पहाड़ों पर बर्फबारी, हजारों सैलानी फंसे, सड़कों पर लगा लंबा जाम

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पहाड़ों पर खूब बर्फबारी हो रही है। कश्मीर से लेकर हिमाचल प्रदेश-उत्तराखंड तक बर्फ की चादर बिछ चुकी है। नए साल से पहले बड़ी संख्या में पर्यटक कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में बर्फबारी का मजा लेने पहुंचे है। हिमाचल में शुक्रवार सुबह से रुक-रुक कर हिमपात व वर्षा का क्रम जारी रहा। रोहतांग, शिंकुला व बारालाचा दर्रे में दो-दो फीट हिमपात हुआ जबकि मनाली में ओले गिरे हैं। कुफरी व नारकंडा में करीब दो से तीन इंच, जबकि चौपाल के कई क्षेत्रों में चार से पांच इंच तक हिमपात दर्ज किया है। बर्फबारी के चलते भीषण जाम लग रहा है। हजारों की संख्या में लोग जाम में फंस गए हैं।

बर्फबारी के चलते सड़क पर फिसलन बढ़ गई है, जिसके चलते ऐतिहातन वाहनों की आवाज आई बंद कर दी गई है। पर्यटन नगरी मनाली के साथ लगते पलचान, सोलंगनाला और अटल टनल की ओर शाम से बर्फबारी भारी बर्फबारी हो रही है। इसके चलते सोलंगनाला की ओर घूमने गए सैलानियों के वाहन फंस गए हैं।

हिमपात के कारण अटल टनल रोहतांग पर्यटकों के लिए बंद कर दी है। लाहुल घाटी में हिमपात के कारण बस सेवा बंद हो गई है। कल्पा में तीन, कुफरी में दो, मनाली में पांच, शिमला, ऊना, नाहन व कांगड़ा में दो-दो, जुब्बड़हट्टी व डलहौजी में तीन-तीन मिलीमीटर वर्षा हुई है।

मौसम विभाग की ओर से आज बारिश और बर्फबारी को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। लाहौल और स्पीति, किन्नौर, शिमला मंडी, कांगड़ा और चंबा के कई हिस्सों में बर्फबारी, जबकि निचले हिस्सों में बारिश की संभावना जताई गई। वहीं बर्फबारी के बाद ठंड में भी इजाफा हुआ है। मौसम विभाग ने आगामी दो दिन के लिए पर्यटकों को जोखिम वाले व हिमस्खलन संभावित स्थानों का रुख न करने को कहा है। विभाग ने अगले 24 घंटे के दौरान कुल्लू, शिमला व मंडी में हिमपात, सोलन, ऊना व बिलासपुर में ओले पड़ने की संभावना जताई है।

మూడు సార్లు భూకంపం

ఈరోజు తెల్లవారుజామున హిమాచల్ ప్రదేశ్‌లో భూమి కంపించింది. మండి నగరంలో ఒకదాని తర్వాత ఒకటిగా మూడు సార్లు భూకంపం సంభవించింది. భూకంప తీవ్రత తక్కువగా ఉన్నప్పటికీ వరుసగా మూడు సార్లు ప్రకంపనలు రావడంతో ప్రజల్లో భయాందోళన వాతావరణం నెలకొంది.

హిమాచల్ ప్రదేశ్‌(Himachal Pradesh)లోని మండి జిల్లాలో ఈరోజు తెల్లవారుజామున భారీ భూకంపం (Earthquake) సంభవించింది. ఈ కారణంగా ప్రజలు ఇళ్ల నుంచి బయటకు పరుగులు తీశారు. భూకంప తీవ్రత రిక్టర్ స్కేలుపై 3.3గా నమోదైంది. దీని కేంద్రం భూమికి 5 కిలోమీటర్ల దిగువన ఉంది. తెల్లవారుజామున 2:30 గంటల ప్రాంతంలో చాలా మంది గాఢ నిద్రలో ఉన్న సమయంలో ఈ ఘటన జరిగింది. మండి నగరాన్ని భూకంపం తాకింది. ఆ క్రమంలో ఒకదాని తర్వాత ఒకటిగా 3 బలమైన ప్రకంపనలు వచ్చాయి. ప్రకంపనల తర్వాత, ప్రజలు పిల్లలు, కుటుంబాలతో సహా వీధుల్లోకి వచ్చారు.

మూడు సార్లు భూకంపం

ఈరోజు తెల్లవారుజామున హిమాచల్ ప్రదేశ్‌లో భూమి కంపించింది. మండి నగరంలో ఒకదాని తర్వాత ఒకటిగా మూడు సార్లు భూకంపం సంభవించింది. భూకంప తీవ్రత తక్కువగా ఉన్నప్పటికీ వరుసగా మూడు సార్లు ప్రకంపనలు రావడంతో ప్రజల్లో భయాందోళన వాతావరణం నెలకొంది.

హిమాచల్ ప్రదేశ్‌(Himachal Pradesh)లోని మండి జిల్లాలో ఈరోజు తెల్లవారుజామున భారీ భూకంపం (Earthquake) సంభవించింది. ఈ కారణంగా ప్రజలు ఇళ్ల నుంచి బయటకు పరుగులు తీశారు. భూకంప తీవ్రత రిక్టర్ స్కేలుపై 3.3గా నమోదైంది. దీని కేంద్రం భూమికి 5 కిలోమీటర్ల దిగువన ఉంది. తెల్లవారుజామున 2:30 గంటల ప్రాంతంలో చాలా మంది గాఢ నిద్రలో ఉన్న సమయంలో ఈ ఘటన జరిగింది. మండి నగరాన్ని భూకంపం తాకింది. ఆ క్రమంలో ఒకదాని తర్వాత ఒకటిగా 3 బలమైన ప్రకంపనలు వచ్చాయి. ప్రకంపనల తర్వాత, ప్రజలు పిల్లలు, కుటుంబాలతో సహా వీధుల్లోకి వచ్చారు.

दिल्ली का हिमाचल भवन होगा कुर्क, जानें हाईकोर्ट के फैसले से कैसे बढ़ी सुक्खू सरकार की परेशानी

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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दिल्ली के 27 सिकंदरा रोड मंडी हाउस स्थित हिमाचल भवन को अटैच करने का आदेश दिया है। यह आदेश इसलिए दिया गया है क्योंकि सुखविंदर सिंह सुक्खू हाइड्रो प्रोजेक्ट लगाने वाली एक कंपनी को 64 करोड़ रुपये नहीं लौटा पाई। सुक्खू सरकार को हाईकोर्ट ने ये राशि चुकाने का आदेश दिया था। लेकिन सरकार ने हाईकोर्ट का ये आदेश नहीं माना।यह रकम अब ब्याज सहित 150 करोड़ रुपये के करीब पहुंच चुकी है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने पारित किया, जिससे प्रदेश सरकार के हाथ-पांव फूल गए हैं और सचिवालय में हलचल मच गई है।

कोर्ट ने ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव को इस बात की तथ्यात्मक जांच करने का आदेश भी दिया कि किस विशेष अधिकारी अथवा अधिकारियों की चूक के कारण 64 करोड़ रुपये की सात प्रतिशत ब्याज सहित अवॉर्ड राशि कोर्ट में जमा नहीं की गई है। कोर्ट ने कहा कि दोषियों का पता लगाना इसलिए आवश्यक है क्योंकि ब्याज को दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों से व्यक्तिगत रूप से वसूलने का आदेश दिया जाएगा।

कोर्ट ने 15 दिन के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट अगली तिथि को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश भी दिया। मामले पर सुनवाई छह दिसंबर को होगी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 13 जनवरी 2023 को प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता की ओर से जमा किए गए 64 करोड़ रुपये के अग्रिम प्रीमियम को याचिका दायर करने की तिथि से इसकी वसूली तक सात प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित वापस करने का निर्देश दिया था।

सुक्खू सरकार एक गंभीर संकट

हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार के लिए यह निर्णय एक गंभीर संकट का संकेत है, क्योंकि अदालत ने बिजली कंपनी को न केवल अपनी रकम वसूलने के लिए हिमाचल भवन को नीलाम करने का आदेश दिया है, बल्कि प्रारंभिक प्रीमियम के मामले में पार्षद और अधिकारियों की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाए हैं। अदालत ने आदेश दिया है कि प्रधान सचिव बिजली इस मामले की फैक्ट फाइंडिंग जांच करें और यह पता लगाएं कि कौन से अधिकारी जिम्मेदार थे जिन्होंने वक्त पर रकम नहीं जमा की। अदालत ने यह भी कहा कि ब्याज की रकम उन जिम्मेदार अधिकारियों से वसूली जाए।

क्या है मामला?

यह मामला सेली हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट से जुड़ा है, जिसे मोजर बीयर कंपनी को लाहुल स्पीति में चिनाब नदी पर 400 मेगावाट के हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए दिया गया था। लेकिन परियोजना नहीं लग पाई और मामला आर्बिट्रेशन में चला गया, जहां कंपनी के पक्ष में फैसला आया। आर्बिट्रेटर ने 64 करोड़ रुपये के प्रीमियम के भुगतान का आदेश दिया, लेकिन सरकार ने समय पर यह रकम जमा नहीं की, जिससे ब्याज सहित रकम बढ़कर लगभग 150 करोड़ रुपये हो गई। अदालत ने पहले ही सरकार को आदेश दिया था कि वह रकम जमा करे, लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज किया। इस कारण हिमाचल भवन को अटैच करने का आदेश दिया गया और अब नीलामी की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने अपनाया “योगी मॉडल”, रेहड़ी-पटरी वालों को लगानी होगी नाम और फोटो ID

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हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की राह पर चलती दिख रही है।शिमला से शुरू हुई मस्जिद विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मस्जिद विवाद के साथ सड़क किनारे बैठे बाहरी लोगों को लेकर भी आन्दोलन हों रहे हैं। इसी बीच हिमाचल प्रदेश में भी हर भोजनालय और फास्टफूड रेड़ी पर ओनर की आईडी लगाने का फैसला लिया गया है। यह बात हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कही।

हिमाचल सरकार ने आज बुधवार को नई स्ट्रीट वेंडर पॉलिसी तैयार की है। शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने शिमला के एमएलए मेयर और व्यापार मंडल के साथ बैठक की। बैठक में 2014 की केन्द्र की स्ट्रीट वेंडर नीति को लागू करने की चर्चा के आलावा चयनित जगह में जरूरतमंद लोगों को प्राथमिकता देने पर बल दिया गया। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि शिमला में 1060 स्ट्रीट वेंडर पंजीकृत हैं। इसके अलावा 540 लोग ऐसे ही बैठें हैं। इसमें कमेटी देखेगी की नियमों के तहत कहां किसको जगह देनी है।

नई पॉलिसी के तहत अब हिमाचल प्रदेश में रेहड़ी, पटरी और होटल वालों को अपनी आईडी दिखानी होगी। नई पॉलिसी के तहत खाने-पीने की चीज बेचने वालों को अब अपनी नेमप्लेट लगानी होगी। साथ ही आईडी कार्ड भी दिखाना होगा. हर तरह के वेंडर को अपना नाम और फोटो पहचान दिखाना होगा। इन सभी का रजिस्ट्रेशन भी किया जाएगा. स्ट्रीट वेंडिग कमेटी की ओर से आईडी कार्ड जारी किए जाएंगे। ये सारी प्रक्रिया 30 दिसंबर तक पूरी कर ली जाएगी।

विक्रमादित्य सिंह यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्वच्छ भोजन बेचा जाए, सभी स्ट्रीट वेंडर्स के लिए एक निर्णय लिया गया है. लोगों ने बहुत सारी चिंताएं और आशंकाएं व्यक्त की थी और जिस तरह से उत्तर प्रदेश में रेहड़ी-पटरी वालों के लिए यह अनिवार्य किया गया है कि उनको अपना नाम-आईडी लगानी होगी।

हिमाचल में कर्मचारियों को नहीं मिली सैलरी ना ही पेंशन, जानें क्यों गहराया आर्थिक संकट?

#himachalpradesheconomic_crisis

कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश भारी आर्थिक संकट में फंस गया है। आर्थिक संकट इतना गहरा गया है कि 2 लाख कर्मचारी सितम्बर महीने में अपनी सैलरी का इंतजार कर रहे हैं। राज्य के पेंशनर भी अपनी पेंशन से वंचित हैं।राज्य के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब सरकारी कर्मचारियों का वेतन महीने की पहली तारीख को नहीं मिला। माना जा रहा है कि कर्मचारियों को वेतन के लिए 5 सितंबर तक का इंतजार करना होगा।केंद्र सरकार से राजस्व घाटा अनुदान के 490 करोड़ रुपए मिलने के बाद ही वेतन और पेंशन का भुगतान होगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के 2 लाख कर्मचारियों और 1.5 लाख पेंशनरों को अगस्त महीने की सैलरी सितम्बर माह के 3 दिन होने के बाद भी नहीं मिली है। सामान्यतः हर महीने की 1 तारीख को आने वाली सैलरी और पेंशन सितम्बर माह में नहीं आई। 1 तारीख को रविवार होने के कारण इसे बैंकिंग व्यवस्था में देरी मानी गई। कर्मचारियों और पेंशनरों को आश्चर्य तब हुआ जब उन्हें 2 तारीख को पैसा भी नहीं मिला, इस दिन सोमवार था और बैंक खुले थे। बताया गया है कि सैलरी और पेंशन में देरी सरकार की आर्थिक स्थिति के कारण हुई है।

आर्थिक संकट पैदा क्यों हो गया है?

हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट की चर्चा इन दिनों पूरे देश भर में हो रही है। ऐसे में हर किसी के मन में यह सवाल है कि राज्य में ऐसा आर्थिक संकट पैदा क्यों हो गया है? इसके पीछे की वजह देखें, तो रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में टेपर फॉर्मूला की वजह से राज्य सरकार को नुकसान हो रहा है। इस फॉर्मूले के मुताबिक, केंद्र से मिलने वाली ग्रांट हर महीने कम होती है। इसके अलावा, लोन लिमिट में भी कटौती की गई है। साल 2024-25 में रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में 1 हजार 800 करोड़ रुपये की कटौती हुई। आने वाले समय में यह परेशानी और भी ज्यादा बढ़ेगी।

ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली भी बनी वजह

आर्थिक हालत खराब होने की एक और वजह ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली भी है। इसकी वजह से नई पेंशन स्कीम के राज्य के कंट्रीब्यूशन के कारण मिलने वाला 2 हजार करोड़ का लोन भी राज्य सरकार को अब नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह से भी राज्य के खजाने पर बोझ आ गया है।

कैसे बिगड़ा बैलेंस?

हिमाचल की बदहाल आर्थिक स्थिति इसके 2024-25 के बजट से समझी जा सकती है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ₹58,444 करोड़ का बजट सुक्खू सरकार ने पेश किया था। इस बजट में भी सरकार का राजकोषीय घाटा (सरकार की आय और खर्चे के बीच का अंतर, जिसे कर्ज लेकर पूरा किया जाता है) ₹10,784 करोड़ है।

इस बजट का बड़ा हिस्सा तो केवल पुराने कर्जा चुकाने और राज्य के कर्मचारियों की पेंशन और तनख्वाह देने में ही चला जाएगा। इस बजट में से ₹5479 करोड़ का खर्च पुराने कर्ज चुकाने, ₹6270 करोड़ का खर्च पुराने कर्ज का ब्याज देने में करेगी। यानी पुराने कर्जों के ही चक्कर बजट का लगभग 20% हिस्सा चला जाएगा।

इसके अलावा सुक्खू सरकार तनख्वाह और पेंशन पर ₹27,208 करोड़ खर्च करेगी। इस हिसाब से देखा जाए तो ₹38,957 का खर्च तो केवल कर्ज, ब्याज, तनख्वाह और पेंशन पर ही हो आएगा। यह कुल बजट का लगभग 66% है। अगर नए कर्ज को हटा दें तो यह हिमाचल के कुल बजट का 80% तक पहुँच जाता है। यानी राज्य को बाकी खर्चे करने की स्वतंत्रता ही नहीं है।

हिमाचल प्रदेश 2024-25 में लगभग ₹1200 करोड़ सब्सिडी पर भी खर्च करने वाला है। यह धनराशि सामान्य तौर पर छोटी लग सकती है, लेकिन आर्थिक संकट में फंसे हिमाचल के लिए यह भी भारी पड़ रही है। इस सब्सिडी में सबसे बड़ा खर्चा बिजली सब्सिडी का है।

अभी कम नहीं होने वाली है मुश्किलें

बता दें कि हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को हर महीने वेतन देने के लिए राज्य सरकार को 1 हजार 200 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इसी तरह पेंशन देने के लिए हर महीने 800 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च होती है।कुल-मिलाकर यह खर्च 2 हजार करोड़ रुपये बनता है। वहीं, हिमाचल प्रदेश सरकार के पास इस वित्त वर्ष में दिसंबर तक लोन लिमिट 6 घर 200 करोड़ रुपये है। इनमें से 3 हजार 900 करोड़ रुपये लोन लिया जा चुका है। अब सिर्फ 2 हजार 300 करोड़ की लिमिट बची है। इसी से राज्य सरकार को दिसंबर महीने तक का काम चलाना है।

दिसंबर से लेकर मार्च तक वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही के लिए केंद्र से अलग लोन लिमिट सैंक्शन होगी। ऐसे में राज्य सरकार के समक्ष अब सितंबर के बाद अक्टूबर और नवंबर महीने का वेतन और पेंशन देने के लिए भी कठिनाई होगी।

हिमाचल में कर्मचारियों को नहीं मिली सैलरी ना ही पेंशन, जानें क्यों गहराया आर्थिक संकट?*
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कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश भारी आर्थिक संकट में फंस गया है। आर्थिक संकट इतना गहरा गया है कि 2 लाख कर्मचारी सितम्बर महीने में अपनी सैलरी का इंतजार कर रहे हैं। राज्य के पेंशनर भी अपनी पेंशन से वंचित हैं।राज्य के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब सरकारी कर्मचारियों का वेतन महीने की पहली तारीख को नहीं मिला। माना जा रहा है कि कर्मचारियों को वेतन के लिए 5 सितंबर तक का इंतजार करना होगा।केंद्र सरकार से राजस्व घाटा अनुदान के 490 करोड़ रुपए मिलने के बाद ही वेतन और पेंशन का भुगतान होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के 2 लाख कर्मचारियों और 1.5 लाख पेंशनरों को अगस्त महीने की सैलरी सितम्बर माह के 3 दिन होने के बाद भी नहीं मिली है। सामान्यतः हर महीने की 1 तारीख को आने वाली सैलरी और पेंशन सितम्बर माह में नहीं आई। 1 तारीख को रविवार होने के कारण इसे बैंकिंग व्यवस्था में देरी मानी गई। कर्मचारियों और पेंशनरों को आश्चर्य तब हुआ जब उन्हें 2 तारीख को पैसा भी नहीं मिला, इस दिन सोमवार था और बैंक खुले थे। बताया गया है कि सैलरी और पेंशन में देरी सरकार की आर्थिक स्थिति के कारण हुई है। *आर्थिक संकट पैदा क्यों हो गया है?* हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट की चर्चा इन दिनों पूरे देश भर में हो रही है। ऐसे में हर किसी के मन में यह सवाल है कि राज्य में ऐसा आर्थिक संकट पैदा क्यों हो गया है? इसके पीछे की वजह देखें, तो रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में टेपर फॉर्मूला की वजह से राज्य सरकार को नुकसान हो रहा है। इस फॉर्मूले के मुताबिक, केंद्र से मिलने वाली ग्रांट हर महीने कम होती है। इसके अलावा, लोन लिमिट में भी कटौती की गई है। साल 2024-25 में रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में 1 हजार 800 करोड़ रुपये की कटौती हुई। आने वाले समय में यह परेशानी और भी ज्यादा बढ़ेगी। *ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली भी बनी वजह* आर्थिक हालत खराब होने की एक और वजह ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली भी है। इसकी वजह से नई पेंशन स्कीम के राज्य के कंट्रीब्यूशन के कारण मिलने वाला 2 हजार करोड़ का लोन भी राज्य सरकार को अब नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह से भी राज्य के खजाने पर बोझ आ गया है। *कैसे बिगड़ा बैलेंस?* हिमाचल की बदहाल आर्थिक स्थिति इसके 2024-25 के बजट से समझी जा सकती है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ₹58,444 करोड़ का बजट सुक्खू सरकार ने पेश किया था। इस बजट में भी सरकार का राजकोषीय घाटा (सरकार की आय और खर्चे के बीच का अंतर, जिसे कर्ज लेकर पूरा किया जाता है) ₹10,784 करोड़ है। इस बजट का बड़ा हिस्सा तो केवल पुराने कर्जा चुकाने और राज्य के कर्मचारियों की पेंशन और तनख्वाह देने में ही चला जाएगा। इस बजट में से ₹5479 करोड़ का खर्च पुराने कर्ज चुकाने, ₹6270 करोड़ का खर्च पुराने कर्ज का ब्याज देने में करेगी। यानी पुराने कर्जों के ही चक्कर बजट का लगभग 20% हिस्सा चला जाएगा। इसके अलावा सुक्खू सरकार तनख्वाह और पेंशन पर ₹27,208 करोड़ खर्च करेगी। इस हिसाब से देखा जाए तो ₹38,957 का खर्च तो केवल कर्ज, ब्याज, तनख्वाह और पेंशन पर ही हो आएगा। यह कुल बजट का लगभग 66% है। अगर नए कर्ज को हटा दें तो यह हिमाचल के कुल बजट का 80% तक पहुँच जाता है। यानी राज्य को बाकी खर्चे करने की स्वतंत्रता ही नहीं है। हिमाचल प्रदेश 2024-25 में लगभग ₹1200 करोड़ सब्सिडी पर भी खर्च करने वाला है। यह धनराशि सामान्य तौर पर छोटी लग सकती है, लेकिन आर्थिक संकट में फंसे हिमाचल के लिए यह भी भारी पड़ रही है। इस सब्सिडी में सबसे बड़ा खर्चा बिजली सब्सिडी का है। *अभी कम नहीं होने वाली है मुश्किलें* बता दें कि हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को हर महीने वेतन देने के लिए राज्य सरकार को 1 हजार 200 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इसी तरह पेंशन देने के लिए हर महीने 800 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च होती है।कुल-मिलाकर यह खर्च 2 हजार करोड़ रुपये बनता है। वहीं, हिमाचल प्रदेश सरकार के पास इस वित्त वर्ष में दिसंबर तक लोन लिमिट 6 घर 200 करोड़ रुपये है। इनमें से 3 हजार 900 करोड़ रुपये लोन लिया जा चुका है। अब सिर्फ 2 हजार 300 करोड़ की लिमिट बची है। इसी से राज्य सरकार को दिसंबर महीने तक का काम चलाना है। दिसंबर से लेकर मार्च तक वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही के लिए केंद्र से अलग लोन लिमिट सैंक्शन होगी। ऐसे में राज्य सरकार के समक्ष अब सितंबर के बाद अक्टूबर और नवंबर महीने का वेतन और पेंशन देने के लिए भी कठिनाई होगी।
IMD's orange flash flood warnings for Himachal Pradesh other states

The India Meteorological Department (IMD) has issued an ‘orange’ alert for Himachal Pradesh and other states as heavy rain continued northern India through the first two weeks of August. Earlier this week, the IMD predicted that heavy to extremely heavy rainfall would continue in parts of Himachal Pradesh till August 12

The weather agency issued the orange alert owing to heavy downpour in Himachal Pradesh, Uttarakhand, East Uttar Pradesh, East Madhya Pradesh, Meghalaya, Manipur, Mizoram, Nagaland and Tripura.

In its forecast, the IMD said heavy isolated rainfall will continue to lash Himachal Pradesh, Uttarakhand, and parts of Rajasthan till August 12, while moderate rainfall is expected to lash Jammu and Kashmir, Haryana, Punjab and Chandigarh on August 10The weather agency said heavy to extremely heavy rain will continue in Himachal Pradesh till Saturday, along with lightening and thunderstorms. An orange alert will remain in place in the state till August 12, and a yellow warning has been issued till August 15

The IMD also alerted of a low to moderate risk of flash floods in isolated areas of Mandi, Bilaspur, Solan, Sirmaur, Shimla, and Kullu districts through Saturday, news agency PTI reported.

The agency further sounded a warning of potential landslides in some regions, along with possible damage to plantations, crops, vulnerable structures, and kutcha houses due to waterlogging and strong winds in low lying areas in the state.

Earlier, on August 7, the IMD reported significant rainfall across the state, with Joginder Nagar in Mandi district experiencing the highest at 110 MM in 24 hours. The incessant downpour has affected daily life, making it challenging for residents and visitors alike. The cloudburst and flash floods that occurred on August 1 have affected the districts of Kullu, Mandi and Shimla.

Meanwhile, a yellow alert has been issued in Delhi for the next two days, with a forecast of moderate to heavy rainfall in the national capital till August 11. The weather office forecasted cloudy skies and moderate rains in Delhi NCR for Saturday, reported PTI

Heavy rainfall lashed parts of Delhi and NCR on Friday, leading to heavy waterlogging and traffic congestion in the evening. The Met office issued an 'orange' warning to "be prepared" after earlier putting the city in the 'green' zone for no warning or alert.

बादल फटने से हिमाचल प्रदेश के तीन जिलों में भारी तबाही, 30 से ज्यादा लोग लापता, एक शव बरामद

#himachal_cloudburst

हिमाचल प्रदेश में बादल फटने से भारी तबाही हुई है। कुल्लू के निरमंड ब्लॉक, कुल्लू के मलाणा और मंडी जिले में बादल फटे हैं। प्रदेश के तीन जिलों में बादल फटे हैं और अब तक कुल 30 लोग लापता। लगातार हो रही बारिश से कई पुल ढह रहे हैं, पहाड़ दरक रहे हैं। कई हाईवे तक क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिस कारण कई शहरों के रूट आपस में कट भी गए हैं। कुल्लू के निरमंड में बादल फटने के बाद बागी पुल के आसपास गाड़ियां और मकान बह गए हैं। वहीं, मनाली में ब्यास नदी ने फिर अपना रास्ता बदला है और हाईवे पर आ गई है और यहां पर आलू ग्राउंड में पानी भर गया है। इसी तरह चंडीगढ़ मनाली हाईवे जगह-जगह लैंडस्लाइड के चलते बंद है। 

बाढ़ में 7 लोग लापता

कुल्लू जिले के निरमंड में बादल फटने से एक ही परिवार के पांच लोगों सहित कुल 7 लोग पानी में बह गए हैं। यहां पर बारिश के बाद निरमंड के बागीपुल में 31 जुलाई की रात करीब एक बजे कुर्पन नदी ने बाढ़ आ गई। बाढ़ में 7 लोग लापता हो गए और दर्जनों गाड़ियां भी बह गई हैं। बाढ़ इतनी भयंकर थी कि अपने साथ पांच से ज्यादा मकानों को भी बहा ले गई। स्थानीय निवासी गुलवंत ठाकुर ने बताया कि बारिश और बाढ़ में यहां पर भयंकर तबाही हुई है।

चार मंजिला इमारत महज 7 सेकंड में पार्वती नदी में समाई

वहीं, कुल्लू के मलाणा इलाके का एक वीडियो सामने आया है। यहां देर रात भारी बारिश से पार्वती नदी इतने ऊफान पर आ गई कि न जाने कितने ही घर और गाड़ियां इसमें समा गईं। वीडियो में दिख रहा है कैसे एक चार मंजिला इमारत महज 7 सेकंड के अंदर पार्वती नदी में समा गई। बिल्डिंग कहां गई पता ही नहीं चला। कुल्लू जिले की बात करें तो यहां ब्यास और पार्वती नदियां डेंजर मार्क से भी ऊपर हैं। मलाणा गांव में बना पॉवर प्रोजेक्ट का डैम भी ओवर फ्लो हुआ है।

मंडी में नौ लोग लापता

मंडी के थलटूखोड़ में आधी रात बादल फटने से तबाही मच गई। यहां मकान ढहने की सूचना है। सड़क कनेक्टिविटी भी ठप हो गई है। मौके के लिए एसडीआरएफ समेत अन्य टीमें रवाना हो गई हैं। थलटूखोड़ पंचायत प्रधान कली राम ने बताया कि तेरंग और राजबन गांव में बादल फटने की घटना हुई है। घटना में कई लोग लापता है। तीन घर बहने की सूचना है। जानकारी मिली है कि पधर उपमंडल के थलटूखोड़ में बादल फटने की घटना में नौ लोग लापता हैं, एक शव बरामद किया गया है। जबकि 35 सुरक्षित हैं। मंडी जिला प्रशासन ने रेस्क्यू के लिए एयरफोर्स को अलर्ट किया है। मदद की जरूरत होने पर सेवाएं ली जाएंगी। एनडीआरएफ को भी मदद का निवेदन किया गया है।

जेपी नड्डा ने सीएम से की बात

हिमाचल प्रदेश के विभिन्न इलाक़ों में बादल फटने के कारण काफ़ी नुक़सान और जन जीवन अस्त व्यस्त होने के दुःखद समाचार पर जगत प्रकाश नड्डा ने हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखु से बात कर जानकारी ली और मोदी सरकार की तरफ़ से हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। नड्डा जी ने पूर्व मुख्यमंत्री और एलओपी जयराम ठाकुर और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से बात की और सभी भाजपा कार्यकर्ताओं को राहत कार्यों में लगने का निर्देश दिया।

क्या जाएगी कंगना रनौत की सांसदी? याचिका पर हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

#himachal_high_court_issues_notice_to_kangana_ranaut

बॉलीवुड एक्ट्रेस और बीजेपी सांसद कंगना रनौत को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है। दरअसल, कंगना की सांसदी के खिलाफ हिमाचल हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसके बाद हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ नोटिस जारी किया है।हाई कोर्ट ने कंगना से 21 अगस्त तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में किन्नौर के एक निवासी द्वारा याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर हाईकोर्ट ने मंडी लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद कंगना रनौत को नोटिस जारी किया है। याचिका में मंडी से सांसद कंगना के निर्वाचन को रद्द करने का अनुरोध करते हुए दलील दी गई है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि इस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए उसके नामांकन पत्र को कथित रूप से गलत तरीके से खारिज कर दिया गया था। नोटिस जारी करते हुए न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल ने रनौत को 21 अगस्त तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता लायक राम नेगी ने कंगना के खिलाफ याचिका दायर की है। इसमें उसने कोर्ट से कंगना के चुनाव को रद्द करने की मांग की है। नायक फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के पूर्व कर्मचारी हैं। उन्होंने समय से पहले वीआरएस मिल गई थी। नेगी का कहना है कि वह चुनाव लड़ना चाहता था लेकिन उसके नामांकन पत्र को मंडी के चुनाव अधिकारी ने गलत तरीके से खारिज कर दिया गया था। नेगी की दलील है कि अगर उनका नामांकन पत्र स्वीकार कर लिया जाता तो वो जीत जाते। याचिका में लायक राम नेगी ने कोर्ट से अपील की है कि कंगना के चुनाव को रद्द कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने मंडी सीट पर दोबारा चुनाव कराने की मांग की है।

कंगना ने लोकसभा चुनाव में हिमाचल के मंडी से जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार विक्रमादित्य सिंह को 74,755 वोट से हराया था। तीसरे नंबर पर बहुजन समाजवादी पार्टी के डॉ प्रकाश चंद्र भारद्वाज रहे थे। भारद्वाज को 4393 वोट मिले थे।

पहाड़ों पर बर्फबारी, हजारों सैलानी फंसे, सड़कों पर लगा लंबा जाम

#snowfall_rainfall_himachal_pradesh_uttarakhand

पहाड़ों पर खूब बर्फबारी हो रही है। कश्मीर से लेकर हिमाचल प्रदेश-उत्तराखंड तक बर्फ की चादर बिछ चुकी है। नए साल से पहले बड़ी संख्या में पर्यटक कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में बर्फबारी का मजा लेने पहुंचे है। हिमाचल में शुक्रवार सुबह से रुक-रुक कर हिमपात व वर्षा का क्रम जारी रहा। रोहतांग, शिंकुला व बारालाचा दर्रे में दो-दो फीट हिमपात हुआ जबकि मनाली में ओले गिरे हैं। कुफरी व नारकंडा में करीब दो से तीन इंच, जबकि चौपाल के कई क्षेत्रों में चार से पांच इंच तक हिमपात दर्ज किया है। बर्फबारी के चलते भीषण जाम लग रहा है। हजारों की संख्या में लोग जाम में फंस गए हैं।

बर्फबारी के चलते सड़क पर फिसलन बढ़ गई है, जिसके चलते ऐतिहातन वाहनों की आवाज आई बंद कर दी गई है। पर्यटन नगरी मनाली के साथ लगते पलचान, सोलंगनाला और अटल टनल की ओर शाम से बर्फबारी भारी बर्फबारी हो रही है। इसके चलते सोलंगनाला की ओर घूमने गए सैलानियों के वाहन फंस गए हैं।

हिमपात के कारण अटल टनल रोहतांग पर्यटकों के लिए बंद कर दी है। लाहुल घाटी में हिमपात के कारण बस सेवा बंद हो गई है। कल्पा में तीन, कुफरी में दो, मनाली में पांच, शिमला, ऊना, नाहन व कांगड़ा में दो-दो, जुब्बड़हट्टी व डलहौजी में तीन-तीन मिलीमीटर वर्षा हुई है।

मौसम विभाग की ओर से आज बारिश और बर्फबारी को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। लाहौल और स्पीति, किन्नौर, शिमला मंडी, कांगड़ा और चंबा के कई हिस्सों में बर्फबारी, जबकि निचले हिस्सों में बारिश की संभावना जताई गई। वहीं बर्फबारी के बाद ठंड में भी इजाफा हुआ है। मौसम विभाग ने आगामी दो दिन के लिए पर्यटकों को जोखिम वाले व हिमस्खलन संभावित स्थानों का रुख न करने को कहा है। विभाग ने अगले 24 घंटे के दौरान कुल्लू, शिमला व मंडी में हिमपात, सोलन, ऊना व बिलासपुर में ओले पड़ने की संभावना जताई है।

మూడు సార్లు భూకంపం

ఈరోజు తెల్లవారుజామున హిమాచల్ ప్రదేశ్‌లో భూమి కంపించింది. మండి నగరంలో ఒకదాని తర్వాత ఒకటిగా మూడు సార్లు భూకంపం సంభవించింది. భూకంప తీవ్రత తక్కువగా ఉన్నప్పటికీ వరుసగా మూడు సార్లు ప్రకంపనలు రావడంతో ప్రజల్లో భయాందోళన వాతావరణం నెలకొంది.

హిమాచల్ ప్రదేశ్‌(Himachal Pradesh)లోని మండి జిల్లాలో ఈరోజు తెల్లవారుజామున భారీ భూకంపం (Earthquake) సంభవించింది. ఈ కారణంగా ప్రజలు ఇళ్ల నుంచి బయటకు పరుగులు తీశారు. భూకంప తీవ్రత రిక్టర్ స్కేలుపై 3.3గా నమోదైంది. దీని కేంద్రం భూమికి 5 కిలోమీటర్ల దిగువన ఉంది. తెల్లవారుజామున 2:30 గంటల ప్రాంతంలో చాలా మంది గాఢ నిద్రలో ఉన్న సమయంలో ఈ ఘటన జరిగింది. మండి నగరాన్ని భూకంపం తాకింది. ఆ క్రమంలో ఒకదాని తర్వాత ఒకటిగా 3 బలమైన ప్రకంపనలు వచ్చాయి. ప్రకంపనల తర్వాత, ప్రజలు పిల్లలు, కుటుంబాలతో సహా వీధుల్లోకి వచ్చారు.

మూడు సార్లు భూకంపం

ఈరోజు తెల్లవారుజామున హిమాచల్ ప్రదేశ్‌లో భూమి కంపించింది. మండి నగరంలో ఒకదాని తర్వాత ఒకటిగా మూడు సార్లు భూకంపం సంభవించింది. భూకంప తీవ్రత తక్కువగా ఉన్నప్పటికీ వరుసగా మూడు సార్లు ప్రకంపనలు రావడంతో ప్రజల్లో భయాందోళన వాతావరణం నెలకొంది.

హిమాచల్ ప్రదేశ్‌(Himachal Pradesh)లోని మండి జిల్లాలో ఈరోజు తెల్లవారుజామున భారీ భూకంపం (Earthquake) సంభవించింది. ఈ కారణంగా ప్రజలు ఇళ్ల నుంచి బయటకు పరుగులు తీశారు. భూకంప తీవ్రత రిక్టర్ స్కేలుపై 3.3గా నమోదైంది. దీని కేంద్రం భూమికి 5 కిలోమీటర్ల దిగువన ఉంది. తెల్లవారుజామున 2:30 గంటల ప్రాంతంలో చాలా మంది గాఢ నిద్రలో ఉన్న సమయంలో ఈ ఘటన జరిగింది. మండి నగరాన్ని భూకంపం తాకింది. ఆ క్రమంలో ఒకదాని తర్వాత ఒకటిగా 3 బలమైన ప్రకంపనలు వచ్చాయి. ప్రకంపనల తర్వాత, ప్రజలు పిల్లలు, కుటుంబాలతో సహా వీధుల్లోకి వచ్చారు.

दिल्ली का हिमाचल भवन होगा कुर्क, जानें हाईकोर्ट के फैसले से कैसे बढ़ी सुक्खू सरकार की परेशानी

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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दिल्ली के 27 सिकंदरा रोड मंडी हाउस स्थित हिमाचल भवन को अटैच करने का आदेश दिया है। यह आदेश इसलिए दिया गया है क्योंकि सुखविंदर सिंह सुक्खू हाइड्रो प्रोजेक्ट लगाने वाली एक कंपनी को 64 करोड़ रुपये नहीं लौटा पाई। सुक्खू सरकार को हाईकोर्ट ने ये राशि चुकाने का आदेश दिया था। लेकिन सरकार ने हाईकोर्ट का ये आदेश नहीं माना।यह रकम अब ब्याज सहित 150 करोड़ रुपये के करीब पहुंच चुकी है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने पारित किया, जिससे प्रदेश सरकार के हाथ-पांव फूल गए हैं और सचिवालय में हलचल मच गई है।

कोर्ट ने ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव को इस बात की तथ्यात्मक जांच करने का आदेश भी दिया कि किस विशेष अधिकारी अथवा अधिकारियों की चूक के कारण 64 करोड़ रुपये की सात प्रतिशत ब्याज सहित अवॉर्ड राशि कोर्ट में जमा नहीं की गई है। कोर्ट ने कहा कि दोषियों का पता लगाना इसलिए आवश्यक है क्योंकि ब्याज को दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों से व्यक्तिगत रूप से वसूलने का आदेश दिया जाएगा।

कोर्ट ने 15 दिन के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट अगली तिथि को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश भी दिया। मामले पर सुनवाई छह दिसंबर को होगी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 13 जनवरी 2023 को प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता की ओर से जमा किए गए 64 करोड़ रुपये के अग्रिम प्रीमियम को याचिका दायर करने की तिथि से इसकी वसूली तक सात प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित वापस करने का निर्देश दिया था।

सुक्खू सरकार एक गंभीर संकट

हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार के लिए यह निर्णय एक गंभीर संकट का संकेत है, क्योंकि अदालत ने बिजली कंपनी को न केवल अपनी रकम वसूलने के लिए हिमाचल भवन को नीलाम करने का आदेश दिया है, बल्कि प्रारंभिक प्रीमियम के मामले में पार्षद और अधिकारियों की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाए हैं। अदालत ने आदेश दिया है कि प्रधान सचिव बिजली इस मामले की फैक्ट फाइंडिंग जांच करें और यह पता लगाएं कि कौन से अधिकारी जिम्मेदार थे जिन्होंने वक्त पर रकम नहीं जमा की। अदालत ने यह भी कहा कि ब्याज की रकम उन जिम्मेदार अधिकारियों से वसूली जाए।

क्या है मामला?

यह मामला सेली हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट से जुड़ा है, जिसे मोजर बीयर कंपनी को लाहुल स्पीति में चिनाब नदी पर 400 मेगावाट के हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए दिया गया था। लेकिन परियोजना नहीं लग पाई और मामला आर्बिट्रेशन में चला गया, जहां कंपनी के पक्ष में फैसला आया। आर्बिट्रेटर ने 64 करोड़ रुपये के प्रीमियम के भुगतान का आदेश दिया, लेकिन सरकार ने समय पर यह रकम जमा नहीं की, जिससे ब्याज सहित रकम बढ़कर लगभग 150 करोड़ रुपये हो गई। अदालत ने पहले ही सरकार को आदेश दिया था कि वह रकम जमा करे, लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज किया। इस कारण हिमाचल भवन को अटैच करने का आदेश दिया गया और अब नीलामी की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने अपनाया “योगी मॉडल”, रेहड़ी-पटरी वालों को लगानी होगी नाम और फोटो ID

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हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की राह पर चलती दिख रही है।शिमला से शुरू हुई मस्जिद विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मस्जिद विवाद के साथ सड़क किनारे बैठे बाहरी लोगों को लेकर भी आन्दोलन हों रहे हैं। इसी बीच हिमाचल प्रदेश में भी हर भोजनालय और फास्टफूड रेड़ी पर ओनर की आईडी लगाने का फैसला लिया गया है। यह बात हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कही।

हिमाचल सरकार ने आज बुधवार को नई स्ट्रीट वेंडर पॉलिसी तैयार की है। शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने शिमला के एमएलए मेयर और व्यापार मंडल के साथ बैठक की। बैठक में 2014 की केन्द्र की स्ट्रीट वेंडर नीति को लागू करने की चर्चा के आलावा चयनित जगह में जरूरतमंद लोगों को प्राथमिकता देने पर बल दिया गया। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि शिमला में 1060 स्ट्रीट वेंडर पंजीकृत हैं। इसके अलावा 540 लोग ऐसे ही बैठें हैं। इसमें कमेटी देखेगी की नियमों के तहत कहां किसको जगह देनी है।

नई पॉलिसी के तहत अब हिमाचल प्रदेश में रेहड़ी, पटरी और होटल वालों को अपनी आईडी दिखानी होगी। नई पॉलिसी के तहत खाने-पीने की चीज बेचने वालों को अब अपनी नेमप्लेट लगानी होगी। साथ ही आईडी कार्ड भी दिखाना होगा. हर तरह के वेंडर को अपना नाम और फोटो पहचान दिखाना होगा। इन सभी का रजिस्ट्रेशन भी किया जाएगा. स्ट्रीट वेंडिग कमेटी की ओर से आईडी कार्ड जारी किए जाएंगे। ये सारी प्रक्रिया 30 दिसंबर तक पूरी कर ली जाएगी।

विक्रमादित्य सिंह यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्वच्छ भोजन बेचा जाए, सभी स्ट्रीट वेंडर्स के लिए एक निर्णय लिया गया है. लोगों ने बहुत सारी चिंताएं और आशंकाएं व्यक्त की थी और जिस तरह से उत्तर प्रदेश में रेहड़ी-पटरी वालों के लिए यह अनिवार्य किया गया है कि उनको अपना नाम-आईडी लगानी होगी।

हिमाचल में कर्मचारियों को नहीं मिली सैलरी ना ही पेंशन, जानें क्यों गहराया आर्थिक संकट?

#himachalpradesheconomic_crisis

कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश भारी आर्थिक संकट में फंस गया है। आर्थिक संकट इतना गहरा गया है कि 2 लाख कर्मचारी सितम्बर महीने में अपनी सैलरी का इंतजार कर रहे हैं। राज्य के पेंशनर भी अपनी पेंशन से वंचित हैं।राज्य के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब सरकारी कर्मचारियों का वेतन महीने की पहली तारीख को नहीं मिला। माना जा रहा है कि कर्मचारियों को वेतन के लिए 5 सितंबर तक का इंतजार करना होगा।केंद्र सरकार से राजस्व घाटा अनुदान के 490 करोड़ रुपए मिलने के बाद ही वेतन और पेंशन का भुगतान होगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के 2 लाख कर्मचारियों और 1.5 लाख पेंशनरों को अगस्त महीने की सैलरी सितम्बर माह के 3 दिन होने के बाद भी नहीं मिली है। सामान्यतः हर महीने की 1 तारीख को आने वाली सैलरी और पेंशन सितम्बर माह में नहीं आई। 1 तारीख को रविवार होने के कारण इसे बैंकिंग व्यवस्था में देरी मानी गई। कर्मचारियों और पेंशनरों को आश्चर्य तब हुआ जब उन्हें 2 तारीख को पैसा भी नहीं मिला, इस दिन सोमवार था और बैंक खुले थे। बताया गया है कि सैलरी और पेंशन में देरी सरकार की आर्थिक स्थिति के कारण हुई है।

आर्थिक संकट पैदा क्यों हो गया है?

हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट की चर्चा इन दिनों पूरे देश भर में हो रही है। ऐसे में हर किसी के मन में यह सवाल है कि राज्य में ऐसा आर्थिक संकट पैदा क्यों हो गया है? इसके पीछे की वजह देखें, तो रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में टेपर फॉर्मूला की वजह से राज्य सरकार को नुकसान हो रहा है। इस फॉर्मूले के मुताबिक, केंद्र से मिलने वाली ग्रांट हर महीने कम होती है। इसके अलावा, लोन लिमिट में भी कटौती की गई है। साल 2024-25 में रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में 1 हजार 800 करोड़ रुपये की कटौती हुई। आने वाले समय में यह परेशानी और भी ज्यादा बढ़ेगी।

ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली भी बनी वजह

आर्थिक हालत खराब होने की एक और वजह ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली भी है। इसकी वजह से नई पेंशन स्कीम के राज्य के कंट्रीब्यूशन के कारण मिलने वाला 2 हजार करोड़ का लोन भी राज्य सरकार को अब नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह से भी राज्य के खजाने पर बोझ आ गया है।

कैसे बिगड़ा बैलेंस?

हिमाचल की बदहाल आर्थिक स्थिति इसके 2024-25 के बजट से समझी जा सकती है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ₹58,444 करोड़ का बजट सुक्खू सरकार ने पेश किया था। इस बजट में भी सरकार का राजकोषीय घाटा (सरकार की आय और खर्चे के बीच का अंतर, जिसे कर्ज लेकर पूरा किया जाता है) ₹10,784 करोड़ है।

इस बजट का बड़ा हिस्सा तो केवल पुराने कर्जा चुकाने और राज्य के कर्मचारियों की पेंशन और तनख्वाह देने में ही चला जाएगा। इस बजट में से ₹5479 करोड़ का खर्च पुराने कर्ज चुकाने, ₹6270 करोड़ का खर्च पुराने कर्ज का ब्याज देने में करेगी। यानी पुराने कर्जों के ही चक्कर बजट का लगभग 20% हिस्सा चला जाएगा।

इसके अलावा सुक्खू सरकार तनख्वाह और पेंशन पर ₹27,208 करोड़ खर्च करेगी। इस हिसाब से देखा जाए तो ₹38,957 का खर्च तो केवल कर्ज, ब्याज, तनख्वाह और पेंशन पर ही हो आएगा। यह कुल बजट का लगभग 66% है। अगर नए कर्ज को हटा दें तो यह हिमाचल के कुल बजट का 80% तक पहुँच जाता है। यानी राज्य को बाकी खर्चे करने की स्वतंत्रता ही नहीं है।

हिमाचल प्रदेश 2024-25 में लगभग ₹1200 करोड़ सब्सिडी पर भी खर्च करने वाला है। यह धनराशि सामान्य तौर पर छोटी लग सकती है, लेकिन आर्थिक संकट में फंसे हिमाचल के लिए यह भी भारी पड़ रही है। इस सब्सिडी में सबसे बड़ा खर्चा बिजली सब्सिडी का है।

अभी कम नहीं होने वाली है मुश्किलें

बता दें कि हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को हर महीने वेतन देने के लिए राज्य सरकार को 1 हजार 200 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इसी तरह पेंशन देने के लिए हर महीने 800 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च होती है।कुल-मिलाकर यह खर्च 2 हजार करोड़ रुपये बनता है। वहीं, हिमाचल प्रदेश सरकार के पास इस वित्त वर्ष में दिसंबर तक लोन लिमिट 6 घर 200 करोड़ रुपये है। इनमें से 3 हजार 900 करोड़ रुपये लोन लिया जा चुका है। अब सिर्फ 2 हजार 300 करोड़ की लिमिट बची है। इसी से राज्य सरकार को दिसंबर महीने तक का काम चलाना है।

दिसंबर से लेकर मार्च तक वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही के लिए केंद्र से अलग लोन लिमिट सैंक्शन होगी। ऐसे में राज्य सरकार के समक्ष अब सितंबर के बाद अक्टूबर और नवंबर महीने का वेतन और पेंशन देने के लिए भी कठिनाई होगी।

हिमाचल में कर्मचारियों को नहीं मिली सैलरी ना ही पेंशन, जानें क्यों गहराया आर्थिक संकट?*
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कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश भारी आर्थिक संकट में फंस गया है। आर्थिक संकट इतना गहरा गया है कि 2 लाख कर्मचारी सितम्बर महीने में अपनी सैलरी का इंतजार कर रहे हैं। राज्य के पेंशनर भी अपनी पेंशन से वंचित हैं।राज्य के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब सरकारी कर्मचारियों का वेतन महीने की पहली तारीख को नहीं मिला। माना जा रहा है कि कर्मचारियों को वेतन के लिए 5 सितंबर तक का इंतजार करना होगा।केंद्र सरकार से राजस्व घाटा अनुदान के 490 करोड़ रुपए मिलने के बाद ही वेतन और पेंशन का भुगतान होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के 2 लाख कर्मचारियों और 1.5 लाख पेंशनरों को अगस्त महीने की सैलरी सितम्बर माह के 3 दिन होने के बाद भी नहीं मिली है। सामान्यतः हर महीने की 1 तारीख को आने वाली सैलरी और पेंशन सितम्बर माह में नहीं आई। 1 तारीख को रविवार होने के कारण इसे बैंकिंग व्यवस्था में देरी मानी गई। कर्मचारियों और पेंशनरों को आश्चर्य तब हुआ जब उन्हें 2 तारीख को पैसा भी नहीं मिला, इस दिन सोमवार था और बैंक खुले थे। बताया गया है कि सैलरी और पेंशन में देरी सरकार की आर्थिक स्थिति के कारण हुई है। *आर्थिक संकट पैदा क्यों हो गया है?* हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट की चर्चा इन दिनों पूरे देश भर में हो रही है। ऐसे में हर किसी के मन में यह सवाल है कि राज्य में ऐसा आर्थिक संकट पैदा क्यों हो गया है? इसके पीछे की वजह देखें, तो रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में टेपर फॉर्मूला की वजह से राज्य सरकार को नुकसान हो रहा है। इस फॉर्मूले के मुताबिक, केंद्र से मिलने वाली ग्रांट हर महीने कम होती है। इसके अलावा, लोन लिमिट में भी कटौती की गई है। साल 2024-25 में रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में 1 हजार 800 करोड़ रुपये की कटौती हुई। आने वाले समय में यह परेशानी और भी ज्यादा बढ़ेगी। *ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली भी बनी वजह* आर्थिक हालत खराब होने की एक और वजह ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली भी है। इसकी वजह से नई पेंशन स्कीम के राज्य के कंट्रीब्यूशन के कारण मिलने वाला 2 हजार करोड़ का लोन भी राज्य सरकार को अब नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह से भी राज्य के खजाने पर बोझ आ गया है। *कैसे बिगड़ा बैलेंस?* हिमाचल की बदहाल आर्थिक स्थिति इसके 2024-25 के बजट से समझी जा सकती है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ₹58,444 करोड़ का बजट सुक्खू सरकार ने पेश किया था। इस बजट में भी सरकार का राजकोषीय घाटा (सरकार की आय और खर्चे के बीच का अंतर, जिसे कर्ज लेकर पूरा किया जाता है) ₹10,784 करोड़ है। इस बजट का बड़ा हिस्सा तो केवल पुराने कर्जा चुकाने और राज्य के कर्मचारियों की पेंशन और तनख्वाह देने में ही चला जाएगा। इस बजट में से ₹5479 करोड़ का खर्च पुराने कर्ज चुकाने, ₹6270 करोड़ का खर्च पुराने कर्ज का ब्याज देने में करेगी। यानी पुराने कर्जों के ही चक्कर बजट का लगभग 20% हिस्सा चला जाएगा। इसके अलावा सुक्खू सरकार तनख्वाह और पेंशन पर ₹27,208 करोड़ खर्च करेगी। इस हिसाब से देखा जाए तो ₹38,957 का खर्च तो केवल कर्ज, ब्याज, तनख्वाह और पेंशन पर ही हो आएगा। यह कुल बजट का लगभग 66% है। अगर नए कर्ज को हटा दें तो यह हिमाचल के कुल बजट का 80% तक पहुँच जाता है। यानी राज्य को बाकी खर्चे करने की स्वतंत्रता ही नहीं है। हिमाचल प्रदेश 2024-25 में लगभग ₹1200 करोड़ सब्सिडी पर भी खर्च करने वाला है। यह धनराशि सामान्य तौर पर छोटी लग सकती है, लेकिन आर्थिक संकट में फंसे हिमाचल के लिए यह भी भारी पड़ रही है। इस सब्सिडी में सबसे बड़ा खर्चा बिजली सब्सिडी का है। *अभी कम नहीं होने वाली है मुश्किलें* बता दें कि हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को हर महीने वेतन देने के लिए राज्य सरकार को 1 हजार 200 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इसी तरह पेंशन देने के लिए हर महीने 800 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च होती है।कुल-मिलाकर यह खर्च 2 हजार करोड़ रुपये बनता है। वहीं, हिमाचल प्रदेश सरकार के पास इस वित्त वर्ष में दिसंबर तक लोन लिमिट 6 घर 200 करोड़ रुपये है। इनमें से 3 हजार 900 करोड़ रुपये लोन लिया जा चुका है। अब सिर्फ 2 हजार 300 करोड़ की लिमिट बची है। इसी से राज्य सरकार को दिसंबर महीने तक का काम चलाना है। दिसंबर से लेकर मार्च तक वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही के लिए केंद्र से अलग लोन लिमिट सैंक्शन होगी। ऐसे में राज्य सरकार के समक्ष अब सितंबर के बाद अक्टूबर और नवंबर महीने का वेतन और पेंशन देने के लिए भी कठिनाई होगी।
IMD's orange flash flood warnings for Himachal Pradesh other states

The India Meteorological Department (IMD) has issued an ‘orange’ alert for Himachal Pradesh and other states as heavy rain continued northern India through the first two weeks of August. Earlier this week, the IMD predicted that heavy to extremely heavy rainfall would continue in parts of Himachal Pradesh till August 12

The weather agency issued the orange alert owing to heavy downpour in Himachal Pradesh, Uttarakhand, East Uttar Pradesh, East Madhya Pradesh, Meghalaya, Manipur, Mizoram, Nagaland and Tripura.

In its forecast, the IMD said heavy isolated rainfall will continue to lash Himachal Pradesh, Uttarakhand, and parts of Rajasthan till August 12, while moderate rainfall is expected to lash Jammu and Kashmir, Haryana, Punjab and Chandigarh on August 10The weather agency said heavy to extremely heavy rain will continue in Himachal Pradesh till Saturday, along with lightening and thunderstorms. An orange alert will remain in place in the state till August 12, and a yellow warning has been issued till August 15

The IMD also alerted of a low to moderate risk of flash floods in isolated areas of Mandi, Bilaspur, Solan, Sirmaur, Shimla, and Kullu districts through Saturday, news agency PTI reported.

The agency further sounded a warning of potential landslides in some regions, along with possible damage to plantations, crops, vulnerable structures, and kutcha houses due to waterlogging and strong winds in low lying areas in the state.

Earlier, on August 7, the IMD reported significant rainfall across the state, with Joginder Nagar in Mandi district experiencing the highest at 110 MM in 24 hours. The incessant downpour has affected daily life, making it challenging for residents and visitors alike. The cloudburst and flash floods that occurred on August 1 have affected the districts of Kullu, Mandi and Shimla.

Meanwhile, a yellow alert has been issued in Delhi for the next two days, with a forecast of moderate to heavy rainfall in the national capital till August 11. The weather office forecasted cloudy skies and moderate rains in Delhi NCR for Saturday, reported PTI

Heavy rainfall lashed parts of Delhi and NCR on Friday, leading to heavy waterlogging and traffic congestion in the evening. The Met office issued an 'orange' warning to "be prepared" after earlier putting the city in the 'green' zone for no warning or alert.

बादल फटने से हिमाचल प्रदेश के तीन जिलों में भारी तबाही, 30 से ज्यादा लोग लापता, एक शव बरामद

#himachal_cloudburst

हिमाचल प्रदेश में बादल फटने से भारी तबाही हुई है। कुल्लू के निरमंड ब्लॉक, कुल्लू के मलाणा और मंडी जिले में बादल फटे हैं। प्रदेश के तीन जिलों में बादल फटे हैं और अब तक कुल 30 लोग लापता। लगातार हो रही बारिश से कई पुल ढह रहे हैं, पहाड़ दरक रहे हैं। कई हाईवे तक क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिस कारण कई शहरों के रूट आपस में कट भी गए हैं। कुल्लू के निरमंड में बादल फटने के बाद बागी पुल के आसपास गाड़ियां और मकान बह गए हैं। वहीं, मनाली में ब्यास नदी ने फिर अपना रास्ता बदला है और हाईवे पर आ गई है और यहां पर आलू ग्राउंड में पानी भर गया है। इसी तरह चंडीगढ़ मनाली हाईवे जगह-जगह लैंडस्लाइड के चलते बंद है। 

बाढ़ में 7 लोग लापता

कुल्लू जिले के निरमंड में बादल फटने से एक ही परिवार के पांच लोगों सहित कुल 7 लोग पानी में बह गए हैं। यहां पर बारिश के बाद निरमंड के बागीपुल में 31 जुलाई की रात करीब एक बजे कुर्पन नदी ने बाढ़ आ गई। बाढ़ में 7 लोग लापता हो गए और दर्जनों गाड़ियां भी बह गई हैं। बाढ़ इतनी भयंकर थी कि अपने साथ पांच से ज्यादा मकानों को भी बहा ले गई। स्थानीय निवासी गुलवंत ठाकुर ने बताया कि बारिश और बाढ़ में यहां पर भयंकर तबाही हुई है।

चार मंजिला इमारत महज 7 सेकंड में पार्वती नदी में समाई

वहीं, कुल्लू के मलाणा इलाके का एक वीडियो सामने आया है। यहां देर रात भारी बारिश से पार्वती नदी इतने ऊफान पर आ गई कि न जाने कितने ही घर और गाड़ियां इसमें समा गईं। वीडियो में दिख रहा है कैसे एक चार मंजिला इमारत महज 7 सेकंड के अंदर पार्वती नदी में समा गई। बिल्डिंग कहां गई पता ही नहीं चला। कुल्लू जिले की बात करें तो यहां ब्यास और पार्वती नदियां डेंजर मार्क से भी ऊपर हैं। मलाणा गांव में बना पॉवर प्रोजेक्ट का डैम भी ओवर फ्लो हुआ है।

मंडी में नौ लोग लापता

मंडी के थलटूखोड़ में आधी रात बादल फटने से तबाही मच गई। यहां मकान ढहने की सूचना है। सड़क कनेक्टिविटी भी ठप हो गई है। मौके के लिए एसडीआरएफ समेत अन्य टीमें रवाना हो गई हैं। थलटूखोड़ पंचायत प्रधान कली राम ने बताया कि तेरंग और राजबन गांव में बादल फटने की घटना हुई है। घटना में कई लोग लापता है। तीन घर बहने की सूचना है। जानकारी मिली है कि पधर उपमंडल के थलटूखोड़ में बादल फटने की घटना में नौ लोग लापता हैं, एक शव बरामद किया गया है। जबकि 35 सुरक्षित हैं। मंडी जिला प्रशासन ने रेस्क्यू के लिए एयरफोर्स को अलर्ट किया है। मदद की जरूरत होने पर सेवाएं ली जाएंगी। एनडीआरएफ को भी मदद का निवेदन किया गया है।

जेपी नड्डा ने सीएम से की बात

हिमाचल प्रदेश के विभिन्न इलाक़ों में बादल फटने के कारण काफ़ी नुक़सान और जन जीवन अस्त व्यस्त होने के दुःखद समाचार पर जगत प्रकाश नड्डा ने हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखु से बात कर जानकारी ली और मोदी सरकार की तरफ़ से हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। नड्डा जी ने पूर्व मुख्यमंत्री और एलओपी जयराम ठाकुर और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से बात की और सभी भाजपा कार्यकर्ताओं को राहत कार्यों में लगने का निर्देश दिया।

क्या जाएगी कंगना रनौत की सांसदी? याचिका पर हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

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बॉलीवुड एक्ट्रेस और बीजेपी सांसद कंगना रनौत को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है। दरअसल, कंगना की सांसदी के खिलाफ हिमाचल हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसके बाद हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ नोटिस जारी किया है।हाई कोर्ट ने कंगना से 21 अगस्त तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में किन्नौर के एक निवासी द्वारा याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर हाईकोर्ट ने मंडी लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद कंगना रनौत को नोटिस जारी किया है। याचिका में मंडी से सांसद कंगना के निर्वाचन को रद्द करने का अनुरोध करते हुए दलील दी गई है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि इस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए उसके नामांकन पत्र को कथित रूप से गलत तरीके से खारिज कर दिया गया था। नोटिस जारी करते हुए न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल ने रनौत को 21 अगस्त तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता लायक राम नेगी ने कंगना के खिलाफ याचिका दायर की है। इसमें उसने कोर्ट से कंगना के चुनाव को रद्द करने की मांग की है। नायक फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के पूर्व कर्मचारी हैं। उन्होंने समय से पहले वीआरएस मिल गई थी। नेगी का कहना है कि वह चुनाव लड़ना चाहता था लेकिन उसके नामांकन पत्र को मंडी के चुनाव अधिकारी ने गलत तरीके से खारिज कर दिया गया था। नेगी की दलील है कि अगर उनका नामांकन पत्र स्वीकार कर लिया जाता तो वो जीत जाते। याचिका में लायक राम नेगी ने कोर्ट से अपील की है कि कंगना के चुनाव को रद्द कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने मंडी सीट पर दोबारा चुनाव कराने की मांग की है।

कंगना ने लोकसभा चुनाव में हिमाचल के मंडी से जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार विक्रमादित्य सिंह को 74,755 वोट से हराया था। तीसरे नंबर पर बहुजन समाजवादी पार्टी के डॉ प्रकाश चंद्र भारद्वाज रहे थे। भारद्वाज को 4393 वोट मिले थे।