*Dominant Bengal off to a flying start in Senior Women’s One-Day Trophy*

Sports News

Khabar kolkata sports Desk: Bengal began their Senior Women's One-Day Trophy campaign with a dominant eight-wicket victory over Pondicherry in Sultanpur, Haryana, on Wednesday.

Mita Paul (52 not out, 2-23), Dhara Gujjar (53 not out, 1-0), Tanushree Sarkar (2-22), Saika Ishaque (2-15) were the star performers for Bengal.

Batting first, Pondicherry were bundled out for just 119 in 45.2 overs. Aruna Barman, Tithi Das, Monika Mal also bagged a wicket each for Bengal.

In reply, Dhara and Mita, with an unbeaten 98-run stand for the third wicket, helped Bengal chase down the target comfortably, scoring 123/2 in 24.5 overs.

Pic Courtesy by: CAB

*Dominant Bengal off to a flying start in Senior Women’s One-Day Trophy*

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 Khabar kolkata sports Desk: Bengal began their Senior Women's One-Day Trophy campaign with a dominant eight-wicket victory over Pondicherry in Sultanpur, Haryana, on Wednesday.

Mita Paul (52 not out, 2-23), Dhara Gujjar (53 not out, 1-0), Tanushree Sarkar (2-22), Saika Ishaque (2-15) were the star performers for Bengal.

Batting first, Pondicherry were bundled out for just 119 in 45.2 overs. Aruna Barman, Tithi Das, Monika Mal also bagged a wicket each for Bengal. 

In reply, Dhara and Mita, with an unbeaten 98-run stand for the third wicket, helped Bengal chase down the target comfortably, scoring 123/2 in 24.5 overs.

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दिल्ली में धुंध के बीच AQI अभी भी 'गंभीर', हरियाणा ने आंशिक रूप से स्कूल बंद करने की दी अनुमति

#delhistillfacingsmogandpollutionwhereasharyanaallowspartialclosureofschools

रविवार, 17 नवंबर को दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 'गंभीर' श्रेणी में रहा, जबकि ठंडी हवाओं के बीच धुंध की स्थिति भी बनी रही, जिससे शहरों में तापमान में गिरावट आई। समीर ऐप के अनुसार, जो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक का हर घंटे अपडेट देता है, रविवार को सुबह करीब 7 बजे दिल्ली का कुल AQI 428 - 'गंभीर' श्रेणी - पर था।

सीपीसीबी द्वारा साझा किए गए 35 निगरानी स्टेशनों में से अधिकांश ने वायु गुणवत्ता को गंभीर श्रेणी में बताया, जिसमें AQI का स्तर 400 से ऊपर था। सीपीसीबी के उपायों के अनुसार, शून्य से 50 के बीच का AQI "अच्छा", 51 और 100 के बीच का "संतोषजनक", 101 और 200 के बीच का "मध्यम", 201 और 300 के बीच का "खराब", 301 और 400 के बीच का "बहुत खराब", 401 और 450 के बीच का "गंभीर" और 450 से ऊपर का "गंभीर प्लस" माना जाता है।

बवाना स्टेशन पर सबसे अधिक 471 AQI दर्ज किया गया, उसके बाद जहांगीरपुरी, अशोक विहार, मुंडका, विवेक विहार, रोहिणी और आनंद विहार का स्थान रहा - इन सभी में वायु गुणवत्ता 450 से अधिक दर्ज की गई।

अक्टूबर के अंत से दिल्ली में वायु गुणवत्ता में गिरावट आ रही है और तब से यह और भी खराब होती जा रही है, जिसके लिए कई कारक जिम्मेदार हैं जैसे पटाखे और पराली जलाना - जो पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में सबसे आम है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए केंद्र की निर्णय सहायता प्रणाली के अनुसार, गुरुवार को दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों से निकलने वाले धुएं और पराली का सबसे अधिक योगदान रहा। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा साझा किए गए उपग्रह डेटा के अनुसार, डेटा से पता चला है कि गुरुवार को पंजाब में कुल पांच खेत में आग लगने की घटनाएं हुईं, हरियाणा में 11 और उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 202 घटनाएं हुईं।

हरियाणा ने आंशिक रूप से स्कूल बंद करने की अनुमति दी

हरियाणा सरकार ने बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए शनिवार को डिप्टी कमिश्नरों को अपने-अपने जिलों के स्कूलों में कक्षा 5 तक की भौतिक कक्षाओं को अस्थायी रूप से बंद करने के लिए अधिकृत किया। राज्य सरकार के जनसंपर्क विभाग ने माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स पर हिंदी में पोस्ट किया, "इस संबंध में स्कूल शिक्षा निदेशालय की ओर से सभी जिला उपायुक्तों को पत्र लिखा गया है।" बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए हरियाणा सरकार ने बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए उपायुक्तों को कक्षा 5 तक के स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद करने का अधिकार दिया है।

पत्र में स्कूल शिक्षा निदेशालय ने लिखा, "मुझे आपको सूचित करने का निर्देश दिया गया है कि सरकार ने निर्णय लिया है कि संबंधित उपायुक्त दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में गंभीर AQI स्तरों के मद्देनजर मौजूदा स्थिति (GRAP के अनुसार) का आकलन करेंगे और छात्रों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के हित में शारीरिक कक्षाएं बंद कर सकते हैं और स्कूलों [सरकारी और निजी] में कक्षा 5वीं तक के लिए ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी कर सकते हैं।" संबंधित जिलों के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए मूल्यांकन अलग-अलग किया जा सकता है," इसमें कहा गया है।

दिल्ली में GRAP III

प्रदूषण रोधी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तीसरे चरण के तहत प्रतिबंध शुक्रवार को लागू होने के साथ ही अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। यातायात पुलिस, परिवहन विभाग और अन्य की टीमें उल्लंघन करने वालों को दंडित कर रही हैं। शुक्रवार को, दिल्ली यातायात पुलिस ने BS III पेट्रोल और BS IV डीजल वाहनों के चलने पर प्रतिबंध के उल्लंघन के लिए लगभग 550 चालान जारी किए, GRAP के तीसरे चरण के तहत प्रतिबंधों के पहले दिन ₹1 करोड़ से अधिक का जुर्माना लगाया।

इस नियम का उल्लंघन करने पर ₹20,000 का जुर्माना लगाया जाता है। NCR के शहरों से दिल्ली आने वाली BS VI डीजल को छोड़कर डीजल और पेट्रोल अंतर-राज्यीय बसों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। पुलिस ने प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUCC) नहीं रखने वाले वाहनों पर भी कार्रवाई की, क्योंकि इसने कुल 4,855 वाहनों पर जुर्माना लगाया। शुक्रवार को ₹4.85 करोड़ का जुर्माना लगाया गया। वैध प्रदूषण नियंत्रण (PUC) प्रमाणपत्र न होने पर वाहन चालकों पर ₹10,000 का जुर्माना लगाया जाता है। ये चालान अदालतों से जारी किए जाते हैं।

*Bowlers help Bengal script stunning win vs MP in Ranji Trophy*

Sports News 

Khabar kolkata sports Desk: Riding on a brilliant performance by the bowlers, Bengal outclassed Madhya Pradesh by 11 runs in the Elite Group C match to register their first victory of the Ranji Trophy season on Saturday. 

Bengal, who bagged six points from the win, currently have 14 points from five games. 

Chasing 338 to win on the fourth and final day, Madhya Pradesh were bowled out for 326. Shahbaz Ahmed (4-48), Mohammad Shami (3-102), Rohit Kumar (2-47) and Md Kaif (1-50) were superb with the ball for Bengal. 

Earlier, after posting 228 in their first innings, Bengal bundled out MP for 167. In their second innings, Bengal scored 276 to hand a challenging target to the home side.

Shahbaz was awarded the player of the match for his all-round performance. 

Bengal will next face Haryana, followed by Punjab at home in their final two group-stage matches.

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कुल्हड़ पिज्जा कपल को मिली पुलिस सुरक्षा, निहंगों की धमकी के बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर

पंजाब के जालंधर का फेमस यूट्यूबर जोड़ी जिन्हें कुल्हड़ पिज्जा कपल (Kulhad Pizza Couple) के नाम से जाना जाता है, उन्हें पुलिस पुलिस प्रोटेक्शन मिली है. जालंधर कमिश्नरेट पुलिस ने दोनों की सुरक्षा के लिए दो पुलिसकर्मियों (Police Protection) को तैनात किया है. यूट्यूबर दंपति ने निहंगों से मिली धमकी के बाद पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. अब एक पीसीआर नियमित तौर पर उनके घर और रेस्त्रां की पेट्रोलिंग करेगी.

बाबा बुड्ढा ग्रुप के निहंगों ने कुल्हड़ पिज्जा शॉप पर जमकर हंगामा किया था. इसके बाद कुल्हड़ पिज्जा कपल के नाम से फेमस दंपति सहज अरोड़ा और गुरप्रीत ने जान-माल की सुरक्षा के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. निहंगों के विरोध के बाद कपल ने अपना एक वीडियो (Kulhad Pizza Couple Video) भी जारी किया था. इस वीडियो में कपल ने कहा था- हम परिवार के साथ श्री दरबार साहिब (स्वर्ण मंदिर) जाएंगे और वहां अपनी अर्जी लगाएंगे. पति सहज ने कहा था कि श्री दरबार साहिब पहुंचकर पूछूंगा कि मैं दस्तार (पगड़ी) सजा सकता हूं या नहीं. अगर मैं गलत हूं तो मुझे सजा मिलनी चाहिए.

कुल्हड़ पिज्जा कपल के वकील ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Haryana Highcourt) को बताया था- पिछले दो हफ्तों से सहज-गुरप्रीत को कुछ गैंगस्टर से धमकियां मिल रही हैं. अगली सुनवाई पर हाईकोर्ट को वो लिखित में इसकी पूरी जानकारी दे देंगे. इस मामले अगली सुनवाई 20 जनवरी को होगी.

कौन हैं सहज-गुरप्रीत?

दंपति का अपना एक रेस्टोरेंट है. पति सहज अरोड़ा के इंस्टाग्राम पर करीब 12 लाख फॉलोवर्स हैं. जबकि, पत्नी गुरप्रीत के करीब साढ़े 6 लाख फॉलोवर्स हैं. दोनों सोशल मीडिया पर काफी फेमस हैं. कुल्हड़ पिज्जा के लिए तो यह दंपति फेमस था ही. लेकिन फिर अचानक से उनका एक अश्लील वीडियो वायरल हुआ, जिसके बाद दोनों पहले से भी ज्यादा सुर्खियों में आ गए. आरोप था कि उन्हीं के रेस्टोरेंट में काम करनी वाली एक कर्मचारी ने दोनों के कुछ निजी और अश्लील वीडियो वायरल कर दिए थे. वीडियो वायरल हुआ तो कपल ने कहा कि वीडियो फेक है. बाद में इसकी शिकायत कपल ने कमिश्नरेट पुलिस से की.

कपल ने कहा- हमारा ही था वीडियो

फिर मामले में सहज के रेस्टोरेंट में काम करने वाली पूर्व कर्मचारी तनिषा वर्मा और अन्य अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया. हालांकि, तनिषा के परिवार ने आरोप लगाया था कि जॉब के दौरान लड़की का मोबाइल जमा कर लेते थे. बीच में एक दिन सहज अरोड़ा ने तनिषा का फोन यूज किया था. इस बीच एक पॉडकास्ट में यह कपल पहुंचा तो उन्होंने माना कि उक्त वीडियो उन्होंने बनाया था. लेकिन ये नहीं सोचा था कि वो वायरल हो जाएगा.

निहंगों ने क्या दी धमकी?

एक महीने पहले बाबा बुड्ढा दल के निहंग बाबा मान सिंह अकाली ने कपल के रेस्टोरेंट के बाहर पहुंचकर विरोध किया. कहा कि सहज अपनी पगड़ी उतारकर हमें दे दें या फिर वह अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पत्नी के साथ वीडियो डालने बंद कर दें. बस इसके बाद से धमकियों का सिलसिला जारी रहा. परेशान होकर कुल्हड़ कपल ने पुलिस से मदद मांगी

हरियाणा में मंत्रालयों का बंटवारा, सीएम सैनी के पास गृह-वित्त समेत कुल 12 विभाग,जानें और किसे क्या मिला

#haryanagovernmentallocates_portfolios

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने रविवार देर रात अपनी कैबिनेट के विभागों का बंटवारा कर दिया। सीएम ने गृह, वित्त और आबकारी समेत कुल 12 विभाग अपने पास रखे हैं, जबकि सात बार के विधायक व सबसे वरिष्ठ नेता अनिल विज को ऊर्जा, ट्रांसपोर्ट और श्रम विभाग दिया गया है। विपुल गोयल को भी भारी भरकम विभाग दिए गए हैं। उनके पास रेवेन्यू व डिजास्टर, निकाय विभाग, सिविल एविएशन विभाग रहेगा।

किसे मिला कौन सा मंत्रालय?

-अनिल विज ऊर्जा, परिवहन और श्रम विभाग के मंत्री होंगे।

-कृष्णलाल पंवार पंचायत और खनन मंत्री बनाए गए हैं।

-राव नरबीर सिंह उद्योग एवं वाणिज्य, पर्यावरण वन समेत 4 विभाग के मंत्री होंगे।

-महिपाल ढांडा स्कूल शिक्षा, उच्चतर शिक्षा और संसदीय कार्य मंत्री होंगे।

-विपुल गोयल को राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, स्थानीय निकाय और सिविल एविएशन विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

-अरविंद शर्मा को सहकारिता, जेल एवं पर्यटन समेत 4 विभाग दिए गए हैं।

-श्याम सिंह राणा को कृषि, पशुपालन एवं डेयरिंग और मत्स्य विभाग का मंत्री बनाया गया।

-रणबीर गंगवा को जनस्वास्थ्य और लोक निर्माण विभाग का मंत्री बनाया गया।

-कृष्ण कुमार बेदी को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता समेत 3 विभाग मिले।

-श्रुति चौधरी को महिला एवं बाल विकास और सिंचाई विभाग की मंत्री बनाया गया।

-आरती राव को स्वास्थ्य, मेडिकल एजुकेशन और आयुष विभाग की मंत्री बनाया गया।

-राजेश नागर को खाद्य एवं आपूर्ति एवं प्रिंटिंग एवं स्टेशनरी विभाग की जिम्मेदारी मिली।

-गौरव गौतम को खेल समेत 3 विभाग का मंत्री बनाया गया।

बता दें कि आठ अक्टूबर को जब हरियाणा चुनाव के नतीजे आए तो बीजेपी को राज्य में ऐतिहासिक जीत मिली। बीजेपी ने हरियाणा ने जीत की हैट्रिक लगाई है।पिछले 10 से हरियाणा की सत्ता पर काबिज बीजेपी ने पहली बार राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। बीजेपी को 48 सीटें मिलीं। हरियाणा में नई सरकार के गठन को लेकर विधायक दल की बैठक हुई। इस बैठक में नायब सिंह सैनी को एक बार फिर से विधायक दल का नेता चुना गया और राज्य की कमान एक बार फिर से उन्हीं को सौंपने का फैसला किया गया।

हरियाणा में हार के बाद एक्शन में कांग्रेस, मल्लिकार्जुन खरगे ने हुड्डा-गहलोत से बाबरिया तक को किया तलब!

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हरियाणा में कांग्रेस बुरी तरह हार गई है। हार के लिए मुख्य रूप से कुमारी सैलजा और भूपिंदर सिंह हुड्डा को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।हरियाणा में हार और सहयोगियों के वार के बाद कांग्रेस एक्शन में है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हार की समीक्षा को लेकर आज बड़ी बैठक बुलाई है।इस बैठक में पहले भूपेन्द्र हुड्डा, पर्यवेक्षक अशोक गहलोत, अजय माकन, प्रताप सिंह बाजवा, प्रभारी दीपक बाबरिया, प्रदेश अध्यक्ष उदय भान शामिल होंगे. राहुल गांधी भी इस बैठक में शामिल हो सकते हैं। हरियाणा को लेकर खरगे द्वारा बुलाई गई समीक्षा बैठक में सैलजा और सुरजेवाला को पहले नहीं बुलाया गया है। इन नेताओं को बाद में बुलाया जा सकता है।

चुनाव से पहले यह तय माना जा रहा था कि हरियाणा में इस बार कांग्रेस की वापसी होगी. एग्जिट पोल के सर्वे ने इस अनुमान को थोड़ा और पुख्ता कर दिया. सर्वे के बाद से हरियाणा कांग्रेस में जबरदस्त उत्साह थी. कांग्रेस वाले इस बात को तय मान चुके थे कि 10 साल बाद प्रदेश में उसकी वापसी हो रही है. कोई भी ऐसा सर्वे नहीं था जिसमें कांग्रेस हारती हुई दिख रही थी लेकिन जब नतीजे आए तो सारे सर्वे फेल हो गए. बीजेपी को हरियाणा में ऐतिहासिक जीत मिली. बीजेपी ने प्रदेश में जीत की हैट्रिक लगाई।

जानकारों के अनुसार, कांग्रेस की अंदरूनी कलह, मौजूदा विधायकों पर अत्यधिक निर्भरता और बागियों की वजह से कांग्रेस एक दशक के बाद हरियाणा में वापसी करने में विफल रही। भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा की खींचतान से बीजेपी को बड़ा फायदा मिला। टिकट बंटवारे से लेकर चुनाव प्रचार तक कांग्रेस बंटी नजर आ रही थी। कांग्रेस तीन खेमों में बंट गई थी। इसमें एक खेमा पूर्व सीएम हुड्डा का था तो दूसरा कुमारी सैलजा और तीसरा रणदीप सुरजेवाला का था।

सैलजा-हुड्डा के अलावा इन 4 दिग्गजों का भी हार में हाथ!

सैलजा और हुड्डा के अलावा कांग्रेस के भीतर 4 ऐसे भी दिग्गज हैं, जिनके ऊपर हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनाने की जिम्मेदारी थी, लेकिन जिस तरह से पार्टी की हार हुई है, उससे कहा जा रहा है कि इन नेताओं की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।

1. दीपक बाबरिया- जून 2023 में शक्ति सिंह गोहिल के गुजरात जाने के बाद दीपक बाबरिया को हरियाणा कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया। प्रभारी महासचिव बनने के बाद बाबरिया न तो हरियाणा में कांग्रेस की संगठन तैयार कर पाए और न ही गुटबाजी खत्म कर पाए। इतना ही नहीं, बाबरिया के बयान ने ही कई बार कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी।

2. अजय माकन- कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन हरियाणा चुनाव में स्क्रीनिंग कमेटी के प्रमुख थे। कांग्रेस के भीतर टिकट वितरण का काम स्क्रीनिंग कमेटी के पास ही है। कांग्रेस का टिकट वितरण पूरे चुनाव के दौरान विवादों में रहा। आरोप है कि टिकट वितरण में सिर्फ हुड्डा गुट को तरजीह मिली। 89 टिकट में से 72 टिकट कांग्रेस में हुड्डा समर्थकों को दे दी गई। टिकट वितरण के बाद कुमारी सैलजा नाराज होकर प्रचार से दूर हो गई। सैलजा की नाराजगी रिजल्ट पर भी दिखा है।

यही नहीं, राहुल गांधी के कहने पर जब कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से गठबंधन की कवायद शुरू की तो अजय माकन और हुड्डा इसके विरोध में थे। माकन दिल्ली की राजनीति की वजह से शुरू से ही अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी का विरोध कर रहे हैं।

3. अशोक गहलोत- राजस्थान से दिल्ली की तरफ लौटे अशोक गहलोत को कांग्रेस ने हरियाणा का वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया था। कांग्रेस के भीतर पर्यवेक्षक का काम सभी को साथ लेकर चलना, क्राइसिस मैनेजमेंट करना और ग्राउंड की रिपोर्ट से हाईकमान को अवगत कराना होता है। अशोक गहलोत पूरे चुनाव में क्राइसिस मैनेज नहीं कर पाए। कांग्रेस के 29 बागी मैदान में उतर गए, जिसमें से एकाध बागी को ही कांग्रेस मना पाई। अंबाला और जींद में तो कांग्रेस के बागी ने ही पार्टी का खेल खराब कर दिया।

गहलोत पर्यवेक्षक थे, लेकिन सार्वजनिक तौर पर सैलजा और हुड्डा की लड़ाई को रोक नहीं पाए। सैलजा ने आखिर दिन तक मीडिया को इंटरव्यू दिया और हर इंटरव्यू में सीएम पद देने की मांग उठाई.

4. सुनील कनुगोलू-अगस्त 2022 में औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल होने वाले सुनील कनुगोलू हरियाणा में कांग्रेस की रणनीति देख रहे थे। कहा जाता है कि हरियाणा मांगे हिसाब पदयात्रा का रोडमैप भी कनुगोलू की टीम ने ही तैयार किया था। कनुगोलू के सर्वे को आधार बनाकर ही हुड्डा कैंप ने कई बड़े फैसले हाईकमान से करवाए।

हालांकि, कनुगोलू बीजेपी की रणनीति को समझने में फेल रहे। जमीन पर जिस तरह से बीजेपी ने जाट वर्सेज गैर जाट का फॉर्मूला तैयार किया, उसे भी कनुगोलू की टीम काउंटर नहीं कर पाए।

हुड्डा के हठ से “हाथ” से गया हरियाणा, अब क्या करेगी कांग्रेस?

#whoisresponsibleforthecongressdefeatinharyana

हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को लगातार तीसरी बार करारी हार का सामना करना पड़ा है। हरियाणा में कांग्रेस का चूक जाना किसी बड़े झटके से कम नहीं है। क्योंकि एग्जिट पोले से लेकर शुरूआती रूझान भी कांग्रेस के पक्ष में थे। लेकिन कांग्रेस जीतते-जीतते हार गई।कांग्रेस पार्टी को हरियाणा में बीजेपी से सिर्फ 0.85% वोट ही कम आए। बीजेपी को 39.94 प्रतिशत वोट मिले तो कांग्रेस ने भी 39.09 प्रतिशत वोट हासिल किया। यह इस बात की पुष्टि करता है कि हरियाणा में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना था। फिर भी करारी हार मिली।

पार्टी के अंदर ही कुछ लोग इस हार के लिए हुड्डा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान ने हुड्डा को चुनाव में टिकट बंटवारे में खुली छूट दी थी। दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की जबरदस्त वापसी हुई थी। कांग्रेस हरियाणा की 5 सीटें जीतने में सफल हुई थी। उस समय हुड्डा को कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा माना जा रहा था।तब हुड्डा के समर्थकों ने दावा किया था कि अगर टिकट बंटवारे की जिम्मेदारी हुड्डा को दी जाती तो कांग्रेस सत्ता में वापस आ जाती। हालांकि, हालिया विधानसभा चुनावों के नतीजों ने कांग्रेस नेतृत्व को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने का मौका दे दिया है।

हुड्डा ने एकतरफा चलते हुए कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला को दरकिनार कर दिया। हुड्डा खेमे ने इन नेताओं को बिना जनाधार वाला बताया और टिकटों से लेकर हर जगह अपनी चलाई। यही नहीं, किरण चौधरी और कुलदीप बिश्नोई जैसे वरिष्ठ नेताओं ने हुड्डा पर पार्टी पर कब्जा करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस छोड़ दी थी।

गठबंधन दलों से नहीं तालमेल नहीं बिठाया

कांग्रेस के दलित-जाट वोट में सेंधमारी के लिए इनेलो-बीएसपी और जेजेपी-आजाद समाज पार्टी के गठबंधन बने तो राहुल ने वोटों का बिखराव रोकने के लिए गठबंधन की सलाह दी। मगर, भूपिंदर हुड्डा ने आम आदमी पार्टी से तालमेल नहीं किया। इसके बाद दीपेंद्र हुड्डा ने सपा को हरियाणा में खारिज कर दिया। विरोधी खेमे ने आरोप लगाया है कि हुड्डा ने विरोधियों को बैठाने की बजाय उनकी मदद की। ताकि इससे सीटें 40 के करीब आएं और निर्दलीय उम्मीदवारों के सहारे वो सीएम बन सकें। सूत्रों के मुताबिक, एक वक्त बीजेपी में नाराज चल रहे अहीरवाल इलाके के बड़े क्षत्रप राव इंद्रजीत को कांग्रेस में लाने के लिए एक खेमे ने हरी झंडी दे दी थी। तब भी हुड्डा ने उनकी जरूरत को खारिज कर दिया। लिहाजा न सपा साथ थी, न राव साथ आए और पूरी बेल्ट में सूपड़ा साफ हो गया।

सैलजा ने भी इशारों-इशारों में लिया हुड्डा का नाम

हरियाणा में कांग्रेस पार्टी का सबसे बड़ा दलित चेहरा कुमारी सैलजा है। उन्होंने चुनाव परिणाम आने के बाद कहा कि सभी अंडे एक ही टोकरी में रखने की नीति कभी सही नहीं मानी जाती है। उनका इशारा उम्मीदवारों के चयन प्रक्रिया में भूपेंद्र सिंह हुड्डा का पूरा दबदबा होने की तरफ है। कांग्रेस को जाटों पर हद से ज्यादा भरोसा करके बाकी जातियों को नजरअंदाज करने की कीमत चुकानी पड़ी है। अब सैलजा कह रही हैं कि शीर्ष नेतृत्व को इस रणनीति पर पुनर्विचार करते हुए हार के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करनी चाहिए। शीर्ष नेतृत्व यह सब कर भी ले तो अब क्या? वो कहते हैं ना- अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।

लगातार तीसरी बार सरकार बनने का रिकॉर्ड

बता दें कि हरियाणा में देवी लाल, भजन लाल, बंशी लाल जैसे दिग्गज नेता हुए, लेकिन प्रदेश के लोगों ने कभी किसी का लगातार तीसरी बार साथ नहीं दिया। कांग्रेस के पास हरियाणा के मतदाताओं के इस माइंडसेट को मजबूत बनाए रखने का मौका था, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाई। उसकी इस नाकामयाबी ने बीजेपी को 54 साल की परंपरा को तोड़कर नया रेकॉर्ड बनाने का अवसर दे दिया। आखिरकार बीजेपी ने हरियाणा में पहली बार लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने का रेकॉर्ड कायम कर लिया।

हरियाणा में जीतते-जीतते कैसे हार गई कांग्रेस? सैलजा, हुड्डा या कोई और वजह

#congresswhylostinharyana

हरियाणा में बीजेपी ने हैट्रिक लगाई है। भाजपा एक बार फिर सूबे में सरकार बनाती नजर आ रही है। 10 साल से वनवास झेल रही कांग्रेस एक बार फिर सत्ता के करीब आते-आते रह गई।लगभग एग्जिट पोल में कांग्रेस की सरकार बनती हुई दिख रही थी, लेकिन चुनावी नतीजों ने कांग्रेस के अरमानों पर पानी फेर दिया। 60 सीटों पर जीत का दावा करने वाली ओल्ड ग्रैंड पार्टी 40 के नीचे सिमट गई है। इस सियासी जनादेश की वजह से कांग्रेस फिर से 5 साल के लिए सत्ता से दूर हो गई है।

वोटिंग के बाद सामने आए एग्जिट पोल के सर्वे में अनुमान जताया गया था कि हरियाणा में कांग्रेस दमदार तरीके से पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बना सकती है, लेकिन चुनावी नतीजे और रुझान उसके उलट नजर आए। हरियाणा में मोहब्बत की दुकान खोलने वाली कांग्रेस बीजेपी के सियासी समीकरण को पछाड़ने में पूरी तरह से नाकाम रही। हरियाणा में चुनाव परिणाम आने के बाद अब इस सवाल के जवाब तलाशे जा रहे हैं कि कांग्रेस इस चुनाव में क्यों पिछड़ गई?

कांग्रेस की हार के कारण

हुड्डा का पार्टी में एकाधिकार

हरियाणा कांग्रेस में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा पार्टी की हार के सबसे बड़े कारक माने जा रहे हैं। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा का पार्टी में एकाधिकार था। बीते डेढ़-दो साल से हरियाणा कांग्रेस के बड़े फैसले हुड्डा ही ले रहे थे। फिर चाहे प्रदेश अध्यक्ष उदयभान की नियुक्ति हो या लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारा हो, इन सबमें हुड्डा ही अकेले पॉवर सेंटर बनकर उभरे। चुनाव में राहुल गांधी समेत पार्टी के सभी बड़े नेताओं ने हुड्डा पर विश्वास किया, लेकिन अब हरियाणा में लगातार तीसरी बार कांग्रेस की नैया डूब नजर आ रही है।हुड्डा के पसंद के उम्मीदवार को तरजीह

इस बार के विधानसभा चुनाव में भी 90 में से 70 से अधिक सीटें हुड्डा के कहने पर बंटे। टिकट बंटवारे में को लेकर जब दिल्ली में हरियाणा कांग्रेस की बैठक हुई थी तब भी हुड्डा की ही चली थी। कांग्रेस ने सबसे ज्यादा हुड्डा समर्थक उम्मीदवारों को टिकट दिया था। 90 में से करीब-करीब 70 सीटों पर हुड्डा के पसंद वाले उम्मीदवारों को मौका दिया गया। तब कुमारी सैलजा समेत कई नेताओं ने खुले तौर पर तो नहीं लेकिन अंदरूनी रूप से नाराजगी भी जताई थी, लेकिन हाईकमान ने ध्यान नहीं दिया। अब उसका असर चुनाव के नतीजों में देखने को मिल रहे हैं।

दिग्गज नेताओं की नाराजगी

कांग्रेस के दिग्गज नेता कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला टिकट बंटवारे से खुश नहीं थे। दोनों नेताओं ने अपने करीबियों और समर्थकों के लिए प्रचार किया। सूबे की बाकी सीटों पर चुनाव प्रचार करने नहीं गए। कुमारी सैलजा ने लंबे समय तक चुनाव प्रचार से दूरी रखी, इसके बाद वे लौटीं। हालांकि, तब भी कई इंटरव्यूज में सैलजा ने इशारों-इशारों में बताया कि उनकी हुड्डा से बातचीत नहीं है।

गठबंधन दलों को तरजीह नहीं देना

कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के दलों को तरजीह नहीं दी। अहीरवाल बेल्ट में पार्टी ओवर कन्फिडेंस में रही। यहां पर सपा सीट मांग रही थी। हुड्डा ने साफ-साफ कह दिया कि हरियाणा में इंडिया का गठबंधन नहीं होगा। कई सीटों पर आप को भी अच्छे-खासे वोट मिले हैं। चुनाव से पहले आप ने कांग्रेस के सामने गठबंधन का प्रस्ताव रखा था, लेकिन क्षेत्रीय नेताओं के कहने पर कांग्रेस ने हाथ नहीं मिलाया। इसका खामियाजा विधानसभा चुनाव के परिणाम में देखने को मिल रहा है।

हरियाणा में लौट रही कांग्रेस सरकार! अब बढ़ेगा सिरदर्द, कौन बनेगा सीएम- हुड्डा, सैलजा या सुरजेवाला

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हरियाणा में लोगों ने हाथ का साथ दिया है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों की तस्वीर अब धीरे-धीरे साफ होती हुई दिख रही है। शुरुआती रुझानों से ही कांग्रेस पार्टी ने बढ़त बना रखी है। हरियाणा में शुरुआती रुझानों में कांग्रेस की आंधी दिखाई दे रही है। रूझानों की मानें तो कांग्रेस की प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बन रही है। कांग्रेस 10 साल के बाद हरियाणा में वापसी कर रही है। ये कांग्रेस खेमे में बहुत बड़ी जश्न की बात है, हालांकि इसके साथ भी बड़ा सिरदर्द शुरू होने वाला है। सिरदर्द होगा सीएम के सवाल पर। जी हां, सवाल है कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री कौन होगा?

हरियामा में सीएम के कई दावेदार हैं, जो पार्टी आलाकमान की सिरदर्दी बड़ा सकते हैं। इस पद के दोनों प्रमुख दावेदारों भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा ने सोमवार को स्पष्ट किया कि अंतिम फैसला आलाकमान को करना है। हुड्डा और सैलजा ने यह भी कहा कि कांग्रेस आलाकमान का फैसला उन्हें मंजूर होगा।

ये हैं प्रमुख दावेदार

भूपेंद्र सिंह हुड्डा: हरियाणा में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री की रेस में कई नेताओं का नाम चल रहा है। सबसे पहला नाम है भूपेंद्र सिंह हुड्डा का है, जो 10 साल तक हरियाणा के दो बार मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी के लिए जमकर प्रचार किया था। इस दौरान 10 में से पांच सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी।

कुमारी सैलजा: दूसरा नाम इस लिस्ट में कुमारी सैलजा का है, जो एक दलित चेहरा हैं। वह वर्तमान में सिरसा लोकसभा सीट से सांसद हैं और उनका नाम भी सीएम की रेस में शामिल है। उनकी गांधी परिवार से नजदीकी भी जगजाहिर है। वह हरियाणा की प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।

रणदीप सिंह सुरेजवाला: चौथा नाम रणदीप सिंह सुरजेवाला का है। राज्यसभा सांसद और महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी नाम सीएम पद की रेस में शामिल है। इसके अलावा हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष उदय भान के नाम की भी अटकलें लगाई जा रही हैं। बताया जा रहा है कि अगर पार्टी किसी दलित चेहरे के नाम पर आगे बढ़ती है, तो वह भी इस रेस में शामिल हो सकते हैं। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर शनिवार (5 अक्टूबर) को मतदान हुआ था, जबकि नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।

*Dominant Bengal off to a flying start in Senior Women’s One-Day Trophy*

Sports News

Khabar kolkata sports Desk: Bengal began their Senior Women's One-Day Trophy campaign with a dominant eight-wicket victory over Pondicherry in Sultanpur, Haryana, on Wednesday.

Mita Paul (52 not out, 2-23), Dhara Gujjar (53 not out, 1-0), Tanushree Sarkar (2-22), Saika Ishaque (2-15) were the star performers for Bengal.

Batting first, Pondicherry were bundled out for just 119 in 45.2 overs. Aruna Barman, Tithi Das, Monika Mal also bagged a wicket each for Bengal.

In reply, Dhara and Mita, with an unbeaten 98-run stand for the third wicket, helped Bengal chase down the target comfortably, scoring 123/2 in 24.5 overs.

Pic Courtesy by: CAB

*Dominant Bengal off to a flying start in Senior Women’s One-Day Trophy*

Sports News 

 Khabar kolkata sports Desk: Bengal began their Senior Women's One-Day Trophy campaign with a dominant eight-wicket victory over Pondicherry in Sultanpur, Haryana, on Wednesday.

Mita Paul (52 not out, 2-23), Dhara Gujjar (53 not out, 1-0), Tanushree Sarkar (2-22), Saika Ishaque (2-15) were the star performers for Bengal.

Batting first, Pondicherry were bundled out for just 119 in 45.2 overs. Aruna Barman, Tithi Das, Monika Mal also bagged a wicket each for Bengal. 

In reply, Dhara and Mita, with an unbeaten 98-run stand for the third wicket, helped Bengal chase down the target comfortably, scoring 123/2 in 24.5 overs.

 Pic Courtesy by: CAB

दिल्ली में धुंध के बीच AQI अभी भी 'गंभीर', हरियाणा ने आंशिक रूप से स्कूल बंद करने की दी अनुमति

#delhistillfacingsmogandpollutionwhereasharyanaallowspartialclosureofschools

रविवार, 17 नवंबर को दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 'गंभीर' श्रेणी में रहा, जबकि ठंडी हवाओं के बीच धुंध की स्थिति भी बनी रही, जिससे शहरों में तापमान में गिरावट आई। समीर ऐप के अनुसार, जो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक का हर घंटे अपडेट देता है, रविवार को सुबह करीब 7 बजे दिल्ली का कुल AQI 428 - 'गंभीर' श्रेणी - पर था।

सीपीसीबी द्वारा साझा किए गए 35 निगरानी स्टेशनों में से अधिकांश ने वायु गुणवत्ता को गंभीर श्रेणी में बताया, जिसमें AQI का स्तर 400 से ऊपर था। सीपीसीबी के उपायों के अनुसार, शून्य से 50 के बीच का AQI "अच्छा", 51 और 100 के बीच का "संतोषजनक", 101 और 200 के बीच का "मध्यम", 201 और 300 के बीच का "खराब", 301 और 400 के बीच का "बहुत खराब", 401 और 450 के बीच का "गंभीर" और 450 से ऊपर का "गंभीर प्लस" माना जाता है।

बवाना स्टेशन पर सबसे अधिक 471 AQI दर्ज किया गया, उसके बाद जहांगीरपुरी, अशोक विहार, मुंडका, विवेक विहार, रोहिणी और आनंद विहार का स्थान रहा - इन सभी में वायु गुणवत्ता 450 से अधिक दर्ज की गई।

अक्टूबर के अंत से दिल्ली में वायु गुणवत्ता में गिरावट आ रही है और तब से यह और भी खराब होती जा रही है, जिसके लिए कई कारक जिम्मेदार हैं जैसे पटाखे और पराली जलाना - जो पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में सबसे आम है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए केंद्र की निर्णय सहायता प्रणाली के अनुसार, गुरुवार को दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों से निकलने वाले धुएं और पराली का सबसे अधिक योगदान रहा। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा साझा किए गए उपग्रह डेटा के अनुसार, डेटा से पता चला है कि गुरुवार को पंजाब में कुल पांच खेत में आग लगने की घटनाएं हुईं, हरियाणा में 11 और उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 202 घटनाएं हुईं।

हरियाणा ने आंशिक रूप से स्कूल बंद करने की अनुमति दी

हरियाणा सरकार ने बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए शनिवार को डिप्टी कमिश्नरों को अपने-अपने जिलों के स्कूलों में कक्षा 5 तक की भौतिक कक्षाओं को अस्थायी रूप से बंद करने के लिए अधिकृत किया। राज्य सरकार के जनसंपर्क विभाग ने माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स पर हिंदी में पोस्ट किया, "इस संबंध में स्कूल शिक्षा निदेशालय की ओर से सभी जिला उपायुक्तों को पत्र लिखा गया है।" बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए हरियाणा सरकार ने बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए उपायुक्तों को कक्षा 5 तक के स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद करने का अधिकार दिया है।

पत्र में स्कूल शिक्षा निदेशालय ने लिखा, "मुझे आपको सूचित करने का निर्देश दिया गया है कि सरकार ने निर्णय लिया है कि संबंधित उपायुक्त दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में गंभीर AQI स्तरों के मद्देनजर मौजूदा स्थिति (GRAP के अनुसार) का आकलन करेंगे और छात्रों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के हित में शारीरिक कक्षाएं बंद कर सकते हैं और स्कूलों [सरकारी और निजी] में कक्षा 5वीं तक के लिए ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी कर सकते हैं।" संबंधित जिलों के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए मूल्यांकन अलग-अलग किया जा सकता है," इसमें कहा गया है।

दिल्ली में GRAP III

प्रदूषण रोधी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तीसरे चरण के तहत प्रतिबंध शुक्रवार को लागू होने के साथ ही अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। यातायात पुलिस, परिवहन विभाग और अन्य की टीमें उल्लंघन करने वालों को दंडित कर रही हैं। शुक्रवार को, दिल्ली यातायात पुलिस ने BS III पेट्रोल और BS IV डीजल वाहनों के चलने पर प्रतिबंध के उल्लंघन के लिए लगभग 550 चालान जारी किए, GRAP के तीसरे चरण के तहत प्रतिबंधों के पहले दिन ₹1 करोड़ से अधिक का जुर्माना लगाया।

इस नियम का उल्लंघन करने पर ₹20,000 का जुर्माना लगाया जाता है। NCR के शहरों से दिल्ली आने वाली BS VI डीजल को छोड़कर डीजल और पेट्रोल अंतर-राज्यीय बसों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। पुलिस ने प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUCC) नहीं रखने वाले वाहनों पर भी कार्रवाई की, क्योंकि इसने कुल 4,855 वाहनों पर जुर्माना लगाया। शुक्रवार को ₹4.85 करोड़ का जुर्माना लगाया गया। वैध प्रदूषण नियंत्रण (PUC) प्रमाणपत्र न होने पर वाहन चालकों पर ₹10,000 का जुर्माना लगाया जाता है। ये चालान अदालतों से जारी किए जाते हैं।

*Bowlers help Bengal script stunning win vs MP in Ranji Trophy*

Sports News 

Khabar kolkata sports Desk: Riding on a brilliant performance by the bowlers, Bengal outclassed Madhya Pradesh by 11 runs in the Elite Group C match to register their first victory of the Ranji Trophy season on Saturday. 

Bengal, who bagged six points from the win, currently have 14 points from five games. 

Chasing 338 to win on the fourth and final day, Madhya Pradesh were bowled out for 326. Shahbaz Ahmed (4-48), Mohammad Shami (3-102), Rohit Kumar (2-47) and Md Kaif (1-50) were superb with the ball for Bengal. 

Earlier, after posting 228 in their first innings, Bengal bundled out MP for 167. In their second innings, Bengal scored 276 to hand a challenging target to the home side.

Shahbaz was awarded the player of the match for his all-round performance. 

Bengal will next face Haryana, followed by Punjab at home in their final two group-stage matches.

 Pic Courtesy by: CAB

कुल्हड़ पिज्जा कपल को मिली पुलिस सुरक्षा, निहंगों की धमकी के बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर

पंजाब के जालंधर का फेमस यूट्यूबर जोड़ी जिन्हें कुल्हड़ पिज्जा कपल (Kulhad Pizza Couple) के नाम से जाना जाता है, उन्हें पुलिस पुलिस प्रोटेक्शन मिली है. जालंधर कमिश्नरेट पुलिस ने दोनों की सुरक्षा के लिए दो पुलिसकर्मियों (Police Protection) को तैनात किया है. यूट्यूबर दंपति ने निहंगों से मिली धमकी के बाद पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. अब एक पीसीआर नियमित तौर पर उनके घर और रेस्त्रां की पेट्रोलिंग करेगी.

बाबा बुड्ढा ग्रुप के निहंगों ने कुल्हड़ पिज्जा शॉप पर जमकर हंगामा किया था. इसके बाद कुल्हड़ पिज्जा कपल के नाम से फेमस दंपति सहज अरोड़ा और गुरप्रीत ने जान-माल की सुरक्षा के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. निहंगों के विरोध के बाद कपल ने अपना एक वीडियो (Kulhad Pizza Couple Video) भी जारी किया था. इस वीडियो में कपल ने कहा था- हम परिवार के साथ श्री दरबार साहिब (स्वर्ण मंदिर) जाएंगे और वहां अपनी अर्जी लगाएंगे. पति सहज ने कहा था कि श्री दरबार साहिब पहुंचकर पूछूंगा कि मैं दस्तार (पगड़ी) सजा सकता हूं या नहीं. अगर मैं गलत हूं तो मुझे सजा मिलनी चाहिए.

कुल्हड़ पिज्जा कपल के वकील ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Haryana Highcourt) को बताया था- पिछले दो हफ्तों से सहज-गुरप्रीत को कुछ गैंगस्टर से धमकियां मिल रही हैं. अगली सुनवाई पर हाईकोर्ट को वो लिखित में इसकी पूरी जानकारी दे देंगे. इस मामले अगली सुनवाई 20 जनवरी को होगी.

कौन हैं सहज-गुरप्रीत?

दंपति का अपना एक रेस्टोरेंट है. पति सहज अरोड़ा के इंस्टाग्राम पर करीब 12 लाख फॉलोवर्स हैं. जबकि, पत्नी गुरप्रीत के करीब साढ़े 6 लाख फॉलोवर्स हैं. दोनों सोशल मीडिया पर काफी फेमस हैं. कुल्हड़ पिज्जा के लिए तो यह दंपति फेमस था ही. लेकिन फिर अचानक से उनका एक अश्लील वीडियो वायरल हुआ, जिसके बाद दोनों पहले से भी ज्यादा सुर्खियों में आ गए. आरोप था कि उन्हीं के रेस्टोरेंट में काम करनी वाली एक कर्मचारी ने दोनों के कुछ निजी और अश्लील वीडियो वायरल कर दिए थे. वीडियो वायरल हुआ तो कपल ने कहा कि वीडियो फेक है. बाद में इसकी शिकायत कपल ने कमिश्नरेट पुलिस से की.

कपल ने कहा- हमारा ही था वीडियो

फिर मामले में सहज के रेस्टोरेंट में काम करने वाली पूर्व कर्मचारी तनिषा वर्मा और अन्य अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया. हालांकि, तनिषा के परिवार ने आरोप लगाया था कि जॉब के दौरान लड़की का मोबाइल जमा कर लेते थे. बीच में एक दिन सहज अरोड़ा ने तनिषा का फोन यूज किया था. इस बीच एक पॉडकास्ट में यह कपल पहुंचा तो उन्होंने माना कि उक्त वीडियो उन्होंने बनाया था. लेकिन ये नहीं सोचा था कि वो वायरल हो जाएगा.

निहंगों ने क्या दी धमकी?

एक महीने पहले बाबा बुड्ढा दल के निहंग बाबा मान सिंह अकाली ने कपल के रेस्टोरेंट के बाहर पहुंचकर विरोध किया. कहा कि सहज अपनी पगड़ी उतारकर हमें दे दें या फिर वह अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पत्नी के साथ वीडियो डालने बंद कर दें. बस इसके बाद से धमकियों का सिलसिला जारी रहा. परेशान होकर कुल्हड़ कपल ने पुलिस से मदद मांगी

हरियाणा में मंत्रालयों का बंटवारा, सीएम सैनी के पास गृह-वित्त समेत कुल 12 विभाग,जानें और किसे क्या मिला

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हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने रविवार देर रात अपनी कैबिनेट के विभागों का बंटवारा कर दिया। सीएम ने गृह, वित्त और आबकारी समेत कुल 12 विभाग अपने पास रखे हैं, जबकि सात बार के विधायक व सबसे वरिष्ठ नेता अनिल विज को ऊर्जा, ट्रांसपोर्ट और श्रम विभाग दिया गया है। विपुल गोयल को भी भारी भरकम विभाग दिए गए हैं। उनके पास रेवेन्यू व डिजास्टर, निकाय विभाग, सिविल एविएशन विभाग रहेगा।

किसे मिला कौन सा मंत्रालय?

-अनिल विज ऊर्जा, परिवहन और श्रम विभाग के मंत्री होंगे।

-कृष्णलाल पंवार पंचायत और खनन मंत्री बनाए गए हैं।

-राव नरबीर सिंह उद्योग एवं वाणिज्य, पर्यावरण वन समेत 4 विभाग के मंत्री होंगे।

-महिपाल ढांडा स्कूल शिक्षा, उच्चतर शिक्षा और संसदीय कार्य मंत्री होंगे।

-विपुल गोयल को राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, स्थानीय निकाय और सिविल एविएशन विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

-अरविंद शर्मा को सहकारिता, जेल एवं पर्यटन समेत 4 विभाग दिए गए हैं।

-श्याम सिंह राणा को कृषि, पशुपालन एवं डेयरिंग और मत्स्य विभाग का मंत्री बनाया गया।

-रणबीर गंगवा को जनस्वास्थ्य और लोक निर्माण विभाग का मंत्री बनाया गया।

-कृष्ण कुमार बेदी को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता समेत 3 विभाग मिले।

-श्रुति चौधरी को महिला एवं बाल विकास और सिंचाई विभाग की मंत्री बनाया गया।

-आरती राव को स्वास्थ्य, मेडिकल एजुकेशन और आयुष विभाग की मंत्री बनाया गया।

-राजेश नागर को खाद्य एवं आपूर्ति एवं प्रिंटिंग एवं स्टेशनरी विभाग की जिम्मेदारी मिली।

-गौरव गौतम को खेल समेत 3 विभाग का मंत्री बनाया गया।

बता दें कि आठ अक्टूबर को जब हरियाणा चुनाव के नतीजे आए तो बीजेपी को राज्य में ऐतिहासिक जीत मिली। बीजेपी ने हरियाणा ने जीत की हैट्रिक लगाई है।पिछले 10 से हरियाणा की सत्ता पर काबिज बीजेपी ने पहली बार राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। बीजेपी को 48 सीटें मिलीं। हरियाणा में नई सरकार के गठन को लेकर विधायक दल की बैठक हुई। इस बैठक में नायब सिंह सैनी को एक बार फिर से विधायक दल का नेता चुना गया और राज्य की कमान एक बार फिर से उन्हीं को सौंपने का फैसला किया गया।

हरियाणा में हार के बाद एक्शन में कांग्रेस, मल्लिकार्जुन खरगे ने हुड्डा-गहलोत से बाबरिया तक को किया तलब!

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हरियाणा में कांग्रेस बुरी तरह हार गई है। हार के लिए मुख्य रूप से कुमारी सैलजा और भूपिंदर सिंह हुड्डा को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।हरियाणा में हार और सहयोगियों के वार के बाद कांग्रेस एक्शन में है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हार की समीक्षा को लेकर आज बड़ी बैठक बुलाई है।इस बैठक में पहले भूपेन्द्र हुड्डा, पर्यवेक्षक अशोक गहलोत, अजय माकन, प्रताप सिंह बाजवा, प्रभारी दीपक बाबरिया, प्रदेश अध्यक्ष उदय भान शामिल होंगे. राहुल गांधी भी इस बैठक में शामिल हो सकते हैं। हरियाणा को लेकर खरगे द्वारा बुलाई गई समीक्षा बैठक में सैलजा और सुरजेवाला को पहले नहीं बुलाया गया है। इन नेताओं को बाद में बुलाया जा सकता है।

चुनाव से पहले यह तय माना जा रहा था कि हरियाणा में इस बार कांग्रेस की वापसी होगी. एग्जिट पोल के सर्वे ने इस अनुमान को थोड़ा और पुख्ता कर दिया. सर्वे के बाद से हरियाणा कांग्रेस में जबरदस्त उत्साह थी. कांग्रेस वाले इस बात को तय मान चुके थे कि 10 साल बाद प्रदेश में उसकी वापसी हो रही है. कोई भी ऐसा सर्वे नहीं था जिसमें कांग्रेस हारती हुई दिख रही थी लेकिन जब नतीजे आए तो सारे सर्वे फेल हो गए. बीजेपी को हरियाणा में ऐतिहासिक जीत मिली. बीजेपी ने प्रदेश में जीत की हैट्रिक लगाई।

जानकारों के अनुसार, कांग्रेस की अंदरूनी कलह, मौजूदा विधायकों पर अत्यधिक निर्भरता और बागियों की वजह से कांग्रेस एक दशक के बाद हरियाणा में वापसी करने में विफल रही। भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा की खींचतान से बीजेपी को बड़ा फायदा मिला। टिकट बंटवारे से लेकर चुनाव प्रचार तक कांग्रेस बंटी नजर आ रही थी। कांग्रेस तीन खेमों में बंट गई थी। इसमें एक खेमा पूर्व सीएम हुड्डा का था तो दूसरा कुमारी सैलजा और तीसरा रणदीप सुरजेवाला का था।

सैलजा-हुड्डा के अलावा इन 4 दिग्गजों का भी हार में हाथ!

सैलजा और हुड्डा के अलावा कांग्रेस के भीतर 4 ऐसे भी दिग्गज हैं, जिनके ऊपर हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनाने की जिम्मेदारी थी, लेकिन जिस तरह से पार्टी की हार हुई है, उससे कहा जा रहा है कि इन नेताओं की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।

1. दीपक बाबरिया- जून 2023 में शक्ति सिंह गोहिल के गुजरात जाने के बाद दीपक बाबरिया को हरियाणा कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया। प्रभारी महासचिव बनने के बाद बाबरिया न तो हरियाणा में कांग्रेस की संगठन तैयार कर पाए और न ही गुटबाजी खत्म कर पाए। इतना ही नहीं, बाबरिया के बयान ने ही कई बार कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी।

2. अजय माकन- कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन हरियाणा चुनाव में स्क्रीनिंग कमेटी के प्रमुख थे। कांग्रेस के भीतर टिकट वितरण का काम स्क्रीनिंग कमेटी के पास ही है। कांग्रेस का टिकट वितरण पूरे चुनाव के दौरान विवादों में रहा। आरोप है कि टिकट वितरण में सिर्फ हुड्डा गुट को तरजीह मिली। 89 टिकट में से 72 टिकट कांग्रेस में हुड्डा समर्थकों को दे दी गई। टिकट वितरण के बाद कुमारी सैलजा नाराज होकर प्रचार से दूर हो गई। सैलजा की नाराजगी रिजल्ट पर भी दिखा है।

यही नहीं, राहुल गांधी के कहने पर जब कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से गठबंधन की कवायद शुरू की तो अजय माकन और हुड्डा इसके विरोध में थे। माकन दिल्ली की राजनीति की वजह से शुरू से ही अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी का विरोध कर रहे हैं।

3. अशोक गहलोत- राजस्थान से दिल्ली की तरफ लौटे अशोक गहलोत को कांग्रेस ने हरियाणा का वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया था। कांग्रेस के भीतर पर्यवेक्षक का काम सभी को साथ लेकर चलना, क्राइसिस मैनेजमेंट करना और ग्राउंड की रिपोर्ट से हाईकमान को अवगत कराना होता है। अशोक गहलोत पूरे चुनाव में क्राइसिस मैनेज नहीं कर पाए। कांग्रेस के 29 बागी मैदान में उतर गए, जिसमें से एकाध बागी को ही कांग्रेस मना पाई। अंबाला और जींद में तो कांग्रेस के बागी ने ही पार्टी का खेल खराब कर दिया।

गहलोत पर्यवेक्षक थे, लेकिन सार्वजनिक तौर पर सैलजा और हुड्डा की लड़ाई को रोक नहीं पाए। सैलजा ने आखिर दिन तक मीडिया को इंटरव्यू दिया और हर इंटरव्यू में सीएम पद देने की मांग उठाई.

4. सुनील कनुगोलू-अगस्त 2022 में औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल होने वाले सुनील कनुगोलू हरियाणा में कांग्रेस की रणनीति देख रहे थे। कहा जाता है कि हरियाणा मांगे हिसाब पदयात्रा का रोडमैप भी कनुगोलू की टीम ने ही तैयार किया था। कनुगोलू के सर्वे को आधार बनाकर ही हुड्डा कैंप ने कई बड़े फैसले हाईकमान से करवाए।

हालांकि, कनुगोलू बीजेपी की रणनीति को समझने में फेल रहे। जमीन पर जिस तरह से बीजेपी ने जाट वर्सेज गैर जाट का फॉर्मूला तैयार किया, उसे भी कनुगोलू की टीम काउंटर नहीं कर पाए।

हुड्डा के हठ से “हाथ” से गया हरियाणा, अब क्या करेगी कांग्रेस?

#whoisresponsibleforthecongressdefeatinharyana

हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को लगातार तीसरी बार करारी हार का सामना करना पड़ा है। हरियाणा में कांग्रेस का चूक जाना किसी बड़े झटके से कम नहीं है। क्योंकि एग्जिट पोले से लेकर शुरूआती रूझान भी कांग्रेस के पक्ष में थे। लेकिन कांग्रेस जीतते-जीतते हार गई।कांग्रेस पार्टी को हरियाणा में बीजेपी से सिर्फ 0.85% वोट ही कम आए। बीजेपी को 39.94 प्रतिशत वोट मिले तो कांग्रेस ने भी 39.09 प्रतिशत वोट हासिल किया। यह इस बात की पुष्टि करता है कि हरियाणा में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना था। फिर भी करारी हार मिली।

पार्टी के अंदर ही कुछ लोग इस हार के लिए हुड्डा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान ने हुड्डा को चुनाव में टिकट बंटवारे में खुली छूट दी थी। दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की जबरदस्त वापसी हुई थी। कांग्रेस हरियाणा की 5 सीटें जीतने में सफल हुई थी। उस समय हुड्डा को कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा माना जा रहा था।तब हुड्डा के समर्थकों ने दावा किया था कि अगर टिकट बंटवारे की जिम्मेदारी हुड्डा को दी जाती तो कांग्रेस सत्ता में वापस आ जाती। हालांकि, हालिया विधानसभा चुनावों के नतीजों ने कांग्रेस नेतृत्व को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने का मौका दे दिया है।

हुड्डा ने एकतरफा चलते हुए कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला को दरकिनार कर दिया। हुड्डा खेमे ने इन नेताओं को बिना जनाधार वाला बताया और टिकटों से लेकर हर जगह अपनी चलाई। यही नहीं, किरण चौधरी और कुलदीप बिश्नोई जैसे वरिष्ठ नेताओं ने हुड्डा पर पार्टी पर कब्जा करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस छोड़ दी थी।

गठबंधन दलों से नहीं तालमेल नहीं बिठाया

कांग्रेस के दलित-जाट वोट में सेंधमारी के लिए इनेलो-बीएसपी और जेजेपी-आजाद समाज पार्टी के गठबंधन बने तो राहुल ने वोटों का बिखराव रोकने के लिए गठबंधन की सलाह दी। मगर, भूपिंदर हुड्डा ने आम आदमी पार्टी से तालमेल नहीं किया। इसके बाद दीपेंद्र हुड्डा ने सपा को हरियाणा में खारिज कर दिया। विरोधी खेमे ने आरोप लगाया है कि हुड्डा ने विरोधियों को बैठाने की बजाय उनकी मदद की। ताकि इससे सीटें 40 के करीब आएं और निर्दलीय उम्मीदवारों के सहारे वो सीएम बन सकें। सूत्रों के मुताबिक, एक वक्त बीजेपी में नाराज चल रहे अहीरवाल इलाके के बड़े क्षत्रप राव इंद्रजीत को कांग्रेस में लाने के लिए एक खेमे ने हरी झंडी दे दी थी। तब भी हुड्डा ने उनकी जरूरत को खारिज कर दिया। लिहाजा न सपा साथ थी, न राव साथ आए और पूरी बेल्ट में सूपड़ा साफ हो गया।

सैलजा ने भी इशारों-इशारों में लिया हुड्डा का नाम

हरियाणा में कांग्रेस पार्टी का सबसे बड़ा दलित चेहरा कुमारी सैलजा है। उन्होंने चुनाव परिणाम आने के बाद कहा कि सभी अंडे एक ही टोकरी में रखने की नीति कभी सही नहीं मानी जाती है। उनका इशारा उम्मीदवारों के चयन प्रक्रिया में भूपेंद्र सिंह हुड्डा का पूरा दबदबा होने की तरफ है। कांग्रेस को जाटों पर हद से ज्यादा भरोसा करके बाकी जातियों को नजरअंदाज करने की कीमत चुकानी पड़ी है। अब सैलजा कह रही हैं कि शीर्ष नेतृत्व को इस रणनीति पर पुनर्विचार करते हुए हार के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करनी चाहिए। शीर्ष नेतृत्व यह सब कर भी ले तो अब क्या? वो कहते हैं ना- अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।

लगातार तीसरी बार सरकार बनने का रिकॉर्ड

बता दें कि हरियाणा में देवी लाल, भजन लाल, बंशी लाल जैसे दिग्गज नेता हुए, लेकिन प्रदेश के लोगों ने कभी किसी का लगातार तीसरी बार साथ नहीं दिया। कांग्रेस के पास हरियाणा के मतदाताओं के इस माइंडसेट को मजबूत बनाए रखने का मौका था, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाई। उसकी इस नाकामयाबी ने बीजेपी को 54 साल की परंपरा को तोड़कर नया रेकॉर्ड बनाने का अवसर दे दिया। आखिरकार बीजेपी ने हरियाणा में पहली बार लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने का रेकॉर्ड कायम कर लिया।

हरियाणा में जीतते-जीतते कैसे हार गई कांग्रेस? सैलजा, हुड्डा या कोई और वजह

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हरियाणा में बीजेपी ने हैट्रिक लगाई है। भाजपा एक बार फिर सूबे में सरकार बनाती नजर आ रही है। 10 साल से वनवास झेल रही कांग्रेस एक बार फिर सत्ता के करीब आते-आते रह गई।लगभग एग्जिट पोल में कांग्रेस की सरकार बनती हुई दिख रही थी, लेकिन चुनावी नतीजों ने कांग्रेस के अरमानों पर पानी फेर दिया। 60 सीटों पर जीत का दावा करने वाली ओल्ड ग्रैंड पार्टी 40 के नीचे सिमट गई है। इस सियासी जनादेश की वजह से कांग्रेस फिर से 5 साल के लिए सत्ता से दूर हो गई है।

वोटिंग के बाद सामने आए एग्जिट पोल के सर्वे में अनुमान जताया गया था कि हरियाणा में कांग्रेस दमदार तरीके से पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बना सकती है, लेकिन चुनावी नतीजे और रुझान उसके उलट नजर आए। हरियाणा में मोहब्बत की दुकान खोलने वाली कांग्रेस बीजेपी के सियासी समीकरण को पछाड़ने में पूरी तरह से नाकाम रही। हरियाणा में चुनाव परिणाम आने के बाद अब इस सवाल के जवाब तलाशे जा रहे हैं कि कांग्रेस इस चुनाव में क्यों पिछड़ गई?

कांग्रेस की हार के कारण

हुड्डा का पार्टी में एकाधिकार

हरियाणा कांग्रेस में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा पार्टी की हार के सबसे बड़े कारक माने जा रहे हैं। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा का पार्टी में एकाधिकार था। बीते डेढ़-दो साल से हरियाणा कांग्रेस के बड़े फैसले हुड्डा ही ले रहे थे। फिर चाहे प्रदेश अध्यक्ष उदयभान की नियुक्ति हो या लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारा हो, इन सबमें हुड्डा ही अकेले पॉवर सेंटर बनकर उभरे। चुनाव में राहुल गांधी समेत पार्टी के सभी बड़े नेताओं ने हुड्डा पर विश्वास किया, लेकिन अब हरियाणा में लगातार तीसरी बार कांग्रेस की नैया डूब नजर आ रही है।हुड्डा के पसंद के उम्मीदवार को तरजीह

इस बार के विधानसभा चुनाव में भी 90 में से 70 से अधिक सीटें हुड्डा के कहने पर बंटे। टिकट बंटवारे में को लेकर जब दिल्ली में हरियाणा कांग्रेस की बैठक हुई थी तब भी हुड्डा की ही चली थी। कांग्रेस ने सबसे ज्यादा हुड्डा समर्थक उम्मीदवारों को टिकट दिया था। 90 में से करीब-करीब 70 सीटों पर हुड्डा के पसंद वाले उम्मीदवारों को मौका दिया गया। तब कुमारी सैलजा समेत कई नेताओं ने खुले तौर पर तो नहीं लेकिन अंदरूनी रूप से नाराजगी भी जताई थी, लेकिन हाईकमान ने ध्यान नहीं दिया। अब उसका असर चुनाव के नतीजों में देखने को मिल रहे हैं।

दिग्गज नेताओं की नाराजगी

कांग्रेस के दिग्गज नेता कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला टिकट बंटवारे से खुश नहीं थे। दोनों नेताओं ने अपने करीबियों और समर्थकों के लिए प्रचार किया। सूबे की बाकी सीटों पर चुनाव प्रचार करने नहीं गए। कुमारी सैलजा ने लंबे समय तक चुनाव प्रचार से दूरी रखी, इसके बाद वे लौटीं। हालांकि, तब भी कई इंटरव्यूज में सैलजा ने इशारों-इशारों में बताया कि उनकी हुड्डा से बातचीत नहीं है।

गठबंधन दलों को तरजीह नहीं देना

कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के दलों को तरजीह नहीं दी। अहीरवाल बेल्ट में पार्टी ओवर कन्फिडेंस में रही। यहां पर सपा सीट मांग रही थी। हुड्डा ने साफ-साफ कह दिया कि हरियाणा में इंडिया का गठबंधन नहीं होगा। कई सीटों पर आप को भी अच्छे-खासे वोट मिले हैं। चुनाव से पहले आप ने कांग्रेस के सामने गठबंधन का प्रस्ताव रखा था, लेकिन क्षेत्रीय नेताओं के कहने पर कांग्रेस ने हाथ नहीं मिलाया। इसका खामियाजा विधानसभा चुनाव के परिणाम में देखने को मिल रहा है।

हरियाणा में लौट रही कांग्रेस सरकार! अब बढ़ेगा सिरदर्द, कौन बनेगा सीएम- हुड्डा, सैलजा या सुरजेवाला

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हरियाणा में लोगों ने हाथ का साथ दिया है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों की तस्वीर अब धीरे-धीरे साफ होती हुई दिख रही है। शुरुआती रुझानों से ही कांग्रेस पार्टी ने बढ़त बना रखी है। हरियाणा में शुरुआती रुझानों में कांग्रेस की आंधी दिखाई दे रही है। रूझानों की मानें तो कांग्रेस की प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बन रही है। कांग्रेस 10 साल के बाद हरियाणा में वापसी कर रही है। ये कांग्रेस खेमे में बहुत बड़ी जश्न की बात है, हालांकि इसके साथ भी बड़ा सिरदर्द शुरू होने वाला है। सिरदर्द होगा सीएम के सवाल पर। जी हां, सवाल है कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री कौन होगा?

हरियामा में सीएम के कई दावेदार हैं, जो पार्टी आलाकमान की सिरदर्दी बड़ा सकते हैं। इस पद के दोनों प्रमुख दावेदारों भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा ने सोमवार को स्पष्ट किया कि अंतिम फैसला आलाकमान को करना है। हुड्डा और सैलजा ने यह भी कहा कि कांग्रेस आलाकमान का फैसला उन्हें मंजूर होगा।

ये हैं प्रमुख दावेदार

भूपेंद्र सिंह हुड्डा: हरियाणा में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री की रेस में कई नेताओं का नाम चल रहा है। सबसे पहला नाम है भूपेंद्र सिंह हुड्डा का है, जो 10 साल तक हरियाणा के दो बार मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी के लिए जमकर प्रचार किया था। इस दौरान 10 में से पांच सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी।

कुमारी सैलजा: दूसरा नाम इस लिस्ट में कुमारी सैलजा का है, जो एक दलित चेहरा हैं। वह वर्तमान में सिरसा लोकसभा सीट से सांसद हैं और उनका नाम भी सीएम की रेस में शामिल है। उनकी गांधी परिवार से नजदीकी भी जगजाहिर है। वह हरियाणा की प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।

रणदीप सिंह सुरेजवाला: चौथा नाम रणदीप सिंह सुरजेवाला का है। राज्यसभा सांसद और महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी नाम सीएम पद की रेस में शामिल है। इसके अलावा हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष उदय भान के नाम की भी अटकलें लगाई जा रही हैं। बताया जा रहा है कि अगर पार्टी किसी दलित चेहरे के नाम पर आगे बढ़ती है, तो वह भी इस रेस में शामिल हो सकते हैं। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर शनिवार (5 अक्टूबर) को मतदान हुआ था, जबकि नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।