चीन ने बनाया छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान, अमेरिका ही नहीं भारत की भी बढ़ी टेंशन

#chinesesixthgenerationstealthfighterjetdemonstration

चीन लगातार अपनी सैन्य शक्ति मजबूत करने में जुटा है। इस बीच चीन की विमान बनाने वाली दो कंपनियों ने गुरुवार को 24 घंटे से भी कम समय में स्टील्थ (राडार से छुपने वाले) लड़ाकू विमानों के प्रदर्शनकारी मॉडल दिखाए। इन दोनों फाइटर जेट के डिजाइन साधारण जेट के डिजाइन से बिल्कुल अलग हैं। इसे छठी पीढ़ी का फाइटर जेट बताया जा रहा है। इसको इस तरह डिजाइन किया गया है कि पारंपरिक रडार का उपयोग कर इसका पता लगाना लगभग असंभव होगा। चीन ने ऐसे समय में यह लड़ाकू विमान विकसित किया है जब दुनिया के किसी किसी देश के पास छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान नहीं है। अभी इस नए विमान के बारे में बहुत सारी जानकारी गोपनीय रखी गई है।

चीनी सेना आमतौर पर दिसंबर या जनवरी में अपनी नई तकनीक दिखाती है। गुरुवार को लगभग एक ही समय पर दो अलग-अलग मानव-युक्त स्टील्थ फाइटर जेट को उड़ान भरते हुए देखा गया। चेंगदू और शेनयांग कंपनियों के ये अलग-अलग डिजाइन अब तक के सबसे आधुनिक मानव-युक्त लड़ाकू विमानों में से एक हो सकते हैं।

एआई से लैस है यह विमान

रिपोर्ट के अनुसार, चीन की 6वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान को व्हाइट इंपरर (बैदी) उपनाम दिया गया है। इसकी सटीक क्षमताएं अभी गोपनीय है, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें कई अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। यह विमान पहले से अधिक स्टील्थ है, जो दुश्मन के रडार को नाकाम कर सकती है। इसमें अगली पीढ़ी के एवियोनिक्स सिस्टम लगा हुआ है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि चीन के 6वीं पीढ़ी के विमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया है, जो बड़ी मात्रा में डेटा को प्रॉसेस करने और वास्तविक समय में युद्ध के हालातों के अनुसार निर्णय लेने में सक्षम होगा

यूएवी के साथ मिलकर काम करेगा यह विमान

चीन के इस नए लड़ाकू विमान की सबसे बड़ी विशेषताओं में इसका मानव रहित हवाई वाहनों(यूएवी)के साथ मिलकर काम करने की क्षमता भी है। यह भविष्य के युद्ध में यूएवी या ड्रोन के साथ मिलकर अपनी घातक क्षमता का प्रदर्शन कर सकता है। इससे चीन को दुश्मन के इलाके में घुसने पर भी जनहानि का सामना नहीं करना होगा। इससे युद्ध में चीन को न सिर्फ सटीक सूचनाएं प्राप्त होंगी, बल्कि स्ट्राइक मिशन और डिफेंस के लिए अपने सैनिकों का इस्तेमाल भी नहीं करना होगा।

अभी पांचवीं पीढ़ी के विमान बनाने में जुटा भारत

ये विमान भारत के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। इसलिए भारत को भी इससे निपटने के लिए जल्द से जल्द तैयारी शुरू करनी ही होगी। भारत के पास अभी कोई स्टेल्थ फाइटर जेट नहीं है। मौजूदा वक्त में राफेल सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान हैं। इसको 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान बताया जाता है। भारत पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान विकसित करने पर काम कर रहा है। सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एडवांस्ड मीडियम काम्बैट एयरक्राफ्ट को डिजाइन और विकसित करने के लिए 15 हजार करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी थी

चीन ने बनाया छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान, अमेरिका ही नहीं भारत की भी बढ़ी टेंशन
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* चीन लगातार अपनी सैन्य शक्ति मजबूत करने में जुटा है। इस बीच चीन की विमान बनाने वाली दो कंपनियों ने गुरुवार को 24 घंटे से भी कम समय में स्टील्थ (राडार से छुपने वाले) लड़ाकू विमानों के प्रदर्शनकारी मॉडल दिखाए। इन दोनों फाइटर जेट के डिजाइन साधारण जेट के डिजाइन से बिल्कुल अलग हैं। इसे छठी पीढ़ी का फाइटर जेट बताया जा रहा है। इसको इस तरह डिजाइन किया गया है कि पारंपरिक रडार का उपयोग कर इसका पता लगाना लगभग असंभव होगा। चीन ने ऐसे समय में यह लड़ाकू विमान विकसित किया है जब दुनिया के किसी किसी देश के पास छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान नहीं है। अभी इस नए विमान के बारे में बहुत सारी जानकारी गोपनीय रखी गई है। चीनी सेना आमतौर पर दिसंबर या जनवरी में अपनी नई तकनीक दिखाती है। गुरुवार को लगभग एक ही समय पर दो अलग-अलग मानव-युक्त स्टील्थ फाइटर जेट को उड़ान भरते हुए देखा गया। चेंगदू और शेनयांग कंपनियों के ये अलग-अलग डिजाइन अब तक के सबसे आधुनिक मानव-युक्त लड़ाकू विमानों में से एक हो सकते हैं। *एआई से लैस है यह विमान* रिपोर्ट के अनुसार, चीन की 6वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान को व्हाइट इंपरर (बैदी) उपनाम दिया गया है। इसकी सटीक क्षमताएं अभी गोपनीय है, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें कई अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। यह विमान पहले से अधिक स्टील्थ है, जो दुश्मन के रडार को नाकाम कर सकती है। इसमें अगली पीढ़ी के एवियोनिक्स सिस्टम लगा हुआ है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि चीन के 6वीं पीढ़ी के विमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया है, जो बड़ी मात्रा में डेटा को प्रॉसेस करने और वास्तविक समय में युद्ध के हालातों के अनुसार निर्णय लेने में सक्षम होगा *यूएवी के साथ मिलकर काम करेगा यह विमान* चीन के इस नए लड़ाकू विमान की सबसे बड़ी विशेषताओं में इसका मानव रहित हवाई वाहनों(यूएवी)के साथ मिलकर काम करने की क्षमता भी है। यह भविष्य के युद्ध में यूएवी या ड्रोन के साथ मिलकर अपनी घातक क्षमता का प्रदर्शन कर सकता है। इससे चीन को दुश्मन के इलाके में घुसने पर भी जनहानि का सामना नहीं करना होगा। इससे युद्ध में चीन को न सिर्फ सटीक सूचनाएं प्राप्त होंगी, बल्कि स्ट्राइक मिशन और डिफेंस के लिए अपने सैनिकों का इस्तेमाल भी नहीं करना होगा। अभी पांचवीं पीढ़ी के विमान बनाने में जुटा भारत ये विमान भारत के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। इसलिए भारत को भी इससे निपटने के लिए जल्द से जल्द तैयारी शुरू करनी ही होगी। भारत के पास अभी कोई स्टेल्थ फाइटर जेट नहीं है। मौजूदा वक्त में राफेल सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान हैं। इसको 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान बताया जाता है। भारत पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान विकसित करने पर काम कर रहा है। सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एडवांस्ड मीडियम काम्बैट एयरक्राफ्ट को डिजाइन और विकसित करने के लिए 15 हजार करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी थी
नेपाल ने चीनी कंपनी को दिया विवादित नक्शे वाले नोट छापने का ठेका, मैप में 3 भारतीय इलाके

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नेपाल ने भारत से पंगा लेने का काम किया है। नेपाल के केंद्रीय बैंक ‘नेपाल राष्ट्र बैंक’ ने चीन की एक कंपनी को 100 रुपए के नए नेपाली नोट छापने का कॉन्ट्रैक्ट दिया है। इन नोटों पर बने नक्शे में भारत के लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी इलाके को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है। इस इलाके को लेकर भारत-नेपाल के बीच करीब 35 साल से विवाद है।

नेपाल राष्ट्र बैंक ने 100 रुपये के नोटों की छपाई का काम चीन की कंपनी को सौंपा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रतिस्पर्धी वैश्विक निविदा प्रक्रिया के बाद चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन को 100 रुपये के नोट छापने का ठेका दिया गया है। चीनी कंपनी नोटों की 30 करोड़ प्रतियां छापेगी। एनआरबी ने कंपनी से 300 मिलियन 100 रुपये के नोटों को डिजाइन, प्रिंट, आपूर्ति और वितरित करने को कहा है, जिसकी कीमत लगभग 8.99 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। 

इस नोट में बने नक्शे में भारत के लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी क्षेत्र को नेपाल का हिस्सा दर्शाया गया है। नेपाल ने एक संवैधानिक संशोधन के जरिए 20 मई, 2020 को लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को अपना हिस्सा बताते हुए नया नक्शा जारी किया था। इसमें पश्चिमी तिब्बत के न्गारी क्षेत्र में स्थित सभी विवादित क्षेत्रों को नेपाल ने अपना कहा है। ये क्षेत्र बीते 60 वर्षों से पूरी तरह से भारत के नियंत्रण में हैं। यहां के लोग भारतीय नागरिक हैं। भारत में कर चुकाते हैं और भारतीय में मतदान करते हैं।

नेपाल के मंत्रिमंडल ने इस साल मई में इस नोट के डिजाइन में बदलाव को मंजूरी दी थी। तब नेपाल में पुष्प कमल दहल प्रचंड प्रधानमंत्री थे। केपी शर्मा ओली इस सरकार का समर्थन कर रहे थे। 12 जुलाई को ओली ने प्रचंड सरकार सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। अब वे नेपाल के पीएम हैं। 

भारत ने पहले ही नेपाल की ओर से किए गए क्षेत्रीय दावे को आर्टिफिशियल विस्तार करार दिया और अस्थिर करने वाला बताया है। भारत ने साफ कर दिया है कि पश्चिमी नेपाल की सीमा पर स्थित लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा उसका हिस्सा हैं।

एलएसी पर भारत-चीन तनाव खत्म! दिवाली पर दोनों देशों के जवानों ने एक दूसरे को दी मिठाई

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दिवाली पर दिलों की दूरियां मिट गई। पहले भारत-चीन बॉर्डर पर दोनों देशों के सैनिक पीछे हटे, अब मिठाइयों का आदान-प्रदान एक रिश्तों को नए सिरे से शुरू करने की कोशिश हुई है। भारत और चीन के बीच देपसांग और डेमचोक में डिसएंगेजमेंट का काम पूरा हो गया है। भारत-चीन बॉर्डर पर दोनों देशों के सैनिक पीछे हट चुके हैं। आज या कल से दोनों देशों की सेना यहां गश्त शुरू करेगी। वहीं, आज दिवाली के मौके पर दोनों देशों के सैनिकों (भारत-चीन) ने एक दूसरे को मिठाई दी है।

सेना के सूत्रों ने यह जानकारी दी। पूर्वी लद्दाख में डेमचोक एवं देपसांग में दो टकराव वाले बिंदुओं पर दोनों देशों की सेनाओं की वापसी के एक दिन बाद यह पारंपरिक प्रथा देखी गई। इस सहमति से चीन और भारत के संबंधों में मधुरता आई है। सेना के एक सूत्र ने बताया, ‘‘दिवाली के अवसर पर एलएसी के साथ कई सीमाओं पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच मिठाइयों का आदान-प्रदान हुआ।''

सूत्रों ने बताया कि यह आदान-प्रदान एलएसी सहित पांच बॉर्डर पर्सनल मीटिंग (बीपीएम) बिंदुओं पर हुआ। जहां जहां मिठाई बांटी गई है, उनमें लद्दाख में चुशुल मोल्दो, सिक्कम में नाथूला, अरुणाचल में बुमला सहित कई अन्य जगह भी शामिल हैं।

सेना के सूत्रों ने बताया कि बुधवार को देपसांग और डेमचोक में डिसएंगेजमेंट का काम पूरा हो गया था। इसके बाद पेट्रोलिंग को लेकर लोकल कमांडर स्तर की बातचीत हुई। संभवत: आज या कल से दोनों देनों की सेना देपसांग और डेमचोक इलाके में गश्त शुरू कर देगी।

बता दें कि जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद भारत और चीन के बीच रिश्तों में खटास आ गई थी। कई हफ्तों की बातचीत के बाद 21 अक्टूबर को समझौते को अंतिम रूप दिया गया। इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बयान में कहा था कि भारत और चीन के सैनिक उसी तरह गश्त कर सकेंगे जैसे वे दोनों पक्षों के बीच सैन्य गतिरोध शुरू होने से पहले किया करते थे।

मिठाई के साथ भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी से सैनिकों की वापसी पूरी करी, सत्यापन जारी

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Indian- Chinese troops at LAC Ladakh

भारत और चीन ने बुधवार को पूर्वी लद्दाख में देपसांग और डेमचोक से अपनी सेनाओं की वापसी पूरी कर ली है, जिसके बाद दोनों पक्ष अब आमने-सामने की जगहों से एक निर्दिष्ट और परस्पर सहमत दूरी पर सैनिकों और उपकरणों की वापसी का संयुक्त सत्यापन कर रहे हैं, इस घटनाक्रम से अवगत लोगों ने बताया।

सीमा पर तनाव कम करने के लिए 21 अक्टूबर को भारत और चीन के बीच हुए समझौते के अनुरूप अंतिम सत्यापन किया जा रहा है।

देपसांग और डेमचोक से सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है और सत्यापन जारी है। स्थानीय कमांडरों के स्तर पर बातचीत जारी रहेगी। उम्मीद है कि दोनों सेनाएं जल्द ही इलाकों में गश्त शुरू कर देंगी। विघटन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में, भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ दो फ्लैशपॉइंट से अपने अग्रिम तैनात सैनिकों और उपकरणों को वापस बुला लिया है, और मई 2020 में सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद वहां बनाए गए अस्थायी ढांचों को ध्वस्त कर दिया है। ⁠गश्ती के तौर-तरीके ग्राउंड कमांडरों के बीच तय किए जाएंगे। उन्होंने कहा, "गुरुवार (दिवाली) को मिठाइयों के आदान-प्रदान की योजना बनाई गई है।"

इस विकास से भारतीय सेना और पीएलए को वार्ता में दो साल के गतिरोध को दूर करने में मदद मिलेगी - गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग पॉइंट-15 से विघटन का चौथा और अंतिम दौर सितंबर 2022 में हुआ था, जिसके बाद वार्ता गतिरोध पर पहुंच गई थी। चीन ने बुधवार को कहा कि दोनों सेनाएं पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर सैनिकों की वापसी से संबंधित "संकल्पों" को "व्यवस्थित" तरीके से लागू कर रही हैं, पीटीआई ने बीजिंग से रिपोर्ट की।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों देश सीमा से संबंधित मुद्दों पर समाधान पर पहुंच गए हैं। चीनी अधिकारी ने सैनिकों की वापसी से संबंधित एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, "फिलहाल, चीनी और भारतीय सीमा सैनिक व्यवस्थित तरीके से प्रस्तावों को लागू कर रहे हैं।"

पूर्व सैन्य संचालन महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया (सेवानिवृत्त) ने पहले कहा था कि देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी से दोनों पक्षों को समन्वित तरीके से और सहमत आवृत्ति और ताकत (गश्ती दलों की) के साथ गश्त करने में सुविधा होगी, उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष अब एलएसी पर शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए रास्ता बना सकते हैं।

23 अक्टूबर को सैनिकों की वापसी शुरू हुई और इसके पूरा होने से दोनों अग्रिम क्षेत्रों में जमीनी स्थिति अप्रैल 2020 से पहले जैसी हो गई है। भारतीय सेना उन क्षेत्रों में अपनी गश्त गतिविधि फिर से शुरू करेगी, जो पीएलए की अग्रिम मौजूदगी के कारण कटे हुए थे। 21 अक्टूबर को भारत और चीन द्वारा देपसांग और डेमचोक में गतिरोध को हल करने के लिए वार्ता में सफलता की घोषणा के बाद सैनिकों की वापसी शुरू हुई, लद्दाख में ये दो अंतिम बिंदु हैं, जहां प्रतिद्वंद्वी सैनिक लगभग साढ़े चार साल से आमने-सामने हैं।

विस्थापन समझौते में केवल देपसांग और डेमचोक शामिल हैं, और दोनों देश अन्य क्षेत्रों पर विभिन्न स्तरों पर अपनी बातचीत जारी रखेंगे, जहां पहले सैनिकों की वापसी के बाद तथाकथित बफर जोन बनाए गए थे। देपसांग और डेमचोक से प्रतिद्वंद्वी सैनिकों की वापसी में बफर जोन का निर्माण शामिल नहीं है, जैसा कि सैनिकों की वापसी के पिछले दौर के बाद हुआ था।

भारत और चीन ने पहले गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो, गोगरा (पीपी-17ए) और हॉट स्प्रिंग्स (पीपी-15) क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुला लिया था, जहां क्षेत्र में दोनों सेनाओं की गश्त गतिविधियों को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित करने के लिए बफर जोन बनाए गए थे। अलगाव के क्षेत्रों का उद्देश्य हिंसक टकराव की संभावना को खत्म करना था। दोनों पक्षों द्वारा इन क्षेत्रों में गश्त पर रोक हटाना आगे की बातचीत के परिणाम पर निर्भर करेगा।

टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुलाना सीमा तनाव को कम करने की दिशा में पहला कदम है। क्षेत्र में शांति और सौहार्द बहाल करने के लिए लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष को कम करना और प्रतिद्वंद्वी सैनिकों को अंततः वापस बुलाना जरूरी है। दोनों सेनाओं के पास अभी भी लद्दाख थिएटर में दसियों हज़ार सैनिक और उन्नत हथियार तैनात हैं।

*पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच आज द्विपक्षीय वार्ता, चार साल बाद हो रही मुलाकात पर दुनिया की नजर

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को रूस के कजान पहुंचे हैं। यहां वो ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। रूस यात्रा के पहले दिन पीएम ने राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई। अब पीएम मोदी बुधवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलेंगे। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी होगी। ये बैठक काफी अहम होगी। दरअसल, लंबे अर्से से चली आ रही भारत और चीन के रिश्तों की तल्खी में हाल के दिनों में कमी आई है। ऐसे में दोनों नेताओं की इस मुलाकात पर दुनिया की नजर होगी।

भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बुधवार को रूस के कजान शहर में द्विपक्षीय बैठक होगी।विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा, मैं पुष्टि कर सकता हूं कि बुधवार को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक होगी। हालांकि उन्होंने इस दौरान इस द्विपक्षीय बैठक को लेकर और कोई अन्य जानकारी नहीं साझा की है।

इससे पहले पूर्वी लद्दाख में जारी सीमा विवाद को लेकर भारतीय और चीनी सैन्य वार्ताकार एक समझौते पर पहुंच गए हैं। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को जानकारी दी थी कि एलएसी पर पेट्रोलिंग को लेकर दोनों देशों के बीच सहमति बन गई है। बीते कुछ हफ्तों में भारत और चीन के वार्ताकार इस मुद्दे पर संपर्क में रहे हैं। विक्रम मिस्री ने कहा है कि हाल में हुए समझौते से दोनों देशों के बीच डिस-इंगेजमेंट हो रहा है और अंततः उन मुद्दों का समाधान हो रहा है जो इन क्षेत्रों में साल 2020 में पैदा हुए थे।

चीन की बड़ी साजिश का पर्दाफाश, भारत से पार कर दिए 400 करोड़, ईडी ने खोले राज

#fiewin_app_scandal_ed_links_400_crore_scam_to_chinese

चीन ने गेमिंग एप से भारत की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की बड़ी साजिश रची थी। ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने भारत के खिलाफ चीन की इस बड़ी साजिश का पर्दाफाश किया है।ऑनलाइन गेमिंग ऐप के खिलाफ ईडी ने एक बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने पहली बार ऑनलाइन गेमिंग ऐप FIEWIN से जुड़े चीनी नागरिकों के क्रिप्टो एकाउंट फ्रीज किए हैं।

आरोप है कि ये गेमिंग एप भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल है। जांच में पता चला है कि इस गेमिंग एप के जरिए भारत से 400 करोड़ रुपये चीन पहुंचाया गया था।ईडी जांच में खुलासा हुआ था कि भारत में इस गेपिंग के जरिये चीनी मूल के नागरिकों ने भारत में बड़ी सेंध लगाकर करीब 400 करोड़ की कमाई की और ये पैसा चीन पहुंचा था।

ईडी ने तीन चीनी नागरिकों के 3 क्रिप्टो अकाउंट सीज किए हैं। जांच एजेंसी ने चीनी नागरिकों के 25 करोड़ जब्त किए।इस मामले में ईडी ने भारत के चार नागरिकों को भी गिरफ्तार किया है।

आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही ईडी ने इस गेमिंग एप के खिलाफ देश मे कई जगहों पर छापेमारी की थी। उस दौरान ईडी ने कई भारतीय नागरिकों को भी गिरफ्तार किया था। उस दारौन आरोपियों से पूछताछ के दौरान ये खुलासा हुआ था कि कैसे इस गेमिंग एप के जरिये भारत का 400 करोड़ चाइना पहुंचाया गया है। ईडी ने इस एप के जरिए ऑनलाइन सट्टेबाजी और गेमिंग धोखाधड़ी को लेकर चार लोगों को गिरफ्तार किया है।

इस मामले में पहले कोलकाता के कोसीपोर पुलिस स्टेशन में ऑनलाइन गेमिंग ऐप FIEWIN के जरिए धोखाधड़ी और साजिश के मामले में आईपीसी की धारा 420, 406 और 120B के तहत 16 मई 2023 को केस दर्ज हुआ था। ईडी ने PMLA के तहत जांच में पाया कि चीनी नागरिक भारतीय नागरिकों की मदद ये एप चला रहे हैं। FIEWIN ऐप के जरिए ऑनलाइन गेमर्स से इकठ्ठा किए गए पैसे कई लोगों (जिन्हें रिचार्ज व्यक्ति कहा जाता है) के बैंक खातों में किए गए। इसके बदले एप मालिक रिचार्ज को कमीशन देते थे। जांच में पता चला कि अरुण साहू और आलोक साहू, जो उड़ीसा के राउरकेला के रहने वाले हैं ,उन लोगों ने “रिचार्ज व्यक्ति” के रूप में काम किया था। FIEWIN एप से उनके बैंक खातों में जो पैसे आए उन्हें क्रिप्टो करेंसी में बदल किया गया था। उन्होंने फीविन एप से कमाई क्रिप्टो करेंसी को विदेशी क्रिप्टो एक्सचेंज अर्थात बिनेंस पर चीनी नागरिकों के वॉलेट में जमा किया।

बिहार के पटना स्थित एक इंजीनियर चेतन प्रकाश ने रुपए को क्रिप्टो करेंसी (USDT) में बदलने में ऐसे “रिचार्ज व्यक्तियों” की मदद करके मनी लॉन्ड्रिंग में अहम भूमिका निभाई। जोसेफ स्टालिन नामक एक अन्य शख्स ने गांसु प्रांत के पाई पेंग्युन नामक चीनी नागरिक को अपनी कंपनी स्टूडियो 21 प्राइवेट लिमिटेड का सह-निदेशक बनने में मदद की ,जोसेफ चेन्नई का रहने वाला है और सॉफ्टवेयर इंजीनियर है।

पाई पेंग्युन ने ऐप से जुड़े बड़े पेमेंट लिए स्टूडियो 21 प्राइवेट लिमिटेड के बैंक खाते का इस्तेमाल किया, जिससे उन्हें शुरुआत में गेमर्स का विश्वास हासिल करने में मदद मिली और एप यूजर्स को बड़े दांव लगाने के लिए उन्हें प्रेरित किया। फिर पेमेंट का पैसा जोसेफ स्टालिन के चीनी संचालकों द्वारा नियंत्रित वॉलेट से अपने बिनेंस खाते में क्रिप्टो करेंसी के रूप में लिया गया। बदले में उन्होंने बिनेंस पर पी2पी मोड के जरिए क्रिप्टो बेचकर यूएसडीटी क्रिप्टो करेंसी को रुपए में बदल लिया।

अब तक की जांच से पता चला है कि फीविन एप आधारित धोखाधड़ी से करीब 400 करोड़ रुपये की गई है और ये पैसा चीनी नागरिकों के नाम पर 8 बिनेंस वॉलेट में जमा किया गया था, जैसा कि एक्सेस आईपी लॉग से पता चला है, ये वॉलेट चीन से चलाए जा रहे थे। चीनी नागरिक टेलीग्राम पर अरुण साहू, आलोक साहू, चेतन प्रकाश, जोसेफ स्टालिन से बात करते थे और इस घोटाले में इस चारों की सक्रिय भूमिका है। इन सभी 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

अरुणाचल की सीमा में घुसा 'ड्रैगन', छोड़े निशान, दावों पर सरकार का क्या है जवाब?

#chinese_encroachment_in_arunachal_pradesh_kiren_rijiju_refutes_claims

भारत अपने पड़ोसी देश चीन की चालों से आए दिन परेशान रहता है। इस बीच एक बार फिर चीन की तरफ से सीमा के अंदर घुसपैठ की खबर है। दावा किया जा रहा है कि अरुणाचल प्रदेश के कपापू इलाके में भारतीय क्षेत्र में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने घुसपैठ की है। इस दावे को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सिरे खारिज कर दिया है।

अरुणाचल प्रदेश में चीनी सेना की घुसपैठ की खबरों पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि जो इलाके तय नहीं हैं वहां सिर्फ निशान बना देने का मतलब यह नहीं कि उन्होंने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है। अरुणाचल प्रदेश से आने वाले रिजिजू ने कहा कि भारत-चीन बॉर्डर से लगे अनिर्धारित इलाकों में भारतीय और चीनी सेनाएं गश्ती के दौरान कई बार एक-दूसरे से टकरा सकती हैं, लेकिन इससे भारतीय जमीन पर अतिक्रमण नहीं होता है।

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में कुछ दिखाया गया कि चीनी पीएलए ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में कुछ निशान लगाए हैं. लेकिन हम सभी स्थिति जानते हैं। भारत सरकार और हमारा रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय बातचीत में लगे हुए हैं। हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है कि चीनी सेना या चीनी बलों को उनकी नियंत्रण रेखा के बाहर किसी भी तरह की स्थायी संरचना स्थापित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

अरुणाचल में चीनी अतिक्रमण की खबरें आई थीं

रिजिजू का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले हफ्ते चीनी सेना अरुणाचल प्रदेश के अंजाव जिले में घुस आई है और यहां के कपापू इलाके में कैंप लगाकर रुकी हुई है। ईटानगर से सामने आई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पीएलए अरुणाचल में भारतीय क्षेत्र में कम से कम 60 किलोमीटर अंदर तक घुस आया है। घुसपैठ वाली जगह पर अलाव, स्प्रे-पेंट की गई चट्टानें और चीनी खाने पीने का सामान मिलने का दावा किया गया है। साथ ही मीडिया रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि पीएलए की ये घुसपैठ करीब एक सप्ताह पहले हुई थी।

पहले भी बता चुका है अरूणाचल को चीन का हिस्सा

मार्च 2024 में चीन ने फिर से अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताया था। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा था- 1987 में भारत ने चीनी जमीन पर अवैध तरह से अरुणाचल प्रदेश बसाया। हमने तब भी इसका विरोध किया था और आज भी हम अपने बयान पर कायम हैं। जियान ने कहा- चीन और भारत की सीमा का कभी सीमांकन नहीं किया गया। ये पूर्वी सेक्टर, पश्चिमी सेक्टर और सिक्किम सेक्टर में बंटी हुई है। पूर्वी सेक्टर में जांगनान (अरुणाचल प्रदेश) हमारा हिस्सा है। भारत के कब्जे से पहले चीन ने हमेशा प्रभावी ढंग से यहां पर शासन किया है। यह मूल तथ्य है जिससे इनकार नहीं किया जा सकता।इसी के साथ मार्च में यह चौथी बार था जब चीन ने अरुणाचल को अपना क्षेत्र बताया था।

2020 से चीन-भारत में तनातनी

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब भारतीय और चीनी सेना के बीच लद्दाख में तनातनी है। यह तनाव अप्रैल 2020 से जारी है। भारत और चीन के बीच लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक 3,400 किलोमीटर लंबी सीमा है। चीन लगातार दावा करता रहा है कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से उसका हिस्सा रहा है। इस दावे को भारत बेतुका और हास्यास्पद करार दे चुका है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत मानता है और यहां भारतीय नेताओं के दौरे पर आपत्ति जताता रहता है। चीन ने इस इलाके को जंगनान नाम दिया है। भारत उसके इस दावे को हमेशा से खारिज करता आया है। भारत अरुणाचल को अपना अभिन्न अंग बताया है। केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश को बनावटी नाम देने के चीन के कदम को यह कहकर नकारती है कि ऐसा करने से सच्चाई नहीं बदल जाएगी।

चीन की ये कैसी चाल? बांधे बांग्लादेश के जमात-ए-इस्लामी के तारीफों के पुल, कहा-सुव्यवस्थित पार्टी

#chinese_envoy_calls_bangladeshs_jamaat_e_islami_well_organised 

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद नई सरकार में भारत के खिलाफ साजिश रचने का खेल शुरू हो गया है। एक तरफ देश की अंतरिम सरकार ने जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनो पर बैन हटा दिया है, दूसरी ओर अल-कायदा से जुड़े आतंकवादी संगठन अंसारुल्लाह बंगला टीम (एबीटी) के प्रमुख जशीमुद्दीन रहमानी को रिहा कर दिया है। इस बीच बांग्लादेश में चीनी राजदूत याओ वेन ने जमात-ए-इस्लामी को सुव्यवस्थित राजनीतिक पार्टी बताया है।

चीनी राजदूत ने सोमवार को ढाका में पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में जमात के अमीर डॉ. शफीकुर रहमान के साथ बैठक की। जमात के अमीर से मुलाकात के बाद चीनी राजदूत ने बांग्लादेश की तारीफ करते हुए कहा कि यह एक खूबसूरत देश है और जमात-ए-इस्लामी को एक सुव्यवस्थित संगठन बताया। उन्होंने कहा कि चीन बांग्लादेश के लोगों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध चाहता है और बांग्लादेश के विकास, प्रगति और समृद्धि के लिए काम करना जारी रखेगा।

बता दें कि जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश में भारत का विरोध करती है, इस पर शेख हसीना सरकार ने बैन लगा दिया था, लेकिन मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने इस प्रतिबंध को हटा दिया। अब चीन बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों से दोस्ती कर रहा है। यह पूरा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता की बात है, क्योंकि जमात-ए-इस्लामी पार्टी भी बांग्लादेश में भारत के प्रभाव से चिढ़ती रही है।

चीन के समर्थन से अगर यह पार्टी सत्ता में आती है तो बांग्लादेश में एक ऐसी सरकार बनेगी, जो भारत के साथ आतंकवाद, सीमा सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के मुद्दे के खिलाफ रहे। नई सरकार में चीन बांग्लादेश में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रॉजेक्ट को गति दे सकता है, ताकि भारत का प्रभाव कम हो सके।

अब जापान को डराने की कोशिश कर रहा ड्रैगन! जासूसी करने का लगा आरोप

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चीन हमेशा अपने पड़ोसी देशों के लिए परेशानी खड़ी करने वाला काम करता है। चीन कुछ ना कुछ ऐसा करता रहता है जिससे उसके पड़ोसी देशों की परेशानी बढ़ जाती है। अब मामला जापान से जुड़ा हुआ सामने आया है। एक बार फिर चीन ने ऐसी ही हरकत की है जिसपर जापान ने आपत्ति जताया है। जापान ने आरोप लगाया क‍ि चीन ने उसके इलाके में जासूसी विमान भेजा है। जवाब में जापान ने भी अपने लड़ाकू विमानों को अलर्ट कर दिया। इसके बाद चीन का स्‍पाई विमान वहां से भाग गया।

जापान के शीर्ष सरकारी प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि एक दिन पहले चीनी सैन्य विमान ने कुछ समय के लिए जापानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया था। उन्होंने इस घटना को 'बिल्कुल अस्वीकार्य' क्षेत्रीय उल्लंघन और सुरक्षा के लिए खतरा बताया। मुख्य कैबिनेट सचिव योशिमासा हयाशी ने कहा कि सोमवार को एक चीनी Y-9 टोही विमान कुछ समय के लिए जापान के दक्षिण-पश्चिमी हवाई क्षेत्र में घुस आया था। हवाई क्षेत्र में विमान के घुसते ही सेना को अपने लड़ाकू विमानों को वापस बुलाना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह पहली बार था जब जापानी सेल्फ डिफेंस फोर्स ने जापान के हवाई क्षेत्र में एक चीनी सैन्य विमान का पता लगाया।

जापान का आरोप-चीन लगातार समुद्री सीमा में उकसावे की कार्रवाई कर रहा

जापान का आरोप है कि चीन लगातार समुद्री सीमा में उकसावे की कार्रवाई कर रहा है। ऐसे में अब ताजा घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका है। जापान का कहना है कि चीन के विमान पहले भी दक्षिण पूर्व की सीमा के आसपास चक्कर लगाते रहे हैं, लेकिन यह पहली बार है कि किसी विमान ने जापान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है। जापान ने कहा कि उन्होंने चीनी विमान के खिलाफ किसी हथियार का प्रयोग नहीं किया। हालांकि चीन की उकसावे वाली कार्रवाई को देखते हुए जापान ने अपनी पूर्वी सीमा पर लड़ाकू विमानों की तैनाती कर दी है।

चीन ने क्‍या कहा?

कुछ देर बाद चीन ने भी बयान जारी क‍िया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता लिन जियान ने कहा, हम जापान के इस दावे की पुष्‍ट‍ि कर रहे हैं क‍ि क्‍या सच में ऐसा कुछ हुआ है। दोनों देशों के बीच कम्‍युनिकेशन के ल‍िए एक चैनल है। मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा क‍ि चीन का कभी भी दूसरे देश में घुसपैठ करने का कोई इरादा नहीं है। उधर, जापानी मीडिया ने कहा, चीन का स्‍पाई विमान देखे जाने के बाद उसे चेतावनी जारी की गई थी, लेकिन फ्लेयर गन जैसे किसी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया गया। बाद में वह खुद लौट गया।

साउथ चाइना सी में तनाव

यह घटना ऐसे वक्‍त में हुई है, जब साउथ चाइना सी में तनाव काफी बढ़ा हुआ है। अमेर‍िका इस इलाके में दखल बढ़ा रहा है। अपने श‍िप भी उतार दिए हैं, जिससे चीन बुरी तरह चिढ़ा हुआ है। वह साउथ चाइना सी के ज्‍यादातर इलाके को अपना बताता है। वह फ‍िलीपींस के कई द्वीपों पर भी दावा ठोंकता है। यहां तक क‍ि उनकी नेवी को जाने नहीं देता। अक्‍सर दोनों देशों में इसे लेकर टकराव की नौबत आती है। कुछ महीनों पहले एक चीनी जहाज फ‍िलीपींस के जहाज के बिल्‍कुल पास आ गया। तब दोनों के बीच सिर्फ 5 मीटर की दूरी थी।

चीन ने बनाया छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान, अमेरिका ही नहीं भारत की भी बढ़ी टेंशन

#chinesesixthgenerationstealthfighterjetdemonstration

चीन लगातार अपनी सैन्य शक्ति मजबूत करने में जुटा है। इस बीच चीन की विमान बनाने वाली दो कंपनियों ने गुरुवार को 24 घंटे से भी कम समय में स्टील्थ (राडार से छुपने वाले) लड़ाकू विमानों के प्रदर्शनकारी मॉडल दिखाए। इन दोनों फाइटर जेट के डिजाइन साधारण जेट के डिजाइन से बिल्कुल अलग हैं। इसे छठी पीढ़ी का फाइटर जेट बताया जा रहा है। इसको इस तरह डिजाइन किया गया है कि पारंपरिक रडार का उपयोग कर इसका पता लगाना लगभग असंभव होगा। चीन ने ऐसे समय में यह लड़ाकू विमान विकसित किया है जब दुनिया के किसी किसी देश के पास छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान नहीं है। अभी इस नए विमान के बारे में बहुत सारी जानकारी गोपनीय रखी गई है।

चीनी सेना आमतौर पर दिसंबर या जनवरी में अपनी नई तकनीक दिखाती है। गुरुवार को लगभग एक ही समय पर दो अलग-अलग मानव-युक्त स्टील्थ फाइटर जेट को उड़ान भरते हुए देखा गया। चेंगदू और शेनयांग कंपनियों के ये अलग-अलग डिजाइन अब तक के सबसे आधुनिक मानव-युक्त लड़ाकू विमानों में से एक हो सकते हैं।

एआई से लैस है यह विमान

रिपोर्ट के अनुसार, चीन की 6वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान को व्हाइट इंपरर (बैदी) उपनाम दिया गया है। इसकी सटीक क्षमताएं अभी गोपनीय है, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें कई अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। यह विमान पहले से अधिक स्टील्थ है, जो दुश्मन के रडार को नाकाम कर सकती है। इसमें अगली पीढ़ी के एवियोनिक्स सिस्टम लगा हुआ है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि चीन के 6वीं पीढ़ी के विमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया है, जो बड़ी मात्रा में डेटा को प्रॉसेस करने और वास्तविक समय में युद्ध के हालातों के अनुसार निर्णय लेने में सक्षम होगा

यूएवी के साथ मिलकर काम करेगा यह विमान

चीन के इस नए लड़ाकू विमान की सबसे बड़ी विशेषताओं में इसका मानव रहित हवाई वाहनों(यूएवी)के साथ मिलकर काम करने की क्षमता भी है। यह भविष्य के युद्ध में यूएवी या ड्रोन के साथ मिलकर अपनी घातक क्षमता का प्रदर्शन कर सकता है। इससे चीन को दुश्मन के इलाके में घुसने पर भी जनहानि का सामना नहीं करना होगा। इससे युद्ध में चीन को न सिर्फ सटीक सूचनाएं प्राप्त होंगी, बल्कि स्ट्राइक मिशन और डिफेंस के लिए अपने सैनिकों का इस्तेमाल भी नहीं करना होगा।

अभी पांचवीं पीढ़ी के विमान बनाने में जुटा भारत

ये विमान भारत के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। इसलिए भारत को भी इससे निपटने के लिए जल्द से जल्द तैयारी शुरू करनी ही होगी। भारत के पास अभी कोई स्टेल्थ फाइटर जेट नहीं है। मौजूदा वक्त में राफेल सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान हैं। इसको 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान बताया जाता है। भारत पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान विकसित करने पर काम कर रहा है। सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एडवांस्ड मीडियम काम्बैट एयरक्राफ्ट को डिजाइन और विकसित करने के लिए 15 हजार करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी थी

चीन ने बनाया छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान, अमेरिका ही नहीं भारत की भी बढ़ी टेंशन
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* चीन लगातार अपनी सैन्य शक्ति मजबूत करने में जुटा है। इस बीच चीन की विमान बनाने वाली दो कंपनियों ने गुरुवार को 24 घंटे से भी कम समय में स्टील्थ (राडार से छुपने वाले) लड़ाकू विमानों के प्रदर्शनकारी मॉडल दिखाए। इन दोनों फाइटर जेट के डिजाइन साधारण जेट के डिजाइन से बिल्कुल अलग हैं। इसे छठी पीढ़ी का फाइटर जेट बताया जा रहा है। इसको इस तरह डिजाइन किया गया है कि पारंपरिक रडार का उपयोग कर इसका पता लगाना लगभग असंभव होगा। चीन ने ऐसे समय में यह लड़ाकू विमान विकसित किया है जब दुनिया के किसी किसी देश के पास छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान नहीं है। अभी इस नए विमान के बारे में बहुत सारी जानकारी गोपनीय रखी गई है। चीनी सेना आमतौर पर दिसंबर या जनवरी में अपनी नई तकनीक दिखाती है। गुरुवार को लगभग एक ही समय पर दो अलग-अलग मानव-युक्त स्टील्थ फाइटर जेट को उड़ान भरते हुए देखा गया। चेंगदू और शेनयांग कंपनियों के ये अलग-अलग डिजाइन अब तक के सबसे आधुनिक मानव-युक्त लड़ाकू विमानों में से एक हो सकते हैं। *एआई से लैस है यह विमान* रिपोर्ट के अनुसार, चीन की 6वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान को व्हाइट इंपरर (बैदी) उपनाम दिया गया है। इसकी सटीक क्षमताएं अभी गोपनीय है, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें कई अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। यह विमान पहले से अधिक स्टील्थ है, जो दुश्मन के रडार को नाकाम कर सकती है। इसमें अगली पीढ़ी के एवियोनिक्स सिस्टम लगा हुआ है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि चीन के 6वीं पीढ़ी के विमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया है, जो बड़ी मात्रा में डेटा को प्रॉसेस करने और वास्तविक समय में युद्ध के हालातों के अनुसार निर्णय लेने में सक्षम होगा *यूएवी के साथ मिलकर काम करेगा यह विमान* चीन के इस नए लड़ाकू विमान की सबसे बड़ी विशेषताओं में इसका मानव रहित हवाई वाहनों(यूएवी)के साथ मिलकर काम करने की क्षमता भी है। यह भविष्य के युद्ध में यूएवी या ड्रोन के साथ मिलकर अपनी घातक क्षमता का प्रदर्शन कर सकता है। इससे चीन को दुश्मन के इलाके में घुसने पर भी जनहानि का सामना नहीं करना होगा। इससे युद्ध में चीन को न सिर्फ सटीक सूचनाएं प्राप्त होंगी, बल्कि स्ट्राइक मिशन और डिफेंस के लिए अपने सैनिकों का इस्तेमाल भी नहीं करना होगा। अभी पांचवीं पीढ़ी के विमान बनाने में जुटा भारत ये विमान भारत के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। इसलिए भारत को भी इससे निपटने के लिए जल्द से जल्द तैयारी शुरू करनी ही होगी। भारत के पास अभी कोई स्टेल्थ फाइटर जेट नहीं है। मौजूदा वक्त में राफेल सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान हैं। इसको 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान बताया जाता है। भारत पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान विकसित करने पर काम कर रहा है। सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एडवांस्ड मीडियम काम्बैट एयरक्राफ्ट को डिजाइन और विकसित करने के लिए 15 हजार करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी थी
नेपाल ने चीनी कंपनी को दिया विवादित नक्शे वाले नोट छापने का ठेका, मैप में 3 भारतीय इलाके

#chinese_firm_to_print_nepal_notes_with_map_featuring_indian_regions 

नेपाल ने भारत से पंगा लेने का काम किया है। नेपाल के केंद्रीय बैंक ‘नेपाल राष्ट्र बैंक’ ने चीन की एक कंपनी को 100 रुपए के नए नेपाली नोट छापने का कॉन्ट्रैक्ट दिया है। इन नोटों पर बने नक्शे में भारत के लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी इलाके को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है। इस इलाके को लेकर भारत-नेपाल के बीच करीब 35 साल से विवाद है।

नेपाल राष्ट्र बैंक ने 100 रुपये के नोटों की छपाई का काम चीन की कंपनी को सौंपा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रतिस्पर्धी वैश्विक निविदा प्रक्रिया के बाद चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन को 100 रुपये के नोट छापने का ठेका दिया गया है। चीनी कंपनी नोटों की 30 करोड़ प्रतियां छापेगी। एनआरबी ने कंपनी से 300 मिलियन 100 रुपये के नोटों को डिजाइन, प्रिंट, आपूर्ति और वितरित करने को कहा है, जिसकी कीमत लगभग 8.99 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। 

इस नोट में बने नक्शे में भारत के लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी क्षेत्र को नेपाल का हिस्सा दर्शाया गया है। नेपाल ने एक संवैधानिक संशोधन के जरिए 20 मई, 2020 को लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को अपना हिस्सा बताते हुए नया नक्शा जारी किया था। इसमें पश्चिमी तिब्बत के न्गारी क्षेत्र में स्थित सभी विवादित क्षेत्रों को नेपाल ने अपना कहा है। ये क्षेत्र बीते 60 वर्षों से पूरी तरह से भारत के नियंत्रण में हैं। यहां के लोग भारतीय नागरिक हैं। भारत में कर चुकाते हैं और भारतीय में मतदान करते हैं।

नेपाल के मंत्रिमंडल ने इस साल मई में इस नोट के डिजाइन में बदलाव को मंजूरी दी थी। तब नेपाल में पुष्प कमल दहल प्रचंड प्रधानमंत्री थे। केपी शर्मा ओली इस सरकार का समर्थन कर रहे थे। 12 जुलाई को ओली ने प्रचंड सरकार सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। अब वे नेपाल के पीएम हैं। 

भारत ने पहले ही नेपाल की ओर से किए गए क्षेत्रीय दावे को आर्टिफिशियल विस्तार करार दिया और अस्थिर करने वाला बताया है। भारत ने साफ कर दिया है कि पश्चिमी नेपाल की सीमा पर स्थित लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा उसका हिस्सा हैं।

एलएसी पर भारत-चीन तनाव खत्म! दिवाली पर दोनों देशों के जवानों ने एक दूसरे को दी मिठाई

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दिवाली पर दिलों की दूरियां मिट गई। पहले भारत-चीन बॉर्डर पर दोनों देशों के सैनिक पीछे हटे, अब मिठाइयों का आदान-प्रदान एक रिश्तों को नए सिरे से शुरू करने की कोशिश हुई है। भारत और चीन के बीच देपसांग और डेमचोक में डिसएंगेजमेंट का काम पूरा हो गया है। भारत-चीन बॉर्डर पर दोनों देशों के सैनिक पीछे हट चुके हैं। आज या कल से दोनों देशों की सेना यहां गश्त शुरू करेगी। वहीं, आज दिवाली के मौके पर दोनों देशों के सैनिकों (भारत-चीन) ने एक दूसरे को मिठाई दी है।

सेना के सूत्रों ने यह जानकारी दी। पूर्वी लद्दाख में डेमचोक एवं देपसांग में दो टकराव वाले बिंदुओं पर दोनों देशों की सेनाओं की वापसी के एक दिन बाद यह पारंपरिक प्रथा देखी गई। इस सहमति से चीन और भारत के संबंधों में मधुरता आई है। सेना के एक सूत्र ने बताया, ‘‘दिवाली के अवसर पर एलएसी के साथ कई सीमाओं पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच मिठाइयों का आदान-प्रदान हुआ।''

सूत्रों ने बताया कि यह आदान-प्रदान एलएसी सहित पांच बॉर्डर पर्सनल मीटिंग (बीपीएम) बिंदुओं पर हुआ। जहां जहां मिठाई बांटी गई है, उनमें लद्दाख में चुशुल मोल्दो, सिक्कम में नाथूला, अरुणाचल में बुमला सहित कई अन्य जगह भी शामिल हैं।

सेना के सूत्रों ने बताया कि बुधवार को देपसांग और डेमचोक में डिसएंगेजमेंट का काम पूरा हो गया था। इसके बाद पेट्रोलिंग को लेकर लोकल कमांडर स्तर की बातचीत हुई। संभवत: आज या कल से दोनों देनों की सेना देपसांग और डेमचोक इलाके में गश्त शुरू कर देगी।

बता दें कि जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद भारत और चीन के बीच रिश्तों में खटास आ गई थी। कई हफ्तों की बातचीत के बाद 21 अक्टूबर को समझौते को अंतिम रूप दिया गया। इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बयान में कहा था कि भारत और चीन के सैनिक उसी तरह गश्त कर सकेंगे जैसे वे दोनों पक्षों के बीच सैन्य गतिरोध शुरू होने से पहले किया करते थे।

मिठाई के साथ भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी से सैनिकों की वापसी पूरी करी, सत्यापन जारी

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Indian- Chinese troops at LAC Ladakh

भारत और चीन ने बुधवार को पूर्वी लद्दाख में देपसांग और डेमचोक से अपनी सेनाओं की वापसी पूरी कर ली है, जिसके बाद दोनों पक्ष अब आमने-सामने की जगहों से एक निर्दिष्ट और परस्पर सहमत दूरी पर सैनिकों और उपकरणों की वापसी का संयुक्त सत्यापन कर रहे हैं, इस घटनाक्रम से अवगत लोगों ने बताया।

सीमा पर तनाव कम करने के लिए 21 अक्टूबर को भारत और चीन के बीच हुए समझौते के अनुरूप अंतिम सत्यापन किया जा रहा है।

देपसांग और डेमचोक से सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है और सत्यापन जारी है। स्थानीय कमांडरों के स्तर पर बातचीत जारी रहेगी। उम्मीद है कि दोनों सेनाएं जल्द ही इलाकों में गश्त शुरू कर देंगी। विघटन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में, भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ दो फ्लैशपॉइंट से अपने अग्रिम तैनात सैनिकों और उपकरणों को वापस बुला लिया है, और मई 2020 में सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद वहां बनाए गए अस्थायी ढांचों को ध्वस्त कर दिया है। ⁠गश्ती के तौर-तरीके ग्राउंड कमांडरों के बीच तय किए जाएंगे। उन्होंने कहा, "गुरुवार (दिवाली) को मिठाइयों के आदान-प्रदान की योजना बनाई गई है।"

इस विकास से भारतीय सेना और पीएलए को वार्ता में दो साल के गतिरोध को दूर करने में मदद मिलेगी - गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग पॉइंट-15 से विघटन का चौथा और अंतिम दौर सितंबर 2022 में हुआ था, जिसके बाद वार्ता गतिरोध पर पहुंच गई थी। चीन ने बुधवार को कहा कि दोनों सेनाएं पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर सैनिकों की वापसी से संबंधित "संकल्पों" को "व्यवस्थित" तरीके से लागू कर रही हैं, पीटीआई ने बीजिंग से रिपोर्ट की।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों देश सीमा से संबंधित मुद्दों पर समाधान पर पहुंच गए हैं। चीनी अधिकारी ने सैनिकों की वापसी से संबंधित एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, "फिलहाल, चीनी और भारतीय सीमा सैनिक व्यवस्थित तरीके से प्रस्तावों को लागू कर रहे हैं।"

पूर्व सैन्य संचालन महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया (सेवानिवृत्त) ने पहले कहा था कि देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी से दोनों पक्षों को समन्वित तरीके से और सहमत आवृत्ति और ताकत (गश्ती दलों की) के साथ गश्त करने में सुविधा होगी, उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष अब एलएसी पर शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए रास्ता बना सकते हैं।

23 अक्टूबर को सैनिकों की वापसी शुरू हुई और इसके पूरा होने से दोनों अग्रिम क्षेत्रों में जमीनी स्थिति अप्रैल 2020 से पहले जैसी हो गई है। भारतीय सेना उन क्षेत्रों में अपनी गश्त गतिविधि फिर से शुरू करेगी, जो पीएलए की अग्रिम मौजूदगी के कारण कटे हुए थे। 21 अक्टूबर को भारत और चीन द्वारा देपसांग और डेमचोक में गतिरोध को हल करने के लिए वार्ता में सफलता की घोषणा के बाद सैनिकों की वापसी शुरू हुई, लद्दाख में ये दो अंतिम बिंदु हैं, जहां प्रतिद्वंद्वी सैनिक लगभग साढ़े चार साल से आमने-सामने हैं।

विस्थापन समझौते में केवल देपसांग और डेमचोक शामिल हैं, और दोनों देश अन्य क्षेत्रों पर विभिन्न स्तरों पर अपनी बातचीत जारी रखेंगे, जहां पहले सैनिकों की वापसी के बाद तथाकथित बफर जोन बनाए गए थे। देपसांग और डेमचोक से प्रतिद्वंद्वी सैनिकों की वापसी में बफर जोन का निर्माण शामिल नहीं है, जैसा कि सैनिकों की वापसी के पिछले दौर के बाद हुआ था।

भारत और चीन ने पहले गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो, गोगरा (पीपी-17ए) और हॉट स्प्रिंग्स (पीपी-15) क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुला लिया था, जहां क्षेत्र में दोनों सेनाओं की गश्त गतिविधियों को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित करने के लिए बफर जोन बनाए गए थे। अलगाव के क्षेत्रों का उद्देश्य हिंसक टकराव की संभावना को खत्म करना था। दोनों पक्षों द्वारा इन क्षेत्रों में गश्त पर रोक हटाना आगे की बातचीत के परिणाम पर निर्भर करेगा।

टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुलाना सीमा तनाव को कम करने की दिशा में पहला कदम है। क्षेत्र में शांति और सौहार्द बहाल करने के लिए लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष को कम करना और प्रतिद्वंद्वी सैनिकों को अंततः वापस बुलाना जरूरी है। दोनों सेनाओं के पास अभी भी लद्दाख थिएटर में दसियों हज़ार सैनिक और उन्नत हथियार तैनात हैं।

*पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच आज द्विपक्षीय वार्ता, चार साल बाद हो रही मुलाकात पर दुनिया की नजर

#brics_summit_pm_modi_chinese_president_xi_jinping_bilateral_meeting

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को रूस के कजान पहुंचे हैं। यहां वो ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। रूस यात्रा के पहले दिन पीएम ने राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई। अब पीएम मोदी बुधवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलेंगे। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी होगी। ये बैठक काफी अहम होगी। दरअसल, लंबे अर्से से चली आ रही भारत और चीन के रिश्तों की तल्खी में हाल के दिनों में कमी आई है। ऐसे में दोनों नेताओं की इस मुलाकात पर दुनिया की नजर होगी।

भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बुधवार को रूस के कजान शहर में द्विपक्षीय बैठक होगी।विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा, मैं पुष्टि कर सकता हूं कि बुधवार को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक होगी। हालांकि उन्होंने इस दौरान इस द्विपक्षीय बैठक को लेकर और कोई अन्य जानकारी नहीं साझा की है।

इससे पहले पूर्वी लद्दाख में जारी सीमा विवाद को लेकर भारतीय और चीनी सैन्य वार्ताकार एक समझौते पर पहुंच गए हैं। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को जानकारी दी थी कि एलएसी पर पेट्रोलिंग को लेकर दोनों देशों के बीच सहमति बन गई है। बीते कुछ हफ्तों में भारत और चीन के वार्ताकार इस मुद्दे पर संपर्क में रहे हैं। विक्रम मिस्री ने कहा है कि हाल में हुए समझौते से दोनों देशों के बीच डिस-इंगेजमेंट हो रहा है और अंततः उन मुद्दों का समाधान हो रहा है जो इन क्षेत्रों में साल 2020 में पैदा हुए थे।

चीन की बड़ी साजिश का पर्दाफाश, भारत से पार कर दिए 400 करोड़, ईडी ने खोले राज

#fiewin_app_scandal_ed_links_400_crore_scam_to_chinese

चीन ने गेमिंग एप से भारत की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की बड़ी साजिश रची थी। ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने भारत के खिलाफ चीन की इस बड़ी साजिश का पर्दाफाश किया है।ऑनलाइन गेमिंग ऐप के खिलाफ ईडी ने एक बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने पहली बार ऑनलाइन गेमिंग ऐप FIEWIN से जुड़े चीनी नागरिकों के क्रिप्टो एकाउंट फ्रीज किए हैं।

आरोप है कि ये गेमिंग एप भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल है। जांच में पता चला है कि इस गेमिंग एप के जरिए भारत से 400 करोड़ रुपये चीन पहुंचाया गया था।ईडी जांच में खुलासा हुआ था कि भारत में इस गेपिंग के जरिये चीनी मूल के नागरिकों ने भारत में बड़ी सेंध लगाकर करीब 400 करोड़ की कमाई की और ये पैसा चीन पहुंचा था।

ईडी ने तीन चीनी नागरिकों के 3 क्रिप्टो अकाउंट सीज किए हैं। जांच एजेंसी ने चीनी नागरिकों के 25 करोड़ जब्त किए।इस मामले में ईडी ने भारत के चार नागरिकों को भी गिरफ्तार किया है।

आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही ईडी ने इस गेमिंग एप के खिलाफ देश मे कई जगहों पर छापेमारी की थी। उस दौरान ईडी ने कई भारतीय नागरिकों को भी गिरफ्तार किया था। उस दारौन आरोपियों से पूछताछ के दौरान ये खुलासा हुआ था कि कैसे इस गेमिंग एप के जरिये भारत का 400 करोड़ चाइना पहुंचाया गया है। ईडी ने इस एप के जरिए ऑनलाइन सट्टेबाजी और गेमिंग धोखाधड़ी को लेकर चार लोगों को गिरफ्तार किया है।

इस मामले में पहले कोलकाता के कोसीपोर पुलिस स्टेशन में ऑनलाइन गेमिंग ऐप FIEWIN के जरिए धोखाधड़ी और साजिश के मामले में आईपीसी की धारा 420, 406 और 120B के तहत 16 मई 2023 को केस दर्ज हुआ था। ईडी ने PMLA के तहत जांच में पाया कि चीनी नागरिक भारतीय नागरिकों की मदद ये एप चला रहे हैं। FIEWIN ऐप के जरिए ऑनलाइन गेमर्स से इकठ्ठा किए गए पैसे कई लोगों (जिन्हें रिचार्ज व्यक्ति कहा जाता है) के बैंक खातों में किए गए। इसके बदले एप मालिक रिचार्ज को कमीशन देते थे। जांच में पता चला कि अरुण साहू और आलोक साहू, जो उड़ीसा के राउरकेला के रहने वाले हैं ,उन लोगों ने “रिचार्ज व्यक्ति” के रूप में काम किया था। FIEWIN एप से उनके बैंक खातों में जो पैसे आए उन्हें क्रिप्टो करेंसी में बदल किया गया था। उन्होंने फीविन एप से कमाई क्रिप्टो करेंसी को विदेशी क्रिप्टो एक्सचेंज अर्थात बिनेंस पर चीनी नागरिकों के वॉलेट में जमा किया।

बिहार के पटना स्थित एक इंजीनियर चेतन प्रकाश ने रुपए को क्रिप्टो करेंसी (USDT) में बदलने में ऐसे “रिचार्ज व्यक्तियों” की मदद करके मनी लॉन्ड्रिंग में अहम भूमिका निभाई। जोसेफ स्टालिन नामक एक अन्य शख्स ने गांसु प्रांत के पाई पेंग्युन नामक चीनी नागरिक को अपनी कंपनी स्टूडियो 21 प्राइवेट लिमिटेड का सह-निदेशक बनने में मदद की ,जोसेफ चेन्नई का रहने वाला है और सॉफ्टवेयर इंजीनियर है।

पाई पेंग्युन ने ऐप से जुड़े बड़े पेमेंट लिए स्टूडियो 21 प्राइवेट लिमिटेड के बैंक खाते का इस्तेमाल किया, जिससे उन्हें शुरुआत में गेमर्स का विश्वास हासिल करने में मदद मिली और एप यूजर्स को बड़े दांव लगाने के लिए उन्हें प्रेरित किया। फिर पेमेंट का पैसा जोसेफ स्टालिन के चीनी संचालकों द्वारा नियंत्रित वॉलेट से अपने बिनेंस खाते में क्रिप्टो करेंसी के रूप में लिया गया। बदले में उन्होंने बिनेंस पर पी2पी मोड के जरिए क्रिप्टो बेचकर यूएसडीटी क्रिप्टो करेंसी को रुपए में बदल लिया।

अब तक की जांच से पता चला है कि फीविन एप आधारित धोखाधड़ी से करीब 400 करोड़ रुपये की गई है और ये पैसा चीनी नागरिकों के नाम पर 8 बिनेंस वॉलेट में जमा किया गया था, जैसा कि एक्सेस आईपी लॉग से पता चला है, ये वॉलेट चीन से चलाए जा रहे थे। चीनी नागरिक टेलीग्राम पर अरुण साहू, आलोक साहू, चेतन प्रकाश, जोसेफ स्टालिन से बात करते थे और इस घोटाले में इस चारों की सक्रिय भूमिका है। इन सभी 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

अरुणाचल की सीमा में घुसा 'ड्रैगन', छोड़े निशान, दावों पर सरकार का क्या है जवाब?

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भारत अपने पड़ोसी देश चीन की चालों से आए दिन परेशान रहता है। इस बीच एक बार फिर चीन की तरफ से सीमा के अंदर घुसपैठ की खबर है। दावा किया जा रहा है कि अरुणाचल प्रदेश के कपापू इलाके में भारतीय क्षेत्र में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने घुसपैठ की है। इस दावे को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सिरे खारिज कर दिया है।

अरुणाचल प्रदेश में चीनी सेना की घुसपैठ की खबरों पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि जो इलाके तय नहीं हैं वहां सिर्फ निशान बना देने का मतलब यह नहीं कि उन्होंने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है। अरुणाचल प्रदेश से आने वाले रिजिजू ने कहा कि भारत-चीन बॉर्डर से लगे अनिर्धारित इलाकों में भारतीय और चीनी सेनाएं गश्ती के दौरान कई बार एक-दूसरे से टकरा सकती हैं, लेकिन इससे भारतीय जमीन पर अतिक्रमण नहीं होता है।

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में कुछ दिखाया गया कि चीनी पीएलए ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में कुछ निशान लगाए हैं. लेकिन हम सभी स्थिति जानते हैं। भारत सरकार और हमारा रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय बातचीत में लगे हुए हैं। हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है कि चीनी सेना या चीनी बलों को उनकी नियंत्रण रेखा के बाहर किसी भी तरह की स्थायी संरचना स्थापित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

अरुणाचल में चीनी अतिक्रमण की खबरें आई थीं

रिजिजू का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले हफ्ते चीनी सेना अरुणाचल प्रदेश के अंजाव जिले में घुस आई है और यहां के कपापू इलाके में कैंप लगाकर रुकी हुई है। ईटानगर से सामने आई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पीएलए अरुणाचल में भारतीय क्षेत्र में कम से कम 60 किलोमीटर अंदर तक घुस आया है। घुसपैठ वाली जगह पर अलाव, स्प्रे-पेंट की गई चट्टानें और चीनी खाने पीने का सामान मिलने का दावा किया गया है। साथ ही मीडिया रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि पीएलए की ये घुसपैठ करीब एक सप्ताह पहले हुई थी।

पहले भी बता चुका है अरूणाचल को चीन का हिस्सा

मार्च 2024 में चीन ने फिर से अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताया था। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा था- 1987 में भारत ने चीनी जमीन पर अवैध तरह से अरुणाचल प्रदेश बसाया। हमने तब भी इसका विरोध किया था और आज भी हम अपने बयान पर कायम हैं। जियान ने कहा- चीन और भारत की सीमा का कभी सीमांकन नहीं किया गया। ये पूर्वी सेक्टर, पश्चिमी सेक्टर और सिक्किम सेक्टर में बंटी हुई है। पूर्वी सेक्टर में जांगनान (अरुणाचल प्रदेश) हमारा हिस्सा है। भारत के कब्जे से पहले चीन ने हमेशा प्रभावी ढंग से यहां पर शासन किया है। यह मूल तथ्य है जिससे इनकार नहीं किया जा सकता।इसी के साथ मार्च में यह चौथी बार था जब चीन ने अरुणाचल को अपना क्षेत्र बताया था।

2020 से चीन-भारत में तनातनी

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब भारतीय और चीनी सेना के बीच लद्दाख में तनातनी है। यह तनाव अप्रैल 2020 से जारी है। भारत और चीन के बीच लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक 3,400 किलोमीटर लंबी सीमा है। चीन लगातार दावा करता रहा है कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से उसका हिस्सा रहा है। इस दावे को भारत बेतुका और हास्यास्पद करार दे चुका है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत मानता है और यहां भारतीय नेताओं के दौरे पर आपत्ति जताता रहता है। चीन ने इस इलाके को जंगनान नाम दिया है। भारत उसके इस दावे को हमेशा से खारिज करता आया है। भारत अरुणाचल को अपना अभिन्न अंग बताया है। केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश को बनावटी नाम देने के चीन के कदम को यह कहकर नकारती है कि ऐसा करने से सच्चाई नहीं बदल जाएगी।

चीन की ये कैसी चाल? बांधे बांग्लादेश के जमात-ए-इस्लामी के तारीफों के पुल, कहा-सुव्यवस्थित पार्टी

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बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद नई सरकार में भारत के खिलाफ साजिश रचने का खेल शुरू हो गया है। एक तरफ देश की अंतरिम सरकार ने जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनो पर बैन हटा दिया है, दूसरी ओर अल-कायदा से जुड़े आतंकवादी संगठन अंसारुल्लाह बंगला टीम (एबीटी) के प्रमुख जशीमुद्दीन रहमानी को रिहा कर दिया है। इस बीच बांग्लादेश में चीनी राजदूत याओ वेन ने जमात-ए-इस्लामी को सुव्यवस्थित राजनीतिक पार्टी बताया है।

चीनी राजदूत ने सोमवार को ढाका में पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में जमात के अमीर डॉ. शफीकुर रहमान के साथ बैठक की। जमात के अमीर से मुलाकात के बाद चीनी राजदूत ने बांग्लादेश की तारीफ करते हुए कहा कि यह एक खूबसूरत देश है और जमात-ए-इस्लामी को एक सुव्यवस्थित संगठन बताया। उन्होंने कहा कि चीन बांग्लादेश के लोगों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध चाहता है और बांग्लादेश के विकास, प्रगति और समृद्धि के लिए काम करना जारी रखेगा।

बता दें कि जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश में भारत का विरोध करती है, इस पर शेख हसीना सरकार ने बैन लगा दिया था, लेकिन मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने इस प्रतिबंध को हटा दिया। अब चीन बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों से दोस्ती कर रहा है। यह पूरा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता की बात है, क्योंकि जमात-ए-इस्लामी पार्टी भी बांग्लादेश में भारत के प्रभाव से चिढ़ती रही है।

चीन के समर्थन से अगर यह पार्टी सत्ता में आती है तो बांग्लादेश में एक ऐसी सरकार बनेगी, जो भारत के साथ आतंकवाद, सीमा सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के मुद्दे के खिलाफ रहे। नई सरकार में चीन बांग्लादेश में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रॉजेक्ट को गति दे सकता है, ताकि भारत का प्रभाव कम हो सके।

अब जापान को डराने की कोशिश कर रहा ड्रैगन! जासूसी करने का लगा आरोप

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चीन हमेशा अपने पड़ोसी देशों के लिए परेशानी खड़ी करने वाला काम करता है। चीन कुछ ना कुछ ऐसा करता रहता है जिससे उसके पड़ोसी देशों की परेशानी बढ़ जाती है। अब मामला जापान से जुड़ा हुआ सामने आया है। एक बार फिर चीन ने ऐसी ही हरकत की है जिसपर जापान ने आपत्ति जताया है। जापान ने आरोप लगाया क‍ि चीन ने उसके इलाके में जासूसी विमान भेजा है। जवाब में जापान ने भी अपने लड़ाकू विमानों को अलर्ट कर दिया। इसके बाद चीन का स्‍पाई विमान वहां से भाग गया।

जापान के शीर्ष सरकारी प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि एक दिन पहले चीनी सैन्य विमान ने कुछ समय के लिए जापानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया था। उन्होंने इस घटना को 'बिल्कुल अस्वीकार्य' क्षेत्रीय उल्लंघन और सुरक्षा के लिए खतरा बताया। मुख्य कैबिनेट सचिव योशिमासा हयाशी ने कहा कि सोमवार को एक चीनी Y-9 टोही विमान कुछ समय के लिए जापान के दक्षिण-पश्चिमी हवाई क्षेत्र में घुस आया था। हवाई क्षेत्र में विमान के घुसते ही सेना को अपने लड़ाकू विमानों को वापस बुलाना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह पहली बार था जब जापानी सेल्फ डिफेंस फोर्स ने जापान के हवाई क्षेत्र में एक चीनी सैन्य विमान का पता लगाया।

जापान का आरोप-चीन लगातार समुद्री सीमा में उकसावे की कार्रवाई कर रहा

जापान का आरोप है कि चीन लगातार समुद्री सीमा में उकसावे की कार्रवाई कर रहा है। ऐसे में अब ताजा घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका है। जापान का कहना है कि चीन के विमान पहले भी दक्षिण पूर्व की सीमा के आसपास चक्कर लगाते रहे हैं, लेकिन यह पहली बार है कि किसी विमान ने जापान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है। जापान ने कहा कि उन्होंने चीनी विमान के खिलाफ किसी हथियार का प्रयोग नहीं किया। हालांकि चीन की उकसावे वाली कार्रवाई को देखते हुए जापान ने अपनी पूर्वी सीमा पर लड़ाकू विमानों की तैनाती कर दी है।

चीन ने क्‍या कहा?

कुछ देर बाद चीन ने भी बयान जारी क‍िया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता लिन जियान ने कहा, हम जापान के इस दावे की पुष्‍ट‍ि कर रहे हैं क‍ि क्‍या सच में ऐसा कुछ हुआ है। दोनों देशों के बीच कम्‍युनिकेशन के ल‍िए एक चैनल है। मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा क‍ि चीन का कभी भी दूसरे देश में घुसपैठ करने का कोई इरादा नहीं है। उधर, जापानी मीडिया ने कहा, चीन का स्‍पाई विमान देखे जाने के बाद उसे चेतावनी जारी की गई थी, लेकिन फ्लेयर गन जैसे किसी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया गया। बाद में वह खुद लौट गया।

साउथ चाइना सी में तनाव

यह घटना ऐसे वक्‍त में हुई है, जब साउथ चाइना सी में तनाव काफी बढ़ा हुआ है। अमेर‍िका इस इलाके में दखल बढ़ा रहा है। अपने श‍िप भी उतार दिए हैं, जिससे चीन बुरी तरह चिढ़ा हुआ है। वह साउथ चाइना सी के ज्‍यादातर इलाके को अपना बताता है। वह फ‍िलीपींस के कई द्वीपों पर भी दावा ठोंकता है। यहां तक क‍ि उनकी नेवी को जाने नहीं देता। अक्‍सर दोनों देशों में इसे लेकर टकराव की नौबत आती है। कुछ महीनों पहले एक चीनी जहाज फ‍िलीपींस के जहाज के बिल्‍कुल पास आ गया। तब दोनों के बीच सिर्फ 5 मीटर की दूरी थी।