नेपाल ने चीनी कंपनी को दिया विवादित नक्शे वाले नोट छापने का ठेका, मैप में 3 भारतीय इलाके

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नेपाल ने भारत से पंगा लेने का काम किया है। नेपाल के केंद्रीय बैंक ‘नेपाल राष्ट्र बैंक’ ने चीन की एक कंपनी को 100 रुपए के नए नेपाली नोट छापने का कॉन्ट्रैक्ट दिया है। इन नोटों पर बने नक्शे में भारत के लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी इलाके को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है। इस इलाके को लेकर भारत-नेपाल के बीच करीब 35 साल से विवाद है।

नेपाल राष्ट्र बैंक ने 100 रुपये के नोटों की छपाई का काम चीन की कंपनी को सौंपा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रतिस्पर्धी वैश्विक निविदा प्रक्रिया के बाद चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन को 100 रुपये के नोट छापने का ठेका दिया गया है। चीनी कंपनी नोटों की 30 करोड़ प्रतियां छापेगी। एनआरबी ने कंपनी से 300 मिलियन 100 रुपये के नोटों को डिजाइन, प्रिंट, आपूर्ति और वितरित करने को कहा है, जिसकी कीमत लगभग 8.99 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। 

इस नोट में बने नक्शे में भारत के लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी क्षेत्र को नेपाल का हिस्सा दर्शाया गया है। नेपाल ने एक संवैधानिक संशोधन के जरिए 20 मई, 2020 को लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को अपना हिस्सा बताते हुए नया नक्शा जारी किया था। इसमें पश्चिमी तिब्बत के न्गारी क्षेत्र में स्थित सभी विवादित क्षेत्रों को नेपाल ने अपना कहा है। ये क्षेत्र बीते 60 वर्षों से पूरी तरह से भारत के नियंत्रण में हैं। यहां के लोग भारतीय नागरिक हैं। भारत में कर चुकाते हैं और भारतीय में मतदान करते हैं।

नेपाल के मंत्रिमंडल ने इस साल मई में इस नोट के डिजाइन में बदलाव को मंजूरी दी थी। तब नेपाल में पुष्प कमल दहल प्रचंड प्रधानमंत्री थे। केपी शर्मा ओली इस सरकार का समर्थन कर रहे थे। 12 जुलाई को ओली ने प्रचंड सरकार सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। अब वे नेपाल के पीएम हैं। 

भारत ने पहले ही नेपाल की ओर से किए गए क्षेत्रीय दावे को आर्टिफिशियल विस्तार करार दिया और अस्थिर करने वाला बताया है। भारत ने साफ कर दिया है कि पश्चिमी नेपाल की सीमा पर स्थित लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा उसका हिस्सा हैं।

मिठाई के साथ भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी से सैनिकों की वापसी पूरी करी, सत्यापन जारी

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Indian- Chinese troops at LAC Ladakh

भारत और चीन ने बुधवार को पूर्वी लद्दाख में देपसांग और डेमचोक से अपनी सेनाओं की वापसी पूरी कर ली है, जिसके बाद दोनों पक्ष अब आमने-सामने की जगहों से एक निर्दिष्ट और परस्पर सहमत दूरी पर सैनिकों और उपकरणों की वापसी का संयुक्त सत्यापन कर रहे हैं, इस घटनाक्रम से अवगत लोगों ने बताया।

सीमा पर तनाव कम करने के लिए 21 अक्टूबर को भारत और चीन के बीच हुए समझौते के अनुरूप अंतिम सत्यापन किया जा रहा है।

देपसांग और डेमचोक से सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है और सत्यापन जारी है। स्थानीय कमांडरों के स्तर पर बातचीत जारी रहेगी। उम्मीद है कि दोनों सेनाएं जल्द ही इलाकों में गश्त शुरू कर देंगी। विघटन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में, भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ दो फ्लैशपॉइंट से अपने अग्रिम तैनात सैनिकों और उपकरणों को वापस बुला लिया है, और मई 2020 में सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद वहां बनाए गए अस्थायी ढांचों को ध्वस्त कर दिया है। ⁠गश्ती के तौर-तरीके ग्राउंड कमांडरों के बीच तय किए जाएंगे। उन्होंने कहा, "गुरुवार (दिवाली) को मिठाइयों के आदान-प्रदान की योजना बनाई गई है।"

इस विकास से भारतीय सेना और पीएलए को वार्ता में दो साल के गतिरोध को दूर करने में मदद मिलेगी - गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग पॉइंट-15 से विघटन का चौथा और अंतिम दौर सितंबर 2022 में हुआ था, जिसके बाद वार्ता गतिरोध पर पहुंच गई थी। चीन ने बुधवार को कहा कि दोनों सेनाएं पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर सैनिकों की वापसी से संबंधित "संकल्पों" को "व्यवस्थित" तरीके से लागू कर रही हैं, पीटीआई ने बीजिंग से रिपोर्ट की।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों देश सीमा से संबंधित मुद्दों पर समाधान पर पहुंच गए हैं। चीनी अधिकारी ने सैनिकों की वापसी से संबंधित एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, "फिलहाल, चीनी और भारतीय सीमा सैनिक व्यवस्थित तरीके से प्रस्तावों को लागू कर रहे हैं।"

पूर्व सैन्य संचालन महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया (सेवानिवृत्त) ने पहले कहा था कि देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी से दोनों पक्षों को समन्वित तरीके से और सहमत आवृत्ति और ताकत (गश्ती दलों की) के साथ गश्त करने में सुविधा होगी, उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष अब एलएसी पर शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए रास्ता बना सकते हैं।

23 अक्टूबर को सैनिकों की वापसी शुरू हुई और इसके पूरा होने से दोनों अग्रिम क्षेत्रों में जमीनी स्थिति अप्रैल 2020 से पहले जैसी हो गई है। भारतीय सेना उन क्षेत्रों में अपनी गश्त गतिविधि फिर से शुरू करेगी, जो पीएलए की अग्रिम मौजूदगी के कारण कटे हुए थे। 21 अक्टूबर को भारत और चीन द्वारा देपसांग और डेमचोक में गतिरोध को हल करने के लिए वार्ता में सफलता की घोषणा के बाद सैनिकों की वापसी शुरू हुई, लद्दाख में ये दो अंतिम बिंदु हैं, जहां प्रतिद्वंद्वी सैनिक लगभग साढ़े चार साल से आमने-सामने हैं।

विस्थापन समझौते में केवल देपसांग और डेमचोक शामिल हैं, और दोनों देश अन्य क्षेत्रों पर विभिन्न स्तरों पर अपनी बातचीत जारी रखेंगे, जहां पहले सैनिकों की वापसी के बाद तथाकथित बफर जोन बनाए गए थे। देपसांग और डेमचोक से प्रतिद्वंद्वी सैनिकों की वापसी में बफर जोन का निर्माण शामिल नहीं है, जैसा कि सैनिकों की वापसी के पिछले दौर के बाद हुआ था।

भारत और चीन ने पहले गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो, गोगरा (पीपी-17ए) और हॉट स्प्रिंग्स (पीपी-15) क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुला लिया था, जहां क्षेत्र में दोनों सेनाओं की गश्त गतिविधियों को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित करने के लिए बफर जोन बनाए गए थे। अलगाव के क्षेत्रों का उद्देश्य हिंसक टकराव की संभावना को खत्म करना था। दोनों पक्षों द्वारा इन क्षेत्रों में गश्त पर रोक हटाना आगे की बातचीत के परिणाम पर निर्भर करेगा।

टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुलाना सीमा तनाव को कम करने की दिशा में पहला कदम है। क्षेत्र में शांति और सौहार्द बहाल करने के लिए लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष को कम करना और प्रतिद्वंद्वी सैनिकों को अंततः वापस बुलाना जरूरी है। दोनों सेनाओं के पास अभी भी लद्दाख थिएटर में दसियों हज़ार सैनिक और उन्नत हथियार तैनात हैं।

अब जापान को डराने की कोशिश कर रहा ड्रैगन! जासूसी करने का लगा आरोप

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चीन हमेशा अपने पड़ोसी देशों के लिए परेशानी खड़ी करने वाला काम करता है। चीन कुछ ना कुछ ऐसा करता रहता है जिससे उसके पड़ोसी देशों की परेशानी बढ़ जाती है। अब मामला जापान से जुड़ा हुआ सामने आया है। एक बार फिर चीन ने ऐसी ही हरकत की है जिसपर जापान ने आपत्ति जताया है। जापान ने आरोप लगाया क‍ि चीन ने उसके इलाके में जासूसी विमान भेजा है। जवाब में जापान ने भी अपने लड़ाकू विमानों को अलर्ट कर दिया। इसके बाद चीन का स्‍पाई विमान वहां से भाग गया।

जापान के शीर्ष सरकारी प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि एक दिन पहले चीनी सैन्य विमान ने कुछ समय के लिए जापानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया था। उन्होंने इस घटना को 'बिल्कुल अस्वीकार्य' क्षेत्रीय उल्लंघन और सुरक्षा के लिए खतरा बताया। मुख्य कैबिनेट सचिव योशिमासा हयाशी ने कहा कि सोमवार को एक चीनी Y-9 टोही विमान कुछ समय के लिए जापान के दक्षिण-पश्चिमी हवाई क्षेत्र में घुस आया था। हवाई क्षेत्र में विमान के घुसते ही सेना को अपने लड़ाकू विमानों को वापस बुलाना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह पहली बार था जब जापानी सेल्फ डिफेंस फोर्स ने जापान के हवाई क्षेत्र में एक चीनी सैन्य विमान का पता लगाया।

जापान का आरोप-चीन लगातार समुद्री सीमा में उकसावे की कार्रवाई कर रहा

जापान का आरोप है कि चीन लगातार समुद्री सीमा में उकसावे की कार्रवाई कर रहा है। ऐसे में अब ताजा घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका है। जापान का कहना है कि चीन के विमान पहले भी दक्षिण पूर्व की सीमा के आसपास चक्कर लगाते रहे हैं, लेकिन यह पहली बार है कि किसी विमान ने जापान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है। जापान ने कहा कि उन्होंने चीनी विमान के खिलाफ किसी हथियार का प्रयोग नहीं किया। हालांकि चीन की उकसावे वाली कार्रवाई को देखते हुए जापान ने अपनी पूर्वी सीमा पर लड़ाकू विमानों की तैनाती कर दी है।

चीन ने क्‍या कहा?

कुछ देर बाद चीन ने भी बयान जारी क‍िया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता लिन जियान ने कहा, हम जापान के इस दावे की पुष्‍ट‍ि कर रहे हैं क‍ि क्‍या सच में ऐसा कुछ हुआ है। दोनों देशों के बीच कम्‍युनिकेशन के ल‍िए एक चैनल है। मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा क‍ि चीन का कभी भी दूसरे देश में घुसपैठ करने का कोई इरादा नहीं है। उधर, जापानी मीडिया ने कहा, चीन का स्‍पाई विमान देखे जाने के बाद उसे चेतावनी जारी की गई थी, लेकिन फ्लेयर गन जैसे किसी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया गया। बाद में वह खुद लौट गया।

साउथ चाइना सी में तनाव

यह घटना ऐसे वक्‍त में हुई है, जब साउथ चाइना सी में तनाव काफी बढ़ा हुआ है। अमेर‍िका इस इलाके में दखल बढ़ा रहा है। अपने श‍िप भी उतार दिए हैं, जिससे चीन बुरी तरह चिढ़ा हुआ है। वह साउथ चाइना सी के ज्‍यादातर इलाके को अपना बताता है। वह फ‍िलीपींस के कई द्वीपों पर भी दावा ठोंकता है। यहां तक क‍ि उनकी नेवी को जाने नहीं देता। अक्‍सर दोनों देशों में इसे लेकर टकराव की नौबत आती है। कुछ महीनों पहले एक चीनी जहाज फ‍िलीपींस के जहाज के बिल्‍कुल पास आ गया। तब दोनों के बीच सिर्फ 5 मीटर की दूरी थी।

"Navi Mumbai's Culinary Gem: Shikara Restaurant Garners High Praise for Its Exquisite Food and Exceptional Service from Renowned Influencers."

Mumbai, June 28, 2024 - Shikara Restaurant, positioned in the vibrant locality of Sanpada, Vashi-Turbhe, has solidified its position as the leading epicurean sanctuary for North Indian cuisine in Navi Mumbai. 

In an exclusive conversation with Rajveer Singh, well-known bloggers including Shreya Sneh, Irfan Shaukat, Roshan Kamble and a cohort of influential individuals from the thriving entrepreneurial scene in Navi Mumbai, recounted their extraordinary experiences at Shikara Restaurant. These influential voices expressed their profound satisfaction with the monsoon-inspired menu, extolling the establishment's unwavering commitment to authenticity and use of premium ingredients. With unanimous accord, these discerning gourmands attested that Shikara Restaurant stands as a culinary gem, captivating patrons with the tantalizing fusion of North Indian and Chinese culinary traditions.

Shikara Restaurant has garnered widespread acclaim for its enticing selection of North Indian and Chinese culinary treasures, seamlessly integrated with an opulent ambiance that offers a lavish dining experience at accessible prices. Upon entering Shikara Restaurant, guests are enveloped in an atmosphere of sophistication and warmth, instantly transported to the cultural grandeur of Kashmir. The interior, adorned with intricately carved wooden furnishings, live melodic tunes, and captivating artwork, weaves an immersive and visually captivating tapestry for patrons to dine amidst.

The heart of Shikara Restaurant's acclaim resides in its meticulously crafted monsoon menu, thoughtfully designed to showcase the diverse flavors and distinctive spices synonymous with North Indian cuisine. Guided by the culinary expertise of Mr. Ashok Mehra and Mr. Vishal Mehra, the menu at Shikara Restaurant offers an extensive range of delectable choices catering to both vegetarian and non-vegetarian preferences.

Connoisseurs of succulent delights can revel in mouthwatering starters, including exquisite seekh kebabs, flavorful paneer tikka, and tender chicken kebabs marinated in fragrant spices. Vegetarian enthusiasts can indulge in options such as paneer tikka and veg crispy, skillfully crafted to gratify even the most discerning palates.

For the main course, Shikara Restaurant takes immense pride in presenting its signature creations. Meat enthusiasts can savor the impeccably prepared Rogan Josh, a timeless lamb curry infused with an authentic blend of Kashmiri spices. On the other hand, vegetarians can delight in the exquisite Dum Aloo, featuring baby potatoes bathed in a creamy tomato-based gravy, intricately seasoned with Kashmiri spices.

A pinnacle of the menu is the tandoori platter, a splendid medley of India's culinary treasures, encompassing fragrant biryanis, succulent meat curries, and aromatic saffron-infused rice. This grand assemblage pays homage to the rich flavors and time-honored traditions of North Indian cuisine, whisking diners away on a delightful gastronomic journey.

To complement the lavish feast, Shikara Restaurant offers a meticulously curated selection of beverages, allowing patrons to select the perfect accompaniment to their culinary voyage. Additionally, the restaurant presents an array of delectable desserts, including the iconic Phirni, a velvety rice pudding, and the indulgent gulab jamun with rabdi, providing a gratifying conclusion to the culinary odyssey.

The attentive and affable staff at Shikara Restaurant ensure that each visit becomes a memorable experience, offering impeccable service and tailored recommendations to enhance the overall dining journey.

The information contained in this news piece is derived from insights shared by distinguished bloggers in Mumbai and enterprising entrepreneurs during their discussion with Rajveer Singh (RV). For comprehensive news coverage, inquiries can be directed to +917710030004.

Daulat Beg Oldie, where the Army lost 5 tankmen in a flashflood, is a crucial sector in northern Ladakh.
It is here that the Chinese entered 6km & set up camp in Apr 2013. After retreat, IAF landed plane there in Aug 2013 — the world’s highest airfield

New Study Compares Viable Treatment Options for Covid across all Medical Systems and Finds Ayurveda to Have the Best Result.

Peer reviewed research has just published that compares all the prevalent treatment methods for Covid that have published research in the last 4 years as per the WHO-Minimal common outcome measure set for COVID-19 clinical research. This study not only looked into fda and icmr approved allopathic conventional medicine methods of treating covid such as Faviravipir and Remdesivir it also looked into Ayurvedic, Siddha, Herbal, Homeopathic, African and Traditional Chinese Medicine methods of treating covid. It also looked into and compared the research done into HCQ I(Hydroxychloroquine) and Ivermectin which have been popular for their off label use in covid. This published study is both relevant and timely as news of vaccine side effects has led some manufacturers like Astra Zeneca to take the vaccine of the market and hence the need for a safe and effective treatment has once again come into the spotlight. The world needs and will need a effective treatment protocol for covid and this research provides a clear cut plan of action for times when one is infected. 

This study both looks into individual randomized clinical trials and big data on covid. What it found was that cultures with a use of traditional medicine systems had lower mortality rate. It also found that natural medicine in general is more effective than pharmaceutical medicine in treating covid. One trial that stands out in particular is the WHO database approved trial of Reginmune and Immunofree. The combination of these two products has shown one of the best results globally as 88 percent of the moderate patients in the trial were negative day 5. Reginmune is a immunomodulator designed in Europe that contains various vitamins, minerals and Amino Acids. Immunofree is a ayurvedic remedy made in India that was designed specifically for covid. Its includes specific herbs that are meant to; dissolve viral membranes, break bonds covid makes with cells, create new bods, balance cellular immunity, dilate the lungs, fight inflammation and coagulation and stop cytokine storms. Makers of these products Biogetica.com USA are now looking into conducting trials on immunofree reducing adverse effects of long covid and the adverse events of vaccines including blood clots.  This comparative study is hence a great guide for Doctors from all traditions who are interested in treating their patients with the best care possible. It is also in a sense a huge victory for those that have fought to restore respect for nature’s medicines. Furthermore it was also found that Ivermectin which is really popular today has limited research supporting it and efficacy less than the aforementioned natural medicines. 

This comparative research was done by established Doctors and researchers Dr. Supriya Bhalerao and Dr Vedvati Bhapkar at Bharati Vidyapeeth and Padmashree Dr D.Y. Patil University and has published in the International Journal of Ayurvedic Medicine. It has since been reprinted in numerous journals and Research portals.

"Glamour Galore: Miss Navi Mumbai Finalists Grace Shikara's Grand Dinner, Anticipation Mounts for March 8th Finale!"

Mumbai, February 23, 2024: As the Miss Navi Mumbai Beauty Pageant gears up for its grand finale at the Four Points Sheraton on March 8th, 2024, the excitement is palpable. Leading up to the big day, Shikara Restaurant in the vibrant Sanpada locality of Vashi-Turbhe hosted a splendid gala dinner for the esteemed finalists and organizers.

The evening sparkled with glamour as the finalists graced the event with their charm and elegance, reminiscent of a star-studded red carpet affair. Among the radiant contestants were Shraddha Chaudhari, Gitashree Deka, Kanak Agnihotri, Shriya Nandini, Harshikha Rawat, Sukanya Kandarkar, Sneha Dhakate, Bhavna Ajwani, Sapna Devda, Kumud Kumar, Himanshi Chhallani, Mayuri Mishra, Anushka Singh, and Tamanna Bharat, each embodying a delightful blend of confidence and grace.

The ambiance at Shikara Restaurant added to the allure of the evening, providing a perfect backdrop for the festivities. Amidst the warm hospitality and delectable North Indian and Chinese cuisine, the finalists savored every moment, creating memories to cherish.

Ashok Mehra ji, the Managing Director of Shikara Group, expressed his delight at the longstanding association with the Miss Navi Mumbai pageant, applauding the journey of each batch of finalists as they strive for success.

Harmeet Singh Gupta, CEO of U&I Entertainment, extended heartfelt thanks to Shikara Restaurant for their association with Miss Navi Mumbai Pageant. He also wished all the finalists the best of luck, emphasizing the significance of their journey and the opportunities that await them.

During a candid conversation with Rajveer Singh, one of the contestants shared her excitement for the journey, expressing gratitude for the enriching experiences and interactions with industry professionals. "Every day brings new opportunities," she remarked. "Interacting with industry figures has been a delight. We're eagerly looking forward to what lies ahead."

As the evening drew to a close, the air was filled with anticipation and camaraderie, setting the stage for a spectacular finale at the Miss Navi Mumbai Beauty Pageant. With the support of esteemed partners like Shikara Restaurant, the pageant continues to provide a prestigious platform for young women to shine and leave their mark in the world of glamour and beauty.

For media inquiries and further information, please contact Rajveer Singh at +917710030004.

*Tata is the IPL sponsor till 2028, how much is the deal?*

Sports News

KKNB: Indian cricket lovers look forward to seeing Team India play against different countries in different formats throughout the year. Besides, Team India is seen performing in various mega cricket events every year. Cricket lovers of the country are also waiting for IPL. This time the name of Tata Group will be seen with the Indian Premier League. Not only for IPL 2020, BCCI signed an agreement with Tata Group from now till 2028.The board has signed a deal with Tata for a record Rupees.

Tata sponsored IPL for the first time in 2022. Earlier IPL was sponsored by Vivo. Before the 2022 IPL, the Chinese company gave up its sponsorship of the IPL due to various reasons. In 2018, Chinese company Vivo got the sponsorship for IPL for 5 years. Since then, Tata has replaced Vivo as the sponsor of the IPL for two seasons.

Earlier, the board had an agreement with the Tata Group for Tk 369 crore. The amount has increased in the new contract.From this time onwards every year Tata will give 500 crores to the board. That is, the board has signed an agreement with Tata for the next 5 years worth Tk 2500 crore.

Pic Courtesy by: X

चीन में फैल रही महामारी, अलर्ट मोड में भारत सरकार

#chinesemysterypneumoniaindiangovtonalert 

चीन में रहस्यमयी निमोनिया तेजी से फैल रहा है।बच्चे इस महामारी की चपेट में आ रहे है। चीन में फैल रही इस महामारी से भारत सरकार अलर्ट मोड में आ गई है।फिलहाल भारत में इस तरह का कोई केस सामने नहीं आया है। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि वह किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।

मामलों पर बारीकी से निगरानी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि वह उत्तरी चीन में बच्चों में सांस लेने से संबंधी बीमारियों और एच9एन2 संक्रमण के मामलों पर निकटता से नजर रख रहा है। मंत्रालय ने कहा कि चीन में सामने आए एवियन इन्फ्लूएंजा के मामले और श्वसन संबंधी बीमारियों से भारत को कम जोखिम है। उसने कहा कि भारत चीन में इन्फ्लूएंजा की स्थिति से उत्पन्न हो सकने वाली किसी भी प्रकार की आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। उसने कहा कि मीडिया की कुछ खबरों में उत्तरी चीन में बच्चों में श्वसन संबंधी बीमारियों के मामले सामने आने की जानकारी दी गई है, जिसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक बयान जारी किया है।

अस्पताल बीमार बच्चों से भरे

चीन को कोविड-19 के बाद एक और संभावित स्वास्थ्य आपातकाल का सामना करना पड़ रहा है। एक रहस्यमय निमोनिया का प्रकोप स्कूलों में फैल गया है और इसके परिणामस्वरूप अस्पताल बीमार बच्चों से भर गए हैं। इस रहस्यमयी बीमारी के प्रकोप का केंद्र बीजिंग और लियाओनिंग प्रांत हैं। जहां बाल चिकित्सा अस्पतालों को भारी संख्या में बीमार बच्चों को एडमिट करना पड़ रहा है। 

कोरोना काल की आई याद

चीन के बीजिंग और लिओनिंग में फिलहाल जिस तरह के हालात हैं, वो कोविड संकट के शुरुआती दिनों की याद दिलाती है। मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा देखकर स्वास्थ्य अधिकारियों में चिंता पैदा हो गई है। इस बीमारी से अधिकतर बच्चे शिकार हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी अलर्ट कर चुका है। वह पहले ही चीन से अधिक जानकारी देने को कह चुका है।  

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि पिछले तीन वर्षों की इसी अवधि की तुलना में चीन में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों में वृद्धि हुई। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने इस महीने की शुरुआत में बताया था कि कोविड-19 उपायों को हटाने अर्थात् इन्फ्लूएंजा और सामान्य जीवाणु संक्रमण के प्रसार के कारण श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि हुई है, जो माइकोप्लाज्मा निमोनिया सहित बच्चों को प्रभावित करते हैं।

चीन ने भारत के मिशन चंद्र की सफलता पर उठाया सवाल, कहा- चांद के दक्षिण ध्रुव पर नहीं उतरा चंद्रयान-3

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भारत और चीन के बीच का तनाव किसी से छुपा नहीं है। चीन अक्सर भारतीय क्षेत्रों पर अपने दावे करता रहता है। इस बीच चीन ने ऐसा दावा किया जिससे साफ जाहिर होता है कि ड्रैगन को भारत की सफलता पची नहीं है। दरअसल, एक शीर्ष चीनी वैज्ञानिक ने दावा किया है कि भारत का चंद्र मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव या उसके आसपास नहीं उतरा।बता दें कि, भारत का चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरा था और ऐसा करने वाला भारत पहला देश बन गया था।लेकिन अब चीनी वैज्ञानिक ने कहा है कि चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र है ही नहीं।

चीन के वैज्ञानिक ने यह दावा ऐसे समय पर किया है जब भारत विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को फिर से सक्रिय करने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहा है।यह टिप्पणियां बुधवार को चीनी ब्रह्मांड रसायनज्ञ ओयांग ज़ियुआन द्वारा की गईं। जो चीन के पहले चंद्र मिशन के मुख्य वैज्ञानिक थे।उन्‍होंने यह भी दावा किया कि भारत के चंद्रयान 3 ने न तो दक्षिणी ध्रुव पर या न ही उसके पास लैंडिंग की है। चीनी वैज्ञानिक ने कहा, चंद्रयान-3 का लैंडिंग साइट चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव नहीं था। न ही चंद्रमा का ध्रुवीय इलाका या अंटारकटिक का ध्रुवीय इलाका।

चीनी वैज्ञानिक ने दिया ये तर्क

ज़ियुआन ने आधिकारिक साइंस टाइम्स अखबार से बातचीत करते हुए कहा कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र को लेकर अलग-अलग धारणाओं से उपजा है।चीनी वैज्ञानिक अपने दावे के समर्थन में दलील देते हैं कि चूंकि चंद्रमा 1.5 डिग्री झुका है, ऐसे में उसका दक्षिणी ध्रुव का इलाका धरती के मुकाबले बहुत छोटा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का मानना है कि चंद्रमा का दक्षिणी इलाका 80 से 90 डिग्री के बीच है। वहीं चीनी वैज्ञानिक दावा कर रहे हैं कि यह 88.5 से 90 डिग्री के बीच है जो काफी छोटा है।जियूआन कहते हैं कि यह चंद्रमा के 1.5 डिग्री झुकाव की वजह से है।

किसी भी वैज्ञानिक ने भारत की सफलता का खंडन नहीं किया

अब तक दुनिया के किसी भी वैज्ञानिक ने भारत के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतरने के दावे का खंडन नहीं किया है। यही नहीं नासा और यूरोपीय स्‍पेस एजेंसी ने तो इसरो के वैज्ञानिकों की जमकर तारीफ की है। वहीं चीन के ही हांगकांग यूनिवर्सिटी के स्‍पेस रीसर्य लेब्रोटरी ने चीनी वैज्ञानिक जियूआन के दावे को खारिज कर दिया है। लेब्रोटरी के चीनी वैज्ञानिक क्‍वेंटिन पार्कर कहते हैं कि जिस क्षण आप दक्षिणी ध्रुव के नजदीक अपना रोवर उतारते हैं, जिसे दक्षिणी ध्रुव माना गया है, वह अपने आप में ही बड़ी उपलब्धि है।

भारत बना चांद के साउथ पोल पर लैंड करने वाला पहला देश

अगर चंद्रयान-3 मिशन की बात करें तो 14 जुलाई को इसे लॉन्च किया गया था, 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की चांद के दक्षिणी हिस्से पर सफलतम लैंडिंग हुई। भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बना है, जबकि चांद के साउथ पोल पर लैंड करने वाला पहला देश है। इस हिस्से को भारत ने ‘शिवशक्ति प्वाइंट’ नाम दिया है। 23 अगस्त के बाद से ही विक्रम लैंडर, प्रज्ञान रोवर ने काम शुरू किया, अभी के हिसाब से 2 सितंबर तक इनकी लाइफलाइन है।

नेपाल ने चीनी कंपनी को दिया विवादित नक्शे वाले नोट छापने का ठेका, मैप में 3 भारतीय इलाके

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नेपाल ने भारत से पंगा लेने का काम किया है। नेपाल के केंद्रीय बैंक ‘नेपाल राष्ट्र बैंक’ ने चीन की एक कंपनी को 100 रुपए के नए नेपाली नोट छापने का कॉन्ट्रैक्ट दिया है। इन नोटों पर बने नक्शे में भारत के लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी इलाके को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है। इस इलाके को लेकर भारत-नेपाल के बीच करीब 35 साल से विवाद है।

नेपाल राष्ट्र बैंक ने 100 रुपये के नोटों की छपाई का काम चीन की कंपनी को सौंपा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रतिस्पर्धी वैश्विक निविदा प्रक्रिया के बाद चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन को 100 रुपये के नोट छापने का ठेका दिया गया है। चीनी कंपनी नोटों की 30 करोड़ प्रतियां छापेगी। एनआरबी ने कंपनी से 300 मिलियन 100 रुपये के नोटों को डिजाइन, प्रिंट, आपूर्ति और वितरित करने को कहा है, जिसकी कीमत लगभग 8.99 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। 

इस नोट में बने नक्शे में भारत के लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी क्षेत्र को नेपाल का हिस्सा दर्शाया गया है। नेपाल ने एक संवैधानिक संशोधन के जरिए 20 मई, 2020 को लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को अपना हिस्सा बताते हुए नया नक्शा जारी किया था। इसमें पश्चिमी तिब्बत के न्गारी क्षेत्र में स्थित सभी विवादित क्षेत्रों को नेपाल ने अपना कहा है। ये क्षेत्र बीते 60 वर्षों से पूरी तरह से भारत के नियंत्रण में हैं। यहां के लोग भारतीय नागरिक हैं। भारत में कर चुकाते हैं और भारतीय में मतदान करते हैं।

नेपाल के मंत्रिमंडल ने इस साल मई में इस नोट के डिजाइन में बदलाव को मंजूरी दी थी। तब नेपाल में पुष्प कमल दहल प्रचंड प्रधानमंत्री थे। केपी शर्मा ओली इस सरकार का समर्थन कर रहे थे। 12 जुलाई को ओली ने प्रचंड सरकार सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। अब वे नेपाल के पीएम हैं। 

भारत ने पहले ही नेपाल की ओर से किए गए क्षेत्रीय दावे को आर्टिफिशियल विस्तार करार दिया और अस्थिर करने वाला बताया है। भारत ने साफ कर दिया है कि पश्चिमी नेपाल की सीमा पर स्थित लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा उसका हिस्सा हैं।

मिठाई के साथ भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी से सैनिकों की वापसी पूरी करी, सत्यापन जारी

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Indian- Chinese troops at LAC Ladakh

भारत और चीन ने बुधवार को पूर्वी लद्दाख में देपसांग और डेमचोक से अपनी सेनाओं की वापसी पूरी कर ली है, जिसके बाद दोनों पक्ष अब आमने-सामने की जगहों से एक निर्दिष्ट और परस्पर सहमत दूरी पर सैनिकों और उपकरणों की वापसी का संयुक्त सत्यापन कर रहे हैं, इस घटनाक्रम से अवगत लोगों ने बताया।

सीमा पर तनाव कम करने के लिए 21 अक्टूबर को भारत और चीन के बीच हुए समझौते के अनुरूप अंतिम सत्यापन किया जा रहा है।

देपसांग और डेमचोक से सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है और सत्यापन जारी है। स्थानीय कमांडरों के स्तर पर बातचीत जारी रहेगी। उम्मीद है कि दोनों सेनाएं जल्द ही इलाकों में गश्त शुरू कर देंगी। विघटन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में, भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ दो फ्लैशपॉइंट से अपने अग्रिम तैनात सैनिकों और उपकरणों को वापस बुला लिया है, और मई 2020 में सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद वहां बनाए गए अस्थायी ढांचों को ध्वस्त कर दिया है। ⁠गश्ती के तौर-तरीके ग्राउंड कमांडरों के बीच तय किए जाएंगे। उन्होंने कहा, "गुरुवार (दिवाली) को मिठाइयों के आदान-प्रदान की योजना बनाई गई है।"

इस विकास से भारतीय सेना और पीएलए को वार्ता में दो साल के गतिरोध को दूर करने में मदद मिलेगी - गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग पॉइंट-15 से विघटन का चौथा और अंतिम दौर सितंबर 2022 में हुआ था, जिसके बाद वार्ता गतिरोध पर पहुंच गई थी। चीन ने बुधवार को कहा कि दोनों सेनाएं पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर सैनिकों की वापसी से संबंधित "संकल्पों" को "व्यवस्थित" तरीके से लागू कर रही हैं, पीटीआई ने बीजिंग से रिपोर्ट की।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों देश सीमा से संबंधित मुद्दों पर समाधान पर पहुंच गए हैं। चीनी अधिकारी ने सैनिकों की वापसी से संबंधित एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, "फिलहाल, चीनी और भारतीय सीमा सैनिक व्यवस्थित तरीके से प्रस्तावों को लागू कर रहे हैं।"

पूर्व सैन्य संचालन महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया (सेवानिवृत्त) ने पहले कहा था कि देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी से दोनों पक्षों को समन्वित तरीके से और सहमत आवृत्ति और ताकत (गश्ती दलों की) के साथ गश्त करने में सुविधा होगी, उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष अब एलएसी पर शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए रास्ता बना सकते हैं।

23 अक्टूबर को सैनिकों की वापसी शुरू हुई और इसके पूरा होने से दोनों अग्रिम क्षेत्रों में जमीनी स्थिति अप्रैल 2020 से पहले जैसी हो गई है। भारतीय सेना उन क्षेत्रों में अपनी गश्त गतिविधि फिर से शुरू करेगी, जो पीएलए की अग्रिम मौजूदगी के कारण कटे हुए थे। 21 अक्टूबर को भारत और चीन द्वारा देपसांग और डेमचोक में गतिरोध को हल करने के लिए वार्ता में सफलता की घोषणा के बाद सैनिकों की वापसी शुरू हुई, लद्दाख में ये दो अंतिम बिंदु हैं, जहां प्रतिद्वंद्वी सैनिक लगभग साढ़े चार साल से आमने-सामने हैं।

विस्थापन समझौते में केवल देपसांग और डेमचोक शामिल हैं, और दोनों देश अन्य क्षेत्रों पर विभिन्न स्तरों पर अपनी बातचीत जारी रखेंगे, जहां पहले सैनिकों की वापसी के बाद तथाकथित बफर जोन बनाए गए थे। देपसांग और डेमचोक से प्रतिद्वंद्वी सैनिकों की वापसी में बफर जोन का निर्माण शामिल नहीं है, जैसा कि सैनिकों की वापसी के पिछले दौर के बाद हुआ था।

भारत और चीन ने पहले गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो, गोगरा (पीपी-17ए) और हॉट स्प्रिंग्स (पीपी-15) क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुला लिया था, जहां क्षेत्र में दोनों सेनाओं की गश्त गतिविधियों को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित करने के लिए बफर जोन बनाए गए थे। अलगाव के क्षेत्रों का उद्देश्य हिंसक टकराव की संभावना को खत्म करना था। दोनों पक्षों द्वारा इन क्षेत्रों में गश्त पर रोक हटाना आगे की बातचीत के परिणाम पर निर्भर करेगा।

टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुलाना सीमा तनाव को कम करने की दिशा में पहला कदम है। क्षेत्र में शांति और सौहार्द बहाल करने के लिए लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष को कम करना और प्रतिद्वंद्वी सैनिकों को अंततः वापस बुलाना जरूरी है। दोनों सेनाओं के पास अभी भी लद्दाख थिएटर में दसियों हज़ार सैनिक और उन्नत हथियार तैनात हैं।

अब जापान को डराने की कोशिश कर रहा ड्रैगन! जासूसी करने का लगा आरोप

#chinesemilitaryspyplaneviolatedjapaneseairspace

चीन हमेशा अपने पड़ोसी देशों के लिए परेशानी खड़ी करने वाला काम करता है। चीन कुछ ना कुछ ऐसा करता रहता है जिससे उसके पड़ोसी देशों की परेशानी बढ़ जाती है। अब मामला जापान से जुड़ा हुआ सामने आया है। एक बार फिर चीन ने ऐसी ही हरकत की है जिसपर जापान ने आपत्ति जताया है। जापान ने आरोप लगाया क‍ि चीन ने उसके इलाके में जासूसी विमान भेजा है। जवाब में जापान ने भी अपने लड़ाकू विमानों को अलर्ट कर दिया। इसके बाद चीन का स्‍पाई विमान वहां से भाग गया।

जापान के शीर्ष सरकारी प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि एक दिन पहले चीनी सैन्य विमान ने कुछ समय के लिए जापानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया था। उन्होंने इस घटना को 'बिल्कुल अस्वीकार्य' क्षेत्रीय उल्लंघन और सुरक्षा के लिए खतरा बताया। मुख्य कैबिनेट सचिव योशिमासा हयाशी ने कहा कि सोमवार को एक चीनी Y-9 टोही विमान कुछ समय के लिए जापान के दक्षिण-पश्चिमी हवाई क्षेत्र में घुस आया था। हवाई क्षेत्र में विमान के घुसते ही सेना को अपने लड़ाकू विमानों को वापस बुलाना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह पहली बार था जब जापानी सेल्फ डिफेंस फोर्स ने जापान के हवाई क्षेत्र में एक चीनी सैन्य विमान का पता लगाया।

जापान का आरोप-चीन लगातार समुद्री सीमा में उकसावे की कार्रवाई कर रहा

जापान का आरोप है कि चीन लगातार समुद्री सीमा में उकसावे की कार्रवाई कर रहा है। ऐसे में अब ताजा घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका है। जापान का कहना है कि चीन के विमान पहले भी दक्षिण पूर्व की सीमा के आसपास चक्कर लगाते रहे हैं, लेकिन यह पहली बार है कि किसी विमान ने जापान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है। जापान ने कहा कि उन्होंने चीनी विमान के खिलाफ किसी हथियार का प्रयोग नहीं किया। हालांकि चीन की उकसावे वाली कार्रवाई को देखते हुए जापान ने अपनी पूर्वी सीमा पर लड़ाकू विमानों की तैनाती कर दी है।

चीन ने क्‍या कहा?

कुछ देर बाद चीन ने भी बयान जारी क‍िया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता लिन जियान ने कहा, हम जापान के इस दावे की पुष्‍ट‍ि कर रहे हैं क‍ि क्‍या सच में ऐसा कुछ हुआ है। दोनों देशों के बीच कम्‍युनिकेशन के ल‍िए एक चैनल है। मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा क‍ि चीन का कभी भी दूसरे देश में घुसपैठ करने का कोई इरादा नहीं है। उधर, जापानी मीडिया ने कहा, चीन का स्‍पाई विमान देखे जाने के बाद उसे चेतावनी जारी की गई थी, लेकिन फ्लेयर गन जैसे किसी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया गया। बाद में वह खुद लौट गया।

साउथ चाइना सी में तनाव

यह घटना ऐसे वक्‍त में हुई है, जब साउथ चाइना सी में तनाव काफी बढ़ा हुआ है। अमेर‍िका इस इलाके में दखल बढ़ा रहा है। अपने श‍िप भी उतार दिए हैं, जिससे चीन बुरी तरह चिढ़ा हुआ है। वह साउथ चाइना सी के ज्‍यादातर इलाके को अपना बताता है। वह फ‍िलीपींस के कई द्वीपों पर भी दावा ठोंकता है। यहां तक क‍ि उनकी नेवी को जाने नहीं देता। अक्‍सर दोनों देशों में इसे लेकर टकराव की नौबत आती है। कुछ महीनों पहले एक चीनी जहाज फ‍िलीपींस के जहाज के बिल्‍कुल पास आ गया। तब दोनों के बीच सिर्फ 5 मीटर की दूरी थी।