एनडीए विधायक दल के नेता चुने गए नीतीश कुमार, कल 10वीं बार लेंगे सीएम पद की शपथ

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जनता दल यूनाइटेड सुप्रीमो नीतीश कुमार को सर्वसम्मति से एनडीए विधायक दल का नेता चुना गया है। अब नीतीश कुमार एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन गुरुवार को होगा। पटना में विधानसभा के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की बैठक हुई। इसमें भारतीय जनता पार्टी, जनता दल यूनाईटेड, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा, लोक जनशक्ति पार्टी के सभी नव निर्वाचित विधायक और नीतीश कुमार, चिराग पासवान, संतोष सुमन, उपेंद्र कुशवाहा, सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा मौजूद रहे।

सम्राट चौधरी ने रखा प्रस्ताव

भारतीय जनता पार्टी विधायक दल के नेता चुने गए सम्राट चौधरी ने बुधवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव रखा। जिसके बाद एनडीए के तमाम नेताओं ने सर्वसम्मति से नीतीश कुमार के नाम पर मुहर लगाई। इसी के साथ ही नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बनना तय हो गया।

एनडीए के घटक दलों ने भी चुनाव अपना नेता

इससे पहले एनडीए के प्रमुख घटक दलों ने बुधवार को अपने-अपने विधायक दल के नेताओं का चयन किया। जदयू के विधायकों की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विधायक दल का नेता चुना गया। वहीं, भाजपा के नवनिर्वाचित विधायकों ने एक बैठक में वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता और विजय सिन्हा को उपनेता चुना। दोनों दलों ने यह जानकारी दी गई। इसके बाद एनडीए ने भी नीतीश कुमार के नाम पर अपनी मुहर लगा दी।

आजमगढ़:- गैंगस्टर अभियुक्त की जमीन हुई कुर्क, फूलपुर कोतवाली के मानपुर गांव का निवासी मंगरु उर्फ मंगला गैंगस्टर का है आरोपी

-गैंगस्टर के आरोपी के ऊपर 3 मुकदमे हैं दर्ज, 11 लाख से ऊपर की संपत्ति की गई कुर्क

वी कुमार यदुवंशी
आजमगढ़। फूलपुर कोतवाली के ग्राम पंचायत मानपुर निवासी मंगरु उर्फ मंगल पुत्र नईम की जमीन को न्यायालय के आदेश पर पवई पुलिस के द्वारा कुर्क किया गया है । जमीन की कीमत 11 लाख 39 हजार 295 की कीमत बताई गई है । वांछित अभियुक्त फूलपुर कोतवाली में गैंगेस्टर का आरोपी है । आजमगढ़ जिले में गोवध और पशुक्रूरता के मामले में कुल 3 मुकदमे दर्ज है । फूलपुर कोतवाली में गैंगस्टर का आरोपी मंगरु उर्फ मंगल पुत्र नईम की विवेचना थानाध्यक्ष पवई प्रदीप कुमार मिश्रा कर रहे थे । न्यायालय के आदेश पर एसडीएम फूलपुर अशोक कुमार ,क्षेत्राधिकारी फूलपुर किरन पाल सिंह ,तहसीलदार राजू कुमार और थानाध्यक्ष पवई प्रदीप मिश्रा ने फूलपुर कोतवाली के मानपुर निवासी मंगरु उर्फ मंगल पुत्र नईम की जमीन को डुगडुगी पिटवा कर कुर्क कर लिया । क्षेत्राधिकारी फूलपुर किरन पाल सिंह ने बताया की मंगरु उर्फ मंगल पुत्र नईम के ऊपर जिले के कई थानों में गोवध और पशुक्रूरता के मामले में 3 मुकदमे दर्ज है । फूलपुर कोतवाली में गैंगस्टर का आरोपी है जिसकी थानाध्यक्ष पवई प्रदीप कुमार मिश्रा विवेचना कर रहे थे । न्यायालय के आदेश पर वांछित अभियुक्त की जमीन मानपुर गांव में कुर्क की गई है । कुर्क की गई जमीन की कीमत 11 लाख 39 हजार 295 आंकी गयी है । इस अवसर पर तहसीलदार राजू कुमार , फूलपुर महिला उपनिरीक्षक प्रियंका तिवारी ,वासुदेव मिश्रा,उमाशंकर यादव आदि लोग रहे ।
कन्नौज : लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे पर डिवाइडर से टकराकर पलटी डबल डेकर स्लीपर बस, करीब 40 यात्री घायल

पंकज कुमार श्रीवास्तव

लखनऊ आगरा एक्सप्रेस वे पर एक सड़क हादसा हो गया । दिल्ली से गोंडा जा रही डबल डेकर स्लीपर बस डिवाइडर से टकराकर पलट गई जिसमें करीब 40 यात्री घायल हो गए । जिन्हें इलाज के लिए कन्नौज के तिर्वा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया । जहां पर सभी का इलाज चल रहा है । वहीं हादसे का कारण ड्राइवर को झपकी आने के कारण होना बताया जा रहा है ।

बताते चले कि लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे के 210 किलोमीटर ठठिया थाना क्षेत्र के बहुसूइयां गांव के पास सुबह 4:30 बजे दिल्ली से गोंडा जा रही डबल डेकर स्लीपर बस डिवाइडर से टकराकर पलट गई । इसके बाद वहां चीख पुकार मच गई । हादसे की जानकारी होते ही यूपीडा के कर्मचारी और पुलिस मौके पर पहुंच गए। जहां उन्होंने बस में फंसे लोगों को बाहर निकाल कर तिर्वा के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। बताया जा रहा है कि करीब 40 यात्री इस हादसे में घायल हुए जिनका इलाज चल रहा है। वहीं हादसे का कारण ड्राइवर को झपकी आने के कारण होना बताया जा रहा है ।

हादसे की जानकारी देते हुए तिर्वा मेडिकल कॉलेज के सीएमएस डॉक्टर दिलीप ने बताया कि लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे के 210 किलोमीटर पर सुबह 4:30 पर एक डबल डेकर स्लीपर बस डिवाइडर से टकराकर पलट गई जिसमें 40 यात्रियों को मेडिकल कॉलेज में लाया गया जहां उनका इलाज चल रहा है ।

वोट चोरी' को लेकर पूर्व नौकरशाहों और जजों के निशाने पर राहुल गांधी, 272 हस्तियों ने लिखा ओपन लेटर

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कांग्रेस की ओर से चुनाव आयोग के खिलाफ लगार बयानबाजी जारी है। चुनाव आयोग पर लगाए गए गंभीर आरोपों को लेकर 272 हस्तियों ने खुला खत लिखा है। इन हस्तियों ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी द्वारा चुनाव आयोग पर बार-बार किए जा रहे हमलों को लेकर भी अपनी चिंता जाहिर की है। इन हस्तियों में 16 जज, 14 राजदूतों सहित 123 सेवानिवृत्त नौकरशाह और 133 सेवानिवृत्त सशस्त्र बल अधिकारी शामिल हैं।

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जनता का भरोसा कमजोर करने की कोशिश का आरोप

देश के 272 पूर्व शीर्ष अधिकारियों, जजों, राजनयिकों और सेना के अफसरों ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इन लोगों ने एक खुला पत्र जारी कर कहा कि कांग्रेस और राहुल गांधी 'चुनाव आयोग सहित संवैधानिक संस्थाओं में जनता का भरोसा कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।

“यह दिखाने की कोशिश कि देश की संस्थाएं ठीक तरह काम नहीं कर रहीं”

समूह ने पत्र जारी कर कहा है कि ये आरोप राजनीतिक हताशा को संस्थागत संकट की आड़ में छिपाने की कोशिश है। 'Assault on National Constitutional Authorities' नाम के टाइटल वाले पत्र में कहा गया कि कुछ विपक्षी नेता 'जहरीली बयानबाजी' और 'बिना सबूत के आरोपों' के जरिए यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि देश की संस्थाएं ठीक तरह काम नहीं कर रहीं।

“न्यायपालिका, संसद के बाद चुनाव आयोग की बारी”

पत्र में लिखा है, पहले उन्होंने भारतीय सेना की बहादुरी पर सवाल उठाए, फिर न्यायपालिका, संसद और संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को निशाना बनाया और अब चुनाव आयोग की बारी आ गई है। पत्र में राहुल गाँधी पर सीधा हमला करते हुए लिखा गया है, लोकसभा में विपक्ष के नेता ने बार-बार चुनाव आयोग पर हमला करते हुए दावा किया है कि उनके पास सबूत है कि चुनाव आयोग वोट चोरी करा रहा है और उनकी बात 100% प्रमाणित है। उन्होंने यहाँ तक कहा कि अगर मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त रिटायर भी हो जाएँ, तो वह उन्हें भी छोड़ेंगे नहीं।

कोई औपचारिक शिकायत नहीं करवाने पर उठाया सवाल

आगे पत्र में कहा गया है, इतने गंभीर आरोप लगाने के बावजूद उन्होंने अब तक कोई औपचारिक शिकायत, या शपथपत्र के साथ, दर्ज नहीं कराई। जिससे उन्हें अपनी बात के लिए जवाबदेह न होना पड़े।

“राजनीतिक हताशा को संस्थागत संकट का रूप देने का प्रयास”

पत्र में कहा गया है कि कांग्रेस और अन्य दलों के कई नेता, वाम समर्थित NGOs, कुछ अकादमिक और चर्चा में बने रहने वाले लोग भी इसी तरह की आक्रामक बयानबाज़ी कर रहे हैं। लेकिन चुनाव आयोग अपने SIR मॉडल की पद्धति सार्वजनिक कर चुका है, न्यायालय की निगरानी में सत्यापन हुआ है, और पात्र मतदाताओं को जोड़ने व अपात्रों को हटाने की प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से की गई। ऐसे में यह आरोप सिर्फ राजनीतिक हताशा को संस्थागत संकट का रूप देने का प्रयास लगता है।

पर्यटन मंत्री आवास के पास मां-बेटे ने  सुसाइड करने का किया प्रयास, मचा हड़कंप
लखनऊ । राजधानी में खुदकुशी करने वाले आये दिन लखनऊ पहुंच रहे है। बुधवार को मथुरा से पहुंचे मां और बेटे ने पर्यटन मंत्री आवास के पास आत्महत्या करने की कोशिश की। इससे मौके पर हड़कंप मच गया। चूंकि दोनों जहर खाने के बाद सड़क पर तड़प रहे थे। यह देखकर वहां पर तैनात सुरक्षा कर्मियों व राहगीरों के होश उड़ गए और फौरन पुलिस को सूचित किया।

पुलिस ने दोनों को सिबल अस्पताल में कराया भर्ती

आज सुबह लगभग 11:30 बजे, राधारानी टाउनशिप, बरसाना की निवासी  मुनेश सिंह (55 वर्ष) और उनके पुत्र बलजीत सिंह (38 वर्ष) ने कथित प्लॉट विवाद के चलते जहरीला पदार्थ खा लिया।मौके पर स्थिति गंभीर होने लगी, जिससे पुलिस को सूचना दी गई। चौकी इंचार्ज बंदरिया बाग, उप निरीक्षक आदित्य सिंह, मय पुलिस बल तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे और दोनों को तत्काल सिविल अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल सूत्रों के अनुसार, दोनों का इलाज चल रहा है और उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।

मथुरा जनपद का मामला, प्लॉट पर कब्जा को लेकर है परेशान

जानकारी के अनुसार, विवाद मथुरा में किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा उनके प्लॉट पर कब्जा कर लिया है। इसकी शिकायत स्थानीय स्तर पर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार कर चुकी है लेकिन कहीं पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जिसकी वजह से लंबे समय तक मानसिक तनाव और न्याय न मिलने की भावना के कारण मां-बेटे ने यह गंभीर कदम उठाया।जनपद मथुरा पुलिस से भी संपर्क किया जा रहा है और मामले की पूरी जांच शुरू कर दी गई है। प्रशासन और पुलिस ने दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और परिवार को राहत देने के लिए तत्काल कदम उठाए हैं।पुलिस पूरे मामले की छानबीन करने में जुट गई है। परिजनों को भी फोन करके सूचित कर दिया गया है।
. विद्यासागर उपाध्याय : दो नये महाग्रंथों के साथ 20 दार्शनिक कृतियों का दिव्य शिखर
संजीव सिंह बलिया| भारतीय बौद्धिक–परंपरा में समय–समय पर ऐसे मनीषी अवतरित होते रहे हैं, जिनकी सोच केवल अपने युग को नहीं, आने वाली सहस्राब्दियों को दिशा देती है। समकालीन भारत में ऐसा ही एक तेजस्वी नाम है—डॉ. विद्यासागर उपाध्याय, जिनके द्वारा लिखित 20 महत्वपूर्ण ग्रंथ भारतीय दर्शन, समाज–चिंतन और राष्ट्रीय विमर्श के क्षेत्र में अमूल्य योगदान हैं। भारतीय ज्ञानपरंपरा के आकाश में यह तारा अत्यन्त उज्ज्वल हो उठा है, जिसे समकालीन युग “विद्या–सरस्वती का जीवंत पुरुष विस्तार” कहकर श्रद्धा प्रकट करता है। डॉ. उपाध्याय के ग्रंथों की विलक्षणता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि अनेक कृतियाँ 800 पृष्ठों के ज्ञान-हिमालय की तरह खड़ी हैं, जबकि अन्य 300 पृष्ठों में भी “गागर में सागर” भर देती हैं। कई ग्रंथों के मूल्य 1000 रुपये से अधिक होने पर भी पाठकों का अटूट अनुराग, उनकी लेखनी की स्वर्ण-तुल्य गुणवत्ता का प्रमाण है। उनके 100 से अधिक शोध-आलेख देश-विदेश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। भारतवर्ष के समस्त प्रान्त व अनेक अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संस्थान उन्हें मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित करते रहे हैं। उनकी ओजस्वी वाणी, व्यापक दृष्टि और विश्लेषण की तीक्ष्णता श्रोताओं पर अमिट छाप छोड़ती है। अब तक उन्हें सैकड़ों राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सम्मान/उपाधि प्राप्त हैं—जो उनकी प्रज्ञा, तपस्या और दार्शनिक ऊँचाई का प्रमाण है। मात्र 39 वर्ष की आयु में 20 दार्शनिक ग्रंथों का विरल शिखर स्पर्श करने वाले, अंतरराष्ट्रीय वक्ता, मौलिक चिंतक, प्रसिद्ध शिक्षाविद् और शोध-प्रज्ञा के आलोक–पुंज डॉ. विद्यासागर उपाध्याय ने वर्तमान में बौद्धिक-जगत को दो महत् वैचारिक नवीन ग्रंथ सौंपकर आधुनिक भारतीय विमर्श को नए आयाम प्रदान किए हैं। नवप्रकाशित दोनो महाग्रंथ— “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर! : विलुप्त प्रज्ञा का महाकोष”। और “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?” — पहुँचते ही विद्वत्-समाज में गहन बहस, विचार-मंथन और दार्शनिक पुनर्पाठ का सृजन कर चुके हैं। यह दोनों कृतियाँ ऐसी हैं, मानो भारतीय चिंतनभूमि के लिए दो दीप्तिमान वैचारिक यज्ञाहुतियाँ प्रस्तुत हो गई हों। प्रस्तुत निबंध में मैं इन दोनों ग्रंथों के गहन अध्ययन के आधार पर डॉ. उपाध्याय की शोध–दृष्टि, वैचारिक प्रस्तुति, तर्कप्रणाली और उनके विचार–लोक की व्यापकता का समीक्षात्मक विश्लेषण कर रही हूँ। 1. डॉ. विद्यासागर उपाध्याय : परंपरा और आधुनिकता के अद्वितीय सेतु - अध्ययन के दौरान यह तथ्य स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आता है कि डॉ. उपाध्याय न तो परंपरा के अंध–समर्थक हैं और न ही आधुनिकता के अंध–अनुयायी। उनकी लेखनी में परंपरा की आत्मा और आधुनिकता की वैज्ञानिक दृष्टि दोनों साथ–साथ चलती हैं। ऐसे लेखक आज विरले हैं जो प्राचीन भारतीय ग्रंथों—उपनिषदों, धर्मशास्त्रों, न्याय–मीमांसा—की तर्क–शक्ति को आधुनिक राजनीतिक–समाजशास्त्रीय विमर्श के साथ जोड़कर प्रस्तुत करते हों। डॉ. उपाध्याय का यह समन्वय–बोध स्वयं में एक उपलब्धि है। 2. “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?”—इतिहास पर पुनर्विचार का आह्वान - यह एक ऐसी साहसिक बौद्धिक शल्य-क्रिया है, जिसने आधुनिक भारत की शिक्षा-नीति, सांस्कृतिक चेतना और मानसिक रूपांतरण की जटिल परतों को निर्भीकता से उघाड़ दिया है। ग्रंथ में मैकाले की नीतियों के भारतीय मन, सामाजिक ढाँचे और सांस्कृतिक अस्मिता पर पड़े दीर्घकालीन घावों का सुसंगत, निष्पक्ष और अत्यंत मौलिक पुनर्मूल्यांकन किया गया है। लेखक केवल आलोचना नहीं करते, बल्कि उबरने का मार्ग भी प्रदान करते हैं—जो इस कृति की सर्वाधिक विशिष्टता है। वर्तमान भारत में हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य विद्वान प्रो. (डॉ.) पुनीत बिसारिया, अधिष्ठाता कला संकाय एवं विभागाध्यक्ष (हिन्दी), बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, इसे “सांस्कृतिक पुनरुत्थान का घोषणापत्र” बताते हुए लिखते हैं कि "डॉ. उपाध्याय की लेखनी इतिहास को केवल तिथियों का दस्तावेज़ नहीं रहने देती, बल्कि भारतीय आत्मा की जीवित आवाज़ बना देती है। न अंधभक्ति, न अंधघृणा—बल्कि संतुलन, तर्क, और भावनात्मक पारदर्शिता—इस कृति को अद्वितीय बनाती है।"इस ग्रंथ का मूल उद्देश्य किसी व्यक्तिविशेष का महिमागान अथवा निंदा करना नहीं, बल्कि मैकाले की शिक्षा–नीति के माध्यम से भारतीय मानसिकता के औपनिवेशिक पुनर्गठन का विश्लेषण करना है। डॉ. उपाध्याय ने यहाँ मात्र इतिहास नहीं बताया; अपितु उन्होंने इतिहास का तर्कसंगत पुनर्पाठ प्रस्तुत किया है। उनका प्रश्न— “क्या अंग्रेज़ी शिक्षा ने भारतीय मन को स्वतंत्र बनाया या परतंत्र?” आज भी प्रासंगिक है। यह पुस्तक न केवल शोधार्थियों के लिए उपयोगी है, बल्कि उन बुद्धिजीवियों के लिए भी अत्यंत आवश्यक है, जो भारतीय शिक्षा–दर्शन की पुनर्स्थापना में रुचि रखते हैं। 3. “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर!”— विलुप्त प्रज्ञा का वास्तव में महाकोष - यह ग्रंथ आधुनिक भारतीय मनीषा के दो महान विचारकों—लोकमान्य तिलक और डॉ. आम्बेडकर—के विचारों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण तो है ही; परंतु इसका वास्तविक वैभव यह है कि इसमें विश्व के चालीस महान दार्शनिकों के दृष्टिकोणों का अद्भुत समन्वय उपस्थित है। बौद्ध दिग्नाग, जैन अकलंकदेव, वेदांती विद्यारण्य, महर्षि रमण, अरविन्द, हेगेल, मेकियावली, एक्विनास, ओशो, स्वामी करपात्री, शोज, फिरदौसी, टैगोर, गाँधी तथा अनगिनत दार्शनिक धाराएँ—सब एक ही वैचारिक पट पर ऐसे संलयित होती हैं, जैसे अनेक पवित्र सरिताएँ अंततः एक ही महासागर में विलीन होती हों। इस वैचारिक महाकोष की मंगल-शुभाशंसा करते हुए आयरलैंड में भारत के राजदूत एवं दर्शन शास्त्र के शीर्ष विद्वान् आई.एफ.एस. डॉ. अखिलेश मिश्र लिखते हैं कि - यह कृति भारतीय ज्ञान-परंपरा के “सत्य–अन्वेषण की अनन्त यात्रा” का अद्भुत दस्तावेज है, जो इन्द्रियातीत सत्ता, आत्मबोध और विश्वमानवता के विराट भाव को पुनर्जीवित करती है। वहीं नेपाल के प्रसिद्ध दार्शनिक विद्यावाचस्पति अजय कुमार झा इसे “विलुप्त प्रज्ञा के पुनरुत्थान का महाग्रंथ” बताते हुए लिखते हैं कि यहाँ झ्वांग-त्ज़ु, बर्द्यायेव, गुरुदास, माइमोनीडीज़, कबीर, रामतीर्थ, पतंजलि और वाचस्पति—सभी के विचार एक ही विश्वदर्शी चेतना में एकाकार हो जाते हैं। यह ग्रंथ डॉ. उपाध्याय की विद्वत्ता का अद्भुत और तेजोमय उदाहरण है जहां उन्होंने तिलक और आम्बेडकर के साथ ही चालीस चिन्तनधाराओं का दार्शनिक, सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक तर्कों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण करके गागर में सागर भर दिया है। ऐसा दुर्लभ वैचारिक साहस और व्यापक अध्ययन आज के लेखक–जगत में बहुत कम देखने को मिलता है। ग्रंथ की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि लेखक न तो किसी विचारक का चयनित समर्थन करते हैं, और न ही किसी का पक्षपातपूर्ण खंडन; वे केवल यह पूछते हैं— “सत्य किसके पास है?” यही प्रश्न और उसका प्रामाणिक उत्तर पाठक को विचार–यात्रा पर ले जाता है। 4. शोध–दृष्टि और प्रस्तुति : स्पष्टता, निर्भीकता और तर्क–समृद्धि का समन्वय - डॉ. उपाध्याय की सबसे बड़ी विशेषता है बौद्धिक निर्भीकता। वे जटिल विषयों को सरल बनाकर प्रस्तुत करते हैं, परन्तु सरलता में उथलापन नहीं आने देते। उनके ग्रंथ संदर्भ–समृद्ध, तथ्य–संगत, प्रमाण–निष्ठ और दार्शनिक गहराई से पूर्ण हैं। वाक्य–बंध में साहित्यिक माधुर्य है और तर्क में ऐसी कठोरता जो पाठक को हर पंक्ति पर चिंतन करने को बाध्य करती है। 5. भारतीय चिंतन–जगत में उनका स्थान - समग्रता में देखा जाए तो डॉ. उपाध्याय उन दुर्लभ लेखकों में हैं जो न केवल इतिहास को पुनर्पाठित करते हैं, बल्कि आने वाले कालखंड के लिए विचार–ईंधन भी प्रदान करते हैं। उनके 20 ग्रंथ — दर्शन, समाज, राजनीति, इतिहास, साहित्य— हर क्षेत्र में नवीन दृष्टि का उद्घाटन करते हैं। उनकी लेखनी में ज्ञान की प्रखरता, अध्ययन की व्यापकता, और राष्ट्र–चिंतन की गरिमा स्पष्ट रूप से प्रतिध्वनित होती है। एक अध्येता होने के नाते मैं यह निस्संकोच कह सकती हूँ कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय आज के भारतीय चिंतन–जगत के सबसे प्रभावशाली, सबसे साहसी और सबसे अधिक मौलिक लेखकों में से एक हैं। उनकी नवीनतम कृतियाँ केवल पुस्तकें नहीं— वे विमर्श का आमंत्रण, चिंतन का आलोक, और राष्ट्रीय स्वाभिमान की पुनर्स्मृति हैं। ज्ञान–क्षेत्र में ऐसे तेजस्वी प्रतिभाशाली लेखक का होना भारतीय बौद्धिक परंपरा के लिए एक अत्यंत शुभ संकेत है। दोनों महाग्रंथों के प्रकाशन के साथ यह तथ्य पुनः प्रतिष्ठित हो गया कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय केवल लेखक नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान–परंपरा के जीवंत प्रतिनिधि, मौलिक शोध के अग्रदूत और आधुनिक वैचारिक जगत् के धैर्यवान तपस्वी हैं। उनकी कृतियाँ केवल पठन का विषय नहीं—बल्कि सतत् मनन, विमर्श और आत्मबोध के शाश्वत निमंत्रण हैं। समकालीन भारतीय दर्शन को इन ग्रंथों ने नई ऊँचाई, नई दृष्टि और नया गौरव प्रदान किया है। यह ग्रंथ निस्संदेह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमर वैचारिक दीपस्तम्भ सिद्ध होंगे। समीक्षक डॉ. मणिकर्णिका (NET, JRF, SRF, Ph.D)
सिद्धपीठ श्री हथियाराम मठ के पीठाधीश्वर स्वामी भवानी नंदन यति महाराज का 20 नवंबर को नगरा आगमन


अमर बहादुर सिंह, बलिया शहर। भक्तों और श्रद्धालुओं के लिए हर्ष का विषय है कि सिद्धपीठ श्री हथियाराम मठ, वाराणसी के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर परमपूज्य स्वामी भवानी नंदन यति महाराज जी 20 नवंबर 2025, गुरुवार को रामहित कार्यक्रम के अंतर्गत नगरा आगमन करेंगे। गुरुदेव का पावन स्वागत प्राचीन दुर्गा मंदिर, नगरा के पावन प्रांगण में संध्या 5 बजे किया जाएगा।सिद्धपीठ द्वारा विगत वर्षों से ग्रामीण अंचलों में धर्म, शिक्षा, संस्कार और सामाजिक चेतना के विस्तार हेतु रामहित कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसी क्रम में संत, ब्राह्मण और सेवकों की लगभग 20–25 सदस्यीय टोली भगवान लक्ष्मीनारायण जी के आसन के साथ नगरा पहुँचेगी।कार्यक्रम के प्रमुख बिंदु:ग्राम आगमन एवं स्वागत: शाम 5:00 बजेसायंकाल उद्घोधन: 5:30 से 6:00 बजेसायंकालीन महाआरती: 7:30 से 8:30 बजेरात्रिकालीन प्रवचन: 8:30 से 9:30 बजेरात्रि भोजन (महाप्रसाद): 9:30 से 10:00 बजेअगले दिन 21 नवंबर, शुक्रवार को अपराह्न 4:00 बजे स्वामी जी का प्रस्थान तय है।भक्तों से अपील:आयोजन समिति ने समस्त भक्तों से अनुरोध किया है कि वे समयानुसार उपस्थित होकर प्रवचन श्रवण, महाप्रसाद ग्रहण एवं गुरुदेव के दर्शन–आशीर्वाद का लाभ अवश्य प्राप्त करें।
*साहू चौपाल का ब्लाक और तहसील स्तर पर होगा विस्तार : लालचंद्र साहू,समाज की हर सम्भव मदद करेगा साहू चौपाल :अमरचंद्र*
सुलतानपुर। साहू चौपाल की टीम जिले मे पदाधिकारियों का विस्तार करेगा। एक अभियान के तहत ब्लाक और तहसील स्तर पर भी संगठन का विस्तार होगा। साहू चौपाल लोगो की हर सम्भव मदद करता रहेगा। जिलाध्यक्ष लाल चंद्र गुप्ता ने यह बात कही। साहू तैलिक एकता एवं विकास समिति के बैनर तले जिला पदाधिकारियों की नगर के एक विद्यालय मे जिलाध्यक्ष लाल चंद्र गुप्ता की अध्यक्षता मे बैठक हुई। उन्होंने बताया कि साहू चौपाल का विस्तार जिला मुख्यालय से लेकर तहसील ब्लाक स्तर पर होगा। समाज के लोगों के साथ मिलकर संगठन का विस्तार किया जाएगा । संगठन के सचिव अमरचंद साहू ने कहा कि समाज सेवा के लिए हर संभव कार्य किया जाएगा । जिले में संगठन और अधिक मजबूत होगा । किसी भी प्रकार की समस्या के लिए संगठन हमेशा तत्पर रहेगा । श्री साहू ने बताया कि साहू चौपाल कई प्रदेशों कार्य कर रहा है । संगठन प्रमुख रूप से समाज के प्रतिभाओं का सम्मान करना । गरीबों की हर संभव मदद करना। पीड़ितों की मदद करना, शादी विवाह मे लोगो की मदद करना आदि शामिल है। बैठक मे मुख्य रूप से जिला उपाध्यक्ष अवधेश कुमार साहू, राज कुमार साहू, सजन लाल साहू, रिकू साहू, प्रदेश मीडिया प्रभारी दया शंकर गुप्ता आदि रहे।
झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र 5 दिसंबर से; 11 दिसंबर तक चलेगा 5 कार्यदिवस का सत्र, नवनिर्वाचित सोमेश सोरेन लेंगे शपथ

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रांची: झारखंड विधानसभा का बहुप्रतीक्षित शीतकालीन सत्र राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार ने मंत्रिपरिषद की सलाह पर संविधान के अनुच्छेद 174 के तहत आहूत कर दिया है। यह सत्र 5 दिसंबर को शुरू होगा और 11 दिसंबर तक चलेगा।

राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद, विधानसभा सचिवालय ने सत्र का औपबंधिक कार्यक्रम जारी कर दिया है। पाँच कार्यदिवस वाले इस सत्र में चार दिन प्रश्नकाल होंगे। आज, 19 नवंबर से माननीय सदस्य अपने प्रश्न विधानसभा में डाल सकेंगे।

सत्र के मुख्य कार्यक्रम

दिनांक मुख्य गतिविधि

5 दिसंबर (पहला दिन) शोक प्रकाश, घाटशिला के नवनिर्वाचित विधायक श्री सोमेश चंद्र सोरेन को शपथ दिलाई जाएगी।

6-7 दिसंबर अवकाश (शनिवार और रविवार)

8 दिसंबर प्रश्नकाल के बाद वित्तीय वर्ष 2025-26 का द्वितीय अनुपूरक बजट पेश होगा।

9 दिसंबर अनुपूरक बजट पर सामान्य वाद-विवाद, मतदान और विनियोग विधेयक पारित करने की प्रक्रिया पूरी होगी।

10 दिसंबर प्रश्नकाल के बाद राजकीय विधायक और अन्य सरकारी कामकाज।

11 दिसंबर (अंतिम दिन) प्रश्नकाल के बाद गैर सरकारी संकल्प का निपटारा होगा।

सोमेश चंद्र सोरेन लेंगे शपथ

सत्र के पहले दिन, घाटशिला उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन को हराकर नवनिर्वाचित हुए विधायक श्री सोमेश चंद्र सोरेन को शपथ दिलाई जाएगी। उन्होंने अपने पिता स्वर्गीय रामदास सोरेन के असामयिक निधन से खाली हुई सीट पर जीत दर्ज की है।

अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जवाद सिद्दीकी ईडी की रिमांड में, आतंकी डॉक्टरों का खुलेगा राज

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दिल्ली की एक विशेष अदालत ने अल-फलाह समूह के चेयरमैन जावद अहमद सिद्दीकी को 13 दिन की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) हिरासत में भेज दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शीतल चौधरी प्रधान ने आधी रात के बाद अपने चैंबर में सुनवाई कर यह आदेश पारित किया। जावेद अहमद सिद्दकी से अब ईडी राज उगलवाने की तैयारी में है।

एक ओर एनआईए दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े आतंकी डॉक्टरों के अल फलाह कनेक्शन की जांच कर रही है। वहीं प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लांड्रिंग के तहत मामला दर्ज किया है। ईडी ने मंगलवार को यूनिवर्सिटी के ओखला स्थित मुख्यालय और ट्रस्टियों के ठिकानों पर छापेमारी भी की थी। मंगलवार को लाल किला कार धमाके मामले से जुड़े यूनिवर्सिटी के ट्रस्टियों और प्रवर्तकों के खिलाफ दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में कई जगहों पर रेड डालने के बाद ग्रुप के अध्यक्ष जवाद अहमद को गिरफ्तार किया था।

मनी लॉन्ड्रिंग के तहत गिरफ्तारी

जवाद की गिरफ्तारी दिल्ली धमाके मामले की जगह मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले की गई है। गिरफ्तारी के बाद जवाद को साकेत कोर्ट की एडिशनल सेशन जज शीतल चौधरी प्रधान के घर में रात 11:00 बजे अल फलाह विश्वविद्यालय के संस्थापक को पेश किया गया था। रिमांड आदेश में अदालत ने कहा है कि सिद्दीकी के खिलाफ बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, फर्जी मान्यता दावे करने और अल-फलाह विश्वविद्यालय से प्राप्त धन को अन्यत्र हस्तांतरित करने से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का संलिप्त होने के पर्याप्त आधार मौजूद हैं।

यूनिवर्सिटी से जुड़े लाल किला कार धमाका के तार

बता दें कि लाल किला कार बम धमाका मामले के तार इस यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं। इस धमाके को अंजाम देने वाला डॉक्टर उमर नबी इसी विश्वविद्यालय के अस्पताल से जुड़ा था। इसके अलावा सफेदपोश आतंकी नेटवर्क में पकड़े गए कई लोग इस संस्थान से जुड़े हैं। दिल्ली धमाके की जांच आगे बढ़ने पर विश्वविद्यालय भी जांच में दायरे में आ गया है। इस विश्वविद्यालय के वित्तीय लेन-देन की जांच के बाद अब ईडी ने संस्थापक जावद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया है।

यूनिवर्सिटी के खिलाफ क्या है मामला?

ईडी ने यह जांच दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की ओर से दर्ज दो एफआईआर के आधार पर शुरू की है। ये दोनों एफआईआर 13 नवंबर को दर्ज कराई गई थी। इन एफआईआर में NACC Accreditation और यूजीसी से जुड़े झूठे दावे किए जाने का जिक्र है। दिल्ली पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता के तहत धारा 318 (4), 336 (2), 336 (3), 336 (4), 338 और 340 (2) के तहत केस दर्ज किया। FIR में यह आरोप लगाया गया था कि फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी ने गलत तरीके से NAAC मान्यता (Accreditation) होने का दावा किया। यही नहीं यूनिवर्सिटी ने UGC के सेक्शन 12(B) के तहत मान्यता होने की झूठी जानकारी दी। ताकि छात्रों, माता-पिता और आम जनता को गुमराह कर आर्थिक फायदा लिया जा सके। इस बीच UGC ने भी साफ कर दिया है कि अल फहल यूनिवर्सिटी सिर्फ सेक्शन 2(f) के तहत एक स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी के रूप में लिस्टेड है और उसने कभी भी 12(B) के तहत मान्यता के लिए आवेदन नहीं किया है।

एनडीए विधायक दल के नेता चुने गए नीतीश कुमार, कल 10वीं बार लेंगे सीएम पद की शपथ

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जनता दल यूनाइटेड सुप्रीमो नीतीश कुमार को सर्वसम्मति से एनडीए विधायक दल का नेता चुना गया है। अब नीतीश कुमार एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन गुरुवार को होगा। पटना में विधानसभा के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की बैठक हुई। इसमें भारतीय जनता पार्टी, जनता दल यूनाईटेड, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा, लोक जनशक्ति पार्टी के सभी नव निर्वाचित विधायक और नीतीश कुमार, चिराग पासवान, संतोष सुमन, उपेंद्र कुशवाहा, सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा मौजूद रहे।

सम्राट चौधरी ने रखा प्रस्ताव

भारतीय जनता पार्टी विधायक दल के नेता चुने गए सम्राट चौधरी ने बुधवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव रखा। जिसके बाद एनडीए के तमाम नेताओं ने सर्वसम्मति से नीतीश कुमार के नाम पर मुहर लगाई। इसी के साथ ही नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बनना तय हो गया।

एनडीए के घटक दलों ने भी चुनाव अपना नेता

इससे पहले एनडीए के प्रमुख घटक दलों ने बुधवार को अपने-अपने विधायक दल के नेताओं का चयन किया। जदयू के विधायकों की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विधायक दल का नेता चुना गया। वहीं, भाजपा के नवनिर्वाचित विधायकों ने एक बैठक में वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता और विजय सिन्हा को उपनेता चुना। दोनों दलों ने यह जानकारी दी गई। इसके बाद एनडीए ने भी नीतीश कुमार के नाम पर अपनी मुहर लगा दी।

आजमगढ़:- गैंगस्टर अभियुक्त की जमीन हुई कुर्क, फूलपुर कोतवाली के मानपुर गांव का निवासी मंगरु उर्फ मंगला गैंगस्टर का है आरोपी

-गैंगस्टर के आरोपी के ऊपर 3 मुकदमे हैं दर्ज, 11 लाख से ऊपर की संपत्ति की गई कुर्क

वी कुमार यदुवंशी
आजमगढ़। फूलपुर कोतवाली के ग्राम पंचायत मानपुर निवासी मंगरु उर्फ मंगल पुत्र नईम की जमीन को न्यायालय के आदेश पर पवई पुलिस के द्वारा कुर्क किया गया है । जमीन की कीमत 11 लाख 39 हजार 295 की कीमत बताई गई है । वांछित अभियुक्त फूलपुर कोतवाली में गैंगेस्टर का आरोपी है । आजमगढ़ जिले में गोवध और पशुक्रूरता के मामले में कुल 3 मुकदमे दर्ज है । फूलपुर कोतवाली में गैंगस्टर का आरोपी मंगरु उर्फ मंगल पुत्र नईम की विवेचना थानाध्यक्ष पवई प्रदीप कुमार मिश्रा कर रहे थे । न्यायालय के आदेश पर एसडीएम फूलपुर अशोक कुमार ,क्षेत्राधिकारी फूलपुर किरन पाल सिंह ,तहसीलदार राजू कुमार और थानाध्यक्ष पवई प्रदीप मिश्रा ने फूलपुर कोतवाली के मानपुर निवासी मंगरु उर्फ मंगल पुत्र नईम की जमीन को डुगडुगी पिटवा कर कुर्क कर लिया । क्षेत्राधिकारी फूलपुर किरन पाल सिंह ने बताया की मंगरु उर्फ मंगल पुत्र नईम के ऊपर जिले के कई थानों में गोवध और पशुक्रूरता के मामले में 3 मुकदमे दर्ज है । फूलपुर कोतवाली में गैंगस्टर का आरोपी है जिसकी थानाध्यक्ष पवई प्रदीप कुमार मिश्रा विवेचना कर रहे थे । न्यायालय के आदेश पर वांछित अभियुक्त की जमीन मानपुर गांव में कुर्क की गई है । कुर्क की गई जमीन की कीमत 11 लाख 39 हजार 295 आंकी गयी है । इस अवसर पर तहसीलदार राजू कुमार , फूलपुर महिला उपनिरीक्षक प्रियंका तिवारी ,वासुदेव मिश्रा,उमाशंकर यादव आदि लोग रहे ।
कन्नौज : लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे पर डिवाइडर से टकराकर पलटी डबल डेकर स्लीपर बस, करीब 40 यात्री घायल

पंकज कुमार श्रीवास्तव

लखनऊ आगरा एक्सप्रेस वे पर एक सड़क हादसा हो गया । दिल्ली से गोंडा जा रही डबल डेकर स्लीपर बस डिवाइडर से टकराकर पलट गई जिसमें करीब 40 यात्री घायल हो गए । जिन्हें इलाज के लिए कन्नौज के तिर्वा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया । जहां पर सभी का इलाज चल रहा है । वहीं हादसे का कारण ड्राइवर को झपकी आने के कारण होना बताया जा रहा है ।

बताते चले कि लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे के 210 किलोमीटर ठठिया थाना क्षेत्र के बहुसूइयां गांव के पास सुबह 4:30 बजे दिल्ली से गोंडा जा रही डबल डेकर स्लीपर बस डिवाइडर से टकराकर पलट गई । इसके बाद वहां चीख पुकार मच गई । हादसे की जानकारी होते ही यूपीडा के कर्मचारी और पुलिस मौके पर पहुंच गए। जहां उन्होंने बस में फंसे लोगों को बाहर निकाल कर तिर्वा के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। बताया जा रहा है कि करीब 40 यात्री इस हादसे में घायल हुए जिनका इलाज चल रहा है। वहीं हादसे का कारण ड्राइवर को झपकी आने के कारण होना बताया जा रहा है ।

हादसे की जानकारी देते हुए तिर्वा मेडिकल कॉलेज के सीएमएस डॉक्टर दिलीप ने बताया कि लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे के 210 किलोमीटर पर सुबह 4:30 पर एक डबल डेकर स्लीपर बस डिवाइडर से टकराकर पलट गई जिसमें 40 यात्रियों को मेडिकल कॉलेज में लाया गया जहां उनका इलाज चल रहा है ।

वोट चोरी' को लेकर पूर्व नौकरशाहों और जजों के निशाने पर राहुल गांधी, 272 हस्तियों ने लिखा ओपन लेटर

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कांग्रेस की ओर से चुनाव आयोग के खिलाफ लगार बयानबाजी जारी है। चुनाव आयोग पर लगाए गए गंभीर आरोपों को लेकर 272 हस्तियों ने खुला खत लिखा है। इन हस्तियों ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी द्वारा चुनाव आयोग पर बार-बार किए जा रहे हमलों को लेकर भी अपनी चिंता जाहिर की है। इन हस्तियों में 16 जज, 14 राजदूतों सहित 123 सेवानिवृत्त नौकरशाह और 133 सेवानिवृत्त सशस्त्र बल अधिकारी शामिल हैं।

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जनता का भरोसा कमजोर करने की कोशिश का आरोप

देश के 272 पूर्व शीर्ष अधिकारियों, जजों, राजनयिकों और सेना के अफसरों ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इन लोगों ने एक खुला पत्र जारी कर कहा कि कांग्रेस और राहुल गांधी 'चुनाव आयोग सहित संवैधानिक संस्थाओं में जनता का भरोसा कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।

“यह दिखाने की कोशिश कि देश की संस्थाएं ठीक तरह काम नहीं कर रहीं”

समूह ने पत्र जारी कर कहा है कि ये आरोप राजनीतिक हताशा को संस्थागत संकट की आड़ में छिपाने की कोशिश है। 'Assault on National Constitutional Authorities' नाम के टाइटल वाले पत्र में कहा गया कि कुछ विपक्षी नेता 'जहरीली बयानबाजी' और 'बिना सबूत के आरोपों' के जरिए यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि देश की संस्थाएं ठीक तरह काम नहीं कर रहीं।

“न्यायपालिका, संसद के बाद चुनाव आयोग की बारी”

पत्र में लिखा है, पहले उन्होंने भारतीय सेना की बहादुरी पर सवाल उठाए, फिर न्यायपालिका, संसद और संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को निशाना बनाया और अब चुनाव आयोग की बारी आ गई है। पत्र में राहुल गाँधी पर सीधा हमला करते हुए लिखा गया है, लोकसभा में विपक्ष के नेता ने बार-बार चुनाव आयोग पर हमला करते हुए दावा किया है कि उनके पास सबूत है कि चुनाव आयोग वोट चोरी करा रहा है और उनकी बात 100% प्रमाणित है। उन्होंने यहाँ तक कहा कि अगर मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त रिटायर भी हो जाएँ, तो वह उन्हें भी छोड़ेंगे नहीं।

कोई औपचारिक शिकायत नहीं करवाने पर उठाया सवाल

आगे पत्र में कहा गया है, इतने गंभीर आरोप लगाने के बावजूद उन्होंने अब तक कोई औपचारिक शिकायत, या शपथपत्र के साथ, दर्ज नहीं कराई। जिससे उन्हें अपनी बात के लिए जवाबदेह न होना पड़े।

“राजनीतिक हताशा को संस्थागत संकट का रूप देने का प्रयास”

पत्र में कहा गया है कि कांग्रेस और अन्य दलों के कई नेता, वाम समर्थित NGOs, कुछ अकादमिक और चर्चा में बने रहने वाले लोग भी इसी तरह की आक्रामक बयानबाज़ी कर रहे हैं। लेकिन चुनाव आयोग अपने SIR मॉडल की पद्धति सार्वजनिक कर चुका है, न्यायालय की निगरानी में सत्यापन हुआ है, और पात्र मतदाताओं को जोड़ने व अपात्रों को हटाने की प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से की गई। ऐसे में यह आरोप सिर्फ राजनीतिक हताशा को संस्थागत संकट का रूप देने का प्रयास लगता है।

पर्यटन मंत्री आवास के पास मां-बेटे ने  सुसाइड करने का किया प्रयास, मचा हड़कंप
लखनऊ । राजधानी में खुदकुशी करने वाले आये दिन लखनऊ पहुंच रहे है। बुधवार को मथुरा से पहुंचे मां और बेटे ने पर्यटन मंत्री आवास के पास आत्महत्या करने की कोशिश की। इससे मौके पर हड़कंप मच गया। चूंकि दोनों जहर खाने के बाद सड़क पर तड़प रहे थे। यह देखकर वहां पर तैनात सुरक्षा कर्मियों व राहगीरों के होश उड़ गए और फौरन पुलिस को सूचित किया।

पुलिस ने दोनों को सिबल अस्पताल में कराया भर्ती

आज सुबह लगभग 11:30 बजे, राधारानी टाउनशिप, बरसाना की निवासी  मुनेश सिंह (55 वर्ष) और उनके पुत्र बलजीत सिंह (38 वर्ष) ने कथित प्लॉट विवाद के चलते जहरीला पदार्थ खा लिया।मौके पर स्थिति गंभीर होने लगी, जिससे पुलिस को सूचना दी गई। चौकी इंचार्ज बंदरिया बाग, उप निरीक्षक आदित्य सिंह, मय पुलिस बल तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे और दोनों को तत्काल सिविल अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल सूत्रों के अनुसार, दोनों का इलाज चल रहा है और उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।

मथुरा जनपद का मामला, प्लॉट पर कब्जा को लेकर है परेशान

जानकारी के अनुसार, विवाद मथुरा में किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा उनके प्लॉट पर कब्जा कर लिया है। इसकी शिकायत स्थानीय स्तर पर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार कर चुकी है लेकिन कहीं पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जिसकी वजह से लंबे समय तक मानसिक तनाव और न्याय न मिलने की भावना के कारण मां-बेटे ने यह गंभीर कदम उठाया।जनपद मथुरा पुलिस से भी संपर्क किया जा रहा है और मामले की पूरी जांच शुरू कर दी गई है। प्रशासन और पुलिस ने दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और परिवार को राहत देने के लिए तत्काल कदम उठाए हैं।पुलिस पूरे मामले की छानबीन करने में जुट गई है। परिजनों को भी फोन करके सूचित कर दिया गया है।
. विद्यासागर उपाध्याय : दो नये महाग्रंथों के साथ 20 दार्शनिक कृतियों का दिव्य शिखर
संजीव सिंह बलिया| भारतीय बौद्धिक–परंपरा में समय–समय पर ऐसे मनीषी अवतरित होते रहे हैं, जिनकी सोच केवल अपने युग को नहीं, आने वाली सहस्राब्दियों को दिशा देती है। समकालीन भारत में ऐसा ही एक तेजस्वी नाम है—डॉ. विद्यासागर उपाध्याय, जिनके द्वारा लिखित 20 महत्वपूर्ण ग्रंथ भारतीय दर्शन, समाज–चिंतन और राष्ट्रीय विमर्श के क्षेत्र में अमूल्य योगदान हैं। भारतीय ज्ञानपरंपरा के आकाश में यह तारा अत्यन्त उज्ज्वल हो उठा है, जिसे समकालीन युग “विद्या–सरस्वती का जीवंत पुरुष विस्तार” कहकर श्रद्धा प्रकट करता है। डॉ. उपाध्याय के ग्रंथों की विलक्षणता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि अनेक कृतियाँ 800 पृष्ठों के ज्ञान-हिमालय की तरह खड़ी हैं, जबकि अन्य 300 पृष्ठों में भी “गागर में सागर” भर देती हैं। कई ग्रंथों के मूल्य 1000 रुपये से अधिक होने पर भी पाठकों का अटूट अनुराग, उनकी लेखनी की स्वर्ण-तुल्य गुणवत्ता का प्रमाण है। उनके 100 से अधिक शोध-आलेख देश-विदेश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। भारतवर्ष के समस्त प्रान्त व अनेक अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संस्थान उन्हें मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित करते रहे हैं। उनकी ओजस्वी वाणी, व्यापक दृष्टि और विश्लेषण की तीक्ष्णता श्रोताओं पर अमिट छाप छोड़ती है। अब तक उन्हें सैकड़ों राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सम्मान/उपाधि प्राप्त हैं—जो उनकी प्रज्ञा, तपस्या और दार्शनिक ऊँचाई का प्रमाण है। मात्र 39 वर्ष की आयु में 20 दार्शनिक ग्रंथों का विरल शिखर स्पर्श करने वाले, अंतरराष्ट्रीय वक्ता, मौलिक चिंतक, प्रसिद्ध शिक्षाविद् और शोध-प्रज्ञा के आलोक–पुंज डॉ. विद्यासागर उपाध्याय ने वर्तमान में बौद्धिक-जगत को दो महत् वैचारिक नवीन ग्रंथ सौंपकर आधुनिक भारतीय विमर्श को नए आयाम प्रदान किए हैं। नवप्रकाशित दोनो महाग्रंथ— “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर! : विलुप्त प्रज्ञा का महाकोष”। और “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?” — पहुँचते ही विद्वत्-समाज में गहन बहस, विचार-मंथन और दार्शनिक पुनर्पाठ का सृजन कर चुके हैं। यह दोनों कृतियाँ ऐसी हैं, मानो भारतीय चिंतनभूमि के लिए दो दीप्तिमान वैचारिक यज्ञाहुतियाँ प्रस्तुत हो गई हों। प्रस्तुत निबंध में मैं इन दोनों ग्रंथों के गहन अध्ययन के आधार पर डॉ. उपाध्याय की शोध–दृष्टि, वैचारिक प्रस्तुति, तर्कप्रणाली और उनके विचार–लोक की व्यापकता का समीक्षात्मक विश्लेषण कर रही हूँ। 1. डॉ. विद्यासागर उपाध्याय : परंपरा और आधुनिकता के अद्वितीय सेतु - अध्ययन के दौरान यह तथ्य स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आता है कि डॉ. उपाध्याय न तो परंपरा के अंध–समर्थक हैं और न ही आधुनिकता के अंध–अनुयायी। उनकी लेखनी में परंपरा की आत्मा और आधुनिकता की वैज्ञानिक दृष्टि दोनों साथ–साथ चलती हैं। ऐसे लेखक आज विरले हैं जो प्राचीन भारतीय ग्रंथों—उपनिषदों, धर्मशास्त्रों, न्याय–मीमांसा—की तर्क–शक्ति को आधुनिक राजनीतिक–समाजशास्त्रीय विमर्श के साथ जोड़कर प्रस्तुत करते हों। डॉ. उपाध्याय का यह समन्वय–बोध स्वयं में एक उपलब्धि है। 2. “लॉर्ड मैकाले : नायक अथवा खलनायक?”—इतिहास पर पुनर्विचार का आह्वान - यह एक ऐसी साहसिक बौद्धिक शल्य-क्रिया है, जिसने आधुनिक भारत की शिक्षा-नीति, सांस्कृतिक चेतना और मानसिक रूपांतरण की जटिल परतों को निर्भीकता से उघाड़ दिया है। ग्रंथ में मैकाले की नीतियों के भारतीय मन, सामाजिक ढाँचे और सांस्कृतिक अस्मिता पर पड़े दीर्घकालीन घावों का सुसंगत, निष्पक्ष और अत्यंत मौलिक पुनर्मूल्यांकन किया गया है। लेखक केवल आलोचना नहीं करते, बल्कि उबरने का मार्ग भी प्रदान करते हैं—जो इस कृति की सर्वाधिक विशिष्टता है। वर्तमान भारत में हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य विद्वान प्रो. (डॉ.) पुनीत बिसारिया, अधिष्ठाता कला संकाय एवं विभागाध्यक्ष (हिन्दी), बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, इसे “सांस्कृतिक पुनरुत्थान का घोषणापत्र” बताते हुए लिखते हैं कि "डॉ. उपाध्याय की लेखनी इतिहास को केवल तिथियों का दस्तावेज़ नहीं रहने देती, बल्कि भारतीय आत्मा की जीवित आवाज़ बना देती है। न अंधभक्ति, न अंधघृणा—बल्कि संतुलन, तर्क, और भावनात्मक पारदर्शिता—इस कृति को अद्वितीय बनाती है।"इस ग्रंथ का मूल उद्देश्य किसी व्यक्तिविशेष का महिमागान अथवा निंदा करना नहीं, बल्कि मैकाले की शिक्षा–नीति के माध्यम से भारतीय मानसिकता के औपनिवेशिक पुनर्गठन का विश्लेषण करना है। डॉ. उपाध्याय ने यहाँ मात्र इतिहास नहीं बताया; अपितु उन्होंने इतिहास का तर्कसंगत पुनर्पाठ प्रस्तुत किया है। उनका प्रश्न— “क्या अंग्रेज़ी शिक्षा ने भारतीय मन को स्वतंत्र बनाया या परतंत्र?” आज भी प्रासंगिक है। यह पुस्तक न केवल शोधार्थियों के लिए उपयोगी है, बल्कि उन बुद्धिजीवियों के लिए भी अत्यंत आवश्यक है, जो भारतीय शिक्षा–दर्शन की पुनर्स्थापना में रुचि रखते हैं। 3. “सत्य कौन? तिलक अथवा आम्बेडकर!”— विलुप्त प्रज्ञा का वास्तव में महाकोष - यह ग्रंथ आधुनिक भारतीय मनीषा के दो महान विचारकों—लोकमान्य तिलक और डॉ. आम्बेडकर—के विचारों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण तो है ही; परंतु इसका वास्तविक वैभव यह है कि इसमें विश्व के चालीस महान दार्शनिकों के दृष्टिकोणों का अद्भुत समन्वय उपस्थित है। बौद्ध दिग्नाग, जैन अकलंकदेव, वेदांती विद्यारण्य, महर्षि रमण, अरविन्द, हेगेल, मेकियावली, एक्विनास, ओशो, स्वामी करपात्री, शोज, फिरदौसी, टैगोर, गाँधी तथा अनगिनत दार्शनिक धाराएँ—सब एक ही वैचारिक पट पर ऐसे संलयित होती हैं, जैसे अनेक पवित्र सरिताएँ अंततः एक ही महासागर में विलीन होती हों। इस वैचारिक महाकोष की मंगल-शुभाशंसा करते हुए आयरलैंड में भारत के राजदूत एवं दर्शन शास्त्र के शीर्ष विद्वान् आई.एफ.एस. डॉ. अखिलेश मिश्र लिखते हैं कि - यह कृति भारतीय ज्ञान-परंपरा के “सत्य–अन्वेषण की अनन्त यात्रा” का अद्भुत दस्तावेज है, जो इन्द्रियातीत सत्ता, आत्मबोध और विश्वमानवता के विराट भाव को पुनर्जीवित करती है। वहीं नेपाल के प्रसिद्ध दार्शनिक विद्यावाचस्पति अजय कुमार झा इसे “विलुप्त प्रज्ञा के पुनरुत्थान का महाग्रंथ” बताते हुए लिखते हैं कि यहाँ झ्वांग-त्ज़ु, बर्द्यायेव, गुरुदास, माइमोनीडीज़, कबीर, रामतीर्थ, पतंजलि और वाचस्पति—सभी के विचार एक ही विश्वदर्शी चेतना में एकाकार हो जाते हैं। यह ग्रंथ डॉ. उपाध्याय की विद्वत्ता का अद्भुत और तेजोमय उदाहरण है जहां उन्होंने तिलक और आम्बेडकर के साथ ही चालीस चिन्तनधाराओं का दार्शनिक, सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक तर्कों का गहन तुलनात्मक विश्लेषण करके गागर में सागर भर दिया है। ऐसा दुर्लभ वैचारिक साहस और व्यापक अध्ययन आज के लेखक–जगत में बहुत कम देखने को मिलता है। ग्रंथ की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि लेखक न तो किसी विचारक का चयनित समर्थन करते हैं, और न ही किसी का पक्षपातपूर्ण खंडन; वे केवल यह पूछते हैं— “सत्य किसके पास है?” यही प्रश्न और उसका प्रामाणिक उत्तर पाठक को विचार–यात्रा पर ले जाता है। 4. शोध–दृष्टि और प्रस्तुति : स्पष्टता, निर्भीकता और तर्क–समृद्धि का समन्वय - डॉ. उपाध्याय की सबसे बड़ी विशेषता है बौद्धिक निर्भीकता। वे जटिल विषयों को सरल बनाकर प्रस्तुत करते हैं, परन्तु सरलता में उथलापन नहीं आने देते। उनके ग्रंथ संदर्भ–समृद्ध, तथ्य–संगत, प्रमाण–निष्ठ और दार्शनिक गहराई से पूर्ण हैं। वाक्य–बंध में साहित्यिक माधुर्य है और तर्क में ऐसी कठोरता जो पाठक को हर पंक्ति पर चिंतन करने को बाध्य करती है। 5. भारतीय चिंतन–जगत में उनका स्थान - समग्रता में देखा जाए तो डॉ. उपाध्याय उन दुर्लभ लेखकों में हैं जो न केवल इतिहास को पुनर्पाठित करते हैं, बल्कि आने वाले कालखंड के लिए विचार–ईंधन भी प्रदान करते हैं। उनके 20 ग्रंथ — दर्शन, समाज, राजनीति, इतिहास, साहित्य— हर क्षेत्र में नवीन दृष्टि का उद्घाटन करते हैं। उनकी लेखनी में ज्ञान की प्रखरता, अध्ययन की व्यापकता, और राष्ट्र–चिंतन की गरिमा स्पष्ट रूप से प्रतिध्वनित होती है। एक अध्येता होने के नाते मैं यह निस्संकोच कह सकती हूँ कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय आज के भारतीय चिंतन–जगत के सबसे प्रभावशाली, सबसे साहसी और सबसे अधिक मौलिक लेखकों में से एक हैं। उनकी नवीनतम कृतियाँ केवल पुस्तकें नहीं— वे विमर्श का आमंत्रण, चिंतन का आलोक, और राष्ट्रीय स्वाभिमान की पुनर्स्मृति हैं। ज्ञान–क्षेत्र में ऐसे तेजस्वी प्रतिभाशाली लेखक का होना भारतीय बौद्धिक परंपरा के लिए एक अत्यंत शुभ संकेत है। दोनों महाग्रंथों के प्रकाशन के साथ यह तथ्य पुनः प्रतिष्ठित हो गया कि डॉ. विद्यासागर उपाध्याय केवल लेखक नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान–परंपरा के जीवंत प्रतिनिधि, मौलिक शोध के अग्रदूत और आधुनिक वैचारिक जगत् के धैर्यवान तपस्वी हैं। उनकी कृतियाँ केवल पठन का विषय नहीं—बल्कि सतत् मनन, विमर्श और आत्मबोध के शाश्वत निमंत्रण हैं। समकालीन भारतीय दर्शन को इन ग्रंथों ने नई ऊँचाई, नई दृष्टि और नया गौरव प्रदान किया है। यह ग्रंथ निस्संदेह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमर वैचारिक दीपस्तम्भ सिद्ध होंगे। समीक्षक डॉ. मणिकर्णिका (NET, JRF, SRF, Ph.D)
सिद्धपीठ श्री हथियाराम मठ के पीठाधीश्वर स्वामी भवानी नंदन यति महाराज का 20 नवंबर को नगरा आगमन


अमर बहादुर सिंह, बलिया शहर। भक्तों और श्रद्धालुओं के लिए हर्ष का विषय है कि सिद्धपीठ श्री हथियाराम मठ, वाराणसी के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर परमपूज्य स्वामी भवानी नंदन यति महाराज जी 20 नवंबर 2025, गुरुवार को रामहित कार्यक्रम के अंतर्गत नगरा आगमन करेंगे। गुरुदेव का पावन स्वागत प्राचीन दुर्गा मंदिर, नगरा के पावन प्रांगण में संध्या 5 बजे किया जाएगा।सिद्धपीठ द्वारा विगत वर्षों से ग्रामीण अंचलों में धर्म, शिक्षा, संस्कार और सामाजिक चेतना के विस्तार हेतु रामहित कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसी क्रम में संत, ब्राह्मण और सेवकों की लगभग 20–25 सदस्यीय टोली भगवान लक्ष्मीनारायण जी के आसन के साथ नगरा पहुँचेगी।कार्यक्रम के प्रमुख बिंदु:ग्राम आगमन एवं स्वागत: शाम 5:00 बजेसायंकाल उद्घोधन: 5:30 से 6:00 बजेसायंकालीन महाआरती: 7:30 से 8:30 बजेरात्रिकालीन प्रवचन: 8:30 से 9:30 बजेरात्रि भोजन (महाप्रसाद): 9:30 से 10:00 बजेअगले दिन 21 नवंबर, शुक्रवार को अपराह्न 4:00 बजे स्वामी जी का प्रस्थान तय है।भक्तों से अपील:आयोजन समिति ने समस्त भक्तों से अनुरोध किया है कि वे समयानुसार उपस्थित होकर प्रवचन श्रवण, महाप्रसाद ग्रहण एवं गुरुदेव के दर्शन–आशीर्वाद का लाभ अवश्य प्राप्त करें।
*साहू चौपाल का ब्लाक और तहसील स्तर पर होगा विस्तार : लालचंद्र साहू,समाज की हर सम्भव मदद करेगा साहू चौपाल :अमरचंद्र*
सुलतानपुर। साहू चौपाल की टीम जिले मे पदाधिकारियों का विस्तार करेगा। एक अभियान के तहत ब्लाक और तहसील स्तर पर भी संगठन का विस्तार होगा। साहू चौपाल लोगो की हर सम्भव मदद करता रहेगा। जिलाध्यक्ष लाल चंद्र गुप्ता ने यह बात कही। साहू तैलिक एकता एवं विकास समिति के बैनर तले जिला पदाधिकारियों की नगर के एक विद्यालय मे जिलाध्यक्ष लाल चंद्र गुप्ता की अध्यक्षता मे बैठक हुई। उन्होंने बताया कि साहू चौपाल का विस्तार जिला मुख्यालय से लेकर तहसील ब्लाक स्तर पर होगा। समाज के लोगों के साथ मिलकर संगठन का विस्तार किया जाएगा । संगठन के सचिव अमरचंद साहू ने कहा कि समाज सेवा के लिए हर संभव कार्य किया जाएगा । जिले में संगठन और अधिक मजबूत होगा । किसी भी प्रकार की समस्या के लिए संगठन हमेशा तत्पर रहेगा । श्री साहू ने बताया कि साहू चौपाल कई प्रदेशों कार्य कर रहा है । संगठन प्रमुख रूप से समाज के प्रतिभाओं का सम्मान करना । गरीबों की हर संभव मदद करना। पीड़ितों की मदद करना, शादी विवाह मे लोगो की मदद करना आदि शामिल है। बैठक मे मुख्य रूप से जिला उपाध्यक्ष अवधेश कुमार साहू, राज कुमार साहू, सजन लाल साहू, रिकू साहू, प्रदेश मीडिया प्रभारी दया शंकर गुप्ता आदि रहे।
झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र 5 दिसंबर से; 11 दिसंबर तक चलेगा 5 कार्यदिवस का सत्र, नवनिर्वाचित सोमेश सोरेन लेंगे शपथ

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रांची: झारखंड विधानसभा का बहुप्रतीक्षित शीतकालीन सत्र राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार ने मंत्रिपरिषद की सलाह पर संविधान के अनुच्छेद 174 के तहत आहूत कर दिया है। यह सत्र 5 दिसंबर को शुरू होगा और 11 दिसंबर तक चलेगा।

राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद, विधानसभा सचिवालय ने सत्र का औपबंधिक कार्यक्रम जारी कर दिया है। पाँच कार्यदिवस वाले इस सत्र में चार दिन प्रश्नकाल होंगे। आज, 19 नवंबर से माननीय सदस्य अपने प्रश्न विधानसभा में डाल सकेंगे।

सत्र के मुख्य कार्यक्रम

दिनांक मुख्य गतिविधि

5 दिसंबर (पहला दिन) शोक प्रकाश, घाटशिला के नवनिर्वाचित विधायक श्री सोमेश चंद्र सोरेन को शपथ दिलाई जाएगी।

6-7 दिसंबर अवकाश (शनिवार और रविवार)

8 दिसंबर प्रश्नकाल के बाद वित्तीय वर्ष 2025-26 का द्वितीय अनुपूरक बजट पेश होगा।

9 दिसंबर अनुपूरक बजट पर सामान्य वाद-विवाद, मतदान और विनियोग विधेयक पारित करने की प्रक्रिया पूरी होगी।

10 दिसंबर प्रश्नकाल के बाद राजकीय विधायक और अन्य सरकारी कामकाज।

11 दिसंबर (अंतिम दिन) प्रश्नकाल के बाद गैर सरकारी संकल्प का निपटारा होगा।

सोमेश चंद्र सोरेन लेंगे शपथ

सत्र के पहले दिन, घाटशिला उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन को हराकर नवनिर्वाचित हुए विधायक श्री सोमेश चंद्र सोरेन को शपथ दिलाई जाएगी। उन्होंने अपने पिता स्वर्गीय रामदास सोरेन के असामयिक निधन से खाली हुई सीट पर जीत दर्ज की है।

अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जवाद सिद्दीकी ईडी की रिमांड में, आतंकी डॉक्टरों का खुलेगा राज

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दिल्ली की एक विशेष अदालत ने अल-फलाह समूह के चेयरमैन जावद अहमद सिद्दीकी को 13 दिन की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) हिरासत में भेज दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शीतल चौधरी प्रधान ने आधी रात के बाद अपने चैंबर में सुनवाई कर यह आदेश पारित किया। जावेद अहमद सिद्दकी से अब ईडी राज उगलवाने की तैयारी में है।

एक ओर एनआईए दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े आतंकी डॉक्टरों के अल फलाह कनेक्शन की जांच कर रही है। वहीं प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लांड्रिंग के तहत मामला दर्ज किया है। ईडी ने मंगलवार को यूनिवर्सिटी के ओखला स्थित मुख्यालय और ट्रस्टियों के ठिकानों पर छापेमारी भी की थी। मंगलवार को लाल किला कार धमाके मामले से जुड़े यूनिवर्सिटी के ट्रस्टियों और प्रवर्तकों के खिलाफ दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में कई जगहों पर रेड डालने के बाद ग्रुप के अध्यक्ष जवाद अहमद को गिरफ्तार किया था।

मनी लॉन्ड्रिंग के तहत गिरफ्तारी

जवाद की गिरफ्तारी दिल्ली धमाके मामले की जगह मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले की गई है। गिरफ्तारी के बाद जवाद को साकेत कोर्ट की एडिशनल सेशन जज शीतल चौधरी प्रधान के घर में रात 11:00 बजे अल फलाह विश्वविद्यालय के संस्थापक को पेश किया गया था। रिमांड आदेश में अदालत ने कहा है कि सिद्दीकी के खिलाफ बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, फर्जी मान्यता दावे करने और अल-फलाह विश्वविद्यालय से प्राप्त धन को अन्यत्र हस्तांतरित करने से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का संलिप्त होने के पर्याप्त आधार मौजूद हैं।

यूनिवर्सिटी से जुड़े लाल किला कार धमाका के तार

बता दें कि लाल किला कार बम धमाका मामले के तार इस यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं। इस धमाके को अंजाम देने वाला डॉक्टर उमर नबी इसी विश्वविद्यालय के अस्पताल से जुड़ा था। इसके अलावा सफेदपोश आतंकी नेटवर्क में पकड़े गए कई लोग इस संस्थान से जुड़े हैं। दिल्ली धमाके की जांच आगे बढ़ने पर विश्वविद्यालय भी जांच में दायरे में आ गया है। इस विश्वविद्यालय के वित्तीय लेन-देन की जांच के बाद अब ईडी ने संस्थापक जावद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया है।

यूनिवर्सिटी के खिलाफ क्या है मामला?

ईडी ने यह जांच दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की ओर से दर्ज दो एफआईआर के आधार पर शुरू की है। ये दोनों एफआईआर 13 नवंबर को दर्ज कराई गई थी। इन एफआईआर में NACC Accreditation और यूजीसी से जुड़े झूठे दावे किए जाने का जिक्र है। दिल्ली पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता के तहत धारा 318 (4), 336 (2), 336 (3), 336 (4), 338 और 340 (2) के तहत केस दर्ज किया। FIR में यह आरोप लगाया गया था कि फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी ने गलत तरीके से NAAC मान्यता (Accreditation) होने का दावा किया। यही नहीं यूनिवर्सिटी ने UGC के सेक्शन 12(B) के तहत मान्यता होने की झूठी जानकारी दी। ताकि छात्रों, माता-पिता और आम जनता को गुमराह कर आर्थिक फायदा लिया जा सके। इस बीच UGC ने भी साफ कर दिया है कि अल फहल यूनिवर्सिटी सिर्फ सेक्शन 2(f) के तहत एक स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी के रूप में लिस्टेड है और उसने कभी भी 12(B) के तहत मान्यता के लिए आवेदन नहीं किया है।