WestBengalBangla

May 10 2024, 12:32

জানেন ড.কে এস রাজন্না কে? ১১ বছর বয়সে হাত-পা হারান, তারপর প্রতিবন্ধীদের কণ্ঠস্বর হয়ে উঠলেন, পেলেন পদ্ম পুরস্কার
#dr_ks_rajanna_padma_shri_winner_divyang_social_worker



এসবি নিউজ ব্যুরো: বৃহস্পতিবার পদ্ম পুরস্কার বিজয়ীদের সম্মাননা দিয়েছেন রাষ্ট্রপতি দ্রৌপদী মুর্মু। তিনি মোট 132 জনকে সম্মানিত করেছেন। প্রতিবন্ধী সমাজসেবক ড. কে.এস. রাজন্নাকেও সম্মানিত করা হয়েছে, যিনি পোলিওর কারণে তার হাত ও পা দুটি হারান, তিনি দেশের চতুর্থ সর্বোচ্চ নাগরিক হয়েছেন।সম্মান- পদ্মশ্রীতে ভূষিত।
উল্লেখ্য,11 বছর বয়সে পোলিওতে আক্রান্ত হয়ে হাত ও পা হারান কেএস রাজন্না। এরপর তিনি হাঁটু গেড়ে হাঁটতে শিখেছিলেন এবং নিজের শারীরিক সীমাবদ্ধতাকে অনুপ্রেরণা হিসেবে ব্যবহার করেন এবং নিজেকে কারো চেয়ে কম না ভেবে প্রতিবন্ধীদের জন্য কাজ করার সিদ্ধান্ত নেন। সমাজসেবায় যোগদানের পর, তিনি অবিরাম কাজ করেন এবং 2013 সালে সরকার তাকে প্রতিবন্ধীদের জন্য রাজ্য কমিশনার করে।কর্ণাটকের বেঙ্গালুরুর বাসিন্দা রাজন্নাকে ৩ বছরের জন্য এই পদ দেওয়া হয়েছিল, কিন্তু তার মেয়াদ শেষ হওয়ার আগেই তাকে তার পদ থেকে সরিয়ে দেওয়া হয়েছিল। তাঁর জায়গায় কমলাক্ষীকে এই দায়িত্ব দেওয়া হলেও কর্ণাটক সরকারের এই সিদ্ধান্তের তীব্র বিরোধিতা করা হয়। গুরুত্বপূর্ণ বিষয় ছিল রাজন্নাকে এমনকি তাকে অপসারণ করা হয়েছে তা জানানো হয়নি। এরপর সরকার আবার তাকে এই পদ দেয়। এখন তিনি পদ্মশ্রী সম্মানে ভূষিত হয়েছেন।সম্মানিত হয়েছেন। শুভেচ্ছা জানিয়েছেন প্রধানমন্ত্রী মোদিকে। বৃহস্পতিবার, রাষ্ট্রপতি ভবনের ঐতিহাসিক হলে যখন ডক্টর কে এস রাজন্নার নাম পদ্মশ্রী পুরস্কারের জন্য ডাকা হয়, তখন পুরো হলটি বজ্র করতালিতে প্রতিধ্বনিত হয়। রাষ্ট্রপতি দ্রৌপদী মুর্মুর কাছ থেকে পদ্মশ্রী পদক এবং প্রশংসাপত্র গ্রহণের আগে ডঃ রাজন্না প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদীর কাছে গিয়েছিলেন। এরপরে
মঞ্চে যাওয়ার আগে রাষ্ট্রপতির সামনে মাথা নত করেন রাজন্না। তিনি রাষ্ট্রপতিকে বিশেষভাবে শুভেচ্ছা জানান। রাষ্ট্রপতি যখন তাকে পদ্মশ্রী দিয়ে সম্মানিত করছিলেন, তখন পুরো হলের মধ্যে এমন কেউই থাকবেন যিনি তার কৃতিত্বের জন্য গর্বিত নন। ডঃ রাজন্নাকে সম্মান জানিয়ে চিঠিতে তাকে প্রতিবন্ধীদের কল্যাণে প্রতিশ্রুতিবদ্ধ একজন প্রতিবন্ধী সমাজকর্মী হিসেবে বর্ণনা করা হয়েছে। রাজন্নার অনেক নাম আছে।  ড. কে এস রাজন্না কর্ণাটকের মান্ডা জেলার বাসিন্দা। তিনি তার পিতামাতার সপ্তম সন্তান। 11 বছর বয়সে পোলিওর কারণে তার হাত এবং পা হারানো সত্ত্বেও, তার উৎসাহ কখনও হ্রাস পায়নি। তিনি শুধু পড়াশোনাই শেষ করেননি, লেখালেখি, হস্তশিল্পের পাশাপাশি ডিসকাস থ্রো, ড্রাইভিং এবং সাঁতারও শিখেন। 1975 সালে তিনি রাজ্য সিভিল সার্ভিস পরীক্ষায় উত্তীর্ণ হন। 1980 সালে তিনি মেকানিক্যাল থেকে স্নাতক হন।এছাড়াও ডিপ্লোমা ইন ইঞ্জিনিয়ারিং অর্জন করেন। ডঃ রাজন্না 2003 সালের প্যারালিম্পিকেও দুটি পদক জিতেছেন। রাজন্না 54 বছর বয়সে রাজ্যের কমিশনার নিযুক্ত হন। এছাড়াও রাজন্না মেকানিক্যাল ইঞ্জিনিয়ারিংয়ে ডিপ্লোমা করেছেন।

India

May 10 2024, 11:41

जानें कौन हैं केएस राजन्ना ? एक साल की उम्र में गंवाए हाथ-पैर, फिर बने दिव्यांगों की आवाज, अब राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

#dr_ks_rajanna_padma_shri_winner_divyang_social_worker

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार (9 मई) के दिन पद्म पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया। उन्होंने कुल 132 लोगों का सम्मान किया। इसमें दिव्यांग समाजसेवी डॉ. केएस रजन्ना भी शामिल थे।पोलियो के कारण अपने दोनों हाथ-पैर गंवा चुके डॉ केएस राजन्ना को देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान- पद्मश्री से अलंकृत किया गया। केएस राजन्ना ने 11 साल की उम्र में पोलियो के कारण अपने हाथ और पैर खो दिए। जिसके बाद उन्होंने घुटनों के बल चलना सीखा।उन्होंने अपनी शारीरिक सीमाओं को प्रेरणा बनाया और खुद को किसी से कम नहीं मानते हुए दिव्यांगजनों के लिए काम करने का फैसला किया।

समाजसेवा में आने के बाद उन्होंने लगातार काम किया और 2013 में सरकार ने उन्हें दिव्यांगों के लिए राज्य कमिश्नर बना दिया। कर्नाकट के बेंगलुरू के रहने वाले रजन्ना को तीन साल के लिए यह पद दिया गया था, लेकिन उनका कार्यकाल खत्म होने से पहले ही उन्हें उनके पद से हटा दिया गया। उनकी जगह कमलाक्षी को यह जिम्मेदारी दी गई, लेकिन कर्नाटक सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध हुआ। अहम यह था कि रजन्ना को इस बारे में जानकारी तक नहीं दी गई थी कि उन्हें हटाया गया है। इसके बाद सरकार ने दोबारा उन्हें यह पद दे दिया। अब उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया है।

पीएम मोदी का किया अभिवादन

गुरुवार को जब राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक हॉल में जब पद्म श्री से नवाजे जाने के लिए जैसे ही डॉ के एस राजन्ना का नाम पुकारा गया, पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। डॉ राजन्ना राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों पद्मश्री पदक और प्रशस्ति पत्र हासिल करने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पहुंचे।इस पर पीएम ने उनका हाथ पकड़ लिया। इसके बाद राजन्ना ने राष्ट्रपति के सामने मंच पर जाने से पहले शीश झुकाया। उन्होंने राष्ट्रपति का भी विशेष रूप से अभिवादन किया। राष्ट्रपति जब उन्हें पद्मश्री से सम्मानित कर रही थी तब पूरा हॉल में शायद ही कोई होगा जो उनकी उपलब्धि पर गर्व ना कर रहा है। डॉ. राजन्ना को सम्मानित करने वाले पत्र में दिव्यांजनों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में वर्णित किया गया था।

राजन्ना के नाम कई उपलब्धियां

डॉ. केएस राजन्ना कर्नाटक के मांड्या जिले के रहने वाले हैं। वह अपने मात-पिता की सातवीं संतान हैं। 11 साल की उम्र में पोलियो की वजह से हाथ-पैर गंवाने के बावजूद उनका उत्साह कभी कम नहीं हुआ। उन्होंने ना सिर्फ अपनी पढ़ाई पूरी की बल्कि लेखन, हस्तशिल्प के साथ ही डिस्कस थ्रो, ड्राइविंग और स्विमिंग भी सीखी। 1975 में उन्होंने स्टेट सिविल सर्विस की परीक्षा पास की। 1980 में उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा भी हासिल कर लिया। डॉ. राजन्ना ने साल 2003 में पैरालंपिकक में दो मेडल भी जीत चुके हैं। राजन्ना को 54 साल की उम्र में साल राज्य में कमिश्नर नियुक्त किया गया था। राजन्ना मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा धारक है।

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May 10 2024, 12:32

জানেন ড.কে এস রাজন্না কে? ১১ বছর বয়সে হাত-পা হারান, তারপর প্রতিবন্ধীদের কণ্ঠস্বর হয়ে উঠলেন, পেলেন পদ্ম পুরস্কার
#dr_ks_rajanna_padma_shri_winner_divyang_social_worker



এসবি নিউজ ব্যুরো: বৃহস্পতিবার পদ্ম পুরস্কার বিজয়ীদের সম্মাননা দিয়েছেন রাষ্ট্রপতি দ্রৌপদী মুর্মু। তিনি মোট 132 জনকে সম্মানিত করেছেন। প্রতিবন্ধী সমাজসেবক ড. কে.এস. রাজন্নাকেও সম্মানিত করা হয়েছে, যিনি পোলিওর কারণে তার হাত ও পা দুটি হারান, তিনি দেশের চতুর্থ সর্বোচ্চ নাগরিক হয়েছেন।সম্মান- পদ্মশ্রীতে ভূষিত।
উল্লেখ্য,11 বছর বয়সে পোলিওতে আক্রান্ত হয়ে হাত ও পা হারান কেএস রাজন্না। এরপর তিনি হাঁটু গেড়ে হাঁটতে শিখেছিলেন এবং নিজের শারীরিক সীমাবদ্ধতাকে অনুপ্রেরণা হিসেবে ব্যবহার করেন এবং নিজেকে কারো চেয়ে কম না ভেবে প্রতিবন্ধীদের জন্য কাজ করার সিদ্ধান্ত নেন। সমাজসেবায় যোগদানের পর, তিনি অবিরাম কাজ করেন এবং 2013 সালে সরকার তাকে প্রতিবন্ধীদের জন্য রাজ্য কমিশনার করে।কর্ণাটকের বেঙ্গালুরুর বাসিন্দা রাজন্নাকে ৩ বছরের জন্য এই পদ দেওয়া হয়েছিল, কিন্তু তার মেয়াদ শেষ হওয়ার আগেই তাকে তার পদ থেকে সরিয়ে দেওয়া হয়েছিল। তাঁর জায়গায় কমলাক্ষীকে এই দায়িত্ব দেওয়া হলেও কর্ণাটক সরকারের এই সিদ্ধান্তের তীব্র বিরোধিতা করা হয়। গুরুত্বপূর্ণ বিষয় ছিল রাজন্নাকে এমনকি তাকে অপসারণ করা হয়েছে তা জানানো হয়নি। এরপর সরকার আবার তাকে এই পদ দেয়। এখন তিনি পদ্মশ্রী সম্মানে ভূষিত হয়েছেন।সম্মানিত হয়েছেন। শুভেচ্ছা জানিয়েছেন প্রধানমন্ত্রী মোদিকে। বৃহস্পতিবার, রাষ্ট্রপতি ভবনের ঐতিহাসিক হলে যখন ডক্টর কে এস রাজন্নার নাম পদ্মশ্রী পুরস্কারের জন্য ডাকা হয়, তখন পুরো হলটি বজ্র করতালিতে প্রতিধ্বনিত হয়। রাষ্ট্রপতি দ্রৌপদী মুর্মুর কাছ থেকে পদ্মশ্রী পদক এবং প্রশংসাপত্র গ্রহণের আগে ডঃ রাজন্না প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদীর কাছে গিয়েছিলেন। এরপরে
মঞ্চে যাওয়ার আগে রাষ্ট্রপতির সামনে মাথা নত করেন রাজন্না। তিনি রাষ্ট্রপতিকে বিশেষভাবে শুভেচ্ছা জানান। রাষ্ট্রপতি যখন তাকে পদ্মশ্রী দিয়ে সম্মানিত করছিলেন, তখন পুরো হলের মধ্যে এমন কেউই থাকবেন যিনি তার কৃতিত্বের জন্য গর্বিত নন। ডঃ রাজন্নাকে সম্মান জানিয়ে চিঠিতে তাকে প্রতিবন্ধীদের কল্যাণে প্রতিশ্রুতিবদ্ধ একজন প্রতিবন্ধী সমাজকর্মী হিসেবে বর্ণনা করা হয়েছে। রাজন্নার অনেক নাম আছে।  ড. কে এস রাজন্না কর্ণাটকের মান্ডা জেলার বাসিন্দা। তিনি তার পিতামাতার সপ্তম সন্তান। 11 বছর বয়সে পোলিওর কারণে তার হাত এবং পা হারানো সত্ত্বেও, তার উৎসাহ কখনও হ্রাস পায়নি। তিনি শুধু পড়াশোনাই শেষ করেননি, লেখালেখি, হস্তশিল্পের পাশাপাশি ডিসকাস থ্রো, ড্রাইভিং এবং সাঁতারও শিখেন। 1975 সালে তিনি রাজ্য সিভিল সার্ভিস পরীক্ষায় উত্তীর্ণ হন। 1980 সালে তিনি মেকানিক্যাল থেকে স্নাতক হন।এছাড়াও ডিপ্লোমা ইন ইঞ্জিনিয়ারিং অর্জন করেন। ডঃ রাজন্না 2003 সালের প্যারালিম্পিকেও দুটি পদক জিতেছেন। রাজন্না 54 বছর বয়সে রাজ্যের কমিশনার নিযুক্ত হন। এছাড়াও রাজন্না মেকানিক্যাল ইঞ্জিনিয়ারিংয়ে ডিপ্লোমা করেছেন।

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May 10 2024, 11:41

जानें कौन हैं केएस राजन्ना ? एक साल की उम्र में गंवाए हाथ-पैर, फिर बने दिव्यांगों की आवाज, अब राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

#dr_ks_rajanna_padma_shri_winner_divyang_social_worker

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार (9 मई) के दिन पद्म पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया। उन्होंने कुल 132 लोगों का सम्मान किया। इसमें दिव्यांग समाजसेवी डॉ. केएस रजन्ना भी शामिल थे।पोलियो के कारण अपने दोनों हाथ-पैर गंवा चुके डॉ केएस राजन्ना को देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान- पद्मश्री से अलंकृत किया गया। केएस राजन्ना ने 11 साल की उम्र में पोलियो के कारण अपने हाथ और पैर खो दिए। जिसके बाद उन्होंने घुटनों के बल चलना सीखा।उन्होंने अपनी शारीरिक सीमाओं को प्रेरणा बनाया और खुद को किसी से कम नहीं मानते हुए दिव्यांगजनों के लिए काम करने का फैसला किया।

समाजसेवा में आने के बाद उन्होंने लगातार काम किया और 2013 में सरकार ने उन्हें दिव्यांगों के लिए राज्य कमिश्नर बना दिया। कर्नाकट के बेंगलुरू के रहने वाले रजन्ना को तीन साल के लिए यह पद दिया गया था, लेकिन उनका कार्यकाल खत्म होने से पहले ही उन्हें उनके पद से हटा दिया गया। उनकी जगह कमलाक्षी को यह जिम्मेदारी दी गई, लेकिन कर्नाटक सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध हुआ। अहम यह था कि रजन्ना को इस बारे में जानकारी तक नहीं दी गई थी कि उन्हें हटाया गया है। इसके बाद सरकार ने दोबारा उन्हें यह पद दे दिया। अब उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया है।

पीएम मोदी का किया अभिवादन

गुरुवार को जब राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक हॉल में जब पद्म श्री से नवाजे जाने के लिए जैसे ही डॉ के एस राजन्ना का नाम पुकारा गया, पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। डॉ राजन्ना राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों पद्मश्री पदक और प्रशस्ति पत्र हासिल करने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पहुंचे।इस पर पीएम ने उनका हाथ पकड़ लिया। इसके बाद राजन्ना ने राष्ट्रपति के सामने मंच पर जाने से पहले शीश झुकाया। उन्होंने राष्ट्रपति का भी विशेष रूप से अभिवादन किया। राष्ट्रपति जब उन्हें पद्मश्री से सम्मानित कर रही थी तब पूरा हॉल में शायद ही कोई होगा जो उनकी उपलब्धि पर गर्व ना कर रहा है। डॉ. राजन्ना को सम्मानित करने वाले पत्र में दिव्यांजनों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में वर्णित किया गया था।

राजन्ना के नाम कई उपलब्धियां

डॉ. केएस राजन्ना कर्नाटक के मांड्या जिले के रहने वाले हैं। वह अपने मात-पिता की सातवीं संतान हैं। 11 साल की उम्र में पोलियो की वजह से हाथ-पैर गंवाने के बावजूद उनका उत्साह कभी कम नहीं हुआ। उन्होंने ना सिर्फ अपनी पढ़ाई पूरी की बल्कि लेखन, हस्तशिल्प के साथ ही डिस्कस थ्रो, ड्राइविंग और स्विमिंग भी सीखी। 1975 में उन्होंने स्टेट सिविल सर्विस की परीक्षा पास की। 1980 में उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा भी हासिल कर लिया। डॉ. राजन्ना ने साल 2003 में पैरालंपिकक में दो मेडल भी जीत चुके हैं। राजन्ना को 54 साल की उम्र में साल राज्य में कमिश्नर नियुक्त किया गया था। राजन्ना मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा धारक है।