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Jun 28 2024, 20:04

कर्नाटक में नया सियासी नाटक, वोक्कालिगा संत ने कर दी शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग

#disputeinkarnatakacongressovercmpostvokkaligasaintsupportd_k 

कर्नाटक में नया सियासी ड्रामा शुरू हो गया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर जारी सत्ता संघर्ष के बीच वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एक महंत ने सार्वजनिक रूप से कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से पद छोड़ने और राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को सत्ता सौंपने का आग्रह किया। एक वोक्कालिगा संत ने गुरुवार को कहा कि कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया को पद छोड़ देना चाहिए और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार जगह देनी चाहिए।महंत की यह अपील ऐसे समय में आई है, जब सिद्धरमैया मंत्रिमंडल में तीन और उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग बढ़ रही है।

कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष और राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से हैं। यह समुदाय राज्य के दक्षिणी भागों में एक प्रमुख समुदाय है। चंद्रशेखरनाथ स्वामी ने कहा, "राज्य में हर कोई मुख्यमंत्री बन गया है और सत्ता का सुख सभी ने भोगा है, लेकिन हमारे डीके शिवकुमार अभी तक मुख्यमंत्री नहीं बन पाए हैं, इसलिए अनुरोध है कि सिद्धरमैया कृपया हमारे डीके शिवकुमार को सत्ता सौंप दें और उन्हें आशीर्वाद दें। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "सिद्धरमैया अगर मन बना लें तो ही यह संभव है, अन्यथा नहीं, इसलिए नमस्कार के साथ मैं सिद्धरमैया से अनुरोध करता हूं कि वह डी.के. शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाएं।"

वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं डीके

उन्होंने यह बयान कैंपा गौड़ा जयंती समारोह में उस समय दिया, जब मंच पर शिवकुमार और सिद्धारमैया दोनों मौजूद थे। इसके बाद स्वामी निर्मलानंद ने भी डीके शिवकुमार को सीएम बनाने की वकालत की। बता दें कि डीके वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं और विधानसभा चुनाव के दौरान मठ की ओर से कांग्रेस को खुले तौर पर समर्थन मिला था। ओल्ड मैसुरू इलाके में मठ की अपील का फायदा भी कांग्रेस को मिला था।

सिद्धारमैया बोले- पार्टी जो कहेगा, हम वही करेंगे

संत की इस अपील को लेकर सिद्धारमैया से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस हाईकमान पार्टी है। यह लोकतंत्र है। हम वही करेंगे जो हाईकमान हमें करने को कहेगा। वहीं शिवकुमार ने कहा कि कुछ बातें कही गईं हैं। मैं और सिद्धारमैया दोनों ही राज्य के रुके हुए प्रोजेक्ट्स के बारे में राज्य के सांसदों से बात करने के लिए नई दिल्ली जा रहे हैं।

सिद्धारमैया के समर्थक ने उठाई तीन डिप्टी सीएम की मांग

वहीं, सिद्धारमैया के समर्थक मंत्रियों केएन राजन्ना, बी जेड ज़मीर अहमद खान और सतीश जरकीहोली ने तीन डिप्टी सीएम की मांग रख दी। माना जा रहा है कि मंत्रियों ने डीके शिवकुमार को काबू में करने के लिए तीन डिप्टी सीएम का मुद्दा उछाला गया है। अभी कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने एक वर्ष का कार्यकाल पूरा किया है और डीके फॉर्मूले तहत सीएम पद के दावेदार हैं। 

शह और मात का खेल शुरू

लोकसभा चुनाव के बाद कर्नाटक कांग्रेस में सीएम पद को लेकर शह और मात का खेल शुरू हो गया है। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार से समर्थक खुले तौर पर नेतृत्व परिवर्तन का राग छेड़ा है तो सिद्धारमैया समर्थक मंत्रियों ने तीन डिप्टी सीएम के फॉर्मूले को लागू करने का दांव चल दिया है। कई मंत्री लिंगायत, दलित और अल्पसंख्यक डिप्टी सीएम बनाने के लिए आवाज बुलंद करने लगे हैं। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के बदलाव की मांग भी शुरू हो गई है। यह पद अभी डीके शिवकुमार के पास ही है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद निकाले गए फॉर्मूले के तहत डीके शिवकुमार सीएम पद के दावेदार हैं। पार्टी में वह संकटमोचक के तौर पर उभरे हैं। उन्हें केंद्रीय नेतृत्व का विश्वास भी हासिल है, ऐसे में सिद्धारमैया समर्थकों ने प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू कर दी है। फिलहाल इस खेल के शुरू होने के बाद डीके शिवकुमार ने चुप्पी साध रखी है।

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Jun 21 2024, 17:57

Anti Modi French Journalist Sebastien Farcis denied permit to work as a journalist in India after 13 years

BIG NEWS  Anti Modi French Journalist Sebastien Farcis denied permit to work as a journalist in India after 13 years

He has finally left the country.

He claimed that the presence of PM Modi at the Pran Pratishtha ceremony was against the secular fabric of the country

He also published a report where he claimed that archaeologists had never been able to prove that the disputed structure was built after destr0ying a Hindu temple.

He is now crying fouI on Social Media

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Feb 09 2024, 20:04

रवींद्र जडेजा के पिता ने बहु रिवाबा पर लगाए गंभीर आरोप, बचाव में उतरे क्रिकेटर ने कहा-पत्नी को बदनाम मत करो

#ravindra_jadeja_family_dispute

भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार ऑल राउंडर रविंद्र जडेजा और उनकी पत्नी रिवाबा पर उनके पिता अनिरुद्ध सिंह जडेजा ने गंभीर आरोप लगाए हैं।अन‍िरुद्ध सिंह ने इस इंटरव्यू में बेटे रवींद्र जडेजा और उनकी विधायक पत्नी र‍िवाबा पर कई संगीन आरोप लगाए। इसके बाद जडेजा का भी रिएक्शन आया। जडेजा ने इन आरोपों पर अपनी चुप्पी तोड़ी है और एक बयान जारी करते हुए इन आरोपों को गलत और एकतरफा बताया है।

रवींद्र जडेजा के पिता अनिरुद्धसिंह जडेजा ने एक गुजराती अखबार को दिए इंटरव्यू में भारतीय ऑलराउंडर पर संगीन आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि दोनों में रिश्ते खराब हैं और काफी वक्त से अलग-अलग रह रहे हैं। उन्होंने साथ ही दावा किया कि रवींद्र की पत्नी रिवाबा से शादी के बाद ही रिश्तों में दरार पड़ने लगी थी।

अनिरुद्ध सिंह जडेजा ने अखबार को दिए इंटरव्यू में आरोप लगाया कि 2016 में रिवाबा से शादी के बाद से ही उनका बेटा पूरी तरह बदल गया था। उन्होंने रवींद्र की पत्नी रिवाबा पर आरोप लगाया कि शादी के 2-3 महीनों बाद ही वो सारी प्रॉपर्टी अपने नाम करने का दबाव बनाने लगीं। उन्होंने ये भी कहा कि रवींद्र और उनकी पत्नी परिवार से अलग रहते हैं और उनसे बातें भी नहीं करते।अनिरुद्ध जडेजा का कहना है कि उनकी बहू को सिर्फ पैसों से मतलब है।

अनिरुद्ध जडेजा ने कहा सच, बोलूं तो मेरा रवि या उसकी पत्नी रिवाबा से कोई संबंध नहीं है। हम एक दूसरे को नहीं बुलाते हैं। हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं है। मैंने 5 साल से अपनी पोती का चेहरा भी नहीं देखा है। बेटे की शादी ना होती तो अच्छा होता। क्योंकि हम इस हाल में आज ना होते। उन्होंने यहां तक कहा कि उन्हें अपने बेटे को क्रिकेटर नहीं बनाना चाहिए था।

इस इंटरव्यू के आने के बाद से ही बवाल मचा हुआ है और अब जडेजा ने इस मामले में अपना पक्ष रखा है। पिता के आरोपों से बौखलाए जडेजा ने गुजराती में अपना बयान जारी किया और इंटरव्यू को ‘स्क्रिप्टेड’ बताते हुए इसे अनदेखा करने की अपील की। अपने बयान में जडेजा ने लिखा कि अखबार में आया हालिया आर्टिकल बकवास और झूठा है और बिल्कुल एकतरफा है। भारतीय ऑलराउंडर ने आगे लिखा कि उसमें कही बातें सही नहीं हैं और वो इससे सहमत नहीं हैं। रिवाबा पर लगे आरोपों से जडेजा और भी ज्यादा खफा नजर आए और कहा कि ये उनकी पत्नी की छवि को खराब करने की कोशिश है।

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Jan 19 2024, 14:14

अयोध्या विवाद आजादी के बादः केंद्र से लेकर राज्यों तक की राजनीति दशा और दिशा कैसी बदल

#ayodhya_dispute_after_independence

गुलाम भारत में शुरू हुआ अयोध्या विवाद आजादी के बाद भी जस का तस बना रहा।या यूं कह लें समय के साथ और गंभीर होता गया। हालांकि अब देश आजाद हो चुका था, सरकार अपनी थी कानून अपना था, तो लोगों ने उम्मीद जताई कि अब तो बस समाधान होने ही वाला है। हालांकि, अयोध्या में असली विवाद शुरू हुआ 23 दिसंबर 1949 को, जब भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं। 

भगवान राम की मूर्ति मस्जिद में मिलने के बाद हिंदुओं का कहना था कि भगवान राम प्रकट हुए हैं, जबकि मुसलमानों ने आरोप लगाया कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दीं। उस वक्त के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री जी. बी. पंत से मामले में फौरन कार्रवाई करने को कहा। यूपी सरकार ने मूर्तियां हटाने का आदेश दिया, लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट के. के. नायर ने दंगों और हिंदुओं की भावनाओं के भड़कने के डर से इस आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई।जिसके बाद उसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया गया।

ताला उस ढांचे पर लगा था, जिसे विवाददित माना गया, लेकिन लोगों की भावनाओं पर नहीं। लोगों में मन में अपने अराध्य की पूजा करने की इच्छा बढ़ती ही जा रही थी। इसके बाद 16 जनवरी 1950 को गोपाल सिंह विशारद नामक शख्स ने फैजाबाद के सिविल जज के सामने अर्जी दाखिल कर यहां पूजा की इजाजत मांगी। उस वक्त के सिविल जज एन. एन. चंदा ने इजाजत दे दी। मुसलमानों ने इस फैसले के खिलाफ अर्जी दायर की। विवादित ढांचे की जगह मंदिर बनाने के लिए 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने एक कमिटी गठित की। यू. सी. पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज के. एम. पांडे ने 1 फरवरी 1986 को हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत देते हुए ढांचे पर से ताला हटाने का आदेश दिया। इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति का गठन किया गया।

मैदान में विश्व हिंदू परिषद के आ जाने से ये जनता की भावनाओं से जुड़ा ये मामला सियासी रंग लेने लगा। विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में 1984 में हिंदुओं ने भगवान राम के जन्मस्थल को मुक्त करने और वहां राम मंदिर बनाने के लिए एक समिति का गठन किया। ठीक उसी समय गोरखनाथ धाम के महंथ अवैद्यनाथ ने राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति बनाई. अवैद्यनाथ ने अपने शिष्यों और लोगों से कहा था कि उसी पार्टी को वोट देना जो हिंदुओं के पवित्र स्थानों को मुक्त कराए। 

ये वो समय था बीजेपी अब अयोध्या मसले पर खुलकर सामने आ चुकी थी...और लोगों को समर्थन भी इस पार्टी को मिलने लगा था। अयोध्या मामले की कमान संभाली बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने। 25 सितंबर 1990 को बीजेपी की रथयात्रा निकली। बिहार में लोगों के समर्थन से लालू प्रसाद यादव की सरकार घबरा गई, और आडवाणी की रथ को बिहार में रोक दिया गया। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, जिसके बाद गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में दंगे भड़क गए।

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के लिए पहली बार कारसेवा हुई थी और गोलिकांड भी। 30 अक्टूबर 1990 का वो दिन जब कारसेवकों ने मस्जिद पर चढ़कर झंडा फहराया था। उस वक्त यूपी में मुलायम सिंह की सरकार थी, मुलायम सिंह ने मस्जिद पर झंडा फहराए जाने के बाद गोली चलाने का आदेश दिया। उस वक्त पुलिस की गोलीबारी में पांच कारसेवकों की मौत हो गई थी। 1990 में हुए इस गोलीकाड़ के बाद 1991 में सपा के हाथ से यूपी की सत्ता फिसल गई और बीजेपी ने पहली बार सरकार बनाई।

अयोध्या के आंदोलन के इतिहास का सबसे काला दिन 6 दिसंबर 1992 जब बाबरी मस्जिद ढा दी गई थी। जिसके बाद पूरा देश दंगे की आग में दहकने लगा। ये विवाद में ऐतिहासिक दिन के तौर पर याद रखा जाता है, इस रोज हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया। पूरी अयोध्या नगरी धूल धूल हो गई थी। मानो कोई आंधी आई हो। मौजूद कार सेवकों के साथ लोगों की बड़ी संख्या विवादित स्थल के अंदर घुस गई और ढांचे को ढा दिया। इसके बाद ही पूरे देश में चारों ओर सांप्रदायिक दंगे होने लगे. इसमें करीब 2000 लोगों के मारे गए।

6 दिसंबर की घटना के बाद देश की राजनीति दशा और दिशा बदल दी। देश में सामाजिक और राजनीतिक फिजा में कई बड़े बदलाव हुए। इस दौरान केंद्र से लेकर राज्यों तक कई सरकारें बदलीं, नेतृत्व बदला और राजनीतिक परिदृश्य भी बदले।

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Jan 09 2024, 17:34

मालदीव मुद्दे पर बंटा “इंडिया”, खड़गे ने कहा-हर बात व्यक्तिगत तौर पर लेते हैं पीएम, पवार बोले-पीएम के खिलाफ अपमानजनक बातें स्वीकार नहीं

#mallikarjunkhargeandsharadpawaronmaldives_dispute

पिछले तीन दिन से देश में मालदीव के साथ तनाव की बातें सुर्खियों में बनी हुई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के दौरान तस्वीरें जारी होने के बाद मालदीव के कुछ मंत्रियों ने प्रधानमंत्री पर आपत्तिजनक टिप्पणियां कर दी थी, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव के हालात हैं। इस बीच लोग प्रधानमंत्री मोदी और अपने देश के समर्थन में उतर आए हैं। खेल जगत से लेकर फिल्मों से जुड़ी हस्तियां पीएम मोदी के समर्थन में नजर आ रहे हैं। हालांकि, मालदीव-भारत के बीच डिप्लोमेटिक टेंशन के मुद्दे पर इंडिया गुट के नेता एकमत नहीं हैं। महाराष्ट्र की राजनीति के पितामह कहे जाने वाले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने पीएम नरेंद्र मोदी के समर्थन में नारा बुलंद किया। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि पीएम मोदी हर बात को पर्सनल ले लेते हैं।

खरगे ने पीएम मोदी पर कसा तंज

मालदीव के साथ राजनयिक विवाद के मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही पीएम मोदी सब कुछ व्यक्तिगत रूप से ले रहे हैं। पत्रकारों से बातचीत के दौरान मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पड़ोसी देशों के साथ मधुर रिश्ते होने चाहिए। हमें वक्त के मुताबिक काम करना होगा, क्योंकि हम अपने पड़ोसियों को नहीं बदल सकते हैं। पीएम मोदी पर कटाक्ष करते हुए मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि वो हर चीज को निजी तौर पर ले लेते हैं।

शरद पवार ने क्या कहा?

वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे की राय से एनसीपी प्रमुख शरद पवार इत्तेफाक नहीं रखते। शरद पवार ने मालदीव विवाद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में बात की है। पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों का जिक्र करते हुए पवार ने मंगलवार को कहा कि किसी भी अन्य देश के किसी व्यक्ति द्वारा प्रधान मंत्री के खिलाफ ऐसी टिप्पणियां स्वीकार नहीं की जाएंगी। नरेंद्र मोदी हमारे देश के प्रधान मंत्री हैं और यदि किसी अन्य देश का कोई व्यक्ति, जो किसी भी पद पर है, हमारे प्रधान मंत्री पर ऐसी टिप्पणी करता है, तो हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे। हमें प्रधान मंत्री के पद का सम्मान करना चाहिए। देश के बाहर से हम प्रधान मंत्री के खिलाफ कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे

दरअसल, मालदीव के युवा मंत्रालय में उप मंत्री मालशा शरीफ, मरियम शिउना और अब्दुल्ला महज़ूम माजिद ने पीएम मोदी के लक्षद्वीप दौरे को लेकर टिप्पणी की थी. इसके बाद मालदीव सरकार ने तीनों के बयानों से खुद को अलग करते हुए इन्हें मंत्री पद से निलंबित कर दिया है।

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Sep 22 2023, 11:32

भारत के साथ विवादों के बीच कनाडा ने ली राहत की सांस, अमेरिका के कहा-श मामले में किसी को विशेष छूट नहीं मिलेगी

#usa_support_canada_in_dispute_with_india

कनाडा ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाया है। भारत ने कनाडा के सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। साथ ही विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में इन आरोपों को बेतुका और एक विचारधारा से प्रेरित बताया है।हालांकि, इस मामले में दोनों देशों के बीच तनाव गहराता जा रहा है। इस बीच अब अमेरिका ने भी सधे शब्दों में परोक्ष रूप से कनाडा का समर्थन कर दिया है। अमेरिका ने उन आरोपों को दृढ़ता से खारिज कर दिया है, जिनमें कहा जा रहा है कि भारत-कनाडा के बीच जारी विवाद से अमेरिका-कनाडा के रिश्तों में दरार आ गई है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलीवन ने कहा कि 'मैं इस विचार को दृढ़ता से खारिज करता हूं कि अमेरिका और कनाडा के बीच कोई मतभेद हैं। सुलिवन ने कहा है कि अमेरिका कनाडा के आरोपों को लेकर बेहद चिंतित है, वह जांच का पूरा समर्थन करता है और वह चाहता है कि दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए। 

जैक सुलीवन से जब कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के आरोपों को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि अमेरिका शीर्ष स्तर पर भारत के संपर्क में है और वॉशिंगटन इस मामले में कोई विशेष छूट नहीं दे रहा है। सुलीवन ने कहा कि 'अमेरिका अपने सिद्धांतों के लिए खड़ा रहेगा, चाहे कोई भी देश प्रभावित हो।'

दरअसल, अमेरिका, भारत के साथ अपने रिश्ते मज़बूत करने की कोशिश कर रहा है। इस साल की शुरुआत में पीएम नरेंद्र मोदी, अमेरिकी की राजकीय यात्रा पर गए थे, जहाँ राष्ट्रीय जो बाइडन ने उनकी मेज़बानी की थी।

व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, यह हमारे लिए चिंता का विषय है। यह एक ऐसी चीज़ है, जिसे हमें गंभीरता से लेते हैं। यह एक ऐसा मामला है जिस पर हम काम करना जारी रखेंगे और किसी देश की परवाह किए बिना हम ऐसा करेंगे। उन्होंने कहा, इस तरह के काम के लिए आपको कोई विशेष छूट नहीं मिलती है। देश की परवाह किए बिना हम खड़े होंगे और अपने बुनियादी सिद्धांतों की रक्षा करेंगे। हम कनाडा जैसे सहयोगियों के साथ भी नज़दीक से काम करेंगे, क्योंकि इस मामले में जांच और राजनयिक प्रक्रिया को कनाडा आगे बढ़ा रहा है।

बता दें कि हाल ही में अमेरिकी मीडिया में रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि कनाडा में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में कथित तौर पर भारतीय एजेंटों के शामिल होने के बारे में फाइव आइज देशों के अधिकारियों को जानकारी दे दी गई थी। अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया, फाइव आइज संगठन के सदस्य हैं। अमेरिका मीडिया के अनुसार, कनाडा द्वारा जानकारी देने के बावजूद अमेरिका ने दिल्ली में जी20 सम्मेलन से पहले इसे लेकर कोई सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की।

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Apr 20 2023, 11:53

आज सुलझेगा असम-अरुणाचल सीमा विवाद, अमित शाह की मौजूदगी में होगा एमओयू पर हस्ताक्षर

#assam_and_arunachal_pradesh_to_sign_mou_on_border_dispute 

असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच दशकों से चला आ रहा सीमा विवाद आज खत्म हो जाएगा। दरअसल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में असम और अरुणाचल प्रदेश सरकार के बीच नई दिल्ली में दोनों राज्यों के बीच लंबे समय से लंबित सीमा विवाद को हल करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर गुरुवार को हस्ताक्षर किए जाएंगे।

असम सरकार की गठित 12 क्षेत्रीय समितियों द्वारा दी गई सिफारिशों को बुधवार को मंजूरी दी गई है। कैबिनेट के फैसलों की घोषणा करते हुए असम के मंत्री अशोक सिंघल ने कहा कि असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच लंबे समय से लंबित सीमा विवाद का मुद्दा सुलझने जा रहा है। इससे पहले मार्च 2022 में, असम और मेघालय सरकारों ने अपने 50 साल पुराने लंबित सीमा विवाद को हल करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

क्या है असम अरुणाचल प्रदेश सीमा विवाद?

अरुणाचल प्रदेश की सरकार का दावा है कि असम से अलग होने के बाद असम को पारंपरिक रूप से अरुणाचल प्रदेश के निवासियों की कुछ भूमि असम को दे दी गई थी। दोनों राज्यों के बीच 804 किलोमीटर लंबी साझा सीमा है। दोनों ही यह दावा करते हैं कि एक राज्य के नागरिक दूसरे के क्षेत्र में अतिक्रमण कर रहे थे जिसके चलते यहां हिंसा भी हुई थी और 1989 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में जा पहुंचा था।

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Jun 28 2024, 20:04

कर्नाटक में नया सियासी नाटक, वोक्कालिगा संत ने कर दी शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग

#disputeinkarnatakacongressovercmpostvokkaligasaintsupportd_k 

कर्नाटक में नया सियासी ड्रामा शुरू हो गया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर जारी सत्ता संघर्ष के बीच वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एक महंत ने सार्वजनिक रूप से कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से पद छोड़ने और राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को सत्ता सौंपने का आग्रह किया। एक वोक्कालिगा संत ने गुरुवार को कहा कि कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया को पद छोड़ देना चाहिए और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार जगह देनी चाहिए।महंत की यह अपील ऐसे समय में आई है, जब सिद्धरमैया मंत्रिमंडल में तीन और उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग बढ़ रही है।

कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष और राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से हैं। यह समुदाय राज्य के दक्षिणी भागों में एक प्रमुख समुदाय है। चंद्रशेखरनाथ स्वामी ने कहा, "राज्य में हर कोई मुख्यमंत्री बन गया है और सत्ता का सुख सभी ने भोगा है, लेकिन हमारे डीके शिवकुमार अभी तक मुख्यमंत्री नहीं बन पाए हैं, इसलिए अनुरोध है कि सिद्धरमैया कृपया हमारे डीके शिवकुमार को सत्ता सौंप दें और उन्हें आशीर्वाद दें। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "सिद्धरमैया अगर मन बना लें तो ही यह संभव है, अन्यथा नहीं, इसलिए नमस्कार के साथ मैं सिद्धरमैया से अनुरोध करता हूं कि वह डी.के. शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाएं।"

वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं डीके

उन्होंने यह बयान कैंपा गौड़ा जयंती समारोह में उस समय दिया, जब मंच पर शिवकुमार और सिद्धारमैया दोनों मौजूद थे। इसके बाद स्वामी निर्मलानंद ने भी डीके शिवकुमार को सीएम बनाने की वकालत की। बता दें कि डीके वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं और विधानसभा चुनाव के दौरान मठ की ओर से कांग्रेस को खुले तौर पर समर्थन मिला था। ओल्ड मैसुरू इलाके में मठ की अपील का फायदा भी कांग्रेस को मिला था।

सिद्धारमैया बोले- पार्टी जो कहेगा, हम वही करेंगे

संत की इस अपील को लेकर सिद्धारमैया से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस हाईकमान पार्टी है। यह लोकतंत्र है। हम वही करेंगे जो हाईकमान हमें करने को कहेगा। वहीं शिवकुमार ने कहा कि कुछ बातें कही गईं हैं। मैं और सिद्धारमैया दोनों ही राज्य के रुके हुए प्रोजेक्ट्स के बारे में राज्य के सांसदों से बात करने के लिए नई दिल्ली जा रहे हैं।

सिद्धारमैया के समर्थक ने उठाई तीन डिप्टी सीएम की मांग

वहीं, सिद्धारमैया के समर्थक मंत्रियों केएन राजन्ना, बी जेड ज़मीर अहमद खान और सतीश जरकीहोली ने तीन डिप्टी सीएम की मांग रख दी। माना जा रहा है कि मंत्रियों ने डीके शिवकुमार को काबू में करने के लिए तीन डिप्टी सीएम का मुद्दा उछाला गया है। अभी कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने एक वर्ष का कार्यकाल पूरा किया है और डीके फॉर्मूले तहत सीएम पद के दावेदार हैं। 

शह और मात का खेल शुरू

लोकसभा चुनाव के बाद कर्नाटक कांग्रेस में सीएम पद को लेकर शह और मात का खेल शुरू हो गया है। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार से समर्थक खुले तौर पर नेतृत्व परिवर्तन का राग छेड़ा है तो सिद्धारमैया समर्थक मंत्रियों ने तीन डिप्टी सीएम के फॉर्मूले को लागू करने का दांव चल दिया है। कई मंत्री लिंगायत, दलित और अल्पसंख्यक डिप्टी सीएम बनाने के लिए आवाज बुलंद करने लगे हैं। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के बदलाव की मांग भी शुरू हो गई है। यह पद अभी डीके शिवकुमार के पास ही है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद निकाले गए फॉर्मूले के तहत डीके शिवकुमार सीएम पद के दावेदार हैं। पार्टी में वह संकटमोचक के तौर पर उभरे हैं। उन्हें केंद्रीय नेतृत्व का विश्वास भी हासिल है, ऐसे में सिद्धारमैया समर्थकों ने प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू कर दी है। फिलहाल इस खेल के शुरू होने के बाद डीके शिवकुमार ने चुप्पी साध रखी है।

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Jun 21 2024, 17:57

Anti Modi French Journalist Sebastien Farcis denied permit to work as a journalist in India after 13 years

BIG NEWS  Anti Modi French Journalist Sebastien Farcis denied permit to work as a journalist in India after 13 years

He has finally left the country.

He claimed that the presence of PM Modi at the Pran Pratishtha ceremony was against the secular fabric of the country

He also published a report where he claimed that archaeologists had never been able to prove that the disputed structure was built after destr0ying a Hindu temple.

He is now crying fouI on Social Media

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Feb 09 2024, 20:04

रवींद्र जडेजा के पिता ने बहु रिवाबा पर लगाए गंभीर आरोप, बचाव में उतरे क्रिकेटर ने कहा-पत्नी को बदनाम मत करो

#ravindra_jadeja_family_dispute

भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार ऑल राउंडर रविंद्र जडेजा और उनकी पत्नी रिवाबा पर उनके पिता अनिरुद्ध सिंह जडेजा ने गंभीर आरोप लगाए हैं।अन‍िरुद्ध सिंह ने इस इंटरव्यू में बेटे रवींद्र जडेजा और उनकी विधायक पत्नी र‍िवाबा पर कई संगीन आरोप लगाए। इसके बाद जडेजा का भी रिएक्शन आया। जडेजा ने इन आरोपों पर अपनी चुप्पी तोड़ी है और एक बयान जारी करते हुए इन आरोपों को गलत और एकतरफा बताया है।

रवींद्र जडेजा के पिता अनिरुद्धसिंह जडेजा ने एक गुजराती अखबार को दिए इंटरव्यू में भारतीय ऑलराउंडर पर संगीन आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि दोनों में रिश्ते खराब हैं और काफी वक्त से अलग-अलग रह रहे हैं। उन्होंने साथ ही दावा किया कि रवींद्र की पत्नी रिवाबा से शादी के बाद ही रिश्तों में दरार पड़ने लगी थी।

अनिरुद्ध सिंह जडेजा ने अखबार को दिए इंटरव्यू में आरोप लगाया कि 2016 में रिवाबा से शादी के बाद से ही उनका बेटा पूरी तरह बदल गया था। उन्होंने रवींद्र की पत्नी रिवाबा पर आरोप लगाया कि शादी के 2-3 महीनों बाद ही वो सारी प्रॉपर्टी अपने नाम करने का दबाव बनाने लगीं। उन्होंने ये भी कहा कि रवींद्र और उनकी पत्नी परिवार से अलग रहते हैं और उनसे बातें भी नहीं करते।अनिरुद्ध जडेजा का कहना है कि उनकी बहू को सिर्फ पैसों से मतलब है।

अनिरुद्ध जडेजा ने कहा सच, बोलूं तो मेरा रवि या उसकी पत्नी रिवाबा से कोई संबंध नहीं है। हम एक दूसरे को नहीं बुलाते हैं। हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं है। मैंने 5 साल से अपनी पोती का चेहरा भी नहीं देखा है। बेटे की शादी ना होती तो अच्छा होता। क्योंकि हम इस हाल में आज ना होते। उन्होंने यहां तक कहा कि उन्हें अपने बेटे को क्रिकेटर नहीं बनाना चाहिए था।

इस इंटरव्यू के आने के बाद से ही बवाल मचा हुआ है और अब जडेजा ने इस मामले में अपना पक्ष रखा है। पिता के आरोपों से बौखलाए जडेजा ने गुजराती में अपना बयान जारी किया और इंटरव्यू को ‘स्क्रिप्टेड’ बताते हुए इसे अनदेखा करने की अपील की। अपने बयान में जडेजा ने लिखा कि अखबार में आया हालिया आर्टिकल बकवास और झूठा है और बिल्कुल एकतरफा है। भारतीय ऑलराउंडर ने आगे लिखा कि उसमें कही बातें सही नहीं हैं और वो इससे सहमत नहीं हैं। रिवाबा पर लगे आरोपों से जडेजा और भी ज्यादा खफा नजर आए और कहा कि ये उनकी पत्नी की छवि को खराब करने की कोशिश है।

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Jan 19 2024, 14:14

अयोध्या विवाद आजादी के बादः केंद्र से लेकर राज्यों तक की राजनीति दशा और दिशा कैसी बदल

#ayodhya_dispute_after_independence

गुलाम भारत में शुरू हुआ अयोध्या विवाद आजादी के बाद भी जस का तस बना रहा।या यूं कह लें समय के साथ और गंभीर होता गया। हालांकि अब देश आजाद हो चुका था, सरकार अपनी थी कानून अपना था, तो लोगों ने उम्मीद जताई कि अब तो बस समाधान होने ही वाला है। हालांकि, अयोध्या में असली विवाद शुरू हुआ 23 दिसंबर 1949 को, जब भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं। 

भगवान राम की मूर्ति मस्जिद में मिलने के बाद हिंदुओं का कहना था कि भगवान राम प्रकट हुए हैं, जबकि मुसलमानों ने आरोप लगाया कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दीं। उस वक्त के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री जी. बी. पंत से मामले में फौरन कार्रवाई करने को कहा। यूपी सरकार ने मूर्तियां हटाने का आदेश दिया, लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट के. के. नायर ने दंगों और हिंदुओं की भावनाओं के भड़कने के डर से इस आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई।जिसके बाद उसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया गया।

ताला उस ढांचे पर लगा था, जिसे विवाददित माना गया, लेकिन लोगों की भावनाओं पर नहीं। लोगों में मन में अपने अराध्य की पूजा करने की इच्छा बढ़ती ही जा रही थी। इसके बाद 16 जनवरी 1950 को गोपाल सिंह विशारद नामक शख्स ने फैजाबाद के सिविल जज के सामने अर्जी दाखिल कर यहां पूजा की इजाजत मांगी। उस वक्त के सिविल जज एन. एन. चंदा ने इजाजत दे दी। मुसलमानों ने इस फैसले के खिलाफ अर्जी दायर की। विवादित ढांचे की जगह मंदिर बनाने के लिए 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने एक कमिटी गठित की। यू. सी. पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज के. एम. पांडे ने 1 फरवरी 1986 को हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत देते हुए ढांचे पर से ताला हटाने का आदेश दिया। इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति का गठन किया गया।

मैदान में विश्व हिंदू परिषद के आ जाने से ये जनता की भावनाओं से जुड़ा ये मामला सियासी रंग लेने लगा। विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में 1984 में हिंदुओं ने भगवान राम के जन्मस्थल को मुक्त करने और वहां राम मंदिर बनाने के लिए एक समिति का गठन किया। ठीक उसी समय गोरखनाथ धाम के महंथ अवैद्यनाथ ने राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति बनाई. अवैद्यनाथ ने अपने शिष्यों और लोगों से कहा था कि उसी पार्टी को वोट देना जो हिंदुओं के पवित्र स्थानों को मुक्त कराए। 

ये वो समय था बीजेपी अब अयोध्या मसले पर खुलकर सामने आ चुकी थी...और लोगों को समर्थन भी इस पार्टी को मिलने लगा था। अयोध्या मामले की कमान संभाली बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने। 25 सितंबर 1990 को बीजेपी की रथयात्रा निकली। बिहार में लोगों के समर्थन से लालू प्रसाद यादव की सरकार घबरा गई, और आडवाणी की रथ को बिहार में रोक दिया गया। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, जिसके बाद गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में दंगे भड़क गए।

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के लिए पहली बार कारसेवा हुई थी और गोलिकांड भी। 30 अक्टूबर 1990 का वो दिन जब कारसेवकों ने मस्जिद पर चढ़कर झंडा फहराया था। उस वक्त यूपी में मुलायम सिंह की सरकार थी, मुलायम सिंह ने मस्जिद पर झंडा फहराए जाने के बाद गोली चलाने का आदेश दिया। उस वक्त पुलिस की गोलीबारी में पांच कारसेवकों की मौत हो गई थी। 1990 में हुए इस गोलीकाड़ के बाद 1991 में सपा के हाथ से यूपी की सत्ता फिसल गई और बीजेपी ने पहली बार सरकार बनाई।

अयोध्या के आंदोलन के इतिहास का सबसे काला दिन 6 दिसंबर 1992 जब बाबरी मस्जिद ढा दी गई थी। जिसके बाद पूरा देश दंगे की आग में दहकने लगा। ये विवाद में ऐतिहासिक दिन के तौर पर याद रखा जाता है, इस रोज हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया। पूरी अयोध्या नगरी धूल धूल हो गई थी। मानो कोई आंधी आई हो। मौजूद कार सेवकों के साथ लोगों की बड़ी संख्या विवादित स्थल के अंदर घुस गई और ढांचे को ढा दिया। इसके बाद ही पूरे देश में चारों ओर सांप्रदायिक दंगे होने लगे. इसमें करीब 2000 लोगों के मारे गए।

6 दिसंबर की घटना के बाद देश की राजनीति दशा और दिशा बदल दी। देश में सामाजिक और राजनीतिक फिजा में कई बड़े बदलाव हुए। इस दौरान केंद्र से लेकर राज्यों तक कई सरकारें बदलीं, नेतृत्व बदला और राजनीतिक परिदृश्य भी बदले।

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Jan 09 2024, 17:34

मालदीव मुद्दे पर बंटा “इंडिया”, खड़गे ने कहा-हर बात व्यक्तिगत तौर पर लेते हैं पीएम, पवार बोले-पीएम के खिलाफ अपमानजनक बातें स्वीकार नहीं

#mallikarjunkhargeandsharadpawaronmaldives_dispute

पिछले तीन दिन से देश में मालदीव के साथ तनाव की बातें सुर्खियों में बनी हुई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के दौरान तस्वीरें जारी होने के बाद मालदीव के कुछ मंत्रियों ने प्रधानमंत्री पर आपत्तिजनक टिप्पणियां कर दी थी, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव के हालात हैं। इस बीच लोग प्रधानमंत्री मोदी और अपने देश के समर्थन में उतर आए हैं। खेल जगत से लेकर फिल्मों से जुड़ी हस्तियां पीएम मोदी के समर्थन में नजर आ रहे हैं। हालांकि, मालदीव-भारत के बीच डिप्लोमेटिक टेंशन के मुद्दे पर इंडिया गुट के नेता एकमत नहीं हैं। महाराष्ट्र की राजनीति के पितामह कहे जाने वाले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने पीएम नरेंद्र मोदी के समर्थन में नारा बुलंद किया। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि पीएम मोदी हर बात को पर्सनल ले लेते हैं।

खरगे ने पीएम मोदी पर कसा तंज

मालदीव के साथ राजनयिक विवाद के मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही पीएम मोदी सब कुछ व्यक्तिगत रूप से ले रहे हैं। पत्रकारों से बातचीत के दौरान मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पड़ोसी देशों के साथ मधुर रिश्ते होने चाहिए। हमें वक्त के मुताबिक काम करना होगा, क्योंकि हम अपने पड़ोसियों को नहीं बदल सकते हैं। पीएम मोदी पर कटाक्ष करते हुए मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि वो हर चीज को निजी तौर पर ले लेते हैं।

शरद पवार ने क्या कहा?

वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे की राय से एनसीपी प्रमुख शरद पवार इत्तेफाक नहीं रखते। शरद पवार ने मालदीव विवाद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में बात की है। पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों का जिक्र करते हुए पवार ने मंगलवार को कहा कि किसी भी अन्य देश के किसी व्यक्ति द्वारा प्रधान मंत्री के खिलाफ ऐसी टिप्पणियां स्वीकार नहीं की जाएंगी। नरेंद्र मोदी हमारे देश के प्रधान मंत्री हैं और यदि किसी अन्य देश का कोई व्यक्ति, जो किसी भी पद पर है, हमारे प्रधान मंत्री पर ऐसी टिप्पणी करता है, तो हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे। हमें प्रधान मंत्री के पद का सम्मान करना चाहिए। देश के बाहर से हम प्रधान मंत्री के खिलाफ कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे

दरअसल, मालदीव के युवा मंत्रालय में उप मंत्री मालशा शरीफ, मरियम शिउना और अब्दुल्ला महज़ूम माजिद ने पीएम मोदी के लक्षद्वीप दौरे को लेकर टिप्पणी की थी. इसके बाद मालदीव सरकार ने तीनों के बयानों से खुद को अलग करते हुए इन्हें मंत्री पद से निलंबित कर दिया है।

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Sep 22 2023, 11:32

भारत के साथ विवादों के बीच कनाडा ने ली राहत की सांस, अमेरिका के कहा-श मामले में किसी को विशेष छूट नहीं मिलेगी

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कनाडा ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाया है। भारत ने कनाडा के सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। साथ ही विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में इन आरोपों को बेतुका और एक विचारधारा से प्रेरित बताया है।हालांकि, इस मामले में दोनों देशों के बीच तनाव गहराता जा रहा है। इस बीच अब अमेरिका ने भी सधे शब्दों में परोक्ष रूप से कनाडा का समर्थन कर दिया है। अमेरिका ने उन आरोपों को दृढ़ता से खारिज कर दिया है, जिनमें कहा जा रहा है कि भारत-कनाडा के बीच जारी विवाद से अमेरिका-कनाडा के रिश्तों में दरार आ गई है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलीवन ने कहा कि 'मैं इस विचार को दृढ़ता से खारिज करता हूं कि अमेरिका और कनाडा के बीच कोई मतभेद हैं। सुलिवन ने कहा है कि अमेरिका कनाडा के आरोपों को लेकर बेहद चिंतित है, वह जांच का पूरा समर्थन करता है और वह चाहता है कि दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए। 

जैक सुलीवन से जब कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के आरोपों को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि अमेरिका शीर्ष स्तर पर भारत के संपर्क में है और वॉशिंगटन इस मामले में कोई विशेष छूट नहीं दे रहा है। सुलीवन ने कहा कि 'अमेरिका अपने सिद्धांतों के लिए खड़ा रहेगा, चाहे कोई भी देश प्रभावित हो।'

दरअसल, अमेरिका, भारत के साथ अपने रिश्ते मज़बूत करने की कोशिश कर रहा है। इस साल की शुरुआत में पीएम नरेंद्र मोदी, अमेरिकी की राजकीय यात्रा पर गए थे, जहाँ राष्ट्रीय जो बाइडन ने उनकी मेज़बानी की थी।

व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, यह हमारे लिए चिंता का विषय है। यह एक ऐसी चीज़ है, जिसे हमें गंभीरता से लेते हैं। यह एक ऐसा मामला है जिस पर हम काम करना जारी रखेंगे और किसी देश की परवाह किए बिना हम ऐसा करेंगे। उन्होंने कहा, इस तरह के काम के लिए आपको कोई विशेष छूट नहीं मिलती है। देश की परवाह किए बिना हम खड़े होंगे और अपने बुनियादी सिद्धांतों की रक्षा करेंगे। हम कनाडा जैसे सहयोगियों के साथ भी नज़दीक से काम करेंगे, क्योंकि इस मामले में जांच और राजनयिक प्रक्रिया को कनाडा आगे बढ़ा रहा है।

बता दें कि हाल ही में अमेरिकी मीडिया में रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि कनाडा में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में कथित तौर पर भारतीय एजेंटों के शामिल होने के बारे में फाइव आइज देशों के अधिकारियों को जानकारी दे दी गई थी। अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया, फाइव आइज संगठन के सदस्य हैं। अमेरिका मीडिया के अनुसार, कनाडा द्वारा जानकारी देने के बावजूद अमेरिका ने दिल्ली में जी20 सम्मेलन से पहले इसे लेकर कोई सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की।

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Apr 20 2023, 11:53

आज सुलझेगा असम-अरुणाचल सीमा विवाद, अमित शाह की मौजूदगी में होगा एमओयू पर हस्ताक्षर

#assam_and_arunachal_pradesh_to_sign_mou_on_border_dispute 

असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच दशकों से चला आ रहा सीमा विवाद आज खत्म हो जाएगा। दरअसल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में असम और अरुणाचल प्रदेश सरकार के बीच नई दिल्ली में दोनों राज्यों के बीच लंबे समय से लंबित सीमा विवाद को हल करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर गुरुवार को हस्ताक्षर किए जाएंगे।

असम सरकार की गठित 12 क्षेत्रीय समितियों द्वारा दी गई सिफारिशों को बुधवार को मंजूरी दी गई है। कैबिनेट के फैसलों की घोषणा करते हुए असम के मंत्री अशोक सिंघल ने कहा कि असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच लंबे समय से लंबित सीमा विवाद का मुद्दा सुलझने जा रहा है। इससे पहले मार्च 2022 में, असम और मेघालय सरकारों ने अपने 50 साल पुराने लंबित सीमा विवाद को हल करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

क्या है असम अरुणाचल प्रदेश सीमा विवाद?

अरुणाचल प्रदेश की सरकार का दावा है कि असम से अलग होने के बाद असम को पारंपरिक रूप से अरुणाचल प्रदेश के निवासियों की कुछ भूमि असम को दे दी गई थी। दोनों राज्यों के बीच 804 किलोमीटर लंबी साझा सीमा है। दोनों ही यह दावा करते हैं कि एक राज्य के नागरिक दूसरे के क्षेत्र में अतिक्रमण कर रहे थे जिसके चलते यहां हिंसा भी हुई थी और 1989 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में जा पहुंचा था।