2027 तक उत्तर प्रदेश को बाल श्रम मुक्त बनाने का संकल्प – देवीपाटन मंडल में हुई एक दिवसीय कार्यशाल

16 सितम्बर, 2025 प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2027 तक उत्तर प्रदेश को बाल श्रम मुक्त बनाने के संकल्प को साकार करने के उद्देश्य से तैयार की गई कार्ययोजना के प्रभावी क्रियान्वयन तथा बाल श्रम उन्मूलन एवं पुनर्वास जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर आज एक दिवसीय मंडलीय कार्यशाला का आयोजन आयुक्त सभागार में किया गया। इस कार्यशाला की अध्यक्षता मण्डलायुक्त द्वारा की गयी। कार्यक्रम में यूनिसेफ के प्रतिनिधियों, विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों तथा सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।
कार्यशाला में वक्ताओं ने कहा कि बाल श्रम समाज और राष्ट्र की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है। शिक्षा हर बच्चे का मौलिक अधिकार है और किसी भी बच्चे को मजदूरी में लगाना कानूनन अपराध है। यह आवश्यक है कि समाज का प्रत्येक वर्ग इस लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाए। केवल सरकारी प्रयास ही पर्याप्त नहीं होंगे, बल्कि समाज, परिवार और स्वयंसेवी संगठनों की भी सहभागिता जरूरी है।
इस अवसर पर कार्यशाला में आए सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों को आयुक्त ने निर्देशित किया कि प्रदेश सरकार का लक्ष्य वर्ष 2027 तक बाल श्रम मुक्त उत्तर प्रदेश का निर्माण करना है। इस दिशा में सभी सम्बन्धित विभाग आपस में समन्वय स्थापित करें और बाल श्रम रोकथाम एवं पुनर्वास योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करें। अभिभावकों से संवाद कर उन्हें समझाया जाए कि बच्चों को मजदूरी में लगाने के बजाय शिक्षा से जोड़ना ही उनके उज्ज्वल भविष्य का मार्ग है।
आगे मंडलायुक्त ने अपने संबोधन में कहा कि बच्चे समाज का भविष्य होते हैं और उनके बचाव व पुनर्वास के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बाल श्रम को समाप्त करने के लिए नियोक्ताओं, ट्रेड यूनियनों और व्यापारी समुदायों का सहयोग आवश्यक है। निर्माण श्रमिकों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने वाले अटल आवासीय विद्यालयों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि इससे बाल श्रमिकों के बच्चों को बेहतर अवसर मिलते हैं। उन्होंने बाल श्रम की रोकथाम, बचाव और पुनर्वास के लिए जिलों में नियमित बैठकें आयोजित करने पर भी बल दिया। उन्होंने कहा सभी विभागीय अधिकारी आपसी समन्वय बनाकर बाल श्रम के विरुद्ध कार्य करें और किसी भी स्तर पर लापरवाही न हो। कार्यमुक्त कराए गए बच्चों का पूरा डाटा सुरक्षित रखा जाए और उसका नियमित अद्यतन किया जाए।
बालश्रम से मुक्त कराने के बाद बच्चों का तत्काल रजिस्ट्रेशन भरवाकर उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाए। प्रत्येक बच्चे को शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और कौशल विकास से जुड़ी योजनाओं का लाभ अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाए।
विशेषज्ञों का मार्गदर्शन
वी वी गिरी संस्थान की पूर्व वरिष्ठ फेलो डॉ. हेलेन आर. सेकर ने बाल श्रम से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने उत्तर प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों जैसे पीतल, ताला, कालीन और कांच उद्योगों में बाल श्रम की स्थिति और उसके कारणों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया।
डॉ. सेक्टर ने कहा कि बाल श्रम से मुक्त बच्चों को मौलिक मानवाधिकार प्राप्त होते हैं, जो भारतीय संविधान और अंतरराष्ट्रीय संधियों में निहित हैं। उन्होंने बाल श्रम से जुड़ी चुनौतियों, प्रवृत्तियों और संवैधानिक- कानूनी ढांचे पर भी विस्तार से जानकारी दी।
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