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Jul 08 2024, 10:38

क्या युद्ध की तैयारी कर रहा है चीन? जरूरत से कई गुना ज्यादा तेल जमा करना दे रहे इसके संकेत

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क्या चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है? चीन जिस तरह से युद्ध के दौरान जरूरत पड़ने वाली चीजों का स्टॉक करने में जुटा है, उससे इस तरह के सवाल उठ रहे है। यही नहीं चीन के तेवर जिस तरह से दिख रहे हैं, उससे भी ये आशंका जताई जा रही है। नवंबर 2022 में चीन के राष्ट्रपति के तौर पर तीसरी बार चुने जाने के बाद शी जिनपिंग ने सैन्यकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा था कि चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ती अस्थिरता और अनिश्चितता का सामना कर रही है। ऐसे में हमें युद्ध लड़ने और जीतने के लिए तैयार रहना चाहिए। पिछले दो दशक में भारत से लेकर दक्षिण चीन सागर तक विभिन्‍न क्षेत्रों में अप्रत्‍याशित तरीके से आक्रामक दावे करने शुरू किए हैं। चीन ने खरबों डॉलर खर्च करके अपनी सेना को हाइपरसोनिक मिसाइलों से लेकर पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट से लैस किया है। सबसे बड़ी आशंका ड्रैगन के कच्चे तेल के भंडारण को लेकर है

पूर्वी चीन के डोंगयिंग बंदरगाह पर, 2024 की शुरुआत में कई टैंकर एक साथ रूसी कच्चे तेल को उतारते हुए देखे गए हैं। जिसके बाद चीन ने पिछले साल के अंत तक 31.5 मिलियन बैरल का भंडारण कर लिया है। चीन शांति काल में प्रतिदिन लगभग 14 मिलियन बैरल तेल की खपत करता है। हालाँकि, जिस तरह के हालात है स्पष्ट प्रतीत होता है कि चीन जानबूझकर तेजी से भंडारण कर रहा है। जो आवश्यक कच्चे माल और संसाधन को इकट्ठा करने के एक बहुत व्यापक राष्ट्रीय प्रयास का हिस्सा है। 

यह एक ऐसा कदम है जिसके बारे में कुछ लोगों को संदेह है कि इसका उद्देश्य बीजिंग को भविष्य के किसी भी युद्ध या अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचाना है, जैसे कि ताइवान पर संभावित चीनी आक्रमण से उत्पन्न होने वाले प्रतिबंध। युद्ध के दौरान उसे कच्चे तेल की सप्लाई में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है या फिर उस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लग सकते हैं, जिससे उसकी फैक्ट्रियों की कमर टूट जाएगी। इसीलिए वह अपनी जरूरत से कई गुना ज्यादा तेल स्टोर करने में लगा है, जिससे हालात विपरीत भी हों तो भी देश के उद्योग धंधे काम करते रहें।

जिनपिंग अपने देश को टकराव के लिए तैयार कर रहे!

17 अप्रैल को प्रकाशित अंतर्राष्ट्रीय मामलों और संघर्ष ब्लॉगिंग साइट "वॉर ऑन द रॉक्स" के लिए एक लेख में, अमेरिकी नौसेना खुफिया और खुफिया कार्यालय के पूर्व कमांडर और यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड के निदेशक माइक स्टडमैन ने तर्क दिया कि यह एक बहुत व्यापक प्रक्रिया का हिस्सा था। उन्होंने लिखा, "शी जिनपिंग अपने देश को टकराव के लिए तैयार कर रहे हैं," उन्होंने चीनी नेता को "चीनी समाज का सैन्यीकरण करने और अपने देश को संभावित उच्च तीव्रता वाले युद्ध के लिए तैयार करने" के रूप में वर्णित किया। उन्होंने सुझाव दिया कि इसका एक हिस्सा आवश्यक वस्तुओं और संसाधनों के रणनीतिक भंडार का निर्माण करना, यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों से चीन की रक्षा करना - या, वास्तव में, क्षेत्रीय या वैश्विक युद्ध के हिस्से के रूप में सैन्य रूप से लागू की गई नाकाबंदी शामिल है। उन्होंने कहा कि बढ़ी हुई तैयारियों के अन्य उदाहरणों में ताइवान के आसपास चीनी सैन्य अभियानों की बहुत अधिक गति शामिल है - जिसका उद्देश्य चीन की सेना का अभ्यास करना और ताइपे में सरकार को अपनी कुल सैन्य नाकाबंदी के परिणामों से धमकाना है। 

अन्य प्रमुख संकेतक

केवल कच्चे तेल का भंडारण ही नहीं, अन्य महत्वपूर्ण संकेतक भी हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है। पिछले पांच सालों में चीनी सेना का विस्तार और आधुनिकिकरण तेजी से हुआ है और हाइपरसोनिक सिलाइल प्रौद्योगिकी में इसकी प्रगति बीजिंग को लाभ की स्थिति में रखती है, क्योंकि अमेरिका ने अभी तक इसके समकक्ष कोई मिसाइल तैनात नहीं की है।

चीन का इरादा ताइवान का एकीकरण

चीन का इरादा साल 2025 तक ताइवान का मुख्‍य भूमि से एकीकरण करने का है। ताइवान में नए राष्‍ट्रपति के आने के बाद चीनी सेना ने बहुत बड़े पैमाने पर सैन्‍य ड्रिल शुरू की है। विश्‍लेषकों का कहना है कि यह ताइवानी राष्‍ट्रपति को डराने की कोशिश है जो खुलकर चीन का विरोध कर रहे हैं। चीन की पहले कोशिश थी कि शांतिपूर्ण तरीके से एकीकरण हो जाए लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है। ताइवान की रणनीति है कि अमेरिका की मदद से यथास्थिति को बहाल रखा जाए। वहीं चीन अमेरिका से लेकर ताइवान तक को आंखें दिखा रहा है और बड़े पैमाने पर हथियार बना रहा है।

अगले 50 साल में कई युद्धों के लिए तैयारी

खुद चीन की सरकारी न्‍यूज एजेंसी चाइना न्‍यूज सर्विस ने साल 2013 में अपने एक लेख में खुलासा किया था कि अगले 50 साल में चीन को 6 युद्ध लड़ने होंगे। चाइना न्‍यूज सर्विस का इशारा चीन के उन इलाकों को वापस हासिल करने की ओर था जिसे उसने साल 1840-42 के अफीम युद्ध के दौरान खो दिया था। इससे चीन की काफी बेइज्‍जती हुई थी। अब आर्थिक और सैन्‍य महाशक्ति बन चुका चीन इन इलाकों को वापस लेना चाहता है। इस लेख के मुताबिक चीन का इरादा इन देशों के साथ युद्ध लड़ने का है

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Jul 01 2024, 19:08

चीन को क्यों आई पंचशील समझौते की याद, भारत समेत कई देशों के साथ संघर्ष के बीच जिनपिंग की ये कौन सी चाल?

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अमेरिका और यूरोपीय संघ से बढ़ती रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का सामना करते हुए हाल के वर्षों में एशियाई, अफ्रीकी और अमेरिकी देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने की जुगत में लगे चीन का भारत और अन्य विकासशील देशों के साथ संघर्ष हुआ है। यही नहीं, विस्तारवादी चीन के अपने पड़ोसियों के साथ तनावपूर्ण संबंध हैं।भारत और चीन के बीच पिछले कुछ समय में लगातार तनाव बढ़ा है। पूर्वी लद्दाख और कई स्थानों पर भारतीय जमीन पर कब्जा किए बैठा चीन अब विश्व से उस समझौते पर चलने की अपेक्षा कर रहा है जिसका पहला बिंदु संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान है। बात हो रही है पंचशील के सिद्धांतों की।

दरअसल, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वर्तमान समय के संघर्षों के अंत के लिए पंचशील के सिद्धांतों की वकालत की है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शुक्रवार को बीजिंग में पंचशील सिद्धांत के जारी होने की 70वीं वर्षगांठ मनाई। इस दौरान उन्होंने शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच सिद्धांतों की तारीफ करते हुए इसे दुनिया में जारी संघर्षों को खत्म करने के लिए आज भी अहम बताया। शी ने कहा, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों ने समय की मांग को पूरा किया और इनकी शुरुआत एक अपरिहार्य ऐतिहासिक घटनाक्रम था।

निःसंदेश, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पंचशील की तारीफ कर सबको हैरान कर दिया। हैरानी, इसलिए क्यों राष्ट्रपति जिनपिंग ने पंचशील सिद्धांतों की वकालत पश्चिमी देशों और कई क्षेत्रीय देशों के साथ चल रहे चीन के साथ टकराव के बीच की है। हालांकि, रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी इसमें आश्चर्य जैसा नहीं देखते हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि शी जिनपिंग ने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों की प्रशंसा की है। चेलानी ने आगे लिखा, अपने भाषण में जो बात चीन ने नहीं बताई वह यह है कि लगभग (पंचशील समझौते के) आठ साल बाद 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण करके सभी पंचशील सिद्धांतों का खुलेआम उल्लंघन किया। ये सिद्धांत थे- एक-दूसरे की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान', 'गैर-आक्रामकता', 'एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना', 'समानता और पारस्परिक लाभ' तथा 'शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व'।

ब्रह्म चेलानी ने आगे लिखा, चीन अपने पड़ोसियों के साथ अपने संबंधों में उन सिद्धांतों का उल्लंघन करना लगातार जारी रखे हुए है। उन्होंने 1954 के पंचशील समझौते को आजादी के बाद भारत की सबसे बड़ी भूलों में से एक बताया। उस समझौते के माध्यम से भारत ने बिना कुछ हासिल किए तिब्बत में अपने ब्रिटिश विरासत वाले क्षेत्रीय अधिकारों को छोड़ दिया और चीन के तिब्बत क्षेत्र को मान्यता दी। समझौते की शर्तों के तहत, भारत ने तिब्बत से अपने मिलिट्री एस्कॉर्ट को वापस बुला लिया और वहां संचालित डाक, टेलीग्राफ और टेलीफोन सेवाओं को चीन को सौंप दिया।

बता दें कि पंचशील के सिद्धांतों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा, 'शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों ने समय की मांग को पूरा किया और इनकी शुरुआत एक अपरिहार्य ऐतिहासिक घटनाक्रम था। अतीत में चीनी नेतृत्व ने पहली बार पांच सिद्धांतों यानी 'एक-दूसरे की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान', 'गैर-आक्रामकता', 'एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना', 'समानता और पारस्परिक लाभ', तथा 'शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व' को संपूर्णता के साथ निर्दिष्ट किया था।'

शी ने सम्मेलन में कहा, 'उन्होंने चीन-भारत और चीन-म्यामांर संयुक्त वक्तव्यों में पांच सिद्धांतों को शामिल किया था। इन वक्तव्यों में पांच सिद्धांतों को द्विपक्षीय संबंधों के लिए बुनियादी मानदंड बनाने का आह्वान किया गया था।' शी ने अपने संबोधन में कहा कि शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच सिद्धांतों की शुरुआत एशिया में हुई, लेकिन जल्द ही ये विश्व मंच पर छा गए। उन्होंने कहा कि पंचशील सिद्धांत आज अंतरराष्ट्रीय समुदाय की समान संपत्ति बन चुके हैं।

क्या है पंचशील समझौता या पंचशील सिद्धांत

पंचशील के सिद्धांतो को पहली बार 1954 में तिब्बत क्षेत्र के बीच व्यापार व संबंध को लेकर भारत और चीन के बीच हुए समझौते में शामिल किया गया था। चीन में इसे शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांत जबकि भारत में पंचशील का सिद्धांत कहा जाता है। इसका मूल उद्देश्य दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण सह अस्तित्व की व्यवस्था कायम करना था। वस्तुतः पंचशील सिद्धांतों के माध्यम से ऐसे नैतिक मूल्यों का समुच्चय तैयार करना था, जिन्हें प्रत्येक देश अपनी विदेश नीति का हिस्सा बना सके और एक शांतिपूर्ण वैश्विक व्यवस्था का निर्माण कर सके। पंचशील सिद्धांतों के अंतर्गत शामिल किए गए प्रमुख पांच सिद्धांत निम्नानुसार हैं-

• प्रत्येक देश एक दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का परस्पर सम्मान करेंगे।

• गैर-आक्रमण का सिद्धांत अपनाया गया। इसके तहत तय किया गया कि कोई भी देश किसी दूसरे देश पर आक्रमण नहीं करेगा।

• समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले देश एक दूसरे के आंतरिक मामलों में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करेंगे।

• इसके तहत तय किया गया कि सभी देश एक दूसरे के साथ समानता का व्यवहार करेंगे तथा परस्पर लाभ के सिद्धांत पर काम करेंगे।

• सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत इसमें ‘शांतिपूर्ण सह अस्तित्व’ (Peaceful Coexistence) का माना गया है। इसके तहत कहा गया है कि सभी देश शांति बनाए रखेंगे और एक दूसरे के अस्तित्व पर किसी भी प्रकार का संकट उत्पन्न नहीं करेंगे।

पंचशील समझौता और भारत-चीन युद्ध

1954 में चीन के प्रधानमंत्री झोउ एन लाई ने अपनी भारत यात्रा के दौरान कहा था कि पंचशील सिद्धांत उपनिवेशवाद के अंत और एशिया व अफ्रीका के नए राष्ट्रों के उद्भव में अत्यंत सहायक सिद्ध होंगे। इस दौर से ही भारत ने ‘हिंदी चीनी भाई-भाई’ का नारा दिया और चीन पर अत्यधिक भरोसा किया। भारत ने वर्ष 1955 में चीन को इंडोनेशिया में आयोजित होने वाले एशियाई अफ्रीकी देशों के बांडुंग सम्मेलन में भी आमंत्रित किया था। इसी बीच अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत और चीन के मध्य विवाद चल रहा था। चीन इन दोनों ही भारतीय क्षेत्रों को अपना हिस्सा बताता था। इन विवादों के कारण भारत और चीन के संबंध धीरे-धीरे बिगड़ते जा रहे थे। चीन संपूर्ण तिब्बत को अपना हिस्सा मानता था और इसी बीच भारत ने तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा को भारत में शरण दे दी थी, इससे चीन अत्यधिक रुष्ट हो गया था। भारत और चीन के बीच वर्ष 1954 में हस्ताक्षरित हुए इस पंचशील समझौते की समयावधि 8 वर्षों की थी, लेकिन 8 वर्षों के बाद इसे पुनः आगे बढ़ाने पर विचार नहीं किया गया। पंचशील समझौते की समयावधि समाप्त होते ही ऊपर वर्णित मुद्दों को आधार बनाकर वर्ष 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में भारत न सिर्फ पराजित हुआ, बल्कि उसके विभिन्न हिस्सों पर चीन ने कब्ज़ा भी कर लिया। भारत के वे हिस्से आज भी चीन के कब्जे में ही हैं।

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Jun 20 2024, 13:13

GDP Growth: China Vs India
GDP Growth: China Vs India Wish we could have taken our economy more seriously in the 1980s and '90s

GDP Growth: China Vs India Wish we could have taken our economy more seriously in the 1980s and '90s

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May 20 2024, 14:13

रूस और चीन की बढ़ती दोस्ती, क्या भारत को संबंधों के पुनर्मूल्यांकन की है जरूरत

#china_russia_strategic_ties

रूस के राष्ट्रपति पद की 5वीं बार शपथ लेने के बाद व्लादिमिर पुतिन अपनी पहली विदेश यात्रा के दौरान चीन पहुंचे थे। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 16 और 17 मई को चीन के दौरे पर थे।इस दौरान दोनों देशों ने व्यापक साझेदारी और रणनीतिक सहयोग' को गहरा करने के लिए एक संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए। जिसमें कई सुरक्षा मुद्दों पर अमेरिका का विरोध, ताइवान और यूक्रेन से लेकर उत्तर कोरिया तक हर चीज पर साझा दृष्टिकोण और नई शांतिपूर्ण परमाणु टेक्नोलॉजी और वित्त पर सहयोग की घोषणा की गई। 

यह हैरान करने वाली बात नहीं है कि पांचवी बार राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने के बाद पुतिन ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए चीन को चुना है।रूसी राष्ट्रपति की ये यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब दोनों देशों के रिश्ते अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं।

रूस के साथ समझौते को लेकर चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि चीन और रूस के संबंधों का भविष्य उज्ज्वल है। जिनपिंग के अनुसार चीन और रूस के बीच द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती के लिए विकास की व्यापक संभावनाएं तलाशी जाएंगी। शी जिनपिंग ने कहा कि उनके और पुतिन के बीच रूस और यूक्रेन में दो साल से अधिक समय से चल रहे युद्ध को सुलझाने के लिए बातचीत की गई। चीन ने कभी भी सार्वजनिक रूप से रूस के यूक्रेन पर आक्रमण का समर्थन नहीं किया।

रूस और चीन के इस समझौते से पूरी दुनिया में हलचल है। दरअसल, रूस और चीन एक जैसी मानसिकता वाले देश हैं।रूस एक ऐसा देश है जो वर्तमान में यूक्रेन पर आक्रमण कर रहा है जबकि दूसरा चीन भारतीय क्षेत्र में बार-बार घुसपैठ का दोषी है। दोनों को लोकतांत्रिक ताइवान से भी समस्या है। चीन, ताइवान को लगातार डराता रहता है। उन्हें लगता है कि उत्तर कोरिया के साथ अन्याय हुआ है। कुल मिलाकर कहें तो, दोनों देश दुनियाभर में अराजकता के एक बड़े हिस्से के लिए वे ही जिम्मेदार हैं। इस बीच सवाल ये उठता है कि चीन और रूस के बीच के ये संबंध भारत को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।

चीन आज भारत का मुख्य रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी है, जबकि रूस के साथ हमारे ऐतिहासिक रक्षा संबंध हैं। लेकिन बीजिंग और मॉस्को की तरफ से अपने रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के साथ, भारत रूसी प्लेटफार्मों पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं कर सकती है। हथियार प्रणालियों में चल रहे विविधीकरण को तेज किया जाना चाहिए। इसकी वजह है कि भारत और चीन के बीच टकराव की स्थिति में, रूस अधिक से अधिक तटस्थ रहेगा या सबसे बुरी स्थिति में बीजिंग की सहायता करेगा। साथ ही, भारत के पास अभी भी अकेले लड़ने के लिए एकजुट ताकत नहीं है। इसलिए, हमें पश्चिम के साथ और अधिक निकटता से काम करना होगा। अब मास्को के साथ हमारे रणनीतिक संबंधों का पुनर्मूल्यांकन करने का समय आ गया है।

Patna

May 15 2024, 20:19

पटना साहिब एवं पाटलिपुत्र लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के लिए खुशखबरी, मतदान का रिकॉर्ड दिखाने पर ये कंपनी देगी यह छूट

पटना : पटना साहिब एवं पाटलिपुत्र लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान दिनांक 01.06.2024 को निर्धारित है। मतदान करने वाले सभी मतदाताओं द्वारा उंगली पर अमिट स्याही का निशान दिखाने पर फिट गैलेक्सी जिम द्वारा वार्षिक सदस्यता की खरीद पर फ्लैट 45% की छूट दी जाएगी। यह छूट मतदान दिवस अर्थात 01.06.2024 को सभी मतदाता ले सकते हैं।

वीटीआर उन्नयन हेतु फिट नेस्ट जिम, श्रीकृष्णा पुरी ने भी सदस्यता की खरीद पर फ्लैट 20% की छूट देने की घोषणा की है जो कोई भी मतदाता अमिट स्याही का निशान अपनी उंगली पर दिखा कर इस्तेमाल कर सकते हैं।

साथ ही Yo! China Take Away Express तथा 9 to 9 Spa and Saloon ने घोषणा की है कि मतदान करने वालों को उनके द्वारा दिनांक 02 जून,2024 से 06 जून,2024 तक किसी भी खरीद पर 10% की छूट दी जाएगी। 

इसके पूर्व सिनेमाघर के संचालकों द्वारा सिनेमा टिकट में मतदान करने वालों को 50 प्रतिशत की छूट दी जाने की घोषणा की गई। यह छूट दिनांक 01.06.2024 एवं दिनांक 02.06.2024 को प्रत्येक सिनेमा हॉल के हरेक शो में दिया जाएगा। मोंगिनिस द्वारा 01 जून को मतदान करने वाले सभी मतदाताओं को मतदान तिथि को केक एवं बेकरी की खरीद पर 10 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। रैपिडो द्वारा 01 जून को मतदाताओं को घर से बूथ तक ले जाने एवं वापस घर लाने की निःशुल्क व्यवस्था की गई है।

पटना से मनीष प्रसाद

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Apr 29 2024, 10:04

भारत की यात्रा रद्द कर चीन पहुंचे एलन मस्क, आखिर क्या है वजह?

#elonmuskmakessurprisevisittochina

अरबपति कारोबारी एलन मस्क आज बीजिंग के दौरे पर हैं। टेस्ला सीईओ और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के मालिक एलन मस्क रविवार, 28 अप्रैल को चीन के दौरे पर रवाना हुए।हैरानी वाली बात ये है कि एलन मस्क का चीन दौरा ऐसे समय पर हो रहा है, जब कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपने भारत दौरे को टाल दिया था। उन्होंने कहा था कि टेस्ला के काम की वजह से वह भारत नहीं आ पाएंगे। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसा कौन सा काम था कि मस्क ने भारत दौरे को टाल कर चीन की यात्रा की है।

चीन के सरकारी चैनल सीटीजीएन के अनुसार, स्पेसएक्स और टेस्ला के प्रमुख ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए चीन परिषद (सीसीपीआईटी) के निमंत्रण पर चीन की यात्रा की है। इस दौरान उन्होंने चीन के साथ आगे के सहयोग पर चर्चा करने के लिए सीसीपीआईटी अध्यक्ष रेन होंगबिन से मुलाकात की है। बीजिंग की अपनी औचक यात्रा के दौरान अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने रविवार को चीन में टेस्ला वाहनों को कुछ संवदेनशील स्थानों पर ले जाने पर लगे प्रतिबंधों को हटाने पर चर्चा करने के लिए चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग एवं अन्य अधिकारियों से मुलाकात की। सरकारी मीडिया ने यह जानकारी दी।

हाल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में टेस्ला कार चालक सरकार से संबंधित भवनों में प्रवेश पर पाबंदी से जूझ रहे हैं क्योंकि अमेरिका के साथ सुरक्षा चिंताएं बढ़ रही हैं। संवदेनशील एवं रणनीतिक डेटा के सामने आ जाने के डर से इन कारों पर ऐसी जगहों पर प्रतिबंध है। निक्की एशिया द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में बड़ी संख्या में सभागार एवं प्रदर्शनी केंद्र टेस्ला वाहनों को अपने यहां नहीं आने दे रहे। रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले इन वाहनों पर प्रतिबंध आम तौर पर सैन्य अड्डों तक सीमित था लेकिन अब राजमार्ग संचालक, स्थानीय प्राधिकरण एजेंसी, सांस्कृतिक केंद्र भी इन वहानों पर कथित रूप से प्रतिबंध लगाते जा रहे हैं।

चीनी पीएम ने चीन-अमेरिका संबंध पर कही ये बात

मुलाकात के दौरान चीनी पीएम ली कियांग ने एलन मस्क से कहा कि चीन का विशाल बाजार विदेशी वित्तपोषित उद्यमों के लिए हमेशा खुला रहेगा। उन्होंने कहा कि चीन विदेशी वित्तपोषित उद्यमों को बेहतर कारोबारी माहौल और मजबूत समर्थन प्रदान करने के लिए बाजार पहुंच का विस्तार करने और सेवाओं में सुधार करने पर कड़ी मेहनत करेगा ताकि सभी देशों की कंपनियां शांत मन से चीन में निवेश कर सकें। ली ने कहा कि चीन में टेस्ला के विकास को चीन-अमेरिका आर्थिक सहयोग का एक सफल उदाहरण कहा जा सकता है।

एलन मस्क ने कैंसिल किया था भारत का दौरा

एलन मस्क इसी महीने 21 और 22 तारीख को भारत की यात्रा करने वाले थे और उनकी यात्रा की योजना काफी पहले तैयार की गई थी। नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से भी उनकी मुलाकात प्रस्तावित थी, जिसमें वो दक्षिण एशियाई बाजार में प्रवेश करने की योजना की घोषणा करने वाले थे। एलन मस्क ने पिछले साल जून में कहा था, कि वह 2024 में भारत का दौरा करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा था, कि उन्हें विश्वास है कि इलेक्ट्रिक कार निर्माता भारत में होगा और "जितनी जल्दी संभव हो सके" भारत में फैक्ट्री लगाने की कोशिश करेगा। पीएम मोदी ने भी अरबपति कारोबारी को भारत आने का निमंत्रण भी दिया था। मस्क ने इस दौरान कहा था, कि "मैं पीएम मोदी को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं, और उम्मीद है कि हम भविष्य में कुछ घोषणा कर पाएंगे।" लेकिन, भारत का दौरा करने से ठीक एक दिन पहले एलन मस्क ने टेस्ला के लिए जरूरी काम का हवाला देकर भारत का दौरा कैंसिल कर दिया और कहा, कि वो इस साल में आगे भारत यात्रा करने के लिए उत्सुक हैं।

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Apr 06 2024, 10:18

भारत में लोकसभा चुनावों में AI के जरिए प्रभावित कर सकता है चीन, माइक्रोसॉफ्ट ने किया सतर्क

#microsoftwarnedindiachinamisuseailoksabha_elections

भारत में लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। पहले चरण के लिए 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है। इससे पहले सुरक्षा व्यवस्था को दुरूस्त किया जा रहा है। चुनाव में किसी तरह की अशांति और धांधली ना हो इसकी तैयारी की जा रही है। इस बीच अमेरिका की दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने दावा किया है कि चीन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की मदद से भारत के लोकसभा चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश कर सकता है।

माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि भारत में आम चुनाव के दौरान चीन एआई टेक्नोलॉजी का मिसयूज कर के चुनाव पर असर डाल सकती है। कंपनी ने इस दौरान हैकिंग की कोशिश को लेकर भी चेतावनी दी है। टेक कंपनी की थ्रेट इंटेलीजेंस टीम का अनुमान है कि, चीन सरकार के साइबर ग्रुप इस साल होने वाले अहम चुनावों को निशाना बनाएंगे और इसमें उत्तर कोरिया की भी भूमिका हो सकती है। इस साल दुनिया भर में विशेष रूप से भारत, दक्षिण कोरिया और अमेरिका में होने वाले प्रमुख चुनावों के साथ हमारा आकलन है कि चीन एआई पर कंटेंट जनरेटे कर रहा है।

हैकर्स के लिए एआई प्रमुख हथियार बना

कंपनी का कहना है कि हैकर्स के लिए एआई एक प्रमुख हथियार बन गया है, जो आसानी से वीडियो मॉर्फ (छेड़छाड़ करना) कर सकता है। माइक्रोसॉफ्ट ने खुलासा किया है कि चीन चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एआई की मदद से सामग्री बनाने और उसे वायरल करने की योजना बना रहा है। एआई की मदद से प्रसिद्ध हस्तियों की आवाज बदली जा सकती है और उन्हें बड़े पैमाने पर सार्वजनिक रूप से शेयर किया जा सकता है, जो इसे वायरल होने और लाखों लोगों तक पहुंचने में मदद करता है।

ताइवान के चुनाव में चीन ने किया था दुष्प्रचार

रिपोर्ट में जनवरी में ताइवान के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान एआई-की मदद से दुष्प्रचार अभियान में चीन के पिछले प्रयास की भी जानकारी दी गई है। माइक्रोसॉफ्ट ने बताया कि जनवरी 2024 में ताइवान के राष्ट्रपति चुनावों को अस्थिर करने के लिए एआई सामग्री का भी उपयोग किया गया था। यह विदेशी चुनाव को प्रभावित करने के लिए एआई की मदद से बनाए गए कंटेट का उपयोग करने वाली चीनी सरकार समर्थित साइबर एजेंसी का पहला कारनामा है। बीजिंग समर्थित एक समूह, जिसे स्टॉर्म 1376 या स्पामौफ्लैज के नाम से जाना जाता है, इस अवधि के दौरान विशेष रूप से सक्रिय था। वह यूट्यूब पर नकली सामग्री पोस्ट कर रहा था और विजेता उम्मीदवार के बारे में एआई-जनरेटेड मीम्स बना रहा था।

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Mar 27 2024, 15:10

भारत नेदक्षिण चीन सागर में फिलीपींस के रूख का खुलकर किया समर्थन, तिलमिलाया चीन, जानें क्या कहा?

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चीन अपने पड़ोसी देशों को कैसे देखता है, ये किसी से छुपा नहीं है।चीन एक ऐसा देश है, जो अपने पड़ोसी मुल्कों की जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर सबसे ज्यादा विवादों में रहता है। दरअसल चीन दुनिया के नक्शे पर सबसे ज्यादा, 14 देशों के साथ अपनी सीमा साझा करता है। ड्रैगन ने अपनी विवादास्पद विस्तार वादी नीति के तहत सभी पड़ोसी देशों की जमीन पर या तो कब्जा कर रखा है या कब्जे का प्रयास करता रहता है। हालांकि भारत जैसे देश ड्रैगन को आइना दिखाने से भी नहीं चूकते। इसी क्रम में चीन और फिलीपींस में तनाव के बीच भारत ने फिलीपींस की संप्रुभता का पुरजोर समर्थन किया है। अब चीन ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।

चीन ने कहा-तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं

फिलीपींस के साथ चल रहे समुद्री सीमा विवाद को लेकर चीन ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस दौरान उन्होंने भारत से दक्षिण चीन सागर पर चीन के संप्रमुभता के दावों का सम्मान करने की अपील भी की है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि समुद्री विवाद संबंधित देशों के बीच का मुद्दा है और कोई भी तीसरा पक्ष इसमें हस्तक्षेप करने की स्थिति में नहीं है।हम संबंधित पक्ष से दक्षिण चीन सागर के मुद्दों के तथ्यों का सामना करने, चीन की संप्रभुता और समुद्री हितों और दक्षिण चीन सागर में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए क्षेत्रीय देशों द्वारा किए गए प्रयासों का सम्मान करने का आग्रह करते हैं।

एस जयशंकर का फिलीपींस को समर्थन

इससे पहले मंगलवार को दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ फिलीपींस के विवाद के बीच भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने बयान दिया था। जयशंकर ने मनीला में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम अपना सहयोग बढ़ाने के लिए तत्पर हैं। उन्होंने कहा मैं इस अवसर पर फिलीपींस की राष्ट्रीय संप्रभुता को बनाए रखने के लिए भारत के समर्थन को दोहराता हूं। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे दुनिया बदल रही है। यह जरूरी है कि भारत और फिलीपींस उभरते मॉडल को आकार देने में अधिक निकटता से सहयोग करें।विदेश मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि प्रत्येक देश को अपनी राष्ट्रीय संप्रभुत्ता को बनाए रखने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि हमने इस पर भी चर्चा की है। जयशंकर ने कहा कि हाल ही में भारत और फिलीपींस के बीच द्विपक्षीय संबंधों में बहुत उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

क्या है चीन और फिलीपींस विवाद?

चीन और फिलीपींस के बीच लंबे समय से साउथ चाइना सी में सीमा को लेकर विवाद चल रहा है। फिलीपींस जिस हिस्से को पश्चिमी फिलीपींस सागर में अपना बताता है वहीं चीन उसे साउथ चाइना सी के तमाम हिस्सों की तरह ही अपना जताने में लगा है। साउथ चाइना सी के आयुनगिन शाओल आइलैंड को चीन सेकंड थामस शाओल के नाम से पुकारता है। दिलचस्प यह है कि साउथ चाइना सी का यह आइलैंड फिलीपींस के तट से महज़ 200 किलोमीटर की दूरी पर है जबकि वो चीन के तट से 1000 किलोमीटर से अधिक दूरी पर है।

India

Jan 17 2024, 19:58

तेजी से बूढ़ा हो रहा चीन, नहीं बढ़ रही जनसंख्या, लगातार दूसरे साल आई गिरावट

#chinapopulationdeclinesforsecondstraightyear

पड़ोसी मुल्क की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई है। वजह है चीन में जनसांख्यिकी में आ रही गिरावट।बुधवार को चीन की सरकार ने वार्षिक आंकड़े जारी किए। जिनके अनुसार, चीन में साल 2023 में आबादी में 20 लाख की गिरावट आई। चीन की जनसंख्या 2023 में लगातार दूसरे साल कम हुई है। चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (एनबीएस) ने बुधवार को आंकड़े जारी करते हुए बताया है कि 2023 में देश की जनसंख्या गिरकर 1.409 बिलियन हो गई है। ये बीते साल यानी 2022 में 1.4118 बिलियन थी। यानी एक साल में चीन की आबादी करीब 27 लाख घटी है। अर्थव्यवस्था में गिरावट से जूझ रहे चीन में घटती आबादी से जनसांख्यिकीय चुनौतियां गहरा रही हैं, जो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगी।

चीन की जन्म दर प्रति 1,000 लोगों पर 6.39 जन्मों के साथ रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई, जो एक साल पहले 6.77 से कम थी, जो 1949 के बाद से सबसे निचला स्तर था। 2023 में चीन में 9.02 मिलियन शिशुओं का जन्म हुआ, जबकि 2022 में 9.56 मिलियन बच्चों का जन्म हुआ था। चीन में काम करने वालों लोगों की उम्र यानी 16 से 59 आयु वर्ग के लोग 2022 के मुकाबले 10.75 मिलियन कम हो गए जबकि 60 से ऊपर के बुजुर्गों की संख्या 2022 से 16.93 मिलियन बढ़ गई।

युवाओं का शादी से मोहभंग

चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन अब इसकी रफ्तार धीमी हो रही है। यहां के युवा बेरोजगार हैं। नौकरी मिल नहीं रही है। खर्चा कैसे चलेगा। इसी डर की वजह से वे शादी नहीं कर रहे हैं। वे मान रहे हैं कि उनके लिए अकेले रहना बेहतर विकल्प है। युवाओं का शादी से मोहभंग होने के कारण विवाह के पंजीकरण में गिरावट आई है। चीन कभी दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश था, लेकिन आज वो जनसंख्या में आ रही गिरावट से जूझ रहा है। पिछले साल राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए विवाह और बच्चे के पालन-पोषण की एक नई संस्कृति को सक्रिय रूप से विकसित करना आवश्यक है। स्थानीय सरकारों ने भी नए परिवारों को प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग उपायों की घोषणा की है। इसमें टैक्स में छूट, नए घर पर सब्सिडी के साथ-साथ दुल्हन की उम्र 25 वर्ष या उससे कम होने पर विवाह के लिए कैश प्राइज शामिल है।

चीन में जन्म दर में आई गिरावट

वन चाइल्ड नीति की वजह से चीन की जन्म दर में तेज गिरावट आई है और अब दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था आबादी में गिरावट की समस्या से जूझ रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले सालों में चीन में यह समस्या और भी विकराल हो सकती है। संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या फंड डाटा के अनुसार, भारत अब चीन को पछाड़कर दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है। भारत की जनसंख्या पिछले साल 142.86 करोड़ दर्ज की गई। चीन की आबादी 140 करोड़ है। चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टेटिक्स ने बताया है कि चीन में बीते साल 90 लाख बच्चे पैदा हुए, जो कि साल 2022 में पैदा हुए 95.6 लाख बच्चों से 5 प्रतिशत कम हैं।  

घटती आबादी चीन के लिए मुश्किल बनी

चीन ने बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए साल 1980 वन चाइल्ड पॉलिस लागू की थी, तब बढ़ती आबादी देश के विकास में बाधा बन रही थी। अब घटती आबादी चीन के लिए मुश्किल पैदा कर रही है। अर्थव्यवस्था में गिरावट बढ़ती बेरोजगारी लोगो बच्चे पैदा करने से हतोत्साहित कर रहे हैं। बच्चे पैदा होने के बाद बढ़े वाले खर्च की वजह से लोग इससे भाग रहे हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि लगातार घटती जन्म दर देश के आर्थिक विकास के लिए खतरा साबित हो सकती है। चीन में जनसंख्या दर 2016 से ही कम हो रही है। बीते कुछ समय में चीन में बड़े परिवार के लिए प्रोत्साहित भी किया गया है लेकिन इसका जमीन पर असर होता नहीं दिखा है। चीन में आबादी घटने का क्रम जारी रहा तो देश बूढ़ा हो जाएगा और काम करने वाले लोग घट जाएंगे। इससे चीन की इकोनॉमी पर बड़ा संकट आ जाएगा।

WestBengalBangla

Nov 19 2023, 15:56

*Historic success, 4 trillion dollars touched India's economy*

Business 

 SBNB: Historic day. On Sunday (November 19), India crossed the $4 trillion milestone. Based on data provided by the International Monitory Fund, i.e., the IMF, the gross domestic product of different countries is shown online in 'real time'.

It was there that for the first time in history, India's GDP was seen to exceed US$ 4 trillion. As a result, India was only behind America, China and Japan and Germany in terms of GDP.By 2024, the Modi government has set a target of reaching 5 trillion US dollars in India's GDP. Economists believe that today's event is one of the milestones on that path.

India

Jul 08 2024, 10:38

क्या युद्ध की तैयारी कर रहा है चीन? जरूरत से कई गुना ज्यादा तेल जमा करना दे रहे इसके संकेत

#signthatchinacouldbepreparingfor_war

क्या चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है? चीन जिस तरह से युद्ध के दौरान जरूरत पड़ने वाली चीजों का स्टॉक करने में जुटा है, उससे इस तरह के सवाल उठ रहे है। यही नहीं चीन के तेवर जिस तरह से दिख रहे हैं, उससे भी ये आशंका जताई जा रही है। नवंबर 2022 में चीन के राष्ट्रपति के तौर पर तीसरी बार चुने जाने के बाद शी जिनपिंग ने सैन्यकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा था कि चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ती अस्थिरता और अनिश्चितता का सामना कर रही है। ऐसे में हमें युद्ध लड़ने और जीतने के लिए तैयार रहना चाहिए। पिछले दो दशक में भारत से लेकर दक्षिण चीन सागर तक विभिन्‍न क्षेत्रों में अप्रत्‍याशित तरीके से आक्रामक दावे करने शुरू किए हैं। चीन ने खरबों डॉलर खर्च करके अपनी सेना को हाइपरसोनिक मिसाइलों से लेकर पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट से लैस किया है। सबसे बड़ी आशंका ड्रैगन के कच्चे तेल के भंडारण को लेकर है

पूर्वी चीन के डोंगयिंग बंदरगाह पर, 2024 की शुरुआत में कई टैंकर एक साथ रूसी कच्चे तेल को उतारते हुए देखे गए हैं। जिसके बाद चीन ने पिछले साल के अंत तक 31.5 मिलियन बैरल का भंडारण कर लिया है। चीन शांति काल में प्रतिदिन लगभग 14 मिलियन बैरल तेल की खपत करता है। हालाँकि, जिस तरह के हालात है स्पष्ट प्रतीत होता है कि चीन जानबूझकर तेजी से भंडारण कर रहा है। जो आवश्यक कच्चे माल और संसाधन को इकट्ठा करने के एक बहुत व्यापक राष्ट्रीय प्रयास का हिस्सा है। 

यह एक ऐसा कदम है जिसके बारे में कुछ लोगों को संदेह है कि इसका उद्देश्य बीजिंग को भविष्य के किसी भी युद्ध या अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचाना है, जैसे कि ताइवान पर संभावित चीनी आक्रमण से उत्पन्न होने वाले प्रतिबंध। युद्ध के दौरान उसे कच्चे तेल की सप्लाई में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है या फिर उस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लग सकते हैं, जिससे उसकी फैक्ट्रियों की कमर टूट जाएगी। इसीलिए वह अपनी जरूरत से कई गुना ज्यादा तेल स्टोर करने में लगा है, जिससे हालात विपरीत भी हों तो भी देश के उद्योग धंधे काम करते रहें।

जिनपिंग अपने देश को टकराव के लिए तैयार कर रहे!

17 अप्रैल को प्रकाशित अंतर्राष्ट्रीय मामलों और संघर्ष ब्लॉगिंग साइट "वॉर ऑन द रॉक्स" के लिए एक लेख में, अमेरिकी नौसेना खुफिया और खुफिया कार्यालय के पूर्व कमांडर और यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड के निदेशक माइक स्टडमैन ने तर्क दिया कि यह एक बहुत व्यापक प्रक्रिया का हिस्सा था। उन्होंने लिखा, "शी जिनपिंग अपने देश को टकराव के लिए तैयार कर रहे हैं," उन्होंने चीनी नेता को "चीनी समाज का सैन्यीकरण करने और अपने देश को संभावित उच्च तीव्रता वाले युद्ध के लिए तैयार करने" के रूप में वर्णित किया। उन्होंने सुझाव दिया कि इसका एक हिस्सा आवश्यक वस्तुओं और संसाधनों के रणनीतिक भंडार का निर्माण करना, यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों से चीन की रक्षा करना - या, वास्तव में, क्षेत्रीय या वैश्विक युद्ध के हिस्से के रूप में सैन्य रूप से लागू की गई नाकाबंदी शामिल है। उन्होंने कहा कि बढ़ी हुई तैयारियों के अन्य उदाहरणों में ताइवान के आसपास चीनी सैन्य अभियानों की बहुत अधिक गति शामिल है - जिसका उद्देश्य चीन की सेना का अभ्यास करना और ताइपे में सरकार को अपनी कुल सैन्य नाकाबंदी के परिणामों से धमकाना है। 

अन्य प्रमुख संकेतक

केवल कच्चे तेल का भंडारण ही नहीं, अन्य महत्वपूर्ण संकेतक भी हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है। पिछले पांच सालों में चीनी सेना का विस्तार और आधुनिकिकरण तेजी से हुआ है और हाइपरसोनिक सिलाइल प्रौद्योगिकी में इसकी प्रगति बीजिंग को लाभ की स्थिति में रखती है, क्योंकि अमेरिका ने अभी तक इसके समकक्ष कोई मिसाइल तैनात नहीं की है।

चीन का इरादा ताइवान का एकीकरण

चीन का इरादा साल 2025 तक ताइवान का मुख्‍य भूमि से एकीकरण करने का है। ताइवान में नए राष्‍ट्रपति के आने के बाद चीनी सेना ने बहुत बड़े पैमाने पर सैन्‍य ड्रिल शुरू की है। विश्‍लेषकों का कहना है कि यह ताइवानी राष्‍ट्रपति को डराने की कोशिश है जो खुलकर चीन का विरोध कर रहे हैं। चीन की पहले कोशिश थी कि शांतिपूर्ण तरीके से एकीकरण हो जाए लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है। ताइवान की रणनीति है कि अमेरिका की मदद से यथास्थिति को बहाल रखा जाए। वहीं चीन अमेरिका से लेकर ताइवान तक को आंखें दिखा रहा है और बड़े पैमाने पर हथियार बना रहा है।

अगले 50 साल में कई युद्धों के लिए तैयारी

खुद चीन की सरकारी न्‍यूज एजेंसी चाइना न्‍यूज सर्विस ने साल 2013 में अपने एक लेख में खुलासा किया था कि अगले 50 साल में चीन को 6 युद्ध लड़ने होंगे। चाइना न्‍यूज सर्विस का इशारा चीन के उन इलाकों को वापस हासिल करने की ओर था जिसे उसने साल 1840-42 के अफीम युद्ध के दौरान खो दिया था। इससे चीन की काफी बेइज्‍जती हुई थी। अब आर्थिक और सैन्‍य महाशक्ति बन चुका चीन इन इलाकों को वापस लेना चाहता है। इस लेख के मुताबिक चीन का इरादा इन देशों के साथ युद्ध लड़ने का है

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Jul 01 2024, 19:08

चीन को क्यों आई पंचशील समझौते की याद, भारत समेत कई देशों के साथ संघर्ष के बीच जिनपिंग की ये कौन सी चाल?

#chinaxijinpingloudsindianehrupanchsheel_agreement

अमेरिका और यूरोपीय संघ से बढ़ती रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का सामना करते हुए हाल के वर्षों में एशियाई, अफ्रीकी और अमेरिकी देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने की जुगत में लगे चीन का भारत और अन्य विकासशील देशों के साथ संघर्ष हुआ है। यही नहीं, विस्तारवादी चीन के अपने पड़ोसियों के साथ तनावपूर्ण संबंध हैं।भारत और चीन के बीच पिछले कुछ समय में लगातार तनाव बढ़ा है। पूर्वी लद्दाख और कई स्थानों पर भारतीय जमीन पर कब्जा किए बैठा चीन अब विश्व से उस समझौते पर चलने की अपेक्षा कर रहा है जिसका पहला बिंदु संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान है। बात हो रही है पंचशील के सिद्धांतों की।

दरअसल, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वर्तमान समय के संघर्षों के अंत के लिए पंचशील के सिद्धांतों की वकालत की है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शुक्रवार को बीजिंग में पंचशील सिद्धांत के जारी होने की 70वीं वर्षगांठ मनाई। इस दौरान उन्होंने शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच सिद्धांतों की तारीफ करते हुए इसे दुनिया में जारी संघर्षों को खत्म करने के लिए आज भी अहम बताया। शी ने कहा, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों ने समय की मांग को पूरा किया और इनकी शुरुआत एक अपरिहार्य ऐतिहासिक घटनाक्रम था।

निःसंदेश, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पंचशील की तारीफ कर सबको हैरान कर दिया। हैरानी, इसलिए क्यों राष्ट्रपति जिनपिंग ने पंचशील सिद्धांतों की वकालत पश्चिमी देशों और कई क्षेत्रीय देशों के साथ चल रहे चीन के साथ टकराव के बीच की है। हालांकि, रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी इसमें आश्चर्य जैसा नहीं देखते हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि शी जिनपिंग ने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों की प्रशंसा की है। चेलानी ने आगे लिखा, अपने भाषण में जो बात चीन ने नहीं बताई वह यह है कि लगभग (पंचशील समझौते के) आठ साल बाद 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण करके सभी पंचशील सिद्धांतों का खुलेआम उल्लंघन किया। ये सिद्धांत थे- एक-दूसरे की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान', 'गैर-आक्रामकता', 'एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना', 'समानता और पारस्परिक लाभ' तथा 'शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व'।

ब्रह्म चेलानी ने आगे लिखा, चीन अपने पड़ोसियों के साथ अपने संबंधों में उन सिद्धांतों का उल्लंघन करना लगातार जारी रखे हुए है। उन्होंने 1954 के पंचशील समझौते को आजादी के बाद भारत की सबसे बड़ी भूलों में से एक बताया। उस समझौते के माध्यम से भारत ने बिना कुछ हासिल किए तिब्बत में अपने ब्रिटिश विरासत वाले क्षेत्रीय अधिकारों को छोड़ दिया और चीन के तिब्बत क्षेत्र को मान्यता दी। समझौते की शर्तों के तहत, भारत ने तिब्बत से अपने मिलिट्री एस्कॉर्ट को वापस बुला लिया और वहां संचालित डाक, टेलीग्राफ और टेलीफोन सेवाओं को चीन को सौंप दिया।

बता दें कि पंचशील के सिद्धांतों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा, 'शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों ने समय की मांग को पूरा किया और इनकी शुरुआत एक अपरिहार्य ऐतिहासिक घटनाक्रम था। अतीत में चीनी नेतृत्व ने पहली बार पांच सिद्धांतों यानी 'एक-दूसरे की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान', 'गैर-आक्रामकता', 'एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना', 'समानता और पारस्परिक लाभ', तथा 'शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व' को संपूर्णता के साथ निर्दिष्ट किया था।'

शी ने सम्मेलन में कहा, 'उन्होंने चीन-भारत और चीन-म्यामांर संयुक्त वक्तव्यों में पांच सिद्धांतों को शामिल किया था। इन वक्तव्यों में पांच सिद्धांतों को द्विपक्षीय संबंधों के लिए बुनियादी मानदंड बनाने का आह्वान किया गया था।' शी ने अपने संबोधन में कहा कि शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच सिद्धांतों की शुरुआत एशिया में हुई, लेकिन जल्द ही ये विश्व मंच पर छा गए। उन्होंने कहा कि पंचशील सिद्धांत आज अंतरराष्ट्रीय समुदाय की समान संपत्ति बन चुके हैं।

क्या है पंचशील समझौता या पंचशील सिद्धांत

पंचशील के सिद्धांतो को पहली बार 1954 में तिब्बत क्षेत्र के बीच व्यापार व संबंध को लेकर भारत और चीन के बीच हुए समझौते में शामिल किया गया था। चीन में इसे शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांत जबकि भारत में पंचशील का सिद्धांत कहा जाता है। इसका मूल उद्देश्य दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण सह अस्तित्व की व्यवस्था कायम करना था। वस्तुतः पंचशील सिद्धांतों के माध्यम से ऐसे नैतिक मूल्यों का समुच्चय तैयार करना था, जिन्हें प्रत्येक देश अपनी विदेश नीति का हिस्सा बना सके और एक शांतिपूर्ण वैश्विक व्यवस्था का निर्माण कर सके। पंचशील सिद्धांतों के अंतर्गत शामिल किए गए प्रमुख पांच सिद्धांत निम्नानुसार हैं-

• प्रत्येक देश एक दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का परस्पर सम्मान करेंगे।

• गैर-आक्रमण का सिद्धांत अपनाया गया। इसके तहत तय किया गया कि कोई भी देश किसी दूसरे देश पर आक्रमण नहीं करेगा।

• समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले देश एक दूसरे के आंतरिक मामलों में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करेंगे।

• इसके तहत तय किया गया कि सभी देश एक दूसरे के साथ समानता का व्यवहार करेंगे तथा परस्पर लाभ के सिद्धांत पर काम करेंगे।

• सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत इसमें ‘शांतिपूर्ण सह अस्तित्व’ (Peaceful Coexistence) का माना गया है। इसके तहत कहा गया है कि सभी देश शांति बनाए रखेंगे और एक दूसरे के अस्तित्व पर किसी भी प्रकार का संकट उत्पन्न नहीं करेंगे।

पंचशील समझौता और भारत-चीन युद्ध

1954 में चीन के प्रधानमंत्री झोउ एन लाई ने अपनी भारत यात्रा के दौरान कहा था कि पंचशील सिद्धांत उपनिवेशवाद के अंत और एशिया व अफ्रीका के नए राष्ट्रों के उद्भव में अत्यंत सहायक सिद्ध होंगे। इस दौर से ही भारत ने ‘हिंदी चीनी भाई-भाई’ का नारा दिया और चीन पर अत्यधिक भरोसा किया। भारत ने वर्ष 1955 में चीन को इंडोनेशिया में आयोजित होने वाले एशियाई अफ्रीकी देशों के बांडुंग सम्मेलन में भी आमंत्रित किया था। इसी बीच अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत और चीन के मध्य विवाद चल रहा था। चीन इन दोनों ही भारतीय क्षेत्रों को अपना हिस्सा बताता था। इन विवादों के कारण भारत और चीन के संबंध धीरे-धीरे बिगड़ते जा रहे थे। चीन संपूर्ण तिब्बत को अपना हिस्सा मानता था और इसी बीच भारत ने तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा को भारत में शरण दे दी थी, इससे चीन अत्यधिक रुष्ट हो गया था। भारत और चीन के बीच वर्ष 1954 में हस्ताक्षरित हुए इस पंचशील समझौते की समयावधि 8 वर्षों की थी, लेकिन 8 वर्षों के बाद इसे पुनः आगे बढ़ाने पर विचार नहीं किया गया। पंचशील समझौते की समयावधि समाप्त होते ही ऊपर वर्णित मुद्दों को आधार बनाकर वर्ष 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में भारत न सिर्फ पराजित हुआ, बल्कि उसके विभिन्न हिस्सों पर चीन ने कब्ज़ा भी कर लिया। भारत के वे हिस्से आज भी चीन के कब्जे में ही हैं।

India

Jun 20 2024, 13:13

GDP Growth: China Vs India
GDP Growth: China Vs India Wish we could have taken our economy more seriously in the 1980s and '90s

GDP Growth: China Vs India Wish we could have taken our economy more seriously in the 1980s and '90s

India

May 20 2024, 14:13

रूस और चीन की बढ़ती दोस्ती, क्या भारत को संबंधों के पुनर्मूल्यांकन की है जरूरत

#china_russia_strategic_ties

रूस के राष्ट्रपति पद की 5वीं बार शपथ लेने के बाद व्लादिमिर पुतिन अपनी पहली विदेश यात्रा के दौरान चीन पहुंचे थे। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 16 और 17 मई को चीन के दौरे पर थे।इस दौरान दोनों देशों ने व्यापक साझेदारी और रणनीतिक सहयोग' को गहरा करने के लिए एक संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए। जिसमें कई सुरक्षा मुद्दों पर अमेरिका का विरोध, ताइवान और यूक्रेन से लेकर उत्तर कोरिया तक हर चीज पर साझा दृष्टिकोण और नई शांतिपूर्ण परमाणु टेक्नोलॉजी और वित्त पर सहयोग की घोषणा की गई। 

यह हैरान करने वाली बात नहीं है कि पांचवी बार राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने के बाद पुतिन ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए चीन को चुना है।रूसी राष्ट्रपति की ये यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब दोनों देशों के रिश्ते अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं।

रूस के साथ समझौते को लेकर चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि चीन और रूस के संबंधों का भविष्य उज्ज्वल है। जिनपिंग के अनुसार चीन और रूस के बीच द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती के लिए विकास की व्यापक संभावनाएं तलाशी जाएंगी। शी जिनपिंग ने कहा कि उनके और पुतिन के बीच रूस और यूक्रेन में दो साल से अधिक समय से चल रहे युद्ध को सुलझाने के लिए बातचीत की गई। चीन ने कभी भी सार्वजनिक रूप से रूस के यूक्रेन पर आक्रमण का समर्थन नहीं किया।

रूस और चीन के इस समझौते से पूरी दुनिया में हलचल है। दरअसल, रूस और चीन एक जैसी मानसिकता वाले देश हैं।रूस एक ऐसा देश है जो वर्तमान में यूक्रेन पर आक्रमण कर रहा है जबकि दूसरा चीन भारतीय क्षेत्र में बार-बार घुसपैठ का दोषी है। दोनों को लोकतांत्रिक ताइवान से भी समस्या है। चीन, ताइवान को लगातार डराता रहता है। उन्हें लगता है कि उत्तर कोरिया के साथ अन्याय हुआ है। कुल मिलाकर कहें तो, दोनों देश दुनियाभर में अराजकता के एक बड़े हिस्से के लिए वे ही जिम्मेदार हैं। इस बीच सवाल ये उठता है कि चीन और रूस के बीच के ये संबंध भारत को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।

चीन आज भारत का मुख्य रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी है, जबकि रूस के साथ हमारे ऐतिहासिक रक्षा संबंध हैं। लेकिन बीजिंग और मॉस्को की तरफ से अपने रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के साथ, भारत रूसी प्लेटफार्मों पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं कर सकती है। हथियार प्रणालियों में चल रहे विविधीकरण को तेज किया जाना चाहिए। इसकी वजह है कि भारत और चीन के बीच टकराव की स्थिति में, रूस अधिक से अधिक तटस्थ रहेगा या सबसे बुरी स्थिति में बीजिंग की सहायता करेगा। साथ ही, भारत के पास अभी भी अकेले लड़ने के लिए एकजुट ताकत नहीं है। इसलिए, हमें पश्चिम के साथ और अधिक निकटता से काम करना होगा। अब मास्को के साथ हमारे रणनीतिक संबंधों का पुनर्मूल्यांकन करने का समय आ गया है।

Patna

May 15 2024, 20:19

पटना साहिब एवं पाटलिपुत्र लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के लिए खुशखबरी, मतदान का रिकॉर्ड दिखाने पर ये कंपनी देगी यह छूट

पटना : पटना साहिब एवं पाटलिपुत्र लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान दिनांक 01.06.2024 को निर्धारित है। मतदान करने वाले सभी मतदाताओं द्वारा उंगली पर अमिट स्याही का निशान दिखाने पर फिट गैलेक्सी जिम द्वारा वार्षिक सदस्यता की खरीद पर फ्लैट 45% की छूट दी जाएगी। यह छूट मतदान दिवस अर्थात 01.06.2024 को सभी मतदाता ले सकते हैं।

वीटीआर उन्नयन हेतु फिट नेस्ट जिम, श्रीकृष्णा पुरी ने भी सदस्यता की खरीद पर फ्लैट 20% की छूट देने की घोषणा की है जो कोई भी मतदाता अमिट स्याही का निशान अपनी उंगली पर दिखा कर इस्तेमाल कर सकते हैं।

साथ ही Yo! China Take Away Express तथा 9 to 9 Spa and Saloon ने घोषणा की है कि मतदान करने वालों को उनके द्वारा दिनांक 02 जून,2024 से 06 जून,2024 तक किसी भी खरीद पर 10% की छूट दी जाएगी। 

इसके पूर्व सिनेमाघर के संचालकों द्वारा सिनेमा टिकट में मतदान करने वालों को 50 प्रतिशत की छूट दी जाने की घोषणा की गई। यह छूट दिनांक 01.06.2024 एवं दिनांक 02.06.2024 को प्रत्येक सिनेमा हॉल के हरेक शो में दिया जाएगा। मोंगिनिस द्वारा 01 जून को मतदान करने वाले सभी मतदाताओं को मतदान तिथि को केक एवं बेकरी की खरीद पर 10 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। रैपिडो द्वारा 01 जून को मतदाताओं को घर से बूथ तक ले जाने एवं वापस घर लाने की निःशुल्क व्यवस्था की गई है।

पटना से मनीष प्रसाद

India

Apr 29 2024, 10:04

भारत की यात्रा रद्द कर चीन पहुंचे एलन मस्क, आखिर क्या है वजह?

#elonmuskmakessurprisevisittochina

अरबपति कारोबारी एलन मस्क आज बीजिंग के दौरे पर हैं। टेस्ला सीईओ और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के मालिक एलन मस्क रविवार, 28 अप्रैल को चीन के दौरे पर रवाना हुए।हैरानी वाली बात ये है कि एलन मस्क का चीन दौरा ऐसे समय पर हो रहा है, जब कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपने भारत दौरे को टाल दिया था। उन्होंने कहा था कि टेस्ला के काम की वजह से वह भारत नहीं आ पाएंगे। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसा कौन सा काम था कि मस्क ने भारत दौरे को टाल कर चीन की यात्रा की है।

चीन के सरकारी चैनल सीटीजीएन के अनुसार, स्पेसएक्स और टेस्ला के प्रमुख ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए चीन परिषद (सीसीपीआईटी) के निमंत्रण पर चीन की यात्रा की है। इस दौरान उन्होंने चीन के साथ आगे के सहयोग पर चर्चा करने के लिए सीसीपीआईटी अध्यक्ष रेन होंगबिन से मुलाकात की है। बीजिंग की अपनी औचक यात्रा के दौरान अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने रविवार को चीन में टेस्ला वाहनों को कुछ संवदेनशील स्थानों पर ले जाने पर लगे प्रतिबंधों को हटाने पर चर्चा करने के लिए चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग एवं अन्य अधिकारियों से मुलाकात की। सरकारी मीडिया ने यह जानकारी दी।

हाल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में टेस्ला कार चालक सरकार से संबंधित भवनों में प्रवेश पर पाबंदी से जूझ रहे हैं क्योंकि अमेरिका के साथ सुरक्षा चिंताएं बढ़ रही हैं। संवदेनशील एवं रणनीतिक डेटा के सामने आ जाने के डर से इन कारों पर ऐसी जगहों पर प्रतिबंध है। निक्की एशिया द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में बड़ी संख्या में सभागार एवं प्रदर्शनी केंद्र टेस्ला वाहनों को अपने यहां नहीं आने दे रहे। रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले इन वाहनों पर प्रतिबंध आम तौर पर सैन्य अड्डों तक सीमित था लेकिन अब राजमार्ग संचालक, स्थानीय प्राधिकरण एजेंसी, सांस्कृतिक केंद्र भी इन वहानों पर कथित रूप से प्रतिबंध लगाते जा रहे हैं।

चीनी पीएम ने चीन-अमेरिका संबंध पर कही ये बात

मुलाकात के दौरान चीनी पीएम ली कियांग ने एलन मस्क से कहा कि चीन का विशाल बाजार विदेशी वित्तपोषित उद्यमों के लिए हमेशा खुला रहेगा। उन्होंने कहा कि चीन विदेशी वित्तपोषित उद्यमों को बेहतर कारोबारी माहौल और मजबूत समर्थन प्रदान करने के लिए बाजार पहुंच का विस्तार करने और सेवाओं में सुधार करने पर कड़ी मेहनत करेगा ताकि सभी देशों की कंपनियां शांत मन से चीन में निवेश कर सकें। ली ने कहा कि चीन में टेस्ला के विकास को चीन-अमेरिका आर्थिक सहयोग का एक सफल उदाहरण कहा जा सकता है।

एलन मस्क ने कैंसिल किया था भारत का दौरा

एलन मस्क इसी महीने 21 और 22 तारीख को भारत की यात्रा करने वाले थे और उनकी यात्रा की योजना काफी पहले तैयार की गई थी। नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से भी उनकी मुलाकात प्रस्तावित थी, जिसमें वो दक्षिण एशियाई बाजार में प्रवेश करने की योजना की घोषणा करने वाले थे। एलन मस्क ने पिछले साल जून में कहा था, कि वह 2024 में भारत का दौरा करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा था, कि उन्हें विश्वास है कि इलेक्ट्रिक कार निर्माता भारत में होगा और "जितनी जल्दी संभव हो सके" भारत में फैक्ट्री लगाने की कोशिश करेगा। पीएम मोदी ने भी अरबपति कारोबारी को भारत आने का निमंत्रण भी दिया था। मस्क ने इस दौरान कहा था, कि "मैं पीएम मोदी को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं, और उम्मीद है कि हम भविष्य में कुछ घोषणा कर पाएंगे।" लेकिन, भारत का दौरा करने से ठीक एक दिन पहले एलन मस्क ने टेस्ला के लिए जरूरी काम का हवाला देकर भारत का दौरा कैंसिल कर दिया और कहा, कि वो इस साल में आगे भारत यात्रा करने के लिए उत्सुक हैं।

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Apr 06 2024, 10:18

भारत में लोकसभा चुनावों में AI के जरिए प्रभावित कर सकता है चीन, माइक्रोसॉफ्ट ने किया सतर्क

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भारत में लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। पहले चरण के लिए 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है। इससे पहले सुरक्षा व्यवस्था को दुरूस्त किया जा रहा है। चुनाव में किसी तरह की अशांति और धांधली ना हो इसकी तैयारी की जा रही है। इस बीच अमेरिका की दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने दावा किया है कि चीन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की मदद से भारत के लोकसभा चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश कर सकता है।

माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि भारत में आम चुनाव के दौरान चीन एआई टेक्नोलॉजी का मिसयूज कर के चुनाव पर असर डाल सकती है। कंपनी ने इस दौरान हैकिंग की कोशिश को लेकर भी चेतावनी दी है। टेक कंपनी की थ्रेट इंटेलीजेंस टीम का अनुमान है कि, चीन सरकार के साइबर ग्रुप इस साल होने वाले अहम चुनावों को निशाना बनाएंगे और इसमें उत्तर कोरिया की भी भूमिका हो सकती है। इस साल दुनिया भर में विशेष रूप से भारत, दक्षिण कोरिया और अमेरिका में होने वाले प्रमुख चुनावों के साथ हमारा आकलन है कि चीन एआई पर कंटेंट जनरेटे कर रहा है।

हैकर्स के लिए एआई प्रमुख हथियार बना

कंपनी का कहना है कि हैकर्स के लिए एआई एक प्रमुख हथियार बन गया है, जो आसानी से वीडियो मॉर्फ (छेड़छाड़ करना) कर सकता है। माइक्रोसॉफ्ट ने खुलासा किया है कि चीन चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एआई की मदद से सामग्री बनाने और उसे वायरल करने की योजना बना रहा है। एआई की मदद से प्रसिद्ध हस्तियों की आवाज बदली जा सकती है और उन्हें बड़े पैमाने पर सार्वजनिक रूप से शेयर किया जा सकता है, जो इसे वायरल होने और लाखों लोगों तक पहुंचने में मदद करता है।

ताइवान के चुनाव में चीन ने किया था दुष्प्रचार

रिपोर्ट में जनवरी में ताइवान के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान एआई-की मदद से दुष्प्रचार अभियान में चीन के पिछले प्रयास की भी जानकारी दी गई है। माइक्रोसॉफ्ट ने बताया कि जनवरी 2024 में ताइवान के राष्ट्रपति चुनावों को अस्थिर करने के लिए एआई सामग्री का भी उपयोग किया गया था। यह विदेशी चुनाव को प्रभावित करने के लिए एआई की मदद से बनाए गए कंटेट का उपयोग करने वाली चीनी सरकार समर्थित साइबर एजेंसी का पहला कारनामा है। बीजिंग समर्थित एक समूह, जिसे स्टॉर्म 1376 या स्पामौफ्लैज के नाम से जाना जाता है, इस अवधि के दौरान विशेष रूप से सक्रिय था। वह यूट्यूब पर नकली सामग्री पोस्ट कर रहा था और विजेता उम्मीदवार के बारे में एआई-जनरेटेड मीम्स बना रहा था।

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Mar 27 2024, 15:10

भारत नेदक्षिण चीन सागर में फिलीपींस के रूख का खुलकर किया समर्थन, तिलमिलाया चीन, जानें क्या कहा?

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चीन अपने पड़ोसी देशों को कैसे देखता है, ये किसी से छुपा नहीं है।चीन एक ऐसा देश है, जो अपने पड़ोसी मुल्कों की जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर सबसे ज्यादा विवादों में रहता है। दरअसल चीन दुनिया के नक्शे पर सबसे ज्यादा, 14 देशों के साथ अपनी सीमा साझा करता है। ड्रैगन ने अपनी विवादास्पद विस्तार वादी नीति के तहत सभी पड़ोसी देशों की जमीन पर या तो कब्जा कर रखा है या कब्जे का प्रयास करता रहता है। हालांकि भारत जैसे देश ड्रैगन को आइना दिखाने से भी नहीं चूकते। इसी क्रम में चीन और फिलीपींस में तनाव के बीच भारत ने फिलीपींस की संप्रुभता का पुरजोर समर्थन किया है। अब चीन ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।

चीन ने कहा-तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं

फिलीपींस के साथ चल रहे समुद्री सीमा विवाद को लेकर चीन ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस दौरान उन्होंने भारत से दक्षिण चीन सागर पर चीन के संप्रमुभता के दावों का सम्मान करने की अपील भी की है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि समुद्री विवाद संबंधित देशों के बीच का मुद्दा है और कोई भी तीसरा पक्ष इसमें हस्तक्षेप करने की स्थिति में नहीं है।हम संबंधित पक्ष से दक्षिण चीन सागर के मुद्दों के तथ्यों का सामना करने, चीन की संप्रभुता और समुद्री हितों और दक्षिण चीन सागर में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए क्षेत्रीय देशों द्वारा किए गए प्रयासों का सम्मान करने का आग्रह करते हैं।

एस जयशंकर का फिलीपींस को समर्थन

इससे पहले मंगलवार को दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ फिलीपींस के विवाद के बीच भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने बयान दिया था। जयशंकर ने मनीला में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम अपना सहयोग बढ़ाने के लिए तत्पर हैं। उन्होंने कहा मैं इस अवसर पर फिलीपींस की राष्ट्रीय संप्रभुता को बनाए रखने के लिए भारत के समर्थन को दोहराता हूं। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे दुनिया बदल रही है। यह जरूरी है कि भारत और फिलीपींस उभरते मॉडल को आकार देने में अधिक निकटता से सहयोग करें।विदेश मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि प्रत्येक देश को अपनी राष्ट्रीय संप्रभुत्ता को बनाए रखने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि हमने इस पर भी चर्चा की है। जयशंकर ने कहा कि हाल ही में भारत और फिलीपींस के बीच द्विपक्षीय संबंधों में बहुत उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

क्या है चीन और फिलीपींस विवाद?

चीन और फिलीपींस के बीच लंबे समय से साउथ चाइना सी में सीमा को लेकर विवाद चल रहा है। फिलीपींस जिस हिस्से को पश्चिमी फिलीपींस सागर में अपना बताता है वहीं चीन उसे साउथ चाइना सी के तमाम हिस्सों की तरह ही अपना जताने में लगा है। साउथ चाइना सी के आयुनगिन शाओल आइलैंड को चीन सेकंड थामस शाओल के नाम से पुकारता है। दिलचस्प यह है कि साउथ चाइना सी का यह आइलैंड फिलीपींस के तट से महज़ 200 किलोमीटर की दूरी पर है जबकि वो चीन के तट से 1000 किलोमीटर से अधिक दूरी पर है।

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Jan 17 2024, 19:58

तेजी से बूढ़ा हो रहा चीन, नहीं बढ़ रही जनसंख्या, लगातार दूसरे साल आई गिरावट

#chinapopulationdeclinesforsecondstraightyear

पड़ोसी मुल्क की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई है। वजह है चीन में जनसांख्यिकी में आ रही गिरावट।बुधवार को चीन की सरकार ने वार्षिक आंकड़े जारी किए। जिनके अनुसार, चीन में साल 2023 में आबादी में 20 लाख की गिरावट आई। चीन की जनसंख्या 2023 में लगातार दूसरे साल कम हुई है। चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (एनबीएस) ने बुधवार को आंकड़े जारी करते हुए बताया है कि 2023 में देश की जनसंख्या गिरकर 1.409 बिलियन हो गई है। ये बीते साल यानी 2022 में 1.4118 बिलियन थी। यानी एक साल में चीन की आबादी करीब 27 लाख घटी है। अर्थव्यवस्था में गिरावट से जूझ रहे चीन में घटती आबादी से जनसांख्यिकीय चुनौतियां गहरा रही हैं, जो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगी।

चीन की जन्म दर प्रति 1,000 लोगों पर 6.39 जन्मों के साथ रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई, जो एक साल पहले 6.77 से कम थी, जो 1949 के बाद से सबसे निचला स्तर था। 2023 में चीन में 9.02 मिलियन शिशुओं का जन्म हुआ, जबकि 2022 में 9.56 मिलियन बच्चों का जन्म हुआ था। चीन में काम करने वालों लोगों की उम्र यानी 16 से 59 आयु वर्ग के लोग 2022 के मुकाबले 10.75 मिलियन कम हो गए जबकि 60 से ऊपर के बुजुर्गों की संख्या 2022 से 16.93 मिलियन बढ़ गई।

युवाओं का शादी से मोहभंग

चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन अब इसकी रफ्तार धीमी हो रही है। यहां के युवा बेरोजगार हैं। नौकरी मिल नहीं रही है। खर्चा कैसे चलेगा। इसी डर की वजह से वे शादी नहीं कर रहे हैं। वे मान रहे हैं कि उनके लिए अकेले रहना बेहतर विकल्प है। युवाओं का शादी से मोहभंग होने के कारण विवाह के पंजीकरण में गिरावट आई है। चीन कभी दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश था, लेकिन आज वो जनसंख्या में आ रही गिरावट से जूझ रहा है। पिछले साल राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए विवाह और बच्चे के पालन-पोषण की एक नई संस्कृति को सक्रिय रूप से विकसित करना आवश्यक है। स्थानीय सरकारों ने भी नए परिवारों को प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग उपायों की घोषणा की है। इसमें टैक्स में छूट, नए घर पर सब्सिडी के साथ-साथ दुल्हन की उम्र 25 वर्ष या उससे कम होने पर विवाह के लिए कैश प्राइज शामिल है।

चीन में जन्म दर में आई गिरावट

वन चाइल्ड नीति की वजह से चीन की जन्म दर में तेज गिरावट आई है और अब दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था आबादी में गिरावट की समस्या से जूझ रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले सालों में चीन में यह समस्या और भी विकराल हो सकती है। संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या फंड डाटा के अनुसार, भारत अब चीन को पछाड़कर दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है। भारत की जनसंख्या पिछले साल 142.86 करोड़ दर्ज की गई। चीन की आबादी 140 करोड़ है। चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टेटिक्स ने बताया है कि चीन में बीते साल 90 लाख बच्चे पैदा हुए, जो कि साल 2022 में पैदा हुए 95.6 लाख बच्चों से 5 प्रतिशत कम हैं।  

घटती आबादी चीन के लिए मुश्किल बनी

चीन ने बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए साल 1980 वन चाइल्ड पॉलिस लागू की थी, तब बढ़ती आबादी देश के विकास में बाधा बन रही थी। अब घटती आबादी चीन के लिए मुश्किल पैदा कर रही है। अर्थव्यवस्था में गिरावट बढ़ती बेरोजगारी लोगो बच्चे पैदा करने से हतोत्साहित कर रहे हैं। बच्चे पैदा होने के बाद बढ़े वाले खर्च की वजह से लोग इससे भाग रहे हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि लगातार घटती जन्म दर देश के आर्थिक विकास के लिए खतरा साबित हो सकती है। चीन में जनसंख्या दर 2016 से ही कम हो रही है। बीते कुछ समय में चीन में बड़े परिवार के लिए प्रोत्साहित भी किया गया है लेकिन इसका जमीन पर असर होता नहीं दिखा है। चीन में आबादी घटने का क्रम जारी रहा तो देश बूढ़ा हो जाएगा और काम करने वाले लोग घट जाएंगे। इससे चीन की इकोनॉमी पर बड़ा संकट आ जाएगा।

WestBengalBangla

Nov 19 2023, 15:56

*Historic success, 4 trillion dollars touched India's economy*

Business 

 SBNB: Historic day. On Sunday (November 19), India crossed the $4 trillion milestone. Based on data provided by the International Monitory Fund, i.e., the IMF, the gross domestic product of different countries is shown online in 'real time'.

It was there that for the first time in history, India's GDP was seen to exceed US$ 4 trillion. As a result, India was only behind America, China and Japan and Germany in terms of GDP.By 2024, the Modi government has set a target of reaching 5 trillion US dollars in India's GDP. Economists believe that today's event is one of the milestones on that path.