When Diplomacy Meets Over Coffee: CD Foundation’s Decade-long Journey Inspires Global Bridges

New Delhi, September 12, 2025 — It wasn’t a conference room, but a coffee table that brought the world together on Friday morning at the Eros Hotel, New Delhi. Against the aroma of freshly brewed coffee and the warmth of Indian hospitality, diplomats, partners, and cultural leaders gathered to celebrate a rare milestone: ten years of CD Foundation’s cultural diplomacy.

Founded in 2015 by Charu Das, Founder & Director, CD Foundation began as a small idea — a neutral, people-first space for embassies and communities to meet beyond politics. A decade later, it has blossomed into an internationally recognized platform spanning 45+ countries, proof that “soft power” can be stronger than any hard negotiation.

A Gathering of Nations

The Diplomatic Coffee Morning turned into a mini-United Nations in New Delhi, with dignitaries from Bangladesh, Belarus, China, Indonesia, Iran, Iraq, and Zambia among the attendees. Their presence not only lent gravitas but also reaffirmed the Coffee Morning’s reputation as a hub of genuine dialogue and exchange.

The event opened with a traditional lamp-lighting ceremony followed by a short film capturing CD Foundation’s journey — from Delhi’s embassy corridors to international festivals and partnerships shaping global conversations.

Voices of Influence

Dr. Amrendra Khatua, Former Secretary, Ministry of External Affairs, set the tone, reminding the audience that “where politics falters, culture succeeds.” His words were echoed by H.E. Mr. Oday Hatim Mohammed of Iraq and Mrs. Phalecy Mwenda Yambayamba of Zambia, who emphasized the shared future that diplomacy-through-culture could nurture.

The event’s global spirit was further amplified through a virtual address from H.E. Dr. Madan Mohan Sethi, Consul General of India in Auckland. His remarks spotlighted the India–New Zealand bridge of trade, tourism, and culture, underlining how cultural diplomacy carries real economic weight. Adding a local yet international flavor, Ms. Mahia Williams of the Whiria Collective (New Zealand) spoke of Māori–Indian collaborations not as symbolic, but as living exchanges.

Partnerships with Purpose

Beyond diplomacy, the Coffee Morning also recognized healthcare and humanitarian champions. Dr. Amit Luthra of Amolik Health Care highlighted India’s emerging role in medical diplomacy, while United Sikh drew attention to its relief efforts in flood-hit Punjab — a reminder that people-to-people diplomacy extends to those who need it most.

Looking Ahead

The celebration was not just about looking back but also about unveiling the future. Upcoming initiatives include:

  • India–UK Festival (Manchester & Leeds, November 2025)
  • Delegations to China (late 2025)
  • Reciprocal Festivals in India (early 2026)

Each marks a continuation of CD Foundation’s mission: to turn connections into collaborations.

A New Beginning at Ten

As the morning ended, there was no sense of closure — only continuity. Ten years may mark a milestone, but for CD Foundation, it is just the first chapter of a much bigger global story waiting to be written.

For more information you can visit https://www.cdfoundation.co.in/

 

चीन में पीएम मोदी और पुतिन की खास मुलाकात, एक दूसरे को लगाया गले, देखते रह गए शहबाज शरीफ

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चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। तियानजिन से पीएम नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास तस्वीर सामने आई है। राष्ट्रपति पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी ने एक-दूसरे का गले लगाकर गर्मजोशी से अभिवादन किया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एससीसो मंच पर एक साथ नजर आए। इसकी तस्वीर सामने आई है। तीनों नेता आपस में बातचीत करते दिखे। इस दौरान तीनों देशों की ट्रायो डिप्लोमेसी देखने को मिली, यानी ये देश आपसी सहयोग बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।

पुतिन और मोदी की द्विपक्षीय बैठक से पहले हुई मुलाकात

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर दो तस्वीरें शेयर की। एक तस्वीर में मोदी पुतिन को गले लगाते नजर आ रहे हैं। दूसरी तस्वीर में दोनों नेता हाथ मिलाते हुए नजर आ रहे हैं। तस्वीर शेयर करते हुए पीएम मोदी ने लिखा कि राष्ट्रपति पुतिन से मिलना हमेशा खुशी की बात होती है। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच यह मुलाकात उनकी द्विपक्षीय बैठक से पहले हुई, जो पूर्ण सत्र के बाद होने वाली है।

मोदी-पुतिन-जिनपिंग कि तिकड़ी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एससीओ शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र से पहले कुछ समय साथ बिताया। इस दौरान तीनों ही नेता एक-दूसरे से हल्के फुल्के अंदाज में हंसी मजाक करते नजर आए। इस दौरान तीनों नेता हंसी ठहाके लगाते दिखाई दिए। इसके बाद पीएम मोदी और व्लादिमीर पुतिन एक साथ मंच की ओर चले गए। इस दौरान दोनों पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सामने से निकले, जो पहले से ही मंच पर फोटो सेशन के लिए खड़े थे। इस दौरान शहबाज की नजरें पीएम मोदी और पुतिन पर ही टिकी हुई थीं। उनके चेहरे से बेबसी के भाव साफ जाहिर हो रहे थे।

एससीओ का अब तक का सबसे बड़ा समिट

एससीओ समिट चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मेजबानी में हो रही है। यह एससीओ का अब तक का सबसे बड़ा समिट है, जिसमें 20 से अधिक देशों के नेता और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख शामिल हैं। सदस्य देशों में भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिजिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं, जबकि पर्यवेक्षक और संवाद साझेदार देशों में तुर्की, मालदीव, नेपाल, म्यांमार, मिस्र और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस जैसे नाम हैं।

समिट का फोकस क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, आतंकवाद विरोधी प्रयासों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर है। चीनी विदेश मंत्रालय के सहायक मंत्री लिउ बिन ने कहा कि शी जिनपिंग तियानजिन घोषणा जारी करेंगे, जो एससीओ के अगले 10 वर्षों की विकास रणनीति को रेखांकित करेगी।

ड्रैगन और हाथी साथ आएं…” पीएम मोदी से बोले शी जिनपिंग, क्या हैं चीनी राष्ट्रपति के बयान के मायने?

#chinaxijinpingstatementonindiachina_relations

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए चीन में हैं। भारत-चीन रिश्तों में बने हालात के बीच ये यात्रा बेहद महत्वपूर्ण है। पीएम मोदी ने एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से महत्वपूर्ण बैठक की। बैठक की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2.8 अरब लोगों का कल्याण भारत-चीन सहयोग से जुड़ा हुआ है। वहीं चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि ड्रैगन और हाथी को एक साथ आने की जरूरत है।

सात साल बाद चीन पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। दोनों के बीच 50 मिनट बातचीत हुई। दोनों नेताओं की मुलाकात तियानजिन में हुई, जहां चीनी राष्ट्रपति शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहे हैं। मोदी ने बातचीत के दौरान कहा, पिछले साल कजान में हमारी बहुत उपयोगी चर्चा हुई थी, जिससे हमारे संबंध बेहतर हुए। सीमा पर सैनिकों की वापसी के बाद, शांति और स्थिरता का माहौल बना है। सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों ने समझौता किया है। कैलाश मानसरोवर यात्रा दोबारा शुरू हो गई है और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें भी फिर से शुरू हो रही हैं। वहीं, चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि ड्रैगन (चीन) और हाथी (भारत) को साथ आना चाहिए। चीनी राष्ट्रपति ने बैठक के दौरान अपने संबोधन में कहा कि भारत और चीन के लिए सही विकल्प यह है कि दोनों दोस्त और साझेदार बनें।

ड्रैगन और हाथी एक साथ आएं-जिनपिंग

मीटिंग में जिनपिंग ने कहा कि पीएम मोदी से मिलकर खुशी हुई। जिनपिंग ने कहा, प्रधानमंत्री महोदय, आपसे फिर मिलकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। मैं शंघाई सहयोग संगठन शिर सम्मेलन के लिए चीन में आपका स्वागत करता हूं। उन्होंने आगे कहा, दोनों देशों के लिए यह सही है कि ऐसे साझेदार बनें जो एक-दूसरे की सफलता में सहायक हों। ड्रैगन और हाथी एक साथ आएं। चीन और भारत दो प्राचीन सभ्यताएं हैं। हम विश्व के दो सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं। हम ग्लोबल साउथ के भी अहम सदस्य हैं। हम दोनों अपने लोगों की भलाई के लिए जरूरी सुधार लाने और मानव समाज की प्रगति को बढ़ावा देने की ऐतिहासिक जिम्मेदारी निभाते हैं।

पीएम मोदी ने कही ये बात

इससे पहले पीएम मोदी ने गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए आभार जताते हुए कहा, मैं आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। पिछले वर्ष कजान में हमारी बहुत ही सार्थक चर्चा हुई थी। हमारे संबंधों को एक सकारात्मक दिशा मिली। सीमा पर सैनिकों की वापसी के बाद, शांति और स्थिरता का माहौल बना हुआ है। सीमा मुद्दे पर हमारे विशेष प्रतिनिधियों ने समझौता किया है। कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हुई है। दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट भी फिर से शुरू की जा रही है।

गलवान झड़प के बाद मोदी का पहला चीन दौरा

बता दें कि मोदी शनिवार शाम 2 दिन के जापान दौरे के बाद चीन पहुंचे थे। जून 2020 में हुई गलवान झड़प के बाद भारत-चीन के संबंध खराब हो गए थे। इस यात्रा का मकसद दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को कम करना भी है।

DR.Rashel Rice Water Face Wash:The Ancient Secret Your Skin Has Been Waiting For

Rice Water Face Wash

H/L: Rice Water Face Wash

The Ancient Secret Your Skin Has Been Waiting For

DR.Rashel Rice Water Face Wash is more than just another step in your skincare routine. It is a daily ritual that cleanses, refreshes, and pampers your skin, leaving it feeling soft, bright, and nourished. With every wash, it works to remove impurities while feeding your skin with the goodness of rice water, an ingredient that has been cherished for centuries for its beauty-enhancing properties.

A Beauty Secret Loved for Centuries

For generations, rice water has been a treasured part of beauty rituals in Asia. In Japan, women used rice water to maintain smooth, luminous skin. In Korea, it was common to rinse the face with rice water to brighten and soften the complexion. Even in ancient China, rice water was considered a royal beauty ingredient, valued for keeping skin supple and youthful.

This age-old tradition continues today with DR.Rashel’s Rice Water Face Wash, which blends this timeless ingredient with modern skincare expertise, making it perfect for everyday use in a busy lifestyle.

Benefits That Go Beyond Cleansing

This face wash is not just about removing dirt and oil. It is designed to improve the overall health and appearance of your skin. Rice water helps brighten dull skin and even out skin tone, making your complexion look more luminous over time. It has a natural soothing effect, which makes it suitable for sensitive skin and helps reduce redness or irritation. Its hydration-boosting properties ensure that your skin feels moisturised and soft after cleansing, rather than dry or tight.

The antioxidant content in rice water also provides protection against environmental stressors that can cause premature ageing. With regular use, you may notice fewer visible dark spots and a smoother, more refined skin texture.

The Experience of Using It

DR.Rashel Rice Water Face Wash has a creamy texture that lathers into a light foam. As you massage it onto your face, it gently lifts away makeup residue, excess oil, and impurities collected throughout the day. The rinse-off leaves your skin feeling refreshed and clean, yet comfortably hydrated. The subtle, fresh scent makes the experience feel soothing, turning a simple face wash into a calming self-care moment.

Perfect for Daily Use

Suitable for most skin types, this face wash can be used morning and evening. Use it as your wake-up refresh in the morning and as your gentle reset at night to wash away the day. Its gentle yet effective formula ensures your skin is cleansed without stripping essential moisture, making it safe for regular use. The rice water infusion keeps skin balanced and hydrated, so it never feels tight after washing. Over time, it supports a naturally radiant complexion that looks healthy, feels smooth, and stays protected against daily environmental stress.

एक दूसरे के और करीब आए भारत-चीन, चीनी विदेश मंत्री का बड़ा बयान, खतरा नहीं साझेदार बनना होगा

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकी के बीच भारत और चीन एक दूसरे के करीब आ रहे हैं। सीमा विवाद के बीच चीनी विदेश मंत्री वांग यी इस समय भारत की यात्रा पर हैं। भारत दौरे पर आए चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारत की तीन बड़ी परेशानियों को दूर करने का आश्वासन दिया है। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर को आश्वासन दिया कि चीन भारत की उर्वरकों, रेयर अर्थ मैटिरियल और सुरंग खोदने वाली मशीनों की जरूरतों को पूरा करेगा। सूत्रों के हवाले यह खबर सामने आई है।

एक-दूसरे को प्रतिद्वंदी के तौर पर देखने वाले भारत-चीन के रिश्तों में नया मोड़ आया है। भारत की यात्रा पर आए चीनी विदेश मंत्री वांग यी भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। सोमवार को एस. जयशंकर से मुलाकात के दौरान उन्होंने आश्वस्त किया है कि चीन रेयर अर्थ मिनरल, फर्टलाइजर्स और टनल बोरिंग मशीन का समाधान निकालने में भारत की मदद करेगा।सूत्रों के मुताबिक, चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर को आश्वासन दिया कि चीन भारत की उर्वरक, दुर्लभ मृदा और सुरंग खोदने वाली मशीनों की जरूरतों से जुड़ी तीन प्रमुख चिंताओं का समाधान करेगा।

एकजुटता का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए- वांग यी

वहीं, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और वांग की मुलाकात पर चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान में साफ तौर पर कहा गया है कि दुनिया में एकतरफा दबाव और धौंस जमाने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही हैं, जबकि मुक्त व्यापार और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। ऐसे में चीन और भारत को वैश्विक दृष्टिकोण दिखाने की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि बड़े देशों को जिम्मेदारी निभानी चाहिए और व्यापक विकासशील देशों के बीच एकजुटता का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए।

एक-दूसरे को दुश्मन नहीं, साझेदार के तौर पर देखना होगा- वांग यी

भारत-चीन के बीच रिश्तों को लेकर वांग यी ने कहा है कि निश्चित तौर पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम मोदी की मुलाकात ने चीन-भारत संबंधों को दोबारा शुरू करने में मदद की। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने इसे गंभीरता से लिया है और विभिन्न स्तरों पर संवाद और संपर्क धीरे-धीरे बहाल हो रहे हैं। चीनी विदेश मंत्री ने बड़ा संदेश देते हुए कहा है कि चीन और भारत को एक-दूसरे को दुश्मन नहीं, साझेदार के तौर पर देखना होगा। दोनों पक्ष 75 वर्षों के राजनयिक अनुभव और सबक से गंभीरता से सीखें और रणनीतिक दृष्टिकोण विकसित करें। चीन और भारत आपसी विश्वास बनाए रखें और बाहरी हस्तक्षेपों को दूर करें।

एस जयशंकर ने क्या कहा?

इससे पहले विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने अपने प्रारंभिक वक्तव्य में कहा कि बातचीत में आर्थिक और व्यापारिक मुद्दे, तीर्थयात्रा, लोगों से लोगों के बीच संपर्क, नदी डेटा साझाकरण, सीमा व्यापार, संपर्क और द्विपक्षीय आदान-प्रदान शामिल होंगे। विदेश मंत्री ने इस साल जुलाई में अपनी चीन यात्रा के दौरान उठाई गई चिंताओं पर आगे चर्चा की। विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया था कि पड़ोसी देशों और दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, भारत-चीन संबंधों के विविध पहलू और आयाम हैं। उन्होंने कहा, इस संदर्भ में यह भी जरूरी है कि प्रतिबंधात्मक व्यापार उपायों और बाधाओं से बचा जाए। भारत और चीन के बीच स्थिर और रचनात्मक संबंध न केवल हमारे बल्कि पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद हैं। यह पारस्परिक सम्मान, हित और संवेदनशीलता के आधार पर संबंधों को संभालने से ही संभव है।

ट्रंप के टैरिफ वॉर पर भारत के साथ खुलकर आया चीन, अमेरिका को लगाई लताड़

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डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक कार्यकारी आदेश जारी कर भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया दिया है। जिसके बाद कुल लेवी (टैरिफ) 50% तक बढ़ गई है। यही नहीं ट्रंप ने सेकेंडरी प्रतिबंध लगाने की भी धमकी दी है। साथ ही डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि टैरिफ पर विवाद सुलझने तक भारत के साथ कोई व्यापार वार्ता नहीं होगी। टैरिफ कतो लेकर अमेरिका के साथ बढ़ते विवाद के बीच चीन ने खुलकर भारत का समर्थन किया है।

चीन की अमेरिका को दो टूक

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता गुओ जैकून ने कहा कि अमेरिका रूसी तेल लेने पर भारत के खिलाफ टैरिफ लगाकर इसका दुरुपयोग कर रहा है। टैरिफ को लेकर चीन की एक स्‍पष्‍ट नीति है और इसका विरोध करता है। चीनी प्रवक्‍ता ने कहा कि अमेरिका तकनीक और ट्रेड के मुद्दों को हथियार के रूप में इस्‍तेमाल कर रहा है।

भारत में चीनी राजदूतका तंज

इससे पहले भारत में चीनी राजदूत ने एक्‍स पर एक पोस्‍ट करके अमेरिका पर कड़ा हमला बोला था। शू ने ट्रंप का नाम लिए बिना कहा, 'बुली को एक इंच दो तो वह एक मील ले लेगा।' उनकी इस टिप्‍पणी को भारत और ब्राजील को चीन के समर्थन से जोड़कर देखा जा रहा है। भारत की तरह से ही ब्राजील भी 50 फीसदी अमेरिकी टैरिफ का सामना कर रहा है। यह अमेरिका की ओर से किसी ट्रेडिंग पार्टनर पर लगाया गया सबसे ज्‍यादा टैरिफ है।

भारत ने अपनाया कड़ा रुख

वहीं, अमेरिका के टैरिफ लगाने के फैसले पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई। भारत ने आधिकारिक बयान में कहा कि अमेरिका का यह कदम अनुचित, अन्यायपूर्ण और गैरवाजिब है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि 'यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका ने भारत पर ऐसे कदमों के लिए अतिरिक्त शुल्क लगाने का निर्णय लिया है जब कई अन्य देश भी अपने राष्ट्रीय हित में ऐसे कदम उठा रहे हैं। हम दोहराते हैं कि ये कदम अनुचित, अन्यायपूर्ण और अविवेकपूर्ण हैं। भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।

किस बात से भड़के हैं ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर कुल 50% टैरिफ लगाने का ऐलान करते हुए कहा है कि भारत, रूस से तेल खरीदने के मामले में चीन के बहुत करीब है। ऐसे में अमेरिका इससे निपटने के लिए सेकेंडरी प्रतिबंधों की ओर बढ़ेगा। व्हाइट हाउस में एक प्रेस कांफ्रेंस में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं कि हमने भारत पर रूसी तेल के लिए 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। वे रूस से तेल खरीद में चीन के काफी करीब है।

प्रेस कांफ्रेंस में जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या रूस-यूक्रेन के साथ समझौता हो जाने पर वे भारत से टैरिफ हटा सकते हैं? इस पर ट्रंप ने जवाब दिया कि फिलहाल तो भारत 50% टैक्स देगा, आगे क्या होगा, देखा जाएगा। जब अमेरिकी राष्ट्रपति से पूछा गया कि चीन और तुर्की भी रूस से तेल खरीद रहे हैं, तो फिर भारत पर ही इतनी बड़ी कार्रवाई क्यों? इस पर ट्रंप ने कहा, अभी भारत पर टैरिफ लगाए सिर्फ 8 घंटे हुए हैं, आगे आप बहुत कुछ देखेंगे, सेकेंडरी प्रतिबंधों की बाढ़ आएगी।

राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार, पूछा-आपको कैसे पता चला चीन ने जमीन हड़प ली

#supremecourtrapsrahulgandhioverchinaoccupiedbyindianterritory_comment

सुप्रीम कोर्ट ने एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से तीखे सवाल पूछे। कोर्ट ने उनसे पूछा, आपको कैसे पता है कि चीन ने भारत की जमीन हड़प ली है? सुप्रीम कोर्ट ने 9 दिसंबर, 2022 को भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच झड़प के बाद भारतीय सेना पर उनकी कथित टिप्पणी को लेकर लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की फजीहत की है। राहुल गांधी ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान भारतीय सेना के बारे में कथित तौर पर ये टिप्पणी की थी, जिसमें उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज किया गया।

भारतीय सेना पर कथित टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सासंद को बड़ी राहत दी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से चीन के भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने को लेकर दिए गए बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। अदालत ने कहा कि जब सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति है, तब विपक्ष के नेता को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था।

राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट की बड़ी नसीहत

जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने यह आदेश दिया। सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता ने को नसीहत भी दी। जस्टिस दीपांक दत्ता ने राहुल गांधी से पूछा, ‘भारतीय होने की वजह से आपकी टिप्पणी ठीक नहीं। आपको कैसे पता चला कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर कब कब्जा कर लिया? विश्वसनीय जानकारी क्या है? एक सच्चा भारतीय ऐसा नहीं कहेगा। जब सीमा पार कोई विवाद हो तो क्या आप ये सब कह सकते हैं?

संसद में सवाल क्यों नहीं किया?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आखिर आपने यह संसद में क्यों नहीं कहा और सोशल मीडिया पर क्यों कहा? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपके पास भले ही अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता है, लेकिन यह क्यों कहा। एक सच्चे भारतीय के तौर पर सेना को लेकर क्या ऐसी टिप्पणी करनी चाहिए? आप एक जिम्मेदार नेता हैं।

राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत भी

सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान राहुल गांधी को मानहानि केस में राहत भी प्रदान की है। इस संबंध में निचली अदालत में आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने लखनऊ ट्रायल कोर्ट के समन पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है। दरअसल, मई में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ की एमपी-एमएलए अदालत की ओर से पारित समन आदेश को चुनौती देने वाली राहुल गांधी की याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। यहां राहुल गांधी को राहत मिल गई।

ट्रंप के बाद NATO ने दी भारत को धमकी, 100% टैरिफ लगाने का दिखाया डर

#natochiefwarningtoindiachinaandbrazilovertradewith_russia

नाटो चीफ मार्क रूट ने भारत को रूस के साथ संबंधों को लेकर खुली चेतावनी दी और कहा कि अगर वह रूस के साथ व्यापार जारी रखता है तो गंभीर आर्थिक दंड (सेकंडरी सैंक्शन) का सामना करना पड़ सकता है। नाटो महासचिव मार्क रूट ने कहा कि अगर आप चीन के राष्ट्रपति, भारत के प्रधानमंत्री या ब्राजील के राष्ट्रपति हैं, तो यह समझें कि रूस के साथ व्यापार जारी रखने का भारी नुकसान हो सकता है।

100% सेकेंडरी प्रतिबंध की धमकी

रूट ने बुधवार को अमेरिकी सीनेटरों से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इन तीनों देशों को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव डालना चाहिए, ताकि वह शांति वार्ता को गंभीरता से लें। रूट ने तीनों देशों पर सेकेंडरी प्रतिबंध लगाने की भी धमकी दी है। उन्होंने कहा कि अगर ये देश रूस से तेल और गैस खरीदना जारी रखते हैं तो इन देशों पर 100% सेकेंडरी प्रतिबंध लगाए जाएंगे।

पुतिन से बात करने की अपील

रूट ने भारत और दोनों अन्य देशों के नेताओं से पुतिन से शांति वार्ता के लिए सीधे तौर पर आग्रह करने अपील की। उन्होंने कहा, 'प्लीज व्लादिमीर पुतिन को फोन करें और उन्हें बताएं कि उन्हें शांति वार्ता को लेकर गंभीर होना होगा, वरना इसका ब्राजील, भारत और चीन पर बड़े पैमाने पर असर होगा।

जानें रूस ने क्या कहा?

वहीं, रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेई रियाबकोव ने अमेरिका और नाटो की धमकियों को खारिज किया। उन्होंने कहा, रूस ट्रंप के साथ बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन इस तरह के अल्टीमेटम मंजूर नहीं हैं। रियाबकोव ने कहा कि रूस आर्थिक दबाव के बावजूद अपनी नीतियां नहीं बदलेगा और ऑप्शनल बिजनेस रूट तलाशेगा।

नाटो महासचिव की यह चेतावनी उस समय आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन को नए हथियार देने और रूस के व्यापारिक साझीदारों पर भारी टैक्स लगाने की घोषणा की है। अमेरिका अब यूक्रेन को पैट्रियट मिसाइल जैसे आधुनिक हथियार देने वाला है, ताकि वह रूस के हमलों से बच सके।

क्या होता है सेकेंडरी टैरिफ?

सेकेंडरी टैरिफ सीधे प्रतिबंधित देश पर नहीं, बल्कि उसके साथ व्यापार करने वाले देशों या कंपनियों पर लगाए जाते हैं। इसे एक उदाहरण से समझिए। मान लें कि अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगा रखा है। अगर अब भारत रूस से तेल खरीदता है, तो अमेरिका भारत पर इसकी सजा के तौर पर द्वितीयक टैरिफ लगा सकता है। इसका उद्देश्य प्रतिबंधित देश को आर्थिक चोट पहुंचाना होता है, क्योंकि टैरिफ के डर से व्यापार से बचने लगते हैं।

सेकेंडरी प्रतिबंध का भारत पर क्या असर होगा?

भारत रूस से कच्चे तेल का एक बड़ा खरीदार है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदकर अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया है। अगर सेकेंडरी प्रतिबंध लागू होते हैं, तो भारत पर इसके बुरे प्रभाव पड़ सकते हैं।

-तेल आपूर्ति में रुकावट: भारत रूस से अपनी कुल तेल आयात का एक बड़ा हिस्सा खरीदता है। प्रतिबंधों के कारण रूसी तेल की आपूर्ति रुक सकती है। इससे भारत को वैकल्पिक स्रोतों (जैसे सऊदी अरब, इराक) से महंगा तेल खरीदना पड़ सकता है, जिससे तेल की कीमतें बढ़ेंगी।

-आर्थिक नुकसान: अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद करता है, तो ईंधन की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका असर आम जनता पर पड़ेगा। अगर भारत रूस के साथ व्यापार जारी रखता है, तो अमेरिका भारतीय कंपनियों या बैंकों पर प्रतिबंध लगा सकता है, जिससे भारत का निर्यात और वित्तीय लेनदेन प्रभावित होगा।

-ऊर्जा संकट: रूस से तेल आयात बंद होने पर भारत की ऊर्जा सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। वैश्विक तेल बाजार पहले से ही अस्थिर है, और नए प्रतिबंध इस स्थिति को और बिगाड़ सकते हैं।

चीन जाने वाले हैं एस जयशंकर, जानें गलवान झड़प के बाद क्यों खास है विदेश मंत्री का ये पहला दौरा

#sjaishankarsfirstvisittochinaaftergalwanclash

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद अब विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर भी अगले सप्ताह चीन की यात्रा पर जा रहे हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने के लिए 13 जुलाई के आसपास चीन का दौरा करेंगे। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 2020 के सैन्य गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव आने के बाद विदेश मंत्री जयशंकर की यह पहली चीन यात्रा होगी।

इस साल एससीओ की अध्यक्षता चीन कर रहा है। चीन एससीओ का वर्तमान अध्यक्ष है और वह समूह की बैठकों की मेजबानी कर रहा है। विदेश मंत्री जयशंकर की यह यात्रा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए चीनी शहर चिंगदाओ की यात्रा के कुछ ही हफ्तों बाद हो रही है। इस समिट में शामिल होने के लिए विदेश मंत्री एस जशंकर चीन की यात्रा करेंगे।

चीनी विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक की भी संभावना

विदेश मंत्री एस जयशंकर की 14 और 15 जुलाई को तिआनजिन में आयोजित एससीओ के विदेश मंत्रियों की काउंसिल बैठक में शामिल होने से पहले बीजिंग में अपने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की संभावना है। दोनों देश के विदेश मंत्रियों के बीच होने वाली यह बैठक भारत और चीन के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच चल रही उन सीरिज बैठकों का हिस्सा होगी, जिसका मकसद दोनों देश के द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करना और लंबे समय से जारी सीमा विवाद का समाधान ढूंढना है।

गलवान घाटी की हिंसा के बाद जयशंकर का पहला दौरा

यह दौरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह गलवान घाटी की हिंसक झड़प (जून 2020) के बाद जयशंकर की पहली चीन यात्रा होगी। इससे पहले वे अपने चीनी समकक्ष से विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर मिलते रहे हैं, लेकिन यह दौरा द्विपक्षीय संबंधों की बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

पांच साल में पहली बार प्रतिनिधिमंडल स्तर पर बैठक

विदेश मंत्री का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत-चीन संबंधों को सामान्य करने की दिशा में कई उच्चस्तरीय मुलाकातें हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अक्टूबर 2023 में रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान हुई द्विपक्षीय बैठक ने इस प्रक्रिया को गति दी। यह बैठक पांच वर्षों में पहली बार प्रतिनिधिमंडल स्तर पर हुई थी। इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बीजिंग का दौरा किया और विभिन्न जटिल मुद्दों पर गहन चर्चा की।

चीन बढ़ा रहा भारत की टेंशनः पाकिस्‍तान-तालिबान के साथ मिलकर चली नई चाल, काबुल तक होगा CPEC का विस्‍तार

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चीन ये तो अच्छी तरह जानता है कि भारत का मुकाबला करने के लिए उसे साथियों की जरूरत है। यही कारण है कि चीन ने भारत को टेंशन देने वाली बड़ी चाल चली है। भारत के खिलाफ पाकिस्तान के साथ खुलकर खड़े होने के बाद चीन एक और साजिश कर रहा है। चीन, पाकिस्तान और तालिबान के बीच सुलह समझौता करवाने में जुटा है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के साथ खड़ी तालिबान सरकार को चीन साधने में लगा हुआ है। बुधवार को चीन-पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने एक बड़ा फैसला लिया है, भारत की टेंशन बढ़ाने वाला है।

बुधवार को इशाक डार ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी और अफगानिस्तान के अंतरिम विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की। इस दौरान बीजिंग की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल के तहत बन रहे चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को अफगानिस्तान तक विस्तारित करने पर सहमति व्यक्त की गई। 

बैठक के बाद इशाक डार ने कहा, पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और विकास के लिए एक साथ खड़े हैं। उन्होंने तीनों नेताओं की एक साथ तस्वीर भी साझा की। इशाक डार ने सोशल मीडिया पर लिखा कि पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान क्षेत्रीय शांति और विकास के लिए एकजुट हैं। बैठक में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को बढ़ावा देने और सीपीईसी को अफगानिस्तान तक ले जाने का फैसला हुआ। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और क्षेत्र में स्थिरता के लिए भी प्रतिबद्धता जताई गई है।

पाकिस्‍तान-तालिबान का तनाव कम करने की कोशिश

पाकिस्तान के विदेश मंत्री तीन दिवसीय बीजिंग यात्रा पर हैं, जो भारत द्वारा पाकिस्तान और इसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी स्थलों को निशाना बनाकर शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पहली उच्चस्तरीय वार्ता है। इस बैठक में सीपीईसी को लेकर चर्चा भले हुई है, लेकिन असल में इसे चीन की अपने पक्के दोस्त पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच तनाव कम कराने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

क्या चाहता है चीन?

-चीन की कोशिश है कि फिर से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच पुराने रिश्ते बहाल हो. दोनों ही देश आपसी भाईचारे के साथ रहे. पिछले कुछ सालों से तालिबान और पाकिस्तान के बीच के रिश्ते ठीक नहीं चल रहे है.

-चीन की कोशिश अपना व्यापार अफगानिस्तान तक बढ़ाने की है. इसी कड़ी में चीन ने अफगानिस्तान में CPEC प्रोजेक्ट को विस्तार करने का फैसला किया है. यह प्रोजेक्ट अभी पाकिस्तान में है.

-चीन की कोशिश भारत को अफगानिस्तान में रोकने की है. 10 मई को काबुल में जो बैठक हुई थी, उसमें चीन और पाकिस्तान ने तालिबान से कहा था कि भारत को सिर्फ कूटनीतिक दायरे तक सीमित किया जाए

नई दिल्ली-काबुल के सुधरते रिश्तों पर चीन का बुरी नजर

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंधों को सुधारने की कोशिश ऐसे समय में हो रही है, जब नई दिल्ली और काबुल के रिश्ते हाल के दिनों में तेजी से गहरे हुए हैं। बीती 15 मई को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कार्यवाहक अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से बात की थी, जिसमें दोनों देशों ने एक दूसरे के साथ सहयोग को और गहरा करने पर चर्चा की थी। यह अफगानिस्तान में तालिबान प्रशासन की वापसी के बाद पहली मंत्री स्तरीय बातचीत थी। ऐसे में सवाल है कि क्या चीन की कोशिश के बाद तालिबान पाकिस्तान को लेकर नरम रुख अपनाएंगे।

When Diplomacy Meets Over Coffee: CD Foundation’s Decade-long Journey Inspires Global Bridges

New Delhi, September 12, 2025 — It wasn’t a conference room, but a coffee table that brought the world together on Friday morning at the Eros Hotel, New Delhi. Against the aroma of freshly brewed coffee and the warmth of Indian hospitality, diplomats, partners, and cultural leaders gathered to celebrate a rare milestone: ten years of CD Foundation’s cultural diplomacy.

Founded in 2015 by Charu Das, Founder & Director, CD Foundation began as a small idea — a neutral, people-first space for embassies and communities to meet beyond politics. A decade later, it has blossomed into an internationally recognized platform spanning 45+ countries, proof that “soft power” can be stronger than any hard negotiation.

A Gathering of Nations

The Diplomatic Coffee Morning turned into a mini-United Nations in New Delhi, with dignitaries from Bangladesh, Belarus, China, Indonesia, Iran, Iraq, and Zambia among the attendees. Their presence not only lent gravitas but also reaffirmed the Coffee Morning’s reputation as a hub of genuine dialogue and exchange.

The event opened with a traditional lamp-lighting ceremony followed by a short film capturing CD Foundation’s journey — from Delhi’s embassy corridors to international festivals and partnerships shaping global conversations.

Voices of Influence

Dr. Amrendra Khatua, Former Secretary, Ministry of External Affairs, set the tone, reminding the audience that “where politics falters, culture succeeds.” His words were echoed by H.E. Mr. Oday Hatim Mohammed of Iraq and Mrs. Phalecy Mwenda Yambayamba of Zambia, who emphasized the shared future that diplomacy-through-culture could nurture.

The event’s global spirit was further amplified through a virtual address from H.E. Dr. Madan Mohan Sethi, Consul General of India in Auckland. His remarks spotlighted the India–New Zealand bridge of trade, tourism, and culture, underlining how cultural diplomacy carries real economic weight. Adding a local yet international flavor, Ms. Mahia Williams of the Whiria Collective (New Zealand) spoke of Māori–Indian collaborations not as symbolic, but as living exchanges.

Partnerships with Purpose

Beyond diplomacy, the Coffee Morning also recognized healthcare and humanitarian champions. Dr. Amit Luthra of Amolik Health Care highlighted India’s emerging role in medical diplomacy, while United Sikh drew attention to its relief efforts in flood-hit Punjab — a reminder that people-to-people diplomacy extends to those who need it most.

Looking Ahead

The celebration was not just about looking back but also about unveiling the future. Upcoming initiatives include:

  • India–UK Festival (Manchester & Leeds, November 2025)
  • Delegations to China (late 2025)
  • Reciprocal Festivals in India (early 2026)

Each marks a continuation of CD Foundation’s mission: to turn connections into collaborations.

A New Beginning at Ten

As the morning ended, there was no sense of closure — only continuity. Ten years may mark a milestone, but for CD Foundation, it is just the first chapter of a much bigger global story waiting to be written.

For more information you can visit https://www.cdfoundation.co.in/

 

चीन में पीएम मोदी और पुतिन की खास मुलाकात, एक दूसरे को लगाया गले, देखते रह गए शहबाज शरीफ

#chinascosummit202russianpresidentvladimirputinhugspmmodi

चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। तियानजिन से पीएम नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास तस्वीर सामने आई है। राष्ट्रपति पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी ने एक-दूसरे का गले लगाकर गर्मजोशी से अभिवादन किया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एससीसो मंच पर एक साथ नजर आए। इसकी तस्वीर सामने आई है। तीनों नेता आपस में बातचीत करते दिखे। इस दौरान तीनों देशों की ट्रायो डिप्लोमेसी देखने को मिली, यानी ये देश आपसी सहयोग बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।

पुतिन और मोदी की द्विपक्षीय बैठक से पहले हुई मुलाकात

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर दो तस्वीरें शेयर की। एक तस्वीर में मोदी पुतिन को गले लगाते नजर आ रहे हैं। दूसरी तस्वीर में दोनों नेता हाथ मिलाते हुए नजर आ रहे हैं। तस्वीर शेयर करते हुए पीएम मोदी ने लिखा कि राष्ट्रपति पुतिन से मिलना हमेशा खुशी की बात होती है। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच यह मुलाकात उनकी द्विपक्षीय बैठक से पहले हुई, जो पूर्ण सत्र के बाद होने वाली है।

मोदी-पुतिन-जिनपिंग कि तिकड़ी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एससीओ शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र से पहले कुछ समय साथ बिताया। इस दौरान तीनों ही नेता एक-दूसरे से हल्के फुल्के अंदाज में हंसी मजाक करते नजर आए। इस दौरान तीनों नेता हंसी ठहाके लगाते दिखाई दिए। इसके बाद पीएम मोदी और व्लादिमीर पुतिन एक साथ मंच की ओर चले गए। इस दौरान दोनों पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सामने से निकले, जो पहले से ही मंच पर फोटो सेशन के लिए खड़े थे। इस दौरान शहबाज की नजरें पीएम मोदी और पुतिन पर ही टिकी हुई थीं। उनके चेहरे से बेबसी के भाव साफ जाहिर हो रहे थे।

एससीओ का अब तक का सबसे बड़ा समिट

एससीओ समिट चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मेजबानी में हो रही है। यह एससीओ का अब तक का सबसे बड़ा समिट है, जिसमें 20 से अधिक देशों के नेता और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख शामिल हैं। सदस्य देशों में भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिजिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं, जबकि पर्यवेक्षक और संवाद साझेदार देशों में तुर्की, मालदीव, नेपाल, म्यांमार, मिस्र और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस जैसे नाम हैं।

समिट का फोकस क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, आतंकवाद विरोधी प्रयासों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर है। चीनी विदेश मंत्रालय के सहायक मंत्री लिउ बिन ने कहा कि शी जिनपिंग तियानजिन घोषणा जारी करेंगे, जो एससीओ के अगले 10 वर्षों की विकास रणनीति को रेखांकित करेगी।

ड्रैगन और हाथी साथ आएं…” पीएम मोदी से बोले शी जिनपिंग, क्या हैं चीनी राष्ट्रपति के बयान के मायने?

#chinaxijinpingstatementonindiachina_relations

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए चीन में हैं। भारत-चीन रिश्तों में बने हालात के बीच ये यात्रा बेहद महत्वपूर्ण है। पीएम मोदी ने एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से महत्वपूर्ण बैठक की। बैठक की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2.8 अरब लोगों का कल्याण भारत-चीन सहयोग से जुड़ा हुआ है। वहीं चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि ड्रैगन और हाथी को एक साथ आने की जरूरत है।

सात साल बाद चीन पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। दोनों के बीच 50 मिनट बातचीत हुई। दोनों नेताओं की मुलाकात तियानजिन में हुई, जहां चीनी राष्ट्रपति शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहे हैं। मोदी ने बातचीत के दौरान कहा, पिछले साल कजान में हमारी बहुत उपयोगी चर्चा हुई थी, जिससे हमारे संबंध बेहतर हुए। सीमा पर सैनिकों की वापसी के बाद, शांति और स्थिरता का माहौल बना है। सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों ने समझौता किया है। कैलाश मानसरोवर यात्रा दोबारा शुरू हो गई है और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें भी फिर से शुरू हो रही हैं। वहीं, चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि ड्रैगन (चीन) और हाथी (भारत) को साथ आना चाहिए। चीनी राष्ट्रपति ने बैठक के दौरान अपने संबोधन में कहा कि भारत और चीन के लिए सही विकल्प यह है कि दोनों दोस्त और साझेदार बनें।

ड्रैगन और हाथी एक साथ आएं-जिनपिंग

मीटिंग में जिनपिंग ने कहा कि पीएम मोदी से मिलकर खुशी हुई। जिनपिंग ने कहा, प्रधानमंत्री महोदय, आपसे फिर मिलकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। मैं शंघाई सहयोग संगठन शिर सम्मेलन के लिए चीन में आपका स्वागत करता हूं। उन्होंने आगे कहा, दोनों देशों के लिए यह सही है कि ऐसे साझेदार बनें जो एक-दूसरे की सफलता में सहायक हों। ड्रैगन और हाथी एक साथ आएं। चीन और भारत दो प्राचीन सभ्यताएं हैं। हम विश्व के दो सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं। हम ग्लोबल साउथ के भी अहम सदस्य हैं। हम दोनों अपने लोगों की भलाई के लिए जरूरी सुधार लाने और मानव समाज की प्रगति को बढ़ावा देने की ऐतिहासिक जिम्मेदारी निभाते हैं।

पीएम मोदी ने कही ये बात

इससे पहले पीएम मोदी ने गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए आभार जताते हुए कहा, मैं आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। पिछले वर्ष कजान में हमारी बहुत ही सार्थक चर्चा हुई थी। हमारे संबंधों को एक सकारात्मक दिशा मिली। सीमा पर सैनिकों की वापसी के बाद, शांति और स्थिरता का माहौल बना हुआ है। सीमा मुद्दे पर हमारे विशेष प्रतिनिधियों ने समझौता किया है। कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हुई है। दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट भी फिर से शुरू की जा रही है।

गलवान झड़प के बाद मोदी का पहला चीन दौरा

बता दें कि मोदी शनिवार शाम 2 दिन के जापान दौरे के बाद चीन पहुंचे थे। जून 2020 में हुई गलवान झड़प के बाद भारत-चीन के संबंध खराब हो गए थे। इस यात्रा का मकसद दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को कम करना भी है।

DR.Rashel Rice Water Face Wash:The Ancient Secret Your Skin Has Been Waiting For

Rice Water Face Wash

H/L: Rice Water Face Wash

The Ancient Secret Your Skin Has Been Waiting For

DR.Rashel Rice Water Face Wash is more than just another step in your skincare routine. It is a daily ritual that cleanses, refreshes, and pampers your skin, leaving it feeling soft, bright, and nourished. With every wash, it works to remove impurities while feeding your skin with the goodness of rice water, an ingredient that has been cherished for centuries for its beauty-enhancing properties.

A Beauty Secret Loved for Centuries

For generations, rice water has been a treasured part of beauty rituals in Asia. In Japan, women used rice water to maintain smooth, luminous skin. In Korea, it was common to rinse the face with rice water to brighten and soften the complexion. Even in ancient China, rice water was considered a royal beauty ingredient, valued for keeping skin supple and youthful.

This age-old tradition continues today with DR.Rashel’s Rice Water Face Wash, which blends this timeless ingredient with modern skincare expertise, making it perfect for everyday use in a busy lifestyle.

Benefits That Go Beyond Cleansing

This face wash is not just about removing dirt and oil. It is designed to improve the overall health and appearance of your skin. Rice water helps brighten dull skin and even out skin tone, making your complexion look more luminous over time. It has a natural soothing effect, which makes it suitable for sensitive skin and helps reduce redness or irritation. Its hydration-boosting properties ensure that your skin feels moisturised and soft after cleansing, rather than dry or tight.

The antioxidant content in rice water also provides protection against environmental stressors that can cause premature ageing. With regular use, you may notice fewer visible dark spots and a smoother, more refined skin texture.

The Experience of Using It

DR.Rashel Rice Water Face Wash has a creamy texture that lathers into a light foam. As you massage it onto your face, it gently lifts away makeup residue, excess oil, and impurities collected throughout the day. The rinse-off leaves your skin feeling refreshed and clean, yet comfortably hydrated. The subtle, fresh scent makes the experience feel soothing, turning a simple face wash into a calming self-care moment.

Perfect for Daily Use

Suitable for most skin types, this face wash can be used morning and evening. Use it as your wake-up refresh in the morning and as your gentle reset at night to wash away the day. Its gentle yet effective formula ensures your skin is cleansed without stripping essential moisture, making it safe for regular use. The rice water infusion keeps skin balanced and hydrated, so it never feels tight after washing. Over time, it supports a naturally radiant complexion that looks healthy, feels smooth, and stays protected against daily environmental stress.

एक दूसरे के और करीब आए भारत-चीन, चीनी विदेश मंत्री का बड़ा बयान, खतरा नहीं साझेदार बनना होगा

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकी के बीच भारत और चीन एक दूसरे के करीब आ रहे हैं। सीमा विवाद के बीच चीनी विदेश मंत्री वांग यी इस समय भारत की यात्रा पर हैं। भारत दौरे पर आए चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारत की तीन बड़ी परेशानियों को दूर करने का आश्वासन दिया है। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर को आश्वासन दिया कि चीन भारत की उर्वरकों, रेयर अर्थ मैटिरियल और सुरंग खोदने वाली मशीनों की जरूरतों को पूरा करेगा। सूत्रों के हवाले यह खबर सामने आई है।

एक-दूसरे को प्रतिद्वंदी के तौर पर देखने वाले भारत-चीन के रिश्तों में नया मोड़ आया है। भारत की यात्रा पर आए चीनी विदेश मंत्री वांग यी भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। सोमवार को एस. जयशंकर से मुलाकात के दौरान उन्होंने आश्वस्त किया है कि चीन रेयर अर्थ मिनरल, फर्टलाइजर्स और टनल बोरिंग मशीन का समाधान निकालने में भारत की मदद करेगा।सूत्रों के मुताबिक, चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर को आश्वासन दिया कि चीन भारत की उर्वरक, दुर्लभ मृदा और सुरंग खोदने वाली मशीनों की जरूरतों से जुड़ी तीन प्रमुख चिंताओं का समाधान करेगा।

एकजुटता का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए- वांग यी

वहीं, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और वांग की मुलाकात पर चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान में साफ तौर पर कहा गया है कि दुनिया में एकतरफा दबाव और धौंस जमाने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही हैं, जबकि मुक्त व्यापार और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। ऐसे में चीन और भारत को वैश्विक दृष्टिकोण दिखाने की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि बड़े देशों को जिम्मेदारी निभानी चाहिए और व्यापक विकासशील देशों के बीच एकजुटता का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए।

एक-दूसरे को दुश्मन नहीं, साझेदार के तौर पर देखना होगा- वांग यी

भारत-चीन के बीच रिश्तों को लेकर वांग यी ने कहा है कि निश्चित तौर पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम मोदी की मुलाकात ने चीन-भारत संबंधों को दोबारा शुरू करने में मदद की। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने इसे गंभीरता से लिया है और विभिन्न स्तरों पर संवाद और संपर्क धीरे-धीरे बहाल हो रहे हैं। चीनी विदेश मंत्री ने बड़ा संदेश देते हुए कहा है कि चीन और भारत को एक-दूसरे को दुश्मन नहीं, साझेदार के तौर पर देखना होगा। दोनों पक्ष 75 वर्षों के राजनयिक अनुभव और सबक से गंभीरता से सीखें और रणनीतिक दृष्टिकोण विकसित करें। चीन और भारत आपसी विश्वास बनाए रखें और बाहरी हस्तक्षेपों को दूर करें।

एस जयशंकर ने क्या कहा?

इससे पहले विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने अपने प्रारंभिक वक्तव्य में कहा कि बातचीत में आर्थिक और व्यापारिक मुद्दे, तीर्थयात्रा, लोगों से लोगों के बीच संपर्क, नदी डेटा साझाकरण, सीमा व्यापार, संपर्क और द्विपक्षीय आदान-प्रदान शामिल होंगे। विदेश मंत्री ने इस साल जुलाई में अपनी चीन यात्रा के दौरान उठाई गई चिंताओं पर आगे चर्चा की। विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया था कि पड़ोसी देशों और दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, भारत-चीन संबंधों के विविध पहलू और आयाम हैं। उन्होंने कहा, इस संदर्भ में यह भी जरूरी है कि प्रतिबंधात्मक व्यापार उपायों और बाधाओं से बचा जाए। भारत और चीन के बीच स्थिर और रचनात्मक संबंध न केवल हमारे बल्कि पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद हैं। यह पारस्परिक सम्मान, हित और संवेदनशीलता के आधार पर संबंधों को संभालने से ही संभव है।

ट्रंप के टैरिफ वॉर पर भारत के साथ खुलकर आया चीन, अमेरिका को लगाई लताड़

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डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक कार्यकारी आदेश जारी कर भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया दिया है। जिसके बाद कुल लेवी (टैरिफ) 50% तक बढ़ गई है। यही नहीं ट्रंप ने सेकेंडरी प्रतिबंध लगाने की भी धमकी दी है। साथ ही डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि टैरिफ पर विवाद सुलझने तक भारत के साथ कोई व्यापार वार्ता नहीं होगी। टैरिफ कतो लेकर अमेरिका के साथ बढ़ते विवाद के बीच चीन ने खुलकर भारत का समर्थन किया है।

चीन की अमेरिका को दो टूक

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता गुओ जैकून ने कहा कि अमेरिका रूसी तेल लेने पर भारत के खिलाफ टैरिफ लगाकर इसका दुरुपयोग कर रहा है। टैरिफ को लेकर चीन की एक स्‍पष्‍ट नीति है और इसका विरोध करता है। चीनी प्रवक्‍ता ने कहा कि अमेरिका तकनीक और ट्रेड के मुद्दों को हथियार के रूप में इस्‍तेमाल कर रहा है।

भारत में चीनी राजदूतका तंज

इससे पहले भारत में चीनी राजदूत ने एक्‍स पर एक पोस्‍ट करके अमेरिका पर कड़ा हमला बोला था। शू ने ट्रंप का नाम लिए बिना कहा, 'बुली को एक इंच दो तो वह एक मील ले लेगा।' उनकी इस टिप्‍पणी को भारत और ब्राजील को चीन के समर्थन से जोड़कर देखा जा रहा है। भारत की तरह से ही ब्राजील भी 50 फीसदी अमेरिकी टैरिफ का सामना कर रहा है। यह अमेरिका की ओर से किसी ट्रेडिंग पार्टनर पर लगाया गया सबसे ज्‍यादा टैरिफ है।

भारत ने अपनाया कड़ा रुख

वहीं, अमेरिका के टैरिफ लगाने के फैसले पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई। भारत ने आधिकारिक बयान में कहा कि अमेरिका का यह कदम अनुचित, अन्यायपूर्ण और गैरवाजिब है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि 'यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका ने भारत पर ऐसे कदमों के लिए अतिरिक्त शुल्क लगाने का निर्णय लिया है जब कई अन्य देश भी अपने राष्ट्रीय हित में ऐसे कदम उठा रहे हैं। हम दोहराते हैं कि ये कदम अनुचित, अन्यायपूर्ण और अविवेकपूर्ण हैं। भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।

किस बात से भड़के हैं ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर कुल 50% टैरिफ लगाने का ऐलान करते हुए कहा है कि भारत, रूस से तेल खरीदने के मामले में चीन के बहुत करीब है। ऐसे में अमेरिका इससे निपटने के लिए सेकेंडरी प्रतिबंधों की ओर बढ़ेगा। व्हाइट हाउस में एक प्रेस कांफ्रेंस में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं कि हमने भारत पर रूसी तेल के लिए 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। वे रूस से तेल खरीद में चीन के काफी करीब है।

प्रेस कांफ्रेंस में जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या रूस-यूक्रेन के साथ समझौता हो जाने पर वे भारत से टैरिफ हटा सकते हैं? इस पर ट्रंप ने जवाब दिया कि फिलहाल तो भारत 50% टैक्स देगा, आगे क्या होगा, देखा जाएगा। जब अमेरिकी राष्ट्रपति से पूछा गया कि चीन और तुर्की भी रूस से तेल खरीद रहे हैं, तो फिर भारत पर ही इतनी बड़ी कार्रवाई क्यों? इस पर ट्रंप ने कहा, अभी भारत पर टैरिफ लगाए सिर्फ 8 घंटे हुए हैं, आगे आप बहुत कुछ देखेंगे, सेकेंडरी प्रतिबंधों की बाढ़ आएगी।

राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार, पूछा-आपको कैसे पता चला चीन ने जमीन हड़प ली

#supremecourtrapsrahulgandhioverchinaoccupiedbyindianterritory_comment

सुप्रीम कोर्ट ने एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से तीखे सवाल पूछे। कोर्ट ने उनसे पूछा, आपको कैसे पता है कि चीन ने भारत की जमीन हड़प ली है? सुप्रीम कोर्ट ने 9 दिसंबर, 2022 को भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच झड़प के बाद भारतीय सेना पर उनकी कथित टिप्पणी को लेकर लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की फजीहत की है। राहुल गांधी ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान भारतीय सेना के बारे में कथित तौर पर ये टिप्पणी की थी, जिसमें उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज किया गया।

भारतीय सेना पर कथित टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सासंद को बड़ी राहत दी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से चीन के भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने को लेकर दिए गए बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। अदालत ने कहा कि जब सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति है, तब विपक्ष के नेता को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था।

राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट की बड़ी नसीहत

जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने यह आदेश दिया। सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता ने को नसीहत भी दी। जस्टिस दीपांक दत्ता ने राहुल गांधी से पूछा, ‘भारतीय होने की वजह से आपकी टिप्पणी ठीक नहीं। आपको कैसे पता चला कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर कब कब्जा कर लिया? विश्वसनीय जानकारी क्या है? एक सच्चा भारतीय ऐसा नहीं कहेगा। जब सीमा पार कोई विवाद हो तो क्या आप ये सब कह सकते हैं?

संसद में सवाल क्यों नहीं किया?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आखिर आपने यह संसद में क्यों नहीं कहा और सोशल मीडिया पर क्यों कहा? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपके पास भले ही अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता है, लेकिन यह क्यों कहा। एक सच्चे भारतीय के तौर पर सेना को लेकर क्या ऐसी टिप्पणी करनी चाहिए? आप एक जिम्मेदार नेता हैं।

राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत भी

सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान राहुल गांधी को मानहानि केस में राहत भी प्रदान की है। इस संबंध में निचली अदालत में आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने लखनऊ ट्रायल कोर्ट के समन पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है। दरअसल, मई में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ की एमपी-एमएलए अदालत की ओर से पारित समन आदेश को चुनौती देने वाली राहुल गांधी की याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। यहां राहुल गांधी को राहत मिल गई।

ट्रंप के बाद NATO ने दी भारत को धमकी, 100% टैरिफ लगाने का दिखाया डर

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नाटो चीफ मार्क रूट ने भारत को रूस के साथ संबंधों को लेकर खुली चेतावनी दी और कहा कि अगर वह रूस के साथ व्यापार जारी रखता है तो गंभीर आर्थिक दंड (सेकंडरी सैंक्शन) का सामना करना पड़ सकता है। नाटो महासचिव मार्क रूट ने कहा कि अगर आप चीन के राष्ट्रपति, भारत के प्रधानमंत्री या ब्राजील के राष्ट्रपति हैं, तो यह समझें कि रूस के साथ व्यापार जारी रखने का भारी नुकसान हो सकता है।

100% सेकेंडरी प्रतिबंध की धमकी

रूट ने बुधवार को अमेरिकी सीनेटरों से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इन तीनों देशों को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव डालना चाहिए, ताकि वह शांति वार्ता को गंभीरता से लें। रूट ने तीनों देशों पर सेकेंडरी प्रतिबंध लगाने की भी धमकी दी है। उन्होंने कहा कि अगर ये देश रूस से तेल और गैस खरीदना जारी रखते हैं तो इन देशों पर 100% सेकेंडरी प्रतिबंध लगाए जाएंगे।

पुतिन से बात करने की अपील

रूट ने भारत और दोनों अन्य देशों के नेताओं से पुतिन से शांति वार्ता के लिए सीधे तौर पर आग्रह करने अपील की। उन्होंने कहा, 'प्लीज व्लादिमीर पुतिन को फोन करें और उन्हें बताएं कि उन्हें शांति वार्ता को लेकर गंभीर होना होगा, वरना इसका ब्राजील, भारत और चीन पर बड़े पैमाने पर असर होगा।

जानें रूस ने क्या कहा?

वहीं, रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेई रियाबकोव ने अमेरिका और नाटो की धमकियों को खारिज किया। उन्होंने कहा, रूस ट्रंप के साथ बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन इस तरह के अल्टीमेटम मंजूर नहीं हैं। रियाबकोव ने कहा कि रूस आर्थिक दबाव के बावजूद अपनी नीतियां नहीं बदलेगा और ऑप्शनल बिजनेस रूट तलाशेगा।

नाटो महासचिव की यह चेतावनी उस समय आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन को नए हथियार देने और रूस के व्यापारिक साझीदारों पर भारी टैक्स लगाने की घोषणा की है। अमेरिका अब यूक्रेन को पैट्रियट मिसाइल जैसे आधुनिक हथियार देने वाला है, ताकि वह रूस के हमलों से बच सके।

क्या होता है सेकेंडरी टैरिफ?

सेकेंडरी टैरिफ सीधे प्रतिबंधित देश पर नहीं, बल्कि उसके साथ व्यापार करने वाले देशों या कंपनियों पर लगाए जाते हैं। इसे एक उदाहरण से समझिए। मान लें कि अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगा रखा है। अगर अब भारत रूस से तेल खरीदता है, तो अमेरिका भारत पर इसकी सजा के तौर पर द्वितीयक टैरिफ लगा सकता है। इसका उद्देश्य प्रतिबंधित देश को आर्थिक चोट पहुंचाना होता है, क्योंकि टैरिफ के डर से व्यापार से बचने लगते हैं।

सेकेंडरी प्रतिबंध का भारत पर क्या असर होगा?

भारत रूस से कच्चे तेल का एक बड़ा खरीदार है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदकर अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया है। अगर सेकेंडरी प्रतिबंध लागू होते हैं, तो भारत पर इसके बुरे प्रभाव पड़ सकते हैं।

-तेल आपूर्ति में रुकावट: भारत रूस से अपनी कुल तेल आयात का एक बड़ा हिस्सा खरीदता है। प्रतिबंधों के कारण रूसी तेल की आपूर्ति रुक सकती है। इससे भारत को वैकल्पिक स्रोतों (जैसे सऊदी अरब, इराक) से महंगा तेल खरीदना पड़ सकता है, जिससे तेल की कीमतें बढ़ेंगी।

-आर्थिक नुकसान: अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद करता है, तो ईंधन की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका असर आम जनता पर पड़ेगा। अगर भारत रूस के साथ व्यापार जारी रखता है, तो अमेरिका भारतीय कंपनियों या बैंकों पर प्रतिबंध लगा सकता है, जिससे भारत का निर्यात और वित्तीय लेनदेन प्रभावित होगा।

-ऊर्जा संकट: रूस से तेल आयात बंद होने पर भारत की ऊर्जा सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। वैश्विक तेल बाजार पहले से ही अस्थिर है, और नए प्रतिबंध इस स्थिति को और बिगाड़ सकते हैं।

चीन जाने वाले हैं एस जयशंकर, जानें गलवान झड़प के बाद क्यों खास है विदेश मंत्री का ये पहला दौरा

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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद अब विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर भी अगले सप्ताह चीन की यात्रा पर जा रहे हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने के लिए 13 जुलाई के आसपास चीन का दौरा करेंगे। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 2020 के सैन्य गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव आने के बाद विदेश मंत्री जयशंकर की यह पहली चीन यात्रा होगी।

इस साल एससीओ की अध्यक्षता चीन कर रहा है। चीन एससीओ का वर्तमान अध्यक्ष है और वह समूह की बैठकों की मेजबानी कर रहा है। विदेश मंत्री जयशंकर की यह यात्रा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए चीनी शहर चिंगदाओ की यात्रा के कुछ ही हफ्तों बाद हो रही है। इस समिट में शामिल होने के लिए विदेश मंत्री एस जशंकर चीन की यात्रा करेंगे।

चीनी विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक की भी संभावना

विदेश मंत्री एस जयशंकर की 14 और 15 जुलाई को तिआनजिन में आयोजित एससीओ के विदेश मंत्रियों की काउंसिल बैठक में शामिल होने से पहले बीजिंग में अपने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की संभावना है। दोनों देश के विदेश मंत्रियों के बीच होने वाली यह बैठक भारत और चीन के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच चल रही उन सीरिज बैठकों का हिस्सा होगी, जिसका मकसद दोनों देश के द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करना और लंबे समय से जारी सीमा विवाद का समाधान ढूंढना है।

गलवान घाटी की हिंसा के बाद जयशंकर का पहला दौरा

यह दौरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह गलवान घाटी की हिंसक झड़प (जून 2020) के बाद जयशंकर की पहली चीन यात्रा होगी। इससे पहले वे अपने चीनी समकक्ष से विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर मिलते रहे हैं, लेकिन यह दौरा द्विपक्षीय संबंधों की बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

पांच साल में पहली बार प्रतिनिधिमंडल स्तर पर बैठक

विदेश मंत्री का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत-चीन संबंधों को सामान्य करने की दिशा में कई उच्चस्तरीय मुलाकातें हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अक्टूबर 2023 में रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान हुई द्विपक्षीय बैठक ने इस प्रक्रिया को गति दी। यह बैठक पांच वर्षों में पहली बार प्रतिनिधिमंडल स्तर पर हुई थी। इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बीजिंग का दौरा किया और विभिन्न जटिल मुद्दों पर गहन चर्चा की।

चीन बढ़ा रहा भारत की टेंशनः पाकिस्‍तान-तालिबान के साथ मिलकर चली नई चाल, काबुल तक होगा CPEC का विस्‍तार

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चीन ये तो अच्छी तरह जानता है कि भारत का मुकाबला करने के लिए उसे साथियों की जरूरत है। यही कारण है कि चीन ने भारत को टेंशन देने वाली बड़ी चाल चली है। भारत के खिलाफ पाकिस्तान के साथ खुलकर खड़े होने के बाद चीन एक और साजिश कर रहा है। चीन, पाकिस्तान और तालिबान के बीच सुलह समझौता करवाने में जुटा है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के साथ खड़ी तालिबान सरकार को चीन साधने में लगा हुआ है। बुधवार को चीन-पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने एक बड़ा फैसला लिया है, भारत की टेंशन बढ़ाने वाला है।

बुधवार को इशाक डार ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी और अफगानिस्तान के अंतरिम विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की। इस दौरान बीजिंग की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल के तहत बन रहे चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को अफगानिस्तान तक विस्तारित करने पर सहमति व्यक्त की गई। 

बैठक के बाद इशाक डार ने कहा, पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और विकास के लिए एक साथ खड़े हैं। उन्होंने तीनों नेताओं की एक साथ तस्वीर भी साझा की। इशाक डार ने सोशल मीडिया पर लिखा कि पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान क्षेत्रीय शांति और विकास के लिए एकजुट हैं। बैठक में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को बढ़ावा देने और सीपीईसी को अफगानिस्तान तक ले जाने का फैसला हुआ। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और क्षेत्र में स्थिरता के लिए भी प्रतिबद्धता जताई गई है।

पाकिस्‍तान-तालिबान का तनाव कम करने की कोशिश

पाकिस्तान के विदेश मंत्री तीन दिवसीय बीजिंग यात्रा पर हैं, जो भारत द्वारा पाकिस्तान और इसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी स्थलों को निशाना बनाकर शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पहली उच्चस्तरीय वार्ता है। इस बैठक में सीपीईसी को लेकर चर्चा भले हुई है, लेकिन असल में इसे चीन की अपने पक्के दोस्त पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच तनाव कम कराने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

क्या चाहता है चीन?

-चीन की कोशिश है कि फिर से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच पुराने रिश्ते बहाल हो. दोनों ही देश आपसी भाईचारे के साथ रहे. पिछले कुछ सालों से तालिबान और पाकिस्तान के बीच के रिश्ते ठीक नहीं चल रहे है.

-चीन की कोशिश अपना व्यापार अफगानिस्तान तक बढ़ाने की है. इसी कड़ी में चीन ने अफगानिस्तान में CPEC प्रोजेक्ट को विस्तार करने का फैसला किया है. यह प्रोजेक्ट अभी पाकिस्तान में है.

-चीन की कोशिश भारत को अफगानिस्तान में रोकने की है. 10 मई को काबुल में जो बैठक हुई थी, उसमें चीन और पाकिस्तान ने तालिबान से कहा था कि भारत को सिर्फ कूटनीतिक दायरे तक सीमित किया जाए

नई दिल्ली-काबुल के सुधरते रिश्तों पर चीन का बुरी नजर

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंधों को सुधारने की कोशिश ऐसे समय में हो रही है, जब नई दिल्ली और काबुल के रिश्ते हाल के दिनों में तेजी से गहरे हुए हैं। बीती 15 मई को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कार्यवाहक अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से बात की थी, जिसमें दोनों देशों ने एक दूसरे के साथ सहयोग को और गहरा करने पर चर्चा की थी। यह अफगानिस्तान में तालिबान प्रशासन की वापसी के बाद पहली मंत्री स्तरीय बातचीत थी। ऐसे में सवाल है कि क्या चीन की कोशिश के बाद तालिबान पाकिस्तान को लेकर नरम रुख अपनाएंगे।