर अलगाववादी विचारधारा और भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगे हैं।

*Bengal outclass Nagaland by innings & 206 runs in Cooch Behar Trophy*

Sports News 

 

Khabar kolkata sports Desk: A dominant all-round performance powered Bengal Under-19 team to a stunning innings and 206-run victory over Nagaland in their Cooch Behar Trophy match in Sovima on Friday. 

After four back-to-back victories, Bengal, with 27 points, are on top of Elite Group B.

Debutant Soumyadip Manna (99), Vishal Bhati (6-2), Rohit (3-8, 2-13), Debangshu Pakhira (1-1, 2-17), debutant Shivamm Bharati (3-16) and Aditya Roy (64) were the star performers for Bengal.

After bowling out Nagaland for just 40, Bengal posted 305/7 decl. to bag a huge first innings lead.

Nagaland, in their second innings, were bundled out for 59 to hand a massive victory to the visitors in the morning of the second day. 

Bengal next face Jammu and Kashmir in their final group-stage match from December 6.

 Pic Courtesy by:CAB

*Bengal outclass J&K by 141 runs in Women’s U-15 One Day meet*

Sports News

Khabar kolkata sports Desk: Bengal displayed a brilliant all-round performance to outclass Jammu & Kashmir by 141 runs and begin their Women’s Under-15 One Day Trophy campaign on a winning note on Thursday.

Skipper Sandipta Patra (89 not out off 65), Ishita Saha (33), Nilanjana Barik (26), Snighda Bag (3-15), Ritu Gayen (2-6), Remondina Khatun (1-6), Aradhya Kumari Tiwary (1-8) and Debjani Das (1-12) were the star performers for Bengal.

Batting first, Bengal scored 212/6 in 35 overs. In reply, J&K were bundled out for just 71 in 22.5 overs.

Pic Courtesy by: CAB

370 అధికరణపై మోదీ స్ట్రాంగ్ వార్నింగ్

మహారాష్ట్ర అసెంబ్లీ ఎన్నికల ప్రచారంలో భాగంగా ధులేలో జరిగిన ఎన్నికల ర్యాలీలో మోదీ శుక్రవారంనాడు మాట్లాడుతూ, కాంగ్రెస్ పార్టీ పాకిస్థాన్ ఎజెండాను, కశ్మీర్‌లో వేర్పాటువాద భాషను ఇక్కడ కూడా ముందుకు తీసుకెళ్లే ప్రయత్నాలను ఓటర్లు తిప్పికొట్టాలన్నారు.

జమ్మూకశ్మీర్‌ (Jammu and Kashmir)లో కేంద్రం రద్దు చేసిన 370వ అధికరణ (Article 370)ను దేశంలోని ఏ శక్తి పునరుద్ధరించ లేదని ప్రధాన మంత్రి నరేంద్ర మోదీ (Narendra Modi) తెగేసి చెప్పారు. కేంద్ర పాలిత ప్రాంతంలో (జమ్మూకశ్మీర్) కాంగ్రెస్ పార్టీ కుట్రలను మహారాష్ట్ర ఓటర్లు గుర్తించాలని హెచ్చరించారు. మహారాష్ట్ర అసెంబ్లీ ఎన్నికల ప్రచారంలో భాగంగా ధులేలో జరిగిన ఎన్నికల ర్యాలీలో మోదీ శుక్రవారంనాడు మాట్లాడుతూ, కాంగ్రెస్ పార్టీ పాకిస్థాన్ ఎజెండాను, కశ్మీర్‌లో వేర్పాటువాద భాషను ఇక్కడ కూడా ముందుకు తీసుకెళ్లే ప్రయత్నాలను ఓటర్లు తిప్పికొట్టాలన్నారు. జమ్మూకశ్మీర్‌కు స్వయం ప్రతిపత్తిని కల్పించే 370వ అధికరణను తిరిగి పునరుద్ధరించాలంటూ రెండ్రోజుల క్రితం అక్కడి అధికార 'ఇండియా' కూటమి అసెంబ్లీలో తీర్మానం ఆమోదించిన నేపథ్యంలో మోదీ వ్యాఖ్యలు ప్రాధాన్యత సంతరించుకున్నాయి.

జమ్మూకశ్మీర్‌లో కాంగ్రెస్ కుట్రలను మహారాష్ట్ర ప్రజలు అవగాహన చేసుకోవాలని, 370వ అధికరణపై అక్కడి అసెంబ్లీ చేసిన తీర్మానాన్ని దేశం అంగీకరించిందని అన్నారు. ఏ శక్తి కూడా ఆ అధికరణను వెనక్కి తేలేదని స్పష్టం చేశారు. 370వ అధికరణకు మద్దతుగా అసెంబ్లీ వెలుపల బ్యానర్లు పెట్టారు. ఆ అధికరణను పునరుద్ధరించాలంటూ కాంగ్రెస్ కూటమి ఒక తీర్మానాన్ని ఆమోదించింది.. దీనిని దేశ ప్రజలు ఆమోదిస్తారా? ఈ ప్రయత్నాన్ని అడ్డుకునేందుకు బీజేపీ ఎమ్మెల్యేలు శక్తవంచన లేకుండా నిరసన తెలిపినప్పటికీ వారిని అసెంబ్లీ నుంచి బయటకు పంపించేశారు. కాంగ్రెస్ కూటమి నిజస్వరూపం ఏమిటో యావద్దేశం అవగాహన చేసుకోవాలి'' అని మోదీ అన్నారు.

370వ అధికరణను పునరుద్ధరించేందుకు దేశ ప్రజలు అంగీకరించరని, కశ్మీర్‌లో కాంగ్రెస్ పార్టీ ఆటలు మోదీ ఉన్నంత వరకూ సాగవని ప్రధాని అన్నారు. బీమ్‌రావ్ అంబేద్కర్ రాజ్యాంగం మాత్రమే అక్కడ నడుస్తుందని, ఏ శక్తీ 370వ అధికరణను వెనక్కి తేలేదని మరోసారి ఆయన స్పష్టం చేశారు. విపక్ష సభ్యలు తీవ్ర ప్రతిఘటన, నిరసనల మధ్య జమ్మూకశ్మీర్ అసెంబ్లీలో 370వ అధికరణను పునరుద్ధరించే తీర్మానాన్ని గత శుక్రవారంనాడు మూజువాణి ఓటుతో ఆమోదించారు.

दुनिया की कोई ताकत वापस नहीं ला सकती आर्टिकल 370”, महाराष्ट्र में बोले पीएम मोदी

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा के अंदर हाल ही में उमर अब्दुल्ला की सरकार ने धारा 370 बहाल करने से जुड़ा एक प्रस्ताव पास करवा लिया है। हालांकि विपक्ष इस पर लगातार हमलावर है और नौबत यहां तक आ गई कि विधानसभा स्पीकर को मार्शल भी बुलाने पड़ गए। जम्मू-कश्मीर में 370 बहाल करने को लेकर मचे बवाल के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ा बयान दिया है।पीएम मोदी ने कहा कि आर्टिकल 370 हटाना 21वीं सदी का सबसे बड़ा फैसला था। अब दुनिया की कोई भी ताकत जम्मू कश्मीर में 370 की वापसी नहीं करा सकती।

महाराष्ट्र में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचार की कमान संभाल ली है। शुक्रवार को उन्होंने विपक्ष को मात देने और सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के लिए वोट मांगने के लिए धुले में अपनी पहली सभा की। इस दौरान पीएम मोदी ने जम्मू कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस की गठबंधन सरकार पर बड़ा हमला बोला।

कश्मीर में कांग्रेस की साजिशें शुरू-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सरकार बनने के बाद कांग्रेस गठबंधन ने कश्मीर के खिलाफ अपनी साजिश शुरू कर दी है। उन्होंने कहा, कांग्रेस और इंडी गठबंधन को जैसे ही जम्मू-कश्मीर में अपनी सरकार बनाने का मौका मिला, तो उन्होंने कश्मीर के खिलाफ अपनी साजिशें शुरू कर दीं। कांग्रेस गठबंधन ने आर्टिकल 370 को बहाल करने के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया। विधानसभा के अंदर आर्टिकल 370 के समर्थन में बैनर लहराए गए। बीजेपी के विधायकों ने इसका विरोध किया है। बैनरों को विधानसभा के बाहर फेंक दिया गया। कांग्रेस जम्मू कश्मीर में बाबासाहेब का संविधान नहीं चाहती। कांग्रेस गठबंधन संविधान की झूठी किताब लहराता है।

कांग्रेस पाकिस्तान के एंजेडे को बढ़ावा देना बंद करे-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में सिर्फ बाबासाहेब का संविधान चलेगा। कांग्रेस पाकिस्तान के एंजेडे को बढ़ावा देना बंद करे। कांग्रेस कश्मीर को लेकर अलगाववादियों की भाषा न बोले। पीएम मोदी ने कहा कि आर्टिकल 370 हटाना 21वीं सदी का सबसे बड़ा फैसला था। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के मंसूबे कामयाब नहीं होंगे। दुनिया की कोई भी ताकत जम्मू कश्मीर में 370 की वापसी नहीं करा सकती।

4 पुश्तें भी आ जाएंगी तो भी 370 वापस नहीं होगा- शाह

वहीं, महाराष्ट्र के शिराला में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में 370 की बहाली को लेकर बड़ा बयान दिया। शाह ने कहा कि कांग्रेस जम्मू कश्मीर में 370 वापस लाना चाहती है। मैं कहता हूं कि 4 पुश्तें भी आ जाएंगी तो भी 370 वापस नहीं होगा।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 370 पर बवाल, सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों में हाथापाई, जमकर चले लात-घूंसे

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जम्मू कश्मीर विधानसभा में आज जबरदस्त हंगामा हो गया। विधानसभा सत्र के दौरान गुरुवार को अनुच्छेद 370 के बहाली के प्रस्ताव पर विधायकों के बीच जमकर हाथापाई हुई। सत्ता पक्ष और विपक्षी भाजपा के विधायकों ने एक-दूसरे का कॉलर पकड़ा और धक्कामुक्की की। सदन में हंगामे के बाद पहले विधानसभा की कार्यवाही 20 मिनट फिर कल तक के लिए स्थगित कर दी गई है।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बारामूला से लोकसभा सांसद इंजीनियर राशिद के भाई और लेंगेट से विधायक खुर्शीद अहमद शेख द्वारा अनुच्छेद 370 पर बैनर दिखाए। बैनर पर लिखा था, 'हम अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली और सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई चाहते हैं। विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने इस पर आपत्ति जताई। बैनर को देखकर भाजपा के विधायक भड़क गए। भाजपा विधायकों के विरोध का सिलसिला यहीं नहीं थमा। वे सदन के वेल से होते हुए खुर्शीद अहमद शेख के पास पहुंचे और उनके हाथ से बैनर छीन लिया। इस दौरान सज्जाद लोन और वहीद पारा और नेशनल कॉन्फ्रेंस के कुछ अन्य विधायक शेख के समर्थन में भाजपा विधायकों से भिड़ गए। दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की हुई।

हंगामे के बाद जम्मू कश्मीर विधानसभा में हंगामा और हाथापाई के बाद सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई। सदन स्थगित होने के बाद भी भाजपा सदस्यों ने अपना विरोध जारी रखा। जिसके बाद मार्शलों ने आर एस पठानिया सहित कई भाजपा विधायकों को सदन से बाहर निकाला। जिसके बाद सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई।

370 के बहाली के प्रस्ताव बीजेपी ने क्या कहा

अनुच्छेद 370 के बहाली के प्रस्ताव पर नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा ने कहा कि 370 के खिलाफ प्रस्ताव लाना असंवैधानिक है। वहीं, बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस पार्टी जम्मू और कश्मीर के अंदर पाकिस्तान के एजेंडे को चला रही है। 370 के खिलाफ प्रस्ताव लाना असंवैधानिक है।

वहीद पारा ने पेश किया प्रस्ताव, पर खारिज

अनुच्छेद 370 पर प्रस्ताव ने तीखी बहस की शुरुआत सोमवार को विधानसभा के उद्घाटन सत्र से ही हो गई थी। पुलवामा का प्रतिनिधित्व करने वाले पीडीपी नेता वहीद पारा ने शुरुआत में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे और राज्य के दर्जे को बहाल करने का प्रस्ताव पेश किया। यह कदम 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ उनकी पार्टी के रुख के अनुरूप था।

उमर अब्दुल्ला ने किया खारिज

हालांकि, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रस्ताव को 'प्रतीकात्मक' बताते हुए खारिज कर दिया, यह सुझाव देते हुए कि इसे वास्तविक इरादे से नहीं बल्कि जनता का ध्यान आकर्षित करने के लिए पेश किया गया था। उन्होंने तर्क दिया कि अगर इस मुद्दे को लेकर गंभीरता थी, तो नेशनल कॉन्फ्रेंस के परामर्श से प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए था।

जम्मू-कश्मीर के त्राल में एक और गैर कश्मीरी बना निशाना, एक हफ्ते में आतंकियों का तीसरा हमला

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जम्मू कश्मीर में दूसरे राज्यों से आकर काम करने वालों पर हमले का सिलसिला जारी है।इस बार आतंकियों ने पुलवामा में गैर कश्मीरी को निशाना बनाया है। गोली लगने से मजदूर घायल हो गया है। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उसकी हालत खतरे से बाहर है। गुरुवार सुबह आतंकवादियों की गोलीबारी में उत्तर प्रदेश का एक किशोर घायल हो गया। एक सप्ताह के भीतर कश्मीर में प्रवासी श्रमिकों पर यह तीसरा हमला है।

अधिकारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश के बिजनौर के रहने वाले 19 वर्षीय किशोर प्रीतम सिंह को त्राल के बटागुंड गांव में आतंकवादियों की गोलीबारी में हाथ में गोली लग गई। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उनकी हालत स्थिर है।

एक हफ्ते में तीसरा हमला

बता दें कि पिछले कुछ महीनों से आतंकवादी लगातार दूसरे राज्य से आकर यहां काम करने वालों को निशाना बना रहे हैं। उमर अब्दुल्ला सरकार के बनने के बाद ही आतंकियों ने इस तरह के दो हमले किए। 20 अक्टूबर की देर रात गांदरबल के गगनगीर इलाके में आतंकवादियों ने गैर कश्मीरियों पर गोलियों की बौछार कर दी थी। अंधाधुंध फायरिंग में टनल में काम करने वाले 6 लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा इस हमले में एक डॉक्टर की भी मौत हुई थी। इस हमले में 7 लोगों की मौत हुई थी।इसमें से अधिकतर बाहरी लोग थे।

इससे पहले 17 अक्टूबर को भी आतंकियों ने गैर स्थानीय व्यक्ति को निशाना बनाया था। शोपियां इलाके में आतंकवादियों ने एक गैर-स्थानीय व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मृतक की पहचान बिहार निवासी अशोक चौहान के रूप में हुई थी, जो इलाके में मकई बेचता था।

जम्मू-कश्मीर सरकार बनाने के बाद एनसी-कांग्रेस की नहीं चलने वाली, जानें गेंद किसके पाले?

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जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन की सरकार बनने वाली है।चुनाव के बाद विधानसभा का गठन होगा और वहां मंत्रीपरिषद शपथ लेंगी। आर्टिकल 370 खत्म करके इसका विशेष दर्जा खत्म किया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव हुआ था। मगर ये चुनाव एक राज्य में नहीं बल्कि केंद्रशासित प्रदेश में कराया गया। तो राज्य में अब सरकार बेशक कांग्रेस और कांफ्रेंस मिलकर बना लें लेकिन असल में सारी ताकत को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के पास होगी।

वर्ष 2019 में जम्मू कश्मीर की अंतिम राज्य सरकार भंग कर दी गई। वर्ष 1952 से चली आ रही ये सरकार देश की दूसरी राज्य सरकारों की तुलना में ज्यादा अधिकार रखती थी। राज्य को देश में आर्टिकल 370 के तहत स्पेशल दर्जा मिला हुआ था। 2019 में सबकुछ खत्म हो गया। राज्य दो केंद्रशासित टुकड़ों टूट गया- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। अब जबकि राज्य में चुनाव खत्म हो गया है और परिणाम के बाद राज्य की सत्ता पर कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस काबिज होने जा रहे हैं तो कहना चाहिए कि अब सबकुछ पिछली राज्य सरकारों जैसा नहीं होगा। नई राज्य सरकार काफी हद तक पॉवरलेस होगी. असल में राज्य में सुपर बॉस तो लेफ्टिनेंट गर्वनर ही होंगे।

जिस तरह दिल्ली में उप राज्यपाल की ताकत निर्वाचित सरकार से ज्यादा है, कुछ वैसा ही जम्मू-कश्मीर में भी देखने को मिलेगा। जम्मू कश्मीर को अभी भी पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं है और इसीलिए वहां गर्वनर नहीं हैं। जम्मू-कश्मीर अभी केंद्र शासित प्रदेश है और इस तरह वहां लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) काम करते रहेंगे और विधानसभा अगर कोई बिल पास करती है तो फिर उसे एलजी की सहमति लेनी होगी। इस तरह एलजी चाहें तो बिल को राष्ट्रपति को भी रेफर कर सकते हैं।

किन मामलों में उपराज्यपाल की चलेगी

कानून और व्यवस्था, सार्वजनिक व्यवस्था और पुलिस कामों सहित विभिन्न प्रशासनिक मामलों में केंद्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल का फैसला अंतिम होगा। मतलब ये है कि निर्वाचित विधानसभा के बावजूद एलजी दैनिक शासन को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विवेक का प्रयोग कर सकते हैं। कानून-व्यवस्था और पुलिस पर कंट्रोल पूरी तरह राज्यपाल के पास रहेगा। चूंकि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था को बाहर करने के लिए विधानसभा की विधायी शक्तियों में कटौती की गई है, इसलिए नई सरकार की कार्यकारी शक्तियां और क्षमता गंभीर रूप से कमजोर और समझौतापूर्ण हो जाएगी। ऐसी व्यवस्था केंद्र द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल को सर्वशक्तिमान बना देती है। राज्य में सब कुछ गृह विभाग के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसमें पुलिस, कानून और व्यवस्था, जेल, बंदीगृह आदि शामिल हैं।

केवल पुलिस जैसा अहम महकमा ही चुनी हुई सरकार के नियंत्रण से बाहर नहीं होगा।. यहां तक की पब्लिक ऑर्डर जिसका दायरा बहुत बड़ा होता है, वह भी सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। समवर्ती सूची में दिए गए मामले यानी वैसे विषय जिस पर केन्द्र और राज्य, दोनों को कानून बनाने का अधिकार है, उस पर भी जम्मू कश्मीर विधानसभा कानून नहीं बना पाएगी। ये सारी शक्तियां एलजी या उसके जरिये केंद्र को दे दी गई हैं।

मंत्रियों के कार्यक्रम या बैठकों के एजेंडे की सूचना एलजी को देनी होगी

जम्मू कश्मीर सरकार में मंत्री बनने वालों के अधिकार का अंदाजा इस से भी लगाया जा सकता है कि मंत्रियों के कार्यक्रम या फिर उनके बैठकों के एजेंडे एलजी ऑफिस को देने होंगे और यह कम से दो दिन पहले जमा करा देना होगा। इसके अलावा, भ्रष्टाचार के मामलों से निपटने के लिए बनी प्रदेश की ताकतवर एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो), जम्मू कश्मीर फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी और जेल जैसे अहम विभाग चुनी हुई सरकार के पास न होकर उपराज्यपाल के पास होंगे।

एलजी के फैसले की समीक्षा नहीं हो सकेगी

एलजी के राजनीतिक ताकत का अंदाजा जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून की धारा 55 से साफ हो जाता है। इसके मुताबिक उपराज्यपाल के फैसले की समीक्षा जम्मू कश्मीर की चुनी गई मंत्रिमंडल नहीं कर सकती। बात यहां तक होती तो भी कोई बात न थी पर एक ओर तो उपराज्यपाल के फैसले की समीक्षा विधानसभा नहीं कर सकती लेकिन इसी के थोड़ा आगे एक प्रावधान ऐसा भी जोड़ दिया गया है जहां एलजी का प्रतिनिधि प्रदेश सरकार की सभी कैबिनेट मीटिंग में बैठेगा।

राज्यपाल करेंगे 5 विधायकों को नोमिनेट

जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल के पास विधानसभा में 5 सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार है, जिनके पास विधायक की पूर्ण विधाई शक्तियां होंगी। ये विधानसभा के भीतर शक्ति संतुलन को बदल सकता है। विधानसभा के मनोनीत सदस्यों को वे सभी अधिकार और विशेषाधिकार प्राप्त होंगे, जिनके निर्वाचित सदस्य हकदार होंगे। उन्हें वोट देने का अधिकार है। अब केन्द्र की बीजेपी के सरकार के एलजी अगर किसी को नॉमिनेट करेंगे तो वह वोट किसे करेगा, यह वह भी बता देगा जिससे पूछा न गया हो। इसके अपावा ये पांच विधायक विधानसभा के कामकाज में भाग लेने का अधिकार है और सरकार के गठन में भूमिका का भी।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के तीसरे व आखिरी चरण के लिए कल होगी वोटिंग, जानें कहां-कितने कैंडिडेट

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जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के तीसरे और आखिरी चरण के लिए 1 अक्तूबर को मतदान होगा। सात जिलों की 40 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद हो रहे पहले चुनाव में लोगों का खीसा उत्साह देखा जा रहा है। अब तक दो चरणों के चुनाव में मतदाताओं में उत्साह देखने को मिला है। 18 सितंबर को पहले चरण में 61.38 फीसदी मतदान हुआ था, जबकि 26 सितंबर को दूसरे चरण में 57.31 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई। आखिरी चरण के मतदान के बाद 8 अक्तूबर को मतगणना होगी।

इस चरण के प्रचार के दौरान बीजेपी, कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के बीच पाकिस्तान, अनुच्छेद 370, आतंकवाद और आरक्षण सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर देखने को मिला। तीसरे चरण की जिन 40 सीटों पर चुनाव है, उसमें 24 सीटें जम्मू क्षेत्र की है तो 16 सीटें कश्मीर रीजन की है। इस अहम चरण में सात जिलों जम्मू संभाग के जम्मू, उधमपुर, सांबा और कठुआ तथा कश्मीर संभाग के बारामूला, बांदीपोरा और कुपवाड़ा की कुल 40 सीट के लिए मतदान होगा। इस चरण में पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद (कांग्रेस) और मुजफ्फर बेग सहित 415 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर है।

जम्मू संभाग की अधिकांश सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर है, कुछ जगह ही नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) है, किंतु कश्मीर की अधिकतर सीटों पर त्रिकोणीय या बहुकोणीय मुकाबला है। दिलचस्प यह भी है कि प्रदेश की राजनीति में भाजपा और कांग्रेस दोनों का भविष्य इसी चरण पर टिका है। इसी कारण इन दोनों दलों ने इन सीटों पर प्रचार में पूरा दम दिया। भाजपा के दिग्गज नेता समेत गृह मंत्री और प्रधानमंत्री ने भी चुनावी रैलियां कीं। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी ने पूरे चुनाव में जम्मू-कश्मीर में एक जनसभा की वह भी इसी चरण में। राहुल गांधी की भी रैलियां थीं और कांग्रेस अध्यक्ष भी आए।

उत्तर कश्मीर के इलाके में पीडीपी और नेशनल कॉफ्रेंस जैसी मुख्यधारा की राजनीतिक दलों के साथ-साथ अलगगावादियों का भी सियासी आधार है। सज्जाद लोन की पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और इंजीनियर राशिद की पार्टी एआईपी दोनों की शुरुआत कुपवाड़ा जिले से हुई। इसी इलाके में ही इनका सियासी आधार है. इस बार चुनाव में जिस तरह इंजीनियर राशिद और सज्जाद लोन ही नहीं बल्कि जमात-ए-इस्लामी और निर्दलीय भी चुनावी मैदान में उतरे हैं, उसके चलते नार्थ कश्मीर के इलाके का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है।

जम्मू-कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया देखने आए 16 देशों के राजनयिक, नाराज उमर बोले- यह अच्छा नहीं

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जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में मतदान हो रहा है। इसी बीच विदेशों से वरिष्ठ राजनयिकों का एक हाई लेवल डेलिगेशन जम्मू-कश्मीर पहुंचा, जो जम्मू-कश्मीर में चल रहे चुनाव की प्रक्रिया को देखने पहुंचे। इनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, मैक्सिको, गुयाना, दक्षिण कोरिया, सोमालिया, पनामा, सिंगापुर, नाइजीरिया, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, नॉर्वे, तंजानिया, रवांडा, अल्जीरिया समेत 16 देशों के राजनयिक जम्मू-कश्मीर दौरे पर हैं। लेकर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि यह बात अच्छी नहीं है।

विदेशी राजनायिकों के दौरे पर विवाद

जम्मू-कश्मीर में मतदान प्रक्रिया देखने के लिए आए विदेशी प्रतिनिधिमंडल के दौरे पर जेकेएनसी के उपाध्यक्ष और उम्मीदवार उमर अब्दुल्ला ने कहा, "मैं इसे समझ नहीं पा रहा हूं। जब वही लोग जम्मू-कश्मीर पर टिप्पणी करते हैं, तो भारत सरकार एक बयान जारी करती है कि जम्मू-कश्मीर हमारा आंतरिक मामला है और दूसरों को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। अगर आप हस्तक्षेप या उनकी टिप्पणियों को नहीं चाहते हैं, तो उन्हें यहां क्यों लाया जा रहा है?

उमर अब्दुल्ला ने उठाया सवाल

उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा कि सरकार ने पिछले 6-7 वर्षों में लोगों को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, लेकिन भारत सरकार सारा श्रेय चाहती है। अगर राजनयिकों को यहां लाया जा सकता है, तो विदेशी पत्रकारों को यहां आकर चुनाव कवर करने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है। राजनयिकों को गाइडेड टूरिस्ट के तौर पर यहां लाया जा रहा है। यह अच्छा नहीं है।

'वोट डालने के लिए यहां आए लोगों के बीच होना अद्भुत है'

श्रीनगर के बेमिना में एसडीए मतदान केंद्र पर भारत में दक्षिण कोरियाई दूतावास के डीसीएम लिम सांग वू कहते हैं, "मैं पहली बार यहां आया हूं। यह बहुत खूबसूरत है। वोट डालने के लिए यहां आए लोगों के बीच होना अद्भुत है। मैं वाकई जोश से भरा उत्साह देख रहा हूं और यह वास्तव में लोकतंत्र का काम है। इसलिए, बधाई। यह अच्छी तरह से आयोजित किया गया है। मैं छोटे बच्चों को उनके माता-पिता के साथ देखकर खुश था... मुझे लगता है कि वे अपने माता-पिता से यह सीखने आए हैं कि लोकतंत्र कैसे काम करता है। यह वाकई प्रभावशाली था..."

तंजानिया के राजनयिक ने क्या कहा?

श्रीनगर के बेमिना में एसडीए मतदान केंद्र पर तंजानिया के एक राजनयिक देव कहते हैं, "मैं देख रहा हूं कि लोग मतदान करने के लिए उत्साहित हैं और वे अपने साथ बच्चों को भी ला रहे हैं ताकि वे सीख सकें कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया क्या है, मैंने इस तरह की प्रथा पहले कभी नहीं देखी, यह मेरा पहला मौका है। इसलिए, यह बहुत अच्छा है। "

सिंगापुर राजनयिक ने क्या कहा?

श्रीनगर के बेमिना में SDM मतदान केंद्र पर, सिंगापुर हाईकमीशन की ऐलिस चेंग ने कहा कि संगठन सिंगापुर के से काफी मिलता-जुलता है. जहां आप लोगों के लिए इसे सरल बनाने के लिए सरकारी बिल्डिंग का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए, हम इस यात्रा के आयोजन के लिए विदेश मंत्रालय के शुक्रगुजार हैं. हम आएं और चल रहे मतदान को देखा

जम्मू-कश्मीर विस चुनावः दूसरे चरण में उमर अब्दुल्ला से लेकर रविंदर रैना तक की किस्मत दांव पर

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 6 जिलों की 26 विधानसभा सीटों पर वोटिंग सुबह 7 बजे से शुरू हो गई है। इसमें 25.78 लाख मतदाता शाम 6 बजे तक वोट डाल सकेंगे। सुबह 9 बजे तक 10.22 फीसदी वोटिंग हुई है। सबसे ज्यादा पूंछ में 14.41% वोटिंग हुई, जबकि श्रीनगर में सबसे कम 4.70% वोट डले। सेकेंड फेज की 26 सीटों में से 15 सीटें सेंट्रल कश्मीर और 11 सीटें जम्मू की हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक, दूसरे फेज में 239 कैंडिडेट्स मैदान में हैं। इनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उमर अब्दुल्ला और बीजेपी के रवींद्र रैना समेत पांच नेता ऐसे हैं, जिन पर हर किसी की नजर टिकी है।

दूसरे चरण के 5 चर्चित चेहरे

उमर अब्दुल्ला: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला बडगाम और गांदरबल सीट से चुनावी मैदान में हैं। साल 1977 से बेलगाम सीट पर मजबूत पकड़ रखने वाले उमर अब्दुल्ला के सामने इस बार सात उम्मीदवार हैं। बडगाम में उमर अब्दुल्ला के खिलाफ आगा सईद मुंतजिर मेहदी और आगा सईद अहमद मूसवी चुनाव लड़ रहे हैं। गांदरबल सीट की अगर हम बात करें तो, इस सीट को अब्दुल्ला परिवार का गढ़ बताया जाता है। इस सीट पर उमर अब्दुल्ला का मुकाबला पीडीपी नेता बशीर अहमद मीर और नेशनल पैंथर्स पार्टी के नेता अब्दुल राशिद समेत एक दर्जन से ज्यादा उम्मीदवारों से है।

रवींद्र रैना: जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रवींद्र रैना राजौरी सीट से चुनावी मैदान में हैं। इस सीट से 2014 के चुनाव में रवींद्र रैना ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में भी वह इसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। माना जा रहा है कि इस बार उनकी राहें मुश्किल होने वाली है। उनकी पार्टी के ही पूर्व नेता सुरिंदर चौधरी नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट से इस सीट पर उम्मीदवार हैं।

तारिक हमीद कर्रा: जम्मू-कश्मीर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा श्रीनगर की सेंट्रल शालटेंग सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर उनका मुकाबला पीडीपी नेता अब्दुल कयूम भट्ट और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के रियाज अहमद मीर और अपनी पार्टी के जफर हबीब डार से है। आपको बताते चलें, तारिक हामिद कभी महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी के साथ थे। लेकिन, बाद में वह पार्टी का दामन छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

सैय्यद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी: अल्ताफ बुखारी श्रीनगर की चन्नापुरा सीट से अपनी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनका टक्कर पीडीपी के मोहम्मद इकबाल ट्रंबो, नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुश्ताक गुरु और भाजपा के हिलाल अहमद वानी से है।

सरजन अहमद वागे उर्फ सरजन बरकती: सरजन अहमद वागे उर्फ सरजन बरकती इन दिनों जेल में बंद हैं। वह गांदरबल और बीरवाह सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। साल 2016 में आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद शोपियां और कुलगाम में विरोध रैली निकालने वालों में सरजन बरकती एक बड़ा चेहरा थे। उनपर अलगाववादी विचारधारा और भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगे हैं।